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मेरी दिनचर्या पर निबंध | Daily Routine Essay In Hindi

My Daily Routine Essay In Hindi नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत है आज हम मेरी दिनचर्या पर हिंदी निबंध और भाषण (स्पीच) के रूप में यह आर्टिकल दिया गया हैं.

हम सुबह से शाम तक जो कुछ करते है नियमित रूप से करते हैं, यह हमारी दिनचर्या यानी डेली रूटीन कहलाती हैं. स्कूल में पढने वाले बच्चों को जब मेरी दिनचर्या के बारे में निबंध लिखने को कहा जाए तो आप इस लेख की मदद ले सकते हैं.

मेरी दिनचर्या पर निबंध Daily Routine Essay In Hindi

मेरी दिनचर्या पर निबंध | Daily Routine Essay In Hindi

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निबंध 1 : मेरी दिनचर्या

मैं कक्षा चार का विद्यार्थी हूँ मेरी दिनचर्या बहुत साधारण है. सप्ताह के छः दिन एवं रविवार की दिनचर्या अमूमन एक सी ही रहती हैं. मैं नित्य सवेरे छः बजे उठता हूँ.

उठने के पश्चात दातुन करके शौच आदि से निवृत होने के पश्चात हल्का नाश्ता करता हूँ. नाश्ता करने के उपरान्त दादाजी के साथ सुबह की वाक पर जाता हूँ.

भ्रमण से लौटने के पश्चात नहा धोकर विद्यालय के लिए तैयार होता हूँ तथा माँ के साथ पाठ पूजा में बैठने के उपरान्त आशीर्वाद लेकर अपने दोस्तों के साथ विद्यालय को प्रस्थान करता हूँ.

सुबह 10 बजे मेरा विद्यालय खुलता है तथा चार बजे की छुटी के बाद घर लौट आता हूँ. माँ नाश्ता करवाती है इसके बाद खेलने चला जाता हूँ. आठ से नौ बजे तक अपने रीडिंग रूम में गृहकार्य करता हूँ तथा दस बजे खाना खाकर सो जाता हूँ.

इस तरह यह साधारण दिनचर्या हर दिन दोहराता रहता हूँ. छुट्टी के दिन कही बाहर परिवार के साथ घूमने जाता हूँ अथवा अपने दोस्तों के साथ खेलने में छुट्टी का दिन बीत जाता हैं.

निबंध 2 : दैनिक दिनचर्या

प्रस्तावना – मैं आठवीं क्लाश का विद्यार्थी हूँ इस कारण मेरी नित्य दिनचर्या बड़े नियमों में बंधी हुई हैं. विगत वर्ष आयोजित वार्षिकोत्सव के मौके पर जिला कलक्टर महोदय ने विद्यार्थी जीवन में दिनचर्या के महत्व पर दिए  महत्वपूर्ण  भाषण   से अत्यधिक प्रेरित होकर मैंने इसे अपने जीवन का मूल मन्त्र बना दिया हैं.

स्वास्थ्य, धन और बुद्धिमता जैसे गुणों के विकास में स्वस्थ और अनुशासित नित्य दिनचर्या का अहम योगदान हैं.

सुबह का कार्यक्रम – मैं कटिबद्ध रूप से अपनी दिनचर्या का पालन करता हूँ इसी कड़ी में मैं नित्य सवेरे पांच बजे उठता हूँ उठने के बाद शौच से निवृत होने के बाद ठंडे जल से नहाता हूँ फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर सवेरे भ्रमण के बाद मन्दिर में दर्शन के लिए जाता हूँ.

वापिस घर लौटने के बाद दो बिस्कुट या एक डबलरोटी का टुकड़ा और एक गिलाश दूध के साथ अपना नाश्ता लेता हूँ. सवेरे नौ बजे तक मैं अपने कक्ष में जाकर पढ़ाई करता हूँ.

पिछले दिन दिए गये गृहकार्य और पढ़ाई गयी विषयवस्तु को दोहराता हूँ. तथा अगले दिन के लिए पढाए जाने वाले पाठ को एक बार के लिए पढ़ लेते थे.

मैं एक विद्यार्थी होने के नाते मेरे विध्याध्यन का तरीका भी अलग हैं. कुछ लोग केवल परीक्षा के वक्त ही पढ़ते हैं मैं नियमित अध्ययन की ओर ध्यान देता हूँ तथा सत्र के पहले दिन से ही परीक्षा के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई में जुट जाता हूँ.

मेरी नियमित दिनचर्या के पहले पड़ाव में सुबह के नित्यादी कार्य के बाद २ घंटे की पढ़ाई के बाद 9;30 को मैं विद्यालय के लिए घर से निकल जाता हूँ.

स्कूल का कार्यक्रम – मेरे एक दिन का दूसरा सफर दस बजे स्कूल में प्रवेश से आरम्भ होता हैं. २० मिनट के पैदल सफर के बाद मैं समय पर स्कूल पहुँचता हूँ तथा प्रार्थना आदि में भाग लेने के बाद 10:30 बजे से हमारी स्कूल क्लाश आरम्भ हो जाती हैं. मेरा शिक्षा स्तर काफी अच्छा रहा है विगत वर्षों में मैंने प्रथम श्रेणी से उतीर्ण की हैं.

गणित तथा अंग्रेजी विषयों में मेरी अच्छी पकड़ हैं तथा मैं अध्यापक जी द्वारा पूछे गये हर सवाल का जवाब देता हूँ. इस कारण कक्षा में मेरी पहचान एक होनहार विद्यार्थी के रूप में भी हैं.

मेरी कक्षा में कई छात्र ऐसे हैं जिनका पढ़ाई को लेकर कोई आकर्षण नहीं हैं. वे ठीक से न तो क्लाश में पढ़ते है न शिक्षक द्वारा पूछे किसी सवाल का जवाब देते है.

परीक्षा के समय तैसे वैसे जुगाड़ करके पास होने के लिए माँ बाप या किसी पहचान वाले से सिफारिश करवाते हैं अथवा परीक्षा के समय में आगे पीछे बैठने वाले की तांक झांक में ही रहते हैं. मुझे ऐसे साथियों से हमेशा कड़ी शिकायत रहती हैं.

मेरी क्लाश में विद्यालय के टाइम टेबल के मुताबिक़ पढ़ाई होती हैं. बारी बारी से अलग अलग विषयों के अध्यापक हमे पढ़ते हैं पहले तीन कालांशों में गणित विज्ञान और अंग्रेजी की पढाई होती है. मैं पूर्ण एकाग्रता भाव से कक्षा में उपस्थित रहने का प्रयास करता हूँ.

स्कूल के बाद का कार्यक्रम – विद्यालय के समयानुसार चार बजकर तीस मिनट पर हमारी क्लाशे खत्म कर छुट्टी कर दी जाती हैं मैं अपने दोस्तों के साथ उसी वक्त घर के लिए निकल जाता हूँ.

घर आकर स्थानबद्ध कपड़े, जूते और स्कूल बैंग रखने के बाद हाथ धोकर खाने की टेबल पर जाता हूँ. सायं साढ़े पांच बजे पास ही के मैदान में खेलने के लिए निकल जाता हूँ.

खेल के मैदान में अपने साथियों के साथ क्रिकेट खेल खेलते हैं अगले दो घंटे तक हम क्रिकेट का भरपूर आनन्द लेते हैं. जब तक शरीर की ऊर्जा भी जवाब दे देती है और थके हारे पैर घर की तरफ चल पड़ते हैं. घर आकर ठंडे पानी से नहाने के बाद शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता हैं.

नहाने के बाद कुछ वक्त अपने दादाजी के साथ टहलने के लिए पार्क में चले जाते हैं. घर लौटने पर माताजी खाना बना चुकी होती हैं परिवार के सभी लोग साथ बैठकर खाना खाते हैं. खाने के बाद माँ और दादी के साथ हम टीवी देखते और रात नौ बजे अपने शयनकक्ष में सोने के लिए चला जाता हूँ.

रविवार का कार्यक्रम : हफ्ते का वह दिन जिसके आने का मुझे बड़ा इंतजार रहता हैं वह है रविवार. यह दिन रोजाना की दिनचर्या से हटकर कुछ अलग ही होता हैं, हालांकि सुबह उठने के बाद १० बजे तक मेरी दिनचर्या वही होती हैं जो सप्ताह के अन्य छः दिन की होती हैं.

स्कूल जाने के वक्त से रविवार के दिन मेरे कार्यक्रम बदल जाते हैं, सर्वप्रथम मैं अपने कमरे, अलमारी आदि की सफाई करने में लग जाता हूँ तथा बाद में अपने पापा के साथ सिनेमा के लिए जाते हैं. और सायं को अपने दोस्तों के साथ कहीं नजदीकी स्थान पर घुमने के लिए जाता हूँ. इस तरह रविवार का मेरी दिनचर्या में महत्वपूर्ण स्थान हैं.

उपसंहार – विद्यार्थी काल को जीवन का स्वर्णकाल माना गया हैं. इस पड़ाव में व्यवस्थित जीवन जीने की बहुत आवश्यकता हैं. जीवन जब तक नियमों और अनुशासन में बंधा नहीं होगा तब तक हम अपने इच्छित लक्ष्य को नहीं पा सकते हैं.

अतः प्रत्येक विद्यार्थी को जीवन में एक स्वस्थ दिनचर्या बनाते समय जल्दी सोना और जल्दी उठना को अवश्य शामिल करना चाहिए.

#Daily Routine In Hindi #Hindi Essay On Daily Routine

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it is to nice matter bro

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मेरी दिनचर्या पर अनुच्छेद | Paragraph on My Daily Routine in Hindi

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प्रस्तावना:

मैं विद्यार्थी हूँ इसलिए मेरी दिनचर्या बड़ी साधारण और बंधी-बंधाई है । एक बार मेरे प्रिंसिपल ने एक भाषण के दौरान प्रातःकाल जल्दी उठने के लाभ बताये थे और कहा था कि ऐसा करने पर स्वास्थ्य, धन और बुद्धिमता जैसे जीवन के तीन मुख्य वरदान स्वत: प्राप्त हो जाते हैं । तब से मै हर दिन बड़े सवेरे बिस्तर से उठने लगा हूँ ।

प्रातःकाल का कार्यक्रम:

ADVERTISEMENTS:

उषाकाल में उठकर मैं शोच आदि से निपट कर ठंडे पानी से स्नान करता हूँ और स्वच्छ कपड़े पहन कर निकट के मंदिर में जाता हूँ । मेरी माँ की इच्छा है कि मैं ईश्वर की प्रार्थना के बाद ही दिन का काम प्रारभ करू । मंदिर से घर लौट कर मैं स्नान करता हूँ ।

नाश्ते में दो बिस्कुट या एक डबलरोटी का टुकड़ा और एक गिलास दूध पीता हूँ । तब तक प्रात: के सात बज जाते है । मैं अब पढने बैठ जाता हूँ और दस बजे तक पढ़ाई करता हूँ । इन तीन घंटो के दौरान मैं विभिन्न विषयों पर दिया गया होम वर्क पूरा कर लेता हूँ तथा पिछले दिन पढ़ाये गए पाठ को दोहरा लेता हूँ और उस दिन की पढ़ाई भी पहले से पड़ कर तैयार कर लेता हूँ ।

मैं परीक्षा के समय ही पढ़ाई करने में विश्वास नहीं करता । मेरा यह विश्वास है कि मेरी यह नियमितता मेरे जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगी । पढाई समाप्त करके मैं खाना खाता हूँ और स्कूल के लिए रवाना हो जाता हूँ ।

स्कूल का कार्यक्रम:

मेरा रकूल साढ़े दस बजे से लगता है । घर से स्कूल का केवल पाँच मिनट का पैदल का रास्ता है । मैं हमेशा समय से दस मिनट पहले ही स्कूल पहुंच जाता हूँ । मैं पढ़ने में तेज हूँ और अपनी कक्षा में सदा प्रथम आता हूँ । स्कूल में कई शिक्षक विशेष रूप से गणित और अंग्रेजी के शिक्षक कमजोर लड़कों के प्रश्नो का उत्तर देने में बहुत-सा समय नष्ट कर देते हैं ।

मुझे इसका बड़ा दुःख होता है, लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता । कक्षा में तो सभी के साथ चलना पड़ता है । कभी-कभी मुझे लगता है कि इस प्रकार की कक्षाओं का उद्देश्य क्या के अधिक-से-अधिक विद्यार्थियों को पास कराना होता है ।

कुछ भी क्यों न हो, मैं स्कूल में हर शिक्षक की बात बड़ी श्रद्धा और आदर के साथ सुनता हूँ । स्कूल टाइम-टेबल के हिसाब से अलग-अलग विषयों की पढ़ाई होती है । मेरे टाइम-टेबल में पहला पीरियड अंग्रेजी का व दूसरा गणित का है । अतिम पीरियड इतिहास का है ।

स्कूल के बाद का कार्यक्रम:

मेरा स्कूल साढ़े चार बजे बन्द हो जाता है । मैं रकूल से सीधे घर आता हूँ । बस्त्ता नियत स्थान पर रखकर अपने कपड़े बदलता हूँ और अच्छी तरह हाथ-मुँह धोकर मैं हल्का नाश्ता करता हूँ । इसके बाद कुछ देर आराम करने के बाद मैं खेल के मैदान में चला जाता हूँ ।

यही मैं तरह-तरह के खेल खेलता हूँ । हॉकी मेरा प्रिय खेल है । जब कभी साथियों की कमी से हॉकी नहीं खेल पाता, तो कबडी या अन्य कोई शारीरिक श्रम का खेल खेल खेलता हूँ । कभी-कभी क्रिकेट भी खेलता हूँ । 2 घंटे तक खेलने से खूब पसीना निकलता है और शरीर चुस्त हो जाता है । इसके बाद मैं घर लौट आता हूँ ।

घर आकर मैं स्नान करता हूँ । स्नान करके शरीर स्वच्छ और मन प्रसन्न हो जाता है । तब तक माँ खाना तैयार कर चुकती है और में गरमागरम खाना खाकर कुछ देर के लिए टहलने निकल जाता हूं । टहल कर लौटने तक माँ भी अपने रसोई के काम पूरे कर चुकी होती है । मैं माँ के पास बैठ कर कुछ देर गपशप करता हूँ । वह मुझे बड़ी रोचक कहानियाँ सुनाया करती हैं । कहानी सुनते-सुनते मुझे नींद के झोंके आने लगते हैं और शीघ्र ही मैं निद्रा की गोद में समा जाता हूं ।

रविवार और छुट्टी के दिनों का कार्यक्रम:

रविवार व छुट्टी के अन्य दिनों में भी सुबह उठने और रात को सोने के कार्यक्रम उसी नियत समय पर होते हैं । मंदिर जाने का कार्यक्रम भी यथावत रहता है । अक्सर सुबह की पढ़ाई भी मैं नहीं छोड़ता, लेकिन शेष कार्यक्रमों में परिवर्तन हो जाता है ।

कभी-कभी मैं रविवार या छुट्टी के दिन मनोरंजन के लिए सिनेमा चला जाता हूँ । अन्य दिनों मे मित्रों तथा रिश्तेदारों के घर जाने का कार्यक्रम बना लेता हूं । कभी-कभी किताबो की अल्मारी, कपडे आदि साफ करता हूँ । इन दिनों प्रतिदिन की बंधी-बंधाई जिन्दगी मे कुछ बदलाव आ जाता है ।

जो विद्यार्थी अपने शिक्षा काल में नियमित जीवन की आदत डाल लेते है, वे जीवनभर सुखी रहते हैं । “जल्दी सोना और जल्दी उठना व्यक्ति को स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान बनाता है ।” हम सभी को इसका पालन करना चाहिए ।

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Hindi Essay on “My Daily Routine”, “मेरी दिनचर्या”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरी दिनचर्या.

My Daily Routine 

मैं चौथी कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरी दिनचर्या बहुत ही साधारण है। एक बार मैंने अपने अध्यापक से सुना था कि सुबह जल्दी उठना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसलिए मैं सुबह जल्दी उठता हूँ। मैं सुबह 5.30 बजे उठ जाता हूँ। उसके बाद आधा घंटा अपने बगीचे में सैर करता हूँ। तथा उसके बाद नहाता हूँ उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनकर मंदिर जाता हूँ। मेरी दादी जी ने मुझे सिखाया कि रोज सुबह भगवान की प्रार्थना करनी चाहिए। मंदिर से आने के बाद मैं अपना नाश्ता करता हूँ। नाश्ते में मैं दूध और ब्रेड, फल इत्यादि खाता हूँ। उसके बाद मैं अपनी किताबों को बैग में लगाकर तैयार करता हूँ तथा 7.30 पर विद्यालय के लिए निकल जाता हूँ। मेरा विद्यालय 8.00 बजे शुरू होता है। मैं 7.45 पर विद्यालय पहुँच जाता हूँ और अपने विद्यालय में ध्यान से पढ़ाई करता हूँ।

विद्यालय की छुट्टी 2.00 बजे होती है। मैं घर में 2.15 तक पहुँच जाता हूँ। और उसके बाद खाना खाकर मैं 1 घंटे आराम करता हूँ। 3.00 बजे से 5.00 बजे तक मैं अपने विद्यालय का कार्य करता हैं और उसके बाद शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट या बैडमिंटन खेलने चला जाता हैं। जससे मझमें नई ताजगी आती है। दो घंटे खेलने के बाद 7.00 बजे मैं घर आ जाता हैं। उसके बाद मैं नहाता हूँ अब मैं अपने आपको बड़ा हल्का महसूस करता हूँ। रात का खाना खाने के बाद मैं थोड़ी देर अपने पिताजी के साथ घूमने चला जाता हूँ। वहाँ से आने के बाद मैं अपनी माताजी के पास बैठ जाता हूँ वह मुझे अच्छी कहानियाँ सुनाती हैं। और 9.30 के करीब मैं सो जाता हूँ। रविवार के दिन मैं अक्सर अपने रिश्तेदार के घर घूमने चला जाता हूँ क्योंकि छुट्टी वाले दिन विद्यालय नहीं जाना होता। लेकिन मैं छुट्टी वाले दिन भी जल्दी उठना तथा जल्दी सोना कभी नहीं भूलता।

My Daily Routine

रूप – रेखा  

दिनचर्या का अर्थ , प्रात : काल की दिनचर्या , स्कूल की तैयारी , स्कूल में कार्य , दोपहर बाद की दिनचर्या , शाम की दिनचर्या , रात की दिनचर्या ।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम लोग प्रतिदिन जो कार्य करते हैं, उसे दिनचर्या कहते हैं । इस प्रकार नित्यप्रति किया जाने वाला कार्य व्यवहार दिनचर्या कहलाता है । दिनचर्या का नियमित होना बहुत होता है । यह जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। एक छात्रा हूँ। मेरी दिनचर्या प्रातः पाँच बजे से आरंभ होती है । मैं बजे उठकर मुँह-हाथ धोती हूँ। फिर एक गिलास पानी पीकर शौच जाती हैं। इसके बाद मैं पिताजी और माँ के साथ सुबह की सैर के लिए निकल पडती हूँ। आधे घंटे की सैर से पूरा व्यायाम हो जाता है। प्रात: कालीन सूर्य के दर्शन में मन प्रफुल्लित हो उठता है। मैं सूर्य देवता को नमस्कार कर घर की राह पकड़ती हूँ।

सैर से लौटकर आधे घंटे में मैं स्कूल के लिए नहा-धोकर तैयार हो जाती हूँ। झटपट नाश्ता करती हूँ। स्कूल के पीरियड के अनुसार बस्ता तैयार करती हूँ। जूतों को ब्रश से झाडकर पहनती हूँ। फिर स्कूल बस पकड़ने के लिए सड़क के किनारे खडी हो जाती हूँ। लेकिन ये सारे काम स्कूल में छुट्टी होने की स्थिति में नहीं होते । छुट्टी के दिनों की दिनचर्या कुछ अलग होती है। नहा-धोकर नाश्ता करती हूँ और अध्ययन में जुट जाती हूँ।

स्कूल पहुँचने पर मेरी दिनचर्या सामूहिक दिनचर्या का रूप ले लेती है। मध्यावकाश में सभी विद्यार्थी प्रसन्न होकर लंच करते हैं। समय मिलने पर उछल-कूद भी खूब होती है । छुट्टी होने पर स्कूल बस मुझे समय पर घर तक छोड़ आती है। घर लौटकर बस्ते को सही जगह पर रखती हूँ। स्कूल ड्रैस, जूता आदि यथास्थान रखकर मुँह-हाथ धोती हूँ। फिर भोजन का कार्यक्रम होता है। भोजन के बाद आधे घंटे का विश्राम होता है।

शाम के तीन से पाँच बजे तक पढ़ाई करती हूँ । इसी समय से मिले गृहकार्य को निबटाती हूँ। माता जी गृहकार्य को पूरा करते पूरा सहयोग देती हैं । गृहकार्य से निबटकर पढ़ाए गए पाठों को दोहराती भी हूँ। दो घंटे बहुत जल्दी बीत जाते हैं । घर पर पढ़ाई के ये दो घंटे बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

शाम पाँच बजे से साढ़े छह बजे तक का समय मैंने खेल निश्चित कर रखा है। मैं अपनी सहेलियों के साथ बैडमिंटन खेलती हूँ। यह मेरा सबसे प्रिय खेल है । खेल के दौरान सहलियों से थोडी गप-शप भी होजाती है । खेल का कार्यक्रम समाप्त कर हाथ-मुंह धोती हूँ। इस समय घर में सामूहिक प्रार्थना होती है । में प्रार्थना और आरती में भाग लेती हूँ। इससे मन में शांति आती है।

सात से नौ बजे तक पढ़ाई चलती है । थोड़ी देर के लिए पिताजी का मार्गदर्शन भी मिलता है । यह समय एक या दो विषयों को विस्तार से पढ़ने का होता है । नौ बजते ही मैं टी.वी के सामने बैठ जाती हूँ । इस समय मैं अपना मनपसंद कार्यक्रम देखती हूँ। इसी दौरान माँ गरमागरम भोजन परोस देती है । खाना खाते-खाते दस बज जाते है । नींद के झोंके आने लगते हैं । मैं बिस्तर पर जाकर सो जाती हूँ। यही मेरी दिनचर्या है।

छुट्टी के दिनों में मेरी दिनचर्या में कुछ मनोरजक बदलाव आ जाता है । छुट्टी के दिनों में मैं घर के कामों में माँ का हाथ बँटाती हूँ । इन दिनों में अपनी चित्रकारी के शौक को भी पूरा करती हूँ । सहेलियों से मिलने-जुलने का कार्यक्रम भी इन्हीं दिनों में होता है।

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मेरी दैनिक दिनचर्या पर निबंध Meri Dinacharya Essay in Hindi

My daily routine essay in hindi.

दोस्तों आज का ये विषय बहुत ही खास विषयों में से एक है दुनिया का हर इंसान सुखी रहना चाहता है वह अपने द्वारा किए गए कार्यों में सफल होना चाहता है

My Daily Routine Essay in Hindi

और उसमें सफलता पाने में उसकी दिनचर्या का बहुत बड़ा हाथ होता है क्योंकि जिस इंसान की दिनचर्या सही होती है और वह उसे फॉलो करता है,वह जिंदगी में एक सफल इंसान बन जाता है,बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी की दिनचर्या होना चाहिए,दिनचर्या हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है जिसके जरिए हम अपने जीवन को सुखी समृद्ध बना सकते हैं.

दैनिक जीवन में करने योग्य कार्य

बात करते हैं बच्चों की तो बच्चों को भी सुबह जल्दी जागना चाहिए और नहा धोकर फ्रेश होने के बाद भगवान का स्मरण करना चाहिए और टाइम टेबल पर स्कूल जाना चाहिए वापस आने के बाद खेलने का टाइमटेबिल होना चाहिए और रात का भोजन करने के बाद सो जाना चाहिए रात में जल्दी सोना चाहिए और सुबह जल्दी जागना चाहिए इस तरह से दिनचर्या बच्चों की होना चाहिए.

इसके अलावा नौजवानों की भी इसी तरह की दिनचर्या होना चाहिए उनको भी सुबह जल्दी जागना चाहिए और नहा धोकर कॉलेज या फिर अपने काम पर जाना चाहिए इस तरह से नौजवानों की भी एक दिनचर्या होना चाहिए जिससे हम काम चिंता के साथ सही समय पर पूर्ण करें.

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इसके अलावा बुजुर्गों का भी टाइम टेबल होना चाहिए ज्यादातर बुजुर्ग अगर घर पर रहते हैं तो उनको भी सुबह जल्दी जागने के बाद एक्सरसाइज करना चाहिए और अच्छी दिनचर्या बनाना चाहिए शाम को भी जोगिंग करना चाहिए जिससे उनका शरीर हष्ट पुष्ट रहे. इसके अलावा बच्चे,बुजुर्गों,नौजवानों को अपने जीवन में एक्सरसाइज भी करनी चाहिए,सुबह के टाइम में आप सभी को अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज के महत्व को समझना चाहिए और एक्सरसाइज करना चाहिए जिससे जिंदगीभर तक तंदरुस्त रह सकें

दिनचर्या का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है अगर आपकी सही दिनचर्या है तो आप जिंदगी में बहुत कुछ कर सकते हो अपनी पढ़ाई में अब्बल आ सकते हो, अपने काम में बहुत बड़ा लेवल हासिल कर सकते हो और लोगों की प्रशंसा के काबिल बन सको.

पुराने और आजकल के जमाने की दिनचर्या

दोस्तों पहले के जमाने में लोग दिनचर्या से सही से काम करते थे सुबह जल्दी जागते थे और स्कूल कॉलेज या अपने काम पर निकल जाते थे लेकिन पिछले जमाने से लेकर आजकल के जमाने तक हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है आज के नोजवान हर कोई तो नहीं लेकिन बहुत से मैंने नौजवानों को देखा है जो सुबह काफी देर से जागते हैं और रात में काफी देर से सोते हैं ये एक कामयाब इंसान की निशानी नहीं है

आपको अपने जीवन में किसी भी क्षेत्र में अगर कामयाब होना है तो आपको आपकी अपनी दिनचर्या में इन दो चीजों को तो बिल्कुल त्यागना हीं होगा यानी आपको सुबह जल्दी जागने की आदत डालना होगा फिर आप देखोगे कि आपके दिन बदलने लगे हैं क्योंकि जितना समय आप सोने में बर्बाद करते हो उस समय मैं आपको कुछ अच्छा करना चाहिए.

कुछ नौजवान सुबह देर तक सोते हैं अगर वह फालतू के गवाए हुए समय में व्यायाम करें तो शरीर के लिए बहुत अच्छा हो इसलिए सभी को इसका ध्यान रखना चाहिए और विशेषकर आजकल के लोगों को आलसी नहीं बनना चाहिए और अपने काम की ओर एक दिनचर्या के साथ करना चाहिए.

दोस्तों दरअसल क्या होता है कि हम जब भी किसी काम की दिनचर्या नही बनाते हैं या अपने जीवन की दिनचर्या नहीं बनाते हैं तो हमें अपने काम करने की या पढ़ाई करने की चिंता नहीं होती है सोचिये अगर आपने अपने दिनचर्या में सुबह 5:00 बजे से 7:00 बजे तक पढ़ाई करना है,अगर आप करते हो तो आपका समय भी बचता है और सुबह जल्दी याद करने से आपको सही से याद हो जाते हैं और अगर आप अपनी दिनचर्या में नियमित करते हो तो आपके जीवन में बहुत अच्छा होता है आपको चिंता भी होती है कि मुझे अब 4:00 या 5:00 बजे जागना है पढ़ाई करना है,एक्सरसाइज करना है,नहाना है

जब ये टाइम टेबल से होता है तो हमें इसके प्रति रोजाना चिंता लगने लगती है हम इसको करने की और जागरुक होने लगते हैं और अगर हम इसी टाइम टेबल के हिसाब से प्रतिदिन करते हैं तो हम अपने जीवन में बहुत कुछ अच्छा करते हैं और हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन जल्द से जल्द आ जाता है.

लॉकडाउन में मेरी दिनचर्या पर निबंध

दरहसल lockdown में, मैं घर पर ही अपना समय बिताता था. मैं सुबह घूमने के लिए भी नजदीकी पार्क में नहीं जा पता था और ना ही अपने दोस्तों से मिल पाता था. कहते हैं की जब लोगो के पास कोई कार्य नहीं होता तोह दिनचर्या काफी बिगड़ सकती हैं lockdown में कार्य ना होने के कारण में ना तो समय पर जागता और ना ही टाइम पर नाश्ता या खाना खाता. वैसे मुझे सुबह ऑफिस पर जाना पड़ता था लेकिन lockdown में ऑफिस जाने की कोई चिंता नहीं थी जिस वजह से मेरी दिनचर्या बिगड़ चुकी थी. मैं सोचता था की काश ये lockdown नहीं लगता तोह कितना अच्छा होता.मैं घर पर ही अपने बच्चो के साथ खेलता और ज्यादा समय टीवी देखने में बिताता.

दिनचर्या से कामयाबी तक का सफ़र

इसके अलावा आप देखो जो शख्स कामयाब लोग हैं उनकी दिनचर्या होती है वह सुबह जल्दी जागते हैं,एक्सरसाइज करते हैं,नहाते हैं और अपनी दिनचर्या के अनुसार टाइम टेबल के अनुसार काम करते हैं.वह रोजाना ऐसे ही काम करते हैं एक कामयाब इंसान की यही निशानी है,किसी टॉपर विद्यार्थी को देख लो,वह भी सुबह जल्दी जागता है, नहाता है,पढ़ाई करता है,एक्सरसाइज करता है और सुबह अपने काम जल्दी निपटा लेता है और टाइम टेबल के हिसाब से अपने सभी काम करता है पढ़ाई करता है जिससे वह अपनी परीक्षा में टॉपर होता है,किसी बिजनेसमैन को देख लो.

एक सफल बिजनेसमैन हमेशा दिनचर्या के हिसाब से चलता है सुबह जल्दी जागता है,एक्सरसाइज करता है,अपने दैनिक जीवन का दोपहर का रुटीन बनाता है और फिर काम करता है जिससे उसे दिन भर के अपने द्वारा दिनचर्या में चुने गए काम की चिंता होती है और वह उन्हें सही से खत्म करता है,इस दुनिया में हर इंसान की एक दिनचर्या होना चाहिए तभी वह अपने जीवन में एक सही और एक महान इंसान बन पाएगा तभी वह अपने माता पिता भाई बहनों की नजर में एक अच्छा इंसान बन पाएगा इसलिए आप भी अपनी दैनिक जीवन को सुधारिए एक पैन और रजिस्टर लीजिए उसमें अपनी दिनचर्या लिख दीजिए और उस दिनचर्या को पूरी तरह से फॉलो कीजिए आपको जीवन में बहुत बड़ी सफलता पाने से कोई भी नहीं रोक सकेगा.

  • परिश्रम ही सफलता की कुंजी है पर निबंध

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aap sabhi ka har pal mangalmay ho.sabhi nirogi tatha anandit rahen.

bahut acchi nibandh hai

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Hindi Essay on “Meri Dincharya” , ”मेरी दिनचर्या” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मेरी दिनचर्या

मै, रमेश चन्द्र , नवम श्रेणी का विद्दार्थी हूँ, मेरे जीवन का दैनिक कार्यक्रम बहुत सामान्य सा है जो प्रात: काल उठने से पारम्भ होकर रात्रि को सोने तक का है | मै प्रतिदिन प्रात:काल बहुत शीघ्र उठ जाता हूँ | एक बार हमारे प्रधानाचार्य जी ने प्रात :काल में जल्दी उठने के महत्त्व को बताते हुए कहा था की जो ब्रह्ममुहूर्त में उठता है तथा रात्रि को शीघ्र ही सो जाता है उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है | वह अधिक सम्पत्ति का स्वामी होता है तथा उसकी बुद्धि भी बहुत तीव्र होती है | इस अंग्रेजी में ऐसे कहा है – ‘ Early to bed and early to rise, makes a man healthy, wealthy & wise’ उनकी इस शिक्षा के बाद मै प्रात : जल्दी उठने लगा हूँ तथा उठकर एक घण्टे के लिए पास के बाग़ में प्रात: कालीन भ्रमण के लिए चला जाता हूँ |

भ्रमण से आने के पश्चात मै नित्य के कार्य करता हूँ जैसे शौच से निवृत्त होना, दांत साफ करना तथा स्नान आदि करना | तत्पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके तथा पूजा की सामग्री लेकर मै मन्दिर में भगवान की आराधना करके जाता हूँ | मेरी माता जी चाहती है कि मै दिन का कार्य भगवान की पूजा करके प्रारम्भ करूँ | मन्दिर से लौटने के बाद मै एक गिलास दूध तथा बिस्कुट व डबलरोटी का नाश्ता करता हूँ | उसके बाद मै निशिचत होकर लगभग 11 बजे तक अध्ययन करता हूँ अर्थात अपना गृहकार्य पूरा करता हूँ | मै अपना गृहकार्य नित्य के नित्य ही करता हूँ |

तभी थोडा विश्राम करके तथा भोजन करके मै लगभग 12.30 बजे पाठशाला के लिए चल पड़ता हूँ | हमारी पाठशाला 1.00 बजे प्रारम्भ होती है | वहाँ मै पूरा समय उपस्थित रहकर पाठशाला से अवकाश मिलने पर लगभग 6.30 बजे घर वापस आता हूँ पाठशाला में मै अपने सभी गुरुओ का आदर करता हूँ  तथा सभी विषयों का अध्ययन मन लगा कर करता हूँ | पाठशाला से वापस आकर थोडा जलपान करता हूँ और आधा घंटा  विश्राम करता हूँ |  फिर शाम का भोजन करता हूँ | भोजन के बाद बाहर घुमने निकल जाता हूँ | वहाँ से आकर थोडा पड़ता हूँ लगभग एक घंटा दूरदर्शन देखता हूँ और फिर 9.30 बजे सोने चला जाता हूँ | रविवार तथा दुसरे अवकाश के दिनों में मै अपने मनोरंजन के लिए अपने मित्रो के साथ चलचित्र देखने या पार्क में खेलने चला जाता है | परन्तु मै जल्दी सोने तथा जल्दी उठने के नियम को नही छोड़ता हूँ | यही मेरी दिनचर्या है |

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मेरी दिनचर्या पर निबंध

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मैं तीसरी कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरी दिनचर्या बहुत ही साधारण है। एक बार मैंने अपने अध्यापक से सुना था कि सुबह जल्दी उठना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसलिए मैं सुबह जल्दी उठता हूँ। मैं सुबह 6 बजे उठ जाता हूँ। उसके बाद आधा घंटा अपने बगीचे में सैर करता हूँ।

तथा उसके बाद नहाता हूँ उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनकर मंदिर जाता हूँ। मेरी दादी जी ने मुझे सिखाया कि रोज सुबह भगवान की प्रार्थना करनी चाहिए। मंदिर से आने के बाद मैं अपना नाश्ता करता हूँ। नाश्ते में मैं दूध और ब्रेड, फल इत्यादि खाता हूँ। उसके बाद मैं अपनी किताबों को बैग में लगाकर तैयार करता हूँ तथा 8.00 पर विद्यालय के लिए निकल जाता हूँ।

मेरा विद्यालय 8.30 बजे शुरू होता है। मैं 8.15 पर विद्यालय पहुँच जाता हूँ और अपने विद्यालय में ध्यान से पढ़ाई करता हूँ। विद्यालय की छुट्टी 2.30 बजे होती है। मैं घर में 2.45 तक पहुँच जाता हूँ। और उसके बाद खाना खाकर मैं कुछ देर आराम करता हूँ। 3.30 बजे से 5.00 बजे तक मैं अपने विद्यालय का कार्य करता हैं और उसके बाद शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट या बैडमिंटन खेलने चला जाता हैं। जिससे मुझमें नई ताजगी आती है।

दो घंटे खेलने के बाद 7.00 बजे मैं घर आ जाता हैं। उसके बाद मैं नहाता हूँ अब मैं अपने आपको बड़ा हल्का महसूस करता हूँ। रात का खाना खाने के बाद मैं थोड़ी देर अपने पिताजी के साथ घूमने चला जाता हूँ। वहाँ से आने के बाद मैं अपनी माताजी के पास बैठ जाता हूँ वह मुझे अच्छी कहानियाँ सुनाती हैं। और 9.30 के करीब मैं सो जाता हूँ।

रविवार के दिन मैं अक्सर अपने रिश्तेदार के घर घूमने चला जाता हूँ क्योंकि छुट्टी वाले दिन विद्यालय नहीं जाना होता। लेकिन मैं छुट्टी वाले दिन भी जल्दी उठना तथा जल्दी सोना कभी नहीं भूलता।

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