असाइनमेंट कैसे लिखे? | असाइनमेंट लिखने का तरीका | Assignment likhne ka tarika
|| असाइनमेंट कैसे लिखे? | असाइनमेंट लिखने का तरीका | Assignment likhne ka tarika | असाइनमेंट लिखने के नियम (Assignment rules for students in Hindi | Assignment matlab kya hota hai ||
Assignment likhne ka tarika:- विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है असाइनमेंट और यह हर विद्यार्थी को करना ही होता है। अब यह जो असाइनमेंट होता है वह उसे अपनी कक्षा में बैठकर नहीं करना होता है बल्कि उसे अपने घर बैठकर इसे पूरा करना होता है। यह किसी भी अध्यापक के द्वारा अपने विद्यार्थी को घर पर दिया गया अध्ययन कार्य होता है। इसके लिए छात्र को उस विषय पर अच्छे से रिसर्च करनी होती है और उसके बाद ही उसे लिखना होता (Assignment kaise likhe) है।
अब जिन छात्रों ने पहले असाइनमेंट पर काम नहीं किया है या उन्हें इसके बारे में इतनी जानकारी नहीं है तो अवश्य ही वह खुद को मिले इस काम को देखकर घबरा गए होंगे और उन्हें समझ नहीं आ रहा होगा कि आखिरकार किया जाये तो क्या किया जाए। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ असाइनमेंट के विषय के ऊपर ही बात करने वाले (How to write assignment in Hindi) हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि असाइनमेंट को कैसे लिखा जा सकता है या असाइनमेंट लिखने का क्या तरीका है, वह सब आप इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
असाइनमेंट क्या होता है? (Assignment kya hota hai in Hindi)
असाइनमेंट लिखने के तरीके को जानने से पहले यह जान लेना जरुरी है कि आखिरकार यह असाइनमेंट होता क्या है और यह किस विषय पर दिया जा सकता है। तो यहाँ हम आपको एक बात पहले ही बता दें कि यह एक तरह से लेख ही होता है लेकिन विस्तृत रूप में और पूरी रिसर्च के साथ लिखा गया। आपने लेख पहले भी स्कूल या कॉलेज की परीक्षा में लिखे होंगे और यह आपने अपने दिमाग के अनुसार बड़ा करके लिख दिए होंगे जबकि असाइनमेंट के साथ ऐसा नहीं हो सकता है। इसके लिए आपको उस विषय के बारे में पूरी तरह से रिसर्च करनी होगी और फिर ही उसे लिखना (Assignment matlab kya hota hai) होगा।
तो यह असाइनमेंट किसी भी विषय पर दिया जा सकता है लेकिन वह आपके द्वारा पढ़े जा रहे विषय से ही संबंधित होगा ताकि आपको उसका लाभ मिल सके। यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि अब यदि आपको विज्ञान के अध्यापक ने किसी विषय पर असाइनमेंट दिया है तो वह आपको सामाजिक विज्ञान के विषय पर लिखने को असाइनमेंट नहीं दे सकता है। अब विज्ञान से जुड़े विषय पर जो असाइनमेंट मिल सकता है वह यह है कि सूर्य के नौ ग्रहों के बारे में जानकारी दीजिये या ब्लैक होल क्या होता है या फिर चुम्बकीय किरणों के बारे में जानकारी या कुछ (Assignment kya hai) और।
इस तरह यह असाइनमेंट किसी भी विषय पर हो सकता है लेकिन आप जिस भी कक्षा में पढ़ रहे हैं या जिस भी कॉलेज में जिस भी विषय पर स्टडी कर रहे हैं, आपको उसी विषय से संबंधित किसी विषय पर ही असाइनमेंट करने को दिया जाएगा। अब यह तो आपके अध्यापक पर निर्भर कार्य है कि वह किस छात्र को किस विषय पर असाइनमेंट करने को देता है।
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असाइनमेंट क्यों दिया जाता है?
अब आपको यह भी जानना होगा कि आखिरकार इस असाइनमेंट को देने का क्या औचित्य होता है या इसे देने से क्या कुछ हो जाता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि विद्यार्थी जीवन में आपसे जो भी कार्य करवाया जाता है या आपको जो भी करने को कहा जाता है, उनमे से हरेक चीज़ का अपना अलग महत्व होता है और वैसा ही कुछ इस असाइनमेंट के साथ है।
अब आप जो भी पढ़ने जाते हैं, उस पर अध्यापक आपको ज्ञान देता है और वही आपको उस विषय से संबंधित हरेक चीज़ को समझाता है जबकि असाइनमेंट के साथ ऐसा नहीं होता है। इस असाइनमेंट के जरिये अध्यापक आपको आपकी स्टडी से संबंधित एक विषय पकड़ा देता है और अब आपको अपनी समझ के अनुसार ही उस विषय पर रिसर्च करनी होती है और उस पर एक रिपोर्ट तैयार कर अपने अध्यापक को देनी होती है जिसका वह मूल्याङ्कन करता है।
एक तरह से आपकी जानकारी को बढ़ाने और विषयों पर रिसर्च कर उस पर अपनी जांच रिपोर्ट लिखने की क्षमता का विकास करने के उद्देश्य से ही आपको यह असाइनमेंट दिया जाता है। आइये अब हम बात करते हैं असाइनमेंट को अच्छी तरह से लिखने के तरीकों के बारे में।
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असाइनमेंट बनाने के लिए क्या चाहिए? (Assignment bnane ke liye kya kya chahiye)
अब जब आपको असाइनमेंट मिल चुका है तो उसे बनाने के लिए आपको क्या कुछ चाहिए होगा, यह भी एक महत्वपूर्ण विषय होता है। तो इसके लिए कुछ चीज़ों को आपको बाजार से जाकर लेना होगा क्योंकि उसके बिना असाइनमेंट नहीं बन सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप सोच रहे हैं कि आप अपनी कॉपी के पेज पर ही असाइनमेंट को कर देंगे तो आप गलत हैं क्योंकि इसके लिए A4 साइज़ के पेज चाहिए होते हैं जो फोटोकॉपी या प्रिंट वाली दुकान से मिलते हैं, आइये जाने।
- A4 साइज़ के पेपर
- सूचना एकत्र करने के माध्यम जैसे कि पुस्तकें या इंटरनेट इत्यादि।
असाइनमेंट लिखने का तरीका (Assignment likhne ka tarika)
अभी तक आप असाइनमेंट के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं और यह आपको किस उद्देश्य के तहत दिया जाता है, इसकी जानकारी भी आपने ले ली है। तो अब बारी आती है असाइनमेंट को लिखने के बारे में जो इस कड़ी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। अब यदि आपने इसमें कोई कोताही बरती तो समझ जाइये कि आपकी सारी मेहनत बेकार चली (Assignment kaise banaye in Hindi) जाएगी। ऐसे में आपको असाइनमेंट लिखने का सही तरीका पता होना चाहिए।
बहुत से बच्चे अपने असाइनमेंट में अच्छी बातें तो लिखते हैं और उन्होंने मेहनत भी अच्छी की होती है लेकिन उसे गलत फॉर्मेट में लिखने या सही से चीज़ें नहीं लिखे जाने पर अध्यापक के द्वारा उनके अंक काट लिए जाते हैं और डांट लगायी जाती है वह (Write assignment in Hindi) अलग। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपके असाइनमेंट को सबसे अधिक अंक मिले और उसमे कोई गलती ना हो तो अब आपको यह लेख बहुत ही ध्यान के साथ पढ़ना चाहिए। आइये जाने असाइनमेंट लिखने का सही तरीका।
- सबसे पहले तो आप यह देख लें कि आपको अपने असाइनमेंट के लिए कितने पेज की जरुरत पड़ने वाली है क्योंकि कभी यह कम पड़ जाते हैं तो कभी ज्यादा। ऐसे में आप बाजार से एक मौके ज्यादा पेज ले आइये क्योंकि बच भी जाएंगे तो कहीं और या बाद के किसी असाइनमेंट में काम आ (Assignment likhne ka style) जाएंगे।
- अब आप सभी पेज पर स्केल व पेंसिल से हरेक साइड मार्जिन बना लें जो कि एक अच्छे असाइनमेंट की पहचान होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि पेज के हर ओर आपको लगभग एक सेंटीमीटर का स्पेस छोड़ देना चाहिए ताकि वहां से पेज फट भी जाए या बाद में उसे स्टेपल किया जाए तो वहां लिखे अक्षर छुप ना (Assignment likhne ka tarika in Hindi) जाएं।
- अब आपको यह भी ध्यान रखना है कि असाइनमेंट में किसी भी विषय की हैडिंग को काले पेन से लिखना होगा और जो भी उस हैडिंग के अंदर का कंटेंट होगा, उसे आपको नीले पेन से लिखना होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि मान लीजिये कि आप ब्लैक होल क्या है, इस विषय पर लिख रहे हैं तो आपको ब्लैक होल की विशेषता इस हैडिंग को काले पेन से और उसकी विशेषताओं में जो भी लिखने जा रहे हैं, उसे नीले पेन से लिखना होगा।
- अब आप अपने असाइनमेंट में सीधे विषय के ऊपर ही लिखना मत शुरू कर दीजिये क्योंकि पहला पेज इसके लिए नहीं होता है। असाइनमेंट के पहले पेज को उसका कवर पेज भी कहा जा सकता है जिसे आपको सुन्दर रूप देना होता है।
- इस कवर पेज पर आपको अपनी जानकारी जैसे कि आपका नाम, कक्षा का नाम, स्कूल का नाम, अध्यापक का नाम, विषय का नाम, असाइनमेंट के विषय का नाम इत्यादि सब जानकारी लिखनी होती है। आज के समय में लोग असाइनमेंट के पहले पेज को कंप्यूटर से भी निकालने लगे हैं और वो भी विषय से संबंधित फोटो के साथ। तो आप भी ऐसा कर सकते हैं और अपने असाइनमेंट को एक सुन्दर रूप दे सकते हैं।
- अब यदि आपका असाइनमेंट दो से तीन पेज का ही है तो आप दूसरे पेज से ही असाइनमेंट के विषय के ऊपर लिखना शुरू कर सकते हैं लेकिन आमतौर पर कोई असाइनमेंट इतना छोटा मिलता नहीं है और वह न्यूनतम 10 पेज का तो होता ही है। वह इसलिए क्योंकि असाइनमेंट दिया ही छात्रों को गहन अध्ययन व खोज के लिए जाता है ताकि छात्र उस विषय पर अपनी रिसर्च करके उस पर अपना आंकलन लिख सकें।
- इसलिए आपको असाइनमेंट के कवर पेज को डिजाईन करने के बाद उसके दूसरे पेज पर अपने असाइनमेंट के सभी टॉपिक की टेबल देनी चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपको यहाँ क्रमानुसार अपने असाइनमेंट की सभी हैडिंग लिखनी चाहिए। इसके लिए आप एक पेज को खाली छोड़ सकते हैं और जब आपका असाइनमेंट हो जाए तो इस पेज को बना सकते हैं।
- अब यदि आप असाइनमेंट के दूसरे वाले पेज पर विषय की हैडिंग के साथ साथ यह भी बता देंगे कि वह असाइनमेंट के किस पेज पर है तो यह आपके असाइनमेंट को अध्यापक के सामने प्रभावी बनाने का कार्य करेगा। इसलिए इन छोटी छोटी बातों को ध्यान मे रखकर आप अध्यापक से ज्यादा नंबर बटोर सकते हैं।
- अब तीसरे पेज से आपको असाइनमेंट के विषय के ऊपर लिखना शुरू कर देना होगा। अब इसके लिए आपको जो भी विषय मिला है और आपने उस पर जो भी रिसर्च की है फिर चाहे वह रिसर्च कंप्यूटर से की गयी हो या मोबाइल से या पुस्तकों से या किसी से पूछ कर, यह आप पर निर्भर करता है।
- यह आपको ही तय करना होगा कि आपको उस विषय पर क्या क्या हैडिंग बनानी है, उस पर क्या कुछ लिखना है और यह हम आपको नहीं सिखा सकते हैं क्योंकि इसका कोई निर्धारित प्रारूप नहीं होता है। हालाँकि इसको लेकर कुछ नियम हो सकते हैं जिनके बारे में हम आपको नीचे बता देंगे।
- असाइनमेंट के अंत में आपको लिखे गए विषय के ऊपर एक आंकलन लिखना चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपने पूरे असाइनमेंट में जो भी लिखा है, उसका एक निष्कर्ष आपको अंत में लिखना होता है जो आपके असाइनमेंट को पूर्ण रूप देता है।
तो इस तरह से आप अपने असाइनमेंट को सही तरीके से लिख सकते हैं। यदि आप हमारे द्वारा बताये गए तरीके को ध्यान में रखकर अपने असाइनमेंट को लिखते हैं तो अवश्य ही आपको अपने अध्यापक से वाहवाही मिलेगी और आप अपनी कक्षा में प्रशंसा के पात्र बनेंगे। इसी के साथ ही हम आपको असाइनमेंट लिखने के कुछ नियम भी बता देते हैं ताकि आप अपने असाइनमेंट को और ज्यादा प्रभावी बना सकें।
असाइनमेंट लिखने के नियम (Assignment rules for students in Hindi)
अभी तक आपने असाइनमेंट लिखने के तरीकों के बारे में जान लिया है लेकिन इसी के साथ ही असाइनमेंट लिखने के कुछ नियम भी होते हैं जो आपके असाइनमेंट को पूरी कक्षा में सबसे ज्यादा प्रभावी बनाने का कार्य करते हैं ताकि आप सभी के सामने एक मिसाल बन (Assignment rules in Hindi) सकें। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपके अध्यापक के द्वारा पूरी कक्षा में आपकी प्रशंसा की जाए और आपकी पीठ थपथपाई जाए तो आपको असाइनमेंट लिखने के नियमों के बारे में भी जान लेना चाहिए। आइये जाने असाइनमेंट लिखने के नियमों के बारे में।
- असाइनमेंट लिखने के नियमों में सबसे पहले तो आप इस जरुरी नियम का ध्यान रखें कि आप अपने असाइनमेंट में कहीं भी लाल रंग के पेन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। ना ही किसी चित्र की सजावट में या ना ही किसी हैडिंग में और ना ही कहीं और। वह इसलिए क्योंकि जब अध्यापक आपके असाइनमेंट की जांच करेगा तो वह लाल पेन से करेगा और इस स्थिति में उलझन वाली स्थिति हो सकती है और आपके अंक काट लिए जा सकते हैं।
- असाइनमेंट में मुख्य तौर पर केवल काले व नीले रंग के पेन का ही उपयोग किया जाना चाहिए। हालाँकि यदि आप चित्रकारी या डायग्राम भी बना रहे हैं तो उसके लिए अलग अलग रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन केवल और केवल चित्रकारी में ही, ना की शब्दों में।
- असाइनमेंट में हर पेज पर नंबर लिखा जाना बहुत ही ज्यादा जरुरी होता है और वह नंबर आप एक पेज पर दोनों ओर लिखें अर्थात उसके आगे पीछे। इस नंबर के जरिये आप असाइनमेंट के दूसरे पेज पर बनायी गयी टेबल में हैडिंग के सामने यह भी बता सकते हैं कि उस हैडिंग से जुड़ा कंटेंट किस पेज नंबर पर दिया गया है।
- आजकल तो छात्रों में पेज को व्यर्थ करने का चलन बहुत बढ़ गया है और अध्यापक भी इसको प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि अधिकतर लोग आपको पेज की एक ओर लिखने को ही कहेंगे लेकिन यह कोई नियम नहीं है। यदि ऐसा ही नियम होता तो समाचार पत्र, पुस्तकें इत्यादि सभी एक पेज पर ही छपी हुई आती। इसलिए आप पेज को व्यर्थ कर पर्यावरण को हानि पहुँचाने की बजाये, उसकी दोनों ओर लिखेंगे तो बेहतर रहेगा।
- असाइनमेंट में ना तो बहुत ही ज्यादा बड़े अक्षरों में लिखा जाना चाहिए और ना ही अत्यधिक छोटे अक्षरों में। इसे आप संतुलित भाषा में सही तरह से लिखेंगे तो यह ज्यादा प्रभावी रहेगा।
- आप अपने असाइनमेंट में केवल लिखते ही ना जाए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपने किसी विषय के ऊपर हैडिंग लिख दी और अब आप उस पर पैराग्राफ ही पैराग्राफ लिखते जा रहे हैं तो यह गलत है। आप उस हैडिंग के अंदर ही अन्य छोटी छोटी हैडिंग बना सकते हैं, पॉइंट्स बना सकते हैं, पैराग्राफ को तोड़ सकते हैं इत्यादि। इसका उदाहरण आप हमारे द्वारा लिखे गए इसी लेख से ही ले सकते हैं।
- आपको अपने असाइनमेंट में अपने विषय से हटकर कुछ भी नहीं लिखना है और ना ही कोई अन्य उदाहरण देना है। अब आप जो भी लिख रहे हैं तो वह आपके विषय से ही संबंधित होना चाहिए या किसी ना किसी चीज़ से उसे लिंक किया हुआ होना चाहिए।
- आप अपने असाइनमेंट में उसका रेफरेंस भी देंगे तो यह बहुत ही बढ़िया बात होगी। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपको वह उक्त जानकारी कहाँ से मिली, उसके बारे में जानकारी देना, आपके असाइनमेंट को और ज्यादा प्रभावी बनाने का कार्य करता है।
- अंत में आपको निष्कर्ष से पहले उस विषय के बारे में आपके क्या विचार हैं या आपने उसका किस तरह से आंकलन किया है या आप उस विषय पर क्या सोचते हैं, यह भी लिख देंगे तो यह असाइनमेंट को एक तरह से पूर्ण रूप देने का ही कार्य करेगा।
तो इसी तरह के नियमों को ध्यान में रखकर आप एक सर्वश्रेष्ठ असाइनमेंट बनाने की दिशा में आग बढ़ सकते हैं। हालाँकि इस बात का ध्यान रखें कि आज के इस लेख में हमने आपको असाइनमेंट लिखने के तरीके और नियमों के बारे में ही जानकारी दी है जिनका पालन आप कर भी लेंगे किन्तु आपको जो भी अंक मिलेंगे, वह आपके द्वारा उस विषय पर की गयी रिसर्च और उस पर आपके द्वारा लिखे गए कंटेंट पर ही निर्भर करने वाले हैं।
असाइनमेंट लिखने का तरीका – Related FAQs
प्रश्न: असाइनमेंट कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर: असाइनमेंट तैयार करने के बारे में संपूर्ण जानकारी को हमने इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया है जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: असाइनमेंट के पहले पेज में क्या लिखना चाहिए?
उत्तर: इसके बारे में उचित जानकारी आपको ऊपर के लेख को पढ़ कर मिल जायेगी इसीलिए ऊपर का लेख ध्यान से अंत तक पढ़िए।
प्रश्न: असाइनमेंट के लिए कवर पेज कैसे बनाएं?
उत्तर: असाइनमेंट का कवर पेज बनाने की जानकारी हमने ऊपर के लेख में दी है जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: आप एक असाइनमेंट कैसे शुरू करते हैं?
उत्तर: इसकी जानकारी आपको ऊपर के लेख में मिलेगी जो आपको पढ़ना चाहिए।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने असाइनमेंट लिखने के तरीके के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। साथ ही हमने आपको असाइनमेंट क्या होता है यह क्यों दिया जाता है इसको बनाने के लिए क्या कुछ चाहिए और इसको बनाने के क्या कुछ नियम हैं इत्यादि जानकारी भी इस लेख के माध्यम से दी है ताकि आपके मन में किसी तरह की शंका शेष ना रह जाए। आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।
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असाइनमेंट लिखने के नियम – Assignment In Hindi
Assignment In Hindi : विद्यार्थी जीवन में असाइनमेंट कार्य एक महत्वपूर्ण विषय है। और यदि आप इस असाइनमेंट को लिखने के नियमों को नहीं जानते हैं, तो परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना संभव नहीं है, जैसे छात्र जीवन उदास है।
विद्यार्थी जीवन कहा जाए या विद्यार्थी जीवन, असाइनमेंट लगभग सभी को लिखने होते हैं। हमारे विश्वविद्यालय के जीवन में ऐसा कोई हफ्ता नहीं था जब कोई असाइनमेंट नहीं होता था।
वास्तव में, असाइनमेंट कार्य पढ़ने का एक अभिन्न अंग हैं। शिक्षक छात्रों को उनकी प्रतिभा और रचनात्मकता का परीक्षण करने के लिए असाइनमेंट करते हैं। इसलिए असाइनमेंट लिखने के नियमों को जानना महत्वपूर्ण है। आज हम उन नियमों पर चर्चा करेंगे और आपको बतायंगे की असाइनमेंट क्या है ( What is Assignment In Hindi ) और असाइनमेंट कैसे बनाते हैं।
असाइनमेंट क्या है – What is Assignment In Hindi
असाइनमेंट, अध्ययन का एक हिस्सा है। यह बहुत कुछ घर के काम जैसा है। क्योंकि छात्र घर बैठे ही असाइनमेंट करते हैं। शिक्षकों को किसी एक विषय पर असाइनमेंट दिए जाते हैं। छात्र घर पर ही शोध करते हैं। वे असाइनमेंट विषय के आधार पर आवश्यक जानकारी और डेटा प्रस्तुत करते हैं। इसमें लिखित सामग्री और कभी-कभी व्यावहारिक सामग्री होती है।
असाइनमेंट कैसे बनाते हैं?
असाइनमेंट लिखने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है
असाइनमेंट की प्रस्तुति बहुत अच्छी होनी चाहिए। तो इसके लिए कुछ चीजों की जरूरत होती है। उदा.
- A4 साइज का ऑफसेट पेपर।
- ब्लैक बॉलपॉइंट पेन।
- नीला साइनपेन (अन्य रंगों का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लाल या नारंगी का उपयोग नहीं किया जा सकता है। हरे रंग को सूची से हटा दिया जाना चाहिए।)
- मार्जिन के लिए पेंसिल और स्केल।
- असाइनमेंट किताबें।
- यदि सूचना इंटरनेट, समाचार पत्र या किसी अन्य माध्यम से एकत्रित की गई है तो उसके कागजात आदि।
Assignment front page design
Assnigment front page लिखने के लिए मैंने दो प्रकार के कवर पेजों के नमूने दिए। असाइनमेंट के लिए कवर पेज लिखना बहुत जरूरी है। कवर पेज (Assnigment front page) को खूबसूरती से लिखा जाना चाहिए। शुरुआत में संस्था का नाम लिखा होना चाहिए। फिर आपको अपना नाम, कक्षा, शाखा, रोल नंबर, विषय, विषय शिक्षक का नाम, विभाग, तिथि आदि क्रम में लिखना होगा।
इन बातों को स्पष्ट रूप से सुंदर अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। हालाँकि, इसे बिना हाथ से लिखे कंप्यूटर से डिज़ाइन किया जा सकता है। कवर पेज और भी खूबसूरत और दिलचस्प होगा। खाते में संगठन का लोगो भी होना चाहिए।
यदि असाइनमेंट बहुत बड़ा है और एक साथ बहुत सारे विषय हैं, तो कवर पेज के बाद एक इंडेक्स दिया जा सकता है। इससे पाठक को विषय खोजने में मदद मिलेगी।
असाइनमेंट क्या क्या होना चाहिए
असाइनमेंट आमतौर पर तीन भागों में लिखे जाते हैं।
- पहला भाग एक भूमिका देना है
- फिर मुख्य भाग
- अंत में हमें निष्कर्ष निकालना है।
प्रारंभिक भाग असाइनमेंट के विषय के बारे में एक संक्षिप्त विचार देना है। इस भाग को पढ़ने से शिक्षक या पाठक को पूरे विषय पर एक स्पष्ट विचार मिलता है। इसलिए इसे समझना आसान होना चाहिए।
फिर मुख्य भाग शुरू होगा। सामग्री पर विवरण यहां दिया जाएगा। पूरी सामग्री का वर्णन बहुत ही अच्छी और सरल भाषा में किया जाना चाहिए ताकि शिक्षक या पाठक को विषय के बारे में आसानी से पता चल सके। असाइनमेंट का विवरण व्यवस्थित किया जाना चाहिए। सभी आवश्यक जानकारी होनी चाहिए।
असाइनमेंट बनाने से छात्र की रचनात्मकता का पता चलता है, तो कौन असाइनमेंट को खूबसूरती से पेश कर पाता है। इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।
अंत में निष्कर्ष आएगा। असाइनमेंट कार्य के इस भाग में विषय वस्तु को समाप्त करना होता है। हमें मामले के परिणाम के बारे में कहना है।
नीचे हम असाइनमेंट कार्य को संक्षिप्त रूप में लिखने के नियम के रूप में असाइनमेंट कार्य का एक नमूना देते हैं। समझने में आसानी के लिए यह नमूना बहुत ही संक्षिप्त रूप में दिया गया है। आमतौर पर, असाइनमेंट बड़े होते हैं।
असाइनमेंट नमूना
छात्र का नाम: प्रिया
कक्षा: छठी कक्षा
विषय: गृह अर्थशास्त्र
विषय शिक्षक का नाम: दिलरुबा अफरोज पुष्पित
दिनांक: 10-10-2021
विषय शीर्षक: लाल पालक कैसे पकाएं
पालक एक विटामिन आहार है। सब्जियों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। सब्जियों को दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए। आज हम लाल पालक बनाना सीखेंगे।
सबसे पहले आपको सब्जियों के डंठल काट कर अलग कर लेना है। फिर इसे कई बार पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए। सब्जियां चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि कहीं कीड़े न हों। पानी से धोने के बाद उसमें से पानी निचोड़ लेना चाहिए। इसके लिए किसी फिल्टर या जाली की मदद ली जा सकती है।
फिर आपको सब्जियों को काटना है। सब्जियों को पकाने के लिए आपको पैन को ओवन में रखना होगा। लाल पालक के टुकड़ों को पर्याप्त मात्रा में नमक के साथ उबालना चाहिए। पकने के बाद अतिरिक्त पानी डालें। एक पैन में तेल गरम करें और उसमें उबले हुए पालक, थोड़ी सी हल्दी, मिर्च और प्याज डालकर अच्छी तरह मिला लें। जब यह दिखे कि सब्जियां बहुत अच्छी तरह मिक्स हो गई हैं, तो इसे नीचे उतार लेना चाहिए।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि लाल पालक को उपरोक्त तरीके से पकाने से पालक का पोषण मूल्य बना रहेगा।
असाइनमेंट लिखने के नियम
असाइनमेंट लिखते समय, लेज़र को एक पेंसिल से खींचा जाना चाहिए।
➤➤ असाइनमेंट आमतौर पर लेज़र के दाईं ओर लिखे जाते हैं। हालाँकि, बाईं ओर लिखने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन मानक असाइनमेंट में लिखना हमेशा एक तरफ होता है। यदि आप पृष्ठ के एक तरफ लिखते हैं, तो आप दूसरी तरफ नहीं लिख सकते।
➤➤ असाइनमेंट छोटे वाक्यों में लिखे जाने चाहिए। बड़ी जटिल रेखाओं से बचना चाहिए। लेखन की भाषा सरल और धाराप्रवाह होनी चाहिए।
➤➤ लिखित में परिचित शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए और खाता बही को साफ सुथरा रखना चाहिए। सुनिश्चित करें कि पुस्तक के सभी पृष्ठ समान आकार के हैं।
➤➤ लिखित में कोई झगड़ा नहीं हो सकता। काले बॉलपॉइंट पेन से लिखें।
➤➤ नोटबुक की सुंदर प्रस्तुति के लिए बिंदुओं को नीली स्याही से लिखा जा सकता है।
➤➤ यदि आवश्यक हो तो चित्र संलग्न किए जा सकते हैं। विज्ञान और गणित में आवश्यक।
➤➤ असाइनमेंट कार्य के अंत में एक खाली कागज संलग्न किया जाना चाहिए।
असाइनमेंट लिखते समय उल्लेखनीय मुद्दे
असाइनमेंट करने से पहले विषय को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। प्रश्न को ध्यान से पढ़ना चाहिए। असाइनमेंट किसी और को देखकर नहीं करना चाहिए। क्योंकि एक असाइनमेंट में छात्र की बुद्धि, उसके अपने विचार व्यक्त किए जाते हैं। जब वह किसी को देखकर लिखता है तो उसकी रचनात्मकता में बाधा आती है। इससे अपने विचार व्यक्त करने में परेशानी हुई।
खुद लिखने से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। क्योंकि जब शिक्षक असाइनमेंट की जांच करेगा, तो वह अपनी सोच का मूल्यांकन करने में सक्षम होगा। किसी और की नकल करना संभव नहीं है। असाइनमेंट स्पष्ट अक्षरों में लिखे जाने चाहिए।
यहां स्टाइलिश किरदारों को छोड़ देना चाहिए। सभी फ़ॉन्ट आकार शुरू से अंत तक समान होने चाहिए। जिस सटीक स्थान से जानकारी एकत्र की गई थी, उसकी प्रतिलिपि नहीं बनाई जा सकती है। मुझे उससे एक बहुत अच्छा विचार लेना है। नियत तारीख तक असाइनमेंट जमा करना होगा।
यह आज के असाइनमेंट कार्य लिखने के नियमों पर एक संक्षिप्त निबंध था। उम्मीद है, आपको असाइनमेंट नियम लिखने में कोई समस्या नहीं होगी। फिर भी अगर आपको किसी टॉपिक को समझने में परेशानी होती है तो आप कमेंट कर सकते हैं।
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ASSIGNMENT MEANING IN HINDI - EXACT MATCHES
Other related words, definition of assignment.
- a duty that you are assigned to perform (especially in the armed forces); "hazardous duty"
- the instrument by which a claim or right or interest or property is transferred from one person to another
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- शब्द प्रचलन
- शब्द सहेजें
assignment का हिन्दी अर्थ
Assignment के हिन्दी अर्थ, संज्ञा .
- सुपुर्द काम
assignment शब्द रूप
Assignment की परिभाषाएं और अर्थ अंग्रेजी में, assignment संज्ञा.
- appointment , designation , naming
- "the appointment had to be approved by the whole committee"
- "the first task is the assignment of an address to each datum"
- duty assignment
- "hazardous duty"
grant , grant
assignment के समानार्थक शब्द
assignment के लिए अन्य शब्द?
assignment के उदाहरण और वाक्य
assignment के राइमिंग शब्द
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Assignment का हिन्दी मतलब.
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- डीएनए के प्रकार और कार्य
डीएनए के प्रकार और कार्य - DNA in hindi
पिछले कुछ दशकों में, हमने जीन्स की हमारी समझ और वे हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं, यह जानने में बड़ी प्रगति की है। 20 वीं शताब्दी के मध्य में, हमने यह समझना शुरू कर दिया कि डीएनए में मानव के विकास के बारे में पूर्ण निर्देश होते हैं।
(और पढ़े - जीन थेरपी क्या है )
वैज्ञानिक अब न केवल अध्ययन कर रहे हैं कि कुछ जीन बीमारियों से कैसे संबंधित हो सकते हैं, बल्कि वे यह भी जान रहे हैं कि जीन और पर्यावरण के बीच जटिल संबंध कैसे कुछ बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
इस बात की पहचान करना कि डीएनए में सभी जीवित जीवों के लिए सूचना का ब्लूप्रिंट होता है और वे तंत्र जो डीएनए कोड का अनुवाद जीवन की सामग्री में करते हैं उनका पता लगाना, आधुनिक विज्ञान की महान खोजों में से एक है।
26-अक्षर की अंग्रेजी वर्णमाला की तुलना में बहुत कम जैविक "अक्षरों" का उपयोग करके, डीएनए जीवों को जीवन, प्रजनन, चयापचय , परिपक्वता और अंततः मृत्यु के निर्देशों के बारे में बताता है।
(और पढ़े - प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले आहार )
डीएनए शायद सबसे प्रसिद्ध जैविक अणु है। यह पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों में मौजूद होता है। लेकिन डीएनए या डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड क्या है? इस लेख में, हम इससे जुड़ी लगभग सारी जरूरी जानकारी को कवर कर रहे हैं, जैसे डीएनए क्या है? हमारे लिए यह महत्वपूर्ण क्यों है और यह हमारे शरीर में क्या कार्य करता है?
डीएनए क्या है - DNA kya hai in hindi
डीएनए संरचना - dna structure in hindi, डीएनए के कार्य - function of dna in hindi.
लाल रक्त कोशिकाओं को छोड़कर, आपके शरीर में लगभग हर कोशिका में डीएनए या जेनेटिक कोड होता है जो हमको “हम” बनाता है। डीएनए में पूरे जीवन के विकास, वृद्धि, प्रजनन और कार्य के लिए निर्देश होते हैं। आश्चर्यजनक रूप से, अगर मानव शरीर में मौजूद सभी डीएनए को सुलझाया जाएं, तो ये इतने लंबे होंगे कि सूर्य तक पहुंच कर 300 गुना बार वापस पृथ्वी पर पहुंच सकते हैं।
(और पढ़े - डीएनए टेस्ट क्या होता है )
आनुवांशिक कोड में अंतर ही वह कारण है कि एक व्यक्ति के भूरे रंग की बजाय नीली आंखें होती हैं या क्यों कुछ लोग कुछ बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं या क्यों पक्षियों के केवल दो पंख होते हैं और क्यों जिराफ की गर्दन लंबी होती है।
डीएनए एक जटिल, लंबा जंजीर जैसा दिखने वाला अणु है जो जीवित जीव की आनुवांशिक विशेषताओं को एन्कोड करता है। अधिकांश पौधों और जानवरों में, डीएनए राइबोन्यूक्लिक एसिड और प्रोटीन के साथ कॉम्पैक्ट (संकुचित) संरचनाओं के रूप पाया जाता है जिसे कोशिका नाभिक (सेल न्यूक्लियस) में रहने वाले गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) कहा जाता है।
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क्रोमैटिन नामक प्रोटीन के साथ जुड़े बड़े संपीड़ित डीएनए अणु, ज्यादातर न्यूक्लियस के अंदर मौजूद होते हैं। हम अपने माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए, एमटीडीएनए, भी प्राप्त करते हैं जो हम केवल हमारी माँ से प्राप्त करते हैं और हमारे पिता से नहीं। माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए सेल के नाभिक (न्यूक्लियस) के बाहर स्थित होते है।
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गर्भधारण के समय, एक बच्चे को पिता और मां दोनों से डीएनए प्राप्त होता है। हमारे पास माँ-पिता के गुणसूत्रों के 23 जोड़े हैं। प्रत्येक जोड़े में से एक को पिता से प्राप्त किया गया था और एक मां से प्राप्त हुआ था। गुणसूत्रों के इन 23 जोड़ों को परमाणु (न्यूक्लियर) डीएनए के रूप में जाना जाता है क्योंकि लाल रक्त कोशिकाओं को छोड़ कर, वे हमारे शरीर में प्रत्येक कोशिका के नाभिक (न्यूक्लियस) में रहते हैं।
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23 वें गुणसूत्र को यौन गुणसूत्र ( सेक्स क्रोमोसोम) के रूप में जाना जाता है। यह अन्य गुणसूत्रों के साथ, एक पिता से और एक मां से विरासत में मिलता है। मां से 23 वां गुणसूत्र हमेशा एक्स होता है। पिता से, एक व्यक्ति को या तो एक्स गुणसूत्र या वाई गुणसूत्र प्राप्त होता है।
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पिता से विरासत में प्राप्त गुणसूत्र उनके लिंग को निर्धारित करता है। पिता के एक एक्स के परिणामस्वरूप एक्स एक्स संयोजन होगा, तो एक मादा शिशु का जन्म होता है। पिता के वाई के परिणामस्वरूप एक एक्स वाई संयोजन होगा, तो एक नर शिशु का जन्म होता है।
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डीएनए एक सीढ़ी जैसा दिखने वाला अणु है जो घुमावदार दिखाई देता है, जिससे इसे एक अद्वितीय आकार मिलता है जिसे डबल हेलिक्स कहा जाता है। डीएनए आमतौर पर न्यूक्लियोटाइड्स का एक डबल-स्ट्रेन्डेड पॉलीमर होता है, हालांकि सिंगल-स्ट्रेन्डेड डीएनए भी पाया जाता है।
दोनों स्ट्रैंड्स में से प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड्स या निम्नलिखित तत्वों से बनी व्यक्तिगत इकाइयों का एक लंबा अनुक्रम है -
- फॉस्फेट अणु (और पढ़े - खून में फॉस्फेट का स्तर बढ़ने का इलाज )
- एक शुगर अणु जिसे डीऑक्सीराइबोज कहा जाता है, जिसमें पांच कार्बन होते हैं
- एडीनाइन (A)
- साइटोसिन (C)
इन चार बेसेस का क्रम आनुवंशिक कोड बनाता है, जो जीवन के लिए हमारे निर्देश है। इन बेसेस के क्रम को डीएनए अनुक्रम (DNA sequence) कहा जाता है। ये "अक्षर" आपके जीन के भीतर विशेष अनुक्रम में होते हैं। उनमें किसी विशेष समय में, किसी विशेष सेल के लिए, किसी विशेष प्रोटीन को बनाने के निर्देश होते हैं।
डीएनए के दो स्ट्रैंड्स के बेसेस एक सीढ़ी की तरह आकार बनाने के लिए एक साथ फंस जाते हैं। सीढ़ी के भीतर, A हमेशा T पर चिपक जाता है और G हमेशा "सीढ़ी का पायदान" बनाने के लिए C पर चिपक जाता है। डीएनए की इस सीढ़ी जैसी आकृति की लंबाई शुगर और फॉस्फेट समूहों द्वारा बनी होती है।
(और पढ़े - शुगर की बीमारी का इलाज )
डीएनए के कार्यों के स्पष्ट करने से पहले इसको अलग किया गया और रासायनिक रूप से खोजा गया। जब यह स्पष्ट हो गया कि डीएनए ऐसी सामग्री है जिसे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में स्थानांतरित कर दिया जाता है, तो इसके कार्यों की जांच शुरू की गयी।
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कोशिका में डीएनए की मुख्य भूमिका सूचना का दीर्घकालिक भंडारण है। इसकी तुलना अक्सर ब्लूप्रिंट से की जाती है, क्योंकि इसमें कोशिका के अन्य घटकों, जैसे प्रोटीन और आरएनए अणुओं का निर्माण करने के निर्देश होते हैं।
आनुवंशिक सूचना वाले डीएनए सेगमेंट को जीन कहा जाता है, लेकिन अन्य डीएनए अनुक्रम के संरचनात्मक उद्देश्य होते हैं या वे आनुवंशिक सूचना की अभिव्यक्ति को विनियमित करते हैं।
जानवरों और पौधों जैसे यूकेरियोट्स में, डीएनए कोशिका के नाभिक के अंदर संग्रहीत होता है, जबकि बैक्टीरिया और आर्काइया जैसे प्रोकैरियोट्स में, डीएनए कोशिका के साइटोप्लाज्म में होता है।
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एंजाइमों के विपरीत, डीएनए सीधे अन्य अणुओं पर कार्य नहीं करता है बल्कि विभिन्न एंजाइम डीएनए पर कार्य करते हैं और इसकी जानकारी को अधिक डीएनए में, डीएनए प्रतिकृति में कॉपी करते हैं या प्रोटीन में नक़ल (प्रतिलेखन) करते हैं।
हिस्टोन जैसे अन्य प्रोटीन डीएनए की पैकेजिंग में शामिल होते हैं या डीएनए को हुए नुकसान की मरम्मत करते हैं, अन्यथा यह नुकसान उत्परिवर्तन (mutations) का कारण बनता है।
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डीएनए का एक प्रमुख कार्य जेनेटिक कोड का उपयोग करके प्रोटीन में एमिनो एसिड अवशेषों के अनुक्रम को एन्कोड करना है। आनुवंशिक कोड को पढ़ने के लिए, कोशिकाएं न्यूक्लिक एसिड आरएनए में डीएनए के एक स्ट्रेच की एक प्रति बनाती हैं।
इन आरएनए प्रतियों का उपयोग प्रोटीन संश्लेषण को निर्देशित करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन इन्हें सीधे राइबोसोम या स्प्लिसोसोम्स (spliceosomes) के हिस्सों के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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What is surveying in hindi | survey meaning in hindi, सर्वेक्षण क्या होता है?
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Easy way learn Survey meaning in hindi, what is surveying in hindi, Surveying क्या होता है? सर्वेक्षण क्या है? सर्वेक्षण करना क्यों जरूरी है? सर्वेक्षण के सिद्धांत क्या हैं? सर्वेक्षण के कार्य क्या होते हैं?
Table of Contents
Survey meaning in Hindi ( सर्वेक्षण क्या होता है )
“सर्वेक्षण सिविल इंजीनियरिंग की वह शाखा है जिसमें भू पृष्ट तथा आकाश में स्थित बिंदुओं के सापेक्ष स्थिति उनके बीच के दूरी तथा उच्चता एवं कोणीय माप लेकर संस्थापित की जाती है।”
Object of surveying
- किसी भी बिंदु के क्षैतिज दूरी तथा स्थिति का पता लगाना।
- किसी भी बिंदु की उर्धवाधर दूरी तथा स्थिति का पता लगाना।
- क्षेत्र मापों के आधार पर नक्शा तैयार करना।
- निर्माण कार्यों के लिए मृदा की कटाई तथा भराई का परिमाण ज्ञात करना।
- भवनों तथा सिविल निर्माण कार्य में लेआउट करना।
Classification of survey
सर्वे को निम्न दो भागों में बांटा गया है-
Plane survey
Geodetic survey .
इस सर्वेक्षण में पृथ्वी की वक्रता को ध्यान में नहीं रखा जाता है। यह छोटे भूखंडों ( 260 किलो मीटर स्क्वायर से कम) के लिए प्रयोग होता है। इंजीनियरिंग कार्यों में सर्वाधिक प्रयोग होता है इसमें कम समय लगता है।
इस प्रकार के सर्वेक्षण में पृथ्वी की वक्रता को ध्यान में रखा जाता है इसे टेक्नोमेट्री सर्वे भी कहते हैं।
सर्वेक्षण का वर्गीकरण अन्य आधारों पर भी किए जाते हैं-
Land based survey :.
- Cadostral survey
- Hydrographic survey
- Arial survey
- Topographic survey
Astronomical survey
City survey, cadostral survey.
यह सर्वेक्षण नगर, क्षेत्रों, राज्यों की सीमा निर्धारित करने तथा उसके अंतर्गत आने वाली भूमि का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
Hydrographic survey
यह सर्वेक्षण नदियों, नहरों, जलाशयों, झीलो, समुद्रों में जल का विस्तार, गहराई, गति, निस्सरण इत्यादि ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
Arial survey
यह सर्वेक्षण बढ़, भूकंप, सुखा, क्षतिग्रस्त बांध से प्रभावित क्षेत्रों तथा अन्य भौगोलिक दृश्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए वायु यान के द्वारा किया जाता है।
Topographic survey
यह survey भू क्षेत्र की प्राकृतिक आकृतियों जैसे- पर्वत,नदी नाले, टीलें, झील, जंगल तथा मानव रचित आकृतियां जैसे- शहर, गांव, सड़कें, नहरें, रेल मार्ग इत्यादि की स्थिति तथा आकार ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
इस सर्वेक्षण में आकाश के ग्रहों के संदर्भ से पृथ्वी पर बिंदुओं या रेखाओं की पूर्ण स्थिति ज्ञात की जाती है।
नगर के अंदर स्थित सड़कें, नालियों, पाइप लाइनों दीवारों तथा भवनों एवं खुले क्षेत्रों की जानकारी तथा स्थिति ज्ञात करने के लिए यह सर्वेक्षण किए जाते हैं।
Purpose Based survey:
- Mine survey
- Engineering survey
- Geological survey
- Hydrological survey
Archeological survey
Military survey, mine survey.
भूमि के नीचे स्थित खनिज पदार्थों के भंडार आदि के विस्तार का पता लगाने के लिए माइन सर्वे किया जाता है।
Engineering survey
यह सर्वेक्षण किसी निर्माण कार्य के परियोजना तैयार करने व अभिकल्पन के लिए आवश्यक आंकड़े एकत्र करने के लिए किया जाता है।
Geological survey
यह सर्वेक्षण पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित चट्टानों अन्य पदार्थों की रचना की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
Hydrological survey
सतही एवं भूमिगत जल की उपलब्धता, मात्रा, प्रकार एवं विस्तार आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए यह सर्वेक्षण किया जाता है।
भूमि के नीचे दबी पुरानी वस्तुओं चिन्हों अवशेषों को खोज निकालने के लिए यह सर्वेक्षण किया जाता है।
सैनिक दृष्टि में महत्वपूर्ण निशानों, बिंदुओं, ठिकानों, मार्गों, पुलों, दर्रों, आदि की स्थिति ज्ञात करने के लिए जो सर्वेक्षण किया जाता है उसे मिलिट्री सर्वेक्षण कहते हैं।
Instrument Based survey:
- Reconnaissance survey
- Chain survey
- Compass survey
- Plane Table Survey
- Photographic survey
- Modern Instruments Based survey
- Theodolite survey
- Techometric survey
Method Employed survey
- Traingulation Survey
- Traversing survey
Basic principles of survey ( सर्वेक्षण के बेसिक सिद्धांत )
- Whole to part (पूर्ण से अंश की ओर)
- Locating new point from two reference points ( दो संदर्भित बिंदुओ से किसी नए बिंदु की स्थापना करना)
Errors in surveying: (सर्वेक्षण कार्य में त्रुटियां):
सर्वेक्षण कार्य में निम्नलिखित त्रुटियां पाई जाती हैं –
- Natural error (प्राकृतिक त्रुटि)
- PerSonal error (व्यक्तिगत त्रुटि)
- Instrument error (उपकरण त्रुटि)
इसके अलावा भी त्रुटियां होती हैं –
- Commulative error (संचयी त्रुटि)
- Compansative error (समकारी त्रुटि)
Commulative error
इस सर्वेक्षण में सैनिक दृष्टि में इंपॉर्टेंट निशानों बिंदुओं आदि का पता लगाया जाता है
यह त्रुटि एक ही दिशा में बढ़ती जाती है यह सर्वेक्षण के अंत में संचित होते हुए एकत्रित हो जाती है
यह वास्तविक माफ से अधिक होगी या कम होगी।
जो त्रुटि किसी मां को वास्तविक से बढ़ा दे उसे धनात्मक त्रुटि तथा घटा दे तो उसे ऋण आत्मक त्रुटि कहते हैं।
फीता ‘M’ सेमी. छोटा है तथा इसे ‘N’ खींचा गया हो तो कुल त्रुटि,
Total Error = M*N CM.
Compansative error
इस प्रकार की त्रुटि में सर्वेक्षण के दौरान त्रुटि कभी एक दिशा में बढ़ती है तो दूसरी दिशा में घटती रहती है तथा सर्वेक्षण के अंत में इसका प्रभाव नगण्य हो जाता है।
सर्वेक्षण में होने वाले प्राकृतिक त्रुटि: Natural error
सर्वेक्षण कार्य में होने वाली त्रुटि खराब मौसम, आंधी, ताप, वर्षा, तेज धूप, और आर्द्रता आदि के कारण आती है।
Phase of survey (सर्वेक्षण कार्य कैसे किया जाता है)
- Care and adjustment of instruments
- Field work and observations.
- Office work.
Work of surveyor in hindi
- Survey work
- Maintenance and adjustments of survey instrument
Survey work (सर्वेक्षण कार्य)
- Calculation (गणना करना)
Methods of Distance measurement:
Linear method
- Angular method
Direct method
Indirect method
- Speedometer
- Optical square method
- Electromagnetic Rays
Angular method (कोणीय विधि):
- Box sextant
सर्वेक्षण उपकरण उपयोग करते समय सावधानियां
सर्वेक्षण उपकरण का उपयोग करते समय हमें निम्नलिखित सावधानियां करनी चाहिए –
- उपकरण को ऊपर से या एक छोर से पकड़कर झटके से मत उठाएं
- खुले उपकरण को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर ले जाते समय इसके सभी क्लाइंब कर दें और उसको कंधे पर सीधा रखकर ले जाएं
- Field में सेट किए उपकरण पर सदा नजर रखें।
- उलझी जरीब को कभी भी झटके देकर मत खोलें या बिछाऐं।
- सर्वेक्षण कार्य समाप्ति पर क्षेत्र के सभी उपस्कर /औजार/सामग्री ध्यानपूर्वक समेटकर इनकी सूची से मिलान कर लें।
अगर आपको surveying chapter -1 अच्छे से समझ में आ गया हो तो इसको अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें।
यदि आपका कोई इस chapter से रिलेटेड प्रश्न है तो आप मुझसे तुरंत पूछें, हम आपको जल्द से जल्द जवाब देने की कोशिश करेंगे।
अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें।
सर्वे कितने प्रकार के होते हैं?
सर्वे विभिन्न प्रकार के होते हैं वैसे सर्वे के classification के अनुसार सर्वे दो प्रकार के होते हैं Plan Survey, Geodetic survey
सर्वेक्षण का मतलब क्या होता है?
सर्वेक्षण सिविल इंजीनियरिंग की वह शाखा है जिसमें भू पृष्ट तथा आकाश में स्थित बिंदुओं के सापेक्ष स्थिति उनके बीच के दूरी तथा उच्चता एवं कोणीय माप लेकर संस्थापित की जाती है।
सर्वेक्षण के दो प्रकार कौन से हैं?
सर्वेक्षण का पहला प्रकार Plan Survey तथा दूसरा Geodetic survey होता है।
सर्वेक्षण कैसे किया जाता है ?
सर्वेक्षण सर्वे उपकरणों द्वारा किया जाता है जिससे कम स्वयं महत्वपूर्ण सर्वेक्षण कर लिया जाता है?
Meaning of survey in hindi
सर्वे की मीनिंग हिंदी में सर्वेक्षण होती है और यह बहुत ही आवश्यक है क्योंकि किसी भी बिंदु का निर्धारण सर्वे के द्वारा ही किया जाता है।
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CV और रिज्यूमे में अंतर क्या होता है?
- Updated on
- जनवरी 17, 2023
क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ कंपनियां रिज्यूमे क्यों मांगती हैं और अन्य CV क्यों मांगती हैं? क्या आप इन दोनों को एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग कर रहे हैं? हम में से बहुत से लोग CV aur Resume me antar नहीं जानते हैं। ज्यादातर लोग दोनों के उपयोग को लेकर असमंजस हैं। जबकि वे आम तौर पर एक ही दस्तावेज़ का उपयोग करके बस जाते हैं, दोनों निश्चित रूप से एक ही बात का संकेत नहीं देते हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि क्या वास्तव में CV aur Resume me antar है? CV और रिज्यूमे में बुनियादी अंतर क्या हैं? तो आइए विस्तार से जानते हैं कि CV aur Resume me antar क्या होता है।
This Blog Includes:
रिज्यूमे क्या होता है, ca फ्रेशर्स के लिए रिज्यूमे फॉर्मेट, रिज्यूमे में क्या-क्या लिखा जाता है, cv क्या होता है, cv कैसे लिखते हैं, कालक्रम , cv और रिज्यूमे में बुनियादी अंतर, cv और रिज्यूमे का उपयोग कहां करें, सीवी और रिज्यूमे से जुड़े कुछ टिप्स.
इससे पहले कि हम आगे बढ़ें और CV और रिज्यूमे के बीच के प्रमुख अंतर को समझें, आइए पहले यह जानें कि रिज्यूमे क्या है। रिज्यूमे एक फ्रेंच शब्द है और इसमें लिखा है ‘टू सम-अप’। इसलिए, यह 1-2 पेजों का एक छोटा दस्तावेज़ है और इसमें संक्षेप में बुनियादी जानकारी और कार्य इतिहास शामिल है। इसका उद्देश्य उम्मीदवार को प्रतियोगिता से बाहर खड़ा करना है। यह एक हाइली कस्टमाइजेबल दस्तावेज है और इसे किसी विशिष्ट पद की ज़रूरतों और मांगों के अनुसार तैयार किया जा सकता है। यह ज़रूरी नहीं है कि इसे बिलकुल क्रम अनुसार ही आदेश दिया जाए और इसमें आपके पूरे पेशेवर अनुभव शामिल न हों।
रिज्यूमे में क्या-क्या लिखा जाता है, यह नीचे दिया गया है-
नाम पता, मोबाइल नंबर ईमेल-आईडी के बारे मेंअपना संक्षिप्त विवरण दें।
उद्देश्य अपने करियर के उद्देश्यों और लक्ष्यों का उल्लेख करें
शैक्षिक योग्यताएं संस्थान के नाम और उत्तीर्ण होने के वर्ष के साथ आपके द्वारा अर्जित सभी डिग्री, प्रमाण पत्र और डिप्लोमा का उल्लेख करें।
व्यावसायिक अनुभव इंटर्नशिप, प्रशिक्षण, कार्य अनुभव या फ्रीलांस प्रोजेक्ट
व्यावसायिक कौशल उच्च शिक्षा या कुछ व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से अर्जित अपने सभी व्यावसायिक कौशल और अतिरिक्त ज्ञान को हाइलाइट करें।
भाषा प्रवीणता उन भाषाओं का उल्लेख करें जिन्हें आप कुशलता से जानते हैं
पढ़ाई के अलावा गतिविधियां और उपलब्धियां आपके स्कूल और कॉलेज जीवन के साथ-साथ, खेल और अन्य पढ़ाई के अलावा गतिविधियों में आपने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनका उल्लेख यहां किया जाएगा।
शौक और रुचियां अपनी रुचियां और अपनी पसंद की चीजें जोड़ें।
सामान्य जानकारी आपसे संबंधित बुनियादी विवरण जैसे, जन्म तिथि, राष्ट्रीयता आदि का उल्लेख करें।
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए रिज्यूमे सैंपल
इस लैटिन शब्द का अर्थ है पाठ्यचर्या विटेज़ा (Curriculum Vitae) का अर्थ है ‘जीवन का मार्ग’, और यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो कई पेजों में लिखा हो सकता है। शिक्षा और उपलब्धियां इसमें बताए गए सबसे प्रासंगिक क्षेत्र हैं। CV और रिज्यूमे के बीच का अंतर इस तथ्य से आता है कि CV की सामग्री को उचित क्रम में व्यवस्थित करना अनिवार्य है। एक CV सिंपल होता है, और कोई क्रम और उपलब्धियों के स्थान को नहीं बदलता है। CV पेज की सीमा के साथ नहीं आता है। यह दो पेज का दस्तावेज़ या दस-पेज का दस्तावेज़ हो सकता है। CV की लंबाई किसी व्यक्ति के अनुभव पर आधारित होती है और नौकरी के विवरण या उद्देश्य के अनुसार संशोधित नहीं होती है।
CV aur Resume me antar जानने के साथ-साथ यह भी जानना आवश्यक है कि CV कैसे लिखते हैं, जो इस प्रकार है:
नाम पता, मोबाइल नंबर ईमेल-आईडी
शिक्षा हाई स्कूल से मास्टर्स/डॉक्टरेट तक सभी शैक्षिक योग्यताएं। उत्तीर्ण वर्ष और विशेषज्ञता के साथ विषयों, अंतिम ग्रेड, क्लब और गतिविधियों का उल्लेख करें।
कार्य अनुभव आपकी भूमिका, कंपनी, जिम्मेदारियों, अवधि, परियोजनाओं और रोजगार के वर्ष सहित पिछली नौकरियों और इंटर्नशिप को हाइलाइट करें।
जिम्मेदारी के पद सभी प्रमुख पदों को जोड़ें जो एक पेशेवर सेटिंग, व्यक्तिगत सेटिंग या सामुदायिक सेवा में हो सकते हैं।
उपलब्धियां और पाठ्येतर (पढ़ाई के अलावा) गतिविधियां व्यक्तिगत उपलब्धियां और पेशेवर भी जिनका उल्लेख रोजगार अनुभाग में नहीं है।
वोकेशनल कोर्स या ट्रेनिंग विभिन्न कौशल जो आपने बाहरी प्रशिक्षण और कोर्सेज के माध्यम से हासिल किए हैं।
प्रमाणन एक स्वतंत्र संगठन से प्रमाणन पाठ्यक्रम शामिल करें। ये कुछ सॉफ्टवेयर, प्रशिक्षण, या सिद्धांतों और लोकप्रिय सिद्धांतों के अभ्यास से संबंधित हो सकते हैं जो संगठन में कार्यरत हैं।
फैलोशिप कोई भी फेलोशिप जो आपने पहले ली थी।
प्रकाशन मुख्य रूप से डॉक्टरेट विद्वानों के लिए; किसी भी शोध प्रकाशन का उल्लेख करें जिसमें आपने योगदान दिया हो या जिस पर काम किया हो।
पुरस्कार और सम्मान व्यक्तिगत, पेशेवर और सामुदायिक उपलब्धियां।
संदर्भ अकादमिक या व्यावसायिक संदर्भ
शौक और रुचियाँ
CV और रिज्यूमे में अंतर
क्या CV और रिज्यूमे एक जैसे हैं? CV Aur Resume Me Antar क्या है? ठीक है, CV आपके अकादमिक और व्यावसायिक इतिहास और व्यक्तिगत उपलब्धियों का एक विस्तृत ओवरव्यू और प्रेजेंटेशन को दर्शाता है और दूसरी ओर, रिज्यूमे आपके कौशल और योग्यता का अधिक संक्षिप्त संस्करण है, लंबाई में छोटा (1-2 पृष्ठ) है और अलग होता है अनुभव के वर्षों के अनुसार।
CV aur Resume me antar पहला लंबाई का है क्योंकि CV अधिक लंबा होता है जबकि रिज्यूमे छोटा और सटीक होता है। आदर्श रूप से, एक रिज्यूमे को 1-2 पृष्ठों के बीच संक्षेपित किया जाता है, जबकि CV की कोई पूर्व निर्धारित लंबाई नहीं होती है, यह दो से लेकर दो अंकों की पृष्ठ गणना तक हो सकती है। रिज्यूमे में सभी विवरणों का संक्षिप्त और स्पष्ट तरीके से उल्लेख करना अनिवार्य है, जबकि CV, आप अपनी उपलब्धियों के बारे में थोड़ा विस्तार से बता सकते हैं।
CV Aur Resume Me Antar में एक और महत्वपूर्ण अंतर इन दस्तावेजों का लेआउट या फॉर्मेट है क्योंकि CV में आपके अकादमिक रिकॉर्ड, पेशेवर अनुभव, पुरस्कार और सम्मान, उपलब्धियों और अधिक का अधिक विस्तृत संस्करण शामिल है। रिज्यूमे आमतौर पर उम्मीदवार की संपर्क जानकारी और करियर उद्देश्य से शुरू होता है, जो शिक्षा और अनुभव अनुभाग द्वारा आगे बढ़ता है। अंत में, एक कौशल अनुभाग और उम्मीदवार की आवश्यकता वाला कोई भी अनुभाग होता है। दूसरी ओर, CV का कोई निश्चित लेआउट नहीं होता है। हालांकि, इसमें शिक्षा, कार्य अनुभव, प्रकाशन, कौशल, रुचियां और पुरस्कार शामिल होने चाहिए। अंत में, आपके पास जितनी प्रासंगिक पिछली नौकरियां और उपलब्धियां हैं, उनका विस्तृत विवरण होना चाहिए। रिज्यूमे के लेआउट को आवश्यकताओं के अनुसार तैयार करने का अभ्यास है, जबकि CV का एक पूर्व निर्धारित प्रारूप होता है जिसे दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।
CV और रिज्यूमे का उद्देश्य भी अलग है क्योंकि रिज्यूमे का उपयोग मुख्य रूप से अकादमिक उपयोग के लिए किया जाता है जबकि CV की आवश्यकता नौकरी और प्रोफेशनल उपयोग के मामले में होती है। एक रिज्यूमे आम तौर पर अकादमिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में आवेदन करने के लिए बनाया जाता है जबकि CV का उपयोग आमतौर पर विभिन्न नौकरी पदों पर आवेदन करने के लिए किया जाता है।
CV और Resume के बीच अंतर की जांच के लिए एक अन्य प्रमुख पैरामीटर उचित क्रम है जिसमें जानकारी का उल्लेख किया गया है। CV का फॉर्मेट तैयार करते समय घटनाओं के कालानुक्रमिक क्रम का पालन करना और फिर उसी क्रम में उपलब्धियों का उल्लेख करना आवश्यक है। लेकिन रिज्यूमे में ऐसा कोई आदेश नहीं है जिसका पालन किया जाना है। उम्मीदवार अपने विवरण को किसी भी तरीके से सूचीबद्ध करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसमें वे सहज हैं। आपको लगता है कि कौशल आपको अपने फिर से शुरू को अनुकूलित करने में मदद करेंगे, आप सूची में पहले उन उपलब्धियों और कौशल का उल्लेख कर सकते हैं।
CV और रिज्यूमे में बुनियादी अंतर नीचे बताया गया है-
CV aur resume me antar पर चर्चा करने के बाद भी, एक सवाल खड़ा होता है कि CV का उपयोग कब करना है और रिज्यूमे का कब? रिज्यूमे और CV की विशिष्ट विशेषताओं को समझने के बाद, यह समझना महत्वपूर्ण है कि CV का उपयोग तब किया जाता है जब आप अकादमिकइंडस्ट्री के अंदर आवेदन कर रहे हों। जैसा कि एक CV किसी की शैक्षणिक उपलब्धियों और शैक्षिक यात्रा पर विस्तार से बताता है, यह शैक्षणिक संस्थान को आपकी पृष्ठभूमि के बारे में उचित निर्णय लेने में मदद करता है। वे आपके विषय ज्ञान, मैनेजमेंट स्किल्स के साथ-साथ अन्य पूरक उपकरणों और तकनीकों के बारे में एक विचार प्राप्त कर सकते हैं जिन्हें आप जानते हैं। इसके विपरीत, जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में कॉर्पोरेट नौकरी के लिए आवेदन कर रहा होता है, तो उसे हमेशा उपयोग में लाया जाता है। इसलिए यदि आप अपने सपनों की नौकरी के लिए आवेदन करना चाहते हैं, तो अब आप CV और रिज्यूमे के बीच एक स्पष्ट विकल्प चुन सकेंगे।
CV aur Resume me antar को और अच्छे से समझने के लिए नीचे टिप्स जानिए-
- रिज्यूमे में वहीं बातें लिखें जिनके बारे में आप कॉन्फिडेंट हों। जितना संभव हो, अपने रिज्यूमे का फॉर्मेट सिंपल रखें।
- अपने जॉब एक्सीपीरियंस की जानकारी सबसे हाल ही के ऑफिस से शुरू करके दें यानी उलटे आर्डर में।
- रिज्यूमे एक्टिव वॉइस में होना चाहिए और इसमें एक्सीपीरियंस से जुड़ी सूचना को बुलेट टेक्स्ट में दें, लंबे पैराग्राफ्स में नहीं।
- अपने रिज्यूमे में मुश्किल शब्दों और झूठी जानकारी देने से बचें।
- सीवी को जितना हो सके साधारण रखें और कोशिश करें कि 2 A4 साइज के पेपर में यह पूरा हो जाए। पहले पेज में अपना मिनी प्रोफाइल दें।
- सीवी में जहां तो हो सके पर्सेनल डिटेल जैसे फोन नंबर, पता, नाम, ईमेल एड्रेस और सोशल मीडिया में आपकी उपस्थिति की शॉर्ट में जानकारी जरूर होनी चाहिए। इसके अलावा आप इसमें अपने उन टारगेट्स और अचीवमेंट्स का जिक्र भी कर सकते हैं जिसमें आपने सफलता पाई हो।
उत्तर: CV का मतलब होता है curriculum vitae। CV मे हम अपनी जिंदगी के बारे में लिखते है लेकिन बायो-डेटा की तरह हर चीज नही, CV मे हम नौकरी और अपने बारे मे सम्बन्धित ज़रूरी चीजे लिखते हैं।
उत्तर: आपने जो किया है उसकी उपलब्धि के बारे में बात करना जरूरी है अपनी सीवी में। इसी से नौकरी देने वाले अर्थात रिक्रूटर को पता चलेगा आप में वो कौशल है या नहीं जिसकी नौकरी या जॉब में जरूरी है।
उत्तर: रिज्यूमे में आपको अपनी निजी डिटेल्स, शिक्षा, अनुभव, स्किल्स, उद्देश्य, रेफेरेंस के बारे में लिखना होता हैं। निजी डिटेल्स: सबसे पहले आपको रिज्यूमे में निजी डिटेल्स को लिखना होता हैं।
उत्तर: इसमें आप अपना पूरा नाम, पता, जन्मतिथि, कॉन्टेक्ट नंबर और ईमेल ID दे सकते है। इसके अलावा पर्शनल डिटेम में कोई बात नही होनी चाहिए।
सीवी एकेडमिक करियर और प्रोफेशनल हिस्ट्री का ओवरव्यू प्रदान करता है जबकि रिज्यूम आपके वर्क एक्सपीरियंस, स्किल और नौकरी से संबंधित योग्यता का एक या दो पृष्ठ की समरी होती है।
आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको CV aur Resume me antar के बारे में जानकारी मिली होगी। अगर आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते है तो आज ही हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कॉल करके 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।
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कंप्यूटर क्या है? उसके मुख्य भाग, प्रकार और विशेषताएँ की जानकारी हिंदी में
कंप्यूटर क्या है (what is computer in hindi).
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रोनिक डिवाइस है जो यूजर के द्वारा दिए गए इनपुट (input) को प्रोसेस करके आउटपुट (Output) देता है. कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो अर्थमेटिक (Arithmetic) और लॉजिकल (Logical) ऑपरेशन को परफॉर्म करता है.
दुसरे शब्दों में कहे तो “ कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग दिए गए निर्देशों के अनुसार डाटा को manipulate करने के लिए किया जाता है.”
Computer शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के “COMPUTE” शब्द से हुई है. जिसका अर्थ “गणना” होता है अतः कंप्यूटर को “गणक” या “संगणक” भी कहा जाता है. पुराने समय में कंप्यूटर का उपयोग केवल गणना करने के लिए किया जाता था लेकिन वर्तमान में आप सभी जानते है कंप्यूटर का उपयोग कुछ कार्यों तक सिमित नहीं है. वर्तमान में छोटे से कार्यों से लेकर बड़े-बड़े साइंटिफिक रिसर्च में कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है.
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पुराने समय में कंप्यूटर एक बड़े कमरे के अकार में होते थे. जो वर्तमान के हजारो कंप्यूटर के बराबर उर्जा की खपत करते थे. आजकल कंप्यूटर विभन्न साइज़ और आकार में उपलब्ध है. अब कंप्यूटर को इतना छोटा बनाया जा रहा है की उसे कलाई घडी में फिट किया जा सके.
कंप्यूटर का अविष्कार किसने किया?
उन्नीसवीं शताब्दी के शुरवात में अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने एक गणना मशीन बनाने की आवश्यकता महसूस कि. और उसके बाद गणना मशीन के निर्माण में कार्य करने लगे.
सन 1822 में चार्ल्स बैबेज ने एक गणना मशीन का निर्माण किया, जिसका नाम डिफेन्स इंजन रखा गया. डिफेन्स इंजन में गियर और सॉफ्ट लगे थे. डिफेन्स इंजन भाप से चलता था.
इसके बाद सन 1833 में चार्ल्स बैबेज में डिफेन्स इंजन का विकसित रूप एनालीटिकल इंजन (Analytical Engine) तैयार किया. एनालीटिकल इंजन एक पावरफुल मशीन था जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के गणना कार्य, निर्देशों की संगृहीत करने में किया जाने लगा.
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चार्ल्स बैबेज का यह एनालीटिकल इंजन आधुनिक कंप्यूटर का आधार बना है. यही कारण है कि चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर के आविष्कार और कंप्यूटर का जनक कहा जाता है.
कंप्यूटर की मुख्य विशेषताएं (Strengths of Computer)
वैसे ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा की कंप्यूटर ने हमारे सभी जटिल कार्यों को आसन बना दिया है. आज के समय में कोई भी साधारण आदमी कंप्यूटर की विशेषता और क्षमता को असानी से बता सकता है.
- गति (Speed)
- शुध्दता (Accuracy)
- कर्मठता (Diligence)
- स्वचालन (Automation)
- सार्वभौमिकता (Versatility)
- विश्वसनीयता (Reliability)
- उच्च स्टोरेज क्षमता (High Storage Capacity)
1. गति (Speed)
Computer किसी भी कार्य को बहुत ही तेज गति से कर सकता है. कंप्यूटर कुछ ही मिली सेकंड के अन्दर गुना, भाग और जोड़,घटाव जैसे करोड़ों क्रियाएं (Operation) संपन्न कर सकता है.
2. स्वचालन (Automation)
यदि कंप्यूटर को एक बार निर्देश (Instruction) दे दिया जाये तो वह अपने काम को आटोमेटिक ही करता है. कंप्यूटर काम को शुरू करने के बाद बिना किसी सहायता या व्यवधान के काम को पूरा करता है.
3. शुध्दता (Accuracy)
Computer अपना कार्य को बिना किसी गलती के करता है. कंप्यूटर में गलती की सम्भावना नहीं होती है. कंप्यूटर कोई भी कार्य को 100% शुध्दता (Accuracy) के साथ करता है. कंप्यूटर स्वयं कभी भी गलती नहीं करता है यूजर या ऑपरेटर से गलती हो सकती है.
4. कर्मठता (Diligence)
कंप्यूटर किसी भी कार्य को लगातार घंटो, दिनों एवं महीनो तक कर सकता है. कंप्यूटर को कभी थकावट नहीं होती है. कंप्यूटर लगातार काम करने के बाद भी परिणाम में 100% शुध्दता देता है. कंप्यूटर के लिए कोई भी काम उबाऊ या रूचिपूर्ण नहीं होता है वह सभी कार्य को एक सामान योगदान देता है.
5. विश्वसनीयता (Reliability)
कंप्यूटर पूरी तरह से विश्वसनीय डिवाइस होते है. इसमें जो रिजल्ट प्राप्त होता है वह 100% सही होते है. कंप्यूटर में गलती की सम्भावना नहीं होती है. जो काम कंप्यूटर को दिया जाता है. वह पूरी तरह से बिना किसी रुकावट के पूरा करता है. कंप्यूटर इंसानों की तरह धोखा नहीं देते है.
6. सार्वभौमिकता (Versatility)
सार्वभौमिकता (Versatility) गुण के कारण कंप्यूटर का उपयोग आज पूरी दुनियां में हो रहा है. कंप्यूटर साधारण से साधारण और कठिन से कठिन सभी कार्यों को असानी से कर सकता है. कंप्यूटर का उपयोग गणितीय, व्यवसायिक, शिक्षा, सूचना, मेडिकल, खेलकूद, मौसम एवं वैज्ञानिक रिसर्च जैसे सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है.
7. उच्च स्टोरेज क्षमता (High Storage Capacity)
वर्तमान में कंप्यूटर की स्टोरेज क्षमता असीमित है. कंप्यूटर में लाखों करोड़ों शब्दों को एक छोटी से जगह में स्टोर करके रखा जा सकता है. कंप्यूटर में विभिन्न प्रकार के डाटा, सॉफ्टवेर , इमेज, पिक्चर,टेक्स्ट, ऑडियो, विडियो, और एनीमेशन स्टोर करके रख सकता है. कंप्यूटर की सेकेंडरी मेमोरी में डाटा को स्थायी रूप में स्टोर करके रखता है.
8. मल्टीटास्किंग ( Multi-Tasking)
Computer एक समय में एक से अधिक कार्य कर सकता है. कंप्यूटर में गाना सुनते हुए डॉक्यूमेंट और इन्टरनेट में कार्य किया जा सकता है. एक ही समय में एक से अधिक कार्य किया जा सकता है.
कंप्यूटर की सीमाएं (Limitation of Computer)
हर मशीन की कुछ सीमा या लिमिटेशन होती है वैसे ही कंप्यूटर की कुछ सीमाएं है जो हम निचे बता रहे है.
- बुध्दिमता की कमी (Lack of Intelligence)
- आत्मरक्षा करने में अक्षम (Unable to Self-Protection)
- आत्मीयता में कमी (No Feeling)
- इलेक्ट्रिसिटी में निर्भर (Electricity Dependency)
1. बुध्दिमता की कमी (Lack of Intelligence)
कंप्यूटर में बुध्दिमता की कमी होती है. वह स्वयं किसी भी कार्य के लिए डिसीजन नहीं ले पाता है. जब यूजर या ऑपरेटर निर्देश देते है तभी वह कार्य करता है. उदहारण के लिए यूजर ने “2 + 3” दबाया है तो कंप्यूटर तब तक उत्तर नहीं देगा जब तक “=” न दबाया जाये. कंप्यूटर बुध्दी के हिसाब से नहीं बल्कि निर्देशों के हिसाब से कार्य करता है.
2. आत्मरक्षा करने में अक्षम (Unable to Self-Protection)
कंप्यूटर कितना भी शक्तिशाली हो उसका कण्ट्रोल कंप्यूटर यूजर या ऑपरेटर के पास होता है. कंप्यूटर अपनी आत्मरक्षा नहीं कर सकता है. कंप्यूटर गलत और सही का डिसीजन नहीं ले सकता है. कंप्यूटर को निर्देशों से मतलब होता है चाहे निर्देश गलत हो या सही. वह उसका पालन करता है. कंप्यूटर ऑपरेटर या यूजर की पहचान आई डी और पासवर्ड से करता है. यदि कंप्यूटर को नष्ट होने का इंस्ट्रक्शन दिया जाये तो वह अपने आप को भी नष्ट कर लेगा.
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कंप्यूटर के कितने भाग होते हैं?
कंप्यूटर मुख्यतः सॉफ्टवेर और हार्डवेयर से मिलकर बना होता है. जिनके बिना वह काम नहीं कर सकता है. यदि कंप्यूटर से सॉफ्टवेर को हटा दिया जाये, तो वह डैड (मृत) माना जाता है. उसी प्रकार यदि कंप्यूटर के किसी हार्डवेयर पार्ट को हटा दिया जाये तो भी वह काम नहीं कर सकता है. तो दोस्तों आइये देखते है कंप्यूटर के वे महत्वपूर्ण हार्डवेयर और सॉफ्टवेर पार्टस कौन से है.
कंप्यूटर के मुख्य हार्डवेयर पार्ट्स कौन से है?
कंप्यूटर के वे भाग जिनको हम देख और छू सकते है. उसे कंप्यूटर हार्डवेयर कहा जाता है. दुसरे शब्दों में कंप्यूटर के भौतिक भाग (physical part of computer) को हार्डवेयर कहा जाता है. कंप्यूटर बहुत से हार्डवेयर से मिलकर बना होता है. जो निम्नलिखित है-
- कंप्यूटर प्रोसेसर :- कंप्यूटर प्रोसेसर एक चिप होता है. जो कंप्यूटर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग होता है. जिसे कंप्यूटर का मस्तिस्क भी कहा जाता है. जो कंप्यूटर में चल रहे सभी कार्यों (प्रोसेस) को चलाने (execute) करने का कार्य करता है.
- मेमोरी :- कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज भाग को मेमोरी कहा जाता है. जिसका मुख्य कार्य हार्ड डिस्क और प्रोसेसर के बिच डाटा ट्रान्सफर करना होता है. कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी को रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) कहते है.
- मदरबोर्ड :- कंप्यूटर के मुख्य सर्किट बोर्ड को मदरबोर्ड कहा जाता है. जिसका मुख्य कार्य कंप्यूटर के सभी भाग को कनेक्शन प्रदान करना होगा है. कंप्यूटर के सभी भाग मदरबोर्ड से जुड़े होते है.
- स्टोरेज डिवाइस :- कंप्यूटर के वे भाग जिनका उपयोग कंप्यूटर डाटा को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. उन्हें स्टोरेज डिवाइस कहते है. जैसे- हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव. मेमोरी कार्ड इत्यादि.
- इनपुट डिवाइस :- वे सभी डिवाइस जिनका उपयोग कंप्यूटर में डाटा इनपुट करने किए लिए किया जाता है. उन्हें इनपुट डिवाइस कहा जाता है. जैसे- माउस, स्कैनर, कीबोर्ड, माइक्रोफोन, टच स्क्रीन इत्यादि.
- आउटपुट डिवाइस :- वे सभी डिवाइस जिनका उपयोग कंप्यूटर में रिजल्ट डिस्प्ले करने किए लिए किया जाता है. उन्हें आउटपुट डिवाइस कहा जाता है. जैसे- मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, प्रोजेक्टर, फैक्स इत्यादि.
- एक्सटर्नल डिवाइस :- वे सभी डिवाइस जो कंप्यूटर को चलाने के लिए महत्त्वपूर्ण नहीं होते है. जो कंप्यूटर में बाहरी रूप से कनेक्ट किये जाते है. जो किसी विशिष्ट कार्य के लिए उपयोग किया जाता है. उन्हें एक्सटर्नल डिवाइस कहते है. जैसे- प्रिंटर, स्पीकर, प्रोजेक्टर, फैक्स इत्यादि.
कंप्यूटर के मुख्य सॉफ्टवेर कौन से है?
कंप्यूटर के वे भाग जिनको हम देख सकते है लेकिन छू नहीं सकते है. उसे कंप्यूटर सॉफ्टवेर कहा जाता है. दुसरे शब्दों में कंप्यूटर के लॉजिकल भाग (logical part of computer) को सॉफ्टवेर कहा जाता है. कंप्यूटर में विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेर होते है. जो निम्नलिखित है-
- सिस्टम सॉफ्टवेर :- वे सॉफ्टवेर जो सॉफ्टवेर और हार्डवेयर दोनों के साथ बातचीत (communicate) कर सकते है उन्हें सिस्टम सॉफ्टवेर कहा जाता है. इसका मुख्य कार्य कंप्यूटर हार्डवेयर को कण्ट्रोल और मैनेज करना होता है. जैसे- ऑपरेटिंग सिस्टम, ड्राईवर, असेम्बलर, कम्पाइलर इत्यादि.
- एप्लीकेशन सॉफ्टवेर:- वे सभी सॉफ्टवेर जो केवल सॉफ्टवेर के साथ बातचीत (communicate) कर सकते है उन्हें एप्लीकेशन सॉफ्टवेर कहा जाता है. इसका मुख्य कार्य कंप्यूटर आधारित कार्य करने के लिए होता है. जैसे- नोटपैड, वर्डपैड, कैलकुलेटर इत्यादि.
- यूटिलिटी/ टूल्स :- वे सभी सॉफ्टवेर जो कंप्यूटर की रिपेयरिंग और मेंटेनेस के लिए उपयोग में आते है उन्हें यूटिलिटी या टूल्स कहा जाता है. जैसे – एंटीवायरस, डिस्क डिफ्रेगमेंटर, डिस्क क्लीनअप इत्यादि.
कंप्यूटर के कितने प्रकार होते है?
कंप्यूटर एक multipurpose इलेक्ट्रॉनिक मशीन है. अतः कंप्यूटर को सीधे-सीधे प्रत्यक्ष रूप से बंटाना कठिन समस्या है. जिसके कारण कंप्यूटर को निम्नलिखित 3 आधार पर बाँटा गया है.
- कार्यप्रणाली के आधार पर
- उद्देश्य के आधार पर
- साइज़ के आधार पर
कार्यप्रणाली के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार
कंप्यूटर को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के आधार पर निम्नलिखित 3 प्रकार में बाँटा गया है.
- एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer)
- डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer)
- हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer)
1. एनालॉग कंप्यूटर क्या है?
वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग भौतिक मात्राओं को जैसे तापमान, दाब, उचाई और लम्बाई को मापने के लिए किया जाता है. उन सभी कंप्यूटर को एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) कहते है.
जैसे:- स्पीडोमीटर, प्रेशर गेज, एनालॉग वोल्टमीटर इत्यादि.
2. डिजिटल कंप्यूटर क्या है?
वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग डिजिटल गणनाओं के लिए किया जाता है. उन सभी कंप्यूटर को डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer) कहते है. डिजिटल कंप्यूटर डाटा को 0 और 1 में बदलकर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्टोर करता है.
जैसे:- माइक्रो कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, लैपटॉप, डेस्कटॉप, सुपर कंप्यूटर इत्यादि.
- Malware क्या है? विस्तार से समझाइए।
- Computer क्या है? विस्तार से समझाइए।
3. हाइब्रिड कंप्यूटर क्या है?
वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग एनालॉग और डिजिटल दोनों के कार्यों के लिए किया जाता है. उन सभी कंप्यूटर को हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer) कहते है. यह कंप्यूटर एनालॉग और डिजिटल दोनों कंप्यूटर के कॉम्बिनेशन से मिलकर बना होता है. जिसमे दोनों कंप्यूटर के गुण होते है.
जैसे:- मेडिकल उपकरण, मॉडेम इत्यादि.
उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार
कंप्यूटर को उद्देश्य के आधार पर निम्नलिखित 2 प्रकार में बाँटा गया है.
- सामान्य उद्देश्य के लिए कंप्यूटर (General Purpose Computer)
- विशेष उद्देश्य के लिए कंप्यूटर (Special Purpose Computer)
1. General Purpose Computer क्या है?
वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग सामान्य दैनिक जीवन में होने वाले कार्य के लिए किया जाता है. अर्थात वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग घरेलु कार्य, व्यावसायिक कार्य, मशीनरी कार्य और गणितीय कार्य के लिए किया जाता है. उनको General Purpose Computer कहते है.
जैसे:- माइक्रो कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, लैपटॉप, डेस्कटॉप इत्यादि.
2. Special Purpose Computer क्या है?
वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग विशेष कार्यों के लिए किया जाता है. अर्थात वे सभी कंप्यूटर जिनका उपयोग वैज्ञानिक रिसर्च, अन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, शोध, एवम् उपग्रह कार्यों के लिए किया जाता है. उनको Special Purpose Computer कहते है.
आकर के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार
कंप्यूटर को उसके के आकार के आधार पर निम्नलिखित 4 प्रकार में बाँटा गया है.
- माइक्रो कंप्यूटर
- मिनी कंप्यूटर
- मेनफ्रेम कंप्यूटर
- सुपर कंप्यूटर
1. माइक्रो कंप्यूटर क्या है?
आधुनिक युग के सबसे सस्ते और छोटे कंप्यूटर को माइक्रो कंप्यूटर कहा जाता है. ऐसे कंप्यूटर तकनिकी रूप से अन्य कंप्यूटर की तुलना में कम क्षमता वाले कंप्यूटर होते है. माइक्रो कंप्यूटर को personal computer (PC) भी कहा जाता है. इनके माध्यम से निम्न कार्य किये जाते है.
- कंप्यूटर प्रोग्राम बनाना
- गाने सुनना, विडियो देखना
- डॉक्यूमेंट तैयार करना
माइक्रो कंप्यूटर के उदहारण:- लैपटॉप, डेस्कटॉप, पाम्पटॉप इत्यादि.
2. मिनी कंप्यूटर क्या है?
मिनी कंप्यूटर की साइज़ माइक्रो कंप्यूटर से बड़ी होती है. लेकिन मेनफ्रेम और सुपर कंप्यूटर से छोटी होती है. इसलिए इसे मध्यम आकार के कंप्यूटर कहते है. मिनी कंप्यूटर की क्षमता माइक्रो कंप्यूटर से बहुत अधिक होती है.
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मिनी कंप्यूटर का उपयोग छोटी से मध्यम कंपनी अपने कार्यों के लिए करते है. इसका उपयोग व्यक्तिगत रूप में नहीं किया जाता है. क्योकिं या माइक्रो कंप्यूटर से बहुत महँगी होती है. इनके माध्यम से निम्न कार्य किये जाते है.
- कर्मचारियों का payroll तैयार करना
- प्रोडक्शन की डिटेल तैयार करना
- टैक्स का विश्लेषण
मिनी कंप्यूटर के उदहारण:- PDP-8, IBM’s AS/400e, Honeywell200, TI-990 इत्यादि.
3. मेनफ्रेम कंप्यूटर क्या है?
मेनफ्रेम कंप्यूटर का आकार मिनी और माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में बहुत बड़ा होता है. साथ ही इनकी कीमत और प्रोसेसिंग क्षमता बहुत अधिक होती है. मेनफ्रेम कंप्यूटर में एक साथ सैकड़ो यूजर कार्य कर सकते है. अनेक माइक्रो कंप्यूटर को जोड़ा जा सकता है.
मेनफ्रेम कंप्यूटर का उपयोग बहुत बड़ी बड़ी कंपनीयां जैसे बैंक और सरकारी विभाग करते है. जिसके माध्यम से निम्न कार्य किये जाते है.
- कर्मचारियों का भुकतान करना
- नोटिस भेजने का कार्य
- टैक्स का विस्तृत ब्यौरा
मेनफ्रेम कंप्यूटर के उदहारण:- IBM 4381, ICL 39 IBM zSeries, System z9 and System z10 servers इत्यादि.
4. सुपर कंप्यूटर क्या है?
सुपर कंप्यूटर अन्य सभी कंप्यूटर की तुलना में अधिक क्षमता वाले, अधिक गति वाले और अधिक स्टोरेज क्षमता वाले कंप्यूटर है. जिसमे अनेक CPU समान्तर क्रम में एक साथ कार्य करते है.
मेनफ्रेम कंप्यूटर का उपयोग बहुत बड़ी बड़ी कंपनीयां और सरकारी विभाग करते है. जिसके माध्यम से निम्न कार्य किये जाते है.
- न्यूक्लियर रिसर्च का कार्य
- वैज्ञानिक रिसर्च का कार्य
- मौसम विभाग का कार्य
सुपर कंप्यूटर के उदहारण:- CRAY-2, XMP-24, NEC-500, Summit, PARAM, इत्यादि.
एम्बेडेड कंप्यूटर क्या है? (Embedded Computer in Hindi)
विभिन्न प्रकार के मशीनों को कण्ट्रोल करने के लिए जिन कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है उन सभी कंप्यूटर को “एम्बेडेड कंप्यूटर” कहते है. उदाहरण के लिए एम्बेडेड कंप्यूटर का उपयोग बच्चों के खिलौनों से लेकर, डिजिटल कैमरा, स्मार्ट डिवाइस, रोबोट, लड़ाकू विमान इत्यादि में किया जाता है.
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कंप्यूटर से जुड़े अन्य जानकारी
- मॉनिटर:- मॉनिटर एक Output Device है. जिसके माध्यम से कंप्यूटर रिजल्ट को डिस्प्ले करता है. मॉनिटर 3 प्रकार के होते है. CRT, LCD और LED. वर्तमान में सबसे एडवांस्ड मॉनिटर LED (Light Emitting Diode) है.
- प्रोजेक्टर:- प्रोजेक्टर एक आउटपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से कंप्यूटर डिस्प्ले को बड़ी स्क्रीन में दिखाया जाता है. सिनेमा घर और क्रिकेट मैदान में आपने बड़े- बड़े प्रोजेक्टर को लगा जरुर देखा होगा.
- स्कैनर : – स्कैनर एक इनपुट डिवाइस है. जिसके माध्यम से किसी भी इमेज या फोटो को डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जाता है. वर्तमान में ऑनलाइन फॉर्म भरते समय हमें विभिन्न डॉक्यूमेंट और सिग्नेचर को स्कैन कराने की जरुरत पड़ती है.
- प्रिंटर : – प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है. जिसके माध्यम से कंप्यूटर में उपस्थित किसी भी सॉफ्ट कॉपी डॉक्यूमेंट को प्रिंट किया जाता है. वर्तमान में प्रिंटर ब्लैक एंड वाइट और कलर दोनों प्रकार के आते है. इन्हें कंप्यूटर से वायर और Wi-Fi के माध्यम से जोड़ते है.
- कीबोर्ड : – कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से अक्षर और अंको को कंप्यूटर में इनपुट किया जाता है. डॉक्यूमेंट तैयार करने में कीबोर्ड का उपयोग किया जाता है. कीबोर्ड वायर्ड और वायरलेस दोनों रूप में आते है. साथ ही कीबोर्ड PS2 और USB कनेक्शन में उपलब्ध होते है.
- माउस : – माउस के इनपुट डिवाइस है. जिसे पॉइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है. इनके माध्यम से कंप्यूटर के आप्शन के सेलेक्ट करना, मूव करना इत्यादि कार्य किये जाते है. माउस वायर्ड और वायरलेस दोनों रूप में आते है. साथ ही माउस PS2 और USB कनेक्शन में उपलब्ध होते है.
- सीडी/डीवीडी ड्राइव : – सीडी/डीवीडी ड्राइव का उपयोग ऑप्टिकल डिस्क जैसे CD और DVD को रीड और राईट करने के लिए किया जाता है. वर्तमान में पेन ड्राइव और मेमोरी कार्ड के आने से इनका उपयोग कम हो गया है.
- फ्लॉपी डिस्क ड्राइव: – यह एक पुराना डिवाइस है. जिसका उपयोग वर्तमान में नहीं किया जाता है. यह एक पोर्टेबल चुम्बकीय मेमोरी डिवाइस है. जिसका उपयोग फ्लॉपी डिस्क को रीड और राईट करने के लिए किया जाता था.
- हार्ड डिस्क : – हार्ड डिस्क एक स्टोरेज डिवाइस है. जिसमे कंप्यूटर के सभी डाटा के साथ साथ ऑपरेटिंग सिस्टम स्टोर रहता है. यह एक परमानेंट स्टोरेज डिवाइस है. हार्ड डिस्क के 3 प्रकार होते है – PATA, SATA, SSD. जिसमे SSD (सॉलिड स्टेट ड्राइव ) वर्तमान का सबसे एडवांस्ड, हाई स्पीड हार्ड डिस्क है.
- ऑपरेटिंग सिस्टम: – ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेर है. जिसके माध्यम से कंप्यूटर चलता है. यदि कंप्यूटर से ऑपरेटिंग सिस्टम को हटा दिया जाये तो कंप्यूटर को मृत(Dead) माना जाता है. ऑपरेटिंग सिस्टम कई प्रकार के है. जैसे विंडोज, मैकिनटोश, लिनक्स, यूनिक्स इत्यादि.
- एंटीवायरस : – एंटीवायरस एक यूटिलिटी प्रोग्राम है. जिसके माध्यम से कंप्यूटर में उपस्थित हार्म फुल फाइल (वायरस) को स्कैन करके दूर किया जाता है. वर्तमान में कई अच्छे एंटीवायरस उपलब्ध है. जैसे क्विक हिल, नेट प्रोटेक्टर इत्यादि.
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तो दोस्तों उम्मींद करता हु यह लेख कंप्यूटर क्या है? ( What is computer in hindi), कंप्यूटर की विशेषताएं , कंप्यूटर के कितने भाग होते हैं?, सुपर कंप्यूटर क्या है, कंप्यूटर क्या है इसकी उपयोगिता एवं विशेषताएँ बताइए आपको बहुत पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख ( computer kya hai ) पसंद आया हो तो लाइक करें। लोगो को शेयर करें।
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अब दोस्तों यदि कोई ये कंप्यूटर क्या है? (What is computer in hindi) से जुड़े तथ्यों की चर्चा करता है मैक कंप्यूटर क्या है? (What is computer in hindi) तो आप आसानी से जवाब दे पाएंगे। दोस्तों कोई सवाल आप पूछना चाहते है तो निचे Comment Box में जरुर लिखे और अगर आपके को सुझाव है तो जरुर दीजियेगा। दोस्तों हमारे अन्य वेबसाइट https://www.nayabusiness.in एवं Youtube चैनल computervidya को अगर आप अभी तक सब्सक्राइब नहीं किये तो तो जरुर सब्सक्राइब कर लेवें।
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Freelancer क्या होता है और कैसे बने? | What is Freelancer in Hindi
फ्रीलांसर क्या होता हैं? (What is Freelancer in Hindi) यह वह कार्य हैं, जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर एवं आत्मसम्मान दिलाने का कार्य करता हैं। इसके माध्यम से आप अपने कौशल का सही जगह उपयोग कर अच्छा-खासा पैसा कमा सकते हैं।
Freelancer बनकर हम अपने ज्ञान का उपयोग अन्य व्यक्तियों की सहायता करने हेतु कर सकते हैं। वर्तमान समय आधुनिक तकनीकी और digital वाला युग हैं। सामान्य शब्दों में वर्तमान समय में प्रत्येक कार्य online हो रहे हैं। हम घर बैठें अपनी बात एक-दूसरे तक पहुचा सकते हैं।
निचे पोस्ट में आप निम्नलिखित टॉपिक के बारे में पढ़ेंगे: –
- फ्रीलांसर क्या होता है
- फ्रीलांसर कैसे बने
- बेस्ट फ्रीलांसिंग स्किल्स
- बेस्ट फ्रीलांसिंग वेबसाइट
- फ्रीलांसिंग में करियर
- फ्रीलांसर पैसे कैसे कमाते है
फ्रीलांसर बनने के फायदे
चलिए सबसे पहले इसे डिटेल में समझे कि फ्रीलांसर क्या हैं या फ्रीलांसर का मतलब क्या होता हैं? (Meaning of Freelancer in Hindi).
फ्रीलांसर क्या होता हैं – What is Freelancer in Hindi?
Freelancer का सामान्य अर्थ हैं अपने कौशल एवं अनुभव का उपयोग अन्य व्यक्तियों के लिए करना एवं उससे लाभ अर्जित करना। कहने का तात्पर्य है, एक Freelance worker अपने आप में “स्व-नियोजित (self-employed)” होता है।
प्रत्येक क्षेत्र में भिन्न-भिन्न Freelancer होते हैं, जो अपने कार्य मे विशिष्ट होते हैं। सीधे तौर पर समझे तो वह अपने अनुभवों और ज्ञान को किसी और के कार्य मे लगाते हैं। जिस कारण वह अपने ज्ञान और अनुभव से धन अर्जित करते हैं।
फ्रीलांसर को विभिन्न क्षेत्र की कंपनियां सीमित समय या निश्चित समय तक कार्य में रखती हैं और वह उस कार्य को करने हेतु उन्हें अच्छी-खासी रकम देती हैं। इन Freelancer को हम अपनी आवश्यकता अनुसार निश्चित amount तय कर इनसे वह कार्य करवा सकते हैं, जिन्हें हम करना तो चाहते हैं लेकिन अनुभव न होने के कारण हम वह कार्य करने में असमर्थ हैं।
यह एक अनुभव-आधारित कार्य हैं, वर्तमान समय में Freelancer की मांग बढ़ते जा रही हैं,क्योंकि इसकी सहायता से लोग अपना कार्य आसानी से और कुशलता पूर्वक सम्पन्न करा रहे हैं और यह काफी हद तक सफल भी रहा हैं। Freelancer अपने कार्य को पूर्ण दो रूपों में करते हैं, या सामान्य शब्दों में कहें तो फ्रीलांसर अपना श्रम दान निम्न भागों की सहायता से पूर्ण करते हैं —
वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) – अनेक Freelancer अपने कार्य को घर बैठे पूर्ण करते हैं, अर्थात वह social media के अनेक क्षेत्रों YouTube, Telegram, Facebook और Instagram आदि के माध्यम से group बनाकर या advertisement के माध्यम से अपने क्षेत्र से संबंधित अपने अनुभवों को बताकर घर बैठें लोगों की आवश्यकता अनुसार कार्य करते हैं। लोग अपनी आवश्यकता अनुसार उन्हें Hire करके अपना वह कार्य करवाते हैं, जिन्हें करने में वह असमर्थ होते हैं।
नौकरीपेशा (Employee) – विभिन्न क्षेत्र से संबंधित कंपनियां Freelancer को सीमित या निश्चित समय तक नौकरी में रख लेती हैं। ऐसे Freelancer को Gig worker के नाम से संबोधित किया जाता हैं। इस प्रकार के पेशे में monthly payment किया जाता हैं।
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Freelancer कैसे बनें?
फ्रीलांसर बनने के लिए आपको निम्न कार्य करने की आवश्यकता हैं। यह निम्न बिंदु आपको इस क्षेत्र में सफल बनाने हेतु अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।
1. अपनी स्किल चुनें : Freelancer बनने हेतु सर्वप्रथम आपके अंदर उस कौशल का होना अनिवार्य हैं, जिसके आधार पर आप किसी की सहायता करना चाहते हैं। आपको उस क्षेत्र में रुचि एवं उस क्षेत्र से संबंधित सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
2. अपनी सेवा का प्रचार-प्रसार : आप जिस क्षेत्र में फ्रीलांसिंग करना चाहते हैं, आपको उस क्षेत्र से संबंधित platform का चयन कर वहाँ अपने अनुभवों और कार्यो से संबंधित कौशलों का प्रचार-प्रसार करना पड़ेगा। जिससे लोग आपके अनुभवों और आपके कौशलों के बारे में जान सकें और आपको अपनी आवश्यकता अनुसार कार्य सौप सकें।
3. उचित ग्राहकों का चयन : आपको अपने क्षेत्र से संबंधित उन ग्राहकों का चयन करना होगा। जिन्हें आपके अनुभव एवं कौशलों की आवश्यकता पड़ सकती हैं। आपको निरंतर ऐसे ग्राहकों का चयन करना होगा जो उस कार्य से जुड़े हैं, जिस कार्य का आपको अधिक अनुभव हैं। आपको उस platform का चयन कर उससे संबंधित ग्राहकों की तलाश करनी होगी। ऐसे ग्राहक आपको निरंतर कार्य दे सकते हैं। आपको ऐसे ग्राहकों के सदैव संपर्क में रहने की आवश्यकता होगी। क्योंकि यह ग्राहक ही आपको सफल बनाने में कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
4. मूल्य निर्धारण : आपको अपने अनुभवों और कौशलों के अनुसार अपने कार्य के बदले एक निश्चित मूल्य सुनिश्चित करना होगा। मूल्य का निर्धारण आपको बाजार के नियमानुसार रखना होगा। अर्थात पहले आपको उस क्षेत्र में पहले से सेवा दे रहे Freelancers के भुगतान मूल्य का पता करना होगा। जिससे आप एक ऐसे मूल्य का चयन कर सकें जो ग्राहकों को आपकी ओर आकर्षित करें।
5. पहले के कार्यो की सफलता : आपको अपने पहले के कार्यो में प्राप्त सफलता को भी अपने ग्राहकों के सम्मुख रखना होगा। जिससे वह आपके कार्यों एवं अनुभवों के प्रति आकर्षित हो और आपको सफलता प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हो सकें।
6. ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध : आपसे काम करा रहे ग्राहकों को आपको एक अच्छा output देना होगा। जिससे वह आपके कार्य की अन्य लोगों से प्रसंशा करें। इससे आपके ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी। यह फ्रीलांसिंग के क्षेत्र में आपको एक नई पहचान दिलाने में कारगर सिद्ध हो सकती हैं।
7. अपने कौशल एवं अनुभवों में वृद्धि करें : आपको अपने अनुभव एवं कौशलों में वृद्धि करने की आवश्यकता हैं। जिससे आप अपने ग्राहकों को अच्छी सेवा प्रदान कर सकें और आपके कार्यो में निरंतर सुधार आ सकें।
सीखने के लिए सर्वश्रेष्ठ Freelancing Skills
फ्रीलांसिंग के क्षेत्र में अपना उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए आप निम्ननलिखित skills को सीख सकते है।
Freelance Writer
वर्तमान समय के डिजिटल युग मे content writer एक अच्छा पेशा है। इस क्षेत्र में advertisement, website, online marketing आदि के क्षेत्र में आप अपना भविष्य बना सकते हैं। इस कार्य हेतु आपके पास लेखन कौशल का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक हैं।
Freelance Editor
इस स्किल की आवश्यकता वर्तमान समय मे हर किसी को हैं। इसकी सहायता से आप film एवं advertisement के क्षेत्र में अपना अच्छा भविष्य बना सकते हैं। यह आपके पेशे को ग्राहकों के सामने अच्छी तरह से प्रस्तूत करने में भी सहायक सिद्ध हो सकता हैं।
Graphic Designer
ग्राफिक डिजाइनर वर्तमान समय की सर्वश्रेष्ठ मांग हैं। विभिन्न IT क्षेत्र से संबंधित कंपनियों में इसकी अत्यधिक मांग हैं, इसमें वेतन भी अत्यधिक मात्रा में प्राप्त होता हैं। अपने इस कौशल का विकास कर आप YouTube, Software और Games आदि क्षेत्रों में अपना भविष्य बना सकते हैं। अपने अंदर इस कौशल का विकास कर आप अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
Graphic Design Explanation – ग्राफिक डिजाइन क्या है और कैसे करे?
App Development
वर्तमान में बढ़ रही जनसंख्या एवं मोबाइल उपभोक्ताओं की नजर से यह एक बेहतर भविष्य हैं। आपको इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु उच्च स्तरीय भाषाओं (high level language) जैसे – C, C++ का ज्ञान होना आवश्यक हैं। आप समाज की आवश्यकताओं के अनुसार अनेकों applications तैयार कर एक अच्छी income प्राप्त कर सकते हैं।
Voice over Acting
यह स्किल आपके लिए E-learning , youtube videos, advertisement creator, movies, video editing, voice editing आदि क्षेत्रों में लाभदायक सिद्ध हो सकता हैं। इस कार्य के कौशलों का विकास कर आप अच्छा पैसा कमा सकते हैं। वर्तमान समय में इस व्यवसाय की काफी मांग हैं। यह आपको एक Freelancer के रूप में करियर बनाने हेतु सहायक सिद्ध हो सकता हैं।
Data Analysis
विभिन्न कंपनियां अपनी monthly या yearly growth के developments हेतु डाटा के विश्लेषण करने के लिए लोगों को hire करती हैं। जिससे वह अपनी वास्तविक स्थिति का आकलन कर सकें। वर्तमान समय में इस कौशल की अधिक मांग हैं। इस क्षेत्र में Freelancers भी बहुत मुश्किल से मिलते हैं। आप इस क्षेत्र में अपने कौशलों का विकास कर फ्रीलांसिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Digital Marketing
Digital Marketing भी मार्केटिंग का ही एक रूप है जिसमें हम किसी प्रोडक्ट या सर्विस को digitally advertise करते है। आप डिजिटल मार्केटिंग स्किल्स जैसे, SEO, SEM, content marketing, email marketing, social media marketing, आदि को सीखकर फ्रीलान्स डिजिटल मार्केटर के रूप में काम कर सकते है और अच्छा पैसा कमा सकते है।
Learn Digital Marketing – डिजिटल मार्केटिंग कैसे करें
फ्रीलांसिंग जॉब कहाँ खोजें – Best Freelancing Websites in Hindi
Freelancer अपने कार्य की खोज करने के लिए अनेकों वेबसाइट में जाकर खोज-बिन कर सकते हैं। वहाँ जाकर Freelancer अपने क्षेत्र एवं अपनी कुशलता के अनुसार व्यक्तियों से संपर्क कर लाभ अर्जित कर सकते हैं। यह वेबसाइट्स आपको फ्रीलांसिंग के क्षेत्र में जॉब प्राप्त करने हेतु सहायता प्रदान कर सकती हैं।
ऑनलाइन जॉब्स खोजने के लिए बेस्ट Freelance Websites: –
- Freelancer.in
- Truelancer.com
- Worknhire.com
- Fixnhour.com
- Rockerstop.com
- Peopleperhour.com
इन समस्त वेबसाइट के माध्यम से आप आसानी से Freelancing jobs पा सकते हैं। यह आपको आपके क्षेत्र एवं आपकी कुशलता का सही जगह उपयोग करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं।
फ्रीलांसिंग मे करियर
फ्रीलांसिंग करियर के हिसाब से एक बहुत अच्छा विकल्प हैं, जिसकी सहायता से आप खुद के मालिक बन सकते हैं। यह आपको नौकरी जैसे तनावों से मुक्त रखने का कार्य करता हैं। फ्रीलांसिंग में करियर बनाने हेतु आपको उस क्षेत्र से संबंधित ज्ञान एवं कौशल होना अत्यंत आवश्यक हैं।
वर्तमान समय आधुनिक तकनीकी का युग हैं, सभी कार्यप्रणाली को digital रूप प्रदान किया जा रहा हैं। प्रत्येक कार्य घर बैठे हो जाया करते हैं। परंतु इसके बाद भी लोगों को तकनीकी का कम ज्ञान होता हैं। जिस कारण वह किसी भी मूल्य में अपने विचारों को व्यवहारिक रूप प्रदान करना चाहते हैं और इन्ही आधुनिक आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु हम यह कह सकते हैं कि इस क्षेत्र में आप एक अच्छा करियर बना सकते हैं।
Freelancer का कार्य करके आप अपना वेतन, क्षेत्र एवं कार्य करने का समय खुद चुन सकते हैं। यह आपको खुद के पैरों में खड़े होने एवं अपनी आवश्यकताओं को घर बैठें पूरा करने के अवसर प्रदान करता हैं। इस क्षेत्र में आप अपनी रुचि अनुसार कार्य कर सकते हैं। इस कार्य को करके आप अपना खाली समय किसी आवश्यक कार्य मे लगा सकते हैं या study करके अपनी skills में वृद्धि कर सकते हैं।
Freelancer अपने खर्चें में नियंत्रण रखने एवं उसे सही जगह investment करने के अवसर प्रदान करता हैं। अगर आप फ्रीलांसिंग में अपने कौशलों एवं अनुभवों का उपयोग करते हैं, तो यह एक उत्तम भविष्य बनाने में आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता हैं।
फ्रीलांसर पैसे कैसे कमाते हैं?
Freelancer ऐसे platform का चयन करते हैं, जहाँ उनके कौशलों एवं अनुभवों की लोगों को आवश्यकता होती हैं। ऐसे platforms का चयन हेतु फ्रीलांसिंग से संबंधित विभिन्न वेबसाइट में visit कर वहाँ से अपने अनुभवों एवं कौशलों को शेयर करते हैं। जिससे लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से उनसे संपर्क स्थापित करते हैं।
Freelancer एक अनुभव और उत्तरदायित्व वाला काम हैं। जिसकी सहायता से आप अपने ज्ञान का उपयोग कर अन्य लोगों की सहायता के माध्यम से पैसे कमा कर सकते हैं। आप अपने कौशलों का उपयोग उस व्यक्ति के लिए करते हैं, जिनको आपके उस कौशल की जरूरत होती हैं और वह उसके बदले आपको पैसे देकर अपना काम करवाता हैं।
कोरोना महामारी ने लोगो को विश्वास दिलाया है कि फ्रीलांसिंग काम का है। इस महामारी की वजह से बहुत से लोगों ने अपनी नौकरी खो दी, जिस कारण उन्होंने फ्रीलांसिंग को चुना। यह निम्न कारणों से आपके लिए फायदेमंद हैं।
आत्म प्रबंधन (self management) – एक फ्रीलांसर के रूप में, आप अपने खुद के बॉस हैं। आप अपना कार्यभार अपना टाइम टेबल अपना ड्रेस कोड सभी खुद से चुन सकते हैं।
आय के कई स्रोत – एक फ्रीलांसर के रूप में काम करने का एक फायदा यह है कि आप जितना चाहे उतना कमा सकते हैं। इसमें ऐसा कोई कानून नहीं है जो यह तय करे आपको एक ही समय में कितनी परियोजनाओ पर काम करना हैं।
आप अपने खुद के मालिक हैं – फ्रीलांसिंग में आप आधिकारिक तौर पर अपनी खुद की कंपनी हैं, और आप ही नियम बनाते हैं। वे दिन गए जब आप किसी और को रिपोर्ट करते हैं या उन ग्राहकों के लिए काम करते हैं जो आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होते हैं। आप ही अपने मालिक हैं। हालाँकि खुद को जवाबदेह ठहराने में सक्षम होने की आवश्यकता है। यदि आप इसे जानने से पहले अपने आप को बहुत अधिक सुस्त कर देते हैं, तो आपका फ्रीलांस व्यवसाय बेरोजगारी के एक छेद में नीचे की ओर बढ़ रहा है।
व्यक्तित्व का विकास करे – अनेक प्रोजेक्टो में काम करने की सबसे अच्छी बात यह है कि हर नये प्रोजेक्ट के साथ आपको कुछ नया सीखने को मिलता है। फ्रीलांसिंग किसी को उस चीज़ पर काम करने की अनुमति देता है जिसे आप हमेशा से चाहते थे लेकिन इसके बारे में बहुत संकोच करते थे। आप ऐसी योजनाओं को शुरू कर सकते हैं जो बहुत अधिक थकाने वाली नहीं हो और आपके पास अपने पक्ष में काम करने के लिए पर्याप्त समय और ऊर्जा है।
एक लघु व्यवसाय का परीक्षण करने की क्षमता – फ्रीलांसिंग अनुमति देता है कि आप अपने ग्राहक आधार का निर्माण करे और अपने स्वयं के व्यवसाय को सफलतापूर्वक विकसित करे। एक Freelancer के रूप में, आप विभिन्न सेवाओं का प्रयोग करके देख सकते हैं कि कौन-सी सेवा आपको अधिक पैसा देती हैं और दूसरों की तुलना में अधिक ग्राहक आपके पास लाती हैं।
आपके पास 100% नौकरी की सुरक्षा है – जब आप बॉस हों तो कोई आपको निकाल नहीं सकता। निश्चित रूप से, फ्रीलांसिंग और उद्यमिता के अपने उतार-चढ़ाव हैं, लेकिन जब तक आप इसे जारी रखते हैं, लंबे समय में आपका अपने भविष्य और अपनी कमाई पर पूरा नियंत्रण होगा।
संक्षेप में – Conclusion
Freelancer क्या होता हैं? (What is freelancer in Hindi) यह आधुनिक समय का वह व्यवसाय हैं, जिसमें व्यक्ति अपने कौशल एवं अनुभव का उपयोग करके अन्य लोगों की सहायता कर धन अर्जित कर सकता हैं। Freelancer व्यक्तियों की उन आवश्यकताओं की पूर्ति करता हैं, जिन्हें करने में वह व्यक्ति असमर्थ होता हैं।
फ्रीलांसिंग के माध्यम से आप घर बैठें अपने कौशल का उपयोग कर अनेक व्यक्तियों की सहायता कर अपने समय का सदप्रयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह आपको secure future देने का कार्य करता हैं। जिसमे आय की कोई सीमा नहीं होती। आप इसके अंतर्गत अपनी क्षमता अनुसार लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
दोस्तों आज आपने जाना कि फ्रीलांसर क्या होता हैं? फ्रीलांसिंग का मतलब क्या हैं? (Meaning of Freelancer in Hindi) . अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो आप इसे अन्य लोगों को अवश्य शेयर करें। जिससे वह अपने कौशलों के आधार पर लाभ प्राप्त कर सकें।
1 thought on “Freelancer क्या होता है और कैसे बने? | What is Freelancer in Hindi”
Good Article. Very Informative and Useful. I appreciate work. Thanks for providing such an useful information.
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टैली सीखें – हिन्दी में (Learn Tally in Hindi)
Complete Practical Accounting
Learn Tally Prime in Hindi (हिन्दी में टैली प्राईम सीखें)
Learn Tally Prime in Hindi
टैली प्राईम क्या है ? (What is Tally Prime?)
टैली प्राईम मात्र एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर (Accounting Software) ही नहीं है बल्कि यह एक संपूर्ण बिजनेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है, जहाँ अकाउंटिंग (Accounting) व टेक्सेशन (Taxation) के साथ ही बेटर बिजनेस मैनेजमेंट के लिये भी कई ओप्शन्स जैसे कि पेरोल मैनेजमेंट (Payroll Management), वैधानिक अनुपालन (Statutory Compliance), इन्वेंटरी मैनेजमेंट (Inventory Management) आदि भी दिये गये हैं।
वर्तमान समय में अकाउंट के स्टूडेंट्स और अकाउंटेंट्स के लिए टैली प्राईम सीखना बहुत ही जरूरी हो गया है।
टैली प्राईम को चालू करना व प्रारंभिक स्क्रीन ( Starting Tally Prime & First Screen)
डेस्कटॉप पर दिये टैली प्राईम के आइकोन पर क्लिक करके इसे चालू किया जा सकता है।
TallyPrime Icon
टैली प्राईम चालू होने के बाद स्क्रीन पर Create Company, Select Remote Company, Specify Path और Select from Drive ऑप्शन्स दिखाई देते हैं। साथ ही टैली में पहले से बनी हुई कंपनीज की लिस्ट भी दिखाई देने लगती है। यहाँ पर आप चाहें तो Create Company ऑप्शन पर क्लिक करके नई कंपनी क्रिएट कर सकते हैं या लिस्ट में से पहले से बनी कंपनी को सलेक्ट कर सकते हैं।
टैली में कंपनी कैसे क्रिएट करें ? (How to create a Company in Tally?)
यदि पहले से ही कोई कंपनी सलेक्ट नहीं की हुई है और टैली प्राईम को चालू ही किया है तो सबसे ऊपर दिये क्रिएट कंपनी ओप्शन पर एंटर करके कंपनी क्रिएट की जा सकती है।
यदि पहले से कोई कंपनी सलेक्ट की हुई हो तो टाॅप बार पर दिये कंपनी मेन्यू पर क्लिक करके और फिर क्रिएट ओप्शन पर क्लिक करके भी कंपनी क्रिएट की जा सकती है।
Create Company ओप्शन पर क्लिक करने के बाद Company Creation स्क्रीन दिखाई देने लगती है।
Company Data Path & Company Name
यहाँ सबसे ऊपर Company Data Path (कंपनी डेटा पाथ) दिया है। यह वह लोकेशन है जहाँ बनाई जा रही कंपनी की डेटा फाईल्स और फोल्डर्स सेव होंगे। यदि आप डेटा पाथ चेंज करना चाहें तो बेक स्पेस की प्रेस करके डेटा पाथ को चेंज कर सकते हैं।
Company Name फिल्ड में बनाई जा रही कंपनी का नाम एंटर करना होता है।
यहाँ कंपनी के नाम में चाहे वह एकल स्वामित्व का व्यापार हो, पार्टनरशीप फर्म हो या कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड कंपनी हो आदि के नाम हो सकते हैं। इसके अलावा किसी व्यवसाय का नाम भी हो सकता है। उदाहरण के लिये यहाँ पर श्रीनाथ गारमेंट्स, हरीश मेडिकल स्टोर, कान्हा बिल्डर्स आदि हो सकते हैं।
Mailing Name & Address :
कंपनी का नाम टाईप करने के बाद एंटर की प्रेस करने पर कर्सर Mailing Name फील्ड पर आ जाता है जहाँ टैली ऑटोमेटिकली कंपनी Name को ही Mailing Name के रूप में ले आता है। यदि कंपनी के ऊपर दिये गये नाम के अलावा अन्य कोई नाम invoice या reports में प्रिंट करना चाहते हैं तो यहाँ पर वह नाम दिया जा सकता है।
Address फील्ड में Business place का address टाईप करना है। जब address की आखिरी लाईन टाईप करने के बाद एंटर की प्रेस करते हैं तो टैली यह मानते हुए कि आगे और भी लाईन आने वाली है एक और खाली लाईन दे देता है। यदि address में और कुछ टाईप नहीं करना हो तो एक बार और एंटर की प्रेस कर दें ताकि कर्सर स्टेट फील्ड पर आ जाये।
कंपनी क्रिएट करते समय उस व्यापार या कंपनी का स्टेट या यूनियन टेरीटरी जरूर सलेक्ट कर लेना चाहिये ताकि टैली यह समझ सके कि किन पर्चेज़ व सेल्स पर IGST केल्कुलेट करना है और किन पर्चेज़ व सेल्स पर SGST या UT-GST और CGST केल्कुलेट करना है।
स्टेट के बाद पिनकोड, टेलीफोन नं., मोबाईल नं., फैक्स नं., कंपनी की ईमेल आईडी, वेबसाईट जैसी जानकारियाँ एंटर करना होती हैं। आप चाहें तो इन्हें छोड़ भी सकते हैं।
Information about Financial Year and Books Beginning From
Financial Year begins from में जिस Financial Year के लिये Accounting entries की जानी हैं यहाँ पर उसकी पहली डेट अर्थात् 01 अप्रेल को enter करना होता है।
जिस व्यापार के लिये अकाउंटिंग की जा रही है यदि वह वर्ष के मध्य में भी प्रारंभ किया गया हो तो भी जो पिछली 1 अप्रेल निकली है, वह यहाँ पर एंटर करना होगी। उदाहरण के लिये मान लीजिये कोई व्यापार 10 मई 2021 को प्रारंभ हुआ है तो यहाँ पर 01 अप्रेल 2021 लेना होगा और यदि कोई व्यापार 05 जनवरी 2021 को प्रारंभ हुआ है तो जो पिछली 01 अप्रेल निकली है वह लेना होगी इस उदाहरण में 01 अप्रेल 2020 लेना होगी न कि 01 अप्रेल 2021।
इसके बाद Books Beginning from में टैली By default वही date ले लेता है जो Financial Year begins from में दी गई है। यदि चाहें तो इसे बदल भी सकते हैं।
Extra Option for Creating Company :
टैली ERP.9 में कंपनी क्रिएशन के समय काफी ज्यादा ओप्शन्स दिखाई देते थे किन्तु टैली प्राईम में वे सारे ओप्शन्स यहाँ पर दिखाई नहीं देते हैं। यदि उन्हें देखना या लाना चाहते हैं तो F12 की प्रेस करके Configuration Setting में जो ओप्शन्स चालू करना हैं उन पर Yes सेट करना होगा, तो वे ओप्शन्स भी दिखाई देने लगेंगे।
Base Currency Information :
इसके बाद Base Currency Information में सिंबोल में रूपये का चिन्ह दिया गया है जिसे ऐसे ही रहने देना है। यहाँ पर डाॅलर ($), पौंड (£) या अन्य करेंसी के सिंबोल लिये जा सकते हैं।
Formal Name में INR अर्थात् Indian Rupee ही रहने देना है। अन्य करेंसी की दशा में United States Dollar, Australian Dollar आदि लिये जा सकते हैं।
एंटर की प्रेस करने पर टैली Accept Yes या No पूछता है जहाँ एंटर की प्रेस करने या की बोर्ड से Y की प्रेस करने से टैली कंपनी को सेव कर लेता हैै।
कंपनी सेव होने के बाद टैली द्वारा कंपनी के Accounting, Inventory और Taxation के कुछ फिचर्स की जानकारी पूछी जाती है।
हालाँकि ये सारे फिचर्स नहीं हैं। यदि ज्यादा फिचर्स सेट करना हैं तो Show More Features पर Yes कर दें। सारे फिचर्स सेट करना चाहें तो Show All Features पर Yes कर दें।
Learn Tally Prime in Hindi :
👉 टैली के विडियो ट्यूटोरियल के लिये यहाँ क्लिक करें 👈
👉 जीएसटी की महत्वपूर्ण शब्दावली के लिये यहाँ क्लिक करें 👈
- Interest Calculation in Tally Prime and Tally.ERP9 →
2 thoughts on “ Learn Tally Prime in Hindi (हिन्दी में टैली प्राईम सीखें) ”
Very helpful.
Very Helpful ♥️👍
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MS Excel क्या है और कैसे सीखें हिंदी में जानकारी
MS Excel क्या है – MS Excel, जिसका पूरा नाम ‘ Microsoft Excel ‘ है तथा इसे ‘ Excel ‘ के नाम से भी जानते है, एक Spread Sheet Program है, जो आंकडों को Tabular format में Open, Create, Edit, Formatting, Calculate, Share एवं Print आदि करने का कार्य करता है. MS Excel को Microsoft द्वारा विकसित किया गया है MS Excel Microsoft Office Suite का एक भाग है. नीचे MS Excel 2007 की विंडो को दिखाया गया है.
आप भी अपने कम्प्युटर मे MS Excel को Open कर इसे देख सकते है. यदि आपको MS Excel Open करना नही आता है तो आप ‘ MS Excel को कैसे Open करें ‘ Tutorial से इसे Open करना सीख सकते है. इस Tutorial मे MS Excel को Open करने के कई तरीके बताए गए है
इसे भी पढें : MS Excel को Open करने के 3 आसान तरीको की पूरी जानकारी
MS Excel की विंडो को कई भागों में बाँटा गया है. जिन्हे ऊपर चित्र में एक रेखा के माध्यम से नाम सहित दिखाया गया है. आइए MS Excel विंडो के प्रत्येक भाग को क्रम से जानते है.
MS Excel Window में उपलब्ध सभी टूल्स
1. office button.
Office Button MS Excel का एक प्रमुख भाग है. यह बटन menu bar में होता है. इस बटन में MS Excel में बनने वाली फाइल या स्प्रेडशीट के लिए कई विकल्प होते है.
इसे भी पढें : Office Button की पूरी जानकारी
2. Quick Access Toolbar
Quick Access Toolbar MS Excel का एक विशेष भाग है. यह टूलबार Title bar में होता है. इसे हम शॉर्टकट की तरह उपयोग मे लेते है. इस टूलबार में अधिकतर काम आने वाली कमांड्स को Add कर दिया जाता है और वे इसमे जुड जाती है. Quick Access Toolbar की सहायता से MS Excel में कार्य थोडी speed से हो पाता है.
इसे भी पढें : Quick Access Toolbar की पूरी जानकारी
3. Title bar
Title bar MS Excel विंडो का सबसे ऊपरी भाग है. इस बार पर MS Excel मे बनाई गई फाइल के नाम को दिखाया जाता है. जब तक फाइल को रक्षित (save) नही किया जाएगा फाइल का नाम नही दिखाया जाता है और वहां “Book1” लिखा होता है. जैसे ही हम फाइल को किसी नाम से रक्षित (save) करते है तब “Book1” के स्थान पर फाइल नाम दिखाया जाता है इस बार के दांये कोने में तीन बटन होते है. इन तीन बटन में पहला बटन “Minimize” होता है जिस पर क्लिक करने से Open Program टास्क बार में आ जाता है (नीचे स्क्रीनशॉट देंखे). दूसरा बटन “Maximize or Restore down” होता है. यह बटन विंडो की width को कम या ज्यादा करने का कार्य करता है. और तीसरा बटन “Close Button” है जो प्रोग्राम को बंद करने का कार्य करता है.
Ribbon MS Excel विंडो का एक और भाग है. यह Menu Bar से नीचे होता है. इस ट्युटोरियल मे दिखाई गई MS Excel विंडो में लाल रंग का हिस्सा ही Ribbon है. इस भाग में MS Excel Tabs (जो विकल्प menu bar में होते है) के विकल्पों को दिखाया जाता है
5. Menu Bar
Menu Bar MS Excel में टाइटल बार के नीचे होती है. इसे Tab Bar भी बोल सकते है, क्योंकि इन्हें अब टेब ही बोला जाता है. Menu Bar में कई विकल्प होते है और प्रत्येक की अपनी Ribbon होती है
6. Name Box
Name Box MS Excel में Ribbon के नीचे बांये कोने में एक बॉक्स होता है. इस बॉक्स में Sheet Cell के नाम को दिखाया जाता है एवं हम इसमें cell का नाम डालकर उसे खोज भी सकते है
7. Formula bar
Formula Bar MS Excel में Ribbon के नीचे बांये कोने में Name Box के बगल में होती है. इस बार में MS Excel Formulas को लिखा जाता है
8. Status Bar
Status bar MS Excel में text area के बिल्कुल नीचे होती है. इस बार में “Zoom Level” नामक टूल होता है, जिसकी सहायता से Sheet को Zoom in तथा Zoom out किया जा सकता है. इसके अलावा भी बहुत से टूल इस बार में होते है, जैसे; Language, Word Count, Page Number आदि
9. Scroll Bar
Scroll Bar MS Excel में दांये तरफ लम्बवत (vertically) तथा नीचे आडी (horizontally) बार होती है, जो Sheet को ऊपर-नीचे एवं दांये-बांये सरकाने का कार्य करती है
10. Text Area
Text Area MS Excel का सबसे मह्त्वपूर्ण भाग है. और यह MS Excel विंडो का सबसे बडा तथा मध्य भाग होता है. Text area को MS Excel में Sheet बोला जाता है. इसी क्षेत्र मे text को लिखा जाता है
एक्सेल की विशेषताएं – MS Excel Features in Hindi
एम एस एक्सेल को चलाना आसान है. कोई भी कम्प्यूटर साक्षर व्यक्ति एक्सल पर काम करना सीख सकता है. क्योंकि इसका इंटरफेस ग्राफिक्स पर आधारित है. इसलिए, सबकुछ चित्रों और आइकनों के माध्यम से दर्शाया जाता है आप आइकन को देखकर अंदाजा लगा सकते है कि इस कमांड का क्या उपयोग हो सकता है. कुछ ही दिनों की बेसिक एक्सेल ट्रैनिंग लेकर आप एक्सेल पर काम करना आरंभ कर देंगे
आपको अगर मालूम नही तो बता दें एक्सेल माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. और ऑफिस के बारे में तो दुनिया जानती है कि इसका क्या महत्व है इसलिए, एक्सेल पर काम करना अपने आप भरोसा देता है आपको, कम्प्यूटर की दुनिया का राजा माइक्रोसॉफ्ट का भरोसा साथ मिलता है. और दुनिया का एक लोकप्रिय स्प्रीडशीट प्रोग्राम पर काम करने पर अगल ही अनुभूति होती है
- माइक्रोसॉफ्ट द्वारा खुद इस प्रोग्राम को सिखाया जाता है. और कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद आप एक माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड एक्सेल पेशेवर बन जाते है. जिनकी इंडस्ट्री में बहुत मांग रहती है.
- आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरनेट पर बहुत सारी साइट्स केवल एक्सेल पर ही चलती है. और एक्सेल की ट्रैनिंग देती है. आप इस बात से खुद अंदाजा लगा सकते है कि एक्सेल अकेला कितना बड़ा बाजार है.
- यदि आप एक्सेल की ट्रैनिंग ले लेते हैं तो आपको जॉब की चिंता नही रहती है. एक्सेल मास्टर्स की जरूरत कहीं ना कहीं हमेशा बनी ही रहती है.
ऑफिस का भाग
यह बात आपको ऊपर भी बता दी हैं कि माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल ऑफिस सूट का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके बिना ऑफिस सूट अधुरा रह जाता है. ऑफिस प्रोग्राम में आपको एक्सेल के अलावा एम एस वर्ड , एम एस पावरपॉइंट तथा वननोट का साथ मिलता है. जिसे आप बढ़ाकर अन्य प्रोग्राम्स भी जोड़ सकते है
डेटा को सारणियों में दिखाएं
एक्सेल एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम है. इसलिए, सारा डेटा टेबुलर फॉर्मेट में ही प्रदर्शित होता है. आपको डेटा टेबल बनाने की जरूरत नहीं रहती है. टेबल के अलावा चार्ट्स, फंक्शन तथा फॉर्मुला द्वारा आपका काम मिनटों में पूरा हो जाता है.
एक्सेल का उपयोग कहां होता है – MS Excel Uses in Hindi
MS Excel का उपयोग डेटा को टेबुलर फॉर्मेट में प्रदर्शित करने, संपादित करने, फॉर्मेट करने, बनाने के लिए किया जाता है. यह एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम है, इसलिए टेबल बने बनाए मिलते है. यूजर्स को सिर्फ डेटा इंसर्ट करना पड़ता है इस डेटा को आप चार्ट्स तथा टेबल्स के जरिए रुचिकर और रंग-बिरंगे बनाकर लोगों को आकर्षित कर सकते है. और एक्सेल फॉर्मुला एवं फंक्शंस के द्वारा अपने कार्य को मिनटों में सिमटाकर टाइमसेवी और ज्यादा उत्पादक भी बन सकते है
एक्सेल कैसे सीखें – How to Learn MS Excel in Hindi?
Join computer institute.
सबसे पहला और जानामाना तरीका है कि किसी कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में जाकर एडमिशन ले लिया जाएं. यहां पर आपको एक्सेल सिखाने के लिए ट्रैनर का साथ मिलता है और प्रैक्टिकल करने के लिए कम्प्यूटर भी उपलब्ध रहते है.यदि आपके पास फुर्सत का समय है और नजदीक कोई सेंटर है तो आप यहां मौजूद एक्सेल क्लासेस जॉइन करके एक्सेल सीख सकते है
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किसी भी नई स्किल्स को सीखने के लिए आज भी बुक्स का वहीं स्थान बरकरार है. यदि आपके कम्प्यूटर है और आपको किताबें पढ़ने का शौक है. तब आप एक्सेल सीखने के लिए एक्सेल की कुछ किताबें खरिद सकते है और उनके द्वारा सीखना शुरु कर सकते है अमेजन पर या फिर किसी अन्य ऑनलाइन पोर्टल पर “ best books for ms excel ” सर्च करने पर आपको सैंकड़ों किताबें मिल जाएगी. आप अपनी पसंद की दो-तीन किताबें ऑर्डर देंकर घर मंगवा सकते है.
Enroll in Online Courses
किताबों से आगे बढ़कर सीखना अब ऑनलाइन हो रहा है. और डिजिटल लर्निंग को महत्व दिया जाने लगा है. हम भी इस बात में सहमत है इंसान को समय के साथ चलना चाहिए इसलिए, आप एक्सेल ऑनलाइन कोर्सेस भी कर सकते है. इन कोर्सेस का फायदा यह है कि यहां आपको प्रैक्टिकल ट्रैनिंग कम्प्यूटर स्क्रीन के साथ मिलती है. और समय की पाबंदी भी रहती आप जब चाहे तब सीख सकते है और समस्या आने पर सपोर्ट भी मिलता है. अधिकतर कोर्से लाइफटाइम वैलिडिटी के साथ ऑफर किये जाते है. मतलब, एक बार खरिदने के बाद कोर्स हमेशा आपके पास रहेगा नीचे कुछ लोकप्रिय ऑनलाइन पोर्टल्स के नाम दिए गए है. जहां से आप एक्सेल कोर्सेस में एंरॉल कर सकते है.
- Khan Academy
- LinkedIN Learning
Web-Based Tutorials
ऑनलान सीखने का दूसरा तरीका है वेब-आधारित ट्युटोरियल्स के जरिए सीखना. ऑनलानन कोर्सेस से पहले इसी तरह की ट्रैनिंग उपलब्ध थी और आज भी बहुत मशहूर है. क्योंकि, यह ट्रैनिंग अधिकतर फ्री होती है आपकी सुविधा के लिए कुछ वेबसाइट्स का नाम नीचे दिया जा रहा है. जहां से आप एक्सेल के फ्री ट्युटोरियल्स एक्सेस कर सकते है.
- TutorialsPoint.com
- JavatPoint.com
- Edu.gcfglobal.org
अगर आपको हिंदी में सिखना है तब आप हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध Free Excel Tutorials को भी देख सकते है. जो नीचे उपलब्ध है.
Take Excel Help
इसके अलावा एक और तरीका है एक्सेल मदद यानि Excel Help. इस तरीका पर स्टुडेंट्स क्या ट्रैनर्स का भी ध्यान बहुत कम जाता है. लेकिन, यह तरीका सबसे ज्यादा भरोसेमंद और विश्वसनीय होता है क्योंकि, यहां के सभी ट्युटोरियल्स खुद एक्सेल बनाने वालों द्वारा तैयार किए जाते है. एक्सेल हेल्प को एक्सेस करने के लिए की-बोर्ड से F1 कुंजि दबाएं.
आपने क्या सीखा?
इस ट्युटोरियल में आप Microsoft Excel से परिचित हुए. हमने MS Excel के बारे में सरल शब्दों में बताया है. मुझे उम्मीद है कि यह ट्युटोरियल आपके लिए उपयोगी साबित होगा. और आपको एम एस एक्सेल क्या है तथा एक्सेल कैसे सीखते है? इन दो सवालों के जवाब भी मिल गए है.
— कुछ संबंधित Tutorials —
और ट्युटोरियल एवं लेख:.
97 thoughts on “MS Excel क्या है और कैसे सीखें हिंदी में जानकारी”
Sir pleas uploaded ms excel notes A-Z 🙏🏼
Hello sir nice your content and help full
Sir Please MS Access का Notes बनाकर पोस्ट कर दीजिये। बहुत Search किये But हमे कही भी नही मिल रहा है। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Sir mujhe Ms excel ke bare me bataye
Thanks 😊 sir
Sir mujhe ms Excel ke bare me btaye
Ms excel ke bare m btaeye sir poora jankari video bhi dikhaeye
Ser mujhe excel ke bare me jankari lena hai please Ese excel ke bare me jankari de
इस लेख से हमे MS Excel के बारे सम्पूर्ण जानकारी मिली.
MS Excel ke baare me bahut achhi jankaari mili mujhe. Mere ko computer course karna hai ..es jankari se computer me mujhe aur bhi aasan tamrika ho gaya ..thanks sir ..mujhe. Basic computer sikhana hai usake baare me bataye…
Excel learning fees kitni lgti
thanks for shearing a wonderfull knowladge about excel
Aapane bahut Achcha likha humne sikha aise aur bhi e Karte rahen sikhate rahen
विनोद जी, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. आते रहिए सीखते रहिए.
sandar paost excel ke baare me
very nice article, to learn vlookup in excel you can check my link
Very nice bro
Sir, you have explained very well about Ms Excel and if you want to know Ms Excel Shortcut Key, then you can take all the information of Ms Excel Shortcut
thanks bhai ji
It’s is very amazing website for student.From this website i will learn computer knowledge.soo thanku tutorial pandit.
आदर्श जी, शुक्रिया.
sahi se define karne ke liye thank you.
Thank you sir
amazing post, easy to understand thank you so much
nice this post
BEST THEORYCAL BOOK COMPUTER MS EXCEL
Nice this post
what you have made the lesson of ms excel,is it same 1,2,3 lesson, i want to ask these to you
this post is good for everyone..
Very nice details and thanku so much
Very nice detials approved Thank you so much
aap ne bahut achhi jankari di thanks..
Thankyou sir
Super info.
Nice Information Sir..
sir apne ne bahut badiya I m, so very happy Thankyou sir
very nice sir ji
very good sir ji
How many chart create in MS Excel??
महेश जी, आप अपनी जरूरत के हिसाब से कितने भी चार्ट बना सकते है.
sir, ms word me bhi yahi hai or ms excel me bhi yahi hai.
kya dono me ek hi answer sahi rahega?
शैलेंद्र जी, दोनों ही MS Office के भाग है. इसलिए कुछ चीजे कॉमन होती है.
Ms excel word and powepoint k kon kon se version hote h jaixe ms excel 2007
रैनु जी, एम एस ऑफिस के अब तक कई संस्करण आ चुके है. जिसमें सबसे ताजा संस्करण MS Office 2019 है. इसके अलावा Office 2010, Office 2013, Office 2016 भी आ चुके है.
Very nice information thank you dear Sir
Bohat kuch sikhne ko Mila
Thanks sirji
very nice post
thanks for you
Kya aap fb par par sakte hai
राघव जी, आप क्या पूछना चाहते हैं हमे कुछ समझ नही रहा हैं. कृपया पूरा और साफ-साफ लिखिए.
sir ms excel me formulas me logical kya kam karata hai mujhe yah samajh me nahi aa raha
शिवचरण जी, लॉजिकल एक प्रकार के फॉर्मुले होते हैं. जिनसे आप Conditions के हिसाब से अपना कार्य करवा सकते हैं.
Sir. Ms excel me maximum kitne % zoom hota h?
400 % अधिकतम
सर मैंने ccc का रजिस्ट्रेशन किया है, तो प्लीज मुझे एग्जाम की तैयारी के लिए मार्गदर्शन करे।
अशरफ जी, आप संस्था द्वारा उपलब्ध Learning Material का अध्ययन कीजिए और Practical पर ज्यादा ध्यान दीजिए.
सर अपने कम शब्दो में बहुत ही अच्छी जानकारी देदी। मोटे-मोटे किताब में भी ऐसा defination नहीं देखा। बहुत ही अच्छी जानकारी देदी आपने शुक्रिया सर।
Mujhe aapka likha huwa pez par kar bhut Accha knowledge Mila jese ki mujhe tuition Mai nahi itniacchi Tariqa se nahi btaya gaya hai . ..Thanks….Nehal alam
नेहल जी, आपका शुक्रिया. आप हमारे बारे में अपनि मित्रों को भी जरूर बताएं.
मैने M.com किया है। इसके बाद जल्दी नौकरी पाने के लिए कौन-सा कमप्यूटर कोर्स करना बेहतर होगा।
भावना जी, आप अपनी रुची के अनुसार कोई भी कम्प्युटर कोर्स कर सकती हैं.
It is very nice
Ummid karta hu ki aap yese hi jankariya hame dethe rahe
nice very nice
very very very thank uuu sir
Dear Mr. Neeraj,
Do that, in which field you want to go,
Batane k liye thank you so much sir
pc m hd graphs kaise dale
तनवीर जी, इसके लिए आप दो कार्य कर सकते है: 1. पहला अपना मदरबोर्ड अपडेट कर लिजिये, जिसके साथ अच्छा ग्राफिक कार्ड मिल रहा हो. 2. दूसरा, आप अलग से ग्राफिक कार्ड खरीद सकते है. जिसे आप अपने कम्प्युटर या लैपटॉप में इंस्टॉल कर सकते है.
आपका बहुत बहुत धन्यवाद् |
so thank you
plse ek bat or batea ki, or bhi Kon Kon se course hai computer se related .. jisme achi or sure job wali hai.. mai 2 years computer course Ke liy dena chahta hu , jiske bad job me koi problem na ho.. or job opportunities ho aise course Ke bare me plse jankari dijiye.. ya Fir web designing hi best hoga .. ya koi or bhi achae course hai.. plse batea…
नीरज जी आप इस बारे में अपने अध्यापकों से बात कीजिए. वे आपको सही और आपके लिए उपयोगी कोर्स के बारे में ज्यादा बता बताऐंगे.
thank you niraj beya
brother, o level or web designing me Kon sa course better hoga. ya Fir job Ke liy koi or Kon sa course acha hoga jisme job opportunities or salary dono achi hogi.. plse reply..
अमन जी यदि आप जॉब के लिए कम्प्युटर कोर्स करना चाहते है, तो आप Web Designing को चुनिए. क्योंकि O Level में आपको Computer Fundamentals के बारे में जानकारी दि जाती है. जो आपको वेब डिजाईनिंग में भी पढाया जाएगा. इसलिए आप Web Designing Course कीजिए.
Sir cell ka dusre name kya hai sir
Sir thnx u so much it’s relly very very gd info. Thnx u
sir very nice information.give one tutorial for competitive exam.
वैशाली जी आपके फीडबैक के लिए धन्यवाद. और दूसरा अगर आपको इस साईट पर जिस विषय या Topics पर Tutorials चाहिए. उसके बारे में आप हमे बेहिचक हमसे सीधे संपर्क करके बता सकती है. हम हमारे पाठको की पंसद का हमेशा ख्याल रखने की कोशिश करते है. आप अपने सुझाव यहाँ भेज सकती है:
E-mail: [email protected] http://www.tutorialpandit.com/contact-us/
It is very helpful, Thanks———-
Bhoot kuch sekhne no mila Thank you sir
शुक्रिया अबु रहमान. आप इसी तरह सीखते रहिए.
Very nice sir because ismein maine bahut kuch seekha hai
शुक्रिया कुर्बान राजा जी. सीखते रहिए.
very nice thanks
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