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शिक्षक पर निबंध (Teacher Essay in Hindi)

एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक एक ऐसा महत्वपूर्ण इंसान होता है जो अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देख-भाल से उसके पूरे जीवन को एक मजबूत आकार देता है। यहाँ दिये गये प्रत्येक निबंध एक विद्यार्थी के जीवन में एक शिक्षक के महत्व को रेखांकित करता है साथ ही उसकी भूमिका को भी स्पष्ट करेगा। ये निबंध बेहद सरल और अलग-अलग शब्द सीमाओं में दिये गये हैं जिसका उपयोग विद्यार्थी अपनी आवश्यकतानुसार कर सकते हैं।

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शिक्षक पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Teacher in Hindi, Shikshak par Nibandh Hindi mein)

शिक्षक पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

शिक्षक के पेशे को सबसे अच्छे और आदर्श पेशे के रुप में माना जाता है क्योंकि शिक्षक किसी के जीवन को बनाने में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देते हैं। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती। शिक्षक वो होते हैं, जो अपने सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखते हैं। वो उनके खाने की आदत, स्वच्छता का स्तर, दूसरों से व्यवहार और पढ़ाई की ओर एकाग्रता की जाँच करते हैं।

शिक्षक की भूमिका

शिक्षक स्कूलों में हर चौथे महीने में स्वास्थ्य कैंप का आयोजन करते हैं जिससे विद्यार्थियों का वजन, कद, बौद्धिक स्तर, रक्तचाप, हृदय गति, फेफड़ों की क्षमता, खून की जाँच, पेशाब की जाँच, छोटी माता प्रतिरक्षण, एमएमआर के लिये प्रतिरक्षा, चेचक, डीपीटी बूस्टर खुराक, पोलियो ड्रॉप आदि की नियमित जाँच हो सके और उनका स्वास्थ्य रिकार्ड रखा जाये।

शिक्षक और विद्यार्थी का सम्बन्ध

एक शिक्षक और एक विद्यार्थी का सम्बन्ध अनूठा होता है। विद्यार्थी श्रद्धा भाव रखकर ज्ञान रूपी अमृत प्राप्त करता है और शिक्षक अभिभावक की तरह ज्ञान प्रदान करता है। शिक्षक केवल अपने विद्यार्थियों को खुश और सफल देखना चाहते हैं। एक अच्छा शिक्षक कभी अपना धैर्य नहीं खोता और हर विद्यार्थी के अनुसार पढ़ाता है।

शिक्षक हमें साफ कपड़े पहनने के लिये, स्वस्थ भोजन खाने के लिये, अपने माता पिता का ध्यान देने के लिये, दूसरों से अच्छा व्यवहार करने के लिये, जीवन में कभी झूठ नहीं बोलने के लिये, सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिये, अपने स्कूल, कॉपी, किताबों, दूसरी चीजों का ध्यान देने के लिये, पढ़ाई में एकाग्रता के लिये प्रार्थना करने के लिये, किसी भी दुविधा को लेकर अपने विषय शिक्षक से चर्चा करने के लिये आदि बहुत सी अच्छी बातों के लिये प्रेरित करते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें – Essay on Teacher in Hindi

Shikshak par Nibandh – निबंध 2 (300 शब्द)

विजय और सफलता पाने के लिये जीवन में शिक्षा को सबसे शक्तिशाली हथियार के रुप में माना जाता है। अपने देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और कार्य को करने के लिये शिक्षकों को दिया जाता है। शिक्षा की ओर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को शिक्षक निभाता है और बच्चों के वर्तमान और भविष्य को बनाता है। अपने पूरे जीवन भर ढेर सारे विद्यार्थियों को निर्देशित और शिक्षित करने के द्वारा अच्छे समाज का निर्माण करने में शिक्षक एक महान कार्य करता है।

जीवन में सही रास्ता चुनने के लिये शिक्षक को भगवान द्वारा धरती पर भेजा जाता है साथ ही साथ बुरी परिस्थिति में सही फैसला करने में उन्हें सक्षम बनाता है। शिक्षक बच्चों को उनके बचपन से ही नेतृत्व करते हैं और उन्हें मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रुप से काबिल बनाते हैं। शिक्षक किसी सामान्य व्यक्ति की तरह होते हैं जो हमारे बीच में से ही होते हैं लेकिन वो अपने विद्यार्थियों के लिये पढ़ाने का एक अलग कार्य चुनते हैं।

मेरी सबसे प्रिय शिक्षिका कला और विज्ञान की हैं जो अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लिये रहती हैं और हमें खुश रखती हैं। अपने पढ़ाने की रणनीति में वो ढेर सारी रणनीति को जोड़ती हैं जो हम बहुत पसंद करते हैं। हम सभी को उनके पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद है और हम सभी उनके विषय में अच्छा प्रतिशत लाते हैं। वो हमें जीवन की सच्चाई से रुबरु कराती हैं, अपने जीवन के अनुभव बताती हैं और मुश्किल परिस्थितियों से आसानी से निकलने का तरीका सिखाती हैं।

वो हमारी सबसे प्रिय शिक्षिका हैं तथा सभी बच्चों को एक बराबर तरीके से समझती हैं। वो हमारे बीच में किसी से अलग व्यवहार नहीं करती और हमेशा अच्छा करने के लिये प्रेरित करती हैं। हमलोग घर पर अपने अभिभावकों से उनकी अच्छाईयों का गुणगान करते हैं। वो जानती हैं कि हमलोग केवल उन्हीं के विषय में बहुत रुचि लेते हैं इसलिये, एक दिन उन्होंने कहा कि हम सभी को हर विषय में ध्यान देना चाहिये जिससे कोई भी हमें किसी भी क्षेत्र में हरा न सके। हमें हर पहलू में मजबूत बनना चाहिये इसी वजह से हमें हर विषय को एक बराबर पढ़ना चाहिये।

शिक्षक पर निबंध – 3 (400 शब्द)

हमारे लिये एक शिक्षक भगवान की तरफ से एक अनमोल तोहफा है। एक शिक्षक ईश्वर की तरह है क्योंकि ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड का निर्माता होता है जबकि एक शिक्षक को एक अच्छे राष्ट्र का निर्माता माना जाता है। शिक्षक समाज में बहुत प्रतिष्ठित लोग होते हैं जो पढ़ाने के अपने जादू के माध्यम से आम लोगों की जीवन शैली और दिमागी स्तर को बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाते हैं। अपने बच्चों के लिये माता-पिता एक शिक्षक से बहुत उम्मीद रखते हैं। एक शिक्षक की भूमिका कक्षा से खेल के मैदान और हरेक विद्यार्थी के लिये बदलती रहती है। हरेक के जीवन में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण इंसान होता है जो हमारे जीवन में अलग-अलग कार्य करता प्रतीत होता है।

कक्षा में आने से पहले, एक अच्छा शिक्षक रोज के शिक्षा के अपने लक्ष्य को सुनिश्चित करता है। हर शिक्षक के पढ़ाने की अपनी अलग खासियत होती है। वो अपने ज्ञान, कौशल और व्यवहार में हर विषय के लिये बदल सकते हैं। वो अपना सबसे बेहतरीन प्रयास करते हैं और जीवन में हमको हमारे लक्ष्य तक पहुंचने में बहुत मदद करते हैं। सभी के जीवन में स्कूली जीवन सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यही वो समय होता है जब लोग जीवन की मूल बातें और अलग-अलग विषय सीखते हैं। हम सभी अपना लक्ष्य स्कूल के समय में ही तय कर लेते हैं जो हमारे राष्ट्र के विकास का फैसला करता है। हरेक विद्यार्थी स्कूल में अपने दिमाग को खोल के रखता है और खेल, क्विज़, समूह चर्चा, बहस, निबंध लेखन, भाषण, पर्यटन, यात्राऔर अध्ययन यात्रा आदि जैसे अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेने के द्वारा अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाते हैं।

अच्छा शिक्षक अपने विद्यार्थियों का अच्छा दोस्त भी होता है जो उन्हें सही रास्ता प्राप्त करने में मदद करता है। स्कूल और कॉलेजों में बहुत सारे शिक्षक होते हैं लेकिन कोई एक शिक्षक सभी विद्यार्थियों का पसंदीदा होता है। अनोखे शिक्षण और सिखाने की प्रक्रिया के अपने सामूहिक भूमिका के माध्यम से शिक्षक हमारे शिक्षा का लक्ष्य तय करते हैं। हमारे शिक्षकगण हमको हमेशा सौहार्द में कार्य करने के लिये प्रेरित करते हैं। हमारे शिक्षक हमें समझते हैं और हमारी समयस्याओं को व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरीके से सुलझाते हैं। वो हमें जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया अपनाना सिखाते हैं।

एक अच्छा शिक्षक वो होता है जो अपने पूरे जीवन में विद्यार्थियों को केवल देता है लेकिन कुछ भी लेता नहीं है बल्कि वो अपने विद्यार्थियों की सफलता से बहुत खुश हो जाता है। एक बेहतरीन शिक्षक वो होता है जो अपने राष्ट्र के लिये एक बेहतरीन भविष्य की पीढ़ी उपलब्ध कराता है। केवल उचित शिक्षा से ही सामाजिक समस्याएँ, भ्रष्टाचार आदि को खत्म किया जा सकता है जो अंतत: एक राष्ट्र को वास्तविक विकास और वृद्धि की ओर ले जायेगा।

निबंध 4 (600 शब्द)

शिक्षक वह होते हैं जो अपनी ज्ञान कीज्योति से हमें प्रकाशित करते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं। यह किसी भी आयु वर्ग के लोग हो सकते हैंऔर इनका हमारे जीवन को सफल बनाने में बहुत बड़ा योगदान होता है। इतिहास में जितने भी महान पुरुष हुए सभी के शिक्षकों का भी जिक्रहमें मिलता है।शिक्षक जिसे हम गुरु कह कर भी बुलाते हैं, और हमारे अभिलेखों में गुरु को वंदनीय एवं पूजनीय बताया गया है। हम प्रत्येक गुरुपूर्णिमा के अवसर पर इनकी पूजा भी करते हैं।

हमारे पुराणों में गुरु को भगवान से बढ़ कर बताया गया है, वो इस लिये क्यों कि यह माना जाता है कि धरती पर मनुष्य जब आया तो उसे भगवान का बोध नहीं था, वह गुरु ही है जिसने मनुष्य को भगवान से अवगत कराया। इस लिये पहले गुरु की पूजा की जाती है और उसके बाद भगवान की। हमारे हिंदू मान्यताओं में शिक्षक को भगवान से भी उपर माना जाता है।

शिक्षक की उपयोगिता

किसी भी समाज कोविकसित करने के लिये, यह महत्वपूर्ण है कि वहां के लोग शिक्षित हों और एक शिक्षक ही ऐसे समाज का निर्माण कर सकता है। अर्थात शिक्षक को हम किसी देश के प्रगति का सूचकमान सकते हैं। वे बच्चों को शिक्षित करते हैं और अपनी ज्ञान की आभा से उन्हे चमकना सिखाते हैं, जिससे बच्चे क्षितिज से निकलते नन्ही किरणों से सफर तय कर के, नभ तल पर आकर सूर्य की तरह चमकना सीख जाते हैं और देश का नाम रौशन करते हैं।

मनुष्य चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे कभी न कभी एक मार्गदर्शक कि आवश्यकता जरूर पड़ती है और आपका मार्गदर्शक ही आपका शिक्षक व गुरु है। गुरु की सीमा केवल स्कूली पुस्तकों मात्र तक सीमित नहीं होती, जरूरत पड़ने पर वे सच्चे दोस्त भी बन जाते हैं और आपकी हर प्रकार से सहायता करते हैं।

किसे आप शिक्षक कह सकते हैं

ऐसे तो हर वह शक्सशिक्षक कहलाता है जिससे आप कुछ सीखते हैं, चाहे वह आपकी मां ही क्यों न हो। मां किसी भी व्यक्ति की पहली शिक्षक होती है जो उसे चलना, बोलना जैसी मूलभूत आवश्यकताएं सिखाती हैं। अध्यापक वह व्यक्ति है जो आपको स्कूल में शिक्षा देते हैं, गुरु जो जीवन संबधी ज्ञान देते हैं और शिक्षक इन दोनो के मिश्रण को कहते है, जो आवश्यकता पड़ने पर हर प्रकार से आपको अज्ञान के अंधेरे से बाहर निकालते हैं।

हम अपने शिक्षकों का जितना भी गुणगान करें कम ही है और छात्रों के जीवन मे उनके स्कूली शिक्षकों का बहुत योगदान होता है, वे उन्हे सदैव याद रखते हैं।महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे, ठीक इसी प्रकार भले किसी के जीवन में गुरु अलौकिक रूप से उपस्थित रहते हैं, परंतु उसके शिष्य के अच्छे प्रदर्शन से गुरु की चर्चा खुद ब खुद होने लगती है।

शिक्षक की आवश्यकता सर्वत्रहोती है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। उनकी शिक्षा कि झलक हमेंउनके क्षात्रों मे मिल जाती है। एक अच्छा गुरु सदैव अपने शिष्य को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है। हमें सदैव अपने गुरु का आदर करना चाहिये और सच्चे मायनों मे गुरु का आदर तभी हो सकता है, जब हम उनके बताए गए मार्ग पर चलें। एक शिक्षक होना बहुत कठिन कार्य है और नमन है सभी शिक्षकों को जिसने मेरे जीवन में अहम भुमिका निभाई। आज कल के दौर में फोन और सोशल मीडियाकी मदद से लोग आपस में जुड़े रहते हैं और अपने शिक्षकों से जुड़े रहने के यह सबसे अच्छे माध्यम हैं। कुछ लोग जो शिक्षक का पेशा चुनते हैं वाकई में काबिले तारीफ होते हैं। जो अपने कंधो पर देश को भविष्य संवारने का दायित्व लेकर चलते हैं। नमन है ऐसे हौसलों को नमन है सभी शिक्षकों को।

Essay on Teacher in Hindi

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FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – शिक्षकों के सम्मान के लिए शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है।

उत्तर – शिक्षक बच्चों को जीवन में अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं।

उत्तर – सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका थीं।

उत्तर – हाल में रणजीत सिंह डिसले को ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 (Global Teacher Award 2020) से पुरस्कृत किया गया है।

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day Essay in Hindi) - टीचर्स डे पर 200, 500 शब्दों में हिंदी में निबंध देखें

Updated On: September 29, 2023 12:30 pm IST

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day Essay in Hindi)

शिक्षक दिवस पर निबंध 200 शब्दों में (Teachers Day Essay in Hindi in 200 words)

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  • भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
  • यह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है।
  • वह एक दार्शनिक, शिक्षक और भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे।
  • एक छात्र के जीवन में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • शिक्षक समाज की रीढ़ हैं।
  • शिक्षक दिवस पर हम अपने शिक्षकों को पुरस्कृत करके या उनके बारे में दो शब्द कहकर उन्हें सम्मान देते हैं।
  • स्कूल और कॉलेजों में शिक्षक दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • इस दिन छात्र विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
  • छात्र शिक्षकों के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने के लिए शुभकामनाएं और उपहार देते हैं।
  • शिक्षक दिवस शिक्षक और छात्र के बीच विशेष बंधन का उत्सव है।

Are you feeling lost and unsure about what career path to take after completing 12th standard?

Say goodbye to confusion and hello to a bright future!

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन (5 सितंबर, 1888) को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

देश में पहली बार 1962 को शिक्षक दिवस मनाया गया था और तभी से पुरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। इसी साल मई में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश के दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला था। 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शिक्षकों के समाज के प्रति योगदान को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है

हर साल, भारत डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को उनके योगदान और उपलब्धियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाता है। 5 सितंबर, 1888 को जन्मे डॉ. राधाकृष्णन ने न केवल भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, बल्कि एक विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित भी थे।

शिक्षक दिवस पर निबंध लिखने की सरल प्रक्रिया इस लेख में बताई गई है, छात्र यहां दिए गए सैंपल का उपयोग करके शिक्षक दिवस पर हिंदी में निबंध लिखना सिख सकते हैं। 

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मेरे शिक्षक पर निबंध 10 lines (My Teacher essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे

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My Teacher Essay in Hindi – एक शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो एक छात्र के जीवन को ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुछ शिक्षक जीवन की कुछ समस्याओं की कुंजी के रूप में आपकी स्मृति में रहते हैं। एक शिक्षक न केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करता है बल्कि नैतिक मूल्यों को भी साझा करता है, और नैतिकता को आत्मसात करता है जो हमारे व्यक्तित्व को एक बेहतर इंसान के रूप में आकार देता है।

छात्रों को सकारात्मकता और नकारात्मकता को संतुलित करने और छात्र के जीवन को आकार देने में बचपन का अधिकतम समय बिताने में मदद करने के लिए एक शिक्षक माता-पिता के साथ आगे आता है। एक शिक्षक एक जीवन बदलने वाला रोल मॉडल है जो आपके विकास के विकास को प्रभावित करता है, महत्वपूर्ण दैनिक मूल्यों को विकसित करता है। वे अपार धैर्य, सहनशीलता और एक चमकदार झिलमिलाती मुस्कान के साथ समाज के निर्माण खंड हैं।

My Teacher Essay in Hindi – शिक्षकों के बारे में प्रासंगिक जानकारी के साथ छात्रों की सहायता के लिए, असाइनमेंट के लिए एक गाइड के रूप में एक लंबा और छोटा निबंध यहां दिया गया है। इसके अतिरिक्त, दस सरल संकेत जो एक बुनियादी दिशानिर्देश प्रदान करते हैं जिस पर कोई व्यक्ति समझ को फ्रेम कर सकता है।

माई टीचर निबंध 10 लाइन्स (My Teacher Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1. शिक्षक वह होता है जो हमें हमारी जीवन यात्रा की ओर ले जाता है।
  • 2. शिक्षक हमें जीवन जीना सिखाता है।
  • 3. मेरे स्कूल में मेरे कई शिक्षक और महोदया हैं।
  • 4. वे सब हमें पढ़ाते हैं और शिक्षा देते हैं।
  • 5. मेरे शिक्षक मेरे दोस्तों की तरह हैं, वे सभी हमसे प्यार करते हैं।
  • 6. हम अपने शिक्षकों के साथ सब कुछ साझा कर सकते हैं।
  • 7. कभी-कभी जब मैं असामान्य हो जाता हूं तो मेरे शिक्षक मुझे डांटते हैं।
  • 8. मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह एक अच्छे उद्देश्य के लिए था।
  • 9. वे हमें अनुशासन, शिष्टाचार सिखाते हैं और हमें सही दिशा में ले जाते हैं।
  • 10. शिक्षक छात्रों के जीवन के सबसे अच्छे गुरु होते हैं। इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

इनके बारे मे भी जाने

  • Essay in Hindi
  • New Year Essay
  • New Year Speech
  • Mahatma Gandhi Essay
  • My Mother Essay
  • My Family Essay
  • Environment Essay
  • Health Is Wealth Essay

मेरे शिक्षक पर लघु निबंध (Short Essay on My Teacher in Hindi)

My Teacher Essay in Hindi – शिक्षक के बिना विद्यार्थी नहीं रह सकता। जाहिर है, मुझे स्कूल और घर में कई शिक्षकों का साथ मिला है।

मैं किताबों से जो कुछ सीखता हूं, उसे वे पूरी तरह से समझाते हैं। इस प्रकार मुझे विभिन्न विषयों में अच्छा ज्ञान प्राप्त होता है।

वे मुझे व्यक्तिगत रूप से सलाह देते हैं। वे हर तरह से मेरा मार्गदर्शन करते हैं। अक्सर स्कूल में मैं उनकी कंपनी को पूरी तरह से नहीं ढूंढ पाता। लेकिन मैं उनके फुरसत में इसका आनंद लेने का प्रबंधन करता हूं।

मैं स्कूल के अलावा घर पर ही अपने प्राइवेट ट्यूटर्स के यहां पढ़ता हूं। वे मुझे मेरे गृहकार्य करने में मदद करते हैं। मैं उनकी मदद से अपने अध्ययन को संशोधित करता हूं।

कभी-कभी वे मेरी गलतियों के लिए मुझे फटकार लगाते हैं। लेकिन मुझे इससे ऐतराज नहीं है।

मैं अपने शिक्षकों से कई अच्छी आदतें सीखता हूं। वे मुझे जल्दी उठने, स्वच्छता की आदत बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

मेरे शिक्षक निबंध 100 शब्द (my teacher essay 100 words in Hindi)

यदि हम कभी बैठकर अपना आशीर्वाद गिनें, तो हम उस महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएंगे जो हमारे जीवन में एक शिक्षक का है या था। शिक्षकों की तुलना अक्सर हमारे समाज के निर्माण खंडों से की जाती है जो हमें ज्ञान और ज्ञान की एक मजबूत नींव रखने में मदद करते हैं, जिस पर हम अपने जीवन और करियर का निर्माण करते हैं। यह सम्मानित पेशा अक्सर दूसरों के बीच सबसे सम्मानजनक में से एक के रूप में गिना जाता है क्योंकि यह शिक्षक हैं जो दूसरों के विकास में काम करते हैं। दूसरों को ज्ञान से समृद्ध करने और उनका मार्गदर्शन करने जैसे व्यक्तित्व गुणों के लिए कोई व्यक्ति स्वभाव से शिक्षक भी हो सकता है न कि पेशे से।

मेरे शिक्षक निबंध 150 शब्द (my teacher essay 150 words in Hindi)

My Teacher Essay in Hindi – शिक्षक पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण प्राणियों में से एक हैं क्योंकि वे छात्रों के व्यक्तित्व को ढालने में मदद करते हैं और उन्हें भविष्य के जीवन के लिए सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। अध्यापन पेशे में, परिदृश्य लगभग किसी भी अन्य प्रतिष्ठित पेशे के समान है, जिसमें अच्छे और बुरे दोनों लोगों की उपस्थिति होती है, लेकिन दुनिया में बहुत कम शिक्षकों पर दुष्ट होने का दावा किया जाता है।

युवा आत्माओं के साथ व्यवहार करते समय शिक्षकों को हमेशा बहुत दयालु और समझदार होना चाहिए क्योंकि उनके खट्टे कार्यों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। शिक्षण के ऐसे कई तरीके हैं जिन्हें शिक्षक पाठ को अधिक रोचक बनाने के लिए अनुकूलित कर सकते हैं। शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उस अवधारणा के बारे में तैयार और आश्वस्त हैं जिसे वे कक्षा में पढ़ाने जा रहे हैं। ऐसी घटनाएं होती हैं जहां शिक्षकों ने दोस्तों या माता-पिता की तुलना में बहुत अधिक मदद की है। इसलिए, हम सभी को अपने शिक्षकों का सम्मान और प्यार करना चाहिए और उन्हें हमेशा अपनी याद में रखना चाहिए।

मेरे शिक्षक निबंध 200 शब्द (my teacher essay 200 words in Hindi)

राष्ट्र के विकास में एक शिक्षक की भक्ति काबिले तारीफ है, क्योंकि अच्छे शिक्षक आवश्यक संपत्ति हैं। शिक्षकों की उपस्थिति प्रागैतिहासिक समाज से रही है। शुरुआत में, जब कोई किसी चीज़ में बहुत अच्छा था, तो दूसरे ने उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें किसी चीज़ के बदले में इसके बारे में सिखाएँ

अधिकांश शिक्षक किसी को भी जरूरत पड़ने पर किसी भी समय मदद करने को तैयार रहते हैं। एक शिक्षक अपने छात्रों में अवधारणाओं के बारे में सफलतापूर्वक जिज्ञासा जगा सकता है और फिर उस ज्ञान की भूख या प्यास को सफलतापूर्वक संतुष्ट भी कर सकता है। एक आदर्श शिक्षक को शिक्षण में कुशल, ईमानदार, अनुशासित, प्रतिभाशाली, विनम्र, मेहनती, कर्तव्यपरायण और ईमानदार होना चाहिए।

शिक्षक छात्रों को डर पर काबू पाने में मदद करते हैं और प्रत्येक छात्र की क्षमता का पता लगाते हैं, कभी-कभी इससे पहले कि वे खुद को जान सकें। शिक्षकों को अक्सर समाज के अभिभावक देवदूत कहा जाता है, क्योंकि उनमें एक मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक के सभी गुण होते हैं। एक शिक्षक अपने छात्रों की सफलता में अत्यधिक गर्व और व्यक्तिगत सफलता महसूस कर सकता है। एक अच्छा शिक्षक एक छात्र की शैक्षणिक सफलता से परे देख सकता है और उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने का मार्ग खोजने में मदद कर सकता है।

मेरे शिक्षक निबंध 250 शब्द – 300 शब्द (my teacher essay 250 words – 300 words in Hindi)

एक शिक्षक एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसके पास दूसरों को सीखने, मार्गदर्शन करने और किसी समस्या को हल करने में मदद करने के लिए सराहनीय कौशल होता है। शिक्षकों के पास उत्कृष्ट संचार कौशल होना चाहिए ताकि छात्र सब कुछ समझ सकें और आसानी से सीख सकें। शिक्षकों के पास उनके पदनाम या जहां वे पढ़ा रहे हैं, के अनुसार कई साख हैं।

हमारे माता-पिता भी, एक हद तक, शिक्षक के रूप में योग्य होते हैं, भले ही वे गैर-पेशेवर होते हैं, लेकिन वे अभी भी हमारा मार्गदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और हमारे पैदा होने से पहले या उससे पहले भी हमारी मदद करने का संकल्प लेते हैं। शिक्षक भी उस अनुभव के साथ बढ़ते हैं जो उन्हें किसी संस्थान में अध्यापन के वर्षों के दौरान मिलता है। शिक्षक कई पीढ़ियों को अपने सामने बढ़ते हुए देखते हैं और कई बार, उनके व्यक्तित्व को गढ़ने में एक महत्वपूर्ण कारक बन जाते हैं।

किसी को आश्चर्य हो सकता है कि एक शिक्षक होना कितना कठिन हो सकता है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह कोई आसान काम नहीं है। एक शिक्षक होने के नाते अपने शिक्षण के मामले में कुशल होना और अवधारणाओं को आसानी से समझाने में बहुत अच्छा होना, इसके अलावा, एक शिक्षक के पास प्रत्येक छात्र की प्रगति को समझने और गतिशील शिक्षा के साथ परिवर्तन पर काम करने के लिए जबरदस्त अवलोकन कौशल भी होगा। वर्तमान में प्रणाली।

इसके अलावा, एक शिक्षक होने का अर्थ यह भी है कि आप अपने छात्रों के ज्ञान, और पढ़ाए गए विषय पर दक्षता का परीक्षण करने में सक्षम हों और बाद में उन लोगों की मदद करें जो मूल्यांकन के परिणामों से स्पष्ट रूप से समझ नहीं पाए। इसलिए, हिंदू धर्म में शिक्षकों के महत्व को बेहतर ढंग से व्यक्त करने के लिए, ‘गुरु’ को अक्सर भगवान और माता-पिता के समान आसन दिया जाता है। किसी की सफलता के पीछे हमेशा एक शिक्षक का योगदान होता है।

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मेरे शिक्षक निबंध 500 शब्द (my teacher essay 500 words in Hindi)

माई फेवरेट टीचर यात्रा के मार्ग का मार्गदर्शन और निर्देशन करने के लिए मूल्यवान पाठ प्रदान करते हैं और पूरे स्कूल-जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। वे हर छात्र के जीवन में सकारात्मकता और नकारात्मकता का संतुलन हासिल करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, एक सिक्के की तरह, शिक्षकों की दो श्रेणियां हैं- सख्त शिक्षक और समझदार शिक्षक। एक समझदार शिक्षक शिक्षण परिदृश्यों में सुधार करता है।

प्रत्येक शिक्षक का सबसे बड़ा अधिकार अपने छात्रों की उपलब्धियां होती हैं जिन्हें वे संजोते हैं। उनका मुख्य लक्ष्य अपने छात्रों को सामान्य समाज और पूरे राष्ट्र में एक व्यक्ति के रूप में हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करना है। देश की भविष्य की उन्नति शिक्षक पर टिकी हुई है कि वह छात्रों को सफल उपलब्धि हासिल करने के लिए तैयार करे। वे महत्वपूर्ण संदेश देते हैं जो आवश्यक जीवन कारकों को प्राप्त करने के लिए परिस्थितियों की जांच करते हैं।

भारत में शिक्षकों के लिए मूल्यवान जीवन-पाठ और प्रेम को मनाने के लिए, हम भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में लगातार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के वार्षिक उत्सव की सराहना करते हैं। भारत में डॉ. एस. राधाकृष्णन, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, स्वामी विवेकानंद, प्रेमचंद जैसे महान शिक्षक हैं, और कई ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने आगे बढ़ने के लिए मूल्यवान सबक दिए हैं।

शिक्षक महान रोल मॉडल होते हैं जो छात्र के निर्णयों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने शिक्षक के कारण एक महान एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में अपना स्थान हासिल किया। पक्षी कैसे उड़ते हैं, इस पर श्री शिव सुब्रमण्यम अय्यर की शिक्षा ने समाज में डॉ कलाम के योगदान को प्रभावित किया।

पुश्तैनी युग के दौरान गुरु को भी गुरु के रूप में संबोधित किया जाता था, जो गुरुकुल प्रणाली के माध्यम से आध्यात्मिक और शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करता था, और छात्र ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपने गुरु के साथ रहते थे।

एक रोल मॉडल वह व्यक्ति होता है जो कुछ महान हासिल करने की क्षमता को प्रेरित करता है। हर छात्र के जीवन में माता-पिता के बाद शिक्षक सबसे प्रभावशाली व्यक्ति होते हैं। प्रत्येक बच्चा सबसे पहले प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के माध्यम से सीखता है। फिर, छात्र का अगला चरण मध्य विद्यालय का शिक्षक होता है, जो आवश्यक किशोर संक्रमणों के माध्यम से छात्रों का मार्गदर्शन करता है। छात्र जीवन से संबंधित कई प्रश्नों के साथ अपनी मध्य विद्यालय यात्रा के माध्यम से युवा वयस्कों के रूप में परिपक्व होते हैं। एक हाई स्कूल शिक्षक छात्र के जीवन के नए चरण के प्रश्नों के लिए मार्गदर्शन और मूल्यों को प्रदान करने में मदद करता है। प्रत्येक शिक्षक की सर्वोच्च संतुष्टि या उपलब्धि यह है कि सम्मान के माध्यम से सफलता प्राप्त करने के लिए छात्रों को बढ़ते हुए देखें।

प्रत्येक छात्र के जीवन के प्रारंभिक चरणों के दौरान शिक्षकों का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। छोटे छात्र शिक्षकों में अत्यधिक विश्वास रखते हैं और उसी के अनुसार सुनते हैं। यह छात्रों पर शिक्षक के प्रभाव के महत्व को दर्शाता है। जैसे-जैसे कोई बड़ा होता है, और कॉलेज की ओर जाता है, तब शिक्षक मित्र और संरक्षक बन जाते हैं जो जीवन की महान उपलब्धियों के लिए प्रेरित करते हैं। शिक्षक अनजाने में छात्रों को महत्वपूर्ण, मूल्यवान जीवन पाठ प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, जब किसी छात्र को चोट लगती है, तो शिक्षक उसे अस्पताल में सहायता करता है जिससे छात्र सुरक्षित महसूस करता है। वे स्कूल में माता-पिता की भूमिका निभाते हैं।

एक शिक्षक न केवल सलाह देता है, बल्कि समय बढ़ने पर वे विभिन्न भूमिकाएँ भी अपनाते हैं। समय के साथ, वे दुखी होने पर दोस्त बन जाते हैं, चोट लगने पर माता-पिता और महान सलाहकार। इस प्रकार, शिक्षक महान गुरु होते हैं जो एक छात्र के जीवन को प्रभावित करते हैं और उसे आकार देते हैं। उनमें कई विशेषताएं हैं जो प्रत्येक छात्र के जीवन में एक विशेष स्थान रखती हैं।

मेरे शिक्षक निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

शिक्षकों के पास कौन से आवश्यक गुण हैं.

शिक्षक एक दयालु, मिलनसार, धैर्यवान, देखभाल करने वाले, सक्षम परामर्शदाता, खुले विचारों वाले और सुलभ जैसे कई गुण रखते हैं।

एक प्रभावी शिक्षक के रूप में किसे माना जाता है?

एक प्रभावी शिक्षक एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित औपचारिक व्यक्ति होता है जो सभी छात्रों को पूरा करता है, शिक्षण अवधि को अधिकतम करता है, छात्रों की निगरानी करता है, अपेक्षाओं का उच्च उत्साह रखता है, और उनकी क्षमता और शिल्प को दर्शाता है।

एक शिक्षक की जिम्मेदारी क्या है?

एक जिम्मेदार शिक्षक दैनिक पाठ योजना तैयार करता है और अपने छात्रों को सभी स्तरों पर शिक्षित करता है। वे अपने छात्रों को होमवर्क, ग्रेड और हर छात्र की प्रगति का दस्तावेजीकरण करते हैं। वे विभिन्न विषयों पर छात्रों को निर्देश देते हैं कि यह सुनिश्चित करें कि उनके छात्र आकर्षक अध्ययन योजनाओं के साथ पहुंचें।

शिक्षक बनने में कितना समय लगेगा?

एक पेशेवर शिक्षक बनने से पहले, जो एक शैक्षणिक संस्थान में पढ़ाएगा, किसी को स्कूल पूरा करना होगा, फिर तीन या चार साल का कॉलेज, और शायद शिक्षक बनने के लिए दो साल का प्रशिक्षण।

क्या कोई ऐसी तारीख है जो पूरी तरह से शिक्षक दिवस के रूप में पहचानती है?

हाँ वहाँ है। यूनेस्को ने हर साल 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस के रूप में पेश किया जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा सकता है।

क्या अध्यापन पेशा वही है जो बीस साल पहले था?

आपके प्रश्न का उत्तर नहीं है, क्योंकि शिक्षा क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है, और इसी तरह शिक्षण पद्धतियां भी हैं। जब हमारे माता-पिता को शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता था, तब से लेकर अब तक कई बदलाव हुए।

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in hindi): शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में लिखें

भारत जैसे देश में गुरुओं को हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है। यहाँ तक कि उन्हें भगवान और माता-पिता से भी ऊपर का स्थान दिया गया है। ऐसे में शिक्षक दिवस भारत देश में कोई आम दिन नहीं रह जाता। देश भर में शिक्षकों और गुरुओं के प्रति अगाध आस्था है जिसके चलते उनको बहुत सम्मान दिया जाता है और शिक्षक दिवस भारत देश में विशेष महत्व का दिन बन जाता है। यही वजह है कि शिक्षक दिवस पर भारत के हर छोटे-बड़े स्कूल, कोचिंग सेंटर, कॉलेज आदि के छात्र इस दिन को विशेष बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी अपने गुरुओं, शिक्षकों तथा मार्गदर्शकों को याद करते हैं। इस निबंध में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है, शिक्षक दिवस पर निबंध कैसे तैयार करें, शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in Hindi) तैयार करने के लिए उपयोगी सामग्री उपलब्ध कराई गई है।

शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi)

शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाते हैं, शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi), शिक्षक दिवस कोट्स (teachers day quotes in hindi).

शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in hindi): शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में लिखें

शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी अपने जीवन में शिक्षकों के योगदान और उनसे जुड़े अपने अनुभव साझा करते हैं, गुरुओं के महत्व और इसे मनाए जाने के कारण को भी शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों में जगह दी जाती है। इस दिन आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान छात्र अपने शिक्षकों के सामने शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) भी देते हैं। कई जगहों पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जहां छात्रों को शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में या फिर शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) में बोलने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन के विशेष महत्व की वजह से कई बार स्कूलों में परीक्षा में शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (teachers day essay in hindi) लिखने के लिए भी कहा जाता है।

ये भी देखें :

  • स्वामी विवेकानंद पर निबंध पढ़ें
  • शिक्षक दिवस पर भाषण पढ़ने के लिए देखे

कुल मिलाकर देखा जाए तो शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) एक ऐसा विषय है जिस पर हर छात्र से कभी न कभी प्रश्न तो पूछा ही जाता रहा है। कभी किसी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने को कहा जाता है, तो कभी सर्दी या गर्मियों की छुट्टियों में होमवर्क के तौर पर शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने का कार्य दे दिया जाता है। इसके अलावा कभी-कभी तो रिश्तेदारों के सामने अभिभावक ही बच्चों से शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने या शिक्षक दिवस भाषण देने या शिक्षक दिवस पर विचार व्यक्त करने को कह देते हैं। कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जिनकी हिंदी बेहतर नहीं होती है, ऐसे में उन्हें शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (teachers day essay in hindi) या फिर शिक्षक दिवस पर भाषण हिंदी में (teachers day speech in hindi) तैयार करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असल में शिक्षक दिवस पर निबंध और शिक्षक दिवस पर भाषण की सामग्री में विशेष अंतर नहीं होता, अंतर होता है अभिव्यक्ति के माध्य में। शिक्षक दिवस पर निबंध में विचार जहाँ लिखकर व्यक्त किए जाते हैं, वहीं शिक्षक दिवस पर भाषण में उन्हें बोलकर बताया जाता है। शिक्षक दिवस पर भाषण में विचार जिस मंच पर साझा किया जाना है, उसके श्रोताओं का भाषण के शुरू और अंत में अभिवादन करने की भी आवश्यकता होती है। शेष बातें शिक्षक दिवस पर निबंध और भाषण में एक जैसी ही रहेंगी।

ये भी पढ़ें : हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

यही वजह है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर पूर्ण ज्ञान प्रदान करने और आपकी जानकारी को बढ़ाने के लिए हम इस 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) लिखने का छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) से आपके अंदर न सिर्फ शिक्षक दिवस पर निबंध (teachers day essay in hindi), बल्कि अन्य विषयों पर भी निबंध को लिखने की एक समझ विकसित होगी, जिससे आपका मनोबल भी ऊंचा होगा। हालांकि, हम आपसे अनुरोध करेंगे कि बजाय इसके कि आप इस शिक्षक दिवस निबंध (shikshak diwas nibandh) को पूरा कॉपी करें, बेहतर होगा कि इस शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) का उपयोग, बस ज्ञान लेने व शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (shikshak diwas essay in hindi) लिखने व समझने की सामग्री के तौर पर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि इस विषय को बेहतर तरीके से समझ लेने से न सिर्फ आप आज, बल्कि भविष्य में भी अपने चयनित शब्दों में एक बेहतरीन शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) लिखने के साथ-साथ शिक्षक दिवस पर भाषण भी बेहद आसानी से लिख व दे पाएंगे। इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों (teachers day essay in hindi in 100 words) में या फिर शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) लिखने या बोलने हेतु शिक्षक दिवस के लिए सभी महत्वपूर्ण बिंदु भी दिए गए हैं, जोकि आपको इस लेख के अंत में मिलेंगे।

महत्वपूर्ण लेख :

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  • 10वीं क्लास से नीट की तैयारी कैसे करें

शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) की शुरुआत करने से पहले आइए सबसे पहले शिक्षक दिवस के इस मौके पर पूज्य शिक्षकों की स्तुति करते हुए शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करें। इसके लिए दोनों हाथों को जोड़कर निम्नलिखित मंत्रों का पाठ करें :

1 - गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।

गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।

2 - ॥ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्॥

आपको बताते चलें कि निम्नलिखित लेख शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day) के प्रारूप में लिखा गया है। हालांकि आप इसका उपयोग शिक्षक दिवस पर भाषण हिंदी में (teachers day speech in hindi) देने के लिए भी कर सकते हैं। शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) देने से पहले निम्नलिखित निबंध से पहले भाषण स्थल पर मौजूद अतिथि व दर्शकों / श्रोताओं का अभिवादन करें। इसके बाद निम्नलिखित शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak divas nibandh) का उपयोग आप शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) की तरह कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण लेख:

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  • छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं टाइम टेबल
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शिक्षक दिवस का क्या महत्व है? (Importance of teachers day)

शिक्षक का हर मानव के जीवन में विशेष स्थान होता है। यह शिक्षक ही है, जो किसी मनुष्य को इंसान बनाता है। शिक्षक का स्थान मानव जीवन में भगवान और माता-पिता से भी ऊपर है। यही वजह है कि शिक्षक के बारे में जितना भी कहा जाए कम ही है। तभी तो स्वयं कबीर दास जी इस विषय पर कहते हैं:-

सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय।

सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥

इसका अर्थ यह है कि यदि सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए, साथ ही सातों समुद्र की स्याही बना ली जाए और क्यों न सभी जंगलों की कलम भी बना ली जाए, लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षक की महिमा का संपूर्ण गुण-गान किया जा सके, यह मुमकिन नहीं है।

भारत में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य की परंपरा का बहुत अधिक महत्व रहा है। हमारी संस्कृति के निमार्ण में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत अधिक योगदान है। मानव के जीवन निर्माण के सभी स्तंभों में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसलिए ही कहा जाता है कि -

गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि इंसान की सबसे पहली गुरु उसकी माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही विशाल और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं। इसलिए ही कबीर कहते हैं :

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।

अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥

इस दोहे का अर्थ यह है कि शिक्षक उस कुम्हार की तरह है जो अपने छात्र रूपी घड़े की कमियों को दूर करने के लिए भीतर से हाथ का सहारा देकर बाहर से थापी से चोट करता है। ठीक इसी तरह शिक्षक भी कभी-कभी शिक्षक छात्रों पर क्रोध करके भी उसके चरित्र का निर्माण करते हैं तथा उन्हें बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यही वजह है कि शिक्षक और शिक्षक दिवस का महत्व भारतीय संस्कृति में कहीं ज्यादा है।

यह तो हुई शिक्षक की विशेषताओं के बारें में चर्चा अब शिक्षक दिवस का आरंभ और यह क्यों मनाया जाता है, इसके बारे में विचार करते हैं।

भारत में भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ. राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। डॉ. राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल, 1975 को हुआ था। भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के सम्मान में ही उनके जन्म दिवस पर भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई। भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।

वैसे तो विश्व भर में 100 से भी अधिक देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, मगर अन्य देशों में यह दिवस अलग-अलग दिन पर मनाया जाता है। भारत में यह दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है। इस दिन विश्व के सभी शिक्षकों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए भी सम्मानित किया जाता है।

शिक्षक, शिक्षक दिवस और जनहित में उनका योगदान

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण कहा करते थे कि : “पुस्तकें वह साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के मध्य पुल बनाने का कार्य कर सकते हैं।”

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण का यह कथन न सिर्फ सत्य और अपने आप में प्रासंगिक है, बल्कि दो संस्कृतियों के साथ-साथ मनुष्यों के मध्य भी बेहतर संबंधों का निर्माण करने हेतु शिक्षा बहुत आवश्यक है।

शिक्षा के प्रसार से ही किसी समाज या किसी देश का निर्माण हो सकता है। शिक्षित होना हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है। बेहतर जीवन की परिकल्पना में शिक्षा आधार का कार्य करती है। इसके साथ ही एक बेहतर मनुष्य होने में भी शिक्षा एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करती है। यह मनुष्य को दूरद्रष्टा बनाकर उसके भीतर विचारों के प्रवाह को सही दिशा प्रदान करने जैसा जरूरी कार्य करती है, लेकिन यह केवल तभी संभव है जब मनुष्य को एक सही शिक्षक मिले जो उसे सही दिशा प्रदान करे। मनुष्य को योग्य बनाने का कार्य शिक्षक द्वारा ही किया जाता है।

शिक्षक हमारे जीवन में मार्गदर्शन का कार्य करते हैं। जीवन में आने वाले संघर्षों का तटस्थता के साथ सामना करने के लिए हमें शिक्षक ही तैयार करते हैं। ताकि हम कभी जीवन में किसी के सामने न झुकें। बेहतर जीवन की परिकल्पना शिक्षा के बिना अधूरी है और शिक्षा के साथ-साथ जीवन में मौलिकता तथा शिष्टाचार प्राप्त करना भी बेहद जरुरी है। शिक्षित होने के साथ-साथ व्यक्ति का शिष्ट होना बेहद आवश्यक है, यदि व्यक्ति शिष्ट है तब ही तो वह मानव है और यदि नहीं है तो उसे पशु की उपाधि दी जाती है। यह शिष्टता प्राप्त करने के लिए ही हम गुरु के सानिध्य में आते है, ताकि हम बेहतर जीवन प्राप्त करने के साथ-साथ बेहतर इंसान भी बन सके। इसिलए भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी कहते थे :

“भगवान हम सबके भीतर है, महसूस करता है और कष्ट सहता है और समय के साथ उनके गुण, ज्ञान, सौन्दर्य और प्रेम हममें से हर एक के मन में उजागर होंगे”

शिक्षक दिवस मूलतः इसलिए मनाया जाता है, ताकि हम अपने सभी शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता जता सकें। उन्हें हमें बेहतर शिक्षा प्रदान करने तथा हमारे व्यतित्व का निर्माण करने के लिए धन्यवाद देना ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य है। एक राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों का योगदान अतुल्य है, जिसके लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जाए कम है। एक राष्ट्र विकसित तब ही हो सकता है, जब उसके शिक्षक योग्य हों। वैसे तो विश्व के सभी शिक्षक पूजनीय हैं, मगर कुछ शिक्षक ऐसे भी हुए जिन्होंने अपने कार्यों से भारत को सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाने का कार्य किया। वैसे तो इनकी सूची लंबी है, मगर इसमें राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद, डॉ भीम राव अम्बेडकर, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे शिक्षक थे, जिन्होंने अपने राष्ट्र के निर्माण में अनंत योगदान प्रदान किया।

सामाजिक तौर पर मनुष्य का साथ रहना, मनुष्य का स्वभाव है। समाज कई लोगों से मिलकर बनता है, जिसमें अच्छे व बुरे, दोनों ही तरह के लोग होते हैं। जाहिर है कि अच्छे लोगों ने समाज को कुछ बेहतर बनाने की कोशिश की, तो वहीं बुरे लोगों की वजह से समाज में बुराइयाँ, कुंठा, घृणा, कुरीतियाँ आदि जैसी चीजों ने भी जन्म लिया। ऐसे में हमारे शिक्षकों ने अपने योगदान के माध्यम से उन कुंठाओ, कुरीतियों, अज्ञानता आदि को दूर करने का प्रयास किया है। आज भी हमारे देश में कई ऐसे शिक्षकों के उदाहरण मिलते हैं, जिनके बारे में सुनकर हमारा ह्रदय गौरवान्वित हो उठता है। अभी हाल ही में सोनम वांगचुक जैसे वैज्ञानिक का उदाहरण हमारे सामने आया, जो लद्दाख जैसे सुदूर क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ नए-नए अविष्कार भी कर रहे हैं। यह केवल एक उदाहरण है। ऐसे हमारे देश में ऐसे न जाने कितने उदाहरण होंगे जिसका हमें पता तक नहीं चल पाता है। देखा जाए तो शिक्षक एक राष्ट्र या समाज के वो सुपरहीरोज हैं, जो अपनी पहचान के लिए तरसे बगैर लगातार समाज को बेहतर करने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं।

हमारे शिक्षकों का ही योगदान है जो आज हमारा देश तेजी से सफलता के मार्ग पर अग्रसर है। आज विश्वभर में भारतीय हर क्षेत्र में अपने देश का नाम रौशन कर रहें है। आज विश्व का हर चौथा डॉक्टर या इंजीनियर एक भारतीय ही है। विज्ञान के क्षेत्र में हम अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के समकक्ष खड़े हैं। राजनीति, अर्थशास्त्र, कला आदि क्षेत्रों में भी भारतीयों के कार्य को विश्वभर में सराहा जाता है और न जाने कितने ही भारतीय इन क्षेत्रों में विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इसके अलावा इस देश की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। मगर इतना कुछ एक विकासशील देश के लिए आखिर मुमकिन हो कैसे पाया? जाहिर है, यह मुकाम हमारे देश के शिक्षकों के बगैर नामुमकिन था, जिसक लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जा सके, उतना कम है। शिक्षकों के बिना एक स्वस्थ और शालीन समाज व राष्ट्र की कल्पना भी बेईमानी है।

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हम उम्मीद करते हैं कि शिक्षक दिवस निबंध (essay on teachers day in hindi) आपको पसंद आया होगा। हालांकि इसके बावजूद भी कई ऐसे छात्र होंगे, जो किसी परीक्षा के दृष्टिकोण से शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas nibandh) लिखने की सोच रहे हैं, ऐसे में वे भविष्य में शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas nibandh) लिखने के लिए नीचे दिए गए 10 महत्वपूर्ण बिन्दुओं या फिर कहें तो शिक्षक दिवस पर पैराग्राफ (paragraph on teachers day in hindi) को याद रख सकते हैं तथा अपनी सुविधा अनुसार इसे विस्तृत कर परीक्षा में लिख सकते हैं। साथ ही इन 10 महत्वपूर्ण बिन्दुओं को याद रखने से आपको शिक्षक दिवस पर भाषण (teachers day speech in hindi) लिखने में भी सहायता मिलेगी। इसके अलावा इन बिंदुओं की सहायता लेते हुए छात्र छोटे लेख जैसे कि शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में (shikshak diwas par nibandh) भी लिख सकते हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) में ये रहे :

भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी।

पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

डॉ राधाकृष्‍णन का देहांत चेन्नई में 17 अप्रैल, 1975 को हुआ था।

भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस विश्व भर के 100 से भी अधिक देशों में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस के दिन देश भर के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के सम्मान में छात्रों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

छात्र इस दौरान अपने शिक्षकों के सम्मान में, उनकी महत्ता का बखान करते हुए शिक्षक दिवस पर भाषण देते हैं। साथ ही कई जगहों पर इस दिन छात्र अपने शिक्षकों को उपहार भी भेंट में देते हैं।

एक राष्ट्र विकसित तब ही हो सकता है, जब उसके शिक्षक योग्य हों।

शिक्षकों के बगैर इस देश का विकास नामुमकिन था, जिसक लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जा सके, उतना कम है। शिक्षकों के बिना एक स्वस्थ और शालीन समाज व राष्ट्र की कल्पना भी बेईमानी है।

हम आशा करते हैं कि शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) या फिर कहें तो शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par speech) से निबंध/भाषण संबंधी आपकी सभी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। आपको बताते चलें कि शिक्षक दिवस पर निबंध / शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par nibandh / shikshak diwas par speech) के साथ-साथ आप अन्य विषयों पर भी हमारे लिखे निबंध / भाषण इस लेख में उपलब्ध लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध / शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par nibandh / shikshak diwas par speech) के अलावा कई छात्र शिक्षक दिवस को विशेष बनाने के लिए रंग-बिरंगे पोस्टर्स तैयार करते हैं, जिस पर वे शिक्षकों को लेकर महापुरुषों के कथन / विचार (teachers day quotes) चाहते तो हैं, मगर उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) के अलावा दस शिक्षक दिवस कोट्स (teachers day quotes) नीचे दिए हैं -

इन्हें भी देखें :

सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर

यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट

यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड

आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

Frequently Asked Question (FAQs)

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है ।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने अपने जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा व्यक्त की थी। उनके सम्मान में ही भारत में प्रत्येक वर्ष उनकी जन्मतिथि को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितम्बर 1962 को पहला शिक्षक दिवस मनाया गया था ।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है।

भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है।

शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) की शुरुआत डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन परिचय से की जा सकती है। इसके बाद व्यक्तिगत जीवन में शिक्षकों के महत्व के साथ-साथ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान के लिए उनका धन्यवाद करते हुए इसे खत्म किया जा सकता है। विस्तृत जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

1962 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। उन्होंने छात्रों से समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को बताने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। उसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

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शिक्षक पर निबंध-Essay On Teacher In Hindi

शिक्षक पर निबंध (essay on teacher in hindi) :.

essay for teacher in hindi

भूमिका : शिक्षक भगवान द्वारा दिया गया एक सुंदर उपहार होता है। एक शिक्षक भगवान की तरह होता है क्योंकि भगवान पूरे संसार का निर्माता होता है और एक शिक्षक अच्छे राष्ट्र का निर्माता होता है। एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक एक ऐसा महत्वपूर्ण प्राणी होता है जो अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देख-भाल से उसके पूरे जीवन को एक मजबूत आकार देता है।

एक शिक्षक के पास बहुत सारे गुण होते हैं। वह अपने विद्यार्थी के जीवन को सफल बनाने में हर प्रकार से दक्ष होता है। एक शिक्षक बहुत समझदार होता है। एक शिक्षक को यह पता होता है कि विद्यार्थी का मन पढाई में कैसे लगाते हैं। पढाई के दौरान एक शिक्षक रचनात्मकता का इस्तेमाल करता है जिससे विद्यार्थी एकाग्र हो सके।

एक शिक्षक ज्ञान का भंडार होता है और उसके पास धैर्य और विश्वास होता है जो विद्यार्थियों के भविष्य की जिम्मेदारी लेता है। शिक्षक का उद्देश्य केवल अपने विद्यार्थियों को सफल और खुश देखना होता है। शिक्षक समाज में बहुत प्रतिष्ठित लोग होते हैं जो अपनी शिक्षा के जादू के माध्यम से आम लोगों की जीवन शैली और दिमागी स्तर को बढ़ाने की जिम्मेदारी लेते हैं।

अपने बच्चों के लिए माता-पिता एक शिक्षक से बहुत उम्मीदें करते हैं। एक शिक्षक की भूमिका कक्षा से लेकर खेल तक सभी छात्रों के लिए बदलती रहती है। हर किसी के जीवन में शिक्षक एक महत्वपूर्ण प्राणी होता है जो हमारे जीवन में अलग-अलग कार्य करता हुआ प्रतीत होता है।

शिक्षक का महत्व : एक शिक्षक का सिर्फ विद्यार्थी जीवन में ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान और महत्व होता है। शिक्षक के पास सभी गुण होते हैं जिन्हें वह अपने विद्यार्थियों में बाँट देता है। शिक्षक को पता होता है कि सबके पास ग्रहण करने की एक सी क्षमता नहीं होती है इसलिए एक शिक्षक अपने प्रत्येक छात्र की क्षमता का अवलोकन करता है और उसी के अनुसार वह बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने में मदद करता है।

एक शिक्षक ज्ञान, स्मृद्धि और प्रकाश का बड़ा स्त्रोत होता है जिससे जीवन भर के लिए लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हर शिक्षक अपने विद्यार्थी को उनका रास्ता चुनने में मदद करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक शिक्षक ही होता है जो अपने विद्यार्थी को बड़ों का आदर और सम्मान करना सिखाता है।

वह अपने विद्यार्थी को उचित-अनुचित, धर्म-अधर्म, मान-अपमान के बीच के भेद को स्पष्ट रूप से समझाता है। एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी को ज्ञान, कौशल और सकारात्मक व्यवहार से सज्जित करते हैं जिसकी वजह से विद्यार्थी कभी भी कुछ खोया हुआ महसूस नहीं करते हैं।

वह उन्हें समय के सदुपयोग, समय के नियम और समय की पाबंदी के बारे में ज्ञान कराता है। वो अपने विद्यार्थियों को शिक्षा के लक्ष्य के बारे में हमेशा समझाते रहते हैं। एक अच्छा शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों पर एक अच्छा प्रभाव छोड़ता है। जब कोई भी विद्यार्थी गलती करता है तो शिक्षक उसे इसका सबक सिखाते हैं और उसकी गलती का भी एहसास दिलाते हैं।

एक शिक्षक ही उन्हें होने वाली बिमारियों से बचने के अच्छे तरीके बता सकता है और उन्हें बिमारियों से बचाने के लिए प्रयास भी करता है। एक शिक्षक हमें साफ सुथरे वस्त्र पहनने, स्वस्थ खाना खाने, गलत भोजन से दूर रहने, अपने माता-पिता का ध्यान रखने, दूसरों से अच्छा व्यवहार करने और अपना कार्य पूर्ण करने के महत्व को समझाता है।

बच्चे का भविष्य और वर्तमान दोनों ही एक शिक्षक बनाता है। जीवन भर अच्छे विद्यार्थियों का निर्माण करके वह एक अच्छे समाज को भी बढ़ावा देता है। एक शिक्षक को ही पता होता है कि उसका छात्र किस प्रकार की संगति में रहता है और किस प्रकार की संगति को धारण करता है।

शिक्षक की लोकप्रियता का कारण : एक शिक्षक बिना किसी स्वार्थ के हमें सफलता का रास्ता दिखाता है। शिक्षक एक अच्छे व्यवहार और नैतिकता के व्यक्ति के लिए बहुत अच्छी तरह से विद्यार्थी को शिक्षित करते हैं। शिक्षक विद्यार्थी को अकादमिक रूप से बेहतरीन बनाते हैं और जीवन में हमेशा अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

एक शिक्षक कभी भी अपने अच्छे और बुरे विद्यार्थियों में भेदभाव नहीं करता उसके लिए सभी विद्यार्थी एक समान होते हैं। एक शिक्षक अपने प्रयासों से कमजोर बच्चे को भी समझदार बना देता है और उसे प्रगति के मार्ग पर ले आता है। एक महान शिक्षक अपने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है।

जो छात्र दूसरे छात्रों से अलग होते हैं वो उन्हें अलग प्रकार से समझाते हैं जिससे वे भी शिक्षा ग्रहण कर सकें। एक शिक्षक निस्वार्थ भाव से अपने प्रत्येक छात्र को शिक्षा देता है और उससे अपने जीवन में प्रगति करने के योग्य बनाता है। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती है।

एक अच्छा शिक्षक ही अपने सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखता है। एक अच्छा शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों के खाने की आदत, स्वच्छता का स्तर, दूसरों से व्यवहार, और पढाई की ओर एकाग्रता के बारे में जानता है। शिक्षक कभी भी अपना धैर्य नहीं खोता है और हर विद्यार्थी को उसके अनुसार पढाता है। एक शिक्षक हमेशा पाने विद्यार्थियों को अच्छी और ज्ञानपूर्ण बातें ही बताता है।

जीवन में विजय और सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा एक बड़ी शक्ति होती है इसी लिए देश के भविष्य को और युवाओं के जीवन की जिम्मेदारी शिक्षक को दी जाती है। एक शिक्षक ही बच्चों को बचपन से सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से काबिल बनाता है।

कक्षा में आने से पहले ही शिक्षक अपने शिक्षा के विषय को सुनिश्चित कर लेता है। शिक्षकों के पढ़ाने की खासियत अलग होती है वे विषयों के अनुसार अपने ज्ञान, कौशल, और व्यवहार को बदल लेते हैं। वे अपने जीवन का सबसे बहतरीन प्रयास करते हैं और हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करते हैं।

शिक्षक बनने के लिए परिश्रम : एक अच्छा शिक्षक बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है। हमेशा अपने से बड़ों का आदर करो और उनकी हर बात मनो। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए और उनकी किसी भी बात को काटना नहीं चाहिए। माता-पिता और बड़ों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। समाज के और अपनी शिक्षा के प्रति एकाग्रता को बढ़ाना चाहिए।

अपने शिक्षक द्वारा दी जाने वाली शिक्षा को ग्रहण करना चाहिए और परीक्षा के अच्छे परिणाम के लिए बहुत मेहनत करनी चाहिए। एक अच्छा शिक्षक बनने के लिए ह्रदय में एकता का भाव होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं करना चाहिए। हर किसी को एक नजर से देखना चाहिये। अपने से छोटों को हमेशा अच्छे बातें बतानी चाहियें और सहपाठियों से हमेशा एकता बनाकर रखनी चाहिए। अपने शिक्षक से हमेशा प्रेरणा लेनी चाहिए।

उपसंहार : एक शिक्षक का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। शिक्षक के बिना जीवन में कोई भी मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से विकास नहीं कर सकता है। शिक्षक कभी भी बुरे नहीं होते हैं यह केवल उनकी शिक्षा देने के तरीके पर निर्भर करता है जो एक-दूसरे से अलग होता है और विद्यार्थियों के दिमाग में उनकी छवि को बनाता है।

योग्य शिक्षकों को सरकार द्वारा सम्मानित किया जाता है। शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्यालयों में विशेष समारोह होता है जिसमें बच्चे बड़े ही उत्साह के साथ भाग लेते हैं। राष्ट्रपति जी के द्वारा योग्य शिक्षकों को पद और पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।

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शिक्षक पर निबंध – Essay on Teacher in Hindi

Teacher Essay in Hindi: दोस्तो आज हमने  शिक्षक पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

शिक्षक पर निबंध – Essay on Teacher in Hindi

शिक्षक भगवान से हमें एक विशेष आशीर्वाद हैं। वे ही हैं जो एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करते हैं और दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाते हैं। एक शिक्षक हमें एक तलवार के ऊपर एक कलम का महत्व सिखाता है। वे समाज में बहुत सम्मानित हैं क्योंकि वे लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करते हैं। वे समाज के निर्माण खंडों की तरह हैं जो लोगों को शिक्षित करते हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनाते हैं।

My Favorite Teacher Essay in Hindi

इसके अलावा, शिक्षकों का समाज और उनके छात्र के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वे माता-पिता के जीवन में भी बहुत महत्व रखते हैं क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों के लिए शिक्षकों से बहुत उम्मीद करते हैं। हालांकि, हर पेशे की तरह, अच्छे और बुरे दोनों शिक्षक हैं। जबकि कई बुरे शिक्षक नहीं हैं, फिर भी संख्या महत्वपूर्ण है। एक अच्छे शिक्षक में वे गुण होते हैं जो एक बुरे शिक्षक के पास नहीं होते हैं। एक अच्छे शिक्षक के गुणों की पहचान करने के बाद हम शिक्षण परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए काम कर सकते हैं।

एक अच्छा शिक्षक

एक अच्छा शिक्षक ढूंढना इतना कठिन नहीं है, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि कहाँ देखना है। अच्छे शिक्षक अपने शिक्षा के लक्ष्यों के लिए पहले से तैयार रहते हैं। वे अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए हर दिन अपनी कार्य योजना तैयार करते हैं। शिक्षकों को हर चीज के बारे में बहुत ज्ञान होता है, विशेष रूप से जिस विषय में वे माहिर होते हैं। एक अच्छा शिक्षक अपने ज्ञान का विस्तार करता है अपने छात्रों को अच्छे उत्तर प्रदान करता रहता है।

इसी तरह, एक अच्छा शिक्षक एक दोस्त की तरह होता है जो हमारी सभी परेशानियों में हमारी मदद करता है। एक अच्छा शिक्षक अपनी व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया बनाता है जो अद्वितीय है और मुख्यधारा नहीं है। इससे छात्रों को बेहतर तरीके से विषय सीखने को मिलता है। दूसरे शब्दों में, एक अच्छा शिक्षक यह सुनिश्चित करता है कि उनके छात्र कुशलतापूर्वक सीख रहे हैं और अच्छे अंक प्राप्त कर रहे हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक अच्छा शिक्षक वह है जो केवल हमारे अकादमिक प्रदर्शन पर नहीं बल्कि हमारे समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। तभी एक छात्र वास्तव में विकसित हो सकता है। इस प्रकार, अच्छे शिक्षक अपने छात्र की समस्याओं को समझेंगे और उनसे सही तरीके से निपटने की कोशिश करेंगे। वे छात्र को ऐसा महसूस कराते हैं कि उनके पास हमेशा यह बात करने के लिए कोई होता है कि क्या वे घर पर या अपने दोस्तों के साथ ऐसा नहीं कर सकते।

एक छात्र के जीवन पर शिक्षकों का प्रभाव

बड़े होकर, हमारे माता-पिता और शिक्षक हमारे जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने वाले पहले व्यक्ति हैं। वास्तव में, छोटे वर्षों में, छात्रों को अपने शिक्षकों पर पूरा भरोसा होता है और वे अपने माता-पिता से अधिक अपने शिक्षकों की सुनते हैं। यह एक शिक्षक के महत्व और प्रभाव को दर्शाता है ।

जब हम बड़े हो जाते हैं और कॉलेज में प्रवेश करते हैं, तो शिक्षक हमारे मित्र बन जाते हैं। कुछ तो हमारे आदर्श बन जाते हैं। वे हमें जीवन में महान काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। हम सीखते हैं कि शिक्षकों द्वारा कैसे निस्वार्थ होना चाहिए। शिक्षक अनजाने में भी एक छात्र को बहुत महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं।

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उदाहरण के लिए, जब स्कूल में किसी छात्र को चोट लगती है, तो शिक्षक उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए शिशु को ले जाता है। इससे एक छात्र सुरक्षित महसूस करता है और वह जानता है कि एक शिक्षक स्कूल में एक अभिभावक की भूमिका निभाता है।

दूसरे शब्दों में, एक शिक्षक केवल एक शिक्षक की भूमिका से नहीं चिपकता है। आवश्यकता पड़ने पर वे विभिन्न भूमिकाओं में ढल जाते हैं। वे हमारे दोस्त बन जाते हैं जब हम दुखी होते हैं, वे हमारे माता-पिता की तरह हमारी देखभाल करते हैं जब हम आहत होते हैं। इस प्रकार, हम देखते हैं कि शिक्षक किसी छात्र के जीवन को कितना प्रभावित करता है और उसे आकार देता है।

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शिक्षक दिवस पर निबंध

Teachers Day Essay in Hindi

विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षक का एक विशेष स्थान होता है। राष्ट्र के भविष्य को सवारने में शिक्षको की महत्त्व भूमिका होती है, उनके की सहायता से एक आदर्श नागरिक का जन्म होता है।

5 सितंबर को हमारे देश में शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, वहीं आज की युवा पीढी को शिक्षकों के महत्व को समझाने एवं गुरु-शिष्य के अनूठे रिश्ते की परंपरा को कायम रखने के लिए आजकल स्कूल-कॉलेजों में इस विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित करवाई जाती है, या फिर कई बार परीक्षा में इस दिवस पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

जीवन में शिक्षक के महत्त्व को समझने के लिए विभिन्न शब्दों एवं आसान और सरल शब्दों में हम यहाँ शिक्षक दिवस पर निबंध –  Teachers Day Essay  उपलब्ध कराने जा रहे है, जो आपके बच्चो और विद्यार्थियों के लिए विविध प्रतियोगिताओ में उपयोगी साबित हो सकते है।

Teachers Day Essay in Hindi

शिक्षक दिवस पर निबंध – Teachers Day Essay in Hindi

हमारी सफलता के पीछे हमारे शिक्षक का बहुत बड़ा हाथ होता है। हमारे माता-पिता की तरह ही हमारे शिक्षक के पास भी ढ़ेर सारी व्यक्तिगत समस्याएँ होती हैं लेकिन फिर भी वह इन सभी को भूलकर रोज स्कूल और कॉलेज आते हैं तथा अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभाते हैं।

कोई भी उनके बेशकीमती कार्य के लिये उन्हें धन्यवाद नहीं देता इसलिये एक विद्यार्थी के रुप में शिक्षकों के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कम से कम साल में एक बार उन्हें जरुर धन्यवाद दें।

शिक्षको के कार्य को समर्पित करते हुए 5 सितम्बर का दिन पुरे देश में शिक्षक दिवस के रूप मनाया जाता है। शिक्षकों को सम्मान देने और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को याद करने के लिये हर साल इसे मनाया जाता है। देश के विकास और समाज में हमारे शिक्षकों के योगदान के साथ ही शिक्षक के पेशे की महानता को उल्लेखित करने के लिये हमारे पूर्व राष्ट्रपति के जन्मदिवस को समर्पित किया गया है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे, जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिए है। वे विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। इसलिये वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने का अनुरोध किया।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था और 1909 में चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापन पेशे में प्रवेश करने के साथ ही दर्शनशास्त्र शिक्षक के रुप में अपने करियर की शुरुआत की।

उन्होंने देश में बनारस, चेन्नई, कोलकाता, मैसूर जैसे कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों तथा विदेशों में लंदन के ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र पढ़ाया है। अध्यापन पेशे के प्रति अपने समर्पण की वजह से उन्हें अपने बहुमूल्य सेवा की पहचान के लिये 1949 में विश्वविद्यालय छात्रवृत्ति कमीशन के अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किया गया।

1962 से शिक्षक दिवस के रुप में 5 सितंबर को मनाने की शुरुआत हुई। अपने महान कार्यों से देश की लंबे समय तक सेवा करने के बाद 17 अप्रैल 1975 को उनका निधन हो गया।

शिक्षक विद्यार्थियो के जीवन के वास्तविकतः कुम्हार की तरह होते हैं, जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। इसी वजह से हमारा राष्ट्र ढ़ेर सारे प्रकाश के साथ प्रबुद्ध हो सकता है।

हमारे शिक्षक हमें शैक्षणिक दृष्टी से तो बेहतर बनाते ही हैं, साथ ही हमारे ज्ञान और विश्वास के स्तर को बढ़ाकर नैतिक रुप से भी हमें अच्छा बनाते है। जीवन में अच्छा करने के लिये वह हमें हर असंभव कार्य को संभव करने की प्रेरणा देते हैं। विद्यार्थी इस शिक्षक दिवस को बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाते है। विद्यार्थी अपने शिक्षकों को ग्रीटिंग कार्ड देकर बधाई भी देते हैं।

हमें पूरे दिल से ये प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि हम अपने शिक्षक का सम्मान करेंगे क्योंकि बिना शिक्षक के इस दुनिया में हम सभी अधूरे हैं।

शिक्षक दिवस पर निबंध – Shikshak Par Nibandh

Shikshak Par Nibandh

प्रस्तावना-

शिक्षकों के सम्मान में एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर 5 सितंबर को हर साल हमारे देश में धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

यह दिवस समाज में न सिर्फ शिक्षकों के महत्व को बताता है, बल्कि शिष्यों के ह्रद्य में अपने शिक्षक के प्रति आदर-भाव की भावना भी प्रकट करता है, क्योंकि गुरु ही अपने शिष्य के जीवन से अंधकार मिटाकर उसे ज्ञान के प्रकाश की तरफ ले जाते हैं, जिससे मनुष्य सफलता हासिल करता है।

गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है और बिना ज्ञान के मनुष्य का जीवन निर्रथक होता है। वहीं गुरुओं की महिमा तो बड़े-बड़े कवियों ने भी अपने श्लोंकों के माध्यम से बताई है और शिक्षकों को इस समाज में भगवान के बराबर दर्जा दिया गया है।

“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है? – When is Teachers Day

हमारे भारत देश में गुरु-शिष्य के अनूठे रिश्ते के बारे में तो वेद-पुराणों में भी बताया गया है। वहीं शिक्षकों के सम्मान में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर हर साल 5 सितंबर को हमारे देश में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

शिक्षक, राष्ट्र निर्माता होते हैं, अपनी ज्ञान की गंगा से शिष्यों के जीवन में अज्ञानता को दूर करते हैं साथ ही एक  सभ्य समाज एवं शिक्षित राष्ट्र का निर्माण करने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाते हैं।

इसलिए यह दिन शिक्षकों को समर्पित दिन है, वहीं इस दिन समाज में उत्कृष्ट काम करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है और देश के पूर्व राष्ट्रपति  डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को याद किया जाता हैं, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन अध्यापन कार्य में समर्पित कर दिया था एवं समाज में शिक्षकों के महत्व को बताने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? – Why is Teachers Day Celebrated

स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रुप में मनाते हैं। 5 सितंबर, 1888 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था।

वे एक अच्छे राजनेता होने के साथ महान शिक्षकविद और अच्छे दार्शनिक भी थे, जिन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय समाज में शिक्षको के महत्व को बताने एवं शिक्षण कार्य की महानता को बताने में व्यतीत कर दिया था, एवं देश के विकास एवं उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

इसलिए उनके सम्मान में हर साल उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर साल 1962 से 1967 तक राष्ट्र की सेवा की थी। आपको बता दें कि साल 1962 में  डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को देश का राष्ट्रपति के रुप में नियुक्त किया गया था।

उसके बाद उनके द्धारा समाज में किए गए महान कामों  के लिए उनके सम्मान में लोगों ने  5 सितंबर के दिन को ‘राधाकृष्णन दिवस’ के तौर पर मनाने का फैसला किया था।

लेकिन, हमेशा ही समाज में शिक्षकों के महत्व को बताने वाले राधाकृष्णन जी ने इसे मनाने से मना कर दिया और 5 सितंबर को उनकी जयंती को मनाने की बजाय ‘शिक्षक दिवस’ के रुप में मनाने की इच्छा जताई थी।

जिसके बाद से हर साल इस दिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। 5 सितंबर, 1962 को हमारे देश में पहली बार शिक्षक दिवस मनाया गया था।

देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी शिक्षकों का काफी सम्मान करते थे।

वे अपने जीवन में करीब 40 साल तक शैक्षणिक कार्य से जुड़े रहे। आपको बता दें कि राजनीती में आने से पहले उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी, मैसूर यूनिवर्सिटी समेत कई शिक्षक संस्थानों में अध्यापक के तौर पर काम किया था। वे अपने छात्रों के पसंदीदा शिक्षक के रुप में जाने जाते थे।

वहीं उन्होंने अपने महान विचारों से लोगों को शिक्षकों के महत्व के बारे में जागरूक किया। इसके साथ ही राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान का उल्लेख किया। इसके साथ ही उन्होंने सभ्य एवं शिक्षित समाज का निर्माण करने वाले शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में अनुरोध किया था।

इसलिए उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है

शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है? – How Is Teachers Day Celebrated

हमारे देश में 5 सितंबर को हर साल धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस को लेकर बच्चे काफी उत्साहित रहते हैं, साथ ही अपने टीचर्स को सम्मानित करने एवं उन्हें स्पेशल महसूस करवाने के लिए विशेष तरह की तैयारियों में कई दिन पहले से ही जुट जाते हैं।

इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों समेत अन्य शिक्षक संस्थानों में विशेष तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है साथ ही इस दिन समाज में उत्कृष्ट काम करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है।

शिक्षक दिवस का दिन हर  शिक्षक और छात्रों के लिए बेहद अहम दिन होता है, इस दिन शिक्षकों के महत्व को छात्रों को समझाने के लिए शिक्षक दिवस पर भाषण , निबंध लेखन समेत कई प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।

इसके अलावा स्कूलों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्र स्लोगन, कविता आदि के माध्यम से शिक्षकों के प्रति अपने भावना को प्रकट करते हैं साथ ही उनका आभार जताते हैं।

इस मौके पर कई छात्र अपने टीचर्स को गिफ्ट या फिर अपने हाथ से बनाया हुआ ग्रीटिंग कार्ड देकर भी इस दिन को खास मनाने की कोशिश करते हैं एवं अपने गुरु-शिष्य के रिश्तों की डोर को मजबूत करते हैं, साथ ही  भारत में गुरु शिष्य की अनूठी परंपरा को कायम करने का संकल्प लेते हैं।

गुरु-शिष्य का रिश्ता बेहद पवित्र एवं अनूठा रिश्ता होता है, जिसमें एक शिक्षक निस्वार्थ भाव से अपने शिष्यों को पढ़ाता है, और एक अभिभावक की तरह अपने छात्र की सफल जीवन की कामना करताहै, हालांकि, वर्तमान में गुरु-शिष्य का रिश्ता महज औपचारिक बन गया है एवं शिक्षक व्यवसाय महज सिर्फ एक पेशा बन चुका है।

जिसमें तमाम शिक्षक, पैसों के लालच में छात्र के भविष्य को अंधकार में डाल रहे हैं, जिसकी वजह से यह रिश्ता तार-तार हो रहा है, और शिक्षक-शिष्य के रिश्ते की गरिमा घट रही है।

वहीं छात्रों और शिक्षकों दोनों का ही फर्ज है कि वे इस रिश्ते के महत्व को समझें एवं गुरु-शिष्य की परंपरा को कायम रखने में अपनी भागीदारी निभाएं।

शिक्षक दिवस, शिक्षकों को अपने दायित्व को याद दिलवाने एवं छात्रों को अपने गुरुओं के सम्मान की याद दिलवाता है। इसलिए, शिक्षक दिवस गुरु-शिष्य दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

शिक्षक दिवस पर निबंध – Paragraph On Teachers Day

Paragraph On Teachers Day

गुरु के बिना मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। शिक्षक, मनुष्य के जीवन का मुख्य आधार होते हैं। शिक्षक का हर किसी के जीवन में बेहद महत्व है। एक शिक्षक, न सिर्फ छात्र का सही मार्गदर्शन कर उनके जीवन को सफल बनाते हैं, बल्कि एक सभ्य एवं शिक्षित समाज के निर्माण में भी मद्द करते हैं।

इसके साथ ही विकसित राष्ट्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इसलिए शिक्षकों के सम्मान में हर साल  5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

शिक्षक, शिष्य एवं ईश्वर के बीच एक सेतु का काम करते हैं। इसलिए शिक्षक को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया हैं, वहीं महान संत कबीर दास ने भी अपने इस दोहे के माध्यम से गुरु की महिमा बताई है –

“गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय।।”

शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है? – Why Teachers Day Celebrated On 5th September

स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति एवं महान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने न सिर्फ अपने जीवन का ज्यादातर समय अध्यापन के कार्य में व्यतीत किया बल्कि समाज के लोगों को शिक्षकों महत्व बताया एवं राष्ट्रनिर्माण में शिक्षकों के योगदान के बारे में जागरूक करने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी एक महान राजनेता होने के साथ-साथ एक अच्छे शिक्षक भी थे। 1962 में देश के राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित होने से पहले उन्होंने अपने जीवन के करीब 40 साल शिक्षक के तौर पर काम किया था, वे समस्त संसार को एक ही स्कूल मानते थे।

उन्होंने, अपने महान विचारों से लोगों को शिक्षकों के महत्व को बताया था, साथ ही शिक्षक की राष्ट्र निर्माण एवं समाज के उत्थान में भूमिका का भी बखान किया था।

डॉ. राधाकृष्णन ने 1962 से 1967 में जब देश के राष्ट्रपति के पद का कार्यभार संभाला था, तब लोगों ने 5 सितंबर को उनके जन्मदिवस को उनके सम्मान में ‘राधाकृष्णन दिवस’ के तौर पर मनाने का फैसला लिया था, लेकिन उन्होंने अपनी जयंती को ‘राधाकृष्णन दिवस’ के तौर पर नहीं बल्कि शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस बनाने का अनुरोध किया था। तभी से इसे शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

वह हमारे देश के ऐसे पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने शिक्षकों के हित के बारे में सोचा और शिक्षकों के महत्व को बताया।

प्रख्यात शिक्षाविद रह चुके डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि एक आदर्श और अच्छा शिक्षक वह होता है जो छात्र को उसके भविष्य में आने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार करे और उसे सक्षम बनाए।

वहीं उनके विचार लोगों को अपनी तरफ काफी प्रभावित करते थे, एवं वे भी छात्रों के पसंदीदा शिक्षक थे, इसलिए शिक्षक दिवस के दिन डॉ. राधाकृष्णनन जी को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।

कौन थे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन? – Who is Dr Sarvepalli Radhakrishnan

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन न सिर्फ देश के सर्वप्रथम उप-राष्ट्रपति एवं दूसरे राष्ट्रपति थे बल्कि वे एक महान शिक्षक, दार्शनिक, भारतीय संस्कृति के संवाहक और प्रख्यात शिक्षाविद थे, जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में हुआ था और शिक्षकों से उनका बेहद लगाव होने की वजह से उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

आपको बता दें कि उन्होंने अपने जीवन के करीब 40 साल अध्यापन कार्य किया। उनकी ख्याति एक प्रख्यात और पसंदीदा शिक्षक के रुप में देश के कोने-कोने में फैली थी। वे न सिर्फ देश की नामचीन शिक्षण संस्थानों में लेक्चर देते थे, बल्कि विदेशों में भी उन्हें शिक्षा पर लेक्च र देने के लिए बुलाया जाता था।

राधाकृष्णन जी का मानना था कि एक शिक्षक के बिना मनुष्य कभी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता एवं उनकी नजरों में एक आदर्श शिक्षक वही होता है, जो कि युवाओं को देश के भविष्य के रुप में तैयार करता है।

देश के विकास में अपना महत्पूर्ण योगदान देने वाले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को साल 1962 में देश का दूसरा राष्ट्रपति के रुप में नियुक्त किया गया था। वहीं 17 अप्रैल 1975 में लंबे समय तक बीमार रहने के बाद उनका निधन हो गया था, लेकिन आज उनके महान कार्यों की बदौलत उन्हें आज भी याद किया जाता है एवं उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस का महत्व – Importance of Teachers Day

शिक्षक दिवस को पूरे भारत देश में बेहद हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है।शिक्षकों के सम्मान में मनाए जाने वाला यह दिन शिक्षक और शिष्य दोनों के लिए बेहद खास दिन होता है।

इन दिन समाज के विकास में अच्छा काम करने वाले शिक्षकों के योगदान के लिए उन्हें सराहा जाता है एवं उन्हें सम्मानित किया जाता है।

आपको बता दें कि एक आदर्श शिक्षक एक सभ्य समाज के साथ-साथ शिक्षित राष्ट्र का भी निर्माण करता है, एवं युवाओं को देश के भविष्य के लिए तैयार करता है एवं जीवन में आने वाली किसी भी परेशानी का मुकाबला करने के सक्षम बनाता है। इसी वजह से यह दिन शिक्षकों के लिए समर्पित किया गया है।

वहीं यह दिवस न सिर्फ शिक्षकों को छात्र के प्रति अपने दायित्वों की याद दिलवाता है, बल्कि छात्रों के मन में भी अपने गुरुओं के प्रति सम्मान का भाव पैदा करता है।

5 सितंबर को शिक्षकों के सम्मान में मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस के मौके पर विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किए जाते हैं, एवं इनके माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को शिक्षक के महत्व को बताया जाता है।

इसके साथ ही यह दिवस गुरु और शिष्य के रिश्ते को और अधिक मजबूती प्रदान करने में मद्द करता है।

यह दिन समाज के लिए उत्कृष्ट काम करने वाले शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ाता है। शिक्षक दिवस के मौके पर हर छात्र को अपने शिक्षकों के सम्मान करने का संकल्प लेना चाहिए क्योंकि गुरु के बिना हम सभी का जीवन अपूर्ण है एवं किसी भी तरह का ज्ञान प्राप्त करना असंभव है, वहीं किसी महान कवि ने सही ही कहा है कि –

“गुरु बिना ज्ञान नहीं और ज्ञान बिना आत्मा नहीं, कर्म, धैर्य, ज्ञान और ध्यान सब गुरु की ही देन है।।”

4 thoughts on “शिक्षक दिवस पर निबंध”

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Nice Article Admin Ji on Teachers Day Essay.

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Such a great article about teachers day really amazing. Thanks for sharing this with us.

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बहुत ही सुंदर, उपयोगी, लाभप्रद लेख लिखा है. इस लेख को लिखने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद. शिक्षक दिवस कि शुभकामनाएं.

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Apako bhi Shikshak Diwas ki Shubhkamnaye.

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My Favourite Teacher Essay in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए 100, 300 और 500 शब्दों में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 28, 2023

My Favourite Teacher Essay in Hindi

शिक्षक जो हम सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बचपन से ही हमारे चरित्र और व्यक्तित्व की राह बनाने में सबसे बड़ी भूमिका होती है। हम सब स्कूल में पढ़ें हैं और हम सभी का कोई न कोई एक फेवरेट टीचर जरूर होता है। यहां आज हमने उसी को लेकर My Favourite Teacher Essay in Hindi , मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध का ये ब्लॉग बनाया है।

My Favourite Teacher Essay in Hindi (100 शब्दों में)

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

स्कूल हो या कॉलेज टीचर हमें हमेशा ही सीखते हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उनके ही इस मार्गदर्शन से आज हम अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ते हैं-

मेरी एक पसंदीदा टीचर हैं। वह कक्षा 10 में हमें कला विषय के साथ अन्य विषय भी पढ़ाती थी। वह हमेशा मेरी हर परेशानी को दूर करने में मेरी मदद करती थी और अगर मुझे कोई भी चीज समझ नहीं आता तो वो मुझे बार बार बताने में कभी क्रोधित नहीं होती। वह बहुत मिलनसार शिक्षिका हैं, और मेरे लिए वो एक आदर्श भी हैं।

उनका पढ़ने का तरीका और टीचर से बेहद अलग है, और वह क्लास में सभी पर पूरा दिन देती हैं। वह बहुत ही इंटरैक्टिव और रचनात्मक तरीके से पढ़ाती हैं। वह पढ़ाई को इतना आसान बना देती हैं, की उनकी क्लास में हम सभी को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए वह मेरी पसंदीदा शिक्षिका है।

My Favourite Teacher Essay in Hindi (300 शब्दों में)

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 300 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

हम सभी के जीवन में एक पसंदीदा शिक्षक रहा होगा और आज भी हम उनके सम्पर्क में या उनकी सिखाई बातों पर अम्ल जरूर करते हैं-

स्कूल हो या कॉलेज जीवन में हर किसी व्यक्ति का एक पसंदीदा टीचर जरूर होता है। एक टीचर जिसकी क्लास में स्टूडेंट्स  उत्सुक से पढ़ते हैं। वे उनकी क्लास का बहुत उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं और उस पसंदीदा टीचर की क्लास को पढ़ने से कभी नहीं छोड़ते हैं। हर शिक्षक एक जैसा नहीं होता. हम स्कूल में जो सीखते हैं वही वास्तव में जीवन भर हमारी मदद करता है।

मेरी फेवरेट टीचर

मेरी पसंदीदा शिक्षिका राज किशोरी बहुत समझदारी के साथ स्टूडेंट्स को पढ़ती थी, इसके अतिरिक्त वे सीखने की गतिविधियों को भी बढ़ावा देती हैं। उनके प्रैक्टिकली पढ़ने का तरीका कई छात्रों का उनका पसंदीदा बनाता हैं। वह न सिर्फ मेरी टीचर हैं बल्कि मैं उन्हें अपनी आदर्श भी मानती हूँ. वे एक न केवल एक टीचर हैं बल्कि एक ऐसे महिला भी हैं जिससे आप अपनी इच्छानुसार किसी भी विषय या परेशानी पर बात कर सकते हैं। वे बहुत विनम्र और नम्रता के साथ अपने काम को करती हैं। इसी लिए वे मेरी फेवरेट टीचर हैं।

वे सदैव अपने सभी स्टूडेंट्स को कड़ी मेहनत करने और अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेरित करती है। जब मुझे किसी भी विषय को लेकर कोई संदेह होता है तो वह उस सब्जेक्ट को अच्छी तरह समझने में मेरी मदद करती है। वह मैथ के सब्जेक्ट को प्रैक्टिकल करके अधिक रोचक और आकर्षक बनाती है। वे हमेशा मुझे सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन करती हैं। वह हमें सच बोलना, सभी का सम्मान करना और जीवन में एक अच्छे मुकाम को हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं। इस My Favourite Teacher Essay in Hindi के अनुसार हम सबको यह सीखना चाहिए कि हमारे टीचर हम सबके लिए कितने योगदान करते हैं। 

My Favourite Teacher Essay in Hindi (500 शब्दों में)

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

जब हम सबको कोरोना महामारी के दौरान किसी चीज की परेशानी होती थी, तो वे हमेशा हम सब की मदद करती थी। उन्होंने उस समय एक सोशल मीडिया ग्रुप को हम सभी स्टूडेंट्स की सहायता के लिए बनाया है, ताकि हमें जब कभी भी कोई संदेह हो तो हम उनसे सम्पर्क कर सकें। उन्होंने हमारी पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी, वे सुबह से ही ऑनलाइन क्लास शुरू करने से पहले हम सभी स्टूडेंट्स का हाल पूछती थी। उन्होंने इतनी परेशानी के समय भी स्टूडेंट्स की पढ़ाई से कोई समझौता नहीं किया। जब हमें कोई परेशानी हुई तो उन्होंने परीक्षा से पहले हमें अच्छे से गाइड किया ताकि हम अच्छे अंकों के साथ पास हो कर आगे बढ़ सकें। 

परीक्षा से पहले देती थी एक्स्ट्रा क्लास

हमारे एग्जाम से पहले हमेशा वे हम सभी स्टूडेंट्स को एक्स्ट्रा क्लास देती थी, किसी स्टूडेंट्स को अगर किसी भी सब्जेक्ट में कोई परेशानी होती थी, तो वे उसको उस एक्स्ट्रा क्लास में सॉल्व करती थी। उनका प्रॉब्लम सॉल्व करने का तरीका इतना अच्छा होता था, की हम सब को लगता था की जिस चीज में हम इतना परेशान थे, वो इतनी छोटी सी चीज थी। वे प्रैक्टिकली चीजों को बताती थी।  

स्टूडेंट को करती थी मोटिवेट 

मेरी टीचर की एक बहुत अच्छी बात थी की जब कोई स्टूडेंट्स निराश होता था या वो डर के कारण उनसे कोई बात को नहीं पूछ पता था। तो वे उसके आत्मविश्वास को बढ़ती थी और उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती थी। वे हमेशा कहती थी की किसी चीज से दर कर मत भागों हर चीज का सामना करो कोई चीज आपके आत्मविश्वास से बड़ी नहीं हो सकती है। अगर अपने किसी चीज को करने का लक्ष्य तय किया है तो उस लक्ष्य को मेहनत कर के प्राप्त करो। अगर सफलता एक बार नहीं मिली तो ऐसा नहीं है की कभी नहीं मिलेगी। 

आपका फोकस होना चाहिए पूरी तरह से की आपको ये चीजे हासिल करनी है, चाहे मुझे दिन -रात एक करनी पड़ें। पूरी लगन से मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। उनके इन्हीं विचारों से हम सब स्टूडेंट्स का मनोबल बढ़ता है और हम और मेहनत करते हैं। शिक्षक हमेशा आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला होना चाहिए, बहुत से टीचर जरा सी गलती पर स्टूडेंट्स को बहुत ज्यादा डिमोटिवेट कर देते हैं। जिससे स्टूडेंट्स को आ गये पढ़ने या स्कूल जाने का मन नहीं करता है और वे स्कूल जाने से कतराते है।  

पढाई के साथ स्टूडेंट्स के मनोरंजन का भी रखती थी ध्यान 

जैसे ही हमारे एग्जाम खत्म होते थे वे हम सभी को बहार घूमने ले जाती थी, स्कूल टूर पर ये सभी स्टूडेंट्स को बहुत प्यार से और बहुत सारे गेम खिलवती थी. उनका कहना था की पढ़ाई के साथ शारीरिक एक्टिविटी का होना भी जरुरी है। वे स्कूल के समय भी एक क्लास में हम सभी स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ एक्टिविटी सिखाती थी। वे खुद को भी मोटिवेट करती थी और स्टूडेंट को भी हर चीज के लिए प्रेरित करती रहती थी। इसलिए वह मेरे पसंदीदा टीचर थी। 

हमें हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और आज हम जो कुछ भी हैं उसके लिए उन्हें धन्यवाद भी देना चाहिए। उनकी सिखाई हुई हर चीज को बहुत ही गंभीरता से लेकर आगे जीवन में बढ़ना चाहिए। 

यह था मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध, My Favourite Teacher Essay in Hindi पर हमारा ब्लॉग। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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Essay on My Teacher (मेरे अध्यापक पर निबंध)

Essay on my teacher ( मेरे अध्यापक पर निबंध ).

Let’s start the Essay on My Teacher.. ..

Outlines of the Essay

  • Introduction ( परिचय )
  • My Favourite Teacher ( मेरे पसंदीदा शिक्षक )
  • Her values ( उनका महत्व )
  • My teacher’s best things (मेरे अध्यापक की सबसे अच्छी बातें)

Conclusion of the Essay ( निबंध का निष्कर्ष )

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Introduction   ( परिचय )

It’s said, there’s no knowledge, no wisdom without your guru . There are books all around the world, we can easily have access to them, but the way and things that a teacher brings closer to our prism of perspective are way too far to compare with anything.

कहा जाता है कि बिना गुरु के किसी ज्ञान, किसी बुद्धिमता का कोई अस्तित्व नहीं होता है। दुनिया भर में हर जगह किताबें उपलब्ध हैं, हम आसानी से उन्हें पा सकते हैं, लेकिन एक अध्यापक जिस तरह से विचारों को हमारे सोचने- समझने के तरीके के सामने रखते हैं, वह अतुलनीय होता है।

Teachers enlighten our minds, closely associated with us remind us of things we could do with our lives, books and potentials. We might read out a thing from the book and completely understand it but that doesn’t suffice the presence of a teacher. We all require someone to guide.

अध्यापक हमारे दिमाग को तेज करते हैं। वे हमारे साथ रहकर हमें उन लक्ष्यों की याद दिलाते हैं जिन्हें हम अपने जीवन, पुस्तकों और क्षमताओं के सहारे पा सकते हैं। हम पुस्तक से किसी चीज़ को तो पढ़ सकते हैं और इसे पूरी तरह से समझ सकते हैं लेकिन एक अध्यापक की मौजूदगी को पूरा नहीं कर सकते है। हम सभी को किसी न किसी के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

My Favourite Teacher ( मेरे पसंदीदा अध्यापक )

I have various teachers in school, different teachers for every subject. I like all of them, all of them have a different way of teaching, talking, checking our notebooks and dealing with the subject. There are times I’m scared of telling people that I don’t get a few concepts in Mathematics, but I’m glad that I can go up to my teacher of Maths. He’s a nice person and tells me Maths is a tricky subject, but if I get the trick It would become easier.

मेरे स्कूल में कई अध्यापक हैं, विभिन्न विषयों के लिए विभिन्न अध्यापक हैं। मुझे वे सभी पसंद हैं, उन सभी के पढ़ाने, बातचीत करने, हमारी नोटबुक को चेक करने और किसी विषय के बारे में समझाने का एक अलग तरीका है। कई बार मैं लोगों को यह बताने से डरता हूं कि मुझे गणित (मैथ्स) की कुछ अवधारणाएं (कॉन्सेप्ट्स) नहीं आते, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं इसके बारे में जानने के लिए अपने मैथ्स के टीचर के पास जा सकता हूँ। वह एक अच्छे इंसान है और मुझे बताते हैं कि मैथ्स एक ट्रिकी विषय है, लेकिन अगर ट्रिक को समझ लिया जाए तो ये आसान लगने लगेगा।

Out of all the teachers, I like my English teacher the most. Her name is Divya. She is a new teacher in our school. She says, she has taught in many other schools of the city as well. She has come across various work cultures, new students, new people, new school buildings etc. She admits that she loves teaching and doesn’t regret to choose this profession, this is the only thing that doesn’t bore her.

सभी अध्यापकों में से, मुझे अपनी इंग्लिश की अध्यापक सबसे अधिक पसंद हैं। उनका नाम दिव्या है। वह हमारे स्कूल के लिए एक नई अध्यापक है, वह कहती हैं कि उन्होंने शहर के कई अन्य स्कूलों में भी पढ़ाया है, उनका विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों, नए स्टूडेंस, नए लोग, नए स्कूल बिल्डिंग आदि से मिलना हुआ है।वह स्वीकार करती है कि उन्हें पढ़ाना बहुत पंसद है और इस पेशे को चुनने के लिए पछतावा नहीं करती है, यह एकमात्र ऐसी चीज है जो उन्हें बोर नहीं करती है।

She comes up with new poems even out of our texts and explains them to us in great detail. She has got a great sense of humour. She plays games with us in the free period, she is very friendly and doesn’t let the teacher-student relationship barrier hurt the students.

यहाँ तक कि वह हमारे पाठ्यक्रम के बाहर से भी नई कविताओं को लेकर आती हैं और उन्हें हमें विस्तार से समझाती हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है। वह खाली समय में हमारे साथ गेम खेलती हैं, वह बहुत ही मिलनसार हैं और वह शिक्षक और विधार्थी के बीच की दूरी को बनाकर भी हमें सहज महसूस कराती हैं।

Her Nature ( उनका स्वभाव )

She’s very humble, friendly and interactive and that’s why everyone likes her. She accepts all of us with our imperfections as well, with our grammatical mistakes and spelling errors. She’s very open to new opinions and recommendations.

वह बहुत ही विनम्र, मिलनसार, विचार-विमर्श करने वाली (इंटरैक्टिव) हैं और इसी वजह से हर कोई उन्हें पंसद करता है। वह हमें हमारी सभी कमियों के बावजूद स्वीकार करती हैं, ग्रामर की गलतियाँ हों या फिर स्पेलिंग मिस्टेकस । वह नए विचारों और सुझावों का खुले दिल से स्वागत करती हैं।

She says, she has been an ardent reader since school and encourages us to do the same. She tells us that she wants to study more so that she can engage more in teaching and she could then come up with more diverse and better ideas. She says that Education is the most golden tool of growth and encourages us to learn as much as we can, from all the possible sources possible.

वह कहती हैं कि अपने स्कूल के समय से ही वह एक उत्साही पाठक (पढ़ने वाली) रही हैं और हमें भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वह हमें बताती हैं कि वह और अधिक पढ़ाई करना चाहती है ताकि टीचिंग के क्षेत्र में और अधिक काम कर सके और फिर ज्यादा विविधता और बेहतर विचारों के साथ पढ़ा सके। वह कहती हैं कि ‘शिक्षा’ विकास के लिए सबसे सुनहरा साधन है और यह हमें सभी मुमकिन स्रोतों (सोर्सज) से जितना संभव हो सके उतना सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

My Teacher’s best things ( मेरे अध्यापक की सबसे अच्छी बातें )

My Teacher’s best thing is her teaching style, her elegance, her interactivity, her openness to new ideas or thoughts. There are many other great things about her, I’m lucky having found her.

मेरे अध्यापक की सबसे अच्छी चीज है उनके पढ़ाने का तरीका, उनकी शिष्टता, उनके बातचीत करने का तरीका, नई सोच और विचारों के प्रति उनका खुलापन। उसके बारे में कई अन्य अच्छी चीजें हैं, मैं उनका साथ पाकर भाग्यशाली समझता हूँ।

A teacher has very influential energy to pass with his/her students. Students are generally imitative, they imitate what their teachers do, we similarly follow our teachers’ ideas and paths. They’re true path guiders, their role is very crucial to one’s development and becoming one individual.

एक अध्यापक के पास अपने स्टूडेंटस को देने के लिए बहुत प्रभावशाली ऊर्जा होती है। स्टूडेंट सामान्यतः अनुसरण करने वाले होते हैं, उनके अध्यापक जो भी करते हैं वे उसका अनुसरण करते हैं, हम भी बिल्कुल इसी तरह अपने शिक्षक के विचारों और रास्तों पर चलते हैं। वे सच्चे पथ प्रदर्शक होते हैं, उनकी भूमिका हमारे विकास में और हमारे व्यक्तित्व को बनाने में अति महत्वपूर्ण होती है।

I hope, you like this Essay on My Teacher.

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13 thoughts on “Essay on My Teacher (मेरे अध्यापक पर निबंध)”

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You are my favorite teacher in my life so far i have never seen a teacher like you in my hole life who is completely devoted to her childern even though i have no met you but i consider you my ideal i have got a lot to learn from your video sir i don’t have word to express thanks to you love you sir Amit Negi From Uttrakhand

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आपका आर्टिकल पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा. में अक्सर आपके ब्लॉग के न्यू आर्टिकल्स पढ़ती हूं जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. आपके सभी आर्टिकल से टॉपिक को पूरी तरह से समझने की पूर्ण क्षमता होती है. आप इसी तरह से हमें अपना ज्ञान देते रहे इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

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Dear Shivanee, Thank you so much for your kind words. As well, I personally checked your blogs (essays & history); you are doing a great job. Keep it up. All the best! – Aditya

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Thank you for your help ? I am So happy from Work ?……. Again Thank you So much ?

Thank you for your Help…… I am So happy from your Work….!!!!! Your Essay Reminds me of my English Teacher ………. Thank you So much ??

Anushka Chaudhary From Uttar Pradesh, India

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very nice essay .. thanks for sharing

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This is great for me I am class 8 student

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Bhot achcha

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जीवन में शिक्षक का महत्व निबंध

जीवन में शिक्षक का महत्व निबंध hindi essay on importance of teacher in life.

शिक्षक एक व्यक्ति को कुशल नागरिक बनाता है। शिक्षक वह प्रकाश है जो सभी के ज़िन्दगी में रोशनी भर देता है। शिक्षक एक मोमबत्ती रूपी ज्ञान का उजाला है जो लोगों को अँधेरे से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाती है। शिक्षक की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। शिक्षक अपने शिक्षा के ज़रिये व्यक्ति ,समाज और राष्ट्र का निर्माण करता है।  उनकी शिक्षा की वजह से व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार होता है जिसकी वजह से वह अपने ज़िन्दगी में कुछ कर गुजरने की चाहत रखता है। शिक्षक  एक खूबसूरत आईने की तरह  है जिससे व्यक्ति अपने वजूद की पहचान कर पाता है। शिक्षा वह मज़बूत ताकत है जिससे हम समाज को सकारात्मक बदलाव की ओर ले जा सकते है।

शिक्षक एक सभ्य समाज का निर्माण करता है। एक बच्चे के जीवन में उसके माता -पिता उसके प्रथम शिक्षक होते है। शिक्षा की एहमित सबसे पूर्व माता -पिता ही कराते है। उसके पश्चात बच्चा विद्यालय में शिक्षक से रुबरुं होते है जो हर विषय संबंधित ज्ञान बच्चों को प्रदान करता है। अगर छात्र मार्ग भटक जाए तो शिक्षक अपने ज्ञान से उसे सही मार्ग पर ले जाता है।

शिक्षक विद्यार्थिओं का मार्ग दर्शक है। ज़िन्दगी के कठिन मोड़ पर जब हम रास्ता भटक जाते है तो कोई न कोई इंसान शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाता है। कम उम्र में बच्चे का जीवन गीली मिटटी की तरह होता है।  तब शिक्षक एक कुम्हार की तरह उसे शिक्षा रूप हाथों से एक मज़बूत आकार प्रदान करता है।

शिक्षक विद्यार्थिओं को आने वाले बेहतर भविष्य के लिए तैयार करते है। विद्यार्थी के मन में विषय संबंधित और जीवन संबंधित कोई भी दुविधा आये तो शिक्षक उस दुविधा को हल करने में हर मुमकिन कोशिश करता है। शिक्षक की मेहनत की वजह से कोई डॉक्टर ,कोई इंजीनियर ,कोई वकील ,पायलट ,सैनिक इत्यादि बन जाते है। अगर शिक्षक नहीं होंगे तो यह पद पर कोई  व्यक्ति कार्यरत नहीं हो पाएंगे । शिक्षक इंसान को अच्छे और बुरे के बीच फर्क करना सिखाते है।  वह अधर्म ,घृणा ,ईर्ष्या ,हिंसा इन बुरी आदतों से विद्यार्थिओं को दूर रहना सिखाते है। शिक्षक शिष्टता ,सहनशीलता ,धैर्य से जीवन के संघर्षों से पार करना सिखाते है।

शिक्षक हमे जीवन में अनुशासन का पाठ पढ़ाते है। समय को ठीक तरीके से जो इंसान व्यवसस्थित कर पाए वह ज़िन्दगी में  सफलता को छूता है। समय का ज्ञान करना हमे शिक्षक सिखाते है।

इसलिए विद्यार्थी जीवन में टाइम टेबल की बड़ी एहमियत होती है।  भविष्य में भी मनुष्य इस सीख को कभी नहीं भूलता है।  इससे वह कार्य को समन्वय कर सकता है।शिक्षक एक व्यक्ति में राज्य या कोई भी क्षेत्र का नेतृत्व करने के गुण सिखाती है। शिक्षक द्वारा दी गयी शिक्षा  सम्पूर्ण  राष्ट्र का निर्माण में सहायक होता है। अध्यापक को हमेशा अपने कर्त्तव्य का पालन करना पड़ता है।  उनकी शिक्षा की वजह से एक शिक्षित वर्ग और समाज तैयार होता है।  विद्यार्थी बड़े होकर अपने शिक्षक को कभी  नहीं भूलते है। शिक्षक और विद्यार्थी का बंधन अटूट होता है।  यह बन्धन सम्मान और विश्वास का होता है। विद्यार्थी शिक्षक के पैर छूकर उनका सम्मान करना कदापि नहीं भूलते है।

आजकल के शिक्षण प्रणाली में काफी  बदलाव आया है।  पहले के समय में अध्यापक श्यामपट का उपयोग करते थे। तब बच्चे शिक्षक से सवाल करने में हिचकिचाते थे लेकिन आज के दौर में परिवर्तन आया है। आज बच्चे जिज्ञासु और उत्सुक है। वह शिक्षकों से सवाल पूछते है जो की एक सकारात्मक बदलाव है। आज अध्यापक पढ़ाने के लिए स्मार्ट बोर्ड का उपयोग करते है।  स्मार्ट बोर्ड से पढ़ाई आसान हो गयी है। शिक्षक पढ़ाई संबंधित विषयों को पढ़ाने और समझाने के लिए उन्हें वास्तविक जीवन के उदाहरण के साथ जोड़कर  समझाते है ताकि बच्चों को सारे तथ्य अच्छे से समझ आ जाये।

जैसे हमारा सांस लेना आवश्यक है। इसके बैगर हम जी नहीं सकते है।  वैसे ही अध्यापक के बिना विद्यार्थी अधूरे है।  शिक्षक नहीं होंगे तो वह विद्या प्राप्त करने में असमर्थ हो जाएंगे।  पूरे भारत वर्ष में ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। विभिन्न प्रकार के सांस्कृकित कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

 सभी बच्चे शिक्षक के सम्मान में कार्ड और फूल देकर अपनी भावनाये प्रकट करते है। जब विद्यार्थी ज़िन्दगी में सफल नागरिक बन जाते है तो सबसे अधिक ख़ुशी शिक्षक को होती है। शिक्षक की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता जब वर्षो पश्चात भी विद्यार्थी उनके सिखाये हुए चीज़ों को नहीं भूलता है। वर्षो पश्चात भी विद्यार्थी शिक्षक के पैर छूकर उनका सम्मान करना नहीं भूलते है।

शिक्षक ज्ञान का महासागर है। बच्चो के भविष्य को सवारने में शिक्षक का योगदान अतुलनीय है। शिक्षक नहीं तो देश की प्रगति भी नहीं। शिक्षक अपना सारा जीवन में बच्चो के विकास में समर्पित कर देते है। उनका सम्मान विद्यार्थी  तह उम्र करेंगे। शिक्षक वह ज्ञान का प्रकाश है जो अन्धकार की राह को चीरकर ज्ञान की रोशनी भर देती है।

  • महान व्यक्तियों पर निबंध
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Essay on Teacher Day in Hindi | शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में

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शिक्षक को समाज का शिल्पकार भी कहा जाता है। शिक्षक की वजह से हम अच्छे बुरे का ज्ञान हासिल कर पाते है। हमारे जीवन मे माता-पिता के बाद को सच्चा हितैषी है तो वह शिक्षक ही है। Essay on Teacher Day in Hindi  में आज हम शिक्षक के महत्व के बारे में जानेंगे।

शिक्षक दिवस में निबंध और शिक्षक दिवस पर भाषण (Speech On Teachers Day In hindi) की तलाश कई Students को रहती है।

तो आज हम आपके लिए Speech और Essay दोनों लेकर आए हैं। Essay on Teacher Day in Hindi  को आसान भाषा मे लिखा गया है, ताकि समझने और याद करने में आसानी रहे।

Table of Contents

5 lines On Teachers Day for Kid – शिक्षक दिवस के अवसर पर बच्चों के लिए 5 लाइन.

  • 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
  • इस दिन विद्यार्थी शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान दिखाते हैं।
  • विद्यार्थियों के द्वारा गाने, नाटक और नृत्य का आयोजन किया जाता है।
  • पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का आज के दिन जन्म हुआ था।
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी एक अध्यापक थे, जिन्होंने 40 वर्षों तक अलग-अलग कॉलेजों में अध्यापन किया है।

Essay on Teacher Day in Hindi – शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (200 Words)

गुमनामी के अंधेरे में था,पहचान बना दिया दुनिया के गम से मुझे अनजान बना दिया उनकी ऐसी कृपा हुई, गुरु ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।

लोग कहते हैं कि तकदीर गढ़ने वाले भगवान होते हैं लेकिन यदि खुली आंखों से भगवान को देखना चाहते हैं तो हमें शिक्षकों को देखना चाहिए क्योंकि हमारी असली तकदीर शिक्षक ही गढ़ते हैं।

गुरु की महिमा का बखान चंद शब्दों में करना बहुत ही मुश्किल है। इनके बारे में जितना भी लिखा जाए और कहा जाए वह सब कम है, क्योंकि आज दुनिया जैसी दिखती हैं उनमें गुरुओं का सबसे अहम योगदान है।

देश के शिक्षकों को समर्पित 5 सितंबर का दिन हमारे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

5 सितंबर एक ऐसा दिन होता है जहाँ पर शिक्षक और एक विद्यार्थी के बीच विषयों से हटकर एक अलग तरह का संवाद होता है।

आमतौर पर विद्यार्थी अपने शिक्षकों से थोड़ा भयभीत रहते हैं लेकिन 5 सितंबर के दिन यह भय खत्म हो जाता है जब शिक्षक भी उनके साथ तरह तरह के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं।

5 सितंबर के दिन ही हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ना सिर्फ एक बहुत अच्छे राष्ट्रपति थे जिनको हमारा देश हमेशा याद रखता है बल्कि वो एक ऐसे शिक्षक थे जिनकी कक्षा लेने के लिए विद्यार्थी आतुर रहते थे।

इन्हीं के जन्म दिवस के उपलक्ष पर भारत में हमेशा 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

Essay on Teacher Day in Hindi – शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (500 Words)

Introduction – प्रस्तावना

शिक्षकों का समाज के प्रति जो योगदान है उसके लिए कृतज्ञता जताने के लिए हर देश में शिक्षक दिवस विशेष तौर पर मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस मनाने का विचार नया नहीं है बल्कि यह 19वीं शताब्दी से चला आ रहा है। शुरुआती दौर में शिक्षक की किसी विशेष उपलब्धि पर पूरा सम्मान दिया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे हर देश ने यह समझा की शिक्षकों का सम्मान किया जाना कितना जरूरी है और फिर दुनिया के हर एक देश ने शिक्षक दिवस मनाना शुरू किया।

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर के दिन मनाया जाता है। इसी दिन हमारे देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था, जबकि दुनिया के दूसरे देशों में शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है।

Importance of Teachers day – शिक्षक दिवस का महत्व

भारत में हमेशा ही गुरुओं को एक ऊंचा दर्जा दिया गया है और यह बताया गया है कि गुरु का महत्व ईश्वर से भी ज्यादा है। हमारे देश में गुरुओं को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

गुरुओं के सम्मान के लिए वैसे तो हर दिन हैं लेकिन गुरु पूर्णिमा और शिक्षक दिवस विशेष तौर पर गुरुओं को समर्पित दिन है।

गुरु पूर्णिमा विशेष तौर पर शिक्षकों को समर्पित है साथ ही साथ ऐसे गुरुओं को समर्पित है जो हमारी आध्यात्मिक प्रगति में मदद करते हैं।

गुरु पूर्णिमा का संबंध वेदव्यास से है जो कि महाभारत,वेद, पुराण जैसे ऐतिहासिक लेखों के रचयिता थे। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

वहीं शिक्षक दिवस प्रतिवर्ष 5 सितंबर के दिन मनाया जाता है। इसी दिन हमारे पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था।

उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कुछ विद्यार्थियों और मित्रों ने उनका जन्म दिवस मनाने की कोशिश की तब इस मौके पर उन्होंने कहा था कि उन्हें इस बात की बहुत खुशी होगी यदि 5 सितंबर के दिन देश के हर एक शिक्षक को याद किया जाए और उन्हें सम्मानित किया जाए क्योंकि समाज में उनका योगदान बहुत बड़ा है। तभी से 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा है।

International Teachers Day – अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस

विश्व शिक्षक दिवस या अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस प्रतिवर्ष 5 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है। 5 अक्टूबर के दिन अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाने की घोषणा 5 अक्टूबर 1966 को पेरिस में हुई थी इसको इसकी घोषणा करने वाला यूनेस्को था।

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाने के पीछे की मूल भावना यह थी कि शिक्षकों को उचित सम्मान मिले। शिक्षकों का योगदान समाज में बहुत ज्यादा है लेकिन उन्हें इस योगदान के लिए उतना सम्मानित नहीं मिलता था, जितने सम्मान के वह हकदार है।

How do you celebrate Teachers’ Day in India? भारत मे शिक्षक दिवस कैसे मनाते हैं?

शिक्षक दिवस के दिन पढ़ाई से संबंधित कोई कार्य नहीं होते बल्कि उसकी जगह विद्यार्थी अपने शिक्षकों के लिए चित्र बनाते हैं कविताएँ सुनाते हैं और उनके बारे में भाषण देते हैं।

भारत में शिक्षक दिवस को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 5 सितंबर के दिन सभी विद्यार्थी एवं शिक्षक विद्यालय आते हैं, लेकिन इस दिन कोई भी कक्षाएँ नहीं लगती हैं, बल्कि इसकी जगह पर कई सांस्कृतिक एवं रचनात्मक गतिविधियां होती है।

जैसे कई विद्यार्थी चित्रकारी के माध्यम से शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान दिखाते हैं, वहीं कुछ भाषण के जरिए शिक्षकों के महत्व का बखान करते हैं। कुछ शिक्षकों के सामने कविता प्रस्तुत कर उनका मनोरंजन करते हैं तो कुछ गाने एवं नृत्य के साथ शिक्षकों का मनोरंजन करते हैं।

विद्यार्थियों के कार्यक्रम खत्म हो जाने के बाद शिक्षक भी अपने विद्यार्थियों को शिक्षक दिवस की प्रस्तुति के लिए उन्हें शाबाशी देते हैं और भाषण के माध्यम से उन्हें अच्छे भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी देते हैं।

Importance Of Teachers in Our Life – शिक्षकों का हमारे जीवन मे महत्व

हमारे जीवन मे शिक्षकों का बहुत ज्यादा है। शिक्षक पृथ्वी पर मौजूद भगवान ही है। ये इतने महत्वपूर्ण है, इसीलिए इन्हें भगवान का दर्जा मिला है।

जब बोलना सीख ही रहे होते हैं, हाथ कलम का बोझ उठाने के लायक मजबूत भी नही हो पाते हैं उस वक़्त एक शिक्षक ही हमारा हाथ पकड़कर पहला अक्षर लिखवाता है।

शिक्षक को भी थकान होती होगी लेकिन फिर भी वह अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करते हैं। यदि वो अपने काम मे लापरवाही करने लगें तो बच्चों का बेशकीमती बचपन जिसमें सीखने की शक्ति सबसे ज्यादा होती है, वह बर्बाद चला जाएगा।

इसके बाद जब हम थोड़ा बड़े होते हैं, तो गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल आदि की पहली समझ हमें शिक्षक ही देते है।

यही से हमें अपनी रुचि पता चलती है। जिस विषय मे रुचि होती है फिर आगे की पढ़ाई उसी विषय मे करते हैं। वहाँ पर भी शिक्षक ही पढ़ाते हैं। इसी शिक्षा के आधार पर ही हमारी नौकरी लगती है।

यानी शिक्षक बचपन मे हमारी उंगली पकड़ते हैं और तब तक नही छोड़ते है जब तक हम कुछ बनकर अपने पैरों पर खड़े नही हो जाते।

Conclusion – उपसंहार

हम सब यह भलीभांति जानते हैं कि शिक्षक हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए खूब मेहनत करते हैं। हालांकि यह उनका पेशा है लेकिन वो सिर्फ इस वजह से काम नही करते बल्कि उनका मकसद होता है अच्छे और योग्य इंसान बनाना। इसलिए आज हम जिस भी मुकाम पर है एक बार पीछे मुड़कर सभी शिक्षकों को दिल से धन्यवाद जरूर कहना चाहिए।

Welcome Speech for Teachers Day – शिक्षक दिवस पर स्वागत भाषण.

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, उप प्रधानाचार्य महोदय एवं यहां उपस्थित सभी शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों।

आज हम सब यहाँ शिक्षक दिवस की एक अनुपम बेला को आनंदमय तरीके से मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं।

जैसा कि आपको पता ही है कि आज 5 सितंबर का दिन है और आज के दिन ही हमारे दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बहुत तीव्र इच्छा थी कि उनके जन्मदिवस के दिन सिर्फ उन्हें न याद करके बल्कि देश के समस्त शिक्षकों को याद किया जाए। इसी वजह से यह दिन शिक्षक दिवस के रूप में पूरे देश में उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।

सच कहूं तो हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जो हमें आप जैसे मूल्यवान शिक्षक मिले जो ना सिर्फ हमें विषयों का ज्ञान देते हैं बल्कि नैतिकता और मानवीय मूल्यों की भी पहचान कराते हैं।

आज मैं अपने सभी शिक्षकगण का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूं और चाहता हूं कि वह हमारा मार्गदर्शन इसी तरह से करते रहें और हमारे ऊपर उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहे।

आज के इस पावनबेला पर हम विद्यार्थियों ने मिलकर आप सबके लिए कुछ विशेष तैयारियाँ की हैं जैसे किसी ने नृत्य, भाषण तो किसी ने एक अच्छा गीत तैयार किया है। हम सब आज मंच के माध्यम से आप सब के सम्मान में अपनी प्रस्तुति देने के लिए बहुत उत्साहित है।

हमारे शिक्षक कभी हमारे लिए नरम होते हैं तो कभी गर्म होते हैं हमारी नासमझी और गलतियों की हमें सजा भी देते हैं वहीं दूसरी तरफ हमें अच्छी चीजों की सीख भी देते हैं।

हमारे शिक्षक चाहते हैं कि हम अपने जीवन में एक अच्छे मुकाम पर हो। हम बच्चे हैं हो सकता है हम आज इस बात के महत्व नहीं समझ पा रहे हो लेकिन हमें इस बात पर पूरा भरोसा है कि हमारी शिक्षकों के आँख में पल रहा सपना कभी झूठा नहीं हो सकता।

कभी-कभी हम कक्षा में जरूरत से ज्यादा शरारत करने लगते हैं और यह सोचते हैं कि शिक्षकों को इस बारे में पता नहीं चलेगा लेकिन अब जाकर समझ आ रहा है कि यह हमारी सूझबूझ नहीं बल्कि शिक्षकों की सहनशीलता है जिसकी वजह से हमें कक्षा में थोड़ी शरारत करने का मौका मिलता है।

शिक्षक इस बात को भलीभांति समझते हैं कि एक विद्यार्थी को विकास करने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है।

तभी तो समाज शिक्षक को एक मूर्तिकार भी कहते हैं जो निर्जीव मूर्ति नहीं बल्कि सजीव मूर्ति की रचना करते हैं और उन्हीं सजीव मूर्ति से समाज का निर्माण होता है।

मुझे आज भी वह दिन याद आता है जब मैं छठवीं कक्षा में था। मैं अपने विद्यालय में नया-नया था। मेरे अंदर कुछ आत्मविश्वास की कमी थी मैं पढ़ने में अच्छा था लेकिन आत्मविश्वास की कमी के चलते अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा था।

तभी मेरे एक शिक्षक ने इस बात को भांप लिया और मुझे कक्षा में हमेशा आगे बैठने के लिए कहा उन्होंने ना सिर्फ मुझे बैठने के लिए कहा आप बल्कि मेरे लिए एक सीट ही सुनिश्चित कर दी।

कक्षा में सबसे आगे बैठने से मेरे अंदर आत्मविश्वास का जन्म हुआ और मैं खुद पर विश्वास करने लगा फिर उसका परिणाम यह हुआ कि मैं परीक्षा में अव्वल दर्जे से पास हुआ।

यह सिर्फ एक उदाहरण है। ऐसे अनेकों उदाहरण है जो यह बताते हैं कि शिक्षक एक सच्चे पारखी होते हैं। वह इस बात को भलीभांति समझते हैं कि किस विद्यार्थी को किन चीजों की जरूरत है।

फिर वह सब उस विद्यार्थी को उपलब्ध भी कराते हैं। आज के इस पावन अवसर पर मुझे कुछ बोलने का अवसर मिला इसके लिए मैं अपने शिक्षकों का तहे दिल से धन्यवाद व्यक्त करता हूं और एक दो लाइनों के साथ अपने शब्दों को विराम देता हूं कि

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागै पाएं । बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दिओ बताए।।

अब मैं आदरणीय प्रधानाचार्य को मंच पर आमंत्रित करना चाहूंगा और वह मंच पर आकर मां सरस्वती के सामने रखे दीपक को प्रज्वलित करके आज के कार्यक्रम की शुरुआत करें।

Teachers Day Speech by Principal – प्रिंसिपल का शिक्षक दिवस पर भाषण

यहां उपस्थित सभी आदरणीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे बच्चों.

सर्वप्रथम शिक्षक दिवस की इस पावनबेला पर भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मैं नमन करता हूं और समाज के प्रति उनके कार्यों के लिए उनके प्रति सम्मान व्यक्त करता हूं।

आज यह देख करके बहुत खुशी हो रही है कि हमारे विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र एवं छात्राएं कितने रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। शिक्षक दिवस सिर्फ शिक्षकों के लिए नहीं है बल्कि शिक्षकों से ज्यादा यह छात्र एवं छात्राओं के लिए है, क्योंकि एक शिक्षक उतना ही अच्छा होता है जितने अच्छे उसके छात्र और छात्राएं होती हैं।

शिक्षक की पहचान उसके द्वारा पढ़ाएं गए विद्यार्थियों से ही होती है इसलिए यदि आप लोग अपने जीवन में अच्छा करेंगे तो हमारा सम्मान खुद ही बढ़ जाएगा।

जैसा कि आप सब यह जानते हैं कि शिक्षक दिवस डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के दिन मनाया जाता है, क्योंकि वह एक शिक्षक थे अपने जीवन के आखिरी काल में जब उनसे यह पूछा गया कि आप एक राष्ट्रपति के रूप में याद किया जाना पसंद करेंगे या फिर एक शिक्षक के रूप में तब उन्होंने कहा था कि वह जीवनपर्यंत एक शिक्षक के रूप में याद किए जाना ज्यादा पसंद करेंगे।

बच्चों आप लोगों के भाषण, गायन और आप लोगों ने जो यहां पर कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं वह सब वाकई में सराहनीय है। हम सब मंच पर बैठकर आपके द्वारा किए गए इन सभी कार्यक्रम की प्रशंसा ही कर रहे थे।

बच्चों आप लोगों का रचनात्मक होना बहुत ज्यादा जरूरी है यदि आप लोग रचनात्मक रहेंगे तो भविष्य काफी सुरक्षित रहेगा, क्योंकि रचनात्मक लोगों में अच्छे निर्णय करने की क्षमता होती है।

वह किसी रूढ़िवादी एवं परंपरागत सोच के गुलाम नहीं होते हैं। वह अपने हर एक निर्णय में अच्छे से अच्छा करने की कोशिश करते हैं डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी एक ऐसे ही व्यक्तित्व थे।

इसलिए बच्चों आप सब अपनी रचनात्मकता को इसी तरह बरकरार रखिए और जब भी हमारे विद्यालय में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है तो उसमें आप सब बढ़-चढ़कर हिस्सा लीजिए क्योंकि किताबों में लिखा हुआ ज्ञान लेना तो जरूरी है ही साथ ही साथ कुछ ज्ञान अनुभव के माध्यम से मिलता है वह सब भी आप लेने की कोशिश करिए।

और हमारा पूरा साथ आप लोगों के साथ है आप सब अपने जीवन में काफी उन्नति हासिल करें एक सफल व्यक्ति बने और समाज और देश का नाम रोशन करें आज के इस पावन बेला पर मैं बस आप सब लोगों के लिए यही दुआ करूंगाऔर अपने इन्हीं शब्दों के साथ में अपने शब्दों को विराम देता हूँ।

Poems On Teachers day in Hindi – हिंदी में शिक्षक दिवस पर कविताएँ

आदर्शों की मिसाल बनकर, बाल जीवन संवारता शिक्षक |

सदाबहार फूल-सा खिलकर, महकता और महकाता शिक्षक ||

नित नए प्रेरक आयाम लेकर हर पल भव्य बनाता शिक्षक |

संचित ज्ञान का धन हमें देकर, खुशियां खूब मनाता शिक्षक ||

पाप व लालच से डरने की, धार्मिक सीख सिखाता शिक्षक |

देश के लिए मर मिटने की, बलिदानी राह दिखाता शिक्षक ||

प्रकाशपुंज का आधार बनकर, कर्तव्य अपना निभाता शिक्षक |

प्रेम सरिता की बनकर धारा, नैया पार लगाता शिक्षक ||

Thank-you Poem For Teachers day in Hindi – हिंदी में शिक्षक दिवस के लिए धन्यवाद कविता

रोज सुबह मिलते है इनसे, क्या हमको करना है ये बतलाते है | ले के तस्वीरें इन्सानों की, सही गलत का भेद हमें ये बतलाते है | कभी ड़ांट तो कभी प्यार से, कितना कुछ हमको ये समझाते है । है भविष्य देश का जिन में , उनका सबका भविष्य ये बनाते है | है रगं कई इस जीवन में, रगों की दुनिया से पहचान, ये करवाते है । खो ना जाये भीड़ में कहीं हम, हम को हम से ही ये मिलवाते है । हार हार के फिर लड़ना ही जीत है सच्ची, ऐसा एहसास ये हमको करवाते है । कोशिश करते रहना हर पल, जीवन का अर्थ हमें ये बतलाते है । देते है नेक मज़िल भी हमें, राह भी बेहत्तर हमे ये दिखलाते है । देते है ज्ञान जीवन का, काम यही सब है इनका, ये शिक्षक कहलाते है, ये शिक्षक कहलाते है ||

Poem On Teacher’s Day – शिक्षक दिवस पर कविता

गुरु बिन ज्ञान नहीं गुरु बिन ज्ञान नहीं रे।अंधकार बस तब तक ही है, जब तक है दिनमान नहीं रे॥ मिले न गुरु का अगर सहारा, मिटे नहीं मन का अंधियारा लक्ष्य नहीं दिखलाई पड़ता, पग आगे रखते मन डरता। हो पाता है पूरा कोई भी अभियान नहीं रे। गुरु बिन ज्ञान नहीं रे॥ जब तक रहती गुरु से दूरी, होती मन की प्यास न पूरी। गुरु मन की पीड़ा हर लेते, दिव्य सरस जीवन कर देते। गुरु बिन जीवन होता ऐसा, जैसे प्राण नहीं, नहीं रे॥ भटकावों की राहें छोड़ें, गुरु चरणों से मन को जोड़ें। गुरु के निर्देशों को मानें, इनको सच्ची सम्पत्ति जानें। धन, बल, साधन, बुद्धि, ज्ञान का, कर अभिमान नहीं रे, गुरु बिन ज्ञान नहीं रे॥ गुरु से जब अनुदान मिलेंगे, अति पावन परिणाम मिलेंगे। टूटेंगे भवबन्धन सारे, खुल जायेंगे, प्रभु के द्वारे। क्या से क्या तुम बन जाओगे, तुमको ध्यान नहीं, नहीं रे॥

Quotes on Teachers Day in Hindi – शिक्षक दिवस पर प्रेरणादायी विचार.

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

जो बनाए हमें अच्छा और सच्चा इंसान,दे सही-गलत की पहचान,उन शिक्षकों को कोटि-कोटि प्रणाम।

साक्षर हमें बनाते हैं

जीवन क्या है समझाते हैं

जब गिरते हैं हम हार कर तो साहस वही बढ़ाते हैं

ऐसे महान व्यक्ति ही शिक्षक कहलाते हैं।

गुरु की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार,

गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार।

गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में हैं उपहार,

प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।

गुरु का महत्व कभी न होगा कम,

भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,

वैसे तो हैं इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,

पर अच्छे बुरे की नहीं हैं उसे पहचान।

शांति का पढ़ाया पाठ, अज्ञान का मिटाया अंधकार,गुरु ने सिखाया हमें नफरत पर विजय है प्यार!

Gumnami ke andhere me tha, Ek pehchaan bana diya, Duniya ke gum se mujhe, Unhone anjaan bana diya, Unki aisi kripa huyi ke, Guru ji ne mujhe ek achha, Insaan bana diya.

आपके कुछ प्रश्न.

भारत मे शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है?

5 सितंबर को देश मे शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

भारत मे शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के दिन उनकी याद में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस के दिन क्या करते हैं?

देश के सभी शिक्षकों को सम्मानित करते हैं।

शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

5 सितंबर 1888 को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनकी इच्छा थी कि उनका जन्मदिन शिक्षकों को समर्पित हो।

विश्व शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है?

प्रतिवर्ष 5 अक्टूबर के दिन विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

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विद्यार्थी जीवन में शिक्षक का अहम किरदार होता है। अध्यापक एक दीपक के समान होता है, जो खुद जल जाता है लेकिन विद्यार्थियों के भविष्य को पूरी तरह से उज्जवल कर देता है। अध्यापक के बिना हर इंसान की जिंदगी अधूरी है क्योंकि अध्यापक के माध्यम से जो सीखने को मिलता है वह कहीं पर नहीं मिल सकता। शुरुआत के दिनों में हमारी मां अध्यापक के समान होती है, जो हमें छोटी-छोटी बातें सिखाती है और उसके पश्चात हम स्कूल में अध्यापकों से मुलाकात करते हैं।

अध्यापक के रूप में मां का किरदार भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। मां को प्राथमिक शिक्षक भी कहा जाता है क्योंकि बच्चे को सबसे पहले शिक्षा मां के जरिए ही मिलना शुरू होती है। मेरे शिक्षक की बात करूं तो मेरी पहली शिक्षक मेरी मां है और उसके पश्चात जब से मैंने स्कूल जॉइन किया तब से हर शिक्षक के साथ मेरा अटूट संबंध रहा है।

आज भी जब मैं उनसे मिलता हूं, तो मुझे बहुत खुशी होती है। मेरे शिक्षक ने मुझे जिंदगी के बारे में बहुत महत्वपूर्ण बातें सिखाई है, जिसके लिए में आज भी उनका ऋणी हूं। शिक्षक के द्वारा हमें जो ज्ञान दिया गया है, जिसको हम किसी भी कीमत पर नहीं चुका सकते हैं। शिक्षकों को ज्ञान का भंडार भी कहा जाता है।

शिक्षक पर निबंध (600 Word)

शिष्य के मन में सीखने की इच्छा जागृत करने वाला और शिक्षा देने वाला शिक्षक कहलाता है। शिक्षक बालक के भविष्य का निर्माता होता है। शिक्षक वह पथ प्रदर्शक है, जो किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है। शिक्षकों का कार्य बहुत ही कठिन और महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छे शिक्षक का मिलना दुर्लभ है। गुरु ही नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देकर समाज और देश के लिए एक आदर्श नागरिक तैयार करता है।

शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। यह संस्कारों की जड़ों में खाद देता हैं और अपने श्रम से सींच कर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं। किसी राष्ट्र का मूर्त रूप वहां के नागरिक होते हैं। शिक्षक का कार्य अच्छी शिक्षा देकर राष्ट्र को अच्छे नागरिक प्रदान करना होता है।

शिक्षक का महत्व

अनादि काल से ही गुरु के द्वारा दिये गये ज्ञान के कारण गुरु का गुणगान किया गया है। ऐसे ही ज्ञानी गुरुओं के कारण भारत को जगतगुरु कहलाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक महत्वपूर्ण घटक होते हैं। शिक्षा को लेकर समाज ने जो उद्देश्य इच्छाएं रखी होती है। उन सब की पूर्ति मैं शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक का दायित्व भगवान जैसा होता है। वह समाज और राष्ट्र के उद्देश्यों की पूर्ति करता है। शिक्षा प्रणाली कोई भी और कैसी भी हो, उसकी सफलता शिक्षक पर निर्भर करती है। बालक के मानसिक विकास में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निपुण शिक्षक अपनी शिक्षण शैली से नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करता है।

शिक्षा वह प्रणाली है, जो बालक के आंतरिक गुण व शक्तियों को प्रदर्शित करती है । एक कुशल शिक्षक वही होता है, जो बालक के आंतरिक गुणों व शक्तियों को पहचान कर उसे विकसित कर सकता है और यह अच्छे शिक्षक बिना संभव नहीं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज के अनुकूल बनाने का दायित्व शिक्षक का होता है। शिक्षक ही व्यक्ति को उसके सामाजिक मूल्यों व आदर्श से अवगत करवाता है। उसे अपने आदर्शों मूल्यों कर्तव्यों का निर्वहन किस प्रकार करना है, यह शिक्षक ही बताता है।

शिक्षक के कार्य

शिक्षक का महत्व पूर्ण कार्य व्यक्ति के आंतरिक गुणों का विकास करना, अच्छे नागरिक का निर्माण करना, मूल प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करना ,अच्छे भविष्य का निर्माण करना, चरित्र निर्माण करना,आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना, राष्ट्रीय भावनाओं का संचार करना, स्वयं की राष्ट्रीय संस्कृति व गौरव से परिचित करवाना,उद्देश्य पूर्ण शिक्षा से सुंदर भविष्य और समाज का निर्माण करना।

मार्गदर्शक, गुरु होने के साथ-साथ शिक्षक हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो हमारे जीवन में बहुत ही मददगार साबित होती है। वे लोग सौभाग्यशाली होते है, जिनको अच्छा शिक्षक मिलता है। एक शिक्षक का मुख्य कार्य शिक्षा देना होता हैं। वह अपने छात्रों को अच्छे तरीके से सिखाने की कोशिश करता है। शैक्षणिक ज्ञान देने के साथ-साथ वह व्यक्ति को नैतिक ज्ञान भी देता है। एक बेहतर व्यक्ति अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा शिक्षक से ही प्राप्त होती है।

शिक्षक और शिष्य का रिश्ता

एक शिक्षक और शिष्य का रिश्ता सुंदर व महत्वपूर्ण होता है। वेदों में भी गुरु की महिमा का गुणगान गाया गया है। गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:। इस श्लोक का शाब्दिक अर्थ होता है, गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही शंकर है, गुरूही परमब्रह्म है और सद्गुरु को प्रणाम। भारत में शिक्षकों का सम्मान करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

इस दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति व आदर्श शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस होता है। इस दिन संपूर्ण भारत में श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। हर काम आसान हो जाता है, जब श्रेष्ठ शिक्षक का सानिध्य मिलता है। फिर कितने भी आए जीवन में उतार-चढ़ाव, शिक्षक के चरणों में ही ठहराव मिलता है।

किसी ने कहा है कि, “सब धरती कागज करूं लिखनी सब बनराय सात समंदर की मसि करूं गुरु गुण लिखा न जाय” बच्चे अपने माता-पिता के पश्चात सबसे अधिक विश्वास अपने गुरु पर करते हैं। गुरु द्वारा कहे गए शब्द उनके मन में घर कर लेते हैं। इसीलिए अध्यापकों को अपना ज्ञान सदैव बांटते रहना चाहिए। शिक्षक के पास ही वह कला है, जो मिट्टी को सोने में बदल सकती है।

शिक्षक का मेरे जीवन में महत्व

अंत में शिक्षक को समर्पित कुछ शब्द कहना चाह्ता हूँ कि, “आपने बनाया है इस योग्य कि, प्राप्त करूं अपना लक्ष्य दिया है आपने हर समय सहारा, जब जब मुझे लगा कि अब मैं हारा”। जिस प्रकार औरत बालक को जन्म व शिक्षा देकर उसे अच्छा इंसान बनाती हैं, उसी प्रकार गुरु से अच्छी शिक्षा लेकर अच्छा नागरिक बनता है। जिस प्रकार मां बालक को जन्म देती है, उसी प्रकार शिक्षक उसे उचित शिक्षा व मार्गदर्शन देकर उसके सुंदर व उज्जवल भविष्य का निर्माण करता है। परिवार बालक की प्रथम पाठशाला होती है। माता उसकी प्रथम शिक्षिका होती है और उसके पश्चात शिक्षक ही उसके मार्गदर्शक होते हैं।

शिक्षक के रूप में किरदार निभाने वाला आदमी भगवान होता है और वह प्रसाद रूपी ज्ञान बांटता है। हमें इस ज्ञान का अपने जीवन में उपयोग करना चाहिए। भगवान के प्रसाद को कभी मना नहीं कर सकते और उसी प्रकार से शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान यदि हम नहीं लेते हैं, तो हम आगे नहीं बढ़ सकते। शिक्षक एक ऐसा महात्मा है, जिसके पास ज्ञान का समुंदर भरा होता है।

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शिक्षक पर निबंध

Essay on Teacher in Hindi

शिक्षक पर निबंध : Essay on Teacher in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘शिक्षक पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। यदि आप शिक्षक पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

शिक्षक पर निबंध : Essay on Teacher in Hindi

प्रस्तावना :-

एक व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग उसका बचपन होता है। बचपन में सीखी गई चीज़ें उसे उसके भविष्य के लिए तैयार करती है। एक व्यक्ति का बचपन एक कच्चे घड़े के समान होता है।

जिस प्रकार मिट्टी के एक कच्चे घड़े को कुम्हार किसी भी आकृति में ढाल सकता है, ठीक उसी प्रकार एक बच्चे को भी बचपन मे ही जिस आकृति में ढाल दिया जाता है उसी तरह का उसका पूरा जीवन हो जाता है।

जिस प्रकार मिट्टी के घड़े को आकृति देने का काम एक कुम्हार का होता है, उसी प्रकार एक बच्चे को शिक्षित करने का काम एक शिक्षक का होता है। किसी भी चीज़ को सीखने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है।

शिक्षक का महत्व :-

एक मनुष्य के जीवन में जितना अधिक महत्व शिक्षा का होता है, उतना ही अधिक महत्व शिक्षक का भी होता है। क्योंकि शिक्षक ही एक बच्चे को सही ज्ञान प्रदान कर शिक्षित करता है। शिक्षक कक्षा के प्रत्येक छात्र को बराबर नजरों से देखता है। वह प्रत्येक विद्यार्थी की कमजोरी व ताकत को समझकर उन्हें रास्ता दिखाता है।

इसीलिए शिक्षक समय-समय पर परीक्षा लेकर बच्चे की स्थिति से उन्हें अवगत करवाता है, ताकि विद्यार्थी यह जान सके कि उन्हें कितनी अधिक मेहनत की आवश्यकता है। एक शिक्षक ज्ञान का दीपक होता है। वह अपने चारों तरफ ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।

शिक्षक भविष्य के निर्माता :-

हमारी जिंदगी में बहुत से रिश्तें आते है और चले जाते हैं, लेकिन सिर्फ हमारे माता-पिता ही होते है, जो बिना स्वार्थ के हमारे साथ रहते है। यदि माता-पिता के बाद कोई व्यक्ति जो हमारे भविष्य के बारे में सोचता है, तो वह और कोई नही बल्कि शिक्षक ही होता है।

शिक्षक एक देश के भविष्य में बहुत बड़ा योगदान देता है। एक देश का भविष्य उसके युवाओं व बच्चों के हाथ में होता है, क्योंकि भविष्य में बच्चों को ही कुछ न कुछ बनकर देश को संभालना है। इन सभी को सही शिक्षा प्रदान करने का काम शिक्षकों का होता है।

शिक्षक कैसे बनते है? :-

एक व्यक्ति को ज्ञान प्रदान करने वाला एक शिक्षक होता है। एक शिक्षक के पास भी काफी अधिक ज्ञान होना चाहिए, ताकि वह बच्चों को सही ज्ञान प्रदान कर सके। इसके लिए भारत सरकार द्वारा एक बी.एड. की पढ़ाई होती है, जो कि एक शिक्षक बनने के लिए करनी पड़ती है।

उसके बाद ही वह बच्चों को शिक्षित करने योग्य बनता है। यदि कोई उच्च कक्षा के बाच्चों को शिक्षा प्रदान करना चाहता है, तो उसे और भी अधिक शिक्षा प्राप्त करनी होती है।

एक शिक्षक एक विद्यार्थी का भविष्य तय करता है। पहले के समय में बच्चे गुरुकुल में गुरू से धर्म के बारे में सीखते थे। अब बच्चे शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाते है और शिक्षक एक विद्यार्थी को ज्ञान प्रदान करता है।

कईं बार शिक्षक विद्यार्थियों को कठोरता से समझाता हैं, कईं बार विद्यार्थियों को वह कठोरता बिल्कुल पसंद नहीं आती है। लेकिन भविष्य में वही कठोरता बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाती है।

हमारे पुराणों में भी कहा है कि जब भगवान व गुरु दोनों खड़े हो, तो एक छात्र को हमेशा पहले गुरु के चरणों को स्पर्श करना चाहिए। भगवान को भी पृथ्वी पर आकर ज्ञान लेने के लिए गुरु का ही सहारा लेना पड़ता है।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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Essay on My Teacher in Hindi- मेरी अध्यापिका पर निबंध

In this article, we are providing Essay on My Teacher in Hindi | Meri Adhyapika Essay in Hindi, मेरी अध्यापिका पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों आज हमने My Teacher Essay in Hindi लिखा है। अध्यापक  पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4,5, 6, 7, 8, 9 ,10 और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

मेरी अध्यापिका पर निबंध | Teacher par Essay in 100 to 120 words

सविता मैडम हमारी कक्षा की अध्यापिका हैं। वे हमें सभी विषय पढ़ाती हैं। हम सब उनके आने से प्रसन्न हो जाते हैं।

सविता मैडम सरल व शांत स्वभाव की हैं। उन्हें बच्चों से हँसीमज़ाक करना बहुत अच्छा लगता है। सविता मैडम को कभी गुस्सा नहीं आता। वे सदा गोद में बिठाकर प्रेम से समझाती हैं।

हमारी सभी बातों को ध्यान से सुनकर मैडम हमारे प्रश्नों के उत्तर देती हैं। उनकी लिखाई बहुत सुंदर है। हम भी उनकी तरह सुंदर लिखने की कोशिश करते हैं। सीमा

सविता मैडम को हम सब बच्चों के नाम भी याद हैं। वे हमें पढ़ाई के अलावा सुंदर कविताएँ और कहानियाँ भी सिखाती हैं। हमारी कक्षा के सभी बच्चे प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और सफल होते हैं।

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Essay on My Teacher in Hindi | हमारे अध्यापक जी पर निबंध 120 to 150 words

हमारे अध्यापक जी का नाम श्री शंकर है। उनकी आयु लगभग पचास वर्ष है। उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। वे इस विद्यालय में पिछले वर्ष आए थे। वे जालन्धर के रहने वाले हैं। वे समय पर स्कूल में आते हैं। उनका स्वभाव बहुत ही सरल है। वे बच्चों को प्यार करते हैं और उन्हें अपने बेटों के समान समझते हैं। वे सत्य बोलने पर बहुत जोर देते हैं। वे कभी झूठ नहीं बोलते। उनका रहन-सहन सादा है। वे पजामा, कमीज तथा ऐनक पहनते हैं।

वे योग्य और परिश्रमी अध्यापक हैं। हमें वे बहुत प्यार से पढ़ाते हैं। वे दण्ड कभी नहीं देते हैं। वे हमें डाँटते भी नहीं हैं। वे हमें हिन्दी और गणित पढ़ाते हैं। स्कूल के सब छात्र उनकी प्रशंसा करते हैं। वे हमारे साथ खेलों में भी भाग लेते हैं। हम भी अपने अध्यापक जी की आज्ञा मानते हैं। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं।

10 Lines on My Favourite Teacher in Hindi

10 Lines on Teachers Day in Hindi

My Teacher Essay in Hindi 300 words

मैं माडर्न स्कूल, वसंत विहार में पढ़ता हूँ। मैं छठी कक्षा में पढ़ता हूँ। मेरी कक्षा की अध्यापिका श्रीमती शर्मा हैं। वे हमें बड़े प्यार से पढ़ाती हैं। वे बड़े शान्त स्वभाव की महिला हैं। उन्होंने एम. ए. हिन्दी में किया है। उनकी आयु चालीस वर्ष है। वे हमें हिन्दी और संस्कृत पढ़ाती हैं। वे हमें कभी नहीं मारतीं। वे पाठ को स्वयं पढ़कर तथा श्यामपट पर लिखकर समझाती हैं। कमजोर बच्चों का वे विशेष ध्यान रखती हैं। पाठ समझ न आने पर वे दोबारा समझाती हैं। कभी-कभी वे हमें डाँटतीं भी हैं। हम सब बच्चे उनका बहुत आदर करते हैं।

माता-पिता के बाद अध्यापक ही बालक के जीवन को बनाने वाला होता है। यदि अध्यापक महान हो तो उनका बच्चों पर अच्छा असर पड़ता है। मेरी अध्यापिका एक महान महिला हैं। वे एक धार्मिक विचारों की महिला हैं। वे सब बच्चों को अपने बच्चों के समान प्यार करती हैं। वे हमें अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनाती हैं। सब बच्चे उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुनते हैं।

मेरी अध्यापिका स्कूल के पास रहती हैं। वे सदा समय पर स्कूल आती हैं। वे सदा खड़ी होकर हमें पाठ पढ़ाती हैं। वे पढ़ाते-पढ़ाते हमें हँसाती हैं और स्वयं भी हँसती हैं। वे कक्षा के अनुशासन का बहुत ध्यान रखती हैं। हमारे मुख्याध्यापक भी उनका आदर करते हैं।

श्रीमती शर्मा साधारण वस्त्र पहनती हैं। उनके वस्त्र सदा साफ और उजले होते हैं। उनके माथे पर तेज है। उनकी प्रतिभा और विद्वता का प्रभाव हम सब पर पड़ता है। वे एक आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी

श्रीमती शर्मा हमें कभी-कभी पिकनिक के लिए किसी उद्यान में या किसी नदी के किनारे ले जाती हैं। वहाँ वे हमारे साथ खेलती हैं। वे हमें माँ का प्यार देती हैं। हम उनको कभी नहीं भूल सकते।

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों My Teacher Par Essay in Hindi  article आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

इस लेख के माध्यम से हमने My Teacher Par Nibandh |  Essay on My Teacher in Hindi का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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यदि मैं शिक्षक होता पर निबंध (If I Were A Teacher Essay In Hindi)

यदि मैं शिक्षक होता पर निबंध (If I Were A Teacher Essay In Hindi)

आज हम यदि मैं शिक्षक होता तो पर निबंध (Essay On If I Were A Teacher In Hindi) लिखेंगे। यदि मैं शिक्षक होता पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

यदि मैं शिक्षक होता विषय पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On If I Was A Teacher In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

शिक्षक बच्चो को पढ़ाते है और उनके आने वाले भविष्य को उज्जवल बनाते है। शिक्षक की सबसे अहम जिम्मेदारी है विद्यार्थियों को शिक्षित करना और उन्हें सम्पूर्ण रूप से तैयार करना। शिक्षा का महत्व हर युग में बढ़ता चला जा रहा है। हर व्यक्ति का शिक्षित होना अनिवार्य है।

शिक्षा प्राप्त करना सभी का मौलिक अधिकार है। शिक्षक विद्यार्थियों को काबिल बनाते है, ताकि वह ज़िन्दगी में कुछ कर सके और अपने और अपने परिवार का नाम रोशन कर सके। ज़िन्दगी में एक अच्छा और सफल नागरिक बनने के लिए शिक्षक का मार्ग दर्शन प्राप्त करना विद्यार्थियों के लिए  ज़रूरी होता है।

कभी कभी मैं सोचता हूँ यदि मैं शिक्षक होता तो क्या करता। यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों के प्रति अपने कर्त्तव्य को पूरे निष्ठा के साथ निभाता। यदि मैं अध्यापक होता तो हमेशा मैं अपने विषय संबंधित पुस्तकों के साथ जीवन मूल्यों और नविन तथ्यों को भी पढ़ाता, ताकि मैं विद्यार्थियों के समक्ष नए विचारो को प्रस्तुत कर सकूँ। यदि मैं अध्यापक होता तो यह मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात होती।

पैसे के बारें अधिक ना सोचता

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को अच्छे तरह से पढ़ाने के बारें में सोचता। मैं उन्हें नए तरीको के साथ पढ़ाने की चेष्टा करता। आजकल विद्यालय और कॉलेज में पढ़ा रहे अध्यापक पैसे कमाने पर अधिक ध्यान देते है। रोजगार करना आवश्यक है।

लेकिन कुछ अध्यापक कक्षा में अधिक नहीं पढ़ाते है और बच्चो पर दबाव डालते है कि वह उनके पास ट्यूशन के लिए आये। यह गलत है। विद्यार्थी अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है।  यदि मैं अध्यापक होता तो पूरे पाठ को अच्छे से समझाता ताकि विद्यार्थी को ट्यूशन लेने की ज़रूरत ना पड़े।

सभी शिक्षकों को कक्षा में ही अपने विषयो की व्याख्या करनी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को बाहर कोचिंग के लिए ना जाने पड़े।

विद्यार्थी को कभी निराश नहीं होने देता

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को अच्छे से पाठ को समझाता। हर वाक्य की अच्छे से व्याख्या करता और विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाता। हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करता कि वह अच्छे से पढ़ाई करे और परीक्षा में अच्छे अंक लाये।

कभी कभी कम अंक लाने से विद्यार्थी निराश हो जाते है। ऐसे मौको पर मैं उन्हें निराश नहीं होने देता और पुनः कोशिश करने के लिए कहता। जिन विद्यार्थियों को कम अंक आते है और जिन्हे विषय संबंधित डाउट अर्थात शंका होती है, तो मैं उन्हें अलग से पढ़ाता। ऐसे विद्यार्थियों पर भी शिक्षक को अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि वह पीछे ना रहे।

गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा

यदि मैं अध्यापक होता तो विद्यालय में पढ़ाने के पश्चात मैं गरीब, ज़रूरतमंद बच्चो को निशुल्क शिक्षा प्रदान करता। अक्सर गरीब परिवारों के पास पैसे नहीं होते है, इसलिए मैं अध्यापक बनकर उन्हें पढ़ाता। भले ही मुझे पैसे ना मिलते, लेकिन मैं उन बच्चो को उचित शिक्षा प्रदान करता।

विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाता

यदि मैं शिक्षक होता, तो विद्यार्थियों को कभी गलत राह चुनने नहीं देता। विद्यार्थी अगर कोई गलत फैसला करते या गलत राह पर चलते तो मैं उन्हें सही राह दिखाता। उन्हें कभी भटकने नहीं देता। अगर वह किसी प्रतियोगिता में हार जाते तो उसे सबक समझकर आगे विजय प्राप्त करने के लिए उन्हें उत्साहित करता।

शिक्षक एक सच्चा पथ प्रदर्शक

शिक्षक एक सच्चा मार्ग दर्शक होता है। वह एक मोमबत्ती के जैसे विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा रूपी रोशनी भर देता है। अक्सर शिक्षक गुस्सा होकर बच्चो को समझाने के लिए मारते -पीटते है। मारने पीटने से बच्चो पर कुछ ख़ास असर नहीं होता है।

कभी कभी कुछ बच्चे जिद्दी बन जाते है। यदि मैं शिक्षक होता तो संयम रखकर बच्चो को समझाता और जीवन से संबंधित कुछ उदाहरण पेश करता, ताकि उन्हें अच्छे से हर पहलु समझ सके। मैं उनका सच्चा मित्र बनकर उन्हें सही रास्ता दिखाता। मैं उन्हें भटकने नहीं देता। यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थी को ईमानदारी की राह पर सैदेव चलने के लिए कहता।

व्यवहारिक ज्ञान पर ज़ोर

कुछ शिक्षक बच्चो को किताबी ज्ञान तक ही सीमित रखते है। यदि मैं शिक्षक होता तो सिर्फ विद्यार्थियों को विषय पुस्तक के पाठ को समझाने के साथ प्रैक्टिकल अर्थात व्यवहारिक ज्ञान भी प्रदान करता। पुस्तकों के ज्ञान को असल जीवन से जोड़कर समझाता ताकि उन्हें समझने में आसानी हो।

देश के प्रति दायित्व

यदि मैं शिक्षक होता तो अपने विद्यार्थियों को देशभक्तो की कहानी चुनाता। उनके बलिदान और देश प्रेम से जुड़े सारी घटनाओ को विद्याथियों को विस्तार से बताता। इससे विद्याथियों को एक सच्चे देशभक्त होने का महत्व पता चलता है और वह भी एक सफल और जिम्मेदार नागरिक के साथ एक सच्चे देशभक्त बनते है ।

विद्यार्थियों को ट्यूशन लेने की आवश्यकता ना होती

यदि मैं अध्यापक होता तो विद्यार्थियों को इतना विस्तार से समझाता कि उन्हें ट्यूशन लेने की आवश्यकता ना होती। मेरे पढ़ाये हुए नोट्स पढ़कर वह परीक्षाओं में अच्छे अंक ले आते। अगर कक्षा में शिक्षक अच्छे से विस्तार से पढ़ाये तो विद्यार्थियों को ट्यूशन लेने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।

परीक्षा की तैयारी

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को कक्षा में ही परीक्षा की तैयारी करवाता। इससे विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनमे एक जिम्मेदारी पनपती है और वह परीक्षा में बेहतर करते है।

यदि विद्यार्थियों को कोई चीज़ समझ ना आये, तो मैं उन्हें समझाने की बार बार कोशिश करता। पाठ में मौजूद विभिन्न शंकाओ को दूर करता। पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों को हल कराने में उनकी मदद करता।

शिक्षक का महत्व कम होना

शिक्षा का महत्व तो बढ़ रहा है। मगर पहले जैसे गुरु या शिक्षक को जैसे मान -सम्मान मिलता था, वैसा आज का माहौल नहीं है। इसका दोष समाज में पनप रहे आदर्श रहित मनुष्य है।  कुछ दोष कुछ शिक्षकों का भी है, जिन्होंने शिक्षा को एक व्यापार बनाकर रख दिया है।

गली महौल्ले में कोचिंग सेंटर खुल गए है और शिक्षा को बेचा जा रहा है। शिक्षा को इस तरह व्यवसाय बना देने से भी शिक्षक अपनी अहमियत खो रहे है। यदि मैं शिक्षक होता तो पैसो को कम और विद्या को लोगो तक पहुंचाने में ज़्यादा रूचि रखता।

शिक्षण प्रणाली

शिक्षा पद्धति सिर्फ पुस्तकों के ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए। यदि मैं शिक्षक होता तो शिक्षा प्रणाली में बदलाव करता। मैं दीवारों के अंदर शिक्षा प्रदान करने के साथ विद्यार्थियों को बाहर के वास्तविक ज्ञान से रूबरू करवाता।

सिर्फ विद्यार्थी अपने पाठ को रट कर परीक्षा पास करे यह सही नहीं है। विद्यार्थियों में बुनियादी ज्ञान होना ज़रूरी है। यह तभी मुमकिन है जब वह किताबो से निकलकर उस तह तक जाएंगे। विद्यार्थियों को वास्तविक ज्ञान से परिचित करवाना शिक्षक का कर्त्तव्य है। यदि मैं शिक्षक होता तो बंधे और पुराने शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाने की चेष्टा करता।

विद्यार्थियों को समाज में मौजूद अन्धविश्वाशो से दूर रखता

यदि मैं शिक्षक होता तो मैं विद्यार्थियों को समाज में मौजूद अंधविश्वास जैसे दहेज़ प्रथा, धर्म जाति पर विवाद जैसे गलत सोच से दूर रखता। उन्हें अन्याय के विरुद्ध अपना विचार रखने के लिए कहता और सही मार्ग दिखाता।

मैं विद्यार्थियों को अच्छी सोच रखने की सलाह देता। विद्याथियों को नम्रता, संयम, सम्मान करना और सबसे ज़रूरी चीज़ सही गलत, अच्छे बुरे में फर्क करना सिखाता।

परीक्षाएं लेता

शिक्षक होने के नाते यह मेरा फ़र्ज़ होता कि विद्यार्थी कितना सीख रहे है और उसकी मैं जांच करता। जांच करने के लिए मैं जो भी सीखाता उसकी परीक्षा लेता। समय समय पर बच्चो की परीक्षा लेना ज़रूरी होता है। परीक्षाएं दर्शाती है विद्यार्थी कितने तैयार है और वह विषय संबंधित तथ्यों को कितना समझ और सीख पाए है।

विद्यार्थी को सम्पूर्ण रूप से तैयार

यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों को समूर्ण रूप से तैयार करता। ठीक वैसे ही जैसे कुम्हार गीली मिटटी से बर्तन बनाने के लिए उसे अपने हाथों से एक आकार प्रदान करता है। उसी तरह मैं भी बच्चो को शिक्षा द्वारा नए सांचे में परिवर्तित करता।

विद्यार्थियों को अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले आता। एक व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली का निर्माण करता, जिससे वह एक सफल ओर योग्य नागरिक बन सके। सच्ची शिक्षा वही है जो विद्यार्थियों को अपने जिम्मेदारियों का अहसास दिलवाये।

किताबो की शिक्षा के साथ जीवन के नए माईने भी सिखलाये। यदि मैं अध्यापक होता तो खुले आसमान के नीचे उन्हें जीवन का नया पाठ सिखलाता। आजकल विद्यार्थी किताबो को पढ़कर ही परीक्षाएं पास करते है। यदि मैं शिक्षक होता तो उन्हें गहन अध्ययन करवाता। ज्ञान सिर्फ किताबो तक ही सीमित नहीं होती है।

यदि मैं शिक्षक होता, तो विद्यार्थियों को सम्पूर्ण व्यक्तित्व वाला इंसान बनाने का प्रयत्न करता। उन्हें समझता और उनके अच्छाईयों का समर्थन करता और गलत चीज़ो पर टोकता। मैं ट्यूशन और गाइड इत्यादि को समाप्त कर, व्यवहारिक शिक्षा को अधिक प्राथमिकता देता। यदि मैं शिक्षक होता तो विद्यार्थियों के आने वाले भविष्य को संवारता और उन्हें एक काबिल इंसान बनाता।

इन्हे भी पढ़े :-

  • यदि मैं शिक्षा मंत्री होता पर निबंध (If I Were A Education Minister Essay In Hindi)
  • मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay In Hindi)
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  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता पर निबंध (If I Were A Prime Minister Essay In Hindi)
  • यदि मैं डॉक्टर होता पर निबंध (If I Am A Doctor Essay In Hindi)
  • शिक्षा पर निबंध (Essay On Education In Hindi)

तो यह था, अगर मैं शिक्षक होता तो पर निबंध, आशा करता हूं कि यदि मैं शिक्षक होता  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On If I Am A Teacher) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Bringing educators together this Teacher Appreciation Week

May 06, 2024

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2024 National Teacher of the Year Missy Testerman shares an open letter to educators across the U.S. with a message of strength and togetherness.

Headshot_Missy

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Editor’s Note: For the eighth year, Google for Education has partnered with the Council of Chief State School Officers ( CCSSO ) to support educators nationwide through the annual National Teacher of the Year Program . In honor of Teacher Appreciation Week, 2024 National Teacher of the Year Missy Testerman from Tennessee shares an open letter to her fellow educators.

Dear teachers,

I don’t remember much about the first classrooms I was in. I’m sure there were desks and I know there were crayons. But what I do remember are the teachers — Mrs. Rhymer, Miss Guggisburg, Mrs. Stooksbury, and Mrs. Long — and how they made me feel. These teachers nurtured and motivated me to not only learn the content they taught, they gave me a model for who I wanted to be.

My teachers taught me the value of dignity. As teachers, we offer dignity for our students when we “stand in the gap” each day. When we listen to our students and show them a path, or when we notice what they need and remove a barrier to achieve it, we create a “pass through” from where they are to who they can become. This can be sending a bag of food home over a long weekend, helping a family locate a counselor for a teen struggling with depression, or a snack for a student headed to football practice. Most of the time, these little acts of noticing and acting go unseen by most, but to the student whose dignity is restored because of it, respect is established, trust is built, and their potential is brought to life.

A female teacher smiling with 5 young female students in a classroom

Missy in the classroom with her students.

Photo credit: Tennessee State Department of Education

We meet students where they are, no matter the difficult circumstances they face: be it generational poverty, challenges at home, or mental health struggles. We love them through it all. Great teachers know, however, that loving our students is not enough. If we only love and care for our students, we do not help them affect the trajectories of their lives. That only happens when we hold high expectations for all students and celebrate their progress. We must firmly believe that all students are capable of learning and continually move the bar higher as they achieve new heights. Only then do we really help our students create a future for themselves.

Teachers know the future comes from what we do everyday as we build trust with them that allows them to feel comfortable enough to make mistakes without fear. Those mistakes are just as much of the learning process as the connections we make with our students. If our students leave our classrooms without gaining ground in crucial skills, they’re going to continue to struggle moving forward. They will be unprepared for whatever lies ahead. They will be stuck spinning their wheels in a system that depends upon an escalation of progress. Our goal is to set them up for success when we’re not there.

A female teacher supervising her students’ work in the classroom.

“There will always be students who are in need of inspiration and a desire to learn.”

As this year’s National Teacher of the Year, I’ve had the honor to learn from so many teachers from across the country. Cat Walker, who teaches Oceanography and Marine Biology in Alaska, sometimes dons a scuba diving suit during her classes. Joe Nappi, who teaches History in New Jersey, can explain the history behind the most complex geopolitical conflicts in a way that anyone can understand. And, Christy Todd who teaches Music Technology in Georgia, with a passion for inclusivity that reminds me of what is important not just in education, but in life.

While everyone comes from all walks of life, the common thread that brings us together is our love and passion for our students and our calling to meet them where they are, to help create a better future for themselves.

An illustrated image of a large “teacher” frog and 6 smaller “student” frogs sitting on a book.

This year’s Google Doodle honors Teacher Appreciation Week, and shows how teaching is many small actions that come together to nurture our students’ success.

Teaching is often doing the little things, whether it is taking the time to write an encouraging note on a student’s paper or offering support to a frustrated student who simply isn’t even going to attempt a task. It’s listening and watching to make sure that students have what they need to succeed.

During this Teacher Appreciation Week, I know that you are all doing the little things, and sometimes they are actually big, heavy things. Please know that you are seen, and you are appreciated.

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Home » Essay Hindi » शिक्षक पर निबंध हिंदी में | Essay On Teacher In Hindi

शिक्षक पर निबंध हिंदी में | Essay On Teacher In Hindi

इस लेख Essay On Teacher In Hindi Language में शिक्षक पर निबंध हिंदी लेखन के जरिये शिक्षक या गुरु के महत्व (Importance Of Teacher In Hindi) पर प्रकाश डाला गया है। विद्यार्थी जीवन के सर्वांगीण विकास में मुख्य भूमिका शिक्षक की होती है। एक अच्छा शिक्षक बच्चों को बेहतर भविष्य देता है। विद्यालय प्रांगण में शिक्षा का प्रसार शिक्षक करता है।

भारत देश में शिक्षक को गुरु की उपाधि दी गई है। शिक्षक का महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Teacher In Hindi For Class 6, 7, 8, 9, 10) में शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका, महत्व और एक अच्छे शिक्षक की विशेषता पर प्रकाश डालेंगे।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, का के लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाये। – कबीर

शिक्षक पर निबंध – Essay On Teacher In Hindi

Essay On Teacher In Hindi – शिक्षक वर्तमान पर कार्य करके भविष्य का निर्माण करता है। बच्चे देश का भविष्य होते है और शिक्षक इन्हें ही तैयार करता है। प्रत्येक मनुष्य का जीवन बिना शिक्षक के अधूरा है। बच्चे की पहली शिक्षक उसकी माँ होती है। यही से उसे अच्छे और बुरे की पहचान होती है।

विद्यालय में प्रवेश के बाद शिक्षक ही बच्चे के भविष्य के लिए जिम्मेदार होता है। बच्चे का मानसिक और बौद्धिक विकास शिक्षक ही करता है। शिक्षक के उचित मार्गदर्शन में बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है। हिन्दू शास्त्रों में शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया गया है।

“ज्ञानार्थ प्रवेश और सेवार्थ प्रस्थान” का मूल मंत्र किसी भी विद्यालय का अनिवार्य योग है। बच्चे का दूसरा घर विद्यालय होता है जहां पर शिक्षक उसके पेरेंट्स की भांति ध्यान रखते है। बच्चों में अच्छे संस्कार के लिए केवल माता पिता ही जिम्मेदार नही होते है। शिक्षक भी उतने ही संस्कारों के लिए जिम्मेदार है। गुरु की तुलना एक कुम्हार से की गई है जो गीली मिट्टी रूपी विद्यार्थी को घड़े रूपी ज्ञान का आकार देता है।

गुरु के पास ज्ञान का भंडार होता है। विद्यार्थी जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षक अपना सम्पूर्ण ज्ञान लगा देता है। ज्ञान बांटने से बढ़ता है और टीचर यही करता है। विद्यालय में हर एक विषय का अध्यापक होता है जो विशेष विषय का अध्यापन करता है। गणित, अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान जैसे कई विषयों के अध्यापक विद्यालय में होते है। इनमें से किसी भी विषय का अध्यापक उस विषय का विद्वान होता है।

शिक्षक का महत्व – Importance Of Teacher In Hindi

शिक्षक पर निबंध Essay On Teacher In Hindi – विद्यार्थी को पढ़ाई कराना शिक्षक का कर्तव्य होता है। टीचर अपने इस कर्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से करता है। शिक्षक को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है। श्रेस्ठ व्यवहार और नैतिकता का पाठ विद्यार्थी अपने शिक्षक से ही सीखता है। विद्यार्थी के गुणों की पहचान टीचर को ही होती है।

उत्तम शिक्षक से उत्तम गुण प्राप्त होते है। आगे चलकर भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर इत्यादि शिक्षक ही तैयार करता है। एक गुरु, शिक्षक या अध्यापक आगे की एक पूरी पीढ़ी तैयार करते है। शिक्षक का एकमात्र लक्ष्य बच्चे के मन रूपी मंदिर में ज्ञान का दीपक जलाना होता है।

यह जरूरी नही है कि शिक्षक केवल बौद्धिक विकास ही करता है। शिक्षक मनुष्य का शारीरिक विकास भी करता है। सचिन तेंदुलकर, पीटी उषा, साइना नेहवाल जैसे खेलों के बड़े नाम की सफलता के पीछे शिक्षक ही है। बिना शिक्षक के सफलता नही मिलती है।

भारत ने वर्ष 2011 क्रिकेट का वर्ल्डकप जीता था। इस जीत में सारे खिलाड़ियों का योगदान था लेकिन उस वक्त के क्रिकेट कोच गैरी कर्स्टन का योगदान भी कम नही है। कार्य का कोई भी क्षेत्र हो खेल, राजनीति, फिल्म्स, बिज़नेस, इंजीनियरिंग, डॉक्टर्स या अध्यापन। इन सारे क्षेत्रों में सफलता के लिए गुरु का होना जरूरी है। बिना किसी गुरु के सफलता प्राप्त करना मुश्किल होता है।

गुरु अनन्त तक जानिए, गुरु की और न छोर। गुरु प्रकाश का पूंज है, निशा बाद का भोर।

अच्छा शिक्षक की विशेषता (Teacher Essay In Hindi)

एक अच्छा शिक्षक कौन है? यह प्रश्न आपके मन में आता होगा। इसका जवाब बिल्कुल आसान है कि अच्छा शिक्षक शिक्षण के प्रति ईमानदार होता है। पूर्ण रूप से समर्पित होकर पढ़ाता है। वो अपने विद्यार्थियों में भेद नही करता है। उसके लिए सारे स्टूडेंट्स एक समान है।

गुरु की नजर में पढ़ाई में अच्छे या बुरे सभी प्रकार के विद्यार्थी समान है। वो उन पर एकसमान ध्यान देता है और सभी विद्यार्थी शिक्षक को प्रिय होते है। एक अच्छे गुरु को धैर्यवान होना जरूरी है। शिक्षक को विद्यार्थी के मित्र की भांति होना चाहिए। एक महान गुरु ही महापुरुष का निर्माण करता है।

भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म के दिन मनाया जाता है। एक अच्छे शिक्षक को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के समान होना चाहिए। बुरा शिक्षक बुराई को जन्म देता है और अच्छा शिक्षक अच्छाई को जन्म देता है।

आदर्श शिक्षक पर निबंध – Guru Or Shikshak Par Nibandh

हमें गुरु का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वो इसके हकदार है। वर्तमान में विद्यार्थी के मन में शिक्षक के लिए सम्मान कम हुआ है और इसका सबसे बड़ा कारण खुद शिक्षक है। आजकल के ज्यादातर शिक्षक विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान देते है और उन्हें व्यवहारशील नही बनाते। अच्छा शिक्षक किताबी ज्ञान के साथ सामाजिक व्यवहारशीलता की शिक्षा भी देता है।

वैसे मित्रो दुनिया में आज भी ऐसे शिक्षक मौजूद है जो शिक्षण कार्य को ईश्वर की भक्ति मानते है। शिक्षक हमें सम्मान और सजा दोनों देते है। विद्यार्थी जीवन में अक्सर गलती होती रहती है। गुरु का काम बच्चे की गलती पहचानकर उसे गलती का अहसास कराना होता है। बेहतर समाज, बेहतर देश बनाने में शिक्षक की भूमिका अहम है। शिक्षक अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान रूपी प्रकाश को विद्यार्थी जीवन में उतारता है।

इस पोस्ट Essay On Teacher In Hindi में शिक्षक पर निबंध लेखन (Shikshak Par Nibandh) और शिक्षक का महत्व (Importance Of Teacher In Hindi) पर जानकारी आपको कैसी लगी? “Guru Par Nibandh” आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा, ऐसी हम आशा करते है। यह पोस्ट “Teacher Par Nibandh Hindi Mein” पसंद आयी हो तो इसे फेसबुक और ट्विटर पर शेयर जरूर करे।

यह भी पढ़े – 

  • विद्यालय पर निबंध
  • शिक्षा पर निबंध
  • पुस्तकों पर निबंध

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Serge Schmemann

Student Protest Is an Essential Part of Education

Student protesters at Columbia University being removed from campus by plainclothes police officers in 1968.

By Serge Schmemann

Mr. Schmemann is a member of the editorial board and a former Moscow bureau chief for The Times. He was a first-year graduate student at Columbia in 1968.

Anyone who was at Columbia University in the spring of 1968 cannot help but see a reprise of those stormy, fateful and thrilling days in what is happening on the Morningside Heights campus today.

But there is a troubling and significant difference. If the students back in ’68 were divided into rebellious, longhaired pukes and conservative, close-cropped jocks, with a lot of undecided in between, the current protests at Columbia — and at the growing number of other campuses to which they have spread — have witnessed personal and often ugly divisions between Jewish students and Arab or Muslim students or anyone perceived to be on the “wrong” side of the Israeli-Palestinian conflict.

That, in turn, has thrust the protests squarely into the polarized politics of the land, with politicians and pundits on the right portraying the encampments as dangerous manifestations of antisemitism and wokeness and demanding that they be razed — and many university administrations calling in the police to do just that.

The transformation of the protests into a national political football is perhaps inevitable — everyone up to President Richard Nixon sounded off about students in ’68 — but it is still a shame. Because student protests, even at their most disruptive, are at their core an extension of education by other means, to paraphrase Carl von Clausewitz’s famous definition of war.

The hallowed notion of a university as a bastion of discourse and learning does not and cannot exclude participation in contemporary debates, which is what students are being prepared to lead. From Vietnam to apartheid to the murder of George Floyd, universities have long been places for open and sometimes fiery debate and inquiry. And whenever universities themselves have been perceived by students to be complicit or wrong in their stances, they have been challenged by their communities of students and teachers. If the university cannot tolerate the heat, it cannot serve its primary mission.

The counterargument, of course, is that without decorum and calm, the educational process is disrupted, and so it is proper and necessary for administrations to impose order. But disruption is not the only byproduct; protests can also shape and enhance education: a disproportionate number of those who rose up at Columbia in 1968 went into social service of some sort, fired by the idealism and faith in change that underpinned their protests and by the broader social movement of the ’60s.

I was a first-year graduate student at Columbia in ’68, living in the suburbs and so more of a witness than a participant in events of that spring. But it was impossible not to be swept up in the passions on the campus.

The catalyst was a protest by Black students over the construction of a gym in Morningside Park , which touched on many Black grievances against the university — the way it was pushing into Black neighborhoods, the gym’s limited access and separate door for area residents, many of them Black. The slogan was “Gym Crow must go.”

The Black sit-in quickly galvanized students from all the other social and political causes of that turbulent era — a war that was killing scores of American boys and countless Vietnamese every week, racism that just weeks earlier took the life of the Rev. Dr. Martin Luther King Jr. and, yes, a celebration of flower power and love. The gym issue at Columbia was quietly resolved, but by then, other students were occupying several buildings. Finally, Columbia’s president, Grayson Kirk, called in the police.

I have a snapshot embedded in my memory of groups of students milling about the grounds, which were littered with the debris of the confrontation, many of them proudly sporting bandages from the injuries inflicted by the violent sweep of the Tactical Patrol Force. Psychedelic music blared from some window, and a lone maintenance man pushed a noisy lawn mower over a surviving patch of grass.

The sit-ins had been ended, and order was being restored, but something frightening and beautiful had been unleashed, a faith that mere students could do something about what’s wrong with the world or at least were right to try.

The classic account of Columbia ’68, “The Strawberry Statement,” a wry, punchy diary by an undergraduate, James Simon Kunen, who participated in the protests, captures the confused welter of causes, ideals, frustrations and raw excitement of that spring. “Beyond defining what it wasn’t, it is very difficult to say with certainty what anything meant. But everything must have a meaning, and everyone is free to say what meanings are. At Columbia a lot of students simply did not like their school commandeering a park, and they rather disapproved of their school making war, and they told other students, who told others, and we saw that Columbia is our school and we will have something to say for what it does.”

That’s the similarity. Just as students then could no longer tolerate the horrific images of a distant war delivered, for the first time, in almost real time by television, so many of today’s students have found the images from Gaza, now transmitted instantly onto their phones, to demand action. And just as students in ’68 insisted that their school sever ties to a government institute doing research for the war, so today’s students demand that Columbia divest from companies profiting from Israel’s invasion of Gaza. And students then and now have found their college administrators deaf to their entreaties.

Certainly there’s a lot to debate here. Universities do have a serious obligation to protect Jewish students from antisemitism and to maintain order, but it is to their students and teachers that they must answer, not to Republicans eager to score points against woke “indoctrination” at elite colleges or to megadonors seeking to push their agendas onto institutions of higher learning.

Like Mr. Kunen, I’m not sure exactly how that spring of 1968 affected my life. I suspect it forced me to think in ways that have informed my reporting on the world. What I do know is that I’m heartened to see that college kids will still get angry over injustice and suffering and will try to do something about it.

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Serge Schmemann joined The Times in 1980 and worked as the bureau chief in Moscow, Bonn and Jerusalem and at the United Nations. He was editorial page editor of The International Herald Tribune in Paris from 2003 to 2013.

शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi

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शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi!

शिक्षक बच्चों को ज्ञानवान और सुसंस्कृत बनाते हैं । बच्चा घर से निकल कर विद्‌यालय में प्रवेश लेता है तो शिक्षक की शरण में जाता है । विद्‌यालय में शिक्षक ही बच्चों के अभिभावक होते हैं । वे बच्चों को जीवन जीने की शिक्षा देते हैं । बच्चा शिक्षक का अनुगृहीत होता है एवं उन्हें अपना नमन अर्पित करता है ।

शिक्षक बच्चों के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं एवं उनके अंदर के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देते हैं । बच्चे शिक्षक के समीप श्रद्धाभाव से जाते हैं ताकि वे ज्ञान के समुद्र में गोते लगा सकें । कहा भी गया है कि ‘ श्रद्‌धावान् लभते ज्ञानम्। ‘ अर्थात् श्रद्‌धावान् को ज्ञान प्राप्त होता है । यदि विद्‌यार्थी के अंदर श्रद्‌धा होती है तो शिक्षक उसे अपना समस्त ज्ञान देते हैं ।

शिक्षक का दायित्व बहुत बड़ा है । वह मानव-समाज को सही दिशा दे सकता है । आज के बच्चे कल का भविष्य होते हैं । यदि बच्चे पढ़े-लिखे होंगे तो वे देश का नाम रौशन करेंगे । यदि वे सुसंस्कृत होंगे तो देश सभ्य बनेगा । यदि शिक्षक बच्चों में अच्छे संस्कार डालेंगे तो उससे देश को लाभ होगा । शिक्षा चारों तरफ फैले, कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे इसका भार शिक्षकों पर है । शिक्षक चाहें तो ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जिसमें ऊँच-नीच, जातिगत भेदभाव, ईर्ष्या, वैमनस्य आदि दुर्गुणों का कोई स्थान न हो । कबीरदास जी कहते हैं –

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काई खोट ।

अंतर हाथ सहारि दे, बाहर मारे चोट ।।

ADVERTISEMENTS:

अर्थात् गुरु कुम्हार और शिष्य घड़ा है । जिस प्रकार कुम्हार यत्न से घड़े को सुघड़ बनाता है उसी तरह गुरु भी विद्‌यार्थियों के दोषों का परिमार्जन करता है । गुरु की कठोरता बाहरी होती है, अंदर से वह दयावान ‘और विद्‌यार्थी का शुभचिंतक होता है । इसलिए गुरु की डाँट-फटकार पर ध्यान नहीं देना चाहिए । गुरु विद्‌यार्थी का हमेशा भला चाहता है ।

आज प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा भले ही समाप्त दिखाई दे रही हो, शिक्षक का कर्त्तव्य अपनी जगह कायम है । शिक्षा प्राप्त करने के लिए आज भी लगन, परिश्रम, त्याग, नियमबद्धता, विनम्रता जैसे गुणों को धारण करने की आवश्यकता होती है । शिक्षक विद्‌यार्थियों को ऐसे गुणों से युक्त बनाते हैं । वे उनका मार्गदर्शन करते हैं । वे विद्‌यार्थियों की उलझन मिटाते हैं । उनमें साहस, धैर्य, सहिष्णुता, ईमानदारी जैसे गुणों का संचार करते हैं ।

आज शिक्षा का फलक बड़ा हो गया है । इसमें नैतिक शिक्षा के साथ-साथ विषय ज्ञान और तकनीकी शिक्षा का समावेश हो गया है । अत : आवश्यक है शिक्षक विषय-ज्ञान और तकनीकी-ज्ञान में निपुण हों । इसके लिए शिक्षकों को उचित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए । ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो योग्य हों । अज्ञानी शिक्षक विद्‌यार्थियों का भला नहीं कर सकते । जिन्हें स्वयं सही-गलत का पता नहीं, वे विद्‌यार्थियों को क्या शिक्षा दे सकते हैं ।

योग्य शिक्षक विद्‌यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करते हैं । वे नियमित समय पर विद्‌यालय आते हैं । वे अपनी ऊर्जा केवल शिक्षा देने में व्यय करते हैं । वे कमजोर विद्‌यार्थियों का विशेष ध्यान रखते हैं । वे सादा जीवन और उच्च विचार के सिद्‌धांत का अनुसरण करते हैं । वे विषय-वस्तु को इतने सरल एवं प्रभावी ढंग से समझाते हैं कि बच्चे उनकी बातों को हृदय में धारण कर सकें । अध्ययनशीलता शिक्षकों का एक आवश्यक गुण है । वे निरंतर अध्ययन करते रहते हैं ताकि नई बातें सीखकर विद्‌यार्थियों को बता सकें । ऐसे योग्य शिक्षकों को समाज में उचित सम्मान मिलता है ।

योग्य शिक्षकों को सरकार सम्मानित करती है । शिक्षकों के सम्मान में प्रतिवर्ष 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन विद्‌यालयों में विशेष समारोह होते हैं जिनमें बच्चों की भागीदारी होती है । राष्ट्रपति योग्य शिक्षकों को पदक और पुरस्कार देते हैं । राष्ट्र उन शिक्षकों को नमन करता है जो अज्ञानांधकार को दूर करने में सहायक होते हैं ।

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