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- Essays in Hindi /
Mahatma Gandhi Essay in Hindi | स्कूली छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध
- Updated on
- जनवरी 22, 2024
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भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, आंदोलन और भारत छोड़ो आदि आंदोलन किए। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को महात्मा गांधी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महात्मा गांधी पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं उन सैम्पल्स को।
This Blog Includes:
महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में, गांधी जी के बारे में, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, गांधी जी की शिक्षा, गांधी जी ने उठाई आवाज, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, gandhi jayanti quotes in hindi: गांधी जयंती कोट्स, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य, विश्वास , प्रथा .
महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।
- देश के लिए योग
- आजादी के लिए निभाया कर्तव्य
महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में काफी अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे। |
महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः
महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।
वहीं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।
महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में
महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।
असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।
गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।
भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।
गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।
1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।
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Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः
- “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
- “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
- “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
- “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
- “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
- “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
- “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
- “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
- “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।”
- “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”
Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः
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- महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
- महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
- महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
- वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
- माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
- महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
- महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
- महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
- महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
- महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।
महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास
गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:
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सत्य और सत्याग्रह
गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।
हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है।
गांधीवादी अर्थशास्त्र
गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।
बौद्ध, जैन और सिख
गांधी जी का मानना था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।
मुस्लिम
गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।
गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।
गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।
अस्पृश्यता और जातियां
गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी।
नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा
गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया।
सम्बंधित आर्टिकल्स
सादा जीवन, उच्च विचार।
महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।
गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।
गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।
इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।
महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।
महात्मा गांधी
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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन
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महात्मा गांधी पर निबंध: हमारे देश भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू का जीवन समूचे संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अपने विद्यार्थी जीवन, साउथ अफ्रीका प्रवास, चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और जीवन के अंतिम पड़ाव तक बापू ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा जीवन जिया जिसकी कोई दूसरी मिसाल धरती पर बमुश्किल ही मिलेगी। हाड़-मांस से निर्मित ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस दुनिया में रहा भी होगा, इस पर लोगों के लिए यकीन कर पाना भी मुश्किल होगा। एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्ति जिसका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणास्रोत था, है और रहेगा। उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया उसे गांधी दर्शन की संज्ञा दी जाती है। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) ऐसे जीवट के धनी व्यक्ति के जीवन से परिचित होने का एक अच्छा तरीका है। योग पर निबंध पढ़ें
महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (100 Word Essay On Mahatma Gandhi)
गांधी जी के आदर्श (gandhi’s principles):, गांधी के नेतृत्व में अभियान, महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi).
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गांधी जी ने भारत के लोगों को आत्मनिर्भर होना सिखाया। हर तबके के लोग उन्हें पसंद करते थे तथा उनकी तारीफ करते थे। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) के इस लेख से गांधी जी के जीवन और दर्शन के साथ साथ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी भी आपको मिलेगी।
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चूंकि महात्मा गांधी का पूरा जीवन समाज को समर्पित था और इसी के लिए वे जिये भी व इसके लिए ही वे शहीद भी हुए, ऐसे में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित जानकारी भारत के प्रत्येक बच्चे को हो, इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था समर्पित है। यही कारण है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi par nibandh) लिखने का कार्य दिया जाता है जिसके माध्यम से वे इस महान शख्सियत के जीवन से परिचित व प्रभावित होते हैं। यहां तक कि कई बार अच्छे अंक के लिए छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में भी महात्मा गांधी पर निबंध संबंधी प्रश्न पूछा जाता है। ऐसे में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) छात्रों के लिए न सिर्फ चारित्रिक, बल्कि शैक्षणिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।
वहीं कई ऐसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, उनके लिए भी तमाम निबंध के विषयों के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या बापू या महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) एक महत्वपूर्ण टॉपिक रहता आया है। ऐसे में महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) विशेष इस लेख के माध्यम से ऐसे छात्रों को भी महात्मा गांधी के जीवन का एक अवलोकन प्राप्त होगा, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होंगे।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को उनके पूरे जीवनकाल में राष्ट्र उत्थान के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों तथा उनकी स्वयं की उत्कृष्टता की वजह से 'महात्मा' के रूप में जाना जाता है। वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा अहिंसा के प्रचारक थे जिन्होंने भारत को अहिंसा का पालन करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने लॉ यानी कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहां अंग्रेजी मूल का न होने के कारण उन्हें शासक वर्ग की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा। इस घटना से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा। इसके बाद वे ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों में बदलाव लाने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए।
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बाद में, वह भारत लौट आए और उन्होंने अपने देश भारत को अंग्रेजी हुकुमत से स्वतंत्र कराने के लिए एक दुर्जेय और अहिंसक संघर्ष शुरू किया। साल 1930 में, उन्होंने ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। उन्होंने कई भारतीयों को ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और कइयों को ब्रिटिश अत्याचार व शोषण से मुक्ति दिलाई।
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महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में (Mahatma Gandhi essay in hindi ) : महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (200 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतियों का नेतृत्व किया। कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले, उन्होंने भारत में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और प्रताड़ित भारत के लोगों की सहायता करने का फैसला किया। ब्रिटिश उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए, गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग चुना।
आंदोलन - अहिंसक आंदोलनों के लिए गांधी जी का कई बार उपहास किया गया, फिर भी वे भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक आंदोलनों में लगे रहे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक विश्वविख्यात नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किए, जिनमें से सभी ने भारत की स्वतंत्रता में सफलतापूर्वक योगदान दिया।
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष - एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी को कई बार जेल और कैद में रखा गया, फिर भी वे भारतियों के न्याय के लिए ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनका अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकजुटता में दृढ़ विश्वास था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता के अपने अभियान के दौरान बनाए रखा। कई वर्षों के संघर्षों के बाद, वे और अन्य स्वतंत्रता सेनानी, अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। हालांकि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (500 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)
भारत में, महात्मा गांधी को "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें दी गई इन उपाधियों की तरह ही, देश के लिए उनका बलिदान और उनके सिद्धांतों को वास्तविक बनाने के उनके प्रयास, दुनिया भर के भारतीयों के लिए गर्व की बात है।
गांधी जी का बचपन (Gandhi’s Childhood): महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक हिंदू घर में पले-बढ़े और मुख्य रूप से शाकाहारी थे। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वह दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, जो उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग करता था। महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया, जो किसी भी अन्याय से लड़ने का एक अहिंसक तरीका था।
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गांधी जी अपने सख्त आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह नैतिकता, सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे, जो आज भी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। वह हमेशा जीवन में आत्म-अनुशासन के मूल्य का प्रचार करते थे। उनका मानना था कि यह बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद कारगर रहता है, जिसका उपयोग उन्होंने अपने अहिंसा के विचारों को बढ़ावा देने के लिए भी किया। गांधी जी का जीवन इस बात का बेहतरीन उदहारण है कि यदि हम कठोर अनुशासन पर टिके रहते हैं और खुद को उसके लिए प्रतिबद्ध रखते हैं, तो इसकी सहायता से हमें किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है। गांधी जी की इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक आम व्यक्ति से महान व्यक्ति बनाया, उनकी इन्हीं विशेषताओं की वजह से उन्हें दी गई महात्मा की उपाधि, आज के दौर में भी बिना किसी किन्तु-परंतु के एकदम उचित नजर आती है।
बापू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Contribution To Freedom Struggle)
कई सामाजिक सरोकारों पर महात्मा गांधी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।
खादी आंदोलन : महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
खेती : महात्मा गांधी कृषि के एक प्रमुख समर्थक थे और उन्होंने लोगों को कृषि में काम करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।
आत्मनिर्भरता : उन्होंने भारतीयों से शारीरिक श्रम में संलग्न होने का आग्रह किया और उन्हें सादा जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन जुटाने की सलाह दी। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने के लिए चरखे से सूती कपड़े बुनना शुरू किया और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
छूआछूत : यरवदा जेल में अपनी नजरबंदी के दौरान, जहां उन्होंने समाज में 'अस्पृश्यता' के सदियों पुराने कुप्रथा के खिलाफ उपवास किया, वहीं उन्होंने आधुनिक समय में ऐसे शोषित समुदायों के उत्थान में काफी मदद भी की। इसके अलावा उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य और समानता को भी बढ़ावा दिया।
धर्मनिरपेक्षता : गांधी ने भारतीय समाज में एक और योगदान दिया, धर्मनिरपेक्षता का योगदान। उनका मानना था कि किसी भी धर्म का सत्य पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने अंतर्धार्मिक मित्रता को बढ़ावा दिया।
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, गांधी जी को कई बार अपने समर्थकों के साथ यातना झेलनी पड़ी और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस दौरान भी वो टस से मस न हुए और अपने देश के लिए स्वतंत्रता उनकी प्राथमिक इच्छा बनी रही। जेल जाने के बाद भी वे कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं लौटे। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और "भारत छोड़ो आंदोलन" की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन एक बड़ी सफलता थी। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान था। साल 1930 में, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जो किसी भी दमनकारी निर्देश या नियमों का पालन करने से इंकार करता था। नतीजतन, इस रणनीति और इसके प्रवर्तकों को गंभीर हिंसा और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।
महात्मा गांधी की मृत्यु शांति और लोकतंत्र के उद्देश्यों पर सबसे विनाशकारी आघात थी। उनके निधन से देश के मार्गदर्शक का वो स्थान खाली रह गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।
कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें परीक्षा में या गृह कार्य में महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में हर बार महात्मा गांधी पर निबंध लिखना उनके लिए तभी मुमकिन हो सकता है जब उनके पास महात्मा गांधी के बारे में आधारभूत ज्ञान हो। ऐसे में इस लेख में महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) बिन्दुओं के माध्यम से जोड़ा गया है, जिसे याद रख उन्हें कभी भी महात्मा गांधी निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। निम्नलिखित महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक जगह समेटने की कोशिश की गई है। इन बिन्दुओं को याद रखकर छात्र कभी भी महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) लिख सकेंगे।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वहीं उनके माताजी का नाम पुतलीबाई गांधी था जोकि करमचंद उत्तमचंद गांधी की चौथी व सबसे छोटी पत्नी थी।
- महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। दुनियाभर में उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।
- महात्मा गांधी को दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया था।
- महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
- महात्मा गांधी के कुछ बेहद चर्चित आंदोलन असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आदि रहे।
- ब्रिटिश काल के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा मगर उन्होंने अंग्रेजों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। अंत में उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।
- महात्मा गांधी को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' की उपाधि से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरुस्कार के विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
- महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गई उनकी प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं - महात्मा गांधी की आत्मकथा – ‘सत्य के प्रयोग’, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, ग्राम स्वराज।
- महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथुराम गोडसे द्वारा गोली मारकर तब कर दी गई थी जब वे हमेशा की तरह वहाँ शाम को प्रार्थना करने जा रहे थे। नाथुराम ने इससे पहले भी कई मौकों पर महात्मा गांधी की हत्या करने के कई असफल प्रयास किए थे।
हम उम्मीद करते हैं कि इस हिंदी में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi hindi) के माध्यम से गांधी जी पर निबंध (essay on Gandhiji in hindi) लिखने संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Gandhiji in hindi) की ही तरह और भी अन्य निबंध पढ़ने के लिए इस लेख में उपलब्ध लिंक्स पर क्लिक करें।
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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)
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उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।
महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)
महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।
महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान
महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।
इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh
Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।
बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?
महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-
- असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
- नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
- दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
- भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
- चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)
“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी
गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।
गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा
दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।
बापू की अफ्रीका से भारत वापसी
वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।
गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक
गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।
गाँधीवाद विचार धारा का महत्व
दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।
गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में
भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
प्रिय बापू का निधन
30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।
आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।
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FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।
उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।
उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।
उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।
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महात्मा गांधी की जीवनी – Biography of mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी की जीवनी (Biography of mahatma Gandhi in Hindi): भारत महान व्यक्ति की महान भूमि है. भारत की भूमि ऋषियों, संतों, कवियों, लेखकों, दार्शनिकों, सुधारकों, परोपकारियों और योग महापुरुषों को युगों-युगों तक लाभान्वित करके धन्य रही है. इस भूमि के बुरे समय में कई सारे महान व्यक्तियों का जन्म हुआ है. उन महापुरुषों में से एक अमर, परोपकारी, युग-निर्माता महात्मा गांधी हैं. तो चलिए महात्मा गांधी की जीवनी (Biography of mahatma gandhi in Hindi) के बारे में विस्तार रूप से जानते हैं.
प्रस्तावना
देश और राष्ट्र के बुरे समय में महापुरुष प्रकट होते हैं. व्यक्तिगत सुख और आत्मग्लानि को अनदेखा करते हुए, वे सभी महापुरुष मानव समाज के हित के लिए स्वयं को समर्पित करते हैं. कई प्रतिकूल वातावरण और स्थितियों में, वे अपने जीवन के साथ आगे बढ़ते हैं. निस्वार्थ सेवा, बलिदान और समर्पित जीवन के लिए, उन्हें सार्वजनिक रूप से महापुरुष कहा जाता है. अपने स्वयं के सिद्धांतों और आदर्शों के आधार पर, वे जन-कल्याण को जीवन के संकल्प के रूप में लेते हैं. लंबे समय तक विदेशी शासन में रहे भारतीयों का सार्वजनिक जीवन बाधित हो गया था. भारत के इतने बुरे समय में एक महान व्यक्ति का जन्म हुआ. वे भारतमाता के एक योग्य संतान, जो सत्य और अहिंसा के संरक्षक, शांति और दोस्ती के सर्वोच्च साधक और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता महामहिम महात्मा गांधी थे. यह आदर्श पुरुष पूरे भारत में ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में प्रतिष्ठित है. वह उसी समय एक ईमानदार राजनीतिज्ञ, प्रख्यात समाज सुधारक, प्रख्यात लोक सेवक, कुशल वकील और मजबूत मानवतावादी नेता थे.
संक्षिप्त जीवनी
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था. उनका असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. लेकिन दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान, उन्हें ‘महात्मा गांधी’ के रूप में जाना जाता था. उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतुलीबाई गांधी था. उनका परिवार वैष्णव धर्म का अनुसरण करता था. गांधी कम उम्र से ही अपने धार्मिक माता-पिता से प्रभावित थे. वह अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थे. इसलिए उनका बचपन काफी आनंद में बीता था. उस समय समाज में बाल विवाह का प्रचलन था. महज तेरह साल की उम्र में उन्होंने कस्तूरबा से शादी कर ली. राजकोट में स्कूल से शिक्षा समाप्त करने के बाद, उन्होंने सत्रह वर्ष की आयु में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद वह लंदन चले गए, जहाँ उन्होंने अपनी कानून की शिक्षा पूरी की और भारत लौट आए. भारत में कुछ दिनों की वकालत करके, वह दक्षिण अफ्रीका चले गए. वह दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे कर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए. आजादी के कुछ महीने बाद 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नाम के एक व्यक्ति ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. इस प्रकार 79 वर्ष की आयु में उनका जीवन समाप्त हो गया था.
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दक्षिण अफ्रीका में गांधी
उस समय, बहुत सारे भारतीय दक्षिण अफ्रीका में रह रहे थे. गांधीजी ने 1893 में दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले एक भारतीय व्यापारी के पक्ष में मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की. अपने प्रवास के दौरान, उन्होंने देखा कि गोरे लोग अश्वेत अफ्रीकियों और भारतीयों से घृणा कर रहे थे. उनकी नस्लवादी नीतियों ने गांधीजी को बहुत परेशान किया था. अफ्रीकियों के खिलाफ श्वेत सरकार का उत्पीड़न और दुराचार धीरे धीरे बढ़ने लगा था. इसलिए अफ्रीकियों और भारतीयों को संगठित करके, गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के माध्यम से गोरों के खिलाफ एक आंदोलन चलाया. गांधीजी द्वारा इस तरह के आंदोलन को उस दिन के बाद से ‘सत्याग्रह’ के रूप में जाना जाता है. गांधीजी इस आंदोलन में सफल रहे. तब भारतीयों ने उन्हें “महात्मा” का ताज पहनाया. दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह ने बाद में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया. इससे दुनिया के राजनीतिक इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई.
स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे
गांधीजी के भारत लौटने से बहुत पहले, अंग्रेज भारत पर शासन कर रहे थे. उस समय की ब्रिटिश सरकार के अन्याय और अत्याचार के कारण भारतीय बहुत दयनीय जीवन जी रहे थे. इसलिए गांधीजी ने भारतीय लोगों का प्रतिनिधित्व किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाई. बिहार के चंपारण में उत्पीड़ित किसानों का आंदोलन, अहमदाबाद में मजदूर आंदोलन, पंजाब के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और गांधीजी ने इन सभी आंदोलनों का नेतृत्व किया था. उन्होंने अहमदाबाद के पास साबरमती नदी के पास एक आश्रम स्थापित किये और उस ‘साबरमती’ आश्रम से सत्याग्रह की रूपरेखा तैयार की. उनके मजबूत नेतृत्व में, 1921 में असहयोग आंदोलन, 1930 में नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का गठन किया गया. उन्हें इसके लिए बार-बार कैद किया गया, लेकिन वह निराश नहीं हुए और न ही अपने रास्ते से भटक गए. अपने दुःख-दर्द से भरे शरीर और अपनी पत्नी के खोने के दुःख के बावजूद, वह अपने मार्ग में बने रहे. जब उन्हें कैद किया गया था, तब भी उनके इशारे और प्रेरणा पर सत्याग्रह जारी रहा. आंदोलन के परिणामस्वरूप, ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर पड़ने लगी. आखिरकार, 15 अगस्त 1947, को भारत को स्वतंत्रता मिली.
जीवन के सिद्धांत और आदर्श
महात्मा गांधी का जीवन दर्शन उच्चतम क्रम का था. वह सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, बलिदान और निस्वार्थता के प्रतीक थे. चरित्र निर्माण उनके जीवन की कुंजी थी. समानता और दोस्ती के साथ वह जीवन के लिए प्रसिद्ध थे, उनकी राय में, सभी मानव जाति, धर्म या रंग की परवाह किए बिना समान हैं. वह कर्म में विश्वास करते थे. इसलिए, उन्हें एक कार्यकर्ता के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है. उनके आदर्श कुटीर उद्योग के विकास और आत्मनिर्भरता थे. वह बड़े या छोटे, अमीर या गरीब, के साथ भेदभाव से दूर थे. धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव उनके जीवन के अंतिम लक्ष्य थे. गांधीजी के सरल और सहज जीवन यात्रा, निर्भरता और चरित्र के लिए हमेशा याद किया जाता है.
महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद, भारत ने एक नि: स्वार्थ लोक सेवक को खो दिया. हम आज भी उनके योजनाबद्ध राम राज्य से बहुत दूर हैं. हालांकि महात्मा गांधी के भौतिक शरीर नहीं है फिर भी उनके आदर्श भारतीय लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं. उनकी अहिंसक सोच और सिद्धांत, यथार्थवादी विचार और न्यायसंगत निर्णय आज भी भारत के लोगों को प्रेरित कर रहा है. अतिवादी राष्ट्रवाद और निम्न नस्लीय दृष्टिकोण गांधीवाद के विपरीत हैं. यदि हम सभी भारतीय सत्य और अहिंसा के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं, तो गांधीजी की आत्मा को शांति मिलेगी.
आपके लिए :-
- एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी
- इंदिरा गांधी की जीवनी
- सुभाष चंद्र बोस की जीवनी
- स्वामी विवेकानंद की जीवनी
ये था हमारा लेख महात्मा गांधी की जीवनी (Biography of mahatma Gandhi in Hindi ). उम्मीद करता हूँ की आपको पसंद आया होगा. अगर आपको गांधीजी की बारे में और कुछ पता है, तो हमे comment करके बताएं. मिलते हैं.
1 thought on “महात्मा गांधी की जीवनी – Biography of mahatma Gandhi in Hindi”
Bohot lamba tha agee se please thora chota likhiyega .by the way thanks for your essay.
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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।
2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।
इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-
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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।
भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।
राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।
महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।
महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।
गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।
महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”
महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।
वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।
महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information
स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।
गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।
महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career
अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।
इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।
वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:
महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।
उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।
ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।
सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।
वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।
अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।
वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh
प्रस्तावना-
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।
महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।
जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था। उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-
चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement
साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।
जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।
साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।
जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।
महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।
महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement
अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।
जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।
गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।
इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan
महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।
नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।
गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।
महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)
अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।
आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।
इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।
इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।
वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।
- Mahatma Gandhi Slogan
महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”
Gandhi ji is my favorite
अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा
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गाँधीजी की आत्मकथा निबंध (Autobiography Of Mahatma Gandhi Hindi Essay)
गाँधीजी की आत्मकथा पर निबंध (autobiography of mahatma gandhi essay in hindi).
गांधी जी देश के राष्ट्रपिता कहे जाते है। उन्हें फादर ऑफ़ नेशन कहा जाता है। देश अंग्रेज़ो की गुलामी के जंजीरो से २०० वर्षो तक बंधा हुआ था। देश को स्वतंत्र कराने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने कई बलिदान दिए। गांधी जी भी उन्ही में से एक है।
मैं पढ़ाई में ठीक ठाक था। मैं एक अच्छे और सुप्रतिष्ठित परिवार से था। मैं वैष्णव परिवार से था। मैं पशुओं को तकलीफ में नहीं देख सकता था। मेरा विवाह तेरह साल की उम्र में कस्तूरबा से हो गया था। मेरा परिवार चाहता था कि मैं वकील बनूँ।
मैं वकील बनकर अपना कार्य पूरा करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गया। वहां जब मैंने प्रथम श्रेणी के रेल की बोगी में घुसने की कोशिश की, तो वहां मुझे जाने देने से मना कर दिया गया। मैं इस तरह के सोच से बड़ा आहात हुआ। इस अन्याय को रोकने के लिए मैंने राजनीतिक आंदोलन की स्थापना की।
मैंने दलितों को हरिजन का नाम दिया था। उस समय छुआछूत जैसे अंधविश्वास को मिटाने के लिए इस आंदोलन का आरम्भ किया था। किसानो पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाने में मैंने अपना सहयोग दिया।
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महात्मा गांधी की आत्मकथा – Autobiography of Mahatma Gandhi in Hindi
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम जो लगभग 200 वर्षों तक फैला रहा, महात्मा गांधी ने भारत और विश्व को कई प्रसिद्ध आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं को दिया, जिन्होंने हमारे देश के वर्तमान परिदृश्य को परिभाषित किया और हमें सबक दिया, जो आज भी फलदायी हैं।
![mahatma gandhi autobiography hindi essay महात्मा गांधी की आत्मकथा - Autobiography of Mahatma Gandhi in Hindi](https://rishabhhelpme.com/wp-content/uploads/2020/04/WhatsApp-Image-2020-04-12-at-2.58.11-PM-scaled.jpeg)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे बड़ा नाम एक संत, एक वकील, एक आध्यात्मिक व्यक्ति और हमारे राष्ट्र के पिता यानी महात्मा गांधी का था।
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। उनके पिता दीवान या पश्चिमी ब्रिटिश भारत (अब गुजरात राज्य) में एक छोटी रियासत की राजधानी पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे।
महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पुतलीबाई के बेटे थे, जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से ताल्लुक रखती थी, जिसका मतलब था कि उनकी परवरिश जैन सहिष्णुता के साथ आपसी सहिष्णुता, जीवों के प्रति चोट और शाकाहार की शिक्षाओं से प्रभावित थी।
जैसा कि गांधीजी एक विशेषाधिकार प्राप्त परिवार से थे, इसलिए उन्हें शुरुआती दिनों में भी अच्छे स्कूलों में भर्ती कराया गया था, लेकिन वे एक औसत दर्जे के छात्र थे। मई 1883 में, 13 साल की उम्र में उनकी शादी कस्तूरबा बाई से हुई थी।
उच्च शिक्षा के लिए उन्हें संबलदास कॉलेज भेजा गया, जो बंबई विश्वविद्यालय का एक हिस्सा था, क्योंकि उनका परिवार चाहता था कि वे एक वकील बनें।
उन्हें विदेश में उच्च अध्ययन के लिए जाने का अवसर मिला, उन्होंने इसे खुशी से स्वीकार किया और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में प्रवेश लिया। लेकिन विदेश जाने से पहले उन्हें अपनी माँ और पत्नी को समझाना पड़ा, कि वह शराब, माँस और अन्य महिलाओं से दूर रहेंगे।
London में, उन्होंने एक शाकाहारी सोसाइटी में भी भाग लिया और अपने कुछ शाकाहारी दोस्तों द्वारा भगवद गीता से परिचय कराया गया। बाद में, भगवद गीता ने उनके विचारों पर प्रभाव डाला और उनके जीवन को प्रभावित किया।
महात्मा गांधी अपने जीवन में एक नेता बने
पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह एक वकील के रूप में काम करने के लिए 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्हें पहले नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जब वह ट्रेन में प्रथम श्रेणी की बोगी में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, तो उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया और यह एक नेता के लिए एक प्रज्वलन था।
उन्होंने एक राजनीतिक आंदोलन की स्थापना की, जिसे नटाल इंडियन कांग्रेस के नाम से जाना जाता है, और अहिंसक नागरिक विरोध में अपने सैद्धांतिक विश्वास को एक ठोस राजनीतिक रुख में विकसित किया, जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के भीतर सभी भारतीयों के लिए पंजीकरण शुरू करने का विरोध किया, और यह पहला असहयोग था
वह सत्याग्रह के विचार से प्रभावित थे जो सत्य की भक्ति है और 1906 में अहिंसक विरोध को लागू किया। वह 1915 में दक्षिण अफ्रीका और अपने जीवन के 21 साल बिताने के बाद भारत लौट आए, वहां उन्होंने नागरिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस समय वह एक नए व्यक्ति में बदल गए।
जब वह भारत लौटे, तो उन्होंने उपनिवेश की समस्याओं को देखा, जिसका सामना हर भारतीय कर रहा था। साथी भारतीयों के संकट और पीड़ा को देखते हुए उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह के तहत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने और भारत की आजादी के लिए लड़ने का फैसला किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी की भूमिका, और महात्मा का जन्म
गांधी जी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में थी जब उन्होंने Bihar और Gujrat के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने British सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत-छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया।
उन्होंने 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला और राष्ट्र के प्रति अहिंसा और भक्ति में विश्वास रखने के कारण साथी नेताओं द्वारा उन्हें ‘महात्मा’ नाम दिया गया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945)
वर्ष 1914 में गांधी South Africa से भारत वापस लौट आये। इस समय तक गांधी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे।
वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरूआती दौर में गाँधी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। प्रारंभ में गाँधी ने देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की कोशिश की।
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चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह
महात्मा गांधी द्वारा बिहार और गुजरात में कई आंदोलन चलाए गए बिहार के चंपारण और गुजरात के खेड़ा में हुए। आंदोलन को महात्मा गांधी ने अपनी पहली राजनीतिक सफलता दिलाई चंपारण में ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानों से मजबूरन नील की खेती करवाई जाती थी और सस्ते मूल्य में खरीद कर किसानों को कम दाम दे रहे थे। ऐसे में किसान और अधिक गरीब होते जा रहे थे।
किसानों को कर्ज देकर और अधिक कमजोर करते जा रहे थे। दिन प्रतिदिन किसानों का बोझ बढ़ता जा रहा था। महात्मा गांधी के इस आंदोलन के पश्चात नील की खेती बंद हो गई।
सन 1918 में गुजरात में स्थित खेड़ा में बाढ़ और अकाल की वजह से किसानों और गरीबों की स्थिति काफी ज्यादा खराब हो गई। यहां के लोग ब्रिटिश सरकार से कर माफ करने की मांग करने लगे। लेकिन ब्रिटिश सरकार के नाम आने के पश्चात महात्मा गांधी तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ इस समस्या को लेकर विचार विमर्श हुआ।
उसके बाद अंग्रेजों के राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को महात्मा गांधी ने मुक्त करवा लिया। यह दोनों उचित काम करने के पश्चात महात्मा गांधी का यह आंदोलन चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
असहयोग आन्दोलन
महात्मा गांधी जी ने भारत में अंग्रेजी हुकूमत को भारतीयों के संभव से हटाने के लिए असहयोग आंदोलन चलाया था। अगर हम सब मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ इस बात पर असहयोग करेंगे, तो निश्चित तौर पर आजादी संभव है।
महात्मा गांधी द्वारा चलाई गई इस आंदोलन के पश्चात भारतीय जनता में ज्वाला भड़क उठी थी। गांधीजी की बढ़ती लोकप्रियता मैं अपने आप को एक बड़ा नेता बना लिया था। गांधीजी अंग्रेजों के विरुद्ध सहयोग अहिंसा का शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर रहे थे।
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लेकिन सन 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गांधीजी की ज्वाला भड़क उठे और उन्होंने स्वदेश नीति का आह्वान करते हुए असहयोग आंदोलन को चलाया।
असहयोग आंदोलन में गांधी जी ने हाथ बनाए हुए, सूती खादी के वस्त्र पहनने शुरू किए। प्रतिदिन पुरुषों और महिलाओं को सूत काटने के लिए कहा। महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों के सरकारी नौकरियां छोड़ने तथा सरकारी जगहों में लगे भारतीय लोगों को वापस बुलाने का अनुरोध किया और अंग्रेजी चीजों का बहिष्कार करते हुए इस आंदोलन को सफल बनाया।
असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी को पूरी तरह से सफलता हाथ लगी। महात्मा गांधी सभी वर्गों के लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ जोश पैदा करने में सक्षम हुए। फरवरी 1922 के पश्चात चोरा चोरी कांड हो गया। इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। क्योंकि उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था और 6 साल की सजा सुना दी थी।
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परंतु उसके पश्चात महात्मा गांधी की तबीयत खराब हो गई और तबीयत खराब होने के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने जेल से छोड़ दिया। हालांकि 6 साल की सजा थी। लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से 2 साल में ही उन्हें जेल से रिहा कर दिया।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन
गांधी ने महसूस किया कि हिंदुओं और मुसलमानों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए और दोनों समुदायों से एकजुटता और एकता दिखाने का आग्रह किया। लेकिन जैसे ही खिलाफत आंदोलन अचानक समाप्त हुआ, उनकी सारी कोशिशें हवा में उड़ गईं।
असहयोग की अवधारणा बहुत लोकप्रिय हो गई और पूरे भारत में फैलने लगी। गांधी ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया और स्वराज पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने लोगों से ब्रिटिश वस्तुओं का उपयोग बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों को सरकारी रोजगार से इस्तीफा देने, ब्रिटिश संस्थानों में पढ़ाई छोड़ने और कानून अदालतों में अभ्यास करना बंद करने को कहा।
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हालांकि, फरवरी 1922 में उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा शहर में हुई हिंसक झड़प ने गांधीजी को अचानक आंदोलन को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया। गांधी को 10 मार्च 1922 को गिरफ्तार किया गया और उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। उन्हें छह साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन केवल दो साल जेल में सजा दी गई थी।
नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च)
ब्रिटिशों ने नमक पर एक कर लगाया और नमक सत्याग्रह मार्च 1930 में इस कदम के विरोध के रूप में शुरू किया गया था। गांधी ने मार्च में अपने अनुयायियों के साथ दांडी मार्च की शुरुआत की, पैदल अहमदाबाद से दांडी जा रहे थे। मार्च 1931 में गांधी-इरविन संधि में विरोध सफल हुआ और परिणाम हुआ।
भारत छोड़ो आंदोलन
दूसरा विश्व युद्ध के आगे बढ़ने के साथ, महात्मा गांधी ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए अपना विरोध तेज कर दिया। उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने के लिए एक संकल्प का मसौदा तैयार किया। ‘भारत छोडो आंदोलन’ महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया सबसे आक्रामक आंदोलन था।
भारत की स्वतंत्रता और विभाजन
1946 में ब्रिटिश कैबिनेट मिशन द्वारा पेश किया गया स्वतंत्रता सह विभाजन प्रस्ताव कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया था। सरदार पटेल ने गांधीजी को आश्वस्त किया कि यह गृह युद्ध से बचने का एकमात्र तरीका है और उन्होंने अनिच्छा से अपनी सहमति दी। भारत की स्वतंत्रता के बाद, गांधी ने हिंदुओं और मुसलमानों की शांति और एकता पर ध्यान केंद्रित किया।
महात्मा गांधी की हत्या
महात्मा गांधी का प्रेरक जीवन 30 जनवरी 1948 को समाप्त हुआ। जब उन्हें कट्टरपंथी, नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी। नाथूराम एक हिंदू कट्टरपंथी था। जिसने पाकिस्तान को विभाजन भुगतान सुनिश्चित करके भारत को कमजोर करने के लिए गांधी को जिम्मेदार ठहराया। गोडसे और उनके सह-साजिशकर्ता, नारायण आप्टे को बाद में दोषी ठहराया गया था। 15 नवंबर 1949 को उन्हें मार दिया गया।
महात्मा गांधी द्वारा लिखी गयी पुस्तकें
महात्मा गांधी ने अपने जीवन काल में कई किताबों की रचना की है। महात्मा गांधी की किताबें काफी लोकप्रिय भी हुई है। महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई किताबें कुछ इस प्रकार है।
दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
महात्मा गांधी द्वारा अपने शुरुआती जीवन के दौरान “ दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह ” किताब लिखी थी। इस किताब में महात्मा गांधी द्वारा वकालत की पढ़ाई के समय दक्षिण अफ्रीका में किए गए संघर्ष का वर्णन किया था। महात्मा गांधी ने इस किताब में अंग्रेजो के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में अहिंसक प्रतिरोध का एक राज खोला था।
हिंदी स्वराज
महात्मा गांधी द्वारा यह किताब सन 1909 में लिखी गई। जब भारत में ब्रिटिश शासन काल खत्म होने की शुरुआत में लग गया था। महात्मा गांधी द्वारा रचना की गई इस किताब में भारतीय स्वतंत्रता तथा पश्चिमी सभ्यताओं की प्रमुख तौर पर व्याख्या की गई। महात्मा जी की किताब “हिंदी स्वराज” को अंग्रेजों द्वारा भारत में प्रकाशित करने से रोक लगा दी और प्रतिबंधित कर दिया गया था।
मेरे सपनों का भारत
महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई यह किताब “मेरे सपनों का भारत” काफी ज्यादा लोकप्रिय हुई। “मेरे सपनों का भारत” किताब महात्मा गांधी द्वारा सरल भाषा में भारतीय संस्कृति तथा पहलुओं और विरासत के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया। महात्मा गांधी ने अपनी इस किताब में भारतीय संस्कृति को एक प्रेरणा का स्रोत बताया।
ग्राम स्वराज्य
महात्मा गांधी की यह पुस्तक “ग्राम स्वराज्य” काफी ज्यादा मशहूर किताबों में से एक मानी जाती है। महात्मा गांधी की किताब ग्राम पंचायतों के संगठन और आर्थिक स्थिति तथा राजनीतिक शक्ति को प्रेरणा देती है।
महात्मा गांधी की इस किताब में ग्राम पंचायतों को मध्य नजर रखते हुए, कई सामूहिक गतिविधियों को विस्तार से फैलाने का संदेश दिया गया। महात्मा गांधी ने इस किताब के जरिए लोगों को गांवों में उद्योग खोलने और उद्योग बढ़ाने की प्रेरणा दी।
महात्मा गांधी के अमूल्य विचार
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई प्रकार के अमूल्य विचार दिए जो लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
- महात्मा गांधी ने अपने जीवन में एक बात ध्यान देने को कहा कि भगवान के अलावा दुनिया में किसी से नहीं डरना है और किसी के प्रति बुरा भाव नहीं रखना है।
- महात्मा गांधी ने कहा कि अन्याय के सामने कभी नहीं झुकना है और सत्य को असत्य से हमेशा जीत दिलानी है। असत्य का विरोध करना है चाहे कितने भी कष्ट उठाने पड़े।
- महात्मा गांधी के अनुसार भूल करना पाप है परंतु उस बात को छुपाना महापाप है।
- भविष्य में क्या होगा इसके बारे में नहीं सोचना है वर्तमान के समय की चिंता रखनी है।
- अपनी मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देना है हिंदी के अलावा दूसरी भाषाओं को ज्यादा उपयोग नहीं करना है।
- व्यक्ति अपने विचारों के अनुसार खुद को बना लेता है। अगर अपने विचारों में खुद को एक महान व्यक्ति समझता है तो वह खुद महान बन सकता है।
- काम करने से आदमी कभी नहीं मरता है। लेकिन अनियमितता मनुष्य को मार डालती है।
- हम जिसकी पूजा और आराधना करते हैं उसी के समान हो सकते हैं।
- श्रद्धा और आत्मविश्वास रखना जरूरी होता है ईश्वर में विश्वास होना जरूरी है।
- कुछ लोग सफलता के केवल स्वप्न ही देखते हैं। लेकिन कई लोग इन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और जागते हैं।
- सुख प्राप्त करने के लिए अहंकार को छोड़ना होगा सुख कहीं से मिलने वाला चीज नहीं है।
- जिंदगी में कभी हिलता नहीं करना अहिंसा ही मानवता का एक धर्म है।
- प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है इस पर कोई भी महाशक्ति हावी नहीं हो सकती हैं।
- स्वयं को जानने का सबसे सर्वश्रेष्ठ तरीका यही है कि स्वयं को दूसरों की सेवा में लीन कर दें।
अपने क्या सीखा महात्मा गांधी के बारे में
हम उम्मीद करते है, की महात्मा गांधी की जीवनी और इनके विचार आपको बेहद पसंद आये होंगे, साथ ही इन सभी की जानकारी आपको मिल गयी होगी, और अगर इस टॉपिक से रिलेटेड कोई भी सवाल आपके मन में है, तो आप कमेंट के माध्यम से हमसे पूछ सकते है |
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महात्मा गाँधी की प्रेरणादायी जीवनी | Mahatma Gandhi Biography in Hindi
Mahatma Gandhi in Hindi / सत्य और अहिंसा के रास्ते चलते हुए उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो। और उनका मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत में राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम है ‘ मोहनदास करमचंद गांधी ‘ आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं।
गाँधी जी अबतक भारतीय राजनितिक के सबसे पावरफुल लीडर थे। उन्हें भारत में ‘राष्ट्रपिता’ का दर्जा प्राप्त हैं। ये नाम सबसे पहले सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से जारी प्रसारण में कहकर सम्बोधित किया था। गाँधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। सफ़ेद धोती, चश्मा और हाथ में लाठी लिए गांधी ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया था। महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिशाल हैं। उनके बताये सिद्धांत को मानने वाला इंसान कभी भी अपने रास्ते से भटक नहीं सकता है।
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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का संक्षिप्त परिचय – Mahatma Gandhi Biography in Hindi
मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) | |
2 अक्टूबर, 1869 | |
गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में | |
30 जनवरी 1948 | |
गांधी जी की 30 जनवरी को प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी। महात्मा गांधी की समाधि राजघाट दिल्ली पर बनी हुई है। | |
करमचंद गांधी | |
पुतलीबाई | |
कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया [कस्तूरबा गांधी] | |
4 पुत्र -: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास | |
बैरिस्टर | |
काँग्रेस | |
भारतीय | |
उन्होंने हमेशा सत्य और अहिंसा के लिए आंदोलन किए और इसी मार्ग मे चलने की सलाह दी। 24 साल की उम्र में गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका गए थे और 21 साल रहे। वहां अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर अत्याचार देख बहुत दुखी हुए। उनके साथ भी दक्षिण अफ्रीका में नस्ली भेदभाव हुवा। इन सारी घटनाएं उनके के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुवा। जिसके बाद वे अंग्रेजो से भारत की आजादी ठान ली थी।
महात्मा गाँधी की प्रारंभिक जीवन – Early Life Of Mahatma Gandhi in Hindi
मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी सनातन धर्म की पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे और ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान अर्थात् प्रधान मन्त्री थे।
उनकी माता वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और एक धार्मिक प्रवित्ति की थीं जिसका असर गाँधी जी पर भी हुआ। जिस घर में गाँधी पैदा हुवे थे आज उसे कीर्ति मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस घर का पुनर्निर्माण से तीन मंजिल का ईमारत बनाया गया हैं, जिसमे 22 कमरे हैं। इस घर में गांधीजी की यादें सहेजी गई हैं। पांच साल तक मोहनदास का बचपन इसी घर में बीता। हर दिन शाम पांच बजे यहां गांधीजी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो जेने कहिए रे…’ गाया जाता है। गांधीजी अंतिम बार 1928 में पोरबंदर आए थे।
महात्मा गांधी की आत्मकथा – Gandhi ji Autobiography in Hindi
महात्मा गांधी की आत्मकथा में उल्लेख मिलता है कि वे पढाई- लिखाई में कोई विशेष अच्छे नहीं थे। केवल अपनी स्कूल की किताबें ठीक से पढ लें और अध्यापकों द्वारा याद करने के लिए दिए गए सबकों को याद कर लें, इतना भी उनसे ठीक से नहीं हो पाता था, इसलिए स्कूल के अलावा किसी अन्य किताब को पढने की उनकी कभी कोई इच्छा नहीं होती थी न ही कभी किसी अन्य पुस्तक को पढने का उन्होंने कोई प्रयास किया।
लेकिन एक बार उन्होंने श्रृवण पितृ भक्ति नाटक नाम की एक पुस्तक पढी जो कि उनके पिताजी की थी। वे उस पुस्तक से श्रृवण के पात्र से इतना प्रभावित हुए कि जिन्दगी भर श्रृवण की तरह मातृ-पितृ भक्त बनने की न केवल स्वयं कोशिश करते रहे, बल्कि अपने सम्पर्क में आने वाले सभी लोगों को ऐसा बनाने का भी प्रयास करते रहे। इसी प्रकार से बचपन में उन्होंने “ सत्यवादी राजा हरीशचन्द्र ” का भी एक दृश्य नाटक देखा और उस नाटक के राजा हरीशचन्द्र के पात्र से वे इतना प्रभावित हुए कि जिन्दगी भर राजा हरीशचन्द्र की तरह सत्य बोलने का व्रत ले लिया।
राजा हरीशचन्द्र के पात्र से उन्होंने बालकपन में ही अच्छी तरह से समझ लिया था कि सत्य के मार्ग पर चलने में हमेंशा तकलीफें आती ही हैं लेकिन फिर भी सत्य का मार्ग नहीं छोडना चाहिए और राजा हरीशचन्द्र के नाटक के इस पात्र ने ही गांधीजी के सत्यान्वेषी बनने की नींव रखी।
गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि यदि कोई उन्हें आत्महत्या करने की धमकी देता था, तो उन्हें उसकी धमकी पर कोई भरोसा नहीं होता था क्योंकि एक बार स्वयं गाधीजी आत्महत्या करने पर उतारू थे। उन्होंने कोशिश भी की लेकिन उन्होंने पाया कि आत्महत्या की बात कहना और आत्महत्या की कोशिश करना, दोनों में काफी अन्तर होता है।
गांधीजी इस सन्दर्भ में जिस घटना का उल्लेख करते हैं, उसके अनुसार एक बार गांधीजी को अपने एक रिश्तेदार के साथ बीडी पीने का शौक लग गया। क्योंकि उनके पास बीडी खरीदने के लिए पैसे तो होते नहीं थे, इसलिए उनके काकाजी बीडी पीकर जो ठूठ छोड दिया करते थे। गांधीजी उसी को चुरा लिया करते थे और अकेले में छिप-छिप कर अपने उस रिश्तेदार के साथ पिया करते थे। लेकिन बीडी की ठूठ हर समय तो मिल नहीं सकती थी, इसलिए उन्होंने उनके घर के नौकर की जेब से कुछ पैसे चुराने शुरू किए।
अब एक नई समस्या आने लगी कि चुराए गए पैसों से जो बीडी वे लाते थे, उसे छिपाऐं कहां। चुराए हुए पैसों से लाई गई बीडी भी कुछ ही दिन चली। फिर उन्हे पता चला कि एक ऐसा पौधा होता है, जिसके डण्ठल को बीडी की तरह पिया जा सकता है। उन्हें बहुत खुशी हुई कि चलो अब न तो बीडी की ठूंठ उठानी पडेगी न ही किसी के पैसे चुराने पडेंगे। लेकिन जब उन्होंने उस डण्ठल को बीडी की तरह पिया, तो उन्हें कोई संतोष नहीं हुआ।
इसके बाद उन्हें अपनी पराधीनता अखरने लगी। उन्हें लगा कि उन्हें कुछ भी करना हो, उनके बडों की ईजाजत के बिना वे कुछ भी नहीं कर सकते। इसलिए उन दोनों ने सोंचा कि ऐसे पराधीन जीवन को जीने से कोई फायदा नहीं है, सो जहर खाकर आत्महत्या ही कर ली जाए। लेकिन फिर एक समस्या पैदा हो गई कि अब जहर खाकर आत्महत्या करने के लिए जहर कहां से लाया जाए? चूंकि उन्होंने कहीं सुना था कि धतूरे के बीज को ज्यादा मात्रा में खा लिया जाए, तो मृत्यु हो जाती है, सो एक दिन वे दोनों जंगल में गए और धतूरे के बीच ले आए और आत्महत्या करने के लिए शाम का समय निश्चित किया। मरने से पहले वे केदारनाथ जी के मंदिर गए और दीपमाला में घी चढाया, केदारनाथ जी के दर्शन किए और एकान्त खोज लिया लेकिन जहर खाने की हिम्मत न हुई। उनके मन में तरह-तरह के विचार आने लगे:
¤ अगर तुरन्त ही मृत्यु न हुर्इ तो ? ¤ मरने से लाभ क्या है ? ¤ क्यों न पराधीनता ही सह ली जाए ?
आदि… आदि। लेकिन फिर भी दो-चार बीज खाए। अधिक खाने की हिम्मत न हुर्इ क्योंकि दोनों ही मौत से डरे हुए थे सो, दोनों ने निश्चय किया कि रामजी के मन्दिर जाकर दर्शन करके मन शान्त करें और आत्महत्या की बात भूल जाए।
गांधीजी के जीवन की इसी घटना जिसे स्वयं गांधीजी ने अनुभव किया था, के कारण ही उन्होंने जाना कि आत्महत्या करना सरल नहीं है और इसीलिए किसी के आत्महत्या करने की धमकी देने का उन पर कोई प्रभाव नहीं पडता था क्योंकि उन्हें अपने आत्महत्या करने की पूरी घटना याद आ जाती थी। आत्महत्या से सम्बंधित इस पूरी घटना का परिणाम ये हुआ कि दोनों जूठी बीडी चुराकर पीने अथवा नौकर के पैसे चुराकर बीडी खरीदने व फूंकने की आदत हमेंशा के लिए भूल गए।
इस घटना के संदर्भ में गांधीजी का अनुभव ये रहा कि नशा कई अन्य अपराधों का कारण बनता है। यदि गांधीजी को बीडी पीने की इच्छा न होती, तो न तो उन्हें काकाजी की बीडी की ठूंठ चुरानी पडती न ही वे कभी बीडी के लिए नौकर की जेब से पैसे चुराते। उनकी नजर में बीडी पीने से ज्यादा बुरा उनका चोरी करना था जो कि उन्हें नैतिक रूप से नीचे गिरा रहा था।
इसी तरह से गांधीजी के जीवन में चोरी करने की एक और घटना है, जिसके अन्तर्गत 15 साल की उम्र में उन पर कुछ कर्जा हो गया था, जिसे चुकाने के लिए उन्होंने अपने भाई के हाथ में पहने हुए सोने के कडे से 1 तोला सोना कटवाकर सुनार को बेचकर अपना कर्जा चुकाया था। इस बात का किसी को कोई पता नहीं था, लेकिन ये बात उनके लिए असह्य हो गई। उन्हें लगा कि यदि पिताजी के सामने अपनी इस चोरी की बात को बता देंगे, तो ही उनका मन शान्त होगा।
लेकिन पिता के सामने ये बात स्वीकार करने की उनकी हिम्मत न हुई। सो उन्होंने एक पत्र लिखा, जिसमें सम्पूर्ण घटना का उल्लेख था और अपने किए गए कार्य का पछतावा व किए गए अपराध के बदले सजा देने का आग्रह था। वह पत्र अपने पिता को देकर वे उनके सामने बैठ गए। पिता ने पत्र पढा और पढते-पढते उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने गांधीजी को कुछ नहीं कहा। पत्र को फाड़ दिया और फिर से लौट गए।
उसी दिन गांधीजी को पहली बार अहिंसा की ताकत का अहसास हुआ क्योंकि यद्धपि उनके पिता ने उन्हें उनकी गलती के लिए कुछ भी नहीं कहा न ही कोई दण्ड दिया, बल्कि केवल अपने आंसुओं से उस पत्र को गीला कर दिया, जिसे गांधीजी ने लिखा था, और इसी एक घटना ने गांधीजी पर ऐसा प्रभाव डाला कि उन्होंने ऐसा कोई अपराध दुबारा नहीं करने की प्रतिज्ञा ले ली। यदि उस दिन, उस घटना के लिए गांधीजी के पिताजी ने गांधीजी के साथ मारपीट, डांट-डपट जैसी कोई हिंसा की होती, तो शायद हम आज उस गांधी को याद नहीं कर रहे होते, जिसे याद कर रहे हैं।
महात्मा गाँधी की विवाह – Mahatma Gandhi Married
मई 1883 में साढे 13 साल की आयु पूर्ण करते ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया। पत्नी का पहला नाम छोटा करके कस्तूरबा कर दिया गया और उसे लोग प्यार से बा कहते थे। यह विवाह उनके माता पिता द्वारा तय किया गया व्यवस्थित बाल विवाह था जो उस समय उस क्षेत्र में प्रचलित था। लेकिन उस क्षेत्र में यही रीति थी कि किशोर दुल्हन को अपने माता पिता के घर और अपने पति से अलग अधिक समय तक रहना पड़ता था। 1885 में जब गान्धी जी 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया। लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। और इसी साल उनके पिता करमचन्द गन्धी भी चल बसे। मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं जो सभी पुत्र थे। हरीलाल गान्धी 1888 में, मणिलाल गान्धी 1892 में, रामदास गान्धी 1897 में और देवदास गांधी 1900 में जन्मे।
महात्मा गाँधी की शिक्षा और कार्य – Mahatma Gandhi Career History in Hindi
पोरबंदर से उन्होंने मिडिल और राजकोट से हाई स्कूल किया। दोनों परीक्षाओं में शैक्षणिक स्तर वह एक औसत छात्र रहे। मैट्रिक के बाद की परीक्षा उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज से कुछ परेशानी के साथ उत्तीर्ण की। जब तक वे वहाँ रहे अप्रसन्न ही रहे क्योंकि उनका परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था। बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह भारत में आकर अपनी वकालत की अभ्यास करने लगे, लेकिन सफल नहीं हुए। उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला, वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे।
वहा भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए कई बार जेल भी गए। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नस्लवाद हो रहा था, उसके बारे में एक किस्सा भी है, जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गाँधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया। उन्होंने अपनी इस यात्रा में अन्य भी कई कठिनाइयों का सामना किया। अफ्रीका में कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया। इसी तरह ही बहुत सी घटनाओं में से एक यह भी थी जिसमें अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था जिसे उन्होंने नहीं माना। ये सारी घटनाएँ गान्धी के जीवन में एक मोड़ बन गईं और विद्यमान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं तथा सामाजिक सक्रियता की व्याख्या करने में मददगार सिद्ध हुईं।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए गान्धी ने अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न उठाये। वहा उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया. वे एक अमेरिकन लेखक हेनरी डेविड थोरो लेखो से और निबंधो से बेहद प्रभावित थे। आखिर उन्होंने अनेक विचारो ओर अनुभवों से सत्याग्रह का मार्ग चुना, जिस पर गाँधीजी पूरी जिंदगी चले, पहले विश्वयुद्ध के बाद भारत में ‘होम रुल’ का अभियान तेज हो गया, 1919 में रौलेट एक्ट पास करके ब्रिटिश संसद ने भारतीय उपनिवेश के अधिकारियों को कुछ आपातकालींन अधिकार दिये तो गांधीजीने लाखो लोगो के साथ सत्याग्रह आंदोलन किया।
उसी समय एक और चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए हिंसक आंदोलन कर रहे थे। लेकीन गांधीजी का अपने पूर्ण विश्वास अहिंसा के मार्ग पर चलने पर था। और वो पूरी जिंदगी अहिंसा का संदेश देते रहे।
महात्मा गांधी की मृत्यु – Death of Mahatma Gandhi
मृत्यु : 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गयी। गाँधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। ऐसे माना जाता है की ‘हे राम’ उनके मुँह से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी। महात्मा गांधी जी 79 साल की उम्र में वे सभी देश वासियों को अलविदा कहकर चले गए।
महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गये आंदोलन – Mahatma Gandhi ke Andolan
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945) – bhartiya swatantrata sangram.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष 1916 से 1945 तक चला। यह संघर्ष भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। जब गाँधी जी अफ्रीका से लौटे थे उस समय तक वे राष्ट्रवादी नेता के तौर पर प्रचलित हो चुके थे। उन्होंने इस आंदोलन में किसानों, मजदूरों, शहरी श्रमिकों को एकजुट किया।
चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह (1918-1919) – Champaran Satyagraha in Hindi
गांधीजी के नेतृत्व में बिहार के चम्पारण जिले में सन् 1918 में एक सत्याग्रह हुआ। यह गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। इसे चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। यह आंदोलन किसानो पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ था। खेड़ा सत्याग्रह भी गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों का अंग्रेज सरकार की कर-वसूली के विरुद्ध आंदोलन था।
खिलाफत आन्दोलन (1919-1924) – Khilafat Andolan in Hindi
ख़िलाफ़त आन्दोलन (1919-1922) भारत में मुख्य तौर पर मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था। गाँधी जी इस आंदोलन में भाग लिए और मुस्लिम-हिन्दू को एकजुट करने में सहयोग किये।
असहयोग आन्दोलन – Asahyog Andolan in Hindi
गांधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी के नेतृत्व मे चलाया जाने वाला यह प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन का मकशद था अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना।
स्वराज और नमक सत्याग्रह – Namak Satyagrah
गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह जिसे दांडी मार्च भी कहा जाता हैं। ये ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम गाँधीजी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा करके 12 मार्च 1930 को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून का भंग किया गया था।
- हरिजन आंदोलन
- द्वितीय विश्व युद्ध और ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’
- देश का विभाजन और भारत की आजादी
महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य – Mahatma Gandhi History
- 1893 में उन्हें दादा अब्दुला इनका व्यापार कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगोंका संघटित करके उन्होंने 1894 में ‘नेशनल इंडियन कॉग्रेस की स्थापना की।
- 1906 में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना सक्त किया था। इसके अलावा रंग भेद नीती के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश शासन विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।
- 1915 में महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती यहा सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की.तथा 1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन में शुरु किया।
- 1920 में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
- 1920 में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
- 1920 में के नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया. असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
- 1924 में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्ष पद।
- 1930 में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुवा. नमक के उपर कर और नमक बनाने की सरकार एकाधिकार रद्द की जाये. ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
- 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
- 1933 में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
- 1934 में गांधी जी ने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की. हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी विधायक कार्यक्रम करके उन्होंने प्रयास किया।
- 1942 में चले जाव आंदोलन शुरु हुआ। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
- व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था, जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली. अंततः 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया, 1948 मेंनाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था. वर्ष 1999 में बी.बी.सी. द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में गांधी जी को बीते मिलेनियम का सर्वश्रेष्ट पुरुष घोषित किया गया।
- गांधीजी ने समाज में फैली छुआछूत की भावना को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किये। उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम पर ‘हरि – जन’ नाम दिया और जीवन पर्यन्त उनके उत्थान के लिए प्रयासरत रहें।
महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम – Mahatma Gandhi Book’s –
- माय एक्सपेरिमेंट वुईथ ट्रुथ ( My Experiment With Truth ).
- हिन्द स्वराज – सन 1909 में
- दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह – सन 1924 में
- मेरे सपनों का भारत
- ग्राम स्वराज
- ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ एक आत्मकथा
- रचनात्मक कार्यक्रम – इसका अर्थ और स्थान
Mahatma Gandhi – मोहनदास करमचंद गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले, विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।
गांधीजी ने समाज में फैली छुआछूत की भावना को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किये। उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम पर ‘हरि – जन’ नाम दिया और जीवन पर्यन्त उनके उत्थान के लिए प्रयासरत रहें।
गाँधी जी की आलोचना
गांधी के सिद्धान्तों और करनी को लेकर प्रयः उनकी आलोचना भी की जाती है। उनकी आलोचना के मुख्य बिन्दु हैं-
- दोनो विश्वयुद्धों में अंग्रेजों का साथ देना ।
- खिलाफत आन्दोलनजैसे साम्प्रदायिक आन्दोलन को राष्ट्रीय आन्दोलन बनाना।
- सशस्त्र क्रान्तिकारियों के अंग्रेजों के विरुद्ध हिंसात्मक कार्यों की निन्दा करना।
- गांधी-इरविन समझौता- जिससे भारतीय क्रन्तिकारी आन्दोलन को बहुत धक्का लगा।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष पद पर सुभाष चन्द्र बोस के चुनाव पर नाखुश होना।
- चौरी चौरा काण्ड के बाद असहयोग आन्दोलन को सहसा रोक देना।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री का दावेदार बनाना।
- स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपये देने की जिद पर अनशन करना।
Ans : 2 अक्टूबर 1869 को
Ans : गुजराती
Q : महात्मा गांधी किस धर्म के थे?
Ans : गान्धी सनातन धर्म की पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे।
Ans : श्रीमद राजचंद्र जी
Ans : राजकुमारी अमृत
Ans : भारत को आजादी दिलाने में विशेष योगदान रहा था।
Ans : गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
Ans : 30 जनवरी 1948 को
Q : गांधी जी भारत कब वापस आये?
Ans : गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत में रहने के लिए लौट आए।
Ans : हिन्द स्वराज : सन 1909 में, माय एक्सपेरिमेंट वुईथ ट्रुथ
Ans : सत्य से संयोग नामक आत्मकथा महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई है।
Q : गांधी जी के पत्नी का क्या नाम था?
Ans : कस्तूरबा गांधी
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9 thoughts on “महात्मा गाँधी की प्रेरणादायी जीवनी | mahatma gandhi biography in hindi”.
Nice information. ..
आपने महात्मा गांधी के बारे में बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है। कृपया आगे भी ऐसे ही जानकारी देते रहिएगा। धन्यवाद
Nice information
very nice information
गाँधी जी के विचार में ताकत थी. उनकी जीवनी हमें स्कूल के जीवन की याद दिलाती है. आपके लेख का मै बहुत ही अभारी हूँ. धन्यवाद
pagal aashu roy
बहुत ही शानदार लेख है हमें बहुत अच्छी लगी |
Very bad information.Mahatma Gandhi ne afrika men to kale gore ke bhed bhav ko door krne ka pryas kiya lekin bharat me nahin.
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi
इस लेख में आप महात्मा गांधी का जीवन परिचय Biography of Mahatma Gandhi in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, दक्षिण अफ्रीका यात्रा, प्रमुख आंदोलन, निजी जीवन, सिद्धांत, किताबें, मृत्यु और हत्यारे के विषय में पूरी जानकारी दी गई है।
Table of Content
भविष्य में जब कभी भी भारतीय आंदोलनों की बात की जाएगी, तो उसमें महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। लगभग सभी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी एक महत्त्वूर्ण चेहरा रहे हैं। उन्होंने न केवल हिंदुस्तान में बल्कि पूरे विश्व में अपने संघर्षों से एक मिसाल कायम किया है।
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महात्मा गांधी का प्रारम्भिक जीवन Early Life of Mahatma Gandhi in Hindi
पुतलीबाई करमचंद्र जी की चौथी पत्नी थी, क्योंकि उनकी तीन पत्नियों की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। मोहनदास के अलावा उनके दो बड़े भाई भी थे, जिनका नाम लक्ष्मीदास और करसनदास था। उनकी एक बहन भी थी, जिनका नाम रालियात बेन था।
महात्मा गांधी का शुरुआती जीवन बहुत साधारण रूप से गुज़रा। पुतली बाई घर में धर्म कर्म के कार्य और उपवास भी रखती थी, जिसका प्रभाव बालक मोहनदास पर भी पड़ा और आगे चलकर गांधी जी के अंदर भी अध्यात्म की भावना विकसित हुई।
महात्मा गांधी जी की शिक्षा Mahatma Gandhi’s Teachings in Hindi
महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा mahatma gandhi’s visit to south africa in hindi.
गांधी जी ने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड की एक लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया। वकालत पूरी करने के दरमियान उन्होंने बहुत सारे रोजगार अपनाएं और छोड़ें।
अफ्रीका मे उन्होंने देखा जातीय भेदभाव पूरी तरह से अपना पैर पसारे हुए हैं, जिसका सामना स्वयं गांधी जी को भी करना पड़ा था।
सन 1996 भारतीय जनमत इंडियन ओपिनियन में उन्होंने लिखा है, कि 23 भारतीय निवासियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में नेपाल सरकार के कहने पर एक कोर कमेटी की रचना हुई, जिसमें भारतीयों को उस युद्ध में शामिल करने का आग्रह किया गया। सन 1915 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आए।
महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन Major Movements of Mahatma Gandhi in Hindi
सन 1919 में कांग्रेस की पकड़ कमजोर होते देखकर, हिंदू और मुस्लिम में भाई चारा बढ़ाने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन चलाया गया। जिसमें मुस्लिमों के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस रखी गई, जिसके मुख्य सूत्रधार गांधीजी थे।
12 मार्च सन 1930 को गांधी जी ने नमक कानून को तोड़ने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। जिसमें वह साबरमती आश्रम से लेकर गुजरात के दांडी नामक स्थान तक अपने अनुयायियों के साथ चल कर गए और ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए नमक पर एकाधिकार के कानून को तोड़ा।
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इसवी सन 1885 में उनकी पहली संतान ने जन्म लिया पर दुर्भाग्यवश वह कुछ दिन जीवित रह सका। उसके बाद उनके 4 पुत्र हुए जिनका नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास रखा गया। सन 1944 में कस्तूरबा गांधी जी की मृत्यु हो गई तब वह पुणे में थी।
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![mahatma gandhi autobiography hindi essay Essay On Mahatma Gandhi In Hindi](https://hindiyatra.com/wp-content/uploads/2018/09/Essay-On-Mahatma-Gandhi-In-Hindi.jpg)
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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं
और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।
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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।
भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।
उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।
महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।
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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।
उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था
जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।
इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।
उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।
लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।
नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words
प्रस्तावना –
महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।
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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
प्रारंभिक जीवन –
महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।
जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।
Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।
उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।
अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –
महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।
उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।
राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।
यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।
भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –
महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।
इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।
इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।
खेड़ा सत्याग्रह –
खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।
गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।
असहयोग आंदोलन –
अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।
महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।
इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।
इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।
नमक सत्याग्रह –
ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।
नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।
इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।
नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन –
महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।
उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।
बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।
महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।
उपसंहार –
Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।
उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।
हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।
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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”
Rohit ji app ne sahi bola
apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे
Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile
Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.
Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h
Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.
Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai
Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.
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गांधीजी की आत्मकथा autobiography of mahatma gandhi in hindi.
Today we are going to share गांधीजी की आत्मकथा Autobiography of Mahatma Gandhi in Hindi (Gandhiji Ki Atmakatha in Hindi). As many people over the internet are searching on this topic “गांधीजी की आत्मकथा”. Read गांधीजी की आत्मकथा Autobiography of Mahatma Gandhi in Hindi.
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गांधीजी की आत्मकथा Gandhiji Ki Atmakatha in Hindi
गांधीजी की आत्मकथा 600 Words
मेरे पिता करमचंद गाँधी थे। वह राजकोट के दीवान थे। वह एक सत्य-प्रिय, साहसी और उदार व्यक्ति थे। वह सदा न्याय करते थे। मेरी माता का नाम पुतली बाई था। उनका स्वाभाव बहुत अच्छा था। वह धार्मिक विचारो की महिला थी। वह कभी भी पाठ-पूजा किए बिना भोजन नहीं करती थी। 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर मैमेरा जन्म हुआ। पोरबंदर से पिता जी जब राजकोट गए तब मेरी आयु 7 वर्ष की रही होगी।
मैं पहले पाठशाला में फिर ऊपर के स्कूल में और वहां से हाई स्कूल में गया। एक बार पिताजी श्रवण पितृ भक्ति नामक नाटक की एक किताब खरीद कर लाए थे। मैंने उसे बड़े शौक से पढ़ा। उन्हीं दिनों शीशे में तस्वीर दिखाने वाले लोग आया करते थे। उनसे मैंने अंधे माता पिता को बहंगी पर बैठा कर ले जाने वाला श्रवण कुमार का चित्र देखा। मैंने मन ही मन कहा मैं भी श्रवण कुमार बनूंगा। मैंने सत्यवादी हरिश्चंद्र नाटक भी देखा। बार-बार उसे देखने की इच्छा होती। हरिश्चंद्र के सपने आते। बार-बार मेरे मन में यह बात उठती कि सभी हरिश्चंद्र की तरह सत्यवती क्यों ना बने। यही बात मन में बैठ गई कि चाहे हरिश्चंद्र की भांति दुख उठाना पड़े पर सत्य को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
जब मैं केवल 13 वर्ष का था तभी मेरा विवाह कस्तूरबा के साथ हो गया था। मगर मेरी पढ़ाई चलती रही। पांचवी और छठी कक्षा में तो छात्र छात्रवृत्तिया भी मिली थी। अपने आचरण की ओर मैं बहुत ध्यान देता था। यदि कभी भूल हो जाती तो मेरी आंखों में आंसू भर आते। अपने से बड़ों तथा शिक्षकों का अप्रसन्न होना मुझे सहन नहीं हो पाता था। मुझे यह याद नहीं कि मैंने कभी किसी भी शिक्षक या स्कूल के बचो से कभी झूठ बोला हो। मैंने पुस्तकों में पढ़ा था कि खुली हवा में घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यह बात मुझे अच्छी लगी और तभी से मैंने सैर करने की आदत डाल ली। सैर करना भी एक प्रकार का व्यायाम ही है, इससे मेरा शरीर मजबूत हो गया।
एक भूल की सजा मैं आज तक पा रहा हूं। पढ़ाई में अक्षर अच्छे होने की जरूरत नहीं, यह गलत विचार मेरे मन में इंग्लैंड जाने तक रहा। आगे चलकर दूसरों के मोती जैसे अक्षर देखकर मैं बहुत पछताया। मैंने देखा कि अक्षर बुरे होना अपूर्ण शिक्षा की निशानी है। बाद में मैंने अपने अक्षर सुधारने का प्रयत्न किया परंतु पक्के घड़े पर कभी मिट्टी चढ़ सकती है। सुलेख शिक्षा का जरूरी अंग है। इसके लिए चित्र कला सीखनी चाहिए। बालक जब चित्रकला सीख कर चित्र बनाना जान जाता है, तब यदि अक्षर लिखना सीखे तो अक्षर मोती जैसे हो जाते हैं। मेरे संस्कृत शिक्षक काम लेने में बड़े सख्त थे। फ़ारसी के शिक्षक नरम थे। विद्यार्थी आपस में बातें करते की फ़ारसी बहुत सरल है। यह सुनकर में ललचाया और 1 दिन फारसी की कक्षा में जा बैठा। यह देखकर संस्कृत शिक्षक ने बुलाया और समझाया की अगर तुम्हे संस्कृत समझने में कोई कठिनाई हो तो मुझे बताओ। मैं तो सभी बच्चों को अच्छी तरह संस्कृत पढ़ना चाहता हूं। आगे चलकर इसमें रस ही रस है, देखो हिम्मत ना हारो। तुम फिर से मेरी कक्षा में आकर बैठो। मैं उन शिक्षक के प्रेम के कारण मना ना कर सका। आज भी मैं उनका उपकार मानता हूं क्योंकि आगे चलकर मैंने समझा कि संस्कृत का अच्छा अध्ययन किए बिना नहीं रहना चाहिए।
मैं हाई स्कूल में मंदबुद्धि विद्यार्थी नहीं माना जाता था, पर जहां तक याद है मुझे कभी अपनी होशियारी का कोई गर्व न रहा। इनाम या छात्रवृत्ति पाने पर मुझे आश्चर्य होता था, लेकिन अपने आचरण कि मुझे बहुत चिंता रहती थी। मेरे हाथों कोई ऐसा काम ना हो जाए जिसके लिए शिक्षक को मुझे दंड देना पड़े। मुझे याद है कि एक बार मुझे मार खानी पड़ी थी। मुझे मार का दुख ना था पर मैं दंड का पात्र समझा गया इस बात का बहुत दुख था। यह बात पहली या दूसरी कक्षा की है। मोहनदास करमचंद गांधी।
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Mahatma Gandhi biography in hindi | महात्मा गांधी जीवनी
Table of contents, महात्मा गांधी जीवनी.
महात्मा गांधी, पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गांधी, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत-मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक जो इसके खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने। भारत पर ब्रिटिश शासन. उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। वह अपने सत्याग्रह, अहिंसा और अनुशासन के दर्शन के लिए भी जाने जाते हैं जिसके कारण उन्होंने भारत को सफलतापूर्वक स्वतंत्रता दिलाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा | Mahatma Gandhi history
महात्मा गांधी हिंदू धर्म से हैं, उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की और बाद में कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। दक्षिण अफ्रीका में उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा और 1906 में उन्होंने अन्याय और कुछ कानूनों के खिलाफ पहली बार सत्याग्रह शुरू किया।
गांधी जी की भारत वापसी | महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी
गांधी जी 1915 में भारत लौट आए और उन्होंने अपने कौशल का उपयोग भारत में ब्रिटिश शासन की स्थिति के साथ दक्षिण अफ्रीका में किया। भारत लौटने के तुरंत बाद, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता बन गये। गांधी जी ने खादी, नमक मार्च, सविनय अवज्ञा और कई अन्य आंदोलन शुरू किए। वह अहिंसा और अनुशासन में विश्वास करते थे और अपने सिद्धांतों और विश्वासों से भारत को स्वतंत्रता की ओर ले गए।
गांधी जी के सिद्धांत और आंदोलन
गांधी जी का मानना था कि अनुशासन, सिद्धांतों और ईमानदारी से कोई भी कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनके अहिंसात्मक आंदोलन थे: 1. सत्याग्रह (सत्य बल): गांधीजी का मानना था कि सत्य सबसे शक्तिशाली हथियार है। उन्होंने व्यक्तियों को उत्पीड़न के बावजूद भी सच्चाई के लिए खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया।
2. सविनय अवज्ञा: गांधी ने शांतिपूर्ण तरीके से अन्यायपूर्ण कानूनों की अवज्ञा करने, अपने कार्यों के परिणामों को विरोध के रूप में स्वीकार करने की वकालत की।
3. आत्मनिर्भरता: उन्होंने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया और लोगों से ब्रिटिश आर्थिक शोषण का विरोध करने के तरीके के रूप में अपने कपड़े (खादी) कातकर आत्मनिर्भर होने का आग्रह किया।
4. धार्मिक सहिष्णुता: गांधीजी सभी धर्मों का सम्मान करते थे और सभी की समानता में विश्वास करते थे। उन्होंने आध्यात्मिकता को अपने अहिंसक दर्शन का एक अभिन्न अंग माना।
गांधी के नेतृत्व और दर्शन का भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा, जो 1947 में हासिल किया गया था। उनके अहिंसा और सविनय अवज्ञा के तरीकों ने न केवल भारतीयों को प्रेरित किया, बल्कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे नागरिक अधिकार नेताओं को भी उनके संबंधित संघर्षों में प्रभावित किया। न्याय और समानता के लिए.
Mahatma Gandhi death – दुखद बात यह है कि 30 जनवरी, 1948 को एक कट्टरपंथी राष्ट्रवादी, नाथूराम गोडसे द्वारा, जो उनकी नीतियों से असहमत था, Mahatma Gandhi assassination महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। गांधीजी की अहिंसा, सादगी और सत्य की खोज की शिक्षाएं दुनिया भर में व्यक्तियों और आंदोलनों को प्रेरित करती रहती हैं। शांतिपूर्ण परिवर्तन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए, उनके जन्मदिन, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी
महात्मा गांधी के नाम पर इंडिया में बहुत कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं, महात्मा गांधी इंटरनेशनल हिंदी यूनिवर्सिटी के नाम निचे लिखे गए हैं:
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महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज
महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी आपने ऊपर देखली, अब बात करते हैं महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की:
- Mahatma Gandhi Institute of Medical Sciences
- Mahatma Gandhi Memorial Medical College , Indore
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- Gandhi Medical College
महात्मा गांधी नरेगा कॉम
महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गुरंटी के तेहत भारतीये लोगो के लिए रोज़गार की उपलब्धि करवाई जाती हैI महात्मा गांधी नरेगा कॉम भारत के लोगो के लिए एक स्कीम है जो भारत के लोगो के विकास को देखते हुए बनायीं गयी थी I
Mahatma Gandhi quotes
- “ऐसे जियो जैसे कि तुम्हें कल मरना है। ऐसे सीखो जैसे तुम्हें हमेशा के लिए जीना है।”
- “कमज़ोर कभी माफ़ नहीं कर सकते। माफ़ करना ताकतवर का गुण है।”
- “पहले वे आपको नजरअंदाज करते हैं, फिर वे आप पर हंसते हैं, फिर वे आपसे लड़ते हैं, फिर आप जीत जाते हैं।”
- “खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका खुद को दूसरों की सेवा में खो देना है।”
- “आपमें वह बदलाव होना चाहिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”
- “आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है।”
- “आप जो भी करेंगे वह महत्वहीन होगा। लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप उसे करें।”
- “आपकी अनुमति के बिना कोई भी आपको चोट नहीं पहुँचा सकता।”
- “हमारी महानता दुनिया का रीमेक बनाने में सक्षम होने में नहीं बल्कि खुद को रीमेक करने में सक्षम होने में निहित है।”
- “हम दुनिया के जंगलों के साथ जो कर रहे हैं वह इस बात का दर्पण है कि हम अपने और एक दूसरे के साथ क्या कर रहे हैं।”
- “ताकत शारीरिक क्षमता से नहीं आती। यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है।”
- “सौम्य तरीके से, आप दुनिया को हिला सकते हैं।”
- “दुनिया में इंसान की ज़रूरतों के लिए पर्याप्तता है लेकिन इंसान के लालच के लिए नहीं।”
- “तुम मुझे जंजीरों से जकड़ सकते हो, तुम मुझे यातना दे सकते हो, तुम मेरे शरीर को नष्ट भी कर सकते हो, लेकिन तुम मेरे दिमाग को कभी कैद नहीं करोगे।”
- “मनुष्य उसी मात्रा में महान बनता है जिस मात्रा में वह अपने साथियों के कल्याण के लिए कार्य करता है।”
Happy Gandhi Jayanti calligraphy
Check out some of the happy gandhi jayanti calligraphy drawings here :
When Mahatma Gandhi married ?
Mahatma Gandhi married in 1883. Mahatma Gandhi wife name is Kasturba Gandhi.
Why Mahatma Gandhi adopted Feroze khan ?
Feroze Khan was not a Muslim, and his full name was Firoze Jehangir Ghandy, he was very influenced with Gandhi Ji so he changed his surname to Gandhi. He married to Jawahar Lal Nehru’s daughter, Indira who was called Indira Gandhi and since then the INC is going with surname Gandhi. Feroze was never adopted by Gandhi Ji.
Is Priyanka Gandhi related to Mahatma Gandhi ?
Priyanka Gandhi is not related to Mahatma Gandhi, Priyanka Gandhi is grand daughter of Indira Gandhi and Feroz Gandhi, who was very influenced with Gandhi Ji so he changed his surname to Gandhi.
Is Mahatma Gandhi related to Indira ?
Mahatma Gandhi is not related to Indira Gandhi, they have same surname as Indira Gandhi’s husband, Feroze Ghandy changed his surname to Gandhi.
What Mahatma Gandhi did for India in hindi ?
महात्मा गांधी ने नॉन वायलेंस क रस्ते पे चलकर बहरत को 1947 में आज़ादी दिलवाई I
What is the real freedom according to Mahatma Gandhi ?
According to Mahatma Gandhi, the real freedom is when one doesn’t have to depend on anyone for anything. He started Khadi using Charka to make our own clothes so that Indian won’t have to depend on any other nation for clothes. He also started Salt March and influenced people to not to be anyone’s slave and motivated people to be independent, as he believed that Freedom comes with Independence.
Who are Mahatma Gandhi children and Mahatma Gandhi grand children ?
Mahatma Gandhi and Kasturba Gandhi children are: all sons: Harilal , born in 1888; Manilal , born in 1892; Ramdas , born in 1897; and Devdas , born in 1900. Gandhi Ji grand children are Kanu Gandhi , Arun Manilal Gandhi , Rajmohan Gandhi , Ramchandra Gandhi , Ela Gandhi ( Gandhi Ji grand daughter ), Gopalkrishna Gandhi , Kantilal Gandhi, Sita Gandhi, Tara Gandhi.
Who are Mahatma Gandhi great grand children ?
Mahtama Gandhi’s great grand children are Shanti Gandhi , Kirti Menon , Tushar Arun Gandhi , Leela Gandhi
Who are Mahatma Gandhi great great grand children ?
Mahatma Gandhi’s great great grandchildren are Vivan Gandhi, Kasturi Gandhi, Ann Gandhi, Anita Gandhi, Anjali Gandhi, Sunita Menon.
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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे।
महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में
भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे।
इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी।
महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे।
महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।
सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे।
गांधीजी की शुरुआती शिक्षा
गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की।
गांधी जी का विवाह
जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे।
गांधीजी का राजनीति में प्रवेश
जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए।
महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया।
गांधी जी की मृत्यु
देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं।
- 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
- क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
- 10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi
दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं।
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The Story of My Experiments with Truth (, lit. ' Experiments of Truth or Autobiography ') is the autobiography of Mahatma Gandhi, covering his life from early childhood through to 1921.It was written in weekly installments and published in his journal Navjivan from 1925 to 1929. Its English translation also appeared in installments in his other journal Young India.
An Autobiography or My Experiments with Truth www.mkgandhi.org Page 6 PUBLISHER'S NOTE A deluxe edition of Selected Works of Mahatma Gandhi was released in 1969. It went out of print in about six months. To meet the popular demand for it and to make it available to individual readers at a reasonable price a new soft-cover edition was soon ...
Mohandas Karamchand Gandhi ( ISO: Mōhanadāsa Karamacaṁda Gāṁdhī; [pron 1] 2 October 1869 - 30 January 1948) was an Indian lawyer, anti-colonial nationalist and political ethicist who employed nonviolent resistance to lead the successful campaign for India's independence from British rule.