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जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Complex Tissue- Xylem And Phloem in Hindi)

Hamid Ali

Hey Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Xylem And Phloem in Hindi), आज हम जटिल ऊतकों में बारे में जानकारी प्राप्त करेगें।

जटिल ऊतक (Complex Tissue):

एक ही प्रकार के विशेष कार्य करने वाले विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं का समूह जटिल ऊतक कहलाता है। ये ऊतक विषमांगी (Heterogeneous) प्रकृति के होते है। ये ऊतक युग्मकोद्भिद (Gametophyte) में अनुपस्थित होते है।

इसे दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है:

  • जाइलम (Xylem)
  • फ्लोएम (Phloem)
  • जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Xylem And Phloem in Hindi)

A. जाइलम (Xylem):

Xylem शब्द नागेली द्वारा दिया गया था। यह पादप में पानी और खनिज के परिवहन का कार्य करता है। यह फ्लोएम (Phloem) के साथ मिलकर संवहन बंडलों (Vascular Bundle) का निर्माण करता है। इसमें दोनों मृदूतक (Parenchyma) और स्थुलकोणोतक (Collenchyma) कोशिकाएं पायी जाती हैं। अवयव के आधार पर जाइलम को प्राथमिक जाइलम (Primary xylem) और द्वितीयक जाइलम (Secondary xylem)  में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राथमिक जाइलम पादप के शरीर की प्राथमिक वृद्धि (Primary growth) में उपस्थित होते है, और प्राक एधा (Procambium) की कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। यह प्रोटोजाइलम (Protoxylem) और मेटाजाइलम (Metaxylem) में विभेदित होता है। पादप की द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) के कारण द्वितीयक जाइलम (Secondary Xylem) का निर्माण होता है।

यह चार घटकों से बना है –

(ए) वाहिनिकाएं (Tracheid)

(बी) वाहिकाएं (Vessels)

(सी) जाइलम तंतु (Xylem Fibres)

(डी) जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma)

 (ए) वाहिनिकाएं (tracheid):

वाहिनिकाएं (tracheid) पानी के परिवहन में मदद करती है। यह यांत्रिक सहारा (Mechanical Support) और लकड़ी का निर्माण भी करती है। ये लम्बी, संकीर्ण गुहा, तथा नुकीले सिरों वाली कोशिकाएँ है। इनकी कोशिका भित्ती में लिग्निन का जमाव होता है। कोशिका भित्ति में स्थूलन (thickening) वलयाकार (Annular), सर्पिल (Spiral), सोपानवत् (Scalariform), जालिकावत (Reticulate), या गर्ती (Pitted) प्रकार का हो सकता है। वाहिनिकाएं (tracheid) टेरिडोफाइट , जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्मों में पाए जाते हैं। वाहिनिकाएं (tracheid) एक दूसरे के ऊपर जुड़कर लंबी पंक्ति बनाते हैं परन्तु आपस में क्रॉस भित्ति द्वारा अलग रहते है।

(बी) वाहिकाएं  (Vessels):

ये लम्बी, चौड़े सिरे वाली, तथा चौड़ी अवकाशिका वाली बेलनाकार तत्व हैं। ये पानी के संवहन में पाइप लाइन की तरह कार्य करती है। इनकी कोशिका भित्ति पर लिग्निन का जमाव होता हैं, और जमाव या स्थूलन (thickening) वलयाकार, सर्पिल, सोपानवत या जालीदार हो सकता है। कोशिका भित्ती में कई परिवेशित गर्त (Boarded Pits) होते हैं। वाहिकाओं की अंत: भित्ती छिद्रित प्लेटों के रूप में पायी जाती है। वाहिकाएं  (Vessels) कठोर लकड़ी या छिद्रित लकड़ी का निर्माण करती हैं। संकीर्ण अवकाशिका या गुहा वाली वाहिकाएं  (Vessels) प्रोटो जाइलम में और  चौड़ी अवकाशिका या गुहा वाली वाहिकाएं  (Vessels) मेटा जाइलम में जाती है। वाहिकाएं  (Vessels) पानी के परिवहन, पादप को यांत्रिक सहारा और लकड़ी का निर्माण का कार्य करती है।

आम तौर पर वाहिकाएं  (Vessels) सभी एंजियोस्पर्म में पायी जाती हैं। लेकिन winteraceae, Tetracentraceae, Trochodendraceae कुल में नहीं पायी जाती और जिम्नोस्पर्म में यह अनुपस्थित होती है। लेकिन Gnetum, Welwitschia and Ephe­dra में पाया जाता है। Yucca, Dracaena, Dejineria, में वाहिकाएं  (Vessels) अनुपस्थित होती हैं।

(सी) जाइलम तंतु (Xylem Fibres) Xylem:

ये जाइलम में पाए जाने वाली मृत दृढ़ोतक कोशिकाएँ है। ये लंबे, मोटी लिग्निन युक्त कोशिका भित्ती और नुकीले सिरों कोशिकाएँ हैं। इनकी मात्रा द्वितीयक जाइलम में अधिक होती है यह यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।

 (डी) जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma):

यह जाइलम का जीवित घटक हैं। ये मृदूतकी, पतली कोशिका भित्ती वाली, अंडाकार या लम्बी कोशिकाएँ है, जो प्राथमिक और द्वितीयक जाइलम दोनों में पायी जाती हैं। यह मुख्य रूप से स्टार्च और वसा को संग्रहीत करने में मदद करता है। यह मज्जा किरणों के गठन करता है। जो पानी का उसके परिधीय भागो में यानी अरीय संवहन करता है

चार घटकों में से केवल xylem parenchyma जीवित है और बाकी सभी भाग मृत होते हैं।

जाइलम के कार्य:

  • वाहिनिकाएं (tracheid) तथा वाहिकाएं  (Vessels) पादप की जड़ो से ऊपर पत्तियों की ओर पानी और खनिज के प्रवाह का कार्य करते हैं। ये क्रमशः नरम (Soft) और कठोर लकड़ी (Hard Wood) के निर्माण में मदद करते हैं।
  • जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma) भोजन का संग्रहण करता है।
  • जाइलम तंतु (Xylem Fibres) यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।

B. फ्लोएम (Phloem):

शब्द फ्लोएम (Phloem) नागेली द्वारा गया। यह स्थायी जीवित जटिल ऊतक है। इसके द्वारा पादप के विभिन्न भागों में पत्तियों से प्रकाश संश्लेषण उत्पाद का सूक्रोज के रूप में स्थानांतरण किया जाता है। इसे बास्ट या leptome भी कहा जाता हैं।

उद्भव के आधार पर फ्लोएम को प्राथमिक फ्लोएम और द्वितीयक फ्लोएम में बांटा जाता है प्राथमिक फ्लोएम प्राक एधा (Pro-cambium) से और द्वितीयक फ्लोएम संवहन एधा (Vascular Cambium) से होता है

विकास के आधार पर प्राथमिक फ्लोएम को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनको प्रोटोफ्लोएम   व मेटाफ्लोएम कहते है। प्रोटोफ्लोएम में संकरी चालनी नलिका जबकि मेटाफ्लोएम में बड़ी चालनी नलिका होती है ।

Phloem चार घटकों से बना है-

(ए) चालनी नलिका (Sieve Tubes)

(बी) साथी कोशिकाएं  (Companion Cells)

(सी) फ्लोएम मृदूतक (Phloem parenchyma)

(डी) फ्लोएम तंतु (Phloem Fibres)

 (ए) चालनी नलिका (Sieve Tubes)  :

ये लम्बी बेलनाकार एवं  जीवित कोशिका है। जो नलिका की तरह दिखाई देती है। ये सेल्यूलोज की पतली भित्ती युक्त कोशिकाएँ है। परिपक्व चालनी नलिका (Sieve Tubes)  में केन्द्रक अनुपस्थिति होता हैं, और जीवद्रव्य में बड़ी रिक्तिका पायी जाती है। जिम्नोस्पर्म में, चालनी नलिका (Sieve Tubes)  के स्थान पर चालनी कोशिका (Sieve Cell) होती हैं। दो चालनी नलिका (Sieve Tubes)  के बीच कई छिद्रित चलानी प्लेटें पायी जाती हैं।

सर्दियों के मौसम के दौरान एक पॉलिसैक्रेराइड पदार्थ जिसका नाम callose है,  चालनी प्लेटों पर जमा हो जाता है। जिसे केलोज प्लग कहते है। ये केलोज प्लग भोजन के परिवहन को रोकते हैं। वसंत की वापसी पर, एंजाइम callase की मदद से केलोज प्लग का अपघटन हो जाता है। और भोजन का  परिवहन फिर से शुरू हो जाता और पौधे के विकास की शुरुआत हो जाती हैं। callose β-1,3- glucan होता है

चालनी नलिका जीवित सिनसाइट जबकि वाहिनिकाएं मृत सिनसाइट है।

(बी) साथी कोशिका (Companion Cells):

ये लम्बी, संकीर्ण, पतली भित्ती वाली जीवित कोशिकाएँ होती है जो चलनी नलिका से जुड़ी हुई होती है। चालनी नलिका (Sieve Tubes)  और साथी कोशिका गर्त के माध्यम से जुड़ी हुई होती हैं। जिम्नोस्पर्म में साथी कोशिकाओं की जगह एल्बुमिन्स कोशिकाएं / स्ट्रासबर्गर कोशिका पायी जाती हैं। साथी कोशिकाएं  (Companion Cells) चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes)के साथ भोजन के परिवहन में मदद करती हैं। साथी कोशिकाओं का केन्द्रक चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes)के कार्य को नियंत्रित करता है। क्योंकि चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes) में केन्द्रक नहीं पाया जाता। Austrobaileya एक एंजियोस्पर्म है, जिसमें साथी कोशिका नहीं पायी जाती।

 (सी) फ्लोएम मृदूतक(Phloem Parenchyma):

यह लम्बी, नुकीले, जीवित, मृदूतकी कोशिका है। यह सभी एकबीजपत्री पादपो और द्विबीजपत्री रैननकुलस में अनुपस्थित होती है। बास्ट मृदूतक भी कहलाता हैं।

(डी) फ्लोएम  तंतु(Phloem Fibres):

ये मृत लम्बी दृढ़ोतक कोशिकाएं हैं। जो लिग्निन के जमाव वाली, गर्त युक्त भित्ती वाले होते हैं। यह चालनी तत्वों (चालनी कोशिका व चालनी नलिका (Sieve Tubes)) को दृढ़ता प्रदान करता है। ये प्राथमिक में फ्लोएम (Phloem) अनुपस्थित  और द्वितीयक फ्लोएम (Secondary Phloem) में पाये जाते हैं। यह यांत्रिक सहारा प्रदान करने का कार्य करता है।

चार घटकों में से केवल फ्लोएम तंतु मृत होता है और बाकी सभी जीवित होते हैं।

फ्लोएम (Phloem)  के कार्य:

  • यह पादप के शीर्ष से आधार तक भोजन का स्थानांतरण करता है।
  • द्वितीयक फ्लोएम (Secondary Phloem) तंतु जैसे जूट तंतु आर्थिक मूल्य के हैं।
  • फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma) रेजिन, लैटेक्स एवं म्युसिलेज आदि का संग्रहण करता है
  • फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma) भोजन का अरीय संवहन करता है

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Reference and Source-

NCERT Books

जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Complex Tissue- Xylem And Phloem in Hindi)

सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार (

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Tags: aipmt biology class 11 neet phloem xylem xylem and phloem in hindi जटिल ऊतक जाइलम फ्लोएम

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जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) में क्या अंतर है?

पौधों में परिवहन तंत्र (transport system) का कार्य करने के लिए दो प्रकार के ऊतक (tissues) होते हैं; जाइलम (xylem) और फ्लोएम (phloem). ये पौधों में संवहनी ऊतक प्रणाली (vascular tissue system) के घटक हैं. आइये इनके बीच में क्या अंतर होता है के बारे में इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं..

Shikha Goyal

पौधों में परिवहन तंत्र  (Transport System) का कार्य करने के लिए दो प्रकार के ऊतक (Tissues) होते हैं; जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem). ये पौधों में संवहनी ऊतक प्रणाली (Vascular tissue system) के घटक हैं. स्टेम के युवा भागों में, जाइलम और फ्लोएम को एक साथ संवहनी बंडलों के रूप में व्यवस्थित किया जाता है. जाइलम और फ्लोएम दोनों जटिल ऊतक हैं जो एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं.

पौधों में परिवहन तंत्र क्या होता है?

किसी भी पौधे के द्वारा अवशोषित या निर्मित पदार्थों का पौधे के बाकी सभी हिस्सों तक पहुंचाने को परिवहन तंत्र कहा जाता है. जैसा की हम जानते हैं कि पौधों में जल और खनिजों को उसके अन्य हिस्सों तक पहुंचाने की जरूरत पड़ती है.  इसी प्रकार पौधों की पत्तियों में बने हुए भोजन को भी तो अन्य पौधे के अन्य हिस्सों तक पहुंचाना जरूरी है.  पौधों में शाखा होती हैं, ताकि उन्हें प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis) के लिए कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन प्रसरण (Diffusion) के माध्यम से हवा से सीधे मिल सके. 

यहीं आपको बता दें कि प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis) के जरिये भोजन बनाने के लिए पौधों को पानी की और प्रोटीन के निर्माण के लिए खनिजों की आवश्यकता होती है. इसी कारण पौधें अपनी जड़ों से जल और खनिज को अवशोषित करते हैं और पौधे के तने, पत्तियों, फूलों इत्यादि बाकी हिस्सों में इसे पहुंचाते हैं. 

इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि जाइलम और फ्लोएम दो अलग-अलग प्रकार के संवहनी ऊतक (Vascular Tissues) हैं , जो मुख्य रूप से परिवहन (Transportation) प्रक्रिया में शामिल होते हैं.  ये ऊतक संवहनी बंडल (Vascular Bundle) बनाते हैं और ये एक इकाई के रूप में एक साथ काम करते हैं. जाइलम का मूवमेंट एक ही दिशा में होता है यानी यूनीडायरेक्शनल (Unidirectional), जबकि फ्लोएम का द्विदिश यानी दोनों दिशा में (Bidirectional) होता है.

कोशिका : संरचना एवं कार्य

जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) में अंतर इस प्रकार है:

1. जाइलम के ऊतक (Tissue) ट्यूबलर के आकार की संरचना के होते हैं, जिसमें क्रॉस दीवारों (Cross walls) की अनुपस्थिति होती है. यह ऊतक एक तारे के आकार जैसा दिखता है. वहीं फ्लोएम ऊतक ट्यूबलर के आकार के, लम्बें होते हैं, पतली छलनी नलिकाओं (Thin Sieve Tubes) के साथ दीवारों (Walls) की उपस्थिति के साथ संरचनाएं वाले.

2. जाइलम एक संवहनी ऊतक है जो पानी और विघटित खनिजों को जड़ से अवशोषित कर शेष पौधे तक पहुँचाता है और फ्लोएम एक संवहनी ऊतक है जो पौधे के हरे भागों से पौधे के बाकी हिस्सों में प्रकाश संश्लेषण के दौरान तैयार घुलनशील कार्बनिक यौगिकों को स्थानांतरित करता है.

3. जाइलम मुख्य रूप से संवहनी बंडलों (Vascular Bundles) के केंद्र में स्थित होते हैं और फ्लोएम मुख्य रूप से संवहनी बंडलों की परिधि (Periphery) की ओर स्थानीयकृत होते हैं.

4. जाइलेम के फाइबर छोटे होते हैं और फ्लोएम के फाइबर बड़े होते हैं.

5. जाइलेम जड़ों, स्टेम और पत्तियों में मौजूद होते हैं और फ्लोएम, स्टेम और पत्तियों में मौजूद होते हैं, जो बाद में जड़ों, फलों और बीजों में स्थानांतरित और विकसित होते हैं.

6. जाइलम का मूवमेंट एक ही दिशा में होता है यानी यूनीडायरेक्शनल (Unidirectional) ऊपर की ओर वहीं फ्लोएम का द्विदिश यानी दोनों दिशा में (Bidirectional) मूवमेंट होता है (Up and Down).

7. जाइलम में ट्रेकिड्स (Tracheids), Vessel Elements, जाइलम पैरेन्काइमा, और जाइलम फाइबर शामिल हैं. वहीं फ्लोएम में शामिल हैं: साथी कोशिकाएं (Companion Cells), छलनी नलिकाएं (Sieve Tubes), बास्ट फाइबर (Bast Fibres), फ्लोएम फाइबर, और फ्लोएम पैरेन्काइमा.

8. जाइलम ऊतक की कोशिकाएं पैरेन्काइमा कोशिकाओं को छोड़कर मृत कोशिकाएं (Dead cells) होती हैं और फ्लोएम ऊतक की कोशिकाएं बास्ट फाइबर को छोड़कर जीवित कोशिकाएं होती हैं.

9. जाइलम में कोशिकाओं की कोशिका भित्ति (Cell wall) मोटी होती है और फ्लोएम की कोशिकाओं की कोशिका भित्ति पतली होती है.

10. लिग्नीफाइबड (Lignified) कोशिका भित्ति (Cell wall) जाइलम में मौजूद होती हैं और फ्लोएम में कोशिका भित्ति (Cell wall) लिग्नीफाइबड (Lignified) नहीं होती है.

11. संवहनी बंडलों (Vascular Bundles) में जाइलम ऊतक की मात्रा फ्लोएम ऊतक से अधिक होती है यानी संवहनी ऊतक में फ्लोएम ऊतक की मात्रा तुलनात्मक रूप से कम होती है.

12. जाइलम ऊतक के दो प्रकार के तत्वों अर्थात जाइलम वाहिकाओं (Xylem Vessels) और वाहिनिकाओं  (Tracheid) से होकर ही जल एवं खनिजों को पौधों की जड़ों से उसकी पत्तियों तक पहुंचाया जाता है और फ्लोएम की जीवित कोशिकाएं ‘चालनी नलिकाएँ’ (Sieve Tubes) कहलाती हैं. फ्लोएम में कोशिकाओं की अंतिम भित्ति पर चालनी पट्टियाँ (sieve plates) पायी जाती हैं, जिनमें छोटे–छोटे छिद्र बने होते हैं.

13. जाइलेम घुलनशील खनिज पोषक तत्वों और पानी के अणुओं को जड़ों से पौधे के अन्य हिस्सों तक पहुंचाता है और फ्लोएम भोजन और अन्य पोषक तत्वों सहित चीनी और अमीनो एसिड पत्तियों से भंडारण अंगों और पौधे के बढ़ते भागों तक पहुंचाता है.

14. जाइलेम, पौधे को यांत्रिक शक्ति (Mechanical Strength) प्रदान करता है और स्टेम को मजबूत रहने में मदद करता है वहीं जड़ों, बल्ब (Bulbs) और Tubers जैसे अंगों के भंडारण के लिए पौधों के प्रकाश संश्लेषक क्षेत्रों द्वारा संश्लेषित शर्करा का परिसंचरण करता है.

15. जाइलेम वाष्पशील (Transpiration) और प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से खोए हुए पानी के अणुओं की कुल मात्रा को पूरा करता है और पूरे पौधे में प्रोटीन और mRNAs के परिवहन के लिए जिम्मेदार है.

तो अब आपको जाइलेम और फ्लोएम के बीच के अंतर के बारे में ज्ञात हो गया होगा.

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