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इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध | India in 21st Century in hindi

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध ( India in 21st Century Essay in hindi)

वर्तमान  में  हम  इक्कीसवीं सदी में  जी  रहे  हैं.  जिस  प्रकार  उन्नीसवीं   सदी  को  ब्रिटेन   का  समय  कहा  जाता  हैं,  बीसवीं  सदी  को  अमेरिकन  सदी   कहते  हैं,  उसी  प्रकार  इक्कीसवीं सदी भारत  की  हैं. IBM  इंस्टिट्यूट  फॉर   बिज़नेस  वेल्यु  की  रिपोर्ट  ‘ इन्डियन  सेंचुरी ’ के  अनुसार : भारत  एक   तेजी  से  बदलने  वाली  अर्थव्यवस्था  हैं.  आने  वाले  वर्षों  में  भारत  को  सबसे  अधिक  उन्नति  करने  वाले  देशों  में  शामिल  किया  गया   हैं.

21st century India

Table of Contents

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध

ब्रिटेन   का  स्वर्ण – काल
अमेरिका का विश्व पर बढ़ता प्रभाव
इन्डियन  सेंचुरी अर्थात भारत का समुचित विकास और इसके विकासशील देश से विकसित देशों की गिनती में आने वाला समय

स्वतंत्रता  के  पश्चात्  हमारे  देश  ने  विभिन्न  क्षेत्रों  में  उन्नति  की  हैं,  जैसे : सामाजिक  अर्थव्यवस्था  में  प्रगति,  वैज्ञानिक  आविष्कार,  सांस्कृतिक  रूप  में  समृद्धि,  शिक्षा  के  क्षेत्र  में  विकास,  खेती  के  उन्नत  तरीके,  तकनीकी  और  विज्ञान  का  समुचित  विकास,  चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  अनुसंधान,  आदि  कई  क्षेत्र  हैं,  जिनमें  अब  हम  आगे  बढ़  चुके   हैं.

Digital India ( डिजिटल भारत )–

आज के भारत को इक्कीसवीं सदी का भारत कहा गया है, मोदी सरकार के आने के बाद भारत में डिजिटल क्रांति का भी संचार बहुत ज्यादा हुआ है. जिस तरह ई-कॉमर्स ने भारत में जगह बनाई है ठीक इसी तरह आज भारत में अनेक सरकारी सुविधाओं के लिए हम घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. यहाँ तक की अब तो यह सेवा बैंकिंग क्षेत्र में भी बढ़ गई है और अनेक डिजिटल बैंक्स भी भारतियों के लिए उपलब्ध है. आगे बढ़ते हुए भारत को डिजिटल योगदान मिलने के बाद भारत में अनेक तरह के बदलाव आने शुरू हुए है. और हम कह सकते हैं की आने वाला समय भारत का होगा.

इक्कीसवीं सदी का भारत विभिन्न क्षेत्रो में (India in 21st Century in hindi):

आर्थिक क्षेत्र  में :.

आज  हमारा  देश   आर्थिक  रूप  से  पहले  की  अपेक्षा  कहीं  अधिक  सक्षम  हैं.  हॉवर्ड  यूनिवर्सिटी  के  अर्थशास्त्रियों  के  अनुसार  भारत  की  विकास  दर  [ Growth  Rate ] लगभग  7%  हैं,  जो  इसे  सबसे  तेज  गति  से  विकास  करने  वाला  देश  बनाती  हैं  और  इसी  वजह  से  वर्ष  2024  तक  इसे  चाइना  से  भी  आगे  ले  जाएगी. अगर  आज  भी  देखा  जाये,  तो  भारत  का  स्थान  दूसरा  ही  हैं  अर्थात्  अर्थव्यवस्था  के  मामले  में  हम  चाइना  के  बाद  विश्व  की  सबसे  बड़ी  आर्थिक  शक्ति  हैं.

हमारे  देश  की  मोदी  सरकार   और  उने  वित्तीय  मंत्री  मण्डल  ने  अभी  हाल  ही  में  विदेशी  प्रत्यक्ष  निवेश  [ FDI  पॉलिसी ]  को  पूर्ण  रूप  से  अपनी  मंजूरी  प्रदान  की  हैं,  जिससे  अब  कई  बाहरी  कम्पनियाँ  भारत  में  बड़े  पैमाने  पर  निवेश  करने  में   नहीं  हिचकिचाएंगी  और  जिसका  लाभ  देश   की  अर्थव्यवस्था  को  मिलेगा.

चिकित्सा विज्ञान  के  क्षेत्र  में :

प्राचीन  काल  से  ही  हम  चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  अव्वल  रहे  हैं,  परन्तु  उपकरणों  के  अभाव  में  हम  पिछड़  गये  थे,  परन्तु  आज  स्थिति  कुछ  और  हैं.  हमारे  देश  में  सभी  बीमारियों  का  इलाज  उपलब्ध  हैं,  साथ  ही  उनकी  जांच  के  लिए  भी  सभी  मशीनों  की  व्यवस्था  देश  में  उपलब्ध  कराई  गयी  हैं.

स्वतंत्रता  के  बाद  प्रारंभ  की  गयी  प्रथम  पंचवर्षीय  योजना  की  तुलना  में,  आज  हमारे  चिकित्सकों और  अस्पतालों  में  पलंगों  की  संख्या  बढ़कर  पहले  की  तुलना  में  क्रमशः लगभग  2 गुनी से  6  गुनी   हो   चुकी  हैं.  मलेरिया,  टी.बी.,  हैजा [ Cholera ] जैसी  बीमारियों  से  लोग  पहले  की  अपेक्षा  कम  पीड़ित  होते  हैं.  वही  जानलेवा  बीमारियों,  जैसे  : प्लेग,  छोटी  माता  [ Small  Pox ],  आदि  से  होने  वाली   मृत्यु  दर  में  भी  कमी  आई  हैं.  देश  में  व्याप्त  पोलियो  जैसी  बीमारी  को  लगभग  हम  पूर्णतः  ख़त्म  कर  चुके  हैं.  देश  में  औसत  आयु  बढ़ी  हैं  और  बिमारियों  से  होने  वाली  मृत्यु  दर  में  भी  कमी  आई  हैं.

नेशनल  हेल्थ  पालिसी  के  अनुसार  हम  “ सभी  के  लिए  स्वास्थ्य ” [ Health  For  All ]  के  लक्ष्य  को  भी  जल्दी  ही  प्राप्त  कर  लेंगे. चिकित्सा  विज्ञान  में  उन्नति  करने  के  साथ  ही  हम  देश  में  बीमारियों  के  प्रति  जानकारी  फ़ैलाने  और  उससे  बचाव  के  प्रति  जागरूकता  उत्पन्न  करने  में  भी  सफल  रहे  हैं.

तकनीकी क्षेत्र  में :

तकनीकी  के  मामले  में  भी  हम  पहले  की  अपेक्षा  कही  अधिक   आगे  बढ़  चुके  हैं.  कई  मशीने,  यंत्र,  आदि  का  अब  हमे  आयात  नहीं  करना  पड़ता,  बल्कि  हम  स्वयं  ही  उसका  उत्पादन  कर  रहे  हैं.  बड़े – बड़े  कारखानों  में  उत्पादन,  मशीनों   की  सहायता  से  माल  बनाना,  संगणक  से   कार्य  करना  [Computerization ],  आदि  ने  इस  प्रक्रिया  को  अधिक  सरल  बना  दिया  हैं.

Computerization :

आज हमारे  देश  का  प्रत्येक  विभाग  कम्प्यूटर  पर  कार्य  करता  हैं,  किसी    भी  जानकारी  को  आप  इसके  माध्यम  से  आदान – प्रदान  कर  सकते  हैं.  साथ  ही  सभी  सूचनाये  भी  इसी  पर  उपलब्ध  हो  जाती  हैं.  इसके  अंतर्गत  ‘ ई – कॉमर्स ’ भी  शामिल   हैं.  जिसके  द्वारा  हम  घर  बैठे – बैठे  अपना  सामान  कम्प्यूटर  पर  खरीद  सकते  हैं  और  बेच  भी  सकते  हैं.  ये  ई – कॉमर्स  कम्पनियाँ  स्थानीय  बाजारों  से  प्रतियोगिता  करती  हैं,  पर  वही  दूसरी  ओर  ये   कई  लोगों  को  रोजगार  भी  उपलब्ध  करा  रही  हैं.

ऑटो – मोबाइल क्षेत्र  में :

इस  क्षेत्र  में  हम  अब  तक  वांछित  उन्नति  नहीं  कर  पाए  हैं,  जैसे :  हमारा  देश  आज  भी   कारों  के  निर्माण  के  लिए  विदेशी  तकनीक  पर  ही  निर्भर  हैं.  हम  केवल  इसके  कुछ  भाग  ही  बनाते  हैं.  परन्तु  प्रयास  जारी  हैं  और  जल्द  ही  हम  इस  क्षेत्र  में  भी  सफलता  प्राप्त  कर  लेंगे.

कृषि उत्पादन  के  क्षेत्र  में :

आज  हमारे  देश  में  कृषि  करते  समय  आने  वाली  बाढ़,  सूखे आदि  समस्याओं  से  निपटने  के  लिए  पर्याप्त  साधन  और  तकनीकी  उपलब्ध  हैं,  जिसके  चलते  आज  21वी  सदी  के  भारत  देश  का  उत्पादन  कई  गुना  बढ़  गया  हैं.  आज  हम  हमारे  देश  की  खाद्य – पदार्थों  की  जरूरतों  को  तो  पूरा  कर  ही  सकते  हैं,  बल्कि  दूसरे  देशो  की  जरूरतों  के  मुताबिक  निर्यात  करने  में  भी  सक्षम  हैं.  इस  स्थिति  को  पाने  में  देश  में  चलाई  गयी  ‘ हरित  क्रांति ’  का  बहुत  बड़ा  योगदान  हैं.  फसलों  के   ख़राब  होने,  सड़ने  जैसी  समस्याओं  पर  हमने  नियंत्रण  पा  लिया  हैं  और  दूसरी  ओर  उन्नत  बीजों,  खाद,  सिचाईं  के  पर्याप्त  और  उन्नत  तरीके,  संग्रहण  क्षमता,  आदि  ने  इसके  विकास  में  बहुत  महत्व – पूर्ण  भूमिका  निभाई  हैं.

रक्षा उपकरणों  के  क्षेत्र  में :  

हमारे  देश  में  3  प्रकार  की  फौजें  हैं : थल  सेना,  जल  सेना  और  वायु  सेना.  तीनों  को  सम्मिलित  किया  जाये  तो  हम  विश्व  की  प्रथम  7  शक्तियों  में   स्थान  रखते  हैं.  साथ  ही  तीनो  ही  सेनाओं  के  रक्षा  उपकरण  भी  हमारे  पास  पर्याप्त  मात्रा  में  उपलब्ध  हैं.  हाल  ही  में  सबसे  कम  वजन  का  लड़ाकू  विमान  बनाने  में  भी  हमने  सफलता  प्राप्त  की  हैं.  इस  विमान  का  नाम  ‘ तेजस ’  हैं  और   इसके  लगभग  सभी  कल – पुर्जे,  मशीने,  आदि  भारत  में  बनाई  गई  हैं.  यह  हमारी  रक्षा  के  क्षेत्र  में  अब   तक  की  सबसे  बड़ी  उपलब्धि  हैं.

निजी  क्षेत्रों  को  रक्षा  क्षेत्र  में  सम्मिलित  करने  से  इसके  तीव्र  गति  से  विकास  की  सम्भावनाये  व्यक्त  की  जा  रही  हैं.  इसमें  अम्बानी  बंधू,  टाटा  जैसी  कंपनियों  को  शामिल  किया  गया  हैं,  परन्तु  अभी  इनके  प्रोजेक्ट  सरकार  के  पास  अनुमति  हेतु  अटके  हुए  हैं.

शिक्षा के  क्षेत्र  में :

हमारे  देश  में   शिक्षा  का  स्तर  भी  सुधरा  हैं.  परन्तु  अभी  तक  हम  केवल  प्राथमिक  शिक्षा  को  ही  मुफ्त  उपलब्ध  करा  पाए  हैं,  जो  काफी  नहीं  हैं.  आज  हमारे  देश  में  विद्यार्थी  सभी  क्षेत्रों  में  उच्च  शिक्षा  प्राप्त  कर   सकते  हैं.  यहाँ  पर्याप्त  मात्रा  में  शालाए,  महाविद्यालय,  आदि  खोले  गये  हैं.  साथ  ही  हमारे   यहाँ  बाहर  के   विद्यार्थी  भी  शिक्षा  ग्रहण  करने  आते  हैं.  हमारे  देश  में  प्रौढ़  शिक्षा  अभियान,  सर्व  शिक्षा  अभियान  जैसे  कार्यक्रम  चलाकर  देश  में  शैक्षिक  स्तर  को  सुधारने  के  लिए   सराहनीय  कदम  उठाए  गये  हैं.  देश  के  सम्पूर्ण  विकास  के  लिए  लड़कों  के  साथ – साथ  लड़कियों  की  शिक्षा  के  लिए  भी  समुचित  प्रयास  जारी  हैं.  बल्कि  आज  देश  में  कल्पना  चावला [ प्रथम  भारतीय  महिला  अंतरिक्ष  यात्री ],  इंदिरा  गाँधी [प्रथम  महिला  प्रधानमंत्री] ,  प्रतिभा  देवी  सिंह पाटिल [प्रथम  महिला  राष्ट्रपति] ,  चंदा  कोच्चर [ICICI  बैंक  की  वर्तमान  CEO एवं  D.],  आदि  जैसी  महिलाये   तो  पुरुषों  से   भी  आगे  निकल  चुकी  हैं.

इक्कीसवीं  सदी  का  भारत जहाँ  इन  क्षेत्रों  में  उन्नति  प्राप्त  कर  रहा  हैं,  वही   कुछ  क्षेत्र  ऐसे  हैं,  जिनकी  तरक्की  अभी   बाकी  हैं,  जिनकी  परिस्थितियों  में  सुधार  की  आवश्यकता  शेष  हैं,  उनमे  से  कुछ  क्षेत्र  अग्र – लिखित  हैं -:

बेरोजगारी :

आज हमारे  देश  को  युवा – शक्ति  के  मामले  में  विश्व  का  सबसे  समृध्द  राष्ट्र  माना  जाता  हैं,  परन्तु  रोजगार  के  अभाव  में  यह  शक्ति  व्यर्थ  हो  रही  हैं  और  इसी  कारण  हमारे  देश  की  कई  प्रतिभाये  विदेशों  में  स्वयं  को  साबित  करके  रोजगार  प्राप्त  कर  रही  हैं,  जिसमे  देश  का  ही  नुकसान  हैं.  देश  के  युवा  दिशा – हीन  होकर  अपराध  के  मार्ग  पर  बढ़  रहे  हैं.  हमारे  देश  में  हमे  रोजगार  के  अनेक  अवसरों  की  आवश्यकता  हैं.  यदि  हम  बेरोजगारी की समस्या  से  छुटकारा  पा  ले  तो  कई  समस्याए  स्वयं  ही  समाप्त  हो  जाएगी.

हमारे देश  में  दुर्भाग्य  की  बात  यह  हैं  कि  अमीर  और  अमीर  तथा  गरीब  और  गरीब  होता  जा  रहा  हैं.  इस  कारण  देश  पूर्ण  रूप  से  विकसित  नहीं  हो  पा  रहा  और  अभी   तक  विकासशील  देशों  की  गिनती  में  गिना  जाता  हैं.  इसका  कारण  कही  न  कही  स्विस  बैंकों  में  रखा  काला  धन  भी  हैं,  यदि  इसे  देश  में  लाये  जाने  के  प्रयास  सफल  हो,  तो  यह  समस्या  काफी  हद  तक  हल  हो  सकती   हैं.

हमारे देश  की  जनसंख्या   बहुत  ही  तेज  गति  से  बढ़  रही  हैं,  जिसके  कारण  हम  लागू  योजनाओं  का  उचित  प्रकार  से  लाभ  नहीं  उठा  पाते  और  सरकार  भी  इन्हें  व्यापक  रूप  में  सफल  नही  बना  पाती.  हम  भारतीय  आज  125  करोड़  से  भी  अधिक  हैं.  जिसमें  सभी  सुविधाओं  को  बांटना,  सरकार  के  लिए   भी  मुश्किल  हैं.  इस  पर  नियंत्रण  पाना  अत्यंत  आवश्यक  हैं  अन्यथा  हमारी  समस्याओं  की  सीमा  दिन – प्रतिदिन  बढ़ती  ही  जाएगी.

इन  सब  के  बावजूद  हमे  ‘ सुपर – पावर ’ कहा  जाता  हैं,  इसका  कारण  हैं : आज  दक्षिण  एशिया  में भारत  की  स्थिति  सभी  क्षेत्रों  में अन्य  देशों  की  तुलना  में  सबसे  मजबूत  हैं,  चाहे  वह  क्षेत्र  आर्थिक   हो,  राजनीतिक  क्षेत्र  हो,  सैन्य  बल  की  बात  हो,  सांस्कृतिक  क्षेत्र  की  बात  हो  अथवा  जन – सांख्यिकी  [ Demographic ]  की.  दक्षिण  एशिया  की  जनसंख्या  का  लगभग  77%  हिस्सा  हमारे  देश  का  हैं,  इसकी  जी.डी.पी.  में  हमारा  योगदान  75%  हैं,  77%  भू – भाग  हमारे  क्षेत्रफल  का  हिस्सा  हैं,  इसके  रक्षा  बजट  का  80%  हिस्सा  हमारा  होता  हैं  और  इसके  सैन्य  बल  में  82%  हमारा  सैन्य  बल  शामिल  हैं  और  सबसे  महत्व – पूर्ण  बात –: हम  विश्व  की  सबसे  बड़ी  लोकतांत्रिक  अर्थव्यवस्था  में  से  एक  हैं.,  जिसकी  वर्तमान  जी.डी.पी.  दर  9.2%  हैं,  जो  वैश्विक  अर्थव्यवस्था  में  महत्व- पूर्ण  स्थान  रखती  हैं.  साथ  ही  हमारे  देश  के  अन्य  बड़ी  अर्थव्यवस्था  वाले  राष्ट्रों  के  साथ  समझौते  और  संधियाँ  भी  हैं,  जो  इसे  इक्कीसवीं  सदी  का  सुपर  पावर  बनाने  में  और  विकास  की  ओर  अग्रसर  होने  में  मदद  करती  हैं.   इस  प्रकार  इक्कीसवीं  सदी  के  भारत  का  भविष्य  बहुत  ही  स्वर्णिम  हैं.

  • भारत के प्रधान मंत्री एवम उनका विवरण
  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
  • भारत 22 ईटीएफ में शामिल होने वाले शेयरों की सूची 

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21वीं सदी का भारत पर निबंध ( India in 21st Century Essay in hindi)

Alex Thompson

इक्कीसवीं सदी का भारत Nibandh :- 21 वीं सदी भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग की ओर दिशा-निर्देश कर रही है।

यह युग तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नति, सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक विकास, संविधानिक सुधार, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, और सुरक्षा के क्षेत्र में नए दरवाजे खोल रही है।

यह युग भारतीय समाज के लिए नए चुनौतियों और अवसरों की सीमा है।

इस निबंध में हम इस उत्कृष्ट युग के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेंगे और इसके प्रमुख मुद्दों, संघर्षों, और सफलताओं को समझने का प्रयास करेंगे।

21 वीं सदी का भारत हमारी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को स्थायीत्व देने का कार्य कर रहा है और हमें सामरिक और वैज्ञानिक युग में अग्रणी बनने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध

शताब्दी भारत अन्य देश
16वीं आध्यात्मिकता का केंद्र, साहित्य और कला में महत्वपूर्ण योगदान यूरोपीय संस्कृति, खुदरा और भूगोल द्वारा प्रभावित
17वीं मुग़ल साम्राज्य और साहित्य में उत्कृष्टता यूरोपीय नाटक, विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान
18वीं ब्रिटिश शासन, सामाजिक उधारण, और साहित्य में प्रगति औद्योगिक क्रांति, आधुनिकता, और यूरोपीय भूगोल का प्रभाव
19वीं स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय चेतना का उदय, और स्वतंत्र भारत का निर्माण औद्योगिक क्रांति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी देशों का निर्माण
20वीं आधुनिक भारत का निर्माण, तकनीकी और आर्थिक विकास, और साहित्यिक उत्कृष्टता वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, यूरोपीय और अमेरिकी विकासशील देशों की प्रभावशाली यात्रा
21वीं विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी में मान्यता, आर्थिक विकास, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक गुणों का समन्वय आधुनिकता, वैज्ञानिक अनुसंधान, और ग्लोबल मानकों में नेतृत्व

I. प्रस्तावना

विज्ञान, तकनीक और वैज्ञानिक उन्नति के युग में जीने वाले हमारे भारतीय समाज को आज 21 वीं सदी ने नए समय के साथ चुनौतियों के सामने खड़ा कर दिया है।

यह युग हमें प्रगति के नए मापदंडों पर चलने के लिए प्रेरित कर रहा है और हमें आधुनिकता की दृष्टि से अपने समाज की विकास और परिवर्तन के साथ जुड़ने की आवश्यकता है।

A. समय का परिवर्तन

21 वीं सदी में विश्व एक व्यापक और अद्यतन गति के साथ बदल रहा है।

विज्ञान, तकनीक और इंटरनेट के आगमन ने हमारी जीवनशैली को पूरी तरह से प्रभावित किया है।

यह नया समय हमें तेजी से बदलती दुनिया में कदम रखने के लिए तत्पर कर रहा है।

B. भारतीय समाज की विकास और बदलती दृष्टिकोण

21 वीं सदी भारतीय समाज के लिए आंतरिक और बाहरी दोनों में नई संभावनाएं लेकर आई है।

आधुनिक शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, व्यापार और औद्योगिकी में वृद्धि, और सामाजिक परिवर्तन के आदान-प्रदान की वजह से भारतीय समाज दिनों-दिन बदल रहा है।

आधुनिकता के माध्यम से नए दृष्टिकोण और मानसिकता वाले युवा पीढ़ी समाज के संरचनात्मक और सामाजिक मुद्दों पर नजर रख रही है।

C. नए चुनौतियों का सामना

21 वीं सदी हमें नए संघर्षों और चुनौतियों के सामने खड़ा कर रही है।

इंटरनेट और सोशल मीडिया के आगमन ने संचार की नई दुनिया खोल दी है, लेकिन उसके साथ डिजिटल सुरक्षा और निजीता के मुद्दे भी आए हैं।

सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, और आर्थिक समानता के मुद्दे भी आज बड़ी चुनौतियां प्रस्तुत कर रहे हैं।

II. संविधानिक सुधार और लोकतांत्रिकता

A. संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन.

21 वीं सदी में संविधानिक सुधार भारतीय लोकतंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

संविधान में अद्यतन और संशोधनों के माध्यम से समाज के बदलते आदर्शों, अधिकारों, और ज़रूरतों को संबोधित किया जा रहा है।

महिला सशक्तिकरण, अल्पसंख्यकों के अधिकार, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले नए और महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं।

B. जनसभा और नगरिक सहभागिता का महत्व

जनसभा और नगरिक सहभागिता भारतीय लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभ हैं।

21 वीं सदी में नगरिकों की सहभागिता को मजबूत करने के लिए नए माध्यम और प्रक्रियाएं विकसित की गई हैं।

इससे लोकतंत्रिकता को मजबूती मिलती है और लोगों को राजनीतिक निर्णयों में सीधी भागीदारी का अवसर प्राप्त होता है।

नगरिक सहभागिता के माध्यम से सरकार की नीतियों, योजनाओं, और प्रोग्रामों में गुणवत्ता, पारदर्शिता और प्रभाव की वृद्धि होती है।

C. महिलाओं की सशक्तिकरण

21 वीं सदी में महिलाओं की सशक्तिकरण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों में अधिक सहभागिता और प्रभाव देने के लिए संविधान में संशोधन किए जा रहे हैं।

महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई नए कानून और योजनाएं लागू की गई हैं।

महिलाओं की सशक्तिकरण से समाज को न केवल उन्नति मिलेगी, बल्कि एक न्यायपूर्ण और समर्पित समाज का निर्माण होगा।

III. विज्ञान और तकनीक का प्रभाव

A. इंटरनेट और डिजिटल युग.

21 वीं सदी में विज्ञान और तकनीक ने आईटी और इंटरनेट के माध्यम से एक नया डिजिटल युग शुरू किया है।

इंटरनेट के साथ संपर्क, जानकारी और संचार की सुविधा हमारे जीवन में व्याप्त हो गई है।

इंटरनेट ने विश्वव्यापी आपसी संचार को संभव बनाया है और विभिन्न क्षेत्रों में सर्वदृष्टि प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

B. मोबाइल और सोशल मीडिया की उपयोगिता और चुनौतियां

मोबाइल फोन और सोशल मीडिया ने लोगों के बीच संपर्क स्थापित करने का नया तरीका प्रदान किया है।

यह संचार का माध्यम लोगों को अधिक जोड़ता है और जगह की विरासत को कम करता है।

हालांकि, इसके साथ ही सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग और डिजिटल संदर्भ में निजीता के मुद्दे भी उठाए गए हैं।

इसलिए, इसका सवालजनक उपयोग और सावधानीपूर्वक उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है।

C. विज्ञान और तकनीक के बदलते युग में शिक्षा

विज्ञान और तकनीक के बदलते युग में शिक्षा भी व्यापक रूप से प्रभावित हुई है।

आधुनिक शिक्षा पद्धतियां इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके विकसित हुई हैं।

दूरस्थ शिक्षा, ऑनलाइन कक्षाएं, ई-पुस्तकें और शिक्षा संबंधित ऐप्स आदि शिक्षार्थियों को नए और आकर्षक तरीकों में पढ़ाने में मदद करते हैं।

हालांकि, इसमें तकनीकी समस्याएं और शिक्षा में न्यूनताओं को संबोधित करने की आवश्यकता भी है।

IV. सामाजिक न्याय और समावेश

A. अपराध निरोधक कानूनों के बदलते मतलब.

21 वीं सदी में सामाजिक न्याय के मामले में अपराध निरोधक कानूनों के महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं।

ये संशोधन अपराधियों को दण्डित करने के साथ-साथ दोषियों की सुरक्षा, न्यायप्रियता, और जातिगत विषयों पर संवेदनशीलता को भी मजबूती प्रदान करते हैं।

ये संशोधन एक समावेशी समाज के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं जहां सभी लोग न्यायपूर्ण और सुरक्षित महसूस करते हैं।

B. दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए समावेश की जरूरत

21 वीं सदी में दलितों और अल्पसंख्यकों को समाज के साथ समावेश करने की आवश्यकता है।

इसके लिए उच्चतर शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएं, और आर्थिक सुरक्षा के लिए सामाजिक न्यायपूर्ण योजनाएं और कार्यक्रमों को लागू किया गया है।

सामाजिक समावेश के माध्यम से दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को समान अवसर, समानाधिकार और समान सम्मान का अधिकार प्राप्त होता है।

C. सामाजिक अस्थिरता के खिलाफ लड़ाई

21 वीं सदी में सामाजिक अस्थिरता के खिलाफ लड़ाई महत्वपूर्ण है।

सामाजिक न्याय के माध्यम से सामाजिक असमानता, जातिवाद, लिंग भेदभाव, और अन्य विभेदों को दूर किया जा सकता है।

सामाजिक अस्थिरता के खिलाफ लड़ाई में न्यायपूर्ण संविधानिक और कानूनी उपायों का उपयोग, जागरूकता और संघर्ष समुदायों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

समाज के सभी वर्गों को मिलकर सामाजिक अस्थिरता को नष्ट करने की दिशा में प्रगति की जानी चाहिए।

V. आर्थिक विकास और सुधार

A. आर्थिक विकास की गतिशीलता.

21 वीं सदी में आर्थिक विकास विशेष महत्वपूर्णता रखता है।

विज्ञान, तकनीक, और व्यापार में की जा रही प्रगति ने आर्थिक गतिशीलता को बढ़ावा दिया है।

नए उद्योग, नवाचार, वित्तीय प्रणालियों का विकास, और आर्थिक गतिविधियों में नई तकनीकों का उपयोग आर्थिक विकास को गतिशील और सुसंगत बना रहा है।

B. महिला उद्यमिता और रोजगार के अवसर

21 वीं सदी में महिला उद्यमिता और रोजगार के अवसर का महत्व बढ़ा है।

महिलाओं को आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदार बनाने के लिए नए और अधिकांश रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

महिलाओं के लिए उद्यमिता को बढ़ावा देने और उन्हें आर्थिक आधारित स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए सरकारी योजनाएं, ऋण योजनाएं, और प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किए जा रहे हैं।

C. ग्रामीण विकास और संगठन

ग्रामीण विकास और संगठन आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण पहलू हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन, सहयोग, और सामुदायिक संरचनाओं को मजबूत बनाने के लिए नए और उद्यमी प्रोजेक्ट्स विकसित किए जा रहे हैं।

सामाजिक और आर्थिक सुविधाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, और शिक्षा की पहुंच को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जा रहा है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी लोगों को आर्थिक विकास में समाविष्ट किया जाए और ग्रामीण क्षेत्रों के साथी राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सुविधाओं का प्राथमिकता से प्रबंध किया जाए।

VI. भारतीय संस्कृति और परंपरा

A. विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के समानांतर अस्तित्व.

भारतीय संस्कृति में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों का समानांतर अस्तित्व महत्वपूर्ण है।

हिन्दू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य संप्रदायों की भारतीय संस्कृति में एकता और सहयोग की मूलभूत तत्व है।

यहां विभिन्न संप्रदायों के आदर्शों, मान्यताओं और अभिप्रेत तत्वों को सम्मान दिया जाता है, जो एक समृद्ध और समावेशी समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

B. विदेशी प्रभावों के बावजूद भारतीय संस्कृति का महत्व

भारतीय संस्कृति विदेशी प्रभावों के बावजूद अपनी महत्वपूर्णता बनाए रखी है।

विदेशी संस्कृतियों का आगमन भारतीय संस्कृति को नए आदान-प्रदानों, विचारधाराओं और विविधताओं से परिपूर्ण कर रहा है।

हालांकि, भारतीय संस्कृति में अपनी मूल्यवान परंपराओं, कला, संगीत, नृत्य, साहित्य और धार्मिक अनुष्ठानों की महत्वपूर्णता बरकरार रहती है।

यह संस्कृति हमारी अद्वितीयता को प्रकट करती है और हमारी पहचान का हिस्सा है।

C. विरासत के संरक्षण और प्रशंसा की आवश्यकता

भारतीय संस्कृति की विरासत के संरक्षण और प्रशंसा की आवश्यकता है।

इसके लिए हमें अपनी परंपराओं, कला, साहित्य, और धार्मिक अनुष्ठानों के प्रति सम्मान और संरक्षण करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

भारतीय संस्कृति के महत्व को समझने, उसे अपनाने और दुनिया के साथ साझा करने के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

हमें भारतीय संस्कृति के सुंदरता, आदिकालिक विरासत, और उसके मूल्यों की प्रशंसा करनी चाहिए ताकि यह संस्कृति समृद्ध बनी रहे और हमारे भविष्य को सजाने में सहायता करे

VII. स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण

A. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और जनस्वास्थ्य योजनाएं.

21 वीं सदी में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और जनस्वास्थ्य योजनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, पहुंच, गुणवत्ता और व्यापकता को सुधारने के लिए सरकारी योजनाएं बनाई जा रही हैं।

जनस्वास्थ्य योजनाएं जनता को स्वस्थ रहने के लिए जरूरी जागरूकता, बीमारी प्रतिरोधक क्षमता, और स्वस्थ जीवनशैली के बारे में शिक्षा प्रदान करती हैं।

B. पर्यावरण संरक्षण के लिए जनता की जिम्मेदारी

पर्यावरण संरक्षण को सफल बनाने के लिए जनता की जिम्मेदारी अत्यंत आवश्यक है।

जनता को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझने, प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करने, और पर्यावरणीय प्रदूषण कम करने के लिए जागरूक होना चाहिए।

जनता को पेड़-पौधों की रक्षा, जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से संबंधित जागरूकता, और पर्यावरणीय संसाधनों की सुरक्षा के लिए सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए।

C. जल और वन्य जीवन की संरक्षण की आवश्यकता

जल और वन्य जीवन की संरक्षण भी 21 वीं सदी में आवश्यकता है।

जल संसाधनों की संरक्षा, जल संकट का सामना करना, और जल संयंत्रों की उपयोगिता के लिए संज्ञाना जनता में बढ़ाने की आवश्यकता है।

वन्य जीवन की संरक्षा के लिए वनों की बढ़ती हुई कटाई को रोकने, बाघ, हाथी, बालू, और अन्य जीवन प्राणियों की संरक्षा करने के लिए संघर्ष करना चाहिए।

VIII. आपदा प्रबंधन और सुरक्षा

A. प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन.

प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन 21 वीं सदी में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भूकंप, तूफान, बाढ़, अवांछित जलप्रपात, भूमिगत संकट, आदि के सामरिक रूप से प्रबंधन के लिए सशक्त आपदा प्रबंधन योजनाएं और अभ्यास करने की आवश्यकता है।

इसके साथ ही, प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जनता को जागरूक करने और संक्रमण, बचाव और राहत कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाने की भी जरूरत है।

B. साइबर सुरक्षा और डेटा निजीता के मुद्दे

आधुनिक दुनिया में साइबर सुरक्षा और डेटा निजीता भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।

डिजिटल युग में दुर्भाग्यपूर्ण रूप से साइबर अपराध और डेटा लीकेज की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

साइबर सुरक्षा के लिए नवीनतम सुरक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास और सुरक्षा प्रशासन के सशक्तीकरण की आवश्यकता है।

इसके साथ ही, डेटा निजीता के मामले में व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्तर पर नीतियों का निर्माण और प्रचार करने की जरूरत है।

C. राष्ट्रीय सुरक्षा का संरक्षण

राष्ट्रीय सुरक्षा का संरक्षण राष्ट्र की प्राथमिकता है।

आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, सामरिक तैनाती, जासूसी, और साइबर हमलों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सशक्त राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों के निर्माण, सुरक्षा बलों के आदेश, और विमान, समुद्री और साइबर स्पेस की सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

IX. समापन

21 वीं सदी में विश्व भर में भारत की पहचान महत्वपूर्ण है।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, और कला-संस्कृति क्षेत्र में भारत ने अपनी पहचान बनाई है।

भारत विभिन्न क्षेत्रों में अपनी महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है और आत्मनिर्भर और प्रगतिशील देश की पहचान को स्थापित करने के लिए अग्रसर है।

21 वीं सदी में भारत को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना होगा।

आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में नई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।

भारत को यहां चुनौतियों के सामने निरंतर तैयार रहना और उन्हें नवीनतम तकनीक, विचारधारा और समाधानों से सामर्थ्यपूर्वक सामना करना होगा।

21 वीं सदी में विज्ञान, तकनीक और सूचना क्रांति द्वारा एक सामरिक और वैज्ञानिक युग आया है।

भारत को इस युग में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

विज्ञान, तकनीक और अभियांत्रिकी में नवाचार और अद्यतन के माध्यम से भारत को अग्रणी देश बनाने के लिए अपने वैज्ञानिक क्षमता का प्रयोग करना होगा।

इस प्रकार, 21 वीं सदी के अंत में, भारत ने अपनी पहचान बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान दिए हैं।

यह देश नई चुनौतियों का सामना कर रहा है और एक सामरिक और वैज्ञानिक युग में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

इसके लिए हमें अद्यतन रहने, नवीनतम तकनीक और विज्ञान का उपयोग करने, और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित करने की जरूरत है।

यथार्थ सत्य में, भारत एक सकारात्मक, प्रगतिशील और विकासशील देश के रूप में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध 100 शब्दों में

21 वीं सदी भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

यह विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी का युग है।

भारत ने आर्थिक विकास में वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।

साथ ही, भारतीय संस्कृति, कला, और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।

यह युग चुनौतियों का सामना करने की क्षमता और नवाचार का समय है।

भारत को एक ग्लोबल नेता बनने की आवश्यकता है जो सामरिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में अग्रणी हो।

इससे हमारा देश समृद्धि और उन्नति की ओर अग्रसर हो सकेगा।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध 150 शब्दों में

21 वीं सदी भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

  • भारत ने इस युग में आर्थिक विकास की गतिशीलता दिखाई है और वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।

इसके साथ ही, भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और दर्शन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।

भारत को एक ग्लोबल नेता बनने की आवश्यकता है जो वैज्ञानिक, तकनीकी और सामरिक क्षेत्रों में अग्रणी हो।

इससे हमारा देश समृद्धि, उन्नति और सबका सामावेशीकरण की ओर अग्रसर हो सकेगा।

इसलिए, 21 वीं सदी भारत के लिए वास्तविक उद्यम का समय है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध 200 शब्दों में

21 वीं सदी भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह युग विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के आधार पर निर्मित है।

भारत ने इस युग में आर्थिक विकास की गतिशीलता दिखाई है और विश्व में मान्यता प्राप्त की है।

भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और दर्शन ने भी इस सदी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इस युग में भारत को नई चुनौतियों का सामना करना होगा।

वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, जनसंख्या वृद्धि, सामरिक सुरक्षा, आर्थिक उन्नति, वनस्पति और पानी की संरक्षण, सामाजिक असामान्यता का समाधान, आदि इनमें से कुछ मुख्य चुनौतियां हैं।

भारत को इन चुनौतियों के सामने निरंतर तैयार रहना होगा और नवीनतम तकनीक, विचारधारा और समाधानों का सशक्त प्रयोग करना होगा।

भारत को एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक युग में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

यह देश वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी उन्नति, अद्यतन रहने, और ग्लोबल मानकों में नेतृत्व के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करना चाहिए।

इससे हमारा देश सामृद्धिशील और प्रगतिशील बन सकेगा।

यथार्थ सत्य में, 21 वीं सदी भारत के लिए एक सकारात्मक, प्रेरक और उद्यमी युग है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध 300 शब्दों में

21 वीं सदी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण युग है।

यह एक युग है जिसमें विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी का महत्वाकांक्षी विकास हुआ है।

भारत ने इस सदी में आर्थिक विकास की गतिशीलता दिखाई है और उच्चतम वैश्विक मान्यता हासिल की है।

भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य, दर्शन और विज्ञान में भी इस सदी में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।

इस युग में, भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा।

जनसंख्या वृद्धि, सामरिक सुरक्षा, आर्थिक उन्नति, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास, सामाजिक असामान्यता का समाधान, आदि ये कुछ मुख्य चुनौतियां हैं जिनका सामना करना होगा।

भारत को इन चुनौतियों को सुरक्षित और प्रगतिशील ढंग से पार करने के लिए तैयार रहना होगा।

भारत को एक वैज्ञानिक, तकनीकी और आध्यात्मिक युग में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

यह देश अद्यतन रहकर वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी उन्नति, और ग्लोबल मानकों में नेतृत्व के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करना चाहिए।

इसके साथ ही, विशेष ध्यान देकर हमें सबका सामावेशीकरण की ओर प्रगति करनी चाहिए।

21 वीं सदी भारत के लिए एक सकारात्मक, प्रेरक और उद्यमी युग है।

यह हमें आगे बढ़ने, नए संभावनाओं को ध्यान में रखकर विकास करने और अपनी पहचान और महत्व को स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने, वैश्विक मंच पर अपनी महिमा को बढ़ाने और मानवता के लिए सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ना होगा।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध 500 शब्दों में

21 वीं सदी भारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट युग है।

यह युग विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के विकास की प्रमुख धारा है।

इस युग में भारत ने आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण गति प्राप्त की है और वैश्विक मान्यता की प्राप्ति की है।

साथ ही, भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और दर्शन में भी विशेष महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।

21 वीं सदी में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा।

जनसंख्या वृद्धि, सामरिक सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास, सामाजिक असामान्यता के साथ आदि ये कुछ मुख्य चुनौतियां हैं जिनका सामना करना होगा।

इसके लिए भारत को नवाचार और नवीनतम तकनीकों के प्रयोग की आवश्यकता होगी।

विज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, विचारधारा का सुधार, सामरिक और आर्थिक सुरक्षा के मामले में प्रगति करना भी आवश्यक है।

भारत को इस युग में वैज्ञानिक, तकनीकी और आध्यात्मिक गतिशीलता में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

यह देश वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी उन्नति, औद्योगिकरण के रूप में वृद्धि, और ग्लोबल मानकों में नेतृत्व के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करना चाहिए।

यदि हमारी देशभक्ति, योग्यता, और उद्यमी दृष्टिकोण है, तो हम इस युग में ग्लोबल मंच पर अपनी महिमा को बढ़ा सकते हैं।

21 वीं सदी भारत के लिए एक सकारात्मक, प्रेरणादायक और उद्यमी युग है जो हमें आगे बढ़ने, नए संभावनाओं को ध्यान में रखकर विकास करने और अपनी पहचान और महत्व को स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है।

हमें आत्मनिर्भर बनने, वैश्विक मंच पर अपनी महिमा को बढ़ाने और मानवता के लिए सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए।

हमें सभी विभाजनों, जातियों, धर्मों और संस्कृतियों को समावेश करके एक समृद्ध और समावेशी समाज निर्माण करने की दिशा में काम करना चाहिए।

इस प्रकार, 21 वीं सदी भारत के लिए अद्वितीय और उद्यमी युग है जो हमें नई ऊँचाइयों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध हिंदी में 10 लाइन

  • 21 वीं सदी भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी का युग है।
  • भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और दर्शन में भी इस सदी में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
  • यह युग भारत को नए चुनौतियों का सामना करने की क्षमता और नवाचार करने का समय है।
  • भारत को एक ग्लोबल नेता बनने की आवश्यकता है, जो सामरिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में अग्रणी हो।
  • यह युग भारत के लिए उद्यम का समय है, जो हमें सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
  • वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, शिक्षा, और समाज के उन्नतिशीलीकरण में यह युग बहुत महत्वपूर्ण है।
  • यह युग समाजिक समावेश और समानता की दिशा में प्रगति करने के लिए अवसर प्रदान करता है।
  • भारत को युवाओं को संविधानिक सुधार, वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्चतम शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत करने की जरूरत है।
  • 21 वीं सदी भारत के लिए एक सकारात्मक, प्रेरक और उद्यमी युग है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और हमारे देश को मानवता के उज्जवल भविष्य की ओर ले जाने में सहायता करता है।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध हिंदी में 15 लाइन

  • 21 वीं सदी भारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण युग है, जो विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रगतिशील विकास की प्रमुख धारा है।
  • इस युग में भारत ने आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण उछाल दिखाई है और वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।
  • भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और दर्शन में भी यह सदी महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम रही है।
  • 21 वीं सदी में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक असामान्यता का समाधान।
  • भारत को इस युग में नवाचार और नवीनतम तकनीकों के प्रयोग की आवश्यकता है ताकि हम आगे बढ़ सकें।
  • यह युग भारत के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, शिक्षा, समाजिक समावेश और समानता की दिशा में विकास का समय है।
  • इस युग में भारत को अपनी सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक उन्नति को भी महत्व देना चाहिए।
  • यह युग भारत के लिए अद्वितीय अवसरों का समय है जहां हमें वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने की आवश्यकता है।
  • इस युग में भारत को अद्यतन रहकर वैज्ञानिक अनुसंधान, उच्चतम शिक्षा और उद्यमिता में मजबूत होने की जरूरत है।
  • यह युग भारत को अपनी परंपराओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता को संरक्षित रखने की जरूरत है।
  • इस युग में भारत को सामाजिक समावेश और समानता के मामले में भी प्रगति करनी चाहिए।
  • भारत को युवाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा के क्षेत्र में विकास करने और सामरिक सुरक्षा में मजबूत करने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • यह युग भारत को आत्मनिर्भर बनाने और ग्लोबल मंच पर अपनी पहचान बढ़ाने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।
  • इस युग में भारत को वैज्ञानिक, तकनीकी और आध्यात्मिक गतिशीलता में अग्रणी बनने की क्षमता होनी चाहिए।
  • यह युग भारत के लिए उद्यम, समर्पण और सक्रियता की प्रेरणा है, जो हमें आगे बढ़कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी महिमा को बढ़ाने में मदद करेगी।

इक्कीसवीं सदी का भारत पर निबंध हिंदी में 20 लाइन

  • 21 वीं सदी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण युग है जहां विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी की उच्चतम स्थिति है।
  • यह सदी भारतीय समाज के विकास और दृष्टिकोण में बड़ी परिवर्तन का समय है।
  • इस युग में भारत को नए चुनौतियों का सामना करना होगा और उन्हें नवाचारों से प्रभावित करना होगा।
  • यह युग आधुनिकता की उच्चतम स्तर प्राप्त करने का समय है
  • भारत को इस युग में तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नति में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।
  • यह युग भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और दर्शन के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है।
  • भारत को इस युग में अद्यतन रहकर सामरिक सुरक्षा में मजबूती का ध्यान देना चाहिए।
  • यह युग भारत के लिए नवाचार, वैज्ञानिक अनुसंधान और उद्यम का समय है।
  • भारत को इस युग में वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बढ़ाने के लिए अवसर मिलेंगे।
  • यह युग भारत के लिए विभिन्न चुनौतियों को समझने और उन्हें समाधान करने का समय है।
  • इस युग में भारत को सामाजिक समावेश और समानता की दिशा में विकास करने की जरूरत है।
  • भारत को युवाओं को उच्चतम शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान और आध्यात्मिकता में विकास करने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • यह युग भारत के लिए आत्मनिर्भरता, ग्लोबल मंच पर अपनी महिमा को बढ़ाने और मानवता के लिए सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में प्रेरित करता है।
  • भारत को इस युग में वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति में अग्रणी बनने की क्षमता होनी चाहिए।
  • यह युग भारत के लिए स्वावलंबी, समर्पित और सक्रियता की प्रेरणा है जो हमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी महिमा को बढ़ाने में मदद करेगी।
  • इस युग में भारत को विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए उद्यमों की समर्थन करने की आवश्यकता है।
  • यह युग भारत के लिए अवसरों का समय है, जहां हमें नए और सुरक्षित दिशाओं में प्रगति करने का जरूरी है
  • इस युग में भारत को युवाओं को विशेषज्ञता की ओर प्रोत्साहन देने और उन्हें नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • यह युग भारत को वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति में अग्रणी बनाने का अवसर प्रदान करता है।
  • भारत को इस युग में अपने परंपराओं, संस्कृति और वैज्ञानिक गतिशीलता की संरक्षा और समर्पण करने की आवश्यकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

21 वीं सदी क्यों महत्वपूर्ण है.

21 वीं सदी में विज्ञान, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी की उच्चतम स्थिति है जो भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

इस युग में भारत को कौन-कौन से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?

भारत को जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक असामान्यता आदि चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत को इस युग में किस क्षेत्र में अग्रणी बनने की आवश्यकता है?

भारत को इस युग में वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, शिक्षा, सामाजिक समावेश, और सामरिक सुरक्षा में अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

क्या भारत को अपनी परंपराओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता की संरक्षा करनी चाहिए?

हाँ, भारत को इस युग में अपनी परंपराओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता की संरक्षा और समर्पण करने की आवश्यकता है।

क्या भारत को इस युग में नवाचार और नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करने की आवश्यकता है?

हाँ, भारत को इस युग में नवाचार और नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करने की आवश्यकता है ताकि हम आगे बढ़ सकें।

भारत को इस युग में कौन-कौन से क्षेत्रों में विकास करना चाहिए?

भारत को इस युग में वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और समानता के क्षेत्र में विकास करना चाहिए।

क्या भारत को इस युग में स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है?

हाँ, भारत को इस युग में स्वावलंबी बनने और ग्लोबल मंच पर अपनी पहचान बढ़ाने की आवश्यकता है।

भारत को इस युग में कौन-कौन से उद्यमों को समर्थन करना चाहिए?

भारत को इस युग में नवाचारिक उद्यमों, वैज्ञानिक अनुसंधान, स्टार्टअप्स और तकनीकी प्रगति को समर्थन करना चाहिए।

इस युग में भारत को क्या करना चाहिए ताकि हम आत्मनिर्भर और ग्लोबल मंच पर मजबूत हो सकें

इस युग में भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली, आर्थिक विकास, उद्यमिता, वैज्ञानिक अनुसंधान और आपातकालीन प्रबंधन में मजबूती करनी चाहिए।

इस युग में भारत को किस क्षेत्र में प्रगति करने की जरूरत है?

भारत को इस युग में दिग्गजता, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति, जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी प्रगति करनी चाहिए।

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21वीं सदी का भारतवर्ष पर निबंध | Essay on 21st century India year in Hindi

21वीं सदी का भारतवर्ष पर निबंध

अनुक्रम (Contents)

21वीं सदी का भारतवर्ष पर निबंध

प्रस्तावना- भारतवर्ष महानतम देश है और हम इस देश के निवासी हैं। यह ऐसे शूरवीरों का देश है, जिन्होंने सदा ही विपत्तियों का डटकर मुकाबला किया है और विपत्तियों ने उनके दृढ़ संकल्प के समक्ष घुटने टेके हैं। हमारे जीवन का आधार सदा ही आशावादी सिद्धान्त रहा है। आज भारत जिस मुकाम पर है, उन्हें अनेक कटीले रास्ते पार करके हमने प्राप्त किया है। भारत पहले भी विश्व पर राज करता था तथा इस बात की पूरी आशा है कि आने वाले कल में भी भारत का स्वरूप सुन्दर, स्वच्छ एवं भव्य होगा। यह सबका मार्गदर्शन करेगा। आज हमारा देश बड़ी तेज गति से नवीनता तथा विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत ने विकास की अनेक सीमाओं को पार किया है। हर क्षेत्र में भारत का भविष्य सुखद दिखाई पड़ता है।

भारतीय संस्कृति का सिद्धान्त- 20वीं शताब्दी में भारत का इतिहास उतार-चढ़ावों, परिवर्तनों एवं संघर्षों से पूर्ण रहा है। दो विश्व युद्धों में मानव जीवन के धन, सम्पत्ति तथा अपने लोगों का बहुत विनाश हुआ। यद्यपि ये यूरोप में लड़े गये थे किन्तु दूसरे विश्वयुद्ध की आग भारत तक पहुँच गई थी। ऐसे समय में भारत का बंटवारा एवं साम्प्रदायिक रक्त-रंजित नरसंहार दिखाई

दिया। ऐसे कठिन दौर में ही महात्मा गाँधी जैसे अहिंसा के पुजारी की निर्मम हत्या हुई। आतंकवाद एवं साम्प्रदायिक दंगे अपनी चरम सीमा पर पहुंचकर धन-जन की हानि कर रहे थे। इस प्रकार इस शताब्दी के अन्तिम समय तक प्रत्येक बच्चा प्रतिशोध, वेदना एवं विद्रोह के संस्कार लेकर आएगा, ऐसा सोचा जाने लगा था लेकिन ऐसी सोच गलत साबित हुई।

21वीं शताब्दी से आशाएँ- 21वीं शताब्दी के भारत से सबको अनेक आशाएँ हैं। आज हम 21वीं शताब्दी में प्रवेश कर चुके हैं तथा आने वाला कल हमें पहले से कहीं बेहतर दिखाई पड़ता है। आने वाले कल का भविष्य अच्छा, सुशील एवं सुन्दर होगा। कुरीतियों एवं अंध-विश्वासों का अंत हो जाएगा। धार्मिक झगड़े, विद्रोह आदि का अन्त हो जाएगा। आज भारत आर्थिक दृष्टि से उतना सम्पन्न नहीं है लेकिन भविष्य में वह और भी सुदृढ़ हा जाएगा। अपने सीमित साधनों का समुचित ढंग से उपयोग करके भारत विश्व के मानचित्र में सबसे ऊपर होगा। हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय श्रीमति इन्दिरा गाँधी एवं राजीव गाँधी ने इस दिशा में अनेक प्रयास किए थे। आज कम्प्यूटरों तथा इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के बल पर भारत तरक्की की राह पर है।

आज हम साम्प्रदायिकता आदि से छुटकारा पाने में काफी हद तक सफल हो रहे हैं। कुरीतियाँ, जाति भेदभाव, ऊँच-नीच, दहेज प्रथा, अंधविश्वासों आदि से हमारा भारत ऊपर उठ चुका है। भारत की नारियाँ आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। आज तो हमारे वेश के सर्वोच्च पद ‘राष्ट्रपति पद’ पर भी एक महिला ‘श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल’ विराजमान हैं, जो एक गर्व की बात है। आज भारत की नारी दुर्गा एवं शक्ति के समान शक्तिशाली है। वह समय आने पर अपनी जान की भी बाजी लगा सकती है। अब वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों को चुपचाप सहन नहीं करती।

विज्ञान के क्षेत्र में भी हमारा देश दिन रात तरक्की कर रहा है। कम्प्यूटरों के प्रयोग ने हर क्षेत्र में क्रान्ति पैदा कर दी है तथा कार्य क्षमता को बहुत बढ़ावा मिल रहा है। वैज्ञानिक आविष्कारों ने पूरे परिवेश को नई दिशा दी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमारे सर्वांगीण विकास के लिए तत्पर है। आज का बच्चा पिछली शताब्दी के बच्चों की अपेक्षा अधिक जागरूक हो चुका है। राजनीति तथा आतंकवाद, भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक नहीं रह गए हैं। ऐसा माना जाता है कि राजनैतिक क्षेत्र में भी सुधार होगा। देश में केवल दो या तीन ही राजनीतिक दल होंगे। राजनीति धर्म से अलग होगी। हमारा देश राजनीति में और भी अधिक समृद्ध होगा तथा हमारी गिनती विश्व की महान शक्तियों में होगी।

बीसवीं सदी तथा इक्कीसवीं शताब्दी का तुलनात्मक अध्ययन- ऐसा नहीं है कि बीसवीं शताब्दी में भारत में कुछ सुधार नहीं हुआ। लेकिन इक्कीसवीं शताब्दी में भारत ने अच्छी शुरुआत की तथा आगे के सालों में हमारा देश एक अच्छे तथा सम्पन्न सपनों का भारत होगा। बीसवीं सदी के अन्त में पाकिस्तान के साथ जो युद्ध हुआ था वह बड़ा भयंकर था। उस समय सब यही सोच रहे थे कि इस युद्ध का कोई अन्त नहीं होगा, परन्तु हमारे भारत के वीर जवानों ने अपनी जान की परवाह न करके हमें इस भयंकर विपत्ति से मुक्ति दिलाई। इससे हमें इक्कीसवीं सदी के लिए एक प्रेरणा मिलती है कि इस सदी में हम अपने भारत को ऐसे किसी भी युद्ध से बचाकर रखें। भारत जैसे विकासशील देश में आज शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा हो गया है।

21वीं सदी में भारत का विकास- आज हमारा देश विकास की राह पर तत्पर है। आगे के वर्षों में खेती के क्षेत्र में हम किसी पर भी निर्भर नहीं रह जाएँगे। उद्योगों के क्षेत्र में हम विश्व के सभी देशों से सर्वोच्च स्थान बनाएँगे। वर्तमान में हम आयात की हुई तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन भविष्य में हम अन्य देशों को तकनीक निर्यात करेंगे। रहने के लिए घर, सबसे के लिए समान, खाने के लिए भोजन होगा। भिक्षावृत्ति, बाल-मजदूरी, वेश्यावृत्ति, बाल-विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर पूर्णतया विजय प्राप्त कर लेंगे। ग्रामीण जीवन का उत्थान होगा, किसानों की हालत में सुधार होगा।

उपसंहार- इस प्रकार 21वीं सदी में भारत सच्चे अर्थों में भारतीयों के सपनों का भारत होगा। उनका सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक रूप और भी अधिक स्वच्छ एवं सभ्य होगा। भारत विश्व में अपना एक अलग पद कायम करेगा। हम देशवासियों का भी कर्त्तव्य है कि हम सब मिलकर इक्कीसवीं सदी के भारत को सुन्दरतम बनाने का प्रयास करें।

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Hindi Essay on “Kal Ka Bharat ” “21 vi Sadi Ka Bharat” , ”कल का भारत या 21वीं सदी का भारत” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

निबंध नंबर : 01 

21वीं सदी का भारत

बीसवीं शताब्दी का अंत होने को है और इक्कीसवीं शताब्दी के स्वागत की तैयारी की जा रही है। हर शताब्दी के साथ ही हुआ है। शताब्दियां ऐसे ही बीती हैं। हर शताब्दी का इतिहास रोमांच से भरा होता है। इतिहास इसका गवाह है।

मनुष्य को हमेशा आने वाले समय की चिंता रहती है। चिंतकों को आने वाले कल की चिंता सताए रहती है कि भावी समाज कैसा होगा?

आम आदमी अपने कल की चिंता करता है। भारत के आम आदमी का जीवन प्राय: कल की चिंता में ही गुजर जाता है। प्राय: वह आज को नहीं जी पाता है। उसका आज असुरक्षित है, उसका अतीत भी असुरक्षा की आशंका में बीता है और भविष्य भी सुरक्षा की चिंता में डूबे हुए बीत जाएगा। लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं आएगा।

आज एशिया के अधिकांश देश गरीबी से जूझ रहे हैं। वे कल की संभावना को नहीं समझ सकते। उनके लिए कल की संकल्पना का कोई अर्थ नहीं है। आज की दुनिया एक ही समय में पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में जा रही है। आदिवासी लोग भी आज जी रहे हैं।

जरा वचार कीजिए कि आने वाले कल से ऐसे समाज की आशा कैसे की जा सकती है जो अभी सदियों पीछे है और अपनी जिंदगी की गाड़ी को जैसे-तैसे घसीट रहा है। एक छवि ने आने वाले समाज की संकल्पना की है-

हम लूले, लंगड़े और अपाहित हैं, हमारा अतित और वर्तमान हम से बेखबर है- हमारा भविष्य हम जानते हैं, वह कभी सामने भी नहीं आएगा, हम हमेशा अतीत को ही दोहराते रहे हैं जिंदगी दर जिंदगी दोहराते रहेंगे।

भविष्य है भी क्या? होगा भी क्या? न भरपेट रोटी खाने को मिल पाती हैख् न पहनने के लिए ढंग के कपड़े हैं और न रहने के लिए मकान है। फिर उनके लिए किसी शताब्दी के जाने-आने का कोई महत्व नहीं है। वे तो शताब्दी में ठूंठ की तरह जिंदा रहते हैं।

यदि अपने देश के प्रधानमंत्री देश को इक्कीसवीं शताब्दी में ले जाना चाहें तो आप सोचिए कि वे इस देश को इक्कीसवीं शताब्दी में कैसे ले जाएंगे? क्या मुफलिसी, भुखमरी, चिथड़े लिपटे लोगों और फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को लेकर प्रवेश करेंगे। क्या वे आतंकावद की चपेट में आए पंजाब को लेकर प्रवेश करेंगे क्या वे अशिक्षितों की भीड़ को लेकर प्रवेश करेंगे? क्या वे सती प्रथा में आस्था रखने वालों को लेकर प्रवेश करेंगे? क्या है, जिसको लेकर वे इक्कीसवीं शताब्दी में प्रवेश करने का दावा कर रहे हैं?

आइए, आप भी जहां हैं, वहीं से सहयोग कीजिए। ध्यान रखिए, सब कुछ संभव हो सकता है, यदि दूर दृष्टि, पक्का इरादा और करने की शक्ति हो। कोई भी नहीं चाहता कि वह यथास्थिति पड़ा रहे, उसमें कोई परिवर्तन ही न हो। व्यक्ति ठूंठ नहीं है। वह चैतन्य है। उसमें उर्वरा शक्ति है वह कल्पना करता है। वह आने वाले कल की कल्पना कर सकता है।

वास्तव में सच्चाई यह है कि मनुष्य जो है, उससे हटकर सोचकर आनंदित होता है। वह उसका सुंदर व काल्पनिक भविश्य होता है, जिसके सहारे वह वर्तमान की कड़वाहट को कुछ समय के लिए भूल जाता है।

एक तरह से देखा जाए तो मनुष्य धीरे-धीरे नैतिकता के प्रति अनुत्तरदायी सिद्ध होता जा रहा है। उसका चारित्रिक पतन निरंतर होता जा रहा है। दूसरी ओर, भौतिक और वैज्ञानिक उन्नति की दिशा में मह आगे बढ़ रहा है। वह विश्वयुद्ध के भय की गिरफ्त में आ चुका है। इस प्रकार का विश्वयुद्ध वैज्ञानिक आइंसटीन के शब्दों में ‘इतना भयानक होगा किस उसके बाद मानव जाति अपने आपको पुन: पाषाण युग में पाएगी। अर्थात भयावह सर्वनाश होगा।’ क्या इक्कीसवीं शताब्दी में इस आशा अथवा भयाशंका का आगमन नहीं हो रहा है?

आज सभी देश आपस में उलझे हुए हैं। उनमें एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है। आज शोषण-चक्र तेज है। और गुलामी का दौर बदस्तूर चल रहा है। संसार में आतंकवाद पांव जमाता जा रहा है। सरेआम हत्यांए हो रही हैं। विशाल खेल आयोजन भारी सुरक्षा प्रबंध के बाद ही हो पा रहे हैं और फिर भी खिलाडिय़ों की हत्यांए सरेआम हो रही हैं। विकसित व अद्धविकसित देशों में आतंकवाद पांव जमाने लगा है। इससे यह सोचा जा रहा है कि कहीं लोकतंत्र के स्थान पर आतंकतंत्र तो स्थापित नहीं हो जाएगा। इसके अनेक देशों के उदाहरण सामने आ चुके हैं, जहां लोकतंत्र को रौंदकर सैनिक शासन स्थापित हुआ है। वहां बराबर लोकतंत्र बहाली के लिए आंदोलन, प्रदर्शन, हिंसा का दौर चल रहा है। वर्मा, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में एक प्रकार की तानाशाही ही है। वहां फौजी शासन ही है। मजे की बात यह है कि उन देशों से जहां लोकतंत्र विदा हुआ है किसी भी लोकतंत्रिक देश ने संबंध विच्छेद नहीं किए हैं। इसके विपरीत अनेक लोकतांत्रिक देशों ने उनसे हाथ मिलाया है। इसका यह अर्थ नहीं है कि वे देश भी लोकतंत्रात्मक पद्धति को अंदर ही अंदर तिलांजलि देना चाहते हैं। यों अनेक देशों में जहां लोकतंत्र है एक ही दल का एकाधिकार बना हुआ है। वहां की जनता लोकतंत्र को किसी सीमा तक राजतंत्र ही मानकर चल रही है। इस दृष्टि से भावी समाज को बहुत खतरे हैं।

21वीं सदी में भी दुनिया के सामने जनसंख्या ओर अशिक्षितों की भीड़ लगी हुई है। गरीबी-रेखा के नीचे पहले से अधिक जनसंख्या विद्यमान है। पानी का संकट भी है और प्रदूषण के क्षेत्र का विस्तार हो रहा है। युद्ध-अभ्यास बराबर होते जा रहे हैं। पेट्रोल, डीजल, कोयले का भंडार खत्म होने के कागार पर हैं। जलवायु ओर मौसम में परिवर्तन हो रहा है। मानसून अपनी दिशा बदल रहा है। मानसून गड़बड़ा भी रहा है। असमय वर्षा हो रही है, बादल फट रहे हैं और प्रकृति भयंकर रूप धारण करके सामने आ रही है।

वर्तमान समाज की यह संकल्पना, दुखद और त्रासदीजनक है। व्यक्ति-व्यक्ति से तेजी से अलग हो रहा है और पदार्थ से संबंध जोड़ रहा है। लगता है, इक्कीसवीं सदी को समाज में व्यक्ति बहुत कुछ अपनी पहचान खो रहा है। निस्संदेह आने वाला कल उसका अपना नहीं होगा। उसे पहले की अपेक्षा औरजटिल जिंदगी जीनी पड़ रही है। समस्यांए सुरक्षा के समान तेजी से अपना आकार बढ़ा रही है। मानवाधिकार का हनन औरभावी समाज भय, आतंक, ईष्र्या, द्वेष, हिंसा आदि की गिरफ्त में हैं। वह कल की अपेक्षा अधिक असुरक्षित और कमजोर है। कोई ईश्वरीय या प्राकृतिक चमत्कार ही वर्तमान स्वार्थी व्यक्ति को लक्ष्यनिर्माता बना सकता है।

निबंध नंबर : 02

भविष्य का भारत

Bhavishya ka Bharat 

इक्कीसवीं सदी का भारत

21 vi Sadi ka Bharat

आज भारत तो क्या सारा विश्व बड़ी तीव्र गति से दौड़ते हुए इक्कीसवीं सदी तक पहुंच जाना चाहता है। उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक के भ्ज्ञी अंतिम वर्षों में पहुंच विश्व की तरह भारत इक्कीसवीं सदी के द्वारों पर दस्तक देने लगा है। ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि कैसा होगा इक्कीसवीं सदी का भारत? आज की तरह का ही सब-कुछ रहते हुए भी भ्रष्ट और भूखा-नंगा, तरह-तरह की समस्याओं, प्रदूषणों से घिरा हुआ गंदगी का ढेर-या फिर भ्रष्टाचार और प्रदूषण, गंदगी और भुखमरी से रहित, सब प्रकार से सुखी एंव समृद्ध भारत! सच तो यह है कि आज के भारत की प्रगतिशीलता, आज के भारत के भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, अराजकता और राजनेताओं की रहस्मय बाजीगीरी आदि को देखकर किसी भी प्रकार का ठीक निर्णय कर पाना संभव नहीं कि इक्कीसवीं सदी का भारत वास्तव में क्या और किस प्रकार होगा?

अच्छी या बुरी आज के भारत की जैसी भी स्थितियां हैं उन्हें देखकर इक्कीसवीं सदी के भारत के संबंध में स्वभावत: दोनों तरह के ही विचार आते हैं। एक विचार आशा और विश्वास का संचार करना चाहता है, ताू दूसरा घोर निाराश एंव अविश्वास का। आज भारत जिस प्रकार बेतरतीब-सा, वीरान-सा, छाया एंव हरियाली से रहित कंक्रीट का बदनुमा जंगल बनता जा रहा है, जहां मात्र स्वार्थों की दौड़ है। हर आदमी दूसरे की टांग खींच, उसे नीचे गिरा खुद आगे बढ़ जाना चाहता है। अपने घर की गंदगी समेटकर दूसरों के घर के आगे फेंक कूड़े का ढेर लगा देना चाहते हैं। तरह-तरह के वाहनों की भीड़ ओर कनफोड़ू हॉर्नों की आवाज सभी के कान तो क्या दिल-दिमाग तक फाड़ देना चाहती हैं। पर्यावरण को सुरक्षित रखने और वर्षा का कारण बनने वाले वन-वृक्ष काटकर वहां आबदी-पर-आबादी बसाई जा रही है। कुछ लोगों के पास तो आकूत-अथाह धन-संपत्ति भरी पड़ी है, जबकि कुछ लोगों को रूखी-सूखी रोटी तक भी मय्यसर नहीं हो पा रही है। सडक़ पर दुर्घटनाग्रस्त को अस्पताल तक पहुंचाने वाला कोई नहीं। अस्पताल में पीड़ा एंव घावों से कराहते या घायल पड़े रोगी का इलाज तो क्या करना हाल-चाल तक पूछने वाला कोई नहीं। जनता के रक्षक नेता और पुलिस वाले स्वंय ही घूसखोर, डाकू, लुटेरे और बलात्कारी बनकर जनता का तन, मन, धन सभी कुछ लूट रहे हैं। मानवता पर मशीनी पटियों के नीचे पिसकर दम तोड़ रही है। क्या शिक्षा और क्या अन्य क्षेत्र सभी जगह बुरी तरह धांधली एंव अराजकता का राज है। सच्चों, सज्जनों, सह्दयों का कोई पुछवैया तक नहीं है। प्रदूषण के कारण हवा में सांस ले पाना और पानी का घूंट भरना मौत को निमंत्रण देने जैसा है। इस प्रकार का नरकीय माहौल आज जो चारों तरफ छा रहा है, यदि इसी सब को लेकर भारत ने इक्कीसवीं सदी में प्रवेश किया, तो वहां हमारी वास्तविक स्थिति क्या एंव कैसी होगी, इस सबका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। प्रश्न उठता है, क्या ऐसी इक्कीसवीं सदी में जाना ओर रहना हमें रुचेगा? क्या ऐसे दमघोंटू वातावरण में हम या कोई भी अन्य रह सकेगा या रह पाना पसंद करेगा? हमारे विचार में तो कदापि नहीं।

अब तनिक इक्कीसवीं सदी के दूसरे पहलू पर भी आकर देखिए, जिसकी आज के माहौल में मात्र कल्पना ही की जा सकती है-इस दूर की आशा ओर संभावना के साथ कि बीसवीं सदी के इन बाकी बच रहे दो-चार वर्षों में शायद कोई सच्चा देश-हितैषी, जन-सेवक नेता उत्पन्न हो जाए। जो इस सारी गंदगी को साफ करके इक्कीसवीं सदी में भारतीय जन-मानस को एक साफ-सुथरे भारत की ओर ले जा पाने में समर्थ हो? वह भारत, जो हर प्रकार से साफ-सुथरा, हरा-भरा, सब प्रकार के प्रदूषण से मुक्त हो। वह भारत, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति सहज सहानुभूति से भरा हो। एक के सुख-दुख को अपना समझने वाला हो? जिसमें कंक्रीट के जंगलों के आस-पास फलों-फूलों से लदे हरे-भरे वन-वृक्ष एंव बाग-बगीचे होंगे। बारहों महीने उन पर रंग-बिरंगे पक्षी चहचहाकर मन को मुज्ध कर रहे होंगे। जल के सभी स्त्रोत प्रदूषण से रहित शुद्ध और निर्बल होंगे। हर मनुष्य उनमुक्त एंव शुद्ध वायुमंडल में सांस ले सकेगा।

इक्कीसवीं सदी के ऐसे संभावित सुखद भारत में सभी समान रूप से मिलजुल कर रहते तो होंगे ही, प्रगति एंव विकास की राह पर भी चल सकेंगे। कोई किसी की टांग खींच, दूसरे को नीचे गिराकर आगे बढऩे का प्रयास करने वाला हनीं होगा। कहीं कोई भूखा, बेकार, भिखारी नजर नहीं आएगा। न ही किसी व्यक्ति को दुर्घटना का शिकार होकर बाकियों की लापरवाही के कारण सडक़ पर ही दम तोडऩा पड़ेगा। अस्पतालों में प्रत्येक मरीज के साथ सहज मानवीय एंव घर का-सा व्यवहार होगा। थाने अन्याय, रिश्वत और बलात्कारी के अड्डे न बनकर न्याय का पवित्र मंदिर होंगे। अदालतें भी मामले न लटकाकर तत्काल उचित न्याय देने वाली होंगी। लोग आपस में इस सीमा तक मिलजुल कर रहेंगे कि किसी को थाना-अदालत की कभी आवश्यकता तक ही न पड़ा करेगी। प्रत्येक व्य ित न्यायप्रिय एंव सत्यवादी होगा। बाजार में हर माल आवश्यक्तानुसार उचित एंव सस्ते दर पर उलब्ध हो सकेगा। दुकानदार, व्यापारी न तो कम तोलेंगे और न महंगा बेचेंगे ही। सारा जीवन-व्यापार बड़ा संतुलित होगा।

शिक्षालय व्यवसाय के केंद्र या गे्रजुएट पैदा करने वाली माश्ीन न रहकर सच्चे अर्थों में व्यक्ति को हर प्रकार से निर्दोष एंव योज्य बनाने का कार्य करेंगे। सारा समाज न केवल साक्षर बल्कि सुशिक्षित होगा। फलस्वरूप सभी को उचित मान-सम्मान प्राप्त हो सकेगा। स्त्रियों को समाज में विशेष आदर प्राप्त होगा। बच्चों के लालन-पालन एंव शिक्षण के कार्य पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। शिक्षा को जन-सेवा एंव व्यवसायोन्मुख बनाया जाएगा, ताकि शिक्षा पाने के बाद व्यक्ति को बेकार आवारा न घूमना पड़े। इस प्रकार इक्कीसवीं सदी का भारत सभी के लिए सुंदर, सुखद एंव लाभदायक होगा, इस बात को स्पष्ट संभावना व्यंजित की जाती है।

इस प्रकार इक्कीसवीं सदी में भारत कैसा होग, या फिर हो सकता है, दोनों के चित्र ऊपर प्रस्तुत कर दिए गए हैं। वर्तमान दशा को देखकर लगता नहीं कि इक्कीसवीं सदी का भारत कोई बड़ा ही मनोहारी है। यदि सदी के अंत तक वर्तमान बद दशाओं को सुधारा न जा सका, तो आने वाली सदी निश्च ही विनाश का संदेश लेकर आएगी। पर मनुष्य बड़ा आशावादी है। फिर परिस्थितियों का भी कुछ पता नहीं चला कि कब क्या हो जाए। दूसरे आज के जागरुक मानवतावादी मानव जिस प्रकार के प्रयास कर रहे हैं, उससे कुछ-कुछ विश्वास जगता है कि इक्कीसवीं शताब्दी सारी मानवता के लिए शुभ संदेश लेकर आएगी।

निबंध नंबर : 03

Ikkeesvi Sadi ka Bharat

                काल परिवर्तन की गति इतनी त्रीव है कि उसे रोका नहीं जा सकता। ईस्वी सन् में भी हमारी दुनिया दो हजार साल बिता चुकी है। उसके पूर्व भी हजारों वर्ष बीत चुके होंगे। मानव सभ्यता का विकास अपने क्रम से होता रहा है। अब इस पूरी दुनिया के साथ-साथ हमारा भारत इक्कीसवीं सदी में है। यहां इक्कीसवीं सदी का अर्थ भारत के संदर्भ में लिया जा रहा है जिसमें भारत के सर्वांगीण विकास की बात सोची जा रही है। इक्कीसवीं सदी के भारत का मतलब है कि भारत मंे हर आदमी शिक्षित, सुखी-सम्पन्न होगा। यह कल्पना हमारी है यानी भारत की है।

                भारत में यह कल्पना सबसे पहले स्व. प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मन में उभरी थी। उन्होंने कहा था कि हमें इस तरह से निर्माण कार्य करना है कि ज्ञान के साथ इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर सकंे। उस समय भारत 21वी. सदी की दहलीज पर खड़ा था। उन्होंने कम्प्यूटर आदि के अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया था। हमारे वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम डाॅ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भी देशवासियों से सहयोग का आहृान किया है। उनका स्वप्न सन् 2020 तक भारत को पूर्ण रूप से विकसित देश के रूप में देखना है।

                यदि हम ध्यान दें तो देखते हैं कि आज देश मंे दो परस्पर-विरोधी प्रवृतियां कार्य कर रही हैं। एक विघटनकारी प्रवृति वैज्ञानिक विकास की है जो देश को ज़ल्द से जल्द पश्चिम के समकक्ष खड़ा देखना चाहती है। दोनों ही प्रवृतियां देश की प्राचीन सभ्यता की उपेक्षा करके आधुनिक विश्व के अन्धाधुन्ध नकल का परिणाम है। इस आधार पर कल्पना करें तो 21वीं सदी के भारत का भिन्न चित्र उभरता है।

                यदि देश में विघटनकारी प्रवृतियां सबल हो गई तो भारत पूर्ण रूप से खण्ड-खण्ड होकर छोटे-छोटे राज्यों में बंट जाएगा। तब ये राज्य आर्थिक दृष्टि से पिछड़ जाएंगे क्यांेकि इनमें आर्थिक आत्मनिर्भरता न होगी। देश क्षेत्रीयतावाद, भाषावाद, जातिवाद, वर्गवाद आदि के रूप में विभाजित हो जाएगा। इनमें से जिनके पास आर्थिक संसाधन होंगे वे समृद्ध और दूसरे अपेक्षाकृत निर्धन होंगे, पर सुखी कोई भी नहीं होगा। भौतिकवादी विचाराधारा प्रधान हो जाने से भारतीय संस्कृति का लोप हो जाएगा। चारों तरफ भ्रष्टाचार का ही बोलबाला होगा जो जन-जन को विपन्न कर देगा। लोगों की सुरक्षा की कोई गांरटी नहीं रह जाएगी। इस प्रकार की असुरक्षा जन-मानस को एकदम अशक्त और अविश्वासी बना देगी। हमारे सारे सपने चूर-चूर होकर मिट्टी में मिल जाएंगे।

                यदि ये विघटनकारी शक्तियां दब गई और विज्ञान के विकास की प्रवृति प्रमुख हो उठी तो अत्यधिक मशीनीकरण के कारण बेरोजगारी चरम सीमा पर होगी। धनी-निर्धन के बीच की खाई बढ़ जाएगी। समस्त लोग कम्प्यूटर और यंत्र मानव पर निर्भर हो जाएंगे। प्रदुषण की समस्या और प्रचण्ड हो उठेगी। घर के सारे काम-धंधे यंत्र मानव ही करेंगे। घर बैठे पाठ्यक्रम की शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार होगी कि विद्यार्थियों को विद्यालय जाने की जरूरत ही नहीं होगी। कुछ आशावादी लोगों का मानना है कि 21वीं सदी का भारत सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से बहुत उन्नत होगा। सभी धर्मों, जातियों को मानने वाले लोग आपस में मिल-जुलकर रहेंगे। मंदिरों मंे आरती, मस्जिदों मंे नमाज और गुरूद्वारों में शब्द पाठ एक ही समय में एक ही साथ हुआ करेगा। कहीं कोई बाधा नहीं रहेगी। कोई विरोध नहीं करेगा। सभी सरकारी कर्मचारी समय पर कार्यालयों में अपना काम-काज करेंगे। कल-कारखानों में उत्पादन बढ़ेगा। मजदूर वर्ग पूरी तरह सन्तुष्ट होकर अपना काम करेंगे। गांवों में फल-फूल और फसल की पैदावार बढ़ जाएगी। देश में कहीं भी दूध-घी की कमी नहीं रहेगी। इस प्रकार इक्कीसवीं सदी का भारत पूर्ण विकसित, समृद्ध और सुखी होगा। भारत कल-कारखानों का एक बड़ा देश बन जाएगा। चारों तरफ उन्नति और समृद्धि का वातावरण छा जाएगा। परन्तु यदि तृतीय विश्वयुद्ध छिड़ा तो संसार का कोई भी देश विनाश से न बच सकेगा। सभी युद्ध अन्तरिक्ष मंे ही लड़े जाएंगे क्योंकि युद्ध का पूरा संचालन कम्प्यूटर की सहायता से ही होगा। युद्ध प्रक्षेपास्त्रों से ही होगा। इन्हें अन्तरिक्ष मंे ही दूसरी दिशा में मोड़ने का साधन जिनके पास होगा वे ही बच पाएंगे और दूसरे नष्ट हो जाएंगे। धरती पर अनाज तो दूर घास तक न उगेगी। कोई मनुष्य जीवित न बचेगा। यदि कुछ लोग बच भी गए तो वे सभ्यता में विश्व के आदि मानव से अधिक पिछड़े हुए होंगे।

                परन्तु भविष्य के विषय में कुछ पाना मुश्किल है। मानव तो केवल वर्तमान प्रवृतियों के आधार पर अनुमान ही लगा सकता है।

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21st century ka bharat essay in hindi

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There is nothing about the developments of India that will take place in future….rest everything is ok

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आधुनिक भारत पर निबंध | Essay On Modern India In Hindi

Essay On Modern India In Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. आधुनिक भारत पर निबंध आज हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं.

इस निबंध, भाषण, अनुच्छेद में हम आधुनिक भारत की रूपरेखा स्वरूप, युवाओं व महिलाओं की भागीदारी पर जानकारी प्राप्त करेगे. चलिए हम मॉडर्न इंडिया के शोर्ट एस्से को पढ़ते हैं.

आधुनिक भारत पर निबंध Essay On Modern India In Hindi

Essay On Modern India In Hindi

15 अगस्त 1947 के दिन भारत स्वतंत्र हुआ था, उस दिन को आज 75 साल पूरे हो चुके हैं. इन वर्षों में हमने क्या अर्जित किया तथा हम अपने निर्धारित लक्ष्यों से कितने पीछे है इसकी समीक्षा करे तो पाएगे कि भारत के लिए कई मायनों में आधुनिक शब्द बहुत बड़ा हैं.

हम 21 वीं सदी के भारत, प्रगतिशील भारत की संकल्पनाओं को गढ़ते है, आंकड़ों में हम पाकिस्तान को हरेक धरातल पर कमतर आंकते है. मगर क्या हमने कभी लोगों के रहन सहन मूलभूत आवश्यकताओं की स्थिति, संसाधन विभाजन एवं भागीदारी के क्षेत्रों में विकास दर के मामले में विश्व के बड़े देशों के नजदीक भी पहुँच पाए हैं.

भारत दुनियां के बड़े देशों में से एक है यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनआबादी एवं सर्वाधिक युवा शक्ति का देश है फिर हम अपनी तुलना दुनियां के निम्न स्तरीय देश से हर बार क्यों करते हैं.

हमारा भारत कितना आधुनिक हुआ है इसे समझने के लिए हमें अपने पड़ोसी चीन की तरफ रूख करना चाहिए, जो हमसे दो वर्ष बाद स्वतंत्र हुआ तथा आज चीन की गिनति विश्व के सबसे विकसित देशों में की जाती हैं, इसकी तुलना में आधुनिक भारत को महज एक बड़े बाजार की तरजीह दी जाती हैं.

हाँ इन 7 दशकों में हम गरीबी को 25 प्रतिशत से पन्द्रह प्रतिशत ला पाए हैं, लोगों को रोजगार मिल रहा है सड़कें, टेलीफोन, कृषि, आदि सुकून देने वाले क्षेत्र हैं.

आधुनिक भारत में आज भी आबादी का एक बड़ा तबका रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए तरस रहा हैं. 30 करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने के लिए मजबूर हैं. देश के संसाधनों पर आबादी के मात्र 10 प्रतिशत लोगों का अधिकार हैं.

शेष गरीब एवं निम्नवर्गीय लोगों के लिए जीवन संघर्ष की तरह बीत रहा हैं. स्वतंत्रता मिलने के बाद आधारभूत उद्योग कपड़ा, टेक्सटाइल, परिवहन, कृषि, उद्योग तथा संचार के क्षेत्र में हमने यथेष्ठ उन्नति की हैं आज हमारा देश कृषि में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ ही उत्पादों का निर्यात भी करता हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार की कई योजनाओं मेड इन इंडिया, इंडिया फ़ास्ट, डिजिटल इंडिया जैसे कदमों से भारत की आवश्यकता की वस्तुएं अब देश में ही निर्मित हो रही हैं. DRDO भारत के रक्षा एवं सैन्य उपकरणों का निर्माण स्वदेश में ही कर रहा हैं.

इसरों आए दिन अन्तरिक्ष में भारत की सफलता के नयें कीर्तिमान रच रहा हैं. हमारी इकोनोमी दुनियां की चार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हैं.

देश 7 प्रतिशत की विकास दर से आगे बढ़ रहा हैं. प्रत्येक भारतीय को बिजली, शौचालय, पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा के सुलभ अवसर प्रदान करने की योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा हैं.

तकनीक तथा पेट्रोलियम उत्पादों पर आज भी हम पश्चिम व खाड़ी के देशों पर निर्भर हैं. आधुनिक भारत ने न केवल अपने बाजार दुनियां की कम्पनियों के लिए खोले है बल्कि विश्व बाजार में भारत ने भी अपने उत्पादों की विश्वसनीयता तथा गुणवत्ता का लोहा मनवाया हैं.

सरकार आयात को कम करने तथा निर्यात को बढ़ाने का प्रयास कर रही है जिससे तेजी से देश में विदेशी मुद्रा का आगमन हो रहा हैं.

पर्यटन के लिहाज से इन वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई हैं. स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, अयोध्या, राम सेतु, बुद्ध सर्किट जैसी नई पर्यटन योजनाओं पर काम चल रहा हैं.

आधुनिक भारत अपने अतीत की गलतियों से सीख लेते हुए उनमें सुधार की ओर तेजी से बढ़ रहा हैं. हाल ही के वर्षों में देश में तीन तलाक, धारा 370 का हटना, राम मंदिर, नागरिकता बिल, वेशभूषा कोड जैसे कानून आए है अथवा निकट भविष्य में आने वाले है.

इससे न केवल लम्बे समय से देश की प्रगति में बाधक तत्व दूर होंगे बल्कि भारतीय समाज में धर्म के नाम पर की गई खाई को भी पाटने में मदद मिलेगी. भारतीय समाज सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में उन्नति कर रहा हैं. देश में युवा आक्रोश एवं बेरोजगारी की समस्या यथावत हैं.

युवा नशाखोरी की प्रवृत्ति में लिप्त हो रहे हैं. इंटरनेट तथा सिनेमा के कारण तेजी से अपसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा हैं. नैतिक मूल्यों के पतन के इस दौर में भारत को अपनी पहचान बनाएं रखने की आवश्यकता हैं.

देश में जहाँ लोग अपनी संस्कृति को अपनाने से दूरी बना रहे है वही विदेशों में भारतीयों तथा भारत की संस्कृति को सम्मान मिल रहा हैं. योग की विश्वभर में बढ़ती स्वीकारोक्ति प्रगतिशील भारत के बढ़ते प्रभाव की निशानी हैं.

आधुनिक भारत में कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ आधुनिकता के नाम पर देश की संस्कृति के साथ खिलवाड़ हो रहा हैं. समय रहते समाज को इससे सावधान होने की जरुरत हैं.

आधुनिक भारत की समस्याएं पर निबंध essay on adhunik bharat ki samasya in hindi

जब हम आधुनिक भारत की बात करे तो हमें इसकी उपलब्धियों के साथ ही समस्याओं को भी ध्यान में रखना होगा, आज के भारत की सबसे विकराल समस्या बेरोजगारी है. करोड़ों नवयुवक डिग्रीया लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त भी उन्हें काम नहीं मिल पाता हैं.

विगत एक दशक से बेरोजगारी की समस्या से युवाओं में आक्रोश भर दिया हैं. सरकारें अपने स्तर पर इस समस्या को समझने तथा इसके विकल्प तलाशने में अभी तक पूर्ण विफल नजर आई हैं. आज भी राजनेता चुनावों के समय देश के युवाओं को नौकरियां देने का झांसा देकर बड़ी आसानी से मुर्ख बनाकर उनके विश्वास के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं.

आधुनिक भारत की दूसरी बड़ी समस्या शिक्षा की हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू हुए एक दशक से अधिक समय हो चूका है इसके उपरान्त भी निम्न वर्ग के बच्चें शिक्षा से वंचित हैं. न केवल शिक्षा आमजन तक सुलभ बन पाई बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी आधुनिक युग के अनुकूल नहीं हैं.

हमारी शिक्षा का स्वरूप रोजगारोन्मुख नहीं है न ही जीवन उपयोगी है जिससे युवाओं में कौशल विकसित किया जाए. भारत सरकार ने हाल ही में नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट जारी किया है, उम्मीद है इससे कुछ बिन्दुओं पर शिक्षा को सार्थक एवं जीवन उपयोगी बनाने में मदद मिलेगी.

देश की तीसरी बड़ी समस्या गरीबी एवं महंगाई हैं. देश के कुल संसाधन मुट्ठी भर लोगों के पास ही है, इस तरह समाज में आर्थिक आधार पर बड़ी खाई उत्पन्न हो चुकी हैं. गरीब आए दिन गरीब होता जा रहा है तथा अमीर निरंतर अमीर होता जा रहा हैं.

देश का मध्यम वर्ग को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा कर के रूप में देता है वह भी महंगाई की समस्या से त्रस्त नजर आता हैं ऐसे में भारत में कुछ मूलभूत बदलाव लाने की आवश्यकता हैं तभी देश से गरीबी और महंगाई का खात्मा हो सकेगा.

यदि सरकार बे रोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर अतिरिक्त उत्पादन के कार्य में लगाए तो निश्चय तीन बड़ी समस्याओं का एक साथ खात्मा किया जा सकता हैं.

भ्रष्टाचार आधुनिक भारत की एक विकराल समस्या हैं जो देश के शीर्ष पदाधिकारियों से लेकर चपरासी तक सभी लोगों में हैं भ्रष्टाचार के कारण देश का अपार धन काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा हैं.

यदि सरकार इस दिशा में कोई सार्थक कदम उठाएं तो न केवल भारत के लोगों के जीवन स्तर में बड़ा सुधार आ सकता हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के स्वरूप को विस्तार देने में मदद मिलेगी.

भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए सरकार कानून बनाए यह पर्याप्त नहीं है बल्कि समाज भी स्वेच्छा से पहल करे तथा इस समस्या के खात्मे में अपनी भूमिका अदा करे तभी भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो सकता हैं, देश की अन्य बड़ी समस्याओं में आतंकवाद एवं नक्सलवाद भी हैं जिससे हमारे सुरक्षा बल निपट रहे हैं.  

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भारत पर निबंध (Essay On India in Hindi) 10 lines 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

21st century ka bharat essay in hindi

Essay On India in Hindi – भारत क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश है और एशिया में स्थित दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत के तीन किनारे दक्षिण में हिंद महासागर, दक्षिण पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरे हुए हैं, यह उत्तर में पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान के साथ भूमि सीमा साझा करता है; और बांग्लादेश, और म्यांमार पूर्व में। भारत का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, भारत का राष्ट्रीय फल आम है, भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है, और भारत का राष्ट्रीय गान जन गण मन है।

छात्रों और बच्चों के लिए भारत पर लघु निबंध (Short Essay on India for Students and Kids in Hindi)

एशिया महाद्वीप में स्थित भारत देश क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश है और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का आकार क्षैतिज है, और यह शीर्ष पर गहरा केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और सबसे नीचे कठोर हरा रंग और सफेद रंग के बीच में एक अशोक चक्र के साथ तिरंगा है।

भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, भारत का राष्ट्रीय फल आम है, भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है। भारत का राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है और राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हम भारत में भाषाओं, भोजन, संस्कृतियों, भूमि, तापमान की किस्मों को देख सकते हैं। भारत में इतनी विविधता होने के बावजूद भी भारत के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं।

भारत पर निबंध 10 लाइन (Essay on India 10 lines in Hindi)

  • 1) भारत या ‘भारत गणराज्य’ एशिया का एक प्रायद्वीपीय देश है अर्थात् यह तीन ओर से जल से घिरा हुआ है।
  • 2) 7 पड़ोसी देशों के साथ भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है।
  • 3) चीन के बाद 1.3 अरब लोगों के साथ भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है।
  • 4) पश्चिमी भाग में ‘अरब सागर’, दक्षिणी भाग में ‘हिंद महासागर’ और पूर्व में ‘बंगाल की खाड़ी’ है।
  • 5) भारत का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है और प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक ‘हिमालय’ है।
  • 6) भारत में बहने वाली कई छोटी और बड़ी नदियाँ हैं, जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि।
  • 7) भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक आयताकार तिरंगा झंडा है जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग में बीच में ‘अशोक चक्र’ है।
  • 8) भारत का राष्ट्रीय प्रतीक ‘सारनाथ’ में ‘अशोक की शेर की राजधानी’ है और इसके नीचे “सत्यमेव जयते” लिखा है, जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • 9) भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” है जिसकी रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी।
  • 10) भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।

भारत पर निबंध 20 लाइन (Essay on India 20 lines in Hindi)

  • 1) भारत विशाल सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
  • 2) भारत 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के संघ के साथ एक एकल एकात्मक देश है।
  • 3) भारत में विशाल भौगोलिक विविधताएँ भी हैं – पर्वत श्रृंखलाएँ से लेकर शुष्क रेगिस्तान और सदाबहार वन।
  • 4) वन्यजीवों से समृद्ध भारत एशियाई शेरों, बंगाल के बाघों, हाथियों और विभिन्न अन्य प्रजातियों का घर है।
  • 5) मेघालय के उत्तर पूर्वी राज्य चेरापूंजी में भारत में सबसे अधिक वार्षिक वर्षा होती है।
  • 6) राजस्थान के उत्तर पश्चिमी राज्य में जैसलमेर के रेगिस्तान में बहुत कम या बिल्कुल भी वर्षा नहीं होती है।
  • 7) भारत में हर राज्य की अपनी जातीयता के साथ-साथ सांस्कृतिक और भाषाई विरासत है।
  • 8) सदियों से आक्रमणों को देखने के बावजूद, भारत ने अपनी संस्कृति और मूल्यों को नहीं खोया है।
  • 9) मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक में स्टील के तार हैं जो पृथ्वी की परिधि तक मापते हैं।
  • 10) भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक, सिंधु घाटी सभ्यता का घर रहा है।
  • 11) देश का नाम ‘इंडिया’ अति प्राचीन सिंधु नदी से लिया गया है।
  • 12) भारत गाँवों की भूमि है जहाँ 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है।
  • 13) संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी कृषि भूमि है और अधिकांश लोग कृषि में कार्यरत हैं।
  • 14) यह वह देश है जहाँ महान वैज्ञानिक, आध्यात्मिक गुरु, गणितज्ञों ने जन्म लिया और महान कार्य किया।
  • 15) भारत विविध संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषाओं का देश है।
  • 16) भारत वह देश है जिसने पूरी दुनिया को सनातन धर्म के नाम से लोकप्रिय जीवन दर्शन के बारे में सिखाया।
  • 17) भारत का ISRO अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के अंतरिक्ष संगठन के बाद पांचवां सबसे बड़ा अंतरिक्ष संगठन है।
  • 18) संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत के पास तीसरी सबसे बड़ी सेना है।
  • 19) इसमें लगभग 600 वन्य जीवन अभयारण्य हैं और पक्षियों की 1400 प्रजातियों का घर है।
  • 20) भारत में कई प्रसिद्ध और प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें, विरासत और स्मारक हैं जो दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

इनके बारे मे जाने

भारत पर निबंध 100 शब्द (Essay on India 100 words in Hindi)

भारत पूरे विश्व में प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक दृष्टि से हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत एक अत्यधिक आबादी वाला देश है और स्वाभाविक रूप से सभी दिशाओं से सुरक्षित भी है। यह अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध देश है। इसमें हिमालय नाम का एक पर्वत है जो दुनिया में सबसे ऊंचा है। यह तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है, जैसे दक्षिण में हिंद महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरेबिका सागर। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है। भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है, यद्यपि यहाँ लगभग 14 राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त भाषाएँ बोली जाती हैं।

भारत पर निबंध 150 शब्द (Essay on India 150 words in Hindi)

भारत एक खूबसूरत देश है जो अपनी अलग संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। यह अपनी ऐतिहासिक विरासत और स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के नागरिक स्वभाव से बेहद विनम्र और चकाचौंध वाले हैं। ब्रिटिश शासन के तहत, यह 1947 से पहले एक गुलाम देश था। हालाँकि, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण के कारण, भारत को 1947 में अंग्रेजों से आज़ादी मिली। जब भारत को आज़ादी मिली, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और भारतीय ध्वज फहराया और कहा “जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा”।

भारत एक लोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश है जहां देश के लोगों को देश की भलाई के लिए निर्णय लेने का अधिकार है। भारत इस कथन “विविधता में एकता” के लिए प्रसिद्ध देश है क्योंकि विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एक साथ एकता में रहते हैं। अधिकांश भारतीय स्मारक और विरासत स्थल विश्व धरोहर स्थल से जुड़े हुए हैं।

भारत पर निबंध 200 शब्द (Essay on India 200 words in Hindi)

भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है। इसका अर्थ है कि सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया जाता है, और प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां के लोगों के पास सभी बुनियादी मानवाधिकार हैं। भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु भारतीय हाथी है। भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा है। गंगा एक पवित्र हिंदू नदी है, जो इतनी पवित्र है कि ऐसा माना जाता है कि यह लोगों के पापों को धो देती है। भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न है, जिसका अर्थ है ‘भारत का गहना’।

भारत की सबसे प्रमुख हस्तियां जो उत्कृष्टता के साथ सेवा करती हैं, उनका कार्यक्षेत्र समर्पण के साथ है, और कड़ी मेहनत इस पुरस्कार को अर्जित करती है। परमवीर चक्र बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। नागरिकों की रक्षा के लिए अपना जीवन ऑनलाइन करने वाले सैनिक भारत के नायक हैं। भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्हें पंडित नेहरू या चाचा नेहरू भी कहा जाता है।

संविधान सभा द्वारा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। वह आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) के सदस्य थे, और वह एक विद्वान थे। मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें प्यार से बापूजी या महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, हमारे राष्ट्रपिता हैं। वह दुनिया भर में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त व्यक्ति हैं, जो अहिंसा द्वारा देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता था, और वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक हैं।

भारत पर निबंध 250 शब्द (Essay on India 250 words in Hindi)

भारत में राजनीतिक परिदृश्य एक बहुदलीय चुनावी प्रणाली है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) भारत की पहली राजनीतिक पार्टी थी। भारत वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा शासित है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं, जबकि देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद हैं। गृह मंत्रालय का ध्यान अमित शाह द्वारा रखा जाता है, और विदेश मंत्रालय या विदेश मामलों के मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर हैं।

भारत को एक विकासशील देश माना जाता है और इसके वर्ष 2033 में महाशक्तियों की सूची में आने की उम्मीद है। चीन के बाद भारत भारत में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। जुलाई 2019 तक भारत की अनुमानित जनसंख्या 1,296,834,042 है। भारत की उत्तरी सीमा पर हिमालय और देश में बहने वाली गंगा के साथ आश्चर्यजनक विशेषताएं हैं। नई दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है।

भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश, 2 प्रमुख भाषाएँ और 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त राज्य आधारित भाषाएँ हैं। भारत को एक उपमहाद्वीप कहा जाता है और तीन प्रमुख जल निकायों के साथ इसे तीन तरफ से कवर किया जाता है, अर्थात् बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और महान हिंद महासागर। ब्रिटिश भारत के औपनिवेशिक शासक थे और उन्होंने 200 वर्षों तक देश पर शासन किया। इसकी शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में व्यापार करने और अधिक लाभ कमाने के लिए सत्ता पर कब्जा करने के लिए कलकत्ता पर कब्जा करने के साथ हुई। यह धीरे-धीरे फैल गया, और भारत वर्ष 1858 में ब्रिटिश महारानी के नियंत्रण में आ गया। भारत दुनिया की सबसे बड़ी सेना रखने में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। इसकी FPF रैंक गिरकर चौथे स्थान पर आ गई है क्योंकि इस मामले में अमेरिका और रूस चीन और भारत से आगे हैं।

भारत पर निबंध 300 शब्द (Essay on India 300 words in Hindi)

भारत मेरी मातृभूमि है जहां मैंने जन्म लिया है। मैं भारत से प्यार करता हूं और मुझे इस पर गर्व है। भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जो जनसंख्या के बाद चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। इसका समृद्ध और गौरवशाली इतिहास रहा है। इसे विश्व की पुरानी सभ्यता के देश के रूप में देखा जाता है। यह सीखने की भूमि है जहां दुनिया के कोने-कोने से छात्र यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ने आते हैं।

यह देश अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और कई धर्मों के लोगों की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। प्रकृति से आकर्षित होने के कारण विदेशों में रहने वाले लोग भी यहां की संस्कृति और परंपरा का पालन करते हैं। कई हमलावर यहां आए और यहां की खूबसूरती और बेशकीमती चीजें चुरा लीं। कुछ ने इसे अपना गुलाम मान लिया, देश के कई महान नेताओं के संघर्ष और बलिदान के कारण 1947 में हमारी मातृभूमि अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो गई।

उसी दिन से हमारी मातृभूमि हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में आजाद हुई। पंडित नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण भूमि होते हुए भी यहां के निवासी गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सीवी रमन, श्री एचएन भाभा आदि जैसे उत्कृष्ट लोगों के कारण यह प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है।

यह एक शांतिपूर्ण देश है जहां लोग बिना किसी हस्तक्षेप के अपने त्योहार मनाते हैं और विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा का पालन करते हैं। यहां कई बेहतरीन ऐतिहासिक इमारतें, विरासत, स्मारक और खूबसूरत नजारे हैं जो हर साल अलग-अलग देशों का मन मोह लेते हैं। भारत में, ताजमहल एक महान स्मारक और प्रेम का प्रतीक है और कश्मीर पृथ्वी के स्वर्ग के रूप में है।

भारत पर निबंध 500 शब्द (Essay on India 500 words in Hindi)

भारत हमारा देश ‘अनेकता में एकता’ का बेहतरीन उदाहरण है। विभिन्न पृष्ठभूमि और धर्मों के लोग यहां शांति और सद्भाव से रहते हैं। इसके अलावा, हमारा देश विभिन्न भाषाओं के लिए जाना जाता है। यहां तक ​​कि आपको हमारे देश में हर 100 किलोमीटर पर एक अलग भाषा मिल जाएगी। हमारे देश पर निबंध के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि भारत क्या है।

अनेकता में एकता- हमारा देश निबंध

भारत एक अनूठा देश है जो विभिन्न प्रकार के लोगों को आश्रय देता है जो विभिन्न भाषाएं बोलते हैं, विभिन्न खाद्य पदार्थ खाते हैं और विभिन्न प्रकार के कपड़े पहनते हैं। हमारे देश को जो खास बनाता है वह यह है कि इतने सारे मतभेदों के बावजूद लोग हमेशा शांति से एक साथ रहते हैं।

हमारा देश भारत दक्षिण एशिया में स्थित है। यह एक बड़ा देश है जो लगभग 139 करोड़ लोगों का घर है। इसके अलावा, भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक होने के कारण, यह एक बहुत समृद्ध देश है।

हमारे देश में उपजाऊ मिट्टी है जो इसे पूरी दुनिया में सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक बनाती है। भारत ने साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्ध हस्तियों को जन्म दिया है। उदाहरण के लिए, रवींद्रनाथ टैगोर, सीवी रमन, डॉ अब्दुल कलाम और अन्य भारतीय हैं।

यह एक ऐसा देश है जो हजारों गांवों का घर है। इसी प्रकार, भारत के खेतों को शक्तिशाली नदियों द्वारा सिंचित किया जाता है। उदाहरण के लिए, गंगा, कावेरी, यमुना, नर्मदा और अन्य भारत की नदियाँ हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे देश के तटों की रक्षा गहरे महासागर करते हैं और शक्तिशाली हिमालय हमारी प्राकृतिक सीमाएँ हैं। एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के नाते, भारत में विभिन्न प्रकार के धर्म हैं जो एक साथ खुशी से फलते-फूलते हैं।

हमारे देश की प्रसिद्ध चीजें निबंध

हमारे देश की संस्कृति दुनिया भर में बेहद समृद्ध और प्रसिद्ध है। हम जो अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं और जिन अलग-अलग देवताओं की हम पूजा करते हैं, वे हमारे बीच मतभेद पैदा नहीं करते हैं। हम सभी एक ही भावना साझा करते हैं।

भारत की आत्मा पूरे देश में चलती है। इसके अलावा, भारत बहुत सारे पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। उदाहरण के लिए, ताजमहल, कुतुब मीनार, गेटवे ऑफ इंडिया, हवा महल, चारमीनार और बहुत कुछ काफी लोकप्रिय हैं।

ये आकर्षण दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाते हैं। इसी तरह, हमारे पास कश्मीर है जिसे धरती पर स्वर्ग के रूप में जाना जाता है। कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता, शक्तिशाली नदियाँ और भव्य घाटियाँ वास्तव में इसे स्वर्ग बनाती हैं।

इसके अलावा, भारत एक बहुत समृद्ध खाद्य संस्कृति होने के लिए प्रसिद्ध है। हमारे देश में इतने सारे व्यंजन पाए जाते हैं कि एक बार में सब कुछ खाना संभव नहीं है। समृद्धि के कारण हमें सब कुछ सर्वोत्तम मिलता है।

हमारे देश निबंध का निष्कर्ष

कुल मिलाकर हमारे देश की एक हजार साल पुरानी संस्कृति है। इसे दुनिया ने योग और आयुर्वेद की देन भी दी है। इसके अलावा, भारत ने विज्ञान, संगीत, गणित, दर्शन और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह विश्व स्तर पर लगभग हर क्षेत्र में एक आवश्यक देश है।

भारत पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी है.

भारत में देखने लायक कई जगहें हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि देश कितना खूबसूरत है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बैंगलोर यात्रा करने के लिए सबसे अच्छे भारतीय शहरों में से कुछ हैं। भारत में सबसे अच्छे समुद्र तट पुरी, ओडिशा और गोवा में वागा बीच हैं।

भारत में सबसे अधिक साक्षर राज्य कौन सा है?

केरल, प्रायद्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक राज्य, भारत में सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य है। इसकी साक्षरता दर 91.58% है।

भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?

उत्तर प्रदेश या यूपी भारत का सबसे बड़ा राज्य है, इसके क्षेत्रफल को देखते हुए।

हमारा देश भारत पर निबंध / Essay on Our Country in Hindi

21st century ka bharat essay in hindi

हमारा देश भारत पर निबंध / Essay on Our Country in Hindi!

भारत एक विशाल देश है । क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से यह दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है । जनसंख्या के हिसाब से इसका स्थान संसार में दूसरा है । हमारा देश दुनिया के विकासशील देशों की श्रेणी में आता है । यह तीव्र गति से विकासमान है । इक्कीसवीं सदी में भारत विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा होने के लिए लालायित हो उठा है ।

हमारे देश का यह नाम सूर्यवंशी राजा ‘ भरत ‘ के नाम पर पड़ा । ‘ भरत ‘ दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे । उनके नाम पर यह देश भारत कहलाया । भारत के अतिरिक्त इसे हिन्दुस्तान, इंडिया, आर्यावर्त्त आदि नामों से भी जाना जाता है । यह वह देश है जहाँ सिंधु घाटी की नगरीय सभ्यता का विकास हुआ । यह वह पवित्र भूमि है जहाँ हिन्दू संस्कृति फली-फूली और वेदों की ऋचाएँ लिखी गई । कृष्ण, राम, गौतम बुद्ध, महावीर और नानक इसी भूमि पर अवतरित हुए । इसी धर्मभूमि पर कबीर, रविदास, तुलसीदास, गालिब, रहीम, सूरदास, गाँधी जैसे संत और कवि जन्मे । यहीं पर धर्म ने अपनी ऊँचाइयों को छूआ ।

भौगोलिक दृष्टि से भारत एशिया महाद्वीप में तीन तरफ से समुद्र से घिरा देश है । इसके उत्तर की ओर हिमालय की विश्वविख्यात शृंखला है । पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिन्द महासागर है । भारत में पठार, पर्वत, नदी, वन, झरने, झीलें आदि सब कुछ हैं । दक्षिण भारत का एक बड़ा भाग पठारी है । गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना कावेरी, सतलुज आदि यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं । यहाँ के लगभग 20 प्रतिशत भूभाग पर वन हैं । उत्तर में समतल मैदान हैं । यहाँ की जलवायु उष्ण है । समुद्र की दूरी और समुद्र तल से ऊँचाई के हिसाब से कहीं सम तो कहीं विषम जलवायु पाई जाती है । यहाँ मुख्य रूप से चार ऋतुएँ आती हैं-शीत, बसंत, ग्रीष्म और वर्षा ।

ADVERTISEMENTS:

प्राचीन भारत धन- धान्य से परिपूर्ण था । प्राकृतिक रूप से सब कुछ संतुलित था । लोग सुखी थे । फिर इस देश पर विदेशों से आए लोग राज करने लगे । लगभग हजार वर्ष तक देश गुलामी की स्थिति में रहा । अंत में 15 अगस्त, 1947 को देश स्वतंत्र हो गया । भारत पुन: शक्ति और सामर्थ्य अर्जित करने की राह पर चल पड़ा । संकीर्ण जातिगत मान्यताएँ मिटीं और जनता का शासन आरंभ हुआ । लोकतंत्र के इस युग में सभी भारतीयों को अपनी उन्नति के समान अवसर प्राप्त हैं । लोकतंत्र से भारत को बहुत लाभ हुआ है । बेरोजगारी मिटी है, निरक्षरता घटी है । यहाँ उद्‌योग-धंधों का प्रचुर विकास हुआ है । कृषि के क्षेत्र में भी आशातीत प्रगति हुई है । भारत की विकास दर तेज है । हमारी सेनाएँ देश की रक्षा में संलग्न हैं । भारत विश्व की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है ।

भारत में धर्म ने ऊँचाइयों को छुआ है । इसने विश्व को शांति, सत्य और अहिंसा का उपदेश दिया । कृष्ण ने लोगों को कर्मयोग का पाठ पढ़ाया । राम ने मर्यादा का आचरण सिखलाया । गौतम बुद्ध और महावीर ने संसार को अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की सीख दी । कबीर ने धार्मिक आडंबर की भर्त्सना की । गाँधी ने भारत की खोयी प्रतिष्ठा लौटाई । प्राचीन ऋषि-मुनियों ने अपने आचरण से तत्कालीन समाज को धर्म पर चलना सिखाया । शंकराचार्य ने भारत की सांस्कृतिक एकता की नींव मजबूत की ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश का नवनिर्माण आरंभ हुआ । हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा बनाई गई । अन्य प्रमुख भाषाओं को भी संविधान में स्थान दिया गया । बाघ राष्ट्रीय पशु, कमल राष्ट्रीय पुष्प, तिरंगा राष्ट्रीय झंडा और सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया चिह्‌न राष्ट्रीय प्रतीक बना । मोर को राष्ट्रीय पशु बनाया गया । हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया गया ।

भारत की संस्कृति बहुरंगी है । यहाँ हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध आदि विभिन्न संप्रदायों के लोग रहते हैं । यहाँ विभिन्न प्रकार की बोलियों एवं भाषाएँ बोली जाती हैं । यहाँ आर्य, द्रविड़, आदिवासी आदि विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं । फिर भी सब भारतीय हैं । रीति-रिवाज, पहनावा, खान-पान और मान्यताओं के अलग होने पर भी सभी एक राष्ट्र के संविधान में आस्था रखते हैं । भारतीयता सबमें विद्‌यमान है । कभी झगड़े और धार्मिक उन्माद भी होते हैं, पर भारतीयता का तत्व फिर से मजबूत हो जाता है ।

पूरी दुनिया में कई प्रकार की समस्याएँ हैं । भारत भी अपनी कुछ समस्याओं से घिरा हुआ है । जनाधिक्य, अशिक्षा, बेरोजगारी, आतंकवाद और राजनीतिक तुष्टिकरण भारत की प्रमुख समस्या है । कुछ लोग भारत के संविधान का गलत लाभ उठा रहे हैं । वे भारत की प्राचीन मान्यताओं और संस्कृति पर प्रहार किए जा रहे हैं । आतंकवादी मनोवृत्ति के लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो रहा है । लोगों को इन समस्याओं को समझना होगा । उन्हें राष्ट्र की रक्षा के लिए सदा तैयार रहना पड़ेगा |

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भारतीय अर्थव्यवस्था

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विज़न इंडिया@2047: राष्ट्र के भविष्य को बदलना

  • 04 Nov 2023
  • 19 min read
  • सामान्य अध्ययन-II
  • वृद्धि एवं विकास
  • सामान्य अध्ययन-III
  • सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

यह एडिटोरियल 02/11/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Virtues of planning: On the Vision India@2047 plan” लेख पर आधारित है। इसमें वर्ष 2047 तक भारत को विकसित करने के सरकार की योजना की रूपरेखा के बारे में चर्चा की गई है, जिसका अनावरण वर्ष 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री द्वारा किये जाने की उम्मीद है।

विज़न इंडिया@2047, नॉमिनल , , मध्य आय जाल, (PLFS), ,

विज़न इंडिया@2047, कारक जो भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकते हैं, भारत की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ, विज़न और आगे की राह

उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री द्वारा देश की स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने तक देश को 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ एक विकसित राष्ट्र में बदलने के एक रोड मैप का अनावरण किया जाएगा।

विज़न इंडिया@2047 (Vision India@2047) योजना , जैसा कि इसे आधिकारिक तौर पर नाम दिया गया है, पर पिछले दो वर्षों से कार्य चल रहा है, जिसमें विभिन मंत्रालयों के अधिकारी इस बात पर विचार-मंथन कर रहे हैं कि देश को विकास के वर्तमान स्तर से उस स्तर तक कैसे ले जाया जाए जिसकी महत्त्वाकांक्षा है।

नीति आयोग (NITI Aayog) , इस विज़न दस्तावेज़ को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में, जल्द ही अपने मुख्य विचारों एवं लक्ष्यों को विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों के समक्ष प्रस्तुत करेगा जिसमें विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा, ऐप्पल प्रमुख टिम कुक के साथ-साथ विभिन्न भारतीय उद्योगपति और विचारक शामिल हैं, जो फिर इन विचारों एवं लक्ष्यों को परिष्कृत करने और इसमें मौजूद किसी भी अंतराल को दूर करने पर अपनी राय देंगे। आगामी लोकसभा चुनाव के पहले प्रस्तुत की गई इस योजना को संभावित मतदाताओं के लिये सरकार के नीतिगत वादे के रूप में देखा जा सकता है।

विज़न इंडिया@2047 क्या है?

  • विज़न इंडिया@2047 अगले 25 वर्षों में भारत के विकास का एक खाका या ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिये भारत के शीर्ष नीति थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है।
  • परियोजना का लक्ष्य भारत को नवाचार एवं प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रणी देश बनाना है जो मानव विकास एवं सामाजिक कल्याण के मामले में भी एक मॉडल देश होगा और पर्यावरणीय संवहनीयता का प्रबल पक्षसमर्थक होगा।
  • 18-20 हज़ार अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति आय और मज़बूत सार्वजनिक वित्त एवं एक सुदृढ़ वित्तीय क्षेत्र के साथ 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करना।
  • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना और सुविधाओं का निर्माण करना।
  • नागरिकों के जीवन में सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं शासन को बढ़ावा देना।
  • विलय या पुनर्गठन द्वारा और स्वदेशी उद्योग एवं नवाचार को बढ़ावा देने के माध्यम से हर क्षेत्र में 3-4 वैश्विक चैंपियन विकसित करना।
  • रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना तथा विश्व में भारत की भूमिका की वृद्धि करना।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि और कार्बन उत्सर्जन को कम करके हरित विकास एवं जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना।
  • युवाओं को कौशल एवं शिक्षा के साथ सशक्त बनाना और रोज़गार के अधिक अवसर पैदा करना।
  • देश में शीर्ष स्तर की 10 प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिये विदेशी अनुसंधान एवं विकास संगठनों के साथ साझेदारी करना और कम से कम 10 भारतीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 की सूची में लाना।

भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ 

  • आकलन किया गया है कि भारत वर्तमान में नॉमिनल टर्म्स (Nominal terms) में विश्व की पाँचवीं, जबकि क्रय शक्ति समता (Purchasing Power Parity- PPP) के संदर्भ में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • वर्ष 2022 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का आकार ब्रिटेन और फ्राँस की जीडीपी से बड़ा हो चुका था।
  • रेटिंग एजेंसी ‘S&P’ का अनुमान है कि भारत की नॉमिनल जीडीपी वर्ष 2022 में 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 7.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगी।
  • आर्थिक विस्तार की इस तीव्र गति के परिणामस्वरूप भारतीय सकल घरेलू उत्पाद का आकार बढ़ेगा और भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
  • वर्ष 2047 में भारत के निर्यात का मूल्य 8.67 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगा जबकि इसके आयात का मूल्य 12.12 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगा।
  • भारत की औसत जीवन प्रत्याशा 67.2 (वर्ष 2021 में) से बढ़कर 71.8 हो जाएगी और इसकी साक्षरता दर 77.8% (वर्ष 2021 में) से बढ़कर 89.8% हो जाएगी।

वे कौन-से कारक हैं जो भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान कर सकते हैं?

  • रिपोर्टों के अनुसार, भारत की आबादी 1.4 बिलियन से अधिक है, जिसमें 40% से अधिक लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। यह आर्थिक विकास के लिये एक बड़ा जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend)  प्रदान करता है।
  • मध्यम वर्ग का विकास: भारत के मध्यम वर्ग का आकार वर्ष 2023 में लगभग 50 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2050 तक 500 मिलियन से अधिक होने का अनुमान है, जिससे एक विशाल घरेलू बाज़ार का निर्माण होगा और वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग पैदा होगी।
  • इन क्षेत्रों में नए रोज़गार अवसे सृजित करने, दक्षता में सुधार करने और सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने की क्षमता है।
  • संवहनीयता-केंद्रित अर्थव्यवस्था: भारत अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और अपनी पर्यावरणीय गुणवत्ता को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ नवीकरणीय ऊर्जा , हरित अवसंरचना और जलवायु प्रत्यास्थता में निवेश कर रहा है। ये पहलें वृद्धि और विकास के नए अवसर भी पैदा कर सकती हैं।

भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था विज़न के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियाँ 

  • विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार, मध्यम आय जाल “ एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ एक मध्यम आय देश बढ़ती लागत और घटती प्रतिस्पर्द्धात्मकता के कारण उच्च आय अर्थव्यवस्था में संक्रमण करने में विफल होने लगता है।”
  • इसका अर्थ यह है कि भारत को एक वृद्ध होती जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसे बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल लागत, पेंशन देनदारियाँ और श्रम की कमी।
  • इसके अलावा, विभिन्न अनुमान बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों तक 7% की दर से बढ़ेगी।
  • नीति आयोग द्वारा उपलब्ध कराये गए आरंभिक आँकड़ों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था को वर्ष 2030-2040 के बीच 9.2%, 2040-2047 के बीच 8.8% और समग्र रूप से वर्ष 2030 से 2047 के बीच 9% की वार्षिक औसत आर्थिक वृद्धि दर्ज करने की आवश्यकता होगी।
  • रुपया-डॉलर पहेली: डॉलर के संदर्भ में भारत की जीडीपी रुपया-डॉलर विनिमय दर पर भी निर्भर करती है, जो मुद्रास्फीति, व्यापार संतुलन, पूंजी प्रवाह और मौद्रिक नीति जैसे विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है।
  • भू-राजनीति और क्षेत्रीय एकीकरण: चीन, पाकिस्तान एवं अन्य पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव और अमेरिका, रूस एवं अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ बदलते संबंधों के साथ भारत एक जटिल एवं गतिशील भू-राजनीतिक माहौल का सामना कर रहा है।
  • गतिहीन कृषि और विनिर्माण क्षेत्र: कृषि क्षेत्र की उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करना आवश्यक है, जो आधे से अधिक कार्यबल को रोज़गार प्रदान करती है लेकिन जीडीपी में महज 17% हिस्सेदारी रखती है। इसके साथ ही, गतिहीन विनिर्माण क्षेत्र के पुनरुद्धार की ज़रूरत है जिसने दशकों से 15% जीडीपी हिस्सेदारी बनाए रखी है, जबकि बढ़ती आबादी के लिये रोज़गार के अवसर भी सृजित करता रहा है।
  • निम्न श्रम बल भागीदारी: नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) वार्षिक रिपोर्ट 2022-2023 के अनुसार, श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) वर्ष 2022-2023 में 40.4% थी, जो वैश्विक औसत 61.4% से कम है। इसके अलावा, भारत की LFPR में पिछले कुछ वर्षों से गिरावट आ रही है, विशेष रूप से महिलाओं के संदर्भ में।
  • वृहत, तेज़ विनिवेश का लक्ष्य रखना: भारत में एक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र ऐसा है जो प्रायः अक्षमताओं, भ्रष्टाचार और घाटे से ग्रस्त रहता है। इनमें से कुछ उद्यमों का विनिवेश या निजीकरण कर भारत धन जुटा सकता है, उत्पादकता में सुधार कर सकता है और विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है।
  • मध्यम वर्ग को बढ़ावा देना: भारत का मध्यम वर्ग उपभोग और विकास का एक प्रमुख चालक है, लेकिन उस पर उच्च करों और कम बचत का भी बोझ है। कर दरों में कटौती कर या व्यक्तिगत आयकर को समाप्त कर और इसे उपभोग कर के साथ प्रतिस्थापित कर, भारत अपने मध्यम वर्ग की प्रयोज्य आय एवं व्यय करने की शक्ति को बढ़ा सकता है। यह कर प्रणाली को सरल बनाने और कर चोरी को कम करने में भी योगदान कर सकता है।
  • नई शिक्षा नीति और कौशल भारत मिशन जैसी पहलें इस दिशा में बढ़ाये गए सही कदम हैं।
  • भारत ने 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन की घोषणा की है, लेकिन उसे इसके निष्पादन और वित्तपोषण में तेज़ी लाने की ज़रूरत है।
  • विनिर्माण क्षेत्र में प्रगति का लाभ उठाना: भारत के पास वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने का एक बड़ा अवसर मौजूद है, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और रक्षा जैसे क्षेत्रों में। भारत ने अपने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और रोज़गार सृजित करने के लिये प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी कई पहलें शुरू की हैं।
  • भारत को अधिक घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये कारोबार सुगमता, श्रम कानूनों एवं कौशल विकास में और सुधार करने की आवश्यकता है।
  • निजी निवेश को बढ़ावा देना: भारत को अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने और घरेलू कंपनियों को अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। सरकार अवसंरचना परियोजनाओं और विनिर्माण के लिये सहायता की पेशकश कर निजी निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है।
  • संरचनात्मक सुधार लागू करना: भारत को उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये लक्षित सुधार करने की आवश्यकता है। मैकिन्से (McKinsey) ने वित्तीय क्षेत्र सुधार, शहरी नियोजन और ई-कॉमर्स सहित लक्षित सुधार के छह क्षेत्रों की पहचान की है जो उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
  • पूंजी संचय बढ़ाना: 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है। सरकार अवसंरचना परियोजनाओं के लिये पर्याप्त समर्थन देकर और विनिर्माण को प्रोत्साहित कर निवेश को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

अभ्यास प्रश्न: भारत अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है। इस विज़न से जुड़े प्रमुख उद्देश्यों एवं चुनौतियों की चर्चा कीजिये और उन नीतिगत उपायों का प्रस्ताव कीजिये जो भारत को अपनी आर्थिक आकांक्षाओं को प्राप्त करने में व्याप्त बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकें।

संभावित सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित करते हुए इसके निर्धारकों की व्याख्या कीजिये। वे कौन-से कारक हैं जो भारत को अपनी संभावित GDP को साकार करने से रोक रहे हैं? (2020)

21st century ka bharat essay in hindi

मेरे सपनों का भारत पर निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में | Mere Sapno ka Bharat Essay in Hindi

आज हम आपको “मेरे सपनों का भारत पर निबंध” देने वाले हैं। यह निबंध 100, 200, 300 और 500 शब्दों में लिखा गया है। इस निबंध का उपयोग आप अपने स्कूल, कॉलेज या किसी प्रतियोगी परीक्षा में कर सकते हैं। इस निबंध में हम अपने देश भारत को कहाँ देखना चाहते हैं और अपने सपने में भारत कैसे होगा इस बारे में लिखा गया है। आप अपनी कल्पनों के आधार पर भी इस निबंध को लिख सकते हैं।

मेरे सपनों का भारत पर निबंध 100 शब्द

मेरे सपनों का भारत एक समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित देश है। इस भारत में सभी नागरिक एक साथ मिलकर आपसी समझदारी, भाईचारा, और प्रेमपूर्वक रहते हैं। यहाँ शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी उन्नति और प्राकृतिक संरक्षण पर ध्यान दिया जाता है। मेरे सपनों का भारत एक आदर्श राष्ट्र है, जो अपने संस्कृति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां गरीबी और असमानता को समाप्त करने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह की योजनायें चलायी जाती हैं और जनता भी देश की प्रगति के लिए सरकार का पूरा सहयोग करती है। मेरे सपनों का भारत एक खुशहाल देश है और जहाँ हम सभी बहुत ही ख़ुशी से अपना जीवन जीते हैं।

मेरे सपनों का भारत पर निबंध 200 शब्दों में

मेरे सपनों का भारत एक ऐसा देश है जो विविधता, समृद्धि, सामाजिक समरसता और तकनीकी उन्नति से भरा हुआ है। भारत में अलग-अलग धर्म, भाषा और संस्कृति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और एकता के भाव को प्रकट करते हैं।

मेरे सपनों के भारत में शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है। शिक्षित और जागरूक नागरिक बनाने के लिए सरकार शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रोग्राम और योजनाएं लागू कर रही है। सपनों के भारत में विज्ञान और तकनीकी उन्नति पर विशेष ध्यान दिया जाता है और भारत तकनीक के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है।

सपनों के भारत में प्राकृतिक संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। भारत के लोग वन्यजीवों की सुरक्षा, पर्यावरण की शुद्धता, और जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। सपनों के भारत में सभी नागरिक एक साथ समानता के साथ मिलजुल कर रहते हैं। यहां के लोग विज्ञान, तकनीक, कला, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ एक समृद्ध और समरस समाज बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। मेरे सपनों के भारत एक आदर्श राष्ट्र है जो की शिक्षा, संस्कृति और तकनीक के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त है, और यह दुनिया में एक शक्तिशाली और समर्थ राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित है।

मेरे सपनों का भारत पर निबंध 300 शब्द

मेरे सपनो का भारत एक विश्वगुरु है जो की शिक्षा, संस्कृति, समृद्धि और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी है। पूरे विश्व में भारत की अपनी एक अलग पहचान है जहाँ सभी लोग मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं और यह अन्य देशों के लिए एक आदर्श राष्ट्र है। मेरे सपनों के भारत में बेरोजगारी कम है सभी परिवारों के पास रोजगार के साधन हैं।

यहाँ स्वरोजगार पर अधिक बल दिया जाता है और युवाओं को अलग-अलग प्रकार के व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए भी सरकार की तरफ से आर्थिक मदद की जाती है। इसके लिए सरकार की ओर से विभिन्न योजनायें भी चलाई जा रही हैं जिसका लाभ युवाओं को मिल रहा है।

यहाँ सरकार की विभिन्न योजनाओं से किसानो को भी लाभ मिल रहा है। किसानो को बेहतर खेती के लिए मौसम और स्थान के अनुकूल सही फसल उगाने का प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे किसानो की आय बढ़ रही है और किसान खुशहाल हैं।

मेरे सपनों का भारत एक विकसित देश है और इसने विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी उन्नति की है और यह लगातार आगे बढ़ रही है। डिजिटल शिक्षा, ई-गवर्नेंस, डिजिटल वित्त, ई-व्यापार, आदि के क्षेत्र में तकनीकी उन्नति से लोगों का जीवन सरल हो गया है। भारत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान देता है। बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी, शहरों और गांवों में डिजिटल सेवाएं, और सरकारी प्रक्रियाओं में ऑनलाइन सुविधाएं इसमें शामिल हो सकती हैं।

भारत विज्ञान और अनुसंधान क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है, और तकनीक के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। मेरे सपनो का भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत आधुनिकीकरण के साथ-साथ हरित और पर्यावरण-सहयोगी तकनीकी के प्रति भी संवेदनशील है। सपने के भारत में ऊर्जा संचयन, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नए और सुरक्षित तकनीकों का उपयोग कर रहा है।

मेरे सपनों का भारत पर निबंध 500 शब्द

प्रस्तावना:

मानव जीवन का सफर सपनों से शुरू होता है। हम सभी के पास विभिन्न आकांक्षाएं और सपने होते हैं, जिनमें हम अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं की कल्पना करते हैं। इन सपनों में हमारे आसपास की दुनिया को बेहतर बनाने की भी इच्छाएं होती हैं। मेरे सपनों का भारत भी एक ऐसी कल्पना है, जिसमें मैं देश को नए और उच्चतम स्तर पर पहुँचते हुए देखता हूँ। यह भारत एक समृद्ध, सामाजिक और आर्थिक उन्नति से युक्त देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर रहा है।

यहाँ के लोग शिक्षा, साहित्य, विज्ञान, और सांस्कृतिक धरोहर के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं। यहाँ समाज में सामाजिक समानता, पर्यावरण संरक्षण, और सहानुभूति की भावना महत्वपूर्ण होती है। मेरे सपनों का भारत सभी को समृद्धि, सुरक्षा, और समानता के साथ जीने की प्रेरणा देता है।

मेरे सपनों के भारत में विकास:

सपनो का भारत सभी क्षेत्रों में विकास के लिए प्रतिबद्ध है यह लगातार प्रगति के रास्ते पर चलता है। ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ भारत आगे बढ़ रहा है और लगातार तरक्की कर रहा है उनमे से कुछ क्षेत्र इस प्रकार हैं:

  • विकास और समृद्धि: मेरे सपनों का भारत विकास और समृद्धि की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। यहाँ लोगों का जीवन स्तर उच्च होगा, और विभिन्न क्षेत्रों में लगातार प्रगति होगी।
  • शिक्षा और ज्ञान: मेरे सपनों के भारत में शिक्षा और ज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान होगा। शिक्षा प्रणाली में सुधार और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाये जाते हैं।
  • सामाजिक समानता: भारत का समाज एक समरस और सामाजिक समानता का आदर्श प्रतीक हो सकता है। यहाँ लोगों के बीच जाति, धर्म, लिंग और सामाजिक असमानताओं के आधार पर भेदभाव नही होगा।
  • पर्यावरण सुरक्षा: सपनों का भारत पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के महत्व को समझता होगा। यहाँ लोगों के बीच पर्यावरण बचाव के लिए संवेदनशीलता और जागरूकता होगी।
  • सांस्कृतिक धरोहर: भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करेगा और उसे प्रोत्साहित करेगा। यहाँ की भूमि पर भिन्न-भिन्न संस्कृतियों और जातियों के लोग एक-दूसरे के साथ समझदारी और सहमति से रहेंगे।
  • सहानुभूति और योगदान: भारत के लोग सहानुभूति और सामाजिक योगदान के महत्व समझेंगे। यहाँ लोग अपने समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी की भावना रखेंगे और सामाजिक सुधार के लिए सहयोग करेंगे।

सपनों का भारत एक सकारात्मक, समृद्ध और सशक्त देश की ओर प्रगति करने की दिशा में अग्रसर होगा। यह देश न केवल आपके व्यक्तिगत सपनों को पूरा करेगा बल्कि पूरे समाज की सामाजिक और आर्थिक उन्नति के प्रति प्रेरित करेगा।

सपनों का भारत एक समृद्ध और संपन्न देश है। हम अपने देश को और अधिक बेहतर बनाने के सपने देखते हैं। यहाँ के लोगों की मेहनत, संघर्ष और समर्पण से भारत अपने सपनों को हासिल करता है और दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण जगह बनाता है। यह देश न केवल अपने लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक आदर्श स्थापित करता है।

  • मेरा भारत महान निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध
  • भारत के प्रमुख त्यौहार

आशा है की आपको “मेरे सपनों का भारत पर निबंध” पसंद आया होगा। आप अपने विचार और सुझाव निचे कमेंट कर सकते हैं।

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मेरा भारत महान पर निबंध – Mera Bharat Mahaan Essay in Hindi

Mera Bharat Mahaan Essay in Hindi

Mera Bharat Mahaan Essay in Hindi : मेरा भारत एक महान देश है क्योंकि इस देश में प्राचीन संस्कृति, समृद्ध इतिहास और अनेक विविधताएं हैं। भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है, और इसमें अनेक विविधताएं देखने को मिलती है। भारत में विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं।

भारत का इतिहास भी दुनिया के सबसे पुराने इतिहासों में से एक है, जिसमें कई सभ्यताओं का उदय हुआ है, जैसे- सिंधु घाटी सभ्यता, मौर्य साम्राज्य, और गुप्त साम्राज्य। इसके अलावा भारत की प्राकृतिक सोदर्यता भी विश्व प्रसिद्ध हैं, जिसमें हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां, हरे-भरे जंगल, और सुंदर समुद्री तट आदि।

भारत में और भी बहुत सारी खुबीयां हैं जिसकी वजह से भारत एक महान देश है। स्कूलों में अक्सर निबंध प्रतियोगिता और परीक्षा में Mera Bharat Mahan Par Nibandh लिखने के लिए कहा जाता है। आप इस आर्टिकल की मदद से एक अच्छा Mera Bharat Mahaan Essay in Hindi में लिख सकते है। इसके अलावा मेरा भारत महान पर निबंध इन हिंदी Class 6 , 7 , 8 , 10 के लिए भी यह आर्टिकल पढ़ सकते है।

मेरा भारत महान पर निबंध 300 Words – Mera Bharat Mahan Par Nibandh

प्रस्तावना.

मैं एक भारतीय नागरीक हूँ और मुझे अपने देश पर बहुत गर्व है। मेरा भारत एक महान देश है क्योंकि इस देश में अद्भुत संस्कृति, इतिहास, और विविधता देखने को मिलती हैं। भारत एक विशाल देश है जिसमें अनेक प्रकार की प्राकृतिक सुंदरता, संस्कृति और परंपराएं देखने को मिलती हैं। भारत की संस्कृति काफी समृ्द्ध है, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, और जैन जैसे कई धर्मों का समावेश हैं।

भारत की संस्कृति

भारत की संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। हमारी संस्कृति में कई अलग-अलग तरह के धर्म हैं, जैसे- हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैन, बैद्ध, और पारसी। प्रत्येक धर्म की अपनी अनूठी मान्यताएं और प्रथाएं भारतीय संस्कृति को और भी ज्यादा रौचक बनाती है।

भारत में 22 अलग-अलग तरह की आधिकारिक भाषाएँ हैं, जैसे- हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, बंगाली, मराठी, गुजराती, पंजाबी और असमिया आदि। इसके अलावा भारत में कई अलग-अलग प्रकार की कला और संगीत शैलियां मिलती हैं, जैसे- चित्रकला, नृत्य, संगीत और वास्तुकला।

भारतीय संस्कृति और भी काफी ज्यादा विस्तृत हैं।

भारत का इतिहास

भारत का इतिहास भी दुनिया के सबसे पुराने इतिहासों में से एक है। हमारा इतिहास विविध और जटिल प्रकार का है जिसमें कई अलग – अलग सभ्यताएं और साम्राज्य शामिल हैं, जैसे- सिंधु घाटी सभ्यता, मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य, मुगल साम्राज्य। इसके अलावा भारत के इतिहास में ब्रिटिश राज और स्वतंत्रता जैसी महत्वपूर्ण घटनाए भी शामिल है।

उपसंहार

Mera Bharat Mahaan है और मुझे अपने देश पर बहुत गर्व है। भारत अपनी संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पूरी दुनिया में एक अनुठा देश है। इस देश का हर एक नागरीक एक सच्चा देशभक्त है। हमारा भारत महान था, महान है और हमेशा रहेगा, लेकिन इसके लिए हम सभी को अपने देश की संस्कृति को जिंदा रखना होगा और अपने देश प्रेम को बढ़ाना होगा।

मेरा भारत महान निबंध 500 Words – Mera Bharat Mahaan Essay in Hindi

भारत पूरे विश्व में एक अद्भुत और अद्वितीय देश है, क्योंकि यहां भारतीय संस्कृति, परंपराएं, और नैतिक मूल्यों का आदान-प्रदान होता है। हमारा देश खेती खलिहान से भरा एक सुंदर देश है, और इस देश में अपार संसाधन हैं। इस देश में अनेक धर्म और भाषा के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते है।

मेरे देश की महान भूमि पर कई महापुरुषों ने जन्म लिया है, जिन्होने इस देश को महान बनाने में योगदान दिया है, जैसे- विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, अशफाख उल्लाह खान, भगत सिंह, रानी लक्ष्मीभाई, सुभाष चंद्र बोस आदि। इसलिए हमारा देश एक महान देश है।

भारत में विविधता

भारत एक विविधता से भरा देश है क्योंकि इसमें अनेक धर्मों, भाषाओं संस्कृतियों और परंपराओं को एक साथ देखा जा सकता है। भारत अपनी विविधता की वजह से भी एक महान देश है।

भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह के धर्म, जाति, संस्कृति, भाषा, खान-पान, रहन-सहन, भोजन, कला और संगीत, पर्व और त्यौहार आदि देखने को मिलते हैं। भारत में अनेक भौगोलिक विविधाएं भी देखने को मिलती हैं।

भारत का तिरंगा भी तीन अलग-अलग रंगों से मिलकर बना हैं, जिसमें ऊपरी केसरी पट्टी शक्ति का प्रतीक है, बीच में सफेद पट्टी ईमानदारी और शांति का प्रतीक है, और अंत में हरी पट्टी हरियाली व संस्कृति का प्रतीक है। इसके अलावा इसके अलावा झंडे के बीच एक अशोक चक्र भी है।

भारत का भौगोलिक दृश्य

भारत एक विशाल देश है जिसमें भौगोलिक विविधताएं भी देखने को मिलती है। भारत का उत्तरी भाग हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों से घिरा है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं। भारत के पश्चिमी भाग में एक बड़ा रेगिस्तान है, जहां मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं।

भारत के दक्षिणी भाग में एक बड़ा दक्कन पठार है, जो 1.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण कृषि क्षैत्र हैं, और इसमें कई प्राचीन खंडहर भी है। भारत का पूर्व हिस्सा खेत-खलिहान से भरा हुआ है। इसके अलावा भारत में गंगा और यमुना जैसी महान नदिया भी हैं।

भारत एक लौकतांत्रिक देश

भारत एक लौकतांत्रिक देश है जहां लोगों का शासन चलता है। भारत का संविधा 1950 में लागू हुआ था, जिसके बाद भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, गणतंत्रात्मक और लोकतांत्रिक देश घोषित किया गया। भारत में प्रत्येक पांच सालों में जनता द्वारा एक नयी सरकार बनायी जाती है।

भारत की सरकार तीन शाखाओं में विभाजित हैं- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। भारत में, लोगों कई मौलिक अधिकार भी दिए गए हैं, जिनमें स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता और समानता का अधिकार शामिल है।

हमारा देश काफी अद्भुत है जिसका इतिहास और संस्कृति हमें काफी गौरव और गर्व की अनुभूति देता है। हमारे देश में अनेक महान लोगों ने जन्म लिया है, जिन्होने इस देश को महान बनाने में काफी योगदान दिया है। इसिलिए आज भारत पूरी दुनिया में एक प्रसिद्ध देश है। Mera Bharat Mahan Par Nibandh जितना लिखा जाए, उतना कम है।

मेरा भारत महान निबंध 1000 Words – Mera Bharat Mahan Hindi Nibandh

‘ मेरा भारत महान ‘ यह एक प्रसिद्ध नारा है जो भारत की विविधता, संस्कृति और समृद्ध इतिहास को दर्शाता है। यह नारा भारत के लोगों में देशभक्ति की भावना को काफी बढ़ावा देता है। भारत एक विशाल देश है जहां सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ भौगोलिक विविधताएं भी देखने को मिलती हैं, जैसे- बर्फीले पहाड़, हरियाली, जंगल, मरुस्थल, नदियां, गुफाएं आदि।

भारत का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। इस इतिहास में सिंधु घाटी सभ्यता, मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य जैसे हजारों साल पुराने इतिहास शामिल है। इसके अलावा भारत देश ने पूरी दुनिया को कई महान वैज्ञानिक, गणितज्ञ, दार्शनिक और लेखक दिए हैं। इसलिए भारत एक महान देश है, जिसने दुनिया को कई महान उपलब्धियां दी हैं।

भारत की संस्कृति बहुत ही पुरानी है, जिसका संबंध हमें सबसे पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता से देखने को मिलता है। हमारी संस्कृति सिंधु घाटी ( Indus Valley Civilization ) से शुरू होकर भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। हमारे देश की संस्कृति विविध संस्कृतियों से मिलकर बनी हैं। भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म और परथाएं हैं। हमारे देश में कई तरह की जीवनशैलीयां देखने को मिलती हैं।

संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है, क्योंकि संस्कृति हमें जीवन जीना सिखाती है। हमारी संस्कृति का प्रधान गुण भौतिक और आध्यात्मिक तत्वों को एक साथ लेकर चलना है। भारत में अलग-अलग संस्कृति होने के बावजुद सभी लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं।

भारत की संस्कृति कई अनूठी संस्कृतियों का संग्रह है, जिमें भारत के पहनावे, त्यौहार, भाषाएं, धर्म, वास्तुकला, नृत्य, संगीत, भोजन और कला शामिल हैं। हमारे देश की संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता है।

भारत के इतिहास (History) को कई सहस्र वर्ष पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि 65,000 साल पहले, पहला आधुनिक मनुष्य या होमो सेपियन्स अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचे थे। दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात आधुनिक मानव आज से 30,000 साल पहले दक्षिण एशिया में रहता था।

इसके बाद धीरे-धीरे सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई। ऐसा माना जाता है कि लगभग 3300 ईसापूर्व संन्धु घाटी सभ्यता का विकास हुआ था। इसके बाद बौद्ध धर्म, मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य भी सामने आए। प्राचीन भारत के बाद मध्यकालीन भारत की शुरूआत हुई। इस शुरूआत में गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ था और दिल्ली सल्तनत प्रारंभ हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप भारतवर्ष कई छोटे राज्य में बट गया। इसके बाद मुस्लिमों का आक्रमण तेजी से होने लगा।

इसके बाद मुगल वंश आया जिसने दिल्ली सल्तनत का अंत कर दिया। और फिर 1857 की क्रांति के साथ ही मुग़ल वंश का भी पतन हो गया और ब्रिटिश शासन के साथ आधुनिक भारत की शुरूआत हुई।

इसके बाद कई स्वतंत्रता सैनानियों ने संघर्ष करके भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी दिलाई। और इस तरह भारत का एक अद्भुद इतिहास बना।

भारत की प्राकृतिक सुंदरता

भारत की खुबसूरती का जितना ज्यादा वर्णन किया जाए, उतना कम है। भारत प्राकृतिक सुंदरताओं से पूर्ण है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां 70% किसान रहते हैं। भारत में अन्न की पैदावार सिंधु घाटी सभ्यता से ही की जा रही है।

भारत में प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने के लिए कई नदियां हैं, जैसे- गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र आदि। इसके अलावा भारती में कई झरने और बर्फीली जगह भी है जो भारत की सुंदरता में चार-चांद लगा देती हैं। भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कई आकर्षक दृश्य है।

भारत के वन प्रदेश में चारों ओर पेड़-पौधे दिखाई देते हैं जो भारत की खुबसुरती को कई गुना बढ़ा देते है। भारत देश में कुछ गुफाएं भी है, जो देखने योग्य है। इसके अलावा भारत के पश्चिमी भाग में मरुस्थल भी है।

भारत एक लोकतांत्रिक देश

भारत देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था। इस संविधान के तहत भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाया गया, जिसका मतलब है, लोगों का शासन। 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 21 तोपों की सलामी दी गयी, और भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया।

संविधान में भारत सरकार तीन शाखाओं में विभाजित हैं, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। अगर भारत के संविधान की बात करें तो भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित और लचीला संविधान है, जिसे 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन में तैयार किया गया था।

भारतीय संविधान नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है। भारत में लोकतांत्रिक शासन होने के बावजुद कुछ चुनौतियां हैं, जैसे राजनीतिक भ्रष्टाचार, धार्मिक असहिष्णुता और सामाजिक असमानता। हालांकि भारत लगातार विकसित हो रहा है और इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए लगातार कदम भी उठा रहा है।

भारत के स्वतंत्रता सेनानी

भारत को महान देश बनाने में कुछ स्वतंत्रता सेनानीयों का भी अहम योगदान है, जैसे- महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखऱ आजाद, भगत सिंह, मंगल पांडे, जवाहरलाल नेहरू आदि। इन लोगों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफी आजादी लड़ाई लड़ी थी। इसके अलावा रानी लक्ष्मीबाई, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक जैसे और भी कई स्वतंत्रता सेनानी थे।

भारत की स्वतंत्रता में महात्मा गांधी का काफी योगदान था, जिन्होने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन का नेतृत्व किया था।

मेरा भारत एक महान देश है क्योंकि इस देश ने हमें काफी कुछ दिया है। भारत का इतिहास और संस्कृति पूरी दुनिया में काफी अद्भुद है। हमारे देश में अनेक संतों, दार्शनिकों और वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है, जिन्होने पूरी दुनिया को कुछ न कुछ अनमोल चीज़ दिया है।

भारत में अनेक तरह के धर्म और जाति होने के बावजुद सभी लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं। और इसी वजह से भारत पूरी दुनिया में एक महान देश है। इसके अलावा आज आधुनिका भारत काफी तेजी से प्रगति हासिल कर रहा है। आज भारत में सभी सुविधाएं मौजुद हैं। इसलिए मेरा भारत महान है और हमेशा रहेगा।

Mera Bharat Mahan 10 lines in Hindi

  • भारत एक विशाल देश है, जिसकी 142 करोड़ जनसंख्या हैं।
  • भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां लोगों का शासन चलता है यानी सरकार एक संसदीय प्रणाली है।
  • भारत की संस्कृति पूरी दुनिया के सबसे पुरानी संस्कृति में से एक है।
  • इसके अलावा भारत का इतिहास भी कई हजारों साल पुराना है।
  • भारत एक समृद्ध देश है जिसमें विभिन्न प्राकृति संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजुद है।
  • भारत को वीरों की भूमि भी कहा जाता है, जहां अनेक वीरों ने जन्म लिया हैं, जैसे- महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, मंगल पांडे आदि।
  • भारत एक उच्च विविधता वाला देश है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के लोग रहते हैं।
  • अभी भारत एक विकासशील देश है जो तेजी से आगे बढ़ रहा है।
  • भारत पूरी दुनिया में एक लोकप्रिय देश भी है, जहां दुनियाभर के लोग पर्यटन स्थल देखने के लिए आते हैं।
  • मेरा भारत महान है, जिस पर मुझे बहुत गर्व है।

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निष्कर्ष

मुझे पूरी उम्मीद है कि इस आर्टिकल की मदद से आप एक अच्छा Mera Bharat Mahan Par Nibandh लिख सकते है। मैने इस आर्टिकल में मेरा भारत महान पर निबंध 300 , 500 और 1000 शब्दों में लिखा है। अगर आप Class 6 , 7 , 8 , 10 में पढ़ते है तो आप आसानी से इस आर्टिकल की मदद से मेरा भारत महान पर निबंध इन हिंदी में लिख सकते है।

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भारत का संविधान पर निबंध (Constitution of India Essay in Hindi)

भारत का सर्वोच्च विधान संविधान है। यह हमारे कानून का संग्रहण है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में ‘कानून की किताब’ भी कहते हैं। हमारा संविधान दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। हमारे देश में लोकतंत्रात्मक गणराज स्थापित है। इसकी सम्प्रभुता, और धर्म-निरपेक्षता इसे दूसरों से अलग करती है। अक्सर शैक्षणिक संस्थानों में निबंध प्रतियोगिताएं होती रहती है। खासकर राष्ट्रीय त्यौहारों के मौके पर। इसी बात को ध्यान में रखकर हम भारतीय संविधान पर कुछ छोटे-बड़े निबंध दे रहे हैं। इन्हें काफी आसान शब्दों में लिखा गया है।

भारत का संविधान पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Constitution of India in Hindi, Bharat ka Samvidhan par Nibandh Hindi mein)

भारत का संविधान पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

जब-जब देश की गणतंत्रता की बात होगी, तब-तब देश के संविधान का नाम आना स्वाभाविक है। हमारा संविधान अनूठा संविधान है। संविधान को बनाने के लिए संविधान-सभा बनाई गई थी, जिसका गठन स्वतंत्रता पूर्व ही दिसम्बर, 1946 को हो गया था। संविधान को निर्मित करने के लिए संविधान-सभा में अलग-अलग समितियां बनाई गयी थी। इसका मसौदा बनाने का जिम्मा प्रारूप-समिति को दिया गया था, जिसके अध्यक्ष डाँ. भीमराव अम्बेडकर थे।

क्या है भारतीय संविधान

देश का कानून ही देश का संविधान कहलाता है। इसे धर्म-शास्त्र, विधि-शास्त्र आदि नामों से भी जाना जाता है। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत कर लिया गया था, और सम्पूर्ण भारत में इसके एक महीने बाद, 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया। इसे पूर्णतः बनने में 2 साल, 11 महीनें और 18 दिनों का वक़्त लगा। इसके लिए 114 दिनों तक बहस चली। कुल 12 अधिवेशन किए गये। लास्ट डे 284 लोगों ने इस पर साइन किए।

भारतीय संविधान के निर्माता

संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों में ‘पंडित जवाहर लाल नेहरू’, ‘डा. भीमराव अम्बेडकर’, ‘डा. राजेन्द्र प्रसाद’, ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’, ‘मौलाना अब्दुल कलाम आजाद’ आदि थे।

भारतीय संविधान की अनुच्छेद और सूचियाँ

भारत के संविधान में शुरूआत में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी, जो अब बढ़कर 448 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हो गयी हैं।

हमारे भारत का संविधान दुनिया का सबसे अच्छा संविधान माना जाता है। इसे दुनिया भर के संविधानों का अध्ययन करने के बाद बनाया गया है। उन सभी देशों की अच्छी-अच्छी बातों को आत्मसात किया गया है। संविधान की नज़र में सब एक समान है। सबके अधिकार और कर्तव्य एक समान है। इसकी दृष्टि में कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा, न ही अमीर, न ही गरीब। सबके लिए एक जैसे पुरस्कार और दंड का विधान है।

Bharat ka Samvidhan par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

संविधान बनने से पहले देश में भारत सरकार अधिनियम, 1935 का कानून चलता था। हमारे संविधान ने बनने के बाद भारत सरकार एक्ट का ही स्थान लिया। हमारा संविधान विश्व का वृहदतम संविधान है। यह सबसे लंबा लिखा भी गया है। इसके 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 08 अनुसूचियां, इसके विशाल स्वरूप की व्याख्या करतीं है।

इसके निर्माण के बाद, समय की प्रासंगिकता को देखते हुए इसमें अनेकों संशोधन हुए। वर्तमान में हमारे संविधान में 498 आर्टिकल्स, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हो गयीं है। चूंकि यह परिवर्तन बदस्तूर जारी है और आगे भी होगा, इसीलिए सदैव मूल संविधान का डाटा ही याद रखना चाहिए।

भारतीय संविधान निर्माता एवम् निर्माण

भारतीय संविधान का जो स्वरुप हमें दिखाई देता है, वो केवल एक व्यक्ति का नहीं, वरन् कई लोगों के अथक प्रयास का नतीजा है। बेशक बाबासाहब डाँ. भीमराव अम्बेडकर को संविधान का निर्माता और जनक कहा जाता है। लेकिन उनके अलावा भी बहुत लोगों ने उल्लेखनीय काम किये हैं। इस संबंध में यह कह सकते है कि, इन लोगों के बिना संविधान कार्य का उल्लेख अधूरा है।

राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण पिंगली वैंकेया ने किया था ।

थॉमस हेयर ने आधुनिक निर्वाचन प्रणाली का निर्माण किया था ।

भारतीय संविधान के सजावट का कार्य शांति-निकेतन के कलाकारों ने किया था, जिसका निर्देशन नंद लाल बोस ने किया था।

भारतीय संविधान की संकल्पना श्री एम.एन राव ने 1934 में ही कर दी थी। इसी कारण उन्हें साम्यवादी विचारधारा का पहला अन्वेषक कहा जाता है। इतना ही नहीं, उन्हें कट्टरवादी लोकतंत्र के पायनियर की संज्ञा भी दी जाती है। इनकी संस्तुति को ऑफिशियली सन् 1935 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। तत्पश्चात् श्री सी. राजगोपालाचारी ने सन् 1939 में इसके समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की थी। और अन्ततः सन् 1940 में इसे ब्रिटिश सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की गयी।

भारतीय संविधान की रचना भी कोई एक दिन की कहानी नहीं है। बल्कि कई वर्षों के अथक प्रयासों का सम्मिलित रूप है। आज की पीढ़ी को सब-कुछ थाली में सजा-परोसा मिलता है न, इसीलिए उसे इसकी कीमत नहीं है। हमारे देश ने करीब साढ़े तीन सौ सालों तक केवल ब्रिटिश हुकुमत की गुलामी झेली है। यह समय कितना असहनीय और पीड़ादायी रहा है, यह हमारे लिए कल्पना के भी परे है।

हम सभी बेहद भाग्यशाली है, जो हमने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया। हम कुछ भी कर सकते है, कहीं भी आ-जा सकते है। कुछ भी बोल सकते हैं। ज़रा सोचिए, कितना हृदय-विदारक होता होगा, जब आपको बात-बात पर यातनाएं दी जाती हो। मैं तो सोच भी नहीं सकती, मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

Constitution of India par nibandh – निबंध 3 (600 शब्द)

यूं तो हम सभी प्रायः अनेकों विषयों पर विचार-विमर्श और मंत्रणाएं करते है, किन्तु जब बात देश और देशभक्ति की हो, तब उत्साह ही अलग होता है। यह केवल मेरी ही नहीं, अपितु हम सबकी भावनाओं से जुड़ा है।

देशभक्ति का जज्बा एक अलग ही जज्बा होता है। हमारी नसों में रक्त दुगुनी गति से प्रवाहित होने लगता है। देश के अमर सपुतों के बारे में जानने के बाद, हमारे अंदर भी देश पर मर मिटने का जुनून पैदा होने लगता है।

भारतीय संविधान का इतिहास

भारतीय संविधान को 26 नवंबर सन् 1949 में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इसे 26 जनवरी सन् 1950 में लागू किया गया था। भारतीय संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।

भारतीय संविधान के निर्माण के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 08 अनुसूचियां तथा 22 भागों में विभाजित किया गया था, जबकि इस समय भारतीय संविधान 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भागों में विभाजित है। संविधान सभा के प्रमुख सदस्य अब्दुल कलाम, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जो भारत के सभी राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।

भारतीय संविधान को हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में हाथ से ही लिखा गया है। भारतीय संविधान को बनाने में लगभग एक करोड़ का खर्च लगा था। भारतीय संविधान में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को 11 दिसंबर सन् 1946 में स्थाई अध्यक्ष चुना गया था। भारतीय संविधान लागू होने के बाद भी इसमें 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।

भारतवर्ष में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान में सरकार के अधिकारियों के कर्तव्य और नागरिकों के अधिकारों के बारे में भी बताया गया है। संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 थी, जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के 4 चीफ कमिश्नर एवं 93 देसी रियासतों के थे।

भारत अंग्रेजों से आजाद होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही, संसद के प्रथम सदस्य बने थे और भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान को बनाने के लिए ही किया गया था। संविधान के कुछ अनुच्छेदों को 26 नवंबर सन् 1949 को पारित किया गया था जबकि बचे अनुच्छेदों को 26 जनवरी सन् 1950 को लागू किया गया था।

केंद्रीय कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है। भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन 19 जुलाई 1946 में किया गया था। भारत की संविधान सभा में हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे।

मौलिक अधिकार

भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किए है, जिनका वर्णन अनुच्छेद 12 से 35 को मध्य किया गया है –

1) समानता का अधिकार

2) स्वतंत्रता का अधिकार

3) शोषण के विरूध्द अधिकार

4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

5) संस्कृति और शिक्षा से सम्बंधी अधिकार

6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार

पहले हमारे संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, जिसे ‘44वें संविधान संशोधन, 1978’ के तहत हटाया गया। ‘सम्पत्ति का अधिकार’ सातवाँ मौलिक अधिकार था।

हमारे संविधान में बहुत सारी खूबियां है। कुछ खामियां भी, जिसे समय-समय पर दूर किया जाता रहा है। अपनी कमी को मानना और उसे दूर करना बहुत अच्छा गुण होता है। हमारा संविधान न ही बहुत लचीला है, न ही बहुत सख्त। हमारा देश बेहद उदार देशों की श्रेणी में आता है। माना उदारता बड़ा गुण होता है। लेकिन कुछ देश हमारी उदारता का नाजायज फायदा उठाते हैं। जो कि हमारे देश के हित में नहीं। अधिक उदार होने से लोग आपको कमज़ोर समझने लगते हैं।

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Mere sapno ka bharat essay in hindi मेरे सपनों का भारत पर निबंध.

Today we are going to explain how to write Mere Sapno Ka Bharat essay in Hindi. Now you can take useful examples to write Mere Sapno Ka Bharat essay in Hindi in 50, 100, 150, 200, 300, 500 and 1000 words essay in your own words. Recently we found questions like my dream India essay in Hindi. is one of the same thing or in Hindi it is called Mere Sapno Ka Bharat essay par nibandh is asked many classes starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. मेरे सपनों का भारत पर निबंध।

Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi

hindiinhindi Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi

मेरे सपनों का भारत पर निबंध  Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi 300 Words

भारत एक महान देश है जहां विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग शांति से एक साथ रहते हैं, हालांकि कुछ चंद लोग अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए अपने ही देश के लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं, जिससे देश की शांति बिगड़ती है। मेरे सपनों के भारत में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए और सभी जातीय समूह के लोग एक दूसरे के साथ सही तालमेल बनाकर रखें। में कल्पना करता हु कि भारत का आर्थिक और सामाजिक जीवन सभी प्रकार के भ्रष्टाचार से मुक्त होगा और सुख समृद्धि से परिपूर्ण होगा।

मैं भारत को ऐसा देश होने का सपना देखता हूं जहां हर कोई पढ़ा लिखा शिक्षित हो जिससे देश और उंचाइयों को छू सके। हमारे देश के नागरिकों को शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए और देश विरोधी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। अच्छी शिक्षा से ही उन्हें खुद आभास होना चाहिए कि उनके देश के लिए क्या सही है और क्या गलत। शिक्षा से ही हमारे देश के युवा अपने अपने क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन कर सकते है। हमारे नागरिको को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए की छोटी उम्र में ही बच्चों को नौकरी ना करवा कर, बच्चों को शिक्षा और उनका अधिकार मिले, ताकि वह बड़े होकर अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकें। इसी तरह सरकार भी युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करें ताकि हमारे देश का युवा राष्ट्र के विकास के लिए अपना योगदान दे सके। बेरोजगारी से मुक्त होकर मेरा देश 21 वी सदी में विश्व के महान देशो की सूचि में शामिल होगा।

भारत में एक महान् राष्ट्र बनने की पूरी क्षमता है, अंत में चाहता हूं कि भारत विश्व शक्ति के रुप में उभर कर आगे आए जिसके लिए हम सभी को मिलकर अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा, जिसके बाद भारत में सुख-चैन, हरियाली, भाईचारा, तथा प्रगति के सिवाय और कुछ नहीं दिखेगा।

गाँधीजी के सपनों का भारत Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi 500 Words

भारतीय जनमानस में ”बापू” के नाम से लोकप्रिय महात्मा गाँधी भारत के ही नहीं अपितु समस्त विश्व के लिए पूज्य शक्ति हैं। किन्तु क्या कभी हमने इस बात पर विचार किया है कि गाँधीजी ने इतनी भव्य और विराट शक्ति आखिर कहां से और कैसे संगठित की, जिसने उन्हें विश्व के अति विशिष्ट और प्रभावशाली व्यक्तित्वों में शामिल कर दिया? वस्तुत: इस शक्ति के पीछे उनका अपने देश भारत और समस्त मानवता के प्रति उनके हृदय में विद्यमान असीम प्रेम था। उन्होंने एक स्थान पर लिखा है:

” भारत की हर चीज़ मुझे आकर्षित करती है। ऊँची आकांक्षा रखने वाले किसी व्यक्ति को अपने विकास के लिए जो कुछ चाहिए, वह सब उसे भारत में मिल सकता है। भारत अपने मूल स्वरूप में कर्मभूमि है, भोगभूमि नहीं।”

महात्मा गाँधी ने सिर्फ भारत की स्वाधीनता और उसकी स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं लड़ी, अपितु उन्होंने भारत के स्वरूप और उसके अर्थ पर भी विचार किया था। उन्होंने भारत के चिरायु बने रहने की ओर संकेत करते हुए एक स्थान पर लिखा है:

“भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से है, जिन्होंने अपनी अधिकांश पुरानी संस्थाओं को भले ही उन पर अन्धविश्वास और मूल-भ्रांतियों की काई चढ़ गयी है, कायम रखा है। साथ ही वह अभी तक अन्ध विश्वास और मूल-भ्रांतियों की काई को दूर करने और अपना शुद्ध रूप प्रकट करने की सहज क्षमता भी प्रदर्शित करता है। उसकी लाखों-करोड़ों जनता के सामने जो आर्थिक कठिनाइयां खड़ी हैं उन्हें सुलझा सकने की उसकी योग्यता में मेरा विश्वास इतना उज्जवल कभी नहीं रहा, जितना आज है।”

वस्तुतः अपने देश के प्रति अगाध प्रेम ही गाँधीजी की के जीवन मूल क्रियात्मक शक्ति था। वैसे आधुनिक युग के कतिपय पाश्चात्य विद्वानों ने भारत के संदर्भ में कुछ मिथ्या प्रचार करने के प्रयास किए हैं, जैसे कि भारतीय समाज एक अस्थिर और अशिक्षित समाज और देश है। किन्तु गाँधीजी ने न केवल इसका प्रबल प्रत्याख्यान किया अपितु उन्होंने पाश्चात्य सभ्यता की अनेक विसंगतियों को भी उघाड़कर विश्व के सामने रख दिया। उन्होंने लिखा है:

“मेरा मानना है कि भारत का ध्येय दूसरे देशों के ध्येय से कुछ अलग है। भारत में ऐसी योग्यता है कि वह धर्म के क्षेत्र में दुनिया में अपनी विजय पताका फहरा सकता है। भारत ने आत्म-शुद्धि के लिए स्वेच्छापूर्वक जैसा प्रयत्न किया है, उसका दुनिया में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। भारत को फौलाद के हथियारों की उतनी आवश्यकता नहीं है, वह दैवी हथियारों से लड़ा है और आज भी वह उन्हीं हथियारों से लड़ सकता है। दूसरे देश पशुबल के पुजारी हैं। यूरोप में अभी जो भयंकर युद्ध चल रहा है, वह इस सत्य का एक प्रभावशाली उदाहरण है। भारत अपने आत्मबल से सबको जीत सकता है। इतिहास इस सच्चाई के एक नहीं प्रमाण दे सकता है कि पशुबल आत्मबल की तुलना में कुछ नहीं है। कवियों ने इस बल की विजय के गीत गाये हैं और ऋषियों ने इस विषय में अपने अनुभवों का वर्णन करके इसकी पुष्टि की है।”

वस्तुतः गाँधीजी की दृष्टि में भारत एक सांस्कृतिक और आत्मबल एवं आत्मशुद्धि पर विश्वास करने वाला महान देश है। इसमें किसी प्रकार की विसंगतियां अथवा अधोगति की स्थितियां कभी भी स्थायी नहीं हो सकतीं। क्योंकि भारत ही मात्र ऐसा देश है जिसने सदैव अपने शुद्ध मानवीय स्वरूप को पुनः पुनः प्रकट किया है।

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21st century ka bharat essay in hindi

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जानिए भारत के लोकप्रिय कवियों के बारे में, जिनका जीवन परिचय आपको प्रेरित करेगा

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  • Updated on  
  • फरवरी 27, 2024

भारत के लोकप्रिय कवि

भारत देश में कविता को सबसे महान शैलियों में से एक माना गया है। हमारे भारत देश में ऐसी बहुत सारी कविताएं लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखी गई है जिसके पढ़ने से लोगों के मन में एक नई ऊर्जा आ जाती है, उन्हें अलग तरह से सोचने पर मजबूर कर देती है। इस ब्लॉग में हम हिंदी के लोकप्रिय कवियों ( Famous Poets in Hindi ) के बारे में पढ़ेंगे, जिनका जीवन परिचय हम सभी को प्रेरित कर देगा। तो आईये पढ़तें हैं उन कवियों के बारे में विस्तार से।

This Blog Includes:

हिंदी के प्रतिष्ठित कवि और उनकी रचनाएँ | famous poets in hindi, रामधारी सिंह दिनकर, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, अब्दुल रहीम खानखाना, रवींद्रनाथ टैगोर, हरिवंश राय बच्चन, मैथिलीशरण गुप्त, अटल बिहारी वाजपेयी, कुमार विश्वास , कुँवर नारायण, अशोक वाजपेयी, गीत चतुर्वेदी, अमृता प्रीतम.

हिंदी के प्रसिद्ध कवि (Famous Poets in Hindi) निम्नलिखित हैं:- 

सुभद्रा कुमारी चौहान

  • कुमार विश्वास

Famous Poets in Hindi के इस ब्लॉग में हम सबसे पहले कबीर दास के बारे में जानेंगे। बता दें कि कबीर दास की गिनती उन कवियों में होती है जिन्होंने अपने दोहे, रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध किया है। उनका जन्म 1398 ई  में वाराणसी गांव के उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम नीरू झूले, माता का नाम नीमा था, उनकी पत्नी का नाम लोई था। उनके पुत्र का नाम कमल और पुत्री का नाम कमाली था और गुरु का नाम रामानंद जी था। वह बेहद ज्ञानी थे और स्कूली शिक्षा न प्राप्त करते हुए भी अवधि, ब्रज, और भोजपुरी और हिंदी जैसी भाषाओं पर इनकी बहुत अच्छी पकड़ थी। इन सब के साथ-साथ राजस्थानी, हरयाणवी, खड़ी बोली जैसी भाषाओं में महारथी थे। उनकी रचनाओं में सभी भाषाओं की के बारे में थोड़ी-थोड़ी जानकारी मिल जाती है इस लिये इनकी भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ व ‘खिचड़ी’ कही जाती है। कबीर दास जी की मृत्यु 1518 मगहर गांव उत्तर प्रदेश में हुई थी।

  • गुरु गोविंद दोऊ खड़े ,काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो मिलाय।।
  • ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये। औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय।।
  • बुरा जो देखन मैं चला ,बुरा न मिलिया कोय । जो मन  देखा आपना ,मुझसे बुरा न कोय।।
  • काल करे सो आज कर ,आज करे सो अब ।पल में प्रलय होएगी ,बहुरि करेगा कब।।

यह भी पढ़ें : Kabir Ke Dohe in Hindi

रामधारी दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 में सिमरिया गांव, बेगूसराय जिला बिहार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह था और माता का नाम श्रीमती मंजू देवी था। इनके बड़े भाई का नाम बसंत सिंह था। इनका का उपनाम दिनकर था। भारतीय जन-मानस में जागरण की विचारधारा को प्रखर बनाने का पुनीत कार्य योजना रामधारी सिंह ”दिनकर” जी के द्वारा कि  गई थी। उनकी कविताओ में ओज, तेज और अग्नि जैसा तीव्र ताप, बिजली के लिए मशहूर है। उन्हें “राष्ट्रिय हिंदी – कविता का वैतालिक” भी कहा जाता है। उर्वशी” काव्य पर राष्ट्रीय ज्ञान पीठ का पुरस्कार  प्राप्त हुआ और साथ ही राष्ट्रपति द्वारा पदम भूषण से सम्मानित भी किया गया | उनकी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है –  अभिव्यक्ति की सटीकता और सुस्पष्टता, भाषा शुद्ध है। इनकी भाषा में संस्कृत के बहुत सारे शब्दों का भी अधिक मात्रा में प्रयोग हुआ है। उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 मद्रास चेन्नई में हुई थी। Famous Poets in Hindi की लिस्ट में उनका नाम दूसरे पायदान पर मौजूद हैं।

  • “संस्कृत के चार अध्याय” नामक साहित्यिक रचना पर इन्हें“ साहित्य अकादमी” पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • मैथिलीशरण गुप्त के बाद“ राष्ट्रकवि”  की उपाधि“ दिनकर” के नाम के साथ अपने आप जुड़ गया |  
  • “द्विवेदी पदक” , “डी० लिट्०” की नामक  उपाधि,  “राज्यसभा की सदस्यता”आदि इनके कृतित्व की राष्ट्र द्वारा स्वीकृति के  बहुत सारे प्रमाण हैं |

जरूर पढ़ें: मुहावरे

रामधारी सिंह दिनकर की कविता संग्रह ( Famous Poets in Hindi )

  • कुरुक्षेत्र 
  • इतिहास के आँसू
  • कवि, श्री, आदि

बाल कविताएं

  • नमन करूं मैं
  • चांद का कुर्ता
  • चूहे की दिल्ली यात्रा ,आदि

Famous Poets in Hindi की इस लिस्ट में सुमित्रानंदन पंत जिनका जन्म 20 मई 1900 में कौसानी  गांव उत्तराखंड में हुआ था। इनका दूसरा नाम गुसाईं दत्त है। उन्हें पद्म भूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार ,साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। 1950 ईं में इन्हें ऑल इंडिया रेडियो के परामर्शदाता पद पर नियुक्त किया गया था और 1957 ईं तक ये प्रत्यंतर रूप से रेडियो के साथ संपर्क में रहे। सरलता, मधुरता, चित्रात्मकता, कोमलता, और संगीतात्मकता उनकी शैली की मुख्य विशेषताएं हैं। उन्होंने वर्ष 1916-1977 तक साहित्य सेवा की, इनकी मृत्यु 20 दिसंबर 1977 इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुई थी।

सुमित्रानंदन पंत की रचनाएं

  • अनुभूति 
  • संध्य वंदना 
  • आज रहने दो यह  गुरु काज 
  • संध्या के बाद
  • मैं सबसे छोटी होऊं 
  • चांदनी 
  • बापू के प्रति 
  • आओ, हम अपना मन टोवे, आदि

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

सूर्यकांत त्रिपाठी का जन्म 1899ई  महिषादल राज्य बंगाल में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सहाय त्रिपाठी था। उनकी पत्नी का नाम मनोरमा देवी और पुत्री का नाम सरोज था। बचपन में इनका नाम सूर्यकुमार था। इनकी काव्य रचना  सन 1915 से ही प्रारंभ हो गई थी, परंतु उनका प्रथम कविता-संग्रह ‘परिमल’ नाम से सन 1929 में ही प्रकाशित हुआ था।

कविता के अतिरिक्त कहानियां, उपन्यास, निबंध और आलोचना लिखकर भी निराला जी ने हिंदी साहित्य के  के विकास में अपना बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इनकी मृत्यु 1961 ई में हुई। सूर्यकांत त्रिपाठी की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं:

  • अनामिका 
  • गीतिका 
  • तुलसीदास 
  • अर्चना 
  • आराधना 
  •  रानी और कानी

अब्दुल रहीम खानखाना का जन्मव र्ष17 दिसंबर 1556 लाहौर में हुआ था। इनके पिता का नाम बैरम खां और माता का नाम जमाल खान था और माता का नाम सईदा बेगम था। उनकी पत्नी का नाम महाबानू बेगम था। वह इस्लाम धर्म के थे। वर्ष 1576 में उनको गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया था। 28 वर्ष की उम्र में अकबर ने खानखाना की उपाधि से नवाज़ा था। उन्होंने बाबर की आत्मकथा का तुर्की से फारसी में अनुवाद किया था। नौ रत्नों में वह अकेले ऐसे रत्न थे जिनका कलम और तलवार दोनों विधाओं पर समान अधिकार था। उनकी मृत्यु 1 अक्टूबर 1627 ई में हुई।

रहीम के दोहे

दोनों रहिमन एक से ,जो लो बोलत नाही । जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माही।। रहिमन चुप हो बैठिए , देखी दिनन के फेर। जब नीके दिन आई है ,बतन न लगिहै देर।। तरुवर फल नहिं खात है ,सरवर पियहि न पान । कहि रहीम पर काज हित ,संपति संचहि सुजान।। बिगड़ी बात बने नहीं ,लाख करो किन कोय । रहिमन फाटे दूध को ,मथे न माखन होय।।

Famous Poets in Hindi की लिस्ट तब तक अधूरी है जब तक उसमें महान कवि तुलसीदास नाम नहीं आ जाता है। उनका जन्म सन 1532 राजापुर गांव उत्तर प्रदेश में हुआ था ।उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था ,उनकी पत्नी का नाम रत्नावली था। उनके गुरु का नाम आचार्य रामानंद था। वह एक संस्कृत विद्वान थे, लेकिन वह अवधी (हिंदी की एक बोली) में उनके कार्यों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। वह विशेष रूप से अपने “तुलसी-कृता रामायण” के लिए जाने जाते हैं, इसे “रामचरितमानसा” भी कहा जाता है साथ ही “हनुमान चालीसा” के लिए भी जाने जाते हैं। कुल मिलाकर, उन्होंने अपने जीवन काल में 22 प्रमुख साहित्यिक कार्यों का निर्माण किया।

तुलसीदास के दोहे

राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहेरहु जौ चाहासि उजियार।। तुलसी नर का क्या बड़ा ,समय बड़ा बलवान । भीला लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण।। काम क्रोध मद लोभ की, जो लो मन में खान । तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान।। तुलसी इस संसार में ,भांति भांति के लोग । सबसे हस मिल बोलिए ,नदी नाव संजोग।।

यह भी पढ़ें : तुलसीदास की बेहतरीन कविताएं और चर्चित रचनाएं

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सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी रुनकता में हुआ था। इनके पिता का नाम राम दास सारस्वत और गुरु का नाम वल्लभाचार्य था। सूरदास जन्म से ही अंधे थे। सूरदास की मृत्यु 1580 ईसवी में हुई। उनकी ब्रजभाषा थी, वह कार्य क्षेत्र के कवि थे। शिक्षा पूर्ण करने के बाद वह कृष्ण भक्ति में लीन हो गए। सूरसारावली में सूरदास के कुल 1107  छंद हैं, इसकी रचना उन्होंने 67 वर्ष की उम्र में की थी। उनके द्वारा रचित कुल पांच ग्रन्थ उपलब्ध हुए हैं, : सूर सागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी, नल दमयन्ती और ब्याहलो। सूरदास मथुरा-आगरा-राजपथ पर स्थित गऊघाट पर अपने शिष्यों-भक्तों के साथ रहकर कृष्ण भक्ति के पद गाया करते थे। और इसी कारण भारत में उनको Famous Poets in Hindi की लिस्ट में शामिल किया गया है।

सूरदास के काव्य रचना

मैं नहिं माखन खायो मैया! मैं नहिं माखन खायो । ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो ॥ देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो । हौं जु कहत नान्हें कर अपने मैं कैसें करि पायो ॥ मुख दधि पोंछि बुद्धि इक कीन्हीं दोना पीठि दुरायो । डारि सांटि मुसुकाइ जसोदा स्यामहिं कंठ लगायो ॥ बाल बिनोद मोद मन मोह्यो भक्ति प्राप दिखायो । सूरदास जसुमति को यह सुख सिव बिरंचि नहिं पायो ॥ सदा बसंत रहत जहं बास। सदा हर्ष जहं नहीं उदास ।। कोकिल कीर सदा तंह रोर। सदा रूप मन्मथ चित चोर ।। विविध सुमन बन फूले डार। उन्मत मधुकर भ्रमत अपार ।। खंजन नैन रुप मदमाते । अतिशय चारु चपल अनियारे, पल पिंजरा न समाते ।। चलि – चलि जात निकट स्रवनन के, उलट-पुलट ताटंक फँदाते । “सूरदास’ अंजन गुन अटके, नतरु अबहिं उड़ जाते ।। कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज । महापतित कबहूं नहिं आयौ, नैकु तिहारे काज ॥ माया सबल धाम धन बनिता, बांध्यौ हौं इहिं साज । देखत सुनत सबै जानत हौं, तऊ न आयौं बाज ॥ कहियत पतित बहुत तुम तारे स्रवननि सुनी आवाज । दई न जाति खेवट उतराई, चाहत चढ्यौ जहाज ॥ लीजै पार उतारि सूर कौं महाराज ब्रजराज । नई न करन कहत, प्रभु तुम हौ सदा गरीब निवाज ॥

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Famous Poets in Hindi की लिस्ट में महान कवि कालिदास, जिनका जन्म पहली से तीसरी शताब्दी इस पूर्व के बीच उत्तर प्रदेश में माना जाता है। उनकी पत्नी का नाम राजकुमारी विधोतमा  था। इनका पूरा नाम महाकवि कालिदास था। माना जाता है कि कालीदास मां काली के परम उपासक  थे, कालिदास जी के नाम का अर्थ है ‘काली की सेवा करने वाला’।कालिदास अपनी कृतियों के माध्यम से हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित कर लेते थे, एक बार जिसको उनकी रचनाओं की आदत लग जाती बस वो उनकी लिखी गई आकृतियों में ही लीन हो जाता था।

तस्‍या: किंचित्‍करधृतमिव प्राप्‍तवानीरशाखं नीत्‍वा नीलं सलिलवसनं मुक्‍तरोघोनितम्‍बम्। प्रस्‍थानं ते कथ‍मपि सखे! लम्‍बमानस्‍यभावि शातास्‍वादो विवृतजघनां को विहातुं समूर्थ:।। हे मेघ, गम्‍भीरा के तट से हटा हुआ नीला जल, जिसे बेंत अपनी झुकी हुई डालों से छूते हैं, ऐसा जान पड़ेगा मानो नितम्‍ब से सरका हुआ वस्‍त्र उसने अपने हाथों से पकड़ा रक्‍खा है। हे मित्र, उसे सरकाकर उसके ऊपर लम्‍बे-लम्‍बे झुके हुए तुम्‍हारा वहाँ से हटना कठिन ही होगा, क्‍योंकि स्‍वाद जाननेवाला कौन ऐसा है जो उघड़े हुए जघन भाग का त्याग कर सके।त्‍वन्निष्‍यन्‍दोच्‍छ्वसितवसुधागन्‍धसंपर्करम्‍य: स्‍त्रोतोरन्ध्रध्‍वनितसुभगं दन्तिभि: पीयमान:। नीचैर्वास्‍यत्‍युपजिगमिषोर्देवपूर्व गिरिं ते शीतो वायु: परिणमयिता काननोदुम्‍बराणाम्।। मेघ, तुम्‍हारी झड़ी पड़ने से भपारा छोड़ती हुई भूमि की उत्कट गन्‍ध के स्‍पर्श से जो सुरभित है, अपनी सूँड़ों के नथुनों में सुहावनी ध्‍वनि करते हुए हाथी जिसका पान करते हैं, और जंगली गूलर जिसके कारण गदरा गए हैं, ऐसा शीतल वायु देवगिरि जाने के इच्‍छुक तुमको मन्‍द-मन्‍द थपकियाँ देकर प्रेरित करेगा।

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 कलकत्ता में हुआ था। वह एक कवि ,साहित्यकार ,दार्शनिक थे। उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। उनके सबसे बड़े भाई विजेंद्र नाथ एक दार्शनिक और कवि थे। उनके द्वारा रचित “ जन गण मन” भारत का राष्ट्रीय गान है । बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान “आमर सोना बांग्ला” भी टैगोर ने ही लिखा था ।रविंद्र नाथ टैगोर ने ही गांधीजी को सर्वप्रथम महात्मा का विशेषण दिया था । वह  एक महान चित्रकार ओर देशभक्त थे ओर 1913 में “गीतांजलि” के लिए इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था ।उनकी मृत्यु 7 अगस्त 1941 कोलकाता में हुई।

यह भी पढ़ें: हरिवंश राय बच्चन

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

दिन पर दिन चले गए… दिन पर दिन चले गए पथ के किनारे, गीतों पर गीत अरे रहता पसारे बीतती नहीं बेला सुर मैं उठाता ।। जोड़-जोड़ सपनों से उनको मैं गाता दिन पर दिन जाते मैं बैठा एकाकी जोह रहा बाट अभी मिलना तो बाकी, चाहो क्या रुकूँ नहीं रहूँ सदा गाता करता जो प्रीत अरे व्यथा वही पाता।।

गर्मी की रातों में… गर्मी की रातों में जैसे रहता है पूर्णिमा का चांद तुम मेरे हृदय की शांति में निवास करोगी आश्चर्य में डूबे मुझ पर तुम्हारी उदास आंखें निगाह रखेंगी तुम्हारे घूंघट की छाया मेरे हृदय पर टिकी रहेगी गर्मी की रातों में पूरे चांद की तरह खिलती तुम्हारी सांसें, उन्हें सुगंधित बनातीं मरे स्वप्नों का पीछा करेंगी।

होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। हम चलेंगे साथ-साथ डाल हाथों में हाथ हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।

अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार इस नैया का और खिवैया, वही करेगा पार । आया है तूफ़ान अगर तो भला तुझे क्या आर चिन्ता का क्या काम चैन से देख तरंग-विहार । गहन रात आई, आने दे, होने दे अंधियार–इस नैया का और खिवैया वही करेगा पार । पश्चिम में तू देख रहा है मेघावृत आकाश अरे पूर्व में देख न उज्ज्वल ताराओं का हास । साथी ये रे, हैं सब “तेरे”, इसी लिए, अनजान समझ रहा क्या पायेंगे ये तेरे ही बल त्राण । वह प्रचंड अंधड़ आएगा, काँपेगा दिल, मच जायेगा भीषण हाहाकार– इस नैया का और खिवैया यही करेगा पार।

कविवर हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन 1907 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा 1942-1952 ई० तक यहीं पर प्राध्यापक रहे। 1976 ई० में उन्हें ‘पद्म भूषण’ से अलंकृत किया गया।उनका निधन 2003 ई० में मुंबई में हुआ।

जो बीत गई -हरिवंश राय बच्चन 

जो बीत गई सो बात गई! जीवन में एक सितारा था माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया; अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले; पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है! जो बीत गई सो बात गई! जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया; मधुवन की छाती को देखो, सूखीं कितनी इसकी कलियाँ, मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं; पर बोलो सूखे फूलों पर  कब मधुवन शोर मचाता है; जो बीत गई सो बात गई! जीवन में मधु का प्याला था, तुमने तन-मन दे डाला था, वह टूट गया तो टूट गया; मदिरालय का आँगन देखो, कितने प्याले हिल जाते हैं, गिर मिट्टी में मिल जाते हैं, जो गिरते हैं कब उठते हैं; पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता है! जो बीत गई सो बात गई! मृदु मिट्टी के हैं बने हुए, मधुघट फूटा ही करते हैं, लघु जीवन लेकर आए हैं, प्याले टूटा ही करते हैं, फिर भी मदिरालय के अंदर  मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं, जो मादकता के मारे हैं वे मधु लूटा ही करते हैं; वह कच्चा पीने वाला है  जिसकी ममता घट-प्यालों पर, जो सच्चे मधु से जला हुआ  कब रोता है, चिल्लाता है! जो बीत गई सो बात गई!

भावार्थ-  इसमें कवि हरिवंश राय बच्चन सांत्वना देते रिश्तों की नाजुक अवस्था का वर्णन करते हुए यह बताना चाहते हैं कि संसार में हर रिश्ता एक ना एक दिन समाप्त होना ही है। यह अस्थाई है इस पर किसी का जोर नहीं है।इसमें कवि हरिवंश राय बच्चन अनेक उदाहरण देकर कहते हैं कि जो बीत गई सो बात गई!

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ( 3 अगस्त 1886 – 12 दिसम्बर 1964) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं।उन्हें साहित्य जगत में ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की पदवी भी दी थी। उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष ‘कवि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया।

मनुष्यता -मैथिलीशरण गुप्त

विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸| मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी।  हुई न यों सु–मृत्यु तो वृथा मरे¸ वृथा जिये¸ मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए।  यही पशु–प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे¸ वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।  उसी उदार की कथा सरस्वती बखानवी¸ उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।  उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती; तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।  अखण्ड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे¸ वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिये मरे।।  सहानुभूति चाहिए¸ महाविभूति है वही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।  विरूद्धवाद बुद्ध का दया–प्रवाह में बहा¸ विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहे? अहा! वही उदार है परोपकार जो करे¸ वहीं मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।  अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े¸ समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े–बड़े।  परस्परावलम्ब से उठो तथा बढ़ो सभी¸ अभी अमर्त्य–अंक में अपंक हो चढ़ो सभी।  रहो न यों कि एक से न काम और का सरे¸ वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।। मनुष्य मात्र बन्धु है यही बड़ा विवेक है¸ पुराणपुरूष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है।  फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद है¸ परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं।  अनर्थ है कि बंधु हो न बंधु की व्यथा हरे¸ वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।  चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए¸ विपत्ति विप्र जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।  घटे न हेल मेल हाँ¸ बढ़े न भिन्नता कभी¸ अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।  तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।  रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में  संत जन आपको करो न गर्व चित्त में  अन्त को है यहाँ त्रिलोकनाथ साथ में  दयालु दीन बन्धु के बडे विशाल हाथ हैं  अतीव भाग्यहीन है अंधेर भाव जो भरे वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

भावार्थ- इस कविता के माध्यम से कवि मैथिलीशरण गुप्त मनुष्यता का सही अर्थ समझाना चाहते हैं। वह इस कविता के माध्यम से कहना चाहते हैं कि व्यक्ति का जीना मरना अर्थहीन है स्वार्थी व्यक्ति सिर्फ स्वार्थ के लिए जीता और मरता है। जिस प्रकार से पशु का अस्तित्व सिर्फ जीवन जीने जितना होता है मनुष्य का जीवन में ऐसा नहीं होना चाहिए। मनुष्य जाति को अपने जीवन में इस प्रकार के काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी वर्तमान मनुष्य जाति या आने वाली जाति उन्हें याद करें। और हमारे मन में कभी भी मृत्यु का भय नहीं सताना चाहिए।

अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 – 16 अगस्त 2018) भारत के दो बार के प्रधानमंत्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे।वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

आओ फिर से दिया जलाएँ -अटल बिहारी वाजपेयी

आओ फिर से दिया जलाएँ  भरी दुपहरी में अंधियारा  सूरज परछाई से हारा  अंतरतम का नेह निचोड़ें- बुझी हुई बाती सुलगाएँ।  हम पड़ाव को समझे मंज़िल  लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल  वतर्मान के मोहजाल में- आने वाला कल न भुलाएँ।  आओ फिर से दिया जलाएँ।  आहुति बाकी यज्ञ अधूरा  अपनों के विघ्नों ने घेरा  अंतिम जय का वज़्र बनाने- नव दधीचि हड्डियां गलाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ

भावार्थ-  इस कविता के माध्यम से कवि अटल बिहारी वाजपेई कहना चाहते हैं कि युवावस्था में व्यक्ति स्वस्थ और शक्तिशाली और उमंग,उल्लास और जोश से भरा होता है। इस अवस्था में हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।उन्होंने युवाओं की तुलना सूरत से करते हुए कहा है कि युवाओं का जीवन कठिनाइयों के सामने हारना मानो सूर्य का परचाई से हारना है। इसलिए आशा के बुझे हुए दीपक की बाती को सुलझाना होगा अर्थात उम्मीद का नया दिया फिर से जलाना होगा।

यह भी पढ़ें – अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं

21वीं सदी के लोकप्रिय कवि

21वीं सदी में भी लोग कविताओं को पढ़ना तथा सुनना नहीं भूले हैं। आज भी लोग कविताओं को बड़े ही चाव से सुनते हैं। 21वीं सदी में कुछ ऐसे प्रसिद्ध और महान कवि आज भी है जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी छाप छोड़ी है। Famous Indian Hindi poets of 21st century की सूची उनकी कविताओं के साथ नीचे दी गई है-

कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1960 में गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका पूरा नाम विश्वास कुमार शर्मा है। यह युवाओं के दिल पर राज करने वाले कवि हैं। जिनकी कविताओं की गूंज युवाओं को जोश और उत्साह से भर देती है। इतना ही नहीं कुमार विश्वास अपनी कविताओं को गायकी के सुर में भी प्रदर्शित करते हैं। यह आम आदमी पार्टी के नेता भी रह चुके हैं। हिंदी साहित्य में इन्हें स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ है। यह कई बार टीवी शो तथा न्यूज़ चैनल पर भी अपनी कविताओं को प्रदर्शित करते हुए नजर आए।

यह भी पढ़ें – कुमार विश्वास की लोकप्रिय कविताएं

इनकी प्रमुख कविता है-

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है  मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है  ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है ! कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !! यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं ! जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !! 

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता ! यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता !! मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले ! जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता !! 

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा! हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!! अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का! मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!  – कुमार विश्वास 

कुंवर नारायण 21वीं सदी के प्रमुख कवियों में से एक हैं। कुंवर नारायण का जन्म फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में 1927 में हुआ था। सन् 2017 में उनका निधन हो गया। शुरुआत में उन्होंने फ्रांसीसी कवियों की कविताओं का अनुवाद किया।1995 में साहित्य में अपना संपूर्ण योगदान देने के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।

इनकी प्रमुख कविताओं की सूची इस प्रकार है-

  • चक्रव्यूह (1956)
  • तीसरा सप्तक (1959)
  •  परिवेश: हम-तुम (1961) 
  • आत्मजयी प्रबन्ध काव्य (1965) 
  • अपने सामने (1979)
  •  कोई दूसरा नहीं

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अशोक वाजपेयी समकालीन हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि हैं। अशोक वाजपेयी जन्म 16 जनवरी 1941 को दुर्ग में हुआ। 1994 में इनको भारत सरकार द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।

अशोक वाजपेयी के अभी तक कई काव्य संग्रह प्रकाशित हुए जो निम्न है-

  • शहर अब भी संभावना है
  • एक पतंग अनंत में
  • अगर इतने से
  • कहीं नहीं वहीं
  • बहुरि अकेला
  • थोड़ी-सी जगह
  • घास में दुबका आकाश
  • समय के पास समय
  • कहीं कोई दरवाजा
  • दुःख चिट्ठीरसा है
  • कुछ रफू कुछ थिगड़े
  • इस नक्षत्रहीन समय में

अशोक वाजपेयी द्वारा लिखित कविता ‘थोड़ा-सा” इस प्रकार है-

अगर बच सका तो वही बचेगा हम सबमें थोड़ा-सा आदमी– जो रौब के सामने नहीं गिड़गिड़ाता, अपने बच्चे के नंबर बढ़वाने नहीं जाता मास्टर के घर, जो रास्ते पर पड़े घायल को सब काम छोड़कर सबसे पहले अस्पताल पहुंचाने का जतन करता है, जो अपने सामने हुई वारदात की गवाही देने से नहीं हिचकिचाता– वही थोड़ा-सा आदमी– जो धोखा खाता है पर प्रेम करने से नहीं चूकता, जो अपनी बेटी के अच्छे फ्राक के लिए दूसरे बच्चों को थिगड़े पहनने पर मजबूर नहीं करता, जो दूध में पानी मिलाने से हिचकता है, जो अपनी चुपड़ी खाते हुए दूसरे की सूखी के बारे में सोचता है, वही थोड़ा-सा आदमी– जो बूढ़ों के पास बैठने से नहीं ऊबता जो अपने घर को चीजों का गोदाम होने से बचाता है, जो दुख को अर्जी में बदलने की मजबूरी पर दुखी होता है और दुनिया को नरक बना देने के लिए दूसरों को ही नहीं कोसता वही थोड़ा-सा आदमी– जिसे ख़बर है कि वृक्ष अपनी पत्तियों से गाता है अहरह एक हरा गान, आकाश लिखता है नक्षत्रों की झिलमिल में एक दीप्त वाक्य, पक्षी आंगन में बिखेर जाते हैं एक अज्ञात व्याकरण वही थोड़ा-सा आदमी– अगर बच सका तो वही बचेगा।

गीत चतुर्वेदी का जन्म 27 नवम्बर 1977 में मुंबई में हुआ। इनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ आलाप में गिरह, न्यूनतम मैं है। 21वीं सदी के इस महान कवि को हिंदी में इंडियन एक्सप्रेस के ‘टेन बेस्ट राइटर्स’ की सूची में रखा गया है। गीत चतुर्वेदी को उनकी कविता मदर इंडिया के लिए 2007 में भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार मिला । 

उन लोगों के बारे में जिन्हें मैं नहीं जानता (कविता)

मैं जागता हूँ देर तक कई बार सुबह तक कमरे में करता हूं चहलक़दमी  फ़र्श पर होती है धप्-धप् की ध्वनि जो नीचे के फ्लैट में गूँजती है कोई सुनता है और उसकी लय पर सोता है मेरी जाग से किसी को मिलती है सुकून की नींद मैं नहीं जानता उसके भय, विश्वास और अंधकार को उसकी तड़प और कोशिशों को उसकी खाँसी से मेरे भीतर काँपता है कोई ढाँचा उसकी करवट से डोलता है मेरा जड़त्व कुछ चीज़ों को रोका नहीं जा सकता जैसे कुछ शब्दों, पंक्तियों, विचारों और रंगों को किसी हँसी किसी रुलाहट प्यार और ग़ुस्से के पृथक क्षणों को उन लोगों को भी जिनके बारे में हम ख़ास नहीं जानते उन्हें जानने की कोशिश में  जाने हुए लोगों के और क़रीब आ जाते हैं आसपास उनके जैसा खोजते हैं कुछ और एक विनम्र भ्रांति सींचते हैं उन्हें जान चुकने की

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को हुआ। हिंदी साहित्य में यह सर्वश्रेष्ठ कवयित्री और लेखिका में से एक थी। उनकी कविता झांसी की रानी ने सबके दिलों पर छाप छोड़ दी और उसी से वह बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो गई। स्वाधीनता संग्राम में कई बार इन्हें जेल जाना पड़ा यह पीड़ा उन्होंने अपनी कविताओं में पेश की। 24 अप्रैल 2007 में राष्ट्रप्रेम की भावना को सम्मानित करने के लिए नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज़ को सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम दिया है।

इनकी प्रसिद्ध कविता झांसी की रानी-

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,  गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,  दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।  चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,  बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,  खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥  कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,  लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,  नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,  बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,  बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,  खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,  देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,  नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,  सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।  महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,  बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,  खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥  हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,  राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,  सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में। चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,  बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,  खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियारी छाई,  किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,  तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,  रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई। निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,  बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,  खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,  राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,  फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,  लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया। . . . . . जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,  यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,  होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,  हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।  तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,  बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,  खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

अमृता प्रीतम का जन्म 1919 में गुजरांवाला पंजाब में हुआ। वह पंजाबी उपन्यासकार होने के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी प्रसिद्ध कवियों में से एक है।1936 में, केवल 16 वर्ष की आयु में, उनका पहला कविता संग्रह अमृत लेहरन या अमर लहरों के नाम से प्रकाशित हुआ था।1957 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1958 में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत, 1988 में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार और 1981 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

इनकी प्रसिद्ध कविता दावत –

रात-कुड़ी ने दावत द सितारों के चावल फटक कर यह देग किसने चढ़ा दी चाँद की सुराही कौन लाया चाँदनी की शराब पीकर आकाश की आँखें गहरा गयीं धरती का दिल धड़क रहा है सुना है आज टहनियों के घर फूल मेहमान हुए हैं आगे क्या लिखा है आज इन तक़दीरों से कौन पूछने जायेगा… उम्र के काग़ज़ पर — तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया, हिसाब कौन चुकायेगा ! क़िस्मत ने एक नग़मा लिखा है कहते हैं कोई आज रात वही नग़मा गायेगा कल्प-वृक्ष की छाँव में बैठकर कामधेनु के छलके दूध से किसने आज तक दोहनी भरी ! हवा की आहें कौन सुने, चलूँ, आज मुझे तक़दीर बुलाने आई है…

कबीर दास की मुख्य रचनाएँ ‘साखी’, ‘सबद’ और ‘रमैनी’ हैं।

कबीर दास ने मुख्य रूप से ‘सधुक्कड़ी’ भाषा में रचना की थी। 

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं “झांसी की रानी”, “कस्तूरी मृग” और “मैत्री भाव” हैं।

रामधारी सिंह दिनकर ने अपने काव्य में देशभक्ति, समाज, प्रेम, और मानवीय मूल्यों पर ज्यादा बल दिया है।

‘मधुशाला’ हालावाद के प्रर्वतक हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई थी।

आशा है कि आपको हिंदी के लोकप्रिय कवियों (Famous Poets in Hindi) के बारे में यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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    विज़न इंडिया@2047 (Vision India@2047) योजना, जैसा कि इसे आधिकारिक तौर पर नाम दिया गया है, पर पिछले दो वर्षों से कार्य चल रहा है, जिसमें विभिन ...

  15. भारत

    भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, अंग्रेज़ी: Republic of India, लिप्यन्तरण: रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है ...

  16. मेरे सपनों का भारत पर निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

    मेरे सपनों का भारत पर निबंध 100 शब्द. मेरे सपनों का भारत एक समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित देश है। इस भारत में सभी नागरिक एक साथ मिलकर आपसी ...

  17. Essay on 21st Century India in hindi

    21वीं सदी का भारत पर निबंध | Essay on 21st Century India in hindi | 21 vi sadi ka bharat par nibandh#21वीं_सदी_का_भारत_पर ...

  18. मेरा भारत महान पर निबंध

    Mera Bharat Mahaan Essay in Hindi: मेरा भारत एक महान देश है क्योंकि इस देश में प्राचीन संस्कृति, समृद्ध इतिहास और अनेक विविधताएं हैं। भारत की संस्कृति हजारों

  19. भारत का इतिहास

    भारत का इतिहास. भारत का इतिहास कई सहस्र वर्ष पुराना माना जाता है। [1] 65,000 साल पहले, पहले आधुनिक मनुष्य, या होमो सेपियन्स, अफ्रीका से ...

  20. भारत का संविधान पर निबंध (Constitution of India Essay in Hindi)

    भारत का संविधान पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Constitution of India in Hindi, Bharat ka Samvidhan par Nibandh Hindi mein) भारत का संविधान पर निबंध - 1 (250 - 300 शब्द)

  21. 21 वी सदी का व्यवसाय

    21वी सदी का व्यवसाय 21 Vi Sadi Ka Vyvasaya The Business of the 21st Century रॉबर्ट कियोसाकी जी ... ka time ah gaya he .Atamanirbhar Bharat. ... 5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,388,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,103,hindi stories,664,hindi-bal-ram-katha,3,hindi-gadya-sahitya,8 ...

  22. Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi मेरे सपनों का भारत पर निबंध

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  23. भारत के लोकप्रिय कवि

    Bharat ka Itihas. Prachin Bharat; Adhunik Bharat; Famous Personalities; Full Form in Hindi; ... हिंदी साहित्य में अपनी छाप छोड़ी है। Famous Indian Hindi poets of 21st century की सूची उनकी कविताओं के साथ नीचे दी ... Essay on Nature ...