biography of nelson mandela in hindi

नेल्सन मंडेला का प्रेरणादायक जीवन सफर

“कोई भी इंसान तबतक कुछ नही कर सकता जबतक की वह खुद पर भरोसा नही कर लेता।”

आधुनिक भारत के महानतम हीरो नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे, जिन्होंने अपने जीवन में रंगभेद के खिलाफ काफी विरोध किया था, एवं रंग भेद के संघर्ष के खिलाफ लड़ते हुए उन्होंने साल 1964 से 1990 तक अपने जीवन के करीब 27 साल जेल में बिताए थे, जेल में रहने के दौरान उन्हें कई प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अहिंसा के पथ पर चलते हुए नस्लवाद के खिलाफ जमकर विरोध किया था।

नेल्सन मंडेला, महात्मा गांधी जी के कठोर समर्थक थे, एवं उनके विचारों का अपने जीवन मे अनुसरण करते थे। साल 1944 में नेल्सन मंडेला जी ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस लीग की स्थापना की थी। इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर काफी जोर दिया था।

उनका मानना था कि शिक्षा ही सिर्फ वो हथियार है, जिसके माध्यम से पूरी दुनिया में बदलाव लाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं रंगभेद के खिलाफ लड़ने वाले महान शख्सियत नेल्सन मंडेला जी के जीवन के बारे में-

नेल्सन मंडेला का प्रेरणादायक जीवन सफर – Nelson Mandela Biography in Hindi

Nelson Mandela Biography in Hindi

एक नजर में –

नेल्सन मंडेला
18 जुलै 1918
गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा
नेक्यूफी नोसकेनी
5 दिसंबर 2013

पढ़ाई –

नेल्सन रोलीहलाहल मंडेला का जन्म रोहिह्लाल मंडेला के नाम से हुआ था वे दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। उन्होंने 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रपति बनकर सेवा की। वे देश के पहले काले मुख्य अधिकारी थे, और लोकतान्त्रिक चुनाव जितने वाले पहले व्यक्ति थे। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा। इसके साथ ही उन्होंने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) की 1991 से 1997 तक अध्यक्ष बनकर सेवा की।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, मंडेला ने 1998 से 1999 तक विविध राजनैतिक अभियानों एवं आंदोलनों में हिस्सा लिया। नेल्सन का जन्म थेंबू शाही राजघराने में हुआ था, मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फोर्ट हरे यूनिवर्सिटी और लॉ की शिक्षा वितवाटर्सरैंड यूनिवर्सिटी से ग्रहण की। जोहान्सबर्ग में रहते हुए ही वे बहोत से राजनैतिक कार्यक्रमो और अभियानों में हिस्सा लेने लगे थे। बाद में वे ANC में शामिल हुए ताकि वे युथ लीग के संस्थापक सदस्य बन जाये।

1948 जब सरकारी अधिकारो में गोरो को ज्यादा महत्त्व दिया जाता था तो उन्होंने 1952 में अपनी पार्टी ANC के साथ मिलकर अश्वेत अभियान शुरू किया। और इस अभियान के बाद ही वे 1955 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। एक वकील होते हुए भी, उनके बहोत से कामो की वजह से उन्हें कैद भी किया गया था।

5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।

1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।

नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था औ्र उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था।

दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे। उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”,”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था। 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया।

दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदी बाकह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है। नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभाने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य –

  • नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में हुआ था। उनके बचपन का नाम रोहिह्लाल मंडेला था।
  • रंगभेद के खिलाफ नेल्सन मंडेला ने काफी संघर्ष किया था, उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
  • साल 1944 में नेल्सन मंडेला ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की थी।
  • नेल्सन मंडेला ने रंगभेद और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपनी जिंदगी के करीब 27 साल (1964 से 1990) तक जेल में बिताए थे। जहां उन्हें कोयला खनिक का काम करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा था।
  • शांति के दूत माने जाने वाले नेल्सन मंडेला जी महात्मा गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित थे, उनके जीवन पर गांधी जी के विचारों का काफी असर हुआ था। एवं वे गांधी जी के विचारों का अनुसरण करते थे, एवं अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए मंडेला जी ने रंगभेद के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था।
  • नेल्सन मंडेला जी को उनके महानतम कामों के लिए साल 1993 में शांति नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका मानना था कि विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता है।
  • 27 साल जेल में बिताने के बाद 10 मई साल 1994 में वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।
  • रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले मंडेला जी ने 3 शादियां की थी। पहली शादी इवलिन मेस, दूसरी शादी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से की और तीसरी शादी ग्रेस मेकल से अपने 80वें जन्मदिन पर की थी।
  • नेल्सन मंडेला को कॉलेज से निकाल दिया गया था, दरअसल वे अपने कॉलेज के दिनों से ही छात्र अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करना शुरु कर दिया था, और इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे थे जिसकी वजह से उन्हें यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था।
  • जब मंडेला जी रंगभेद की नीति के खिलाफ संघर्ष करते हुए जेल में सजा काट रहे थे, उस दौरान उनकी मां और उनके बड़े बेटे का निधन हो गया था, और मंडेला को अपने करीबियों के अंतिम संस्कार में जाने तक की अनुमति नहीं दी गई थी
  • मंडेला ने जेल में गुप्त रुप से अपनी बायोग्राफी लिखी थी, 1994 में उनकी जीवनी ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ पुस्तक के रुप में प्रकाशित हुई थी।।
  • रंगभेद के खिलाफ लड़ाई करने वाले मंडेला ने एड्स के खिलाफ भी जागरूकता फैलाने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई थी। उनके बेटे का निधन भी एड्स के कारण हुआ था।
  • 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला जी के जन्मदिन को दक्षिण अफ्रीका में मंडेला डे के रुप में मनाया जाता है।

नेल्सन मंडेला को अफ्रीका का गांधी कहा जाता था। उन्होंने न सिर्फ रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम भी किया। उन्होंने लोकतांत्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। साल 1993 में नेल्सन मंडेला जी को उनके महानतम काम के लिए साल शांति नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ ने 18 जुलाई को उनके जन्मदिवस को मंडेला दिवस घोषित भी किया है।

नेल्सन मंडेला के तमाम संघर्षों के चलते ही समाज में रंगभेद जैसी बुराई को दूर करने में मद्द मिली है। नेल्सन मंडेला का मानना था कि,

“दृढ़ता, जिद्द और भरोसे से ही इंसान अपने सपने को पूरा कर सकता है।”

1 thought on “नेल्सन मंडेला का प्रेरणादायक जीवन सफर”

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बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है आपने, इस पोस्ट को लिखने का तरीका बहुत ही अच्छा था। धन्यवाद दोस्त इसे लिखने के लिए

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Nelson Mandela Biography in Hindi – नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय

इंडिया बायोग्राफी ब्लॉग में आपका स्वागत है, इस बायोग्राफी लेख में आपको साउथ अफ्रीकन गाँधी नेल्सन मंडेला के जीवन परिचय से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी, तो चलिए जानतें है कि कौन थे नेल्सन मंडेला ? नेल्सन मंडेला का जीवन और काम | nelson mandela, life, work (nelson mandela biography in hindi, wiki , age, quotes, family, books, short bio, bio books, life, dob & more)

Nelson Mandela Biography in Hindi – संछिप्त परिचय

nelson mandela biography in hindi

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, साउथ अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। इनका वास्तविक नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला था। यह दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। इनको साउथ अफ्रीका का गाँधी कहा जाता था।

व्यक्तिगत जीवन और परिवार – 

मंडेला ने अपने जीवन में तीन शादियाँ की थी, जिससे उनकी छह संतानें हुई थी, इनके परिवार में 17 पोते-पोती हैं। बताया जाता है कि वर्ष 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा भी चलाया गया परन्तु उन्हें अदालत ने निर्दोष करार दिया था। वर्ष 1998 में इन्होने अपने 80वें जन्मदिन पर ग्रेस मेकल से विवाह किया था।

वास्तविक नाम – नेल्सन रोलीह्लला मंडेला जन्म – 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका मॉडेला जी महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। राजनितिक पार्टी – अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पत्नी – एवलिन नटोको मेस, विनी मदिकिज़ेला और ग्राशा मैचल बच्चे – मेडिका थेमबेकल मंडेला मैकज़िव मंडेला मैकगाथो लेवानिका मंडेला मैकज़िव मंडेला ज़ेनानी मंडेला ज़िनज़िस्वा मंडेला गृहनगर – ह्यूटन एस्टेट, जोहानसबर्ग, गौटेंग, दक्षिण अफ़्रीका शिक्षा – यूनिवर्सिटी ऑफ़ फोर्ट हेर से धर्म – ईसाई (मेथोडिज़्म) मृत्यु – 5 दिसम्बर 2013 (उम्र 95) वेबसाइट – nelsonmandela.org

नेल्सन मंडेला की शिक्षा –

मंडेला ने अपनी शुरुआती शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की थी, उसके बाद इन्होने आगे की शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली थी , बताया जाता है कि मॉडेला जब महज 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। यह अपने पिता के संतानों में 13 भाइयों में तीसरे पर थे। इनके पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे।

नेल्सन मंडेला का राजनितिक सफर –

मंडेला के बारे में कहा जाता है की यह 1941 में जोहन्सबर्ग चले गये थे जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई थी, जिनसे राजनीतिक रूप प्रभावित होकर नेल्सन मंडेला ने जीवन यापन करने के लिए वहीं पर (जोहन्सबर्ग) एक कानूनी फ़र्म में क्लर्क बन गये थे। बाद में धीर-धीरे समय का पहिया बदला और उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ने लगी, ऐसे में मंडेला ने “रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव” को दूर करने के लिए राजनीति में कदम रखा था, यहीं से शुरू होता है मंडेला का राजनितिक सफर जो इनको साउथ अफ्रीका जैसे देश के राष्ट्रपति पद तक ले गया और यह 10 मई 1994 से 14 जून 1999 तक दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति रहे थे।

इनके जन्म दिवस के दिन को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। मंडेला के बारे में कहा जाता है कि इन्होने रंगभेद के विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रहे। रंगभेद विरोधी संघर्ष की वजह से इनको 27 साल तक रॉबेन द्वीप के कारागार में बिताना पड़ा था, जहाँ इन्होने कोयला खनिक का काम भी किया था, काफी लम्बा संघर्षपूर्ण रहा था नेल्सन मंडेला का जीवन।

मंडेला और मजदूर –

5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया था, उनपर मुकदमा भी चला और अंततः उनको 12 जुलाई 1964 को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। जेल में इन्होने अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू किया था जीवन के 27 वर्ष इन्होने जेल में ही बिताये थे, अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। उसके बाद इन्होने शान्ति की नीति द्वारा एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी थी।

वर्ष 1994 का वो दौर जब साउथ अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए, जिसमे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त किये थे, जिसमे उनको बहुमत के साथ सरकार बनाने का अवसर मिला, इसी क्रम में 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। वर्ष 1997 में मंडेला सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दी थी।

मंडेला की विचारधारा –

इनके बारे में कहा जाता है की यह बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। इनको गांधी से प्रेरणा स्रोत माना जाता था इन्होने उनसे ही अहिंसा का पाठ सीखा था।

नेल्सन मंडेला की मृत्यु –

5 दिसम्बर 2013 का वह दौर जब फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी थी। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की थी।

पुरस्कार एवं सम्मान –

साउथ अफ्रीकन लोग इनको व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे। यह वहां के “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक” भी माने जाते थे। इनको अफ्रीका का “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” भी माना जाता था। वर्ष 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया था।अफ्रीका में प्रायः मंडेला को मदीबा कह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक माना जाता है। इनको विश्व के कई देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान मिले थे।

  • वर्ष 1993 में इनको अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार मिला था।
  • इनको प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम का पुरस्कार भी मिल चूका है।
  • ऑर्डर ऑफ़ लेनिन के पुरस्कार से सम्मानित हो चुके थे मंडेला।
  • भारत रत्न पुरस्कार भी इनको मिला है।
  • निशान-ए–पाकिस्तान के पुरस्कार से भी इनको नवाजा जा चुका था।
  • 23 जुलाई 2008 को मंडेला को गाँधी शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

रोचक जानकारी (Nelson Mandela Biography in Hindi)

  • नेल्सन मंडेला विश्व भर में एक ख्याति प्राप्त नेता रहे हैं।
  • इन्होने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और एक दिन साउथ अफ्रीका जैसे देश के राष्ट्रपति बने।
  • इनको अफ्रीकन लोग गाँधी के नाम से भी जानतें हैं।
  • इनका जीवन काल काफी लम्बा रहा था।
  • 95 वर्ष की उम्र में इनका निधन हुआ था।

Nelson Mandela Biography in Hindi से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी?

इनके बारे में भी पढ़ें –

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जीवनी तिब्बती गुरु दलाईलामा की जीवनी बराक ओबामा का जीवन परिचय

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STORY OBSESSION

नेल्सन मंडेला जीवन परिचय | Nelson Mandela Biography in Hindi 

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Nelson Mandela Biography (Hindi): “मैं कभी हारा नही, मैने या तो जीता या तो सीखा है” ये quotes तो आपने सुना ही होगा। हां, मैं बात कर रही हूं दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति माननीय  नेल्सन मंडेला  की जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने देश के उन साथियों के लिए बलिदान कर दिया जिनके साथ भी वैसा ही सुलूक किया जाता था जैसा इनके साथ इनकी रंग की वजह से हमेशा होता आया था।

Biography of Nelson Mandela in Hindi

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography,) ने दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत और स्वेत लोगो के बीच हो रहे इस भेदभाव के लिए हमेशा आवाज उठाई। इसके लिए इन्हे अपनी जिंदगी के 27 साल जेल में गुजरना पड़ा पर इन्होंने तब भी हार नही मानी। जेल से छूटने के बाद भी लड़ा और जीत कर दिखाया। वहां की आधी से ज्यादा आबादी अश्वेत थी और इसलिए सभी के लिए कुछ करना, उनका हक दिलाना इनके जीवन का उद्देश्य बन गया।

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भारत के निवासी न होने के बावजूद इन्हे “भारत रत्न” से नवाजा गया और वो मान सम्मान मिला जिनके ये हमेशा से हकदार थे। नेल्सन मंडेला सिर्फ भारतीय के लिए ही नही बल्कि पूरे विश्व के लोगो के लिए एक रोल मॉडल है। आज मैं इनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और जीवन परिचय (Nelson Mandela Biography in Hindi) देने वाली हूं। पूरा जरूर पढ़े, मैं दावे के साथ कह सकती हूं आप कुछ नया जरूर सीखेंगे।

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Table of Contents

Nelson Mandela Biography in Hindi (नेल्सन मंडेला जीवनी हिंदी में)

Nelson mandela childhood (नेल्सन मंडेला का बचपन और आरंभिक जीवन).

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography) की आरंभिक जीवन की बात करे तो इनका जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के मेव्जो, ईस्टर्न केप में हुआ था। इनका पूरा नाम नेल्सन मंडेला है। इनके पिता का नाम गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी माता का नाम नेक्यूफी नोसकेनी था। इनकी मां इनके पिता की तीसरी पत्नी थी। नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography,) अपनी मां नोसकेनी की पहली संतान थे। और अपने पिता गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा की तीसरे बेटे थे। इनके 13 भाई और थे जिनमे इनका तीसरा स्थान था।

इनके नाम के पीछे मंडेला का अर्थ सरदार होता है, जो इनको अपने पिता गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा से विरासत में मिला था। दरअसल, इनके पिता हेनरी मोव्जे अपने घर के कस्बों के जनजातीय सरदार थे और वहां की स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को लोग मंडेला कह कर बुलाते थे। और यही से इनका उपनाम मंडेला प्राप्त हुआ।

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography) की शुरुआती नाम नेल्सन नही था, बल्कि इनके पिता ने तो इनका पहला नाम “रोलिहाला” दिया था, जिसका अर्थ “उपद्रवी” होता है। इनकी मां एक मैथोडिस्ट थी और साथ ही एक हाउस वाइफ भी थी। इनका बचपन साधारण गुजरा था। क्योंकि इनके पिता, दादा परदादा काफी राइस फैमिली से बिलॉन्ग करते थे। एक ऐसे घर में इनका जन्म हुआ था जहां किसी चीज की कमी नही थी। लेकिन, जब ये महज 12 साल के थे इनके पिता की मृत्य हो गई। इसकी वजह इन्हे घर भी संभालना पड़ा।

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography in hindi,) का व्यक्तित्व ऐसा था की इनसे कोई भी बात कर ले। ये बहुत ही दयालु और साधारण रहन सहन के थे। अपने पिता के तो ज्यादा करीब नही थे पर अपनी मां से बेहद प्यार करते थे। अपनी मां इनके लिए इनकी आदर्श थी लेकिन, ज्यादा प्यार दिखाना पसंद नही करते थे। अपने पिता की मौत के बाद नेल्सन मंडेला अपनी मां के साथ अपना गांव छोड़ कर दूसरी जगह आ गए और इनको जोगिंताबा ने गोद ले लिया था। जोगिंताबा भी उस समय के सरदार थे और उनके सरदार बनने में नेल्सन मंडेला के पिता ने की थी इसलिए उनके जाने के बाद उन्होंने उन्हे सहारा दिया।

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography,)जब 16 साल के हुए तब दक्षिण अफ्रीका का एक नियम था की जितने भी ट्राइबल लोग है और इस उम्र को पर कर गए है उन्हे अपनी पीठ पर मार कर आदमी बनने का हक मिल जाएगा। हालांकि, नेल्सन मंडेला उस वक्त इन सारी बातों से अंजान थे की ये कोई जरूरी नहीं है। उसी दिन उनके घर के आसपास कोई नेता भाषण दे रहा था। और उसने बताया की अंग्रेज और वहां की सरकार काले लोगो के साथ अन्याय कर रही है। तब से नेल्सन मंडेला ने सोच लिया था की उन्हे कुछ ऐसा करना है की यहां के लोग इसे आगे न जूझे।

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नेल्सन मंडेला शिक्षा (Nelson Mandela Education)

Nelson Mandela जब अपनी यंग एज में थे तब उनके उनके पास पढ़ाई और शादी दो ऑप्शन था। चुकी इन्हे शुरू से ही पढ़ाई में बहुत इंटरेस्ट था और ये अपनी कम्युनिटी के लिए कुछ बड़ा करना चाहते थे इसलिए अपनी पढ़ाई में लग गए।

Nelson Mandela  Biography, की शुरुआती पढ़ाई क्लार्कबेरी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की। ये इंस्टीट्यूट उस समय की बहुत हाई क्वालिटी इंस्टीट्यूट थी जो थेंबूलैंड में स्थित थी। नेल्सन जब 19 के थे तब इन्होंने “जस्टिस” के साथ पढ़ाई की जो इनका सौतेला भाई था, लॉ की पढ़ाई हेलटाउन से की, सन 1937 में। शुरुआती दिनों में इनको शहर के तौर तरीके और पढ़ाई को सीखने में थोड़ी दिक्कत हुई। क्योंकि ये बचपन से गांव में रहा करते थे।

सभी मुश्किलों से निकल कर खूब पढ़ाई की और सभी क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, चाहे वो स्पोर्ट्स हो, या स्कूल का कोई और फंक्शन। भेदभाव का सामना वहां भी करना पड़ा पर कभी हार नही मानी और आगे बढ़ते रहे।

अभी तक इन्होंने जितने भी स्कूल में पढ़ा था वो सभी एक मिशनरी स्कूल और कॉलेज थे। इसलिए अंग्रेजो का दबदबा रहता था। इसलिए उन्होंने फाइनली डिसाइड किया की वो ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने जाएंगे।

नेल्सन मंडेला से जुड़े रोचक तथ्य (Amazing Facts)

1.नेल्सन मंडेला की शादी जिस लड़की से तय हुई थी वो इनके भाई जस्टिस से प्यार करती थी।

2. Nelson Mandela Biography, इनके भाई जस्टिस और इनकी होने वाली दुल्हन भाग कर शादी करने वाले थे।

3. जब ये बात नेल्सन मंडेला को पता चलती है तो ये उनका साथ देते हुए साथ में भाग जाते है। क्योंकि उस समय इन्हे शादी नही करनी थी।

4. Nelson Mandela Biography, इनके पिता जोगिंतांबा का दबदबा होता है, और इनकी खोज शुरू हो जाती है। पर ये तीनों छिपते छिपाते जोहनसबर्ग में चले जाते हैं और वहां सेटल हो जाते है।

5. नेल्सन मंडेला एक राइस फैमिली से थे इसलिए उन्हें उस दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। पैसे नहीं थे इसलिए इनके भाई जस्टिस ने क्लर्क की नौकरी की और इन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की।

6. Nelson Mandela Biography,ये सारी बाते इन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी बुक में लिखी है। जिन्हे पढ़ कर आप हंस पड़ेंगे।

7. कुछ दिन नौकरी करने के बाद इनके पिता को पता चल जाता हैं और उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है।

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नेल्सन मंडेला की राजनीतिक कैरियर (Nelson Mandela Political Career)

अपने जॉब से निकले जाने के बाद इनकी मुलाकात A.B.Xuma से होती है। जो इनका पुराना दोस्त था और वो उस वक्त प्रेसिडेंट जनरल था अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (African National Congress) पार्टी का। और यही से इनकी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत होती है।

Nelson Mandela image

यहां से उन्होंने अपना मन बना लिया और अपने भाई से अलग होकर अलेक्सेंड्रिया चले आए। यहां पर भी इनकी जिंदगी आसान नहीं थी। कभी कभी इन्हे खाना भी नसीब नहीं होता था और कपड़े के लिए भी सोचना पड़ता था।

इसी बीच साल 1941 में इनके लिए एक लेटर आता है जो इनके पिता के तरफ से होता है। वो उन्हे अपने पास बुला रहे होते है और सभी गिले शिकवे दूर हो जाते है। लेकिन, इसके बाद उनकी भी मृत्यु हो जाति है और उनके खून के बेटे ने सारा घर बार और सब खुद ले लेता है। लेकिन, इन्होंने इस पर ध्यान न देते हुए अपने राजनीति पर ध्यान दिया।

साल 1943 के बाद ANC यूथ लीग की स्थापना की। जब ये जोहनबर्ग में थे तो वहां रंगो को लेकर जो भेदभाव हो रहे थे इसके लिए इन्होंने आवाज उठाई और तब इन पर अग्रेजों ने मुकदमा दर्ज किया। यह साल 1956 का था और इसमें इनके साथ 155 कार्यकर्ता और भी शामिल थे लेकिन इस मुदकदमे को चार साल बाद खत्म किया गया।

1958 में जब नेल्सन मंडेला जेल में थे तब इन्होंने दूसरी शादी की जो इन्हे जेल से निकालने में मददगार साबित हुई। साल 1960 में ANC पर रोक लगा दी गई जिसकी वजह से इन्हें भूमिगत होना पड़ा था। इसके बाद वो रुके नहीं और एक आंदोलन शुरू कर दिया और इसके लिए भी इन पर हिंसा करने आरोप लगा। और यहां भी इन्हे जेल में जाना पड़ा। नेल्सन मंडेला अपने विचारो में अस्पष्ट थे की इन्हे दक्षिण अफ्रीका के अस्वेत लोगो के लिए स्वतंत्रता, समानता और प्रजातंत्र चाहिए।

ये वो दौर था जब दक्षिण अफ्रीका के लोग नेल्सन मंडेला को अपने नए और आगामी राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते थे। क्योंकि यहां की ¾ आबादी अश्वेत लोगो की थी और नेल्सन मंडेला इनकी हक की बात करते थे। मजदूरों में हड़ताल की और मंडेला को साथ देख कर अंग्रेजो ने इनको उन्हे उकसाने के लिए गिरफ्तार किया। 5 अगस्त 1962 को ये सारी घटना हो रही थी। और ये मुकदमा दो साल चलने के बाद नेल्सन मंडेला को 12 जुलाई 1964 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

रोबिन दीप की जेल में उन्हे रखा गया। और कहा जाता है की ये सबसे कड़ी जेल थी। लेकिन, इनके खून में स्वतंत्रता का बहाव हो रहा हो उन्हे चैन कहा। उस जेल में भी अश्वेत कादियो के साथ आए और वहां की एक उम्मीद दिखी। 27 साल की सजा काटने के बाद 11 फरवरी 1990 को वो जेल से छूटे। जेल से निकलते ही इन्होंने शांति का प्रस्ताव भेजा और लोकतंत्र के लिए भी कहा।

1990 में अंग्रेजो ने इनके प्रस्ताव को माना और फिर इन्होंने एक नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। इस समय पूरे विश्व के लिए ये एक प्रतीक बन गए। और काले और गोरे रंग के भेदभाव को जड़ से खत्म करने का निर्णय लिया। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति, पूरी बहुमत के साथ बने।

दोस्तो, ऐसी संघर्ष भरी रही इनकी पॉलिटिकल जिंदगी। लेकिन तब से सभी को बराबर का अधिकार मिला और आज दक्षिण अफ्रीका के लोग इनका बहुत ज्यादा सम्मान करते है।

Nelson Mandela Day (नेल्सन मंडेला दिवस)

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography) ने जो अपने देश वासियों के लिए किया था इससे ये सबकी नजरों में रियल हीरो बन गए थे। और इनकी इज्जत बढ़ने और इनको सम्मान देने के लिए 2009 में इनके जन्म दिवस (18 जुलाई) को “नेल्सन मंडेला दिवस” घोषित किया गया।

नेल्सन मंडेला शादीशुदा जिंदगी ( Nelson Mandela married life)

Nelson Mandela की शादीशुदा जिंदगी अच्छी रही। इन्होंने तीन शादियां की जिससे इनकी 6 संतान है। इनके 17 पोता पोती है। पहली शादी इन्होंने अपनी दोस्त (वॉल्टर सिसुल) की बहन एवलिन मेस से 1944 में की थी। फिर इन्होंने दूसरी शादी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से की जिन्होंने इनकी काफी मदद की है। और जब ये 80 साल के थे तब इन्होंने तीसरी शादी ग्रेस मेकल से की थी।

शादीशुदा होते हुए इन्होंने अपनी ज्यादातर जिंदगी वहां के लोगो के लिए जी है। इन्होंने एक बार अपने देश वासियों से एक निवेदन किया था की वो 24 घंटे में 67 मिनट किसी की मदद करने में लगाए।

Nelson Mandela Awards (नेल्सन मंडेला पुरस्कार)

जिस तरह के इन्होंने काम किए थे और अपनी पूरी जिंदगी वहां के लोगो के न्योछावर किया ये सच में कबीले तारीफ तो थी ही। इसलिए देश के अलग अलग जगह से इन्हे पुरस्कार दिए गए।

भारत से भी इन्हे “भारत रत्न” दिया गया। और ये दूसरे ऐसे विदेशी थे जिन्हे ये पुरस्कार दिया गया था। इससे पहले मदर टेरेसा को इसका सम्मान मिला था।

नेल्सन मंडेला को “नोबेल प्राइज” से नवाजा गया था।  ऐसे इन्होंने 250 पुरस्कार अपने नाम किए। नेल्सन मंडेला सभी के लिए एक मिसाल थे। इनकी जिंदगी एक  Motivational people  में शामिल है।

नेल्सन मंडेला की ऑटोबायोग्राफी बुक (Autobiography book of Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला ने आत्मकथा किताब लिखी थी। जिसमे इन्होंने अपनी जीवन के हर एक रंग को बताया है। काफी  Inspirational books  है। मैने इसे पढ़ा है तो सोचा आपको बता दूं। किसी किसी वाक्य को पढ़ कर आप हंस पड़ेंगे तो किसी को पढ़ कर अफसोस होगा। लेकिन, जो बात गौर करने वालीभाई वो ये है की इन्होंने हर सिचुएशन को झेलने के बाद भी सपना देखा और उसे जीत कर दिखाया।

इस motivational किताब से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। सच में कमाल का बुक है।

खुद के लिए तो हर कोई जीता है पर दुसरो के लिए कोई फरिश्ता ही जी सकता है। और ये बात इन्होंने साबित कर दी है। दक्षिण अफ्रीका के लोगो के लिए ये किसी फरिश्ते से कम नहीं।

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नेल्सन मंडेला का भारत से जुड़ाव (Nelson Mandela attachment with India)

नेल्सन मंडेला (Nrlson Mandela Biography) को भारत से बहुत जुड़ाव था। ये बात इन्होंने खुद अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखी है। नेल्सन मंडेला गांधी जी के नक्शे कदम पर चल कर अपने देश को आजाद कराया था। इन्होंने कई बार भाषण दिए है जो भारत के महान शासियत से प्रेरित थे जैसे की जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी जी इत्यादि।

इनके कई दोस्त भी भारत से थे और इनका सपोर्ट भारत को हमेशा रहा। भारतीय लोगो से और भारत की मिट्टी से इन्होंने बहुत कुछ सीखा और अपने जीवन में उतारे थे।

हम भारतीय है और हमे इस बात पर गर्व होना चाहिए। ये बात हर भारतीय के गर्व की बात है की दूसरे देशों के लोग हमारी मिट्टी से प्रेरणा लेते है।

Nelson Mandela Biography

नेल्सन मंडेला मृत्यु (Nelson Mandela Death)

नेल्सन मंडेला को मृत्यु 5 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की उम्र में हुई थी। इनको रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन था जो काफी लंबे समय से था। इनकी मृत्यु के वक्त इन्हे और भी कई बीमारियां हो गई थी।

इनकी मृत्यु से हर देश के लोग शोक में चले गए थे और दक्षिण अफ्रीका के लोगो की आखों में आसूं थे। इनके सम्मान में किसी ने कोई कमी नही की थी। ये हर किसी के लिए रोल मॉडल थे और अपनी छवि हर किसी के दिल में छोड़ कर गए है।

मृत्यु से पहले इन्होंने 2006 में राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया और सिर्फ सोशल वर्क ही किया करते थे। ये भावना जो थी इनके अंदर लोगो की मदद करने की ये मरते दम तक काम नही हुई थी। और इसी लिए आज भी लोग इनके बारे में बात करना पसंद करते है। आपको अभी तक Nelson Mandela Biography कैसी लगी।

1. नेल्सन मंडेला का जन्म कब हुआ था?

Ans. 18 July 1918 को

2. नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela Biography) का जन्म कहां हुआ था?

Ans. ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका में

3. मंडेला ने कितने साल जेल में बिताए?

Ans. 27 साल

4. दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति (Nelson Mandela Biography) कौन थे?

Ans. Nelson Mandela

5. नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में किसके खिलाफ आंदोलन किया?

Ans. स्वेत/ अंग्रेजो के खिलाफ

6. नेलसन मंडेला दिवस (Nelson Mandela Biography) 

Ans. 18 जुलाई

अंतिम कुछ बाते:

दोस्तो, ये नेल्सन मंडेला की आत्मकथा है और आपको ये मेरी आज की आर्टिकल नेल्सन मंडेला जीवनी | Nelson Mandela Biography in Hindi, कैसी लगी। इस बायोग्राफी में आपको क्या क्या अच्छा लगा और क्या क्या सीखने को मिला ये हमे Comment करके जरूर बताएं।

दोस्तो अगर आपको नेल्सन मंडेला के जीवन और संघर्ष के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखनी हो तो क्या लिखोगे हमे कमेंट करके बताए। अगर पसन्द आया तो like करना ना भूलें और अपने दोस्तो के साथ Share जरूर करें।

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  • किचेन हेक्स जो क्लीनिंग में मदद करती है।

4 thoughts on “नेल्सन मंडेला जीवन परिचय | Nelson Mandela Biography in Hindi ”

बहूत ही अच्छा लखा है आपने

Thank you 😊 dear

Great Content, Thanks for sharing it.

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Nelson mandela in hindi biography नेल्सन मंडेला की जीवनी.

Read biography of Nelson Mandela in Hindi language of politicians and students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. नेल्सन मंडेला की जीवनी।

hindiinhindi Nelson Mandela in Hindi

Nelson Mandela in Hindi Biography

अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस के नेता नेल्सन मंडेला विश्वविख्यात पुरूष, राजनेता और मानवतावादी थे। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने अपने देशवासियों के नागिरक अधिकारों, स्वतन्त्रता, न्याय और आत्मसम्मान के लिए एक लम्बा संघर्ष किया उन्होंने रंगभेद को समाप्त कराने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें तथाकथित देशद्रोह के अपराध में 1962 में जेल भेज दिया गया और 27 वर्ष बाद 1989 में रिहा किया गया। लेकिन मंडेला ने अपने लम्बे संघर्ष में कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया। उन्होंने हमेशा शांति व अहिंसा का मार्ग ही स्वीकार किया।

रंगभेद और जातिभेद की दु:खद कहानी का प्रारम्भ दक्षिणी अफ्रीका में 20वीं सदी के प्रारम्भ से हुआ। बोअर लोगों ने इस रंगभेद की शुरूआत की। बोअर लोग यूरोपीय मूल के लोग थे और दीर्घ काल तक वहां शासन करते रहे। अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस की 1912 में स्थापना हुई। इसका प्रमुख उद्देश्य रंगभेद, अन्याय और शोषण को समाप्त कर समानता, स्वतन्त्रता तथा न्याय पर आधारित समाज की स्थापना करना था। वहां की अल्पसंख्यक गोरी सरकार ने ऐसे कानून बनाये जो रंगभेद, जातीय असमानता और शोषण को बढ़ावा देने वाले थे। गोरी सरकार ने कांग्रेस को अवैध घोषित कर उस पर पाबंदी लगा दी। सन् 1960 में रंगभेद विरोधी आन्दोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया और 20 हजार लोगों ने शापविल में एक बहुत बड़ा प्रदर्शन किया। प्रारम्भ में सब कुछ शांतिपूर्ण था परन्तु तुरन्त ही भीड़ अनियंत्रित और हिंसक हो उठी और पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं जिस कारण 67 अफ्रीकी लोग मारे गये तथा 186 लोग घायल हो गये।

सन् 1980 तक कई देशों ने इस घटना को प्रतिक्रिया स्वरूप दक्षिणी अफ्रीका पर प्रतिबंध लगा दिये। 1970 के बाद वर्षों में गोरी सरकार ने कुछ रियायतें देना शुरू किया और कुछ नीग्रो संगठनों को काम करने की छूट दे दी। 1980 में नीग्रो लोगों के अतिरिक्त अन्य लोगों को संसद में प्रवेश की अनुमति दे दी। लेकिन अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस रंगभेद को पूरी तरह समाप्त करना चाहती थी। अत: इसने अपना संघर्ष जारी रखा। 1990 में जब डी क्लार्क वहां के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने रंगभेद को समाप्त कर काले लोगों और उनके राजनीतिक दलों पर से सभी प्रतिबंध हटा दिये। वे उदार विचारधारा और खुले दिमाग के व्यक्ति थे। सभी राजनीतिक बंदियों को उन्होंने जेलों से छोड़ दिया।

1994 में पहले ऐसे आम चुनाव दक्षिणी अफ्रीका में हुए जिसमें 1 करोड़ 80 लाख नीग्रो लोगों ने भी भाग लिया। इसके साथ ही 300 वर्षों से चले आ रहे जातीय संघर्ष और रंगभेद की समाप्ति हो गई। मंडेला की अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस को 65 प्रतिशत मत मिले। इस बढ़त के कारण नैलसन मंडेला वहां के प्रथम नीग्रो राष्ट्रपति बनाये गये। यद्यपि नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में वहां के लोगों ने रंगभेद और जातीय असमानता के विरुद्ध एक बहुत बड़ी विजय पाई थी परन्तु दक्षिणी अफ्रीका के सामने कई बड़ी-बड़ी चुनौतियां तथा समस्याएं थीं। मंडेला उनके समाधान में जी-जान से जुट गये। अंतत: मंडेला ने सन् 1999 में सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान दिये गये। इन में 1993 में उन्हें शांति के लिए दिया गया नोबल पुरस्कार सबसे उल्लेखनीय है।

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को उमतला के निकट ट्रांसको में हुआ था। अपने छात्रकाल से ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में भाग लेना शुरू कर दिया। अत: उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया। सन् 1994 में मंडेला ने अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस की सदस्यता ले ली और रंगभेद तथा नस्ली अन्याय के विरुद्ध संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाने लगे। उन्होंने भूमिगत होकर अपना संघर्ष जारी रखा परन्तु 1962 में पकड़े गये और दो वर्ष पश्चात् उन्हें जेल भेज दिया गया। लेकिन जेल में रहकर भी वे इस संघर्ष में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते रहे। शीघ्र ही वे इस संघर्ष के प्रमुख नेता और महान मार्गदर्शक बन गये। वहां की गोरी सरकार को भी मंडेला का महत्त्व और मूल्य शीघ्र ही पता लग गया और वह उनसे बातचीत करने लगी। राष्ट्रपति एफ. डब्लू. डी. क्लार्क ने उनके साथ जेल में और वहां से बाहर आने पर अपना वार्तालाप व समझौते की प्रक्रिया जारी रखी।

क्लार्क समस्या के शांतिपूर्ण हल के पक्ष में थे लेकिन स्थिति ने उस समय उग्र रूप धारण कर लिया जब दक्षिण अफ्रीकी कांग्रेस के एक बहुत बड़े गुट ने, हिंसक संघर्ष शुरू कर दिया। इससे देश में नफरत, द्वेष और हिंसा का वातावरण बन गया और शांति प्रक्रिया को बड़ी हानि पहुंची। दूसरे ओर अल्पसंख्यक गोरे लोग भी हिंसक प्रदर्शन करने लगे और नीग्रो लोगों को उनके अधिकार दिये जाने का विरोध करने लगे। लेकिन मंडेला ने बहुत सूझबूझ, धैर्य और राजनीतिक परिपक्वता का परिचय देते हुए समस्या को सुलझा लिया।

मंडेला पर गांधी जी का बहुत प्रभाव है। वे गांधी जी की अहिंसा, अवज्ञा आंदोलन तथा असहयोग में विश्वास रखते हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हमेशा शांतिपूर्ण उपाय अपनाये। अतः उन्हें अफ्रीकी गांधी के नाम से भी जाना जाता है। मंडेला के राष्ट्रपति बन जाने के साथ ही दक्षिणी अफ्रीका पर विभिन्न देशों द्वारा लगाये गये प्रतिबंध भी समाप्त कर दिये गये। मंडेला भारत के एक बहुत बड़े मित्र तथा प्रशंसक हैं और कई बार यहां आ चुके हैं। 1979 में उन्हें जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1990 में उन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। सन् 2000 में पुन: उन्हें गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंडेला अपने धैर्य और राजनीतिक उदारता के लिए भी बहुत विख्यात हैं। मंडेला का विवाह सन् 1958 में विनी मंडेला से हुआ था। विनी ने देश की स्वतन्त्रता के संग्राम में अपने पति मंडेला का पूरा साथ दिया।

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नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय(Biography)?

नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने लोगों की विचारधारा को बदल दिया। उनका पूरा नाम नेल्सन रोलिहयाला मंडेला था। नेल्सन मंडेला ने उस समय चल रहे रंग भेदभाव का कड़ा विरोध किया था और एक मसीहा और अफ्रीकियों के पिता के रूप में आए थे।

नाम नेल्सन मंडेला

  • जन्म 18 जुलाई,1918
  • जन्म स्थान कुनु(दक्षिण अफ्रीका)
  • पिता गादला हेनरी मण्डेला
  • माता ग्रासा मिसेल/विनी मण्डेला /इविलिन मेस
  • पुत्र मकाजिव/मकगाडो/थेम्बेकिले
  • पुत्री जेनानी/ जिन्दजिस्वा
  • निधन 5 दिसम्बर,2013
  • राष्ट्रीयत्व साउथ आफ्रिका

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) का जीवन

नेल्सन मंडेला Nelson Mandela का जन्म 18 जुलाई 1981 को म्वेज़ो, पूर्वी केप, दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। उनके पिता का नाम गेदला हेनरी महाकेनिसवा था और उनकी माता का नाम नट्टुफी नोस्केनी था। उनके पिता उस समय अपने शहर के आदिवासी मुखिया थे। अफ्रीका के इस शहर के अनुसार सरदार के बेटे को स्थानीय भाषा में मंडेला भी कहा जाता है, जिसके कारण नेल्सन मंडेला Nelson Mandela को यह उपनाम मंडेला मिला। उनकी मां पेशे से मेथोडिस्ट थीं। उनके पिता का निधन हो गया जब नेल्सन केवल 12 वर्ष के थे। नेल्सन मंडेला Nelson Mandela की प्रारंभिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में हुई। नेल्सन मंडेला Nelson Mandela की मूल शिक्षा हील्डटाउन में हुई, जहां उनकी मुलाकात ओलिवर टैम्बे से हुई, जो उनके आजीवन मित्र और सहयोगी बने।

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नेल्सन मंडेला का राजनीतिक जीवन

1943 में, वह पहली बार एक कार्यकर्ता के रूप में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, जिसके बाद वे ANC यूथ लीग के संस्थापक बने। 1944 में उन्होंने एवेलिस मेस नाम की एक महिला से शादी की और तीन बच्चे पैदा हुए लेकिन 1957 में उनका तलाक हो गया। इसके बाद नेल्सन मंडेला Nelson Mandela ने कानून पारित किया और अपने साथी ओलिवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग में कानून का अभ्यास करना शुरू किया। दोनों ने मिलकर रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाई। इसी वजह से 1956 में उनके साथ 155 कर्मचारियों पर मुकदमा चलाया गया, जिसे चार साल बाद समाप्त कर दिया गया।

1958 में, उन्होंने मदिकिज़ेला नाम की एक दूसरी महिला से शादी की, जिसने नेल्सन मंडेला को जेल से रिहा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1960 में ANC पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसके कारण नेल्सन मंडेला Nelson Mandela को भूमिगत होना पड़ा था। अब उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अभियान शुरू किया। इस कारण उन पर हिंसक कार्रवाई का आरोप लगाया गया और उन्हें बंदी बना लिया गया। अब उन्होंने अपने बचाव में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के बारे में विचार व्यक्त किए। 1964 में, उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela’s) का वैवाहिक जीवन

नेल्सन मंडेला Nelson Mandela ने तीन शादियां की थीं जिनमें उनके 6 बच्चे थे और उनके 17 पोते-पोतियां हैं। 1944 में उनकी शादी उनके दोस्त वतार सिसुलु की बहन से हुई थी। 1961 में, उन्होंने नोमजामो विनी मेडिकिलाजा से शादी की, और 1998 में, जब उन्होंने 80 साल की उम्र पार की, तो उन्होंने ग्रेस मर्केल से शादी की और यह उनकी तीसरी शादी थी।

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नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) बने पहले राष्ट्रपति

वर्ष 1994 में दक्षिण अफ्रीका में चुनाव हुए और नेल्सन मंडेला Nelson Mandela ने अफ्रीकन नेशनल लीग कांग्रेस में चुनाव लड़ा और 62% वोट प्राप्त कर अपनी चुनाव लड़ने वाली पार्टी को हरा दिया और उसी बहुमत से देश के राष्ट्रपति बने। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला ने काफी संघर्ष के बाद राष्ट्रपति के रास्ते पर कदम रखा। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने हमेशा अहिंसा का रास्ता चुना और इसके लिए उन्होंने हमेशा महात्मा गांधी को अपनी प्रेरणा माना। वर्ष 1996 में उन्होंने अफ्रीकी संविधान में कई बदलाव लाए और न केवल अफ्रीका में बल्कि दुनिया भर में कई संस्थान बनाए जहां अफ्रीकी लोग दूसरे देशों में गर्व के साथ रह सकते हैं। वर्ष 1999 तक नेल्सन मंडेला Nelson Mandela ने देश हित में कई कानून लागू किए और इसलिए उनके लोग आज भी उन्हें अपना भगवान मानते हैं।

महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित

महात्मा गांधी Mahatma Gandhi की अहिंसा और असहयोग की विचारधारा का मंडेला पर बहुत प्रभाव पड़ा। वह अपने जीवन में गांधी के विचारों के प्रभाव के बारे में बात करते थे। 2007 में नई दिल्ली में एक सम्मेलन में अपने वीडियो संदेश में, मंडेला ने कहा, “दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है। मेरे अंदर गहरा भेदभाव था जो समाप्त हो सकता था।”

नेल्सन मंडेला की मृत्यु

दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला Nelson Mandela का 5 दिसंबर 2013 को जोहान्सबर्ग के ह्यूटन में उनके घर पर फेफड़ों के संक्रमण से निधन हो गया। उनके निधन की घोषणा सबसे पहले राष्ट्रपति जैकब जुमा ने की थी। 5 दिसंबर 2013 को नेल्सन मंडेला Nelson Mandela का निधन हो गया। फेफड़ों के संक्रमण के कारण उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के समय वह 95 वर्ष के थे और उनका परिवार उनके साथ था। उनके निधन की घोषणा राष्ट्रपति जैकब जुमा ने की। भले ही नेल्सन मंडेला Nelson Mandela आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके संघर्ष की कथा पूरी दुनिया को प्रेरित करने के लिए जीवित है। उन्होंने एक स्वतंत्र समाज की कल्पना की, जहां सभी लोग एक साथ शांति से रह सकें।

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बचपन और शुरुआत | Nelson Mandela Biography in Hindi

बचपन और शुरुआत हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इसी तरह नेल्सन मंडेला का भी बचपन एवं शुरुआत उनके जीवन का एक अहम हिस्सा था। वे दक्षिण अफ्रीका के एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे और उन्हें उनके परिवार ने बचपन से ही जो शिक्षा दी वो उन्हें उनके जीवन के लिए एक अद्भुत सम्पदा साबित हुई।

नेल्सन मंडेला के बचपन की बात करें तो वे अपने परिवार के साथ गांव में रहते थे जहां उनके पिता एक ग्राम पंचायत का सदस्य थे। नेल्सन को उनके पिता से अपनी देशभक्ति की भावना भी प्राप्त हुई थी जो उन्हें बाद में उनके जीवन की लंबी लड़ाई में साथ देने में मदद करी। वे अपनी मां के साथ एक आदर्शवादी परिवार में रहते थे और उन्होंने अपने जीवन के बचपन से ही अपार्थेइड विरोधी आंदोलन में शामिल होने का फैसला लिया था।

Nelson Mandela

इस भाग में हम नेल्सन मंडेला के जीवन के इस महत्वपूर्ण पहलू को और भी गहराई से जानेंगे। हम उनके बचपन से ही शिक्षा और संस्कार की महत्ता को समझेंगे जो उन्हें उनकी जीवन की लंबी लड़ाई में सफल होने में मदद करे। इसके अलावा, हम उनकी शुरुआती जीवन के महत्वपूर्ण दिनों के बारे में भी जानेंगे, जब उन्होंने अपनी राजनीतिक एवं सामाजिक जंग शुरू की।

नेल्सन मंडेला के बचपन का अनुभव उन्हें उनकी जीवन की सीख देने के साथ-साथ उन्हें उनकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दायित्व की ओर आग्रह करता था। उनके परिवार ने उन्हें दक्षिण अफ्रीका के अपार्थेइड के विरोध में सशक्त ढंग से संघर्ष करने की प्रेरणा दी थी। नेल्सन ने बचपन में ही इसका समर्थन करना शुरू कर दिया था।

उन्होंने अपनी शुरुआती जीवन में बहुत से उद्देश्य और लक्ष्य बनाए। नेल्सन मंडेला एक जनता नेता थे जो दक्षिण अफ्रीका में अपार्थेइड के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने राजनीतिक दलों का संगठन किया और अपने साथियों के साथ लड़ाई जारी रखी।

नेल्सन मंडेला की यात्रा | Nelson Mandela Biography in Hindi

नेल्सन मंडेला की यात्रा एक अनुपम अनुभव है, जो एक नये दौर की शुरुआत करता है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने जीवन के अंतर्गत अनेक संघर्ष झेले। उनकी यात्रा भारत और दक्षिण अफ्रीका से लेकर उनके विवाह, जेल अवधि और उनके बाद के जीवन तक की जानकारी से भरपूर है।

नेल्सन मंडेला की यात्रा उनके जीवन के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण दौरों से गुजरती है। वे एक स्वतंत्रता संग्रामी थे जो अपने देश दक्षिण अफ्रीका के लोगों के लिए आवाज उठाते थे। उनका संघर्ष अपर्याप्त शिक्षा, अलगाव, उत्पीड़न और जेल जैसी कठिन परिस्थितियों से भरा था।

नेल्सन मंडेला की यात्रा उनके समर्थकों के लिए प्रेरणादायक होती है। उन्होंने समाज में एकता और शांति के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने जीवन में किसी भी मुश्किल से परास्त होने का संदेश दिया।

Nelson Mandela

अंत में, नेल्सन मंडेला की यात्रा उनके समाज में बदलाव लाने के लिए एक मिशन बन गई थी। वे देश के सभी लोगों के लिए समान अधिकार की मांग करते थे। उन्होंने अपराधियों और उत्पीड़ितों के लिए लड़ाई लड़ी और उनके लिए न्याय की मांग की। उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय जेल में भी गुजारा, जहां उन्होंने उत्पीड़न से सामना किया और दुर्घटनाग्रस्त लोगों के लिए मदद की।

नेल्सन मंडेला की यात्रा में एक ऐसा महत्वपूर्ण संदेश है, जो हमें समाज के लिए लड़ने की जरूरत और समझ देता है। उन्होंने समाज की समस्याओं के सामने खड़े होकर उन्हें हल करने के लिए लड़ाई लड़ी। उनकी यात्रा उनके संघर्ष की एक महत्वपूर्ण अंग को दर्शाती है जो लोगों को संघर्ष करने और समाज के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करता है।

अगले पदवी पर नेल्सन मंडेला की यात्रा ने उन्हें देश के राष्ट्रपति के रूप में चुना और उन्होंने अपने देश के लिए लगातार काम किया।

नेल्सन मंडेला जीवनी की महत्त्वपूर्ण घटनाएं | Nelson Mandela Biography in Hindi

Nelson Mandela Biography in Hindi – नेल्सन मंडेला जीवनी की महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से पहली घटना उनका जन्म है। वह 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे थे। नेल्सन मंडेला ने अपनी शुरुआती शिक्षा में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके घर के लिए साधारण शिक्षा के लिए कम धन था।

दूसरी महत्त्वपूर्ण घटना नेल्सन मंडेला के जीवन में उनकी शादी है। उन्होंने 1944 में ईवा गिसोनी से शादी की थी, जो एक रोमांटिक और स्थायी संबंध बनाने के लिए महत्वपूर्ण थी।

तीसरी महत्त्वपूर्ण घटना नेल्सन मंडेला के जीवन में उनका स्वतंत्रता संग्राम था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपार्थेइड व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी जान की परवाह किए बिना समाज की स्थिति में सुधार करने के लिए संघर्ष किया।

चौथी महत्त्वपूर्ण घटना नेल्सन मंडेला के जीवन में उनके दक्षिण अफ्रीका के जेल जाने की थी। उन्होंने उन दिनों में एक असंख्य क्रांतिकारियों के साथ लड़ाई लड़ी थी जिन्होंने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने 1962 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में 27 वर्षों के लिए कारावास में रहने का संघर्ष किया। इस समय में वह शिक्षा और विवेकानंद से जुड़ा रहा और अपनी मानसिक शक्ति का इस्तेमाल कर अपने संगठन को संचालित किया।

पांचवीं महत्त्वपूर्ण घटना नेल्सन मंडेला के जीवन में उनकी रिहाई थी। उन्हें 1990 में रिहा किया गया था, जो दक्षिण अफ्रीका के अपार्थेइड के खिलाफ संघर्ष करने वालों के लिए एक बड़ी जीत थी। उन्होंने अपने बचाव के दिनों में अपने संगठन के साथ और उनके साथियों के साथ सामाजिक सुधार के लिए काम किया।

1918 नेल्सन मंडेला का जन्म
1944 नेल्सन मंडेला और वाल्टर सिसुलु के साथ अधिकारिक आंदोलन शुरू किया गया
1956 नेल्सन मंडेला और 150 अन्य नेताओं की गिरफ्तारी, ट्रेजन वाइन विचाराधीनता और अपराधों के आरोपों में
1962 नेल्सन मंडेला को उम्रकैद की सजा हुई
1990 नेल्सन मंडेला को रिहा कर दिया गया
1993 नेल्सन मंडेला को नोबेल शांति पुरस्कार मिला
1994 दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद नेल्सन मंडेला ने अपार सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रयास किए

नेल्सन मंडेला जीवनी का समापन | Nelson Mandela Biography in Hindi

दक्षिण अफ्रीका के पहले स्वर्णिम अध्यक्ष नेल्सन मंडेला जीवन भर लोगों के दिलों में बसे रहेंगे। उन्होंने अपराध के आरोप में 27 साल की कैद के बाद भी अपने सपनों और विचारों के संग्रह को नहीं छोड़ा।

वे एक बड़े समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपर्थर्थियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपार बलिदान दिया। उनके जीवन से हम यह सीख प्राप्त करते हैं कि हमारे सपनों को हमेशा बनाए रखना चाहिए, जो भी स्थितियां हों, हमें हमारे लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए।

नेल्सन मंडेला के जीवन में कई महत्वपूर्ण घटनाएं थीं जैसे उनकी शिक्षा, नौकरी का चयन, अपराध के आरोप में गिरफ्तार होना, कैद से छूटना, सत्याग्रह आंदोलन, उनकी राजनीतिक करियर, नोबेल शांति पुरस्कार के प्राप्ति आदि।

उनका जीवन उदाहरण है कि जीवन का मतलब सफलता नहीं, बल्कि समर्पण होना चाहिए। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लड़ने और अपने देश के लोगों की सेवा करने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्होंने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा उन्हें पार करने के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखा।

उनकी शुरुआती शिक्षा को उनके परिवार द्वारा दी गई, लेकिन बाद में उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए जारी रखा। उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्ययन करते समय दक्षिण अफ्रीका में अपर्थर्थियों के साथ निरंतर लड़ाई लड़ी।

उन्होंने 1962 में अपराध के आरोप में गिरफ्तार हो गए थे और उन्हें 27 साल तक कैद में रखा गया था। उनकी लंबी कैद के दौरान वे सत्याग्रह आंदोलन के जरिए सफलता हासिल करने का प्रयास करते रहे और उन्हें आजादी के लिए लड़ने का संदेश देना जारी रहा।

उनके संघर्षों के बाद उन्हें आखिरकार 1990 में रिहा कर दिया गया था। वे फिर से जीवन में लौटे और अपने संघर्षों के जरिए समाज में सुधार लाने का काम शुरू कर दिया।

नेल्सन मंडेला के विचार | Nelson Mandela Biography in Hindi

नेल्सन मंडेला एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपराध के आरोप में बेगुनाह लोगों के साथ 27 साल तक कैद में रहकर अपने सपनों और विश्वास के साथ लड़ाई लड़ी थी। उनके जीवन में न सिर्फ उनके कार्यकाल के दौरान बल्कि उनके बाद उनके विचारों का बड़ा महत्व है। उनके विचार दुनिया भर में आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

नेल्सन मंडेला का एक महत्वपूर्ण विचार है समानता का सिद्धांत। वे सभी लोगों को समान अवसर और समान अधिकारों का हक़ देने के पक्षधर थे। उन्होंने अपर्थर्थियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने देश में जातिवाद, उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

एक और महत्वपूर्ण विचार था अहिंसा का सिद्धांत। नेल्सन मंडेला अहिंसा के सिद्धांत के बल पर दक्षिण अफ्रीका में अपर्थर्थियों के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने विविधता को स्वीकार किया और सभी लोगों के अधिकारों का सम्मान किया।

नेल्सन मंडेला ने युवाओं के लिए भी एक संदेश छोड़ा था। उन्होंने कहा था, “यदि आप जीतना चाहते हैं तो दूसरों को भी जीतने दें।” इस संदेश से उन्होंने स्पष्ट किया था कि समानता, अहिंसा और विविधता जैसे मूल्यों के साथ दूसरों का सम्मान करना एक व्यक्ति के जीवन में कितना महत्वपूर्ण होता है।

नेल्सन मंडेला का एक और महत्वपूर्ण संदेश था सफलता के बारे में। उन्होंने कहा था, “मैं हारने नहीं जानता, सिर्फ हार की यह अवस्था नहीं है।” इस संदेश से वे बता रहे थे कि हमारे जीवन में कितनी बार हम हार जाते हैं, लेकिन उन्होंने समझाया कि हम हार के बाद भी हार नहीं मानते और अपने सपनों की ओर बढ़ते हुए लड़ते हैं। वे इस संदेश से यह भी स्पष्ट करते हैं कि सफलता की परिभाषा हमारी खुशी और संतोष से अधिक होती है।

नेल्सन मंडेला के उपलब्धियां | Nelson Mandela Biography in Hindi

नेल्सन मंडेला एक महान व्यक्तित्व थे जो अपनी जीवनी के दौरान अनेकों उपलब्धियों को हासिल कर चुके हैं। उनके अद्भुत जीवन उनके लिए केवल स्वयं के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बना।

यहां हम कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों की चर्चा करेंगे जिन्होंने नेल्सन मंडेला को एक महान व्यक्तित्व बनाया।

• संघर्ष और स्वतंत्रता: नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका में अपर्थर्थियों के खिलाफ संघर्ष किया था। उन्होंने 27 साल तक कैद में रहकर लड़ाई लड़ी थी और अपने देश के लिए स्वतंत्रता हासिल की।

• नोबेल शांति पुरस्कार: नेल्सन मंडेला को 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत के बल पर संघर्ष किया था।

• दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति: नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले निर्वाचित अफ्रीकी राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियों को लागू किया।

• क्रिकेट में रुझान: नेल्सन मंडेला क्रिकेट में भी एक प्रशंसक थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाफ खेला भी था। इसके अलावा, उन्होंने क्रिकेट के माध्यम से दक्षिण अफ्रीकी समाज में समानता को बढ़ावा दिया।

• मध्यस्थता: नेल्सन मंडेला ने विविध विवादों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई। उन्होंने सुलह के लिए विवादों को समाधान करने में अहम भूमिका निभाई और दक्षिण अफ्रीका के समाज में एकता को बढ़ावा दिया।

• शिक्षा के क्षेत्र में योगदान: नेल्सन मंडेला ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा को एक प्राथमिकता माना और दक्षिण अफ्रीका के गरीब बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए।

• जीवनी की रचना: नेल्सन मंडेला ने अपनी जीवनी की रचना “एक लंबी सफ़र” लिखी थी। इसमें उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षणों का वर्णन किया था।

इस लेख में हमने Nelson Mandela Biography in Hindi – नेल्सन मंडेला की जीवनी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है। नेल्सन मंडेला एक महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने जीवन के अंतर्गत विभिन्न कठिन परिस्थितियों का सामना किया। उनकी सोच और कार्यक्षेत्र दोनों ही बहुत विस्तृत थे और इसलिए उन्होंने अपने दौर के लोगों के बीच अद्भुत उपलब्धियों को हासिल किया। यह लेख आपको नेल्सन मंडेला के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के साथ-साथ उनकी सोच और उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जानने का मौका देता है। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा।

हम आप से नेल्सन मंडेला के बारे में आपकी राय जानना चाहेंगे। कृपया हमें अपनी राय शेयर करें। इसके अलावा, हम आपको हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध अन्य जीवनी भी देखने की सलाह देते हैं। इनमें से एक विराट कोहली की है और दूसरी एलॉन मस्क की।

Nelson Mandela Biography in Hindi पढ़ने के लिए धन्यवाद!

नेल्सन मंडेला कितने साल तक जेल में रहे थे?

नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका सरकार द्वारा उनके राजनैतिक कार्यों के कारण जेल में भेजा गया था। वे 27 वर्षों तक जेल में रहे थे, जिसमें 18 वर्षों तक रोबेन आइलैंड जेल में भी रहे थे। 1990 में उन्हें रिहा कर दिया गया था और बाद में उन्हें दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति चुना गया था।

नेल्सन मंडेला ने 30 साल जेल में क्यों बिताए?

नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका के अपार्थेइड व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी जो एक रंग विभेद के आधार पर लोगों को अलग-अलग दर्जे देने की प्रणाली थी। उन्होंने नेशनल पार्टी के साथ साझा किया और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। दक्षिण अफ्रीका सरकार उन्हें आतंकवादी और विरोधी गतिविधियों का संचालक बताकर गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।

मंडेला के अनुसार सच्ची स्वतंत्रता क्या है?

नेल्सन मंडेला ने स्वतंत्रता को एक विस्तृत और स्वतंत्र मानव अधिकारों का मूल्यांकन माना था। उन्होंने स्वतंत्रता को एक सामाजिक समन्वय और एक सच्ची न्यायपालिका के आधार पर भी माना था।

मंडेला के अनुसार सबसे बड़ा धन क्या है?

नेल्सन मंडेला के अनुसार, सबसे बड़ा धन मानवता का है। उन्होंने सबसे ज्यादा महत्व और मूल्य को मानवता में देखा था। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि हमें सबके साथ एक समान और समाजसेवा के रूप में निरंतर काम करना चाहिए। वे सबसे ऊंचे विचारों वाले मानवों में से एक थे और उन्होंने हमेशा मानवता की सेवा करने की महत्वपूर्णता को समझाया।

मंडेला के जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?

मंडेला का जीवन हमें ये सिखाता है कि हमें जीवन में संघर्ष करना चाहिए, दुखों से लड़कर सफलता हासिल करनी चाहिए और सभी के लिए समानता की ओर काम करना चाहिए।

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Nelson Mandela Biography in Hindi | नेल्सन मंडेला बायोग्राफी

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नेल्सन मंडेला: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता और रंगभेद विरोधी सेनानी

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

• जन्म: 18 जुलाई 1918, मवेज़ो, दक्षिण अफ्रीका

• पूरा नाम: नेल्सन रोलीह्लला मंडेला

• बचपन का नाम: मदीबा (जिसका अर्थ है “बुजुर्गों का नेता”)

Nelson Mandela Biography in Hindi

व्यक्तिगत जीवन :

• तीन बार शादी की: मंडेला ने अपने जीवन में तीन बार शादी की थी। उनकी पहली पत्नी एवलिन मेस थीं, जिनसे उनकी चार संतानें हुईं। 1998 में, उन्होंने ग्रेस मेकहेले से शादी की, जिनके साथ उन्होंने अपने अंतिम दिन बिताए।

• कई पुरस्कार और सम्मान: मंडेला को दुनिया भर से कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें नोबेल शांति पुरस्कार, भगत सिंह पुरस्कार और राष्ट्रपति पदक शामिल हैं।

• परोपकारी कार्य: मंडेला ने अपने जीवन के बाद के वर्षों में कई परोपकारी गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने नेल्सन मंडेला चिल्ड्रन फंड और नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की स्थापना की, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देते हैं।

शिक्षा और करियर:

• फोर्ट हियर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की

• वकील और कार्यकर्ता के रूप में काम किया

• 1944 में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) में शामिल हुए

रंगभेद विरोधी संघर्ष:

• रंगभेद के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध का नेतृत्व किया

• 1962 में गिरफ्तार किए गए और राजद्रोह का आरोप लगाया गया

• 1964 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई

• 27 साल जेल में बिताए, ज्यादातर रॉबेन द्वीप पर

मुक्ति और राष्ट्रपति पद :

• 1990 में रिहा हुए

• रंगभेद को खत्म करने और बहुजातीय चुनावों का आयोजन करने के लिए वार्ता का नेतृत्व किया

• 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए

उपलब्धियां :

• रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में एक प्रतीक बन गए

• नागरिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और शांति के लिए प्रेरक शक्ति

• 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित

• 5 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की आयु में निधन

मंडेला को उनकी क्षमा, करुणा और एकता के संदेश के लिए याद किया जाता है। वे दुनिया भर में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं।

• मंडेला दिवस: 18 जुलाई को हर साल मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो उनके जन्मदिन की याद दिलाता है। यह दिन दुनिया भर में सामाजिक न्याय और सेवा के लिए समर्पित है।

• प्रतीकात्मक महत्व: मंडेला को दुनिया भर में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उनकी कहानी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रहती है।

मंडेला के जीवन और कार्य से हम कई सबक सीख सकते हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि:

• अहिंसा एक शक्तिशाली हथियार है: मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अहिंसा का इस्तेमाल किया और साबित किया कि यह स्थायी बदलाव ला सकता है।

• क्षमा और समझदारी महत्वपूर्ण हैं: मंडेला ने उन लोगों को भी क्षमा किया जिन्होंने उन्हें प्रताड़ित किया था, और उन्होंने नस्लीय विभाजन को पाटने के लिए समझदारी और एकता का संदेश दिया।

• हर व्यक्ति में बदलाव लाने की क्षमता होती है: मंडेला ने दिखाया कि एक व्यक्ति भी दुनिया में बदलाव ला सकता है। उन्होंने हमें प्रेरित किया कि हम अपने समुदायों और दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करें।

यहां मंडेला के जीवन से कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं और उपलब्धियां दी गई हैं:

• 1944: एएनसी में शामिल हुए

• 1956: राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए

• 1961: सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के लिए “उग्रवाद विरोधी कानून” के तहत गिरफ्तार किए गए

• 1964: रिवोनिया मुकदमे में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई

• 1990: रिहा हुए

• 1993: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित

• 1994: दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए

• 1999: सेवानिवृत्त हुए

• 2013: निधन हो गया

मंडेला की कहानी आशा और प्रेरणा की कहानी है। उन्होंने दिखाया कि एक व्यक्ति भी दुनिया में बदलाव ला सकता है। वे आज भी दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं।

यहां मंडेला के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण दिए गए हैं:

• “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।”

• “स्वतंत्रता कभी नहीं दी जाती, बल्कि इसे जीता जाता है।”

• “एक राष्ट्र अपनी जेलों से अधिक महान नहीं हो सकता।”

• “जब हम एक दूसरे के साथ शांति से रहते हैं, तो हम सभी स्वतंत्र होते हैं।”

नेल्सन मंडेला एक महान नेता, प्रेरणादायक व्यक्ति और मानवता के रक्षक थे। उनकी कहानी हमें आशा, प्रेरणा और साहस का संदेश देती है। हमें उनकी विरासत को याद रखना चाहिए और उनके द्वारा सिखाए गए मूल्यों को आगे बढ़ाना चाहिए।

नेल्सन मंडेला – पूछे जाने वाले कुछ सवाल (FAQ)

प्रश्न: नेल्सन मंडेला को किस लिए जाना जाता है? उत्तर: नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता और रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी व्यक्ति थे। उन्होंने अहिंसा के माध्यम से रंगभेद को खत्म करने के लिए काम किया और 1994 में देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।

प्रश्न: मंडेला का जन्म कब और कहाँ हुआ था? उत्तर: उनका जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के मवेज़ो में हुआ था।

प्रश्न: मंडेला जेल में कितने समय रहे? उत्तर: उन्हें 1962 में गिरफ्तार किया गया था और राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। 1964 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह कुल 27 साल जेल में रहे, ज्यादातर रॉबेन द्वीप पर।

प्रश्न: मंडेला को किन उपलब्धियों के लिए जाना जाता है ? उत्तर: उनकी मुख्य उपलब्धियाँ हैं: रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाना दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करना

प्रश्न: मंडेला की विरासत क्या है? उत्तर: मंडेला को लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और क्षमा के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने दुनिया भर के लोगों को अहिंसा और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

By Amit Singh

Amit Singh is in Freelancer since last 6 years. In the year 2016, He entered the media world. Has experience from electronic to digital media. In her career, He has written articles on almost all the topics like- Lifestyle, Auto-Gadgets, Religious, Business, Features etc. Presently, Amit Kumar is working as Founder of British4u.com Hindi web site.

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नेल्सन मंडेला की जीवनी | Nelson Mandela Biography in Hindi

Nelson Mandela / नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ़्रीका के भूतपूर्व प्रसिद्ध राष्ट्रपति थे। नेल्सन मंडेला यहाँ के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के 27 वर्ष रॉबेन द्वीप पर कारागार में रंगभेद नीति के ख़िलाफ़ लड़ते हुए बिताए। नेल्सन मंडेला अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग और गाँधी जी के विचारो पर चलने वाले व्यक्ति थे।

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नेल्सन मंडेला का परिचय – Nelson Mandela Biography in Hindi

नेल्सन रोलीह्लला मंडेला (Nelson Rolihlahla Mandela)
18 जुलाई, 1918
‘मबासा नदी’ के किनारे ‘मवेजों गाँव’, ‘ट्राँस्की’
5 दिसम्बर, 2013
जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ़्रीका
गेडला हेनरी (पिता), नेक्यूफ़ी नोसकेनी (माता)
‘इवलिन मेस’ (प्रथम पत्नी), ‘नोमजामो विनी मेडीकिजाला’ (द्वितीय पत्नी) तथा ‘ग्रेस मेकल’ (तीसरी पत्नी)
दक्षिण अफ़ीका
रंगभेद विरोधी नेता के रूप में ख्याति प्राप्त।
पूर्व राष्ट्रपति दक्षिण अफ़्रीका
(1990 ई.), नोबेल पुरस्कार (1993 ई.)

यह वह दौर था जब पूरी दुनिया गांधी से प्रभावित हो रही थी, नेल्सन भी उनमें से एक थे। वैचारिक रूप से वह स्वयं को गांधी के नज़दीक पाते थे, और यह प्रभाव उनके द्वारा चलाए गए आन्दोलनों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। रंगभेद के खिलाफ चलाये गए आंदोलन के लिए उन्हें उम्रकैद की सजा हुवी। आम जनता से दूर रखने के लिए उन्हें रोबन द्वीप पर भेज दिया गया। यह दक्षिण अफ़्रीका का कालापानी माना जाता है। अंत में उनकी जीत हुवी और नोबेल पुरूस्कार से भी सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन – Early Life of Nelson Mandela

नेल्सन मंडेला का जन्म बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेंजो गाँव में 18 जुलाई, 1918 को हुआ था। वे अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग के विचारों से बहुत प्रभावित थे नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रिका के गाँधी नेल्सन मंडेला के नाम से भी जाने जाते है वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। उनके पिता ने इन्हें ‘रोलिह्लाला’ प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ “उपद्रवी” होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी।

मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। उनकी स्नातक शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी। ‘हेल्डटाउन’ अश्वेतों के लिए बनाया गया विशेष कॉलेज था। इसी कॉलेज में मंडेला की मुलाकात ‘ऑलिवर टाम्बो’ से हुई, जो जीवन भर उनके दोस्त एवं सहयोगी रहे।

मंडेला के तीन शादियाँ कीं जिन से उनकी छह संतानें हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थे। अक्टूबर 1944 को उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की। 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया परन्तु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई। 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया।

शिक्षा और राजनीति –  Education & Career of Nelson Mandela

1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर ने कॉलेज कैंपस में अपने राजनैतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। कॉलेज प्रशासन को जब इसकी खबर लगी तो दोनो को कॉलेज से निकाल दिया गया। 1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। 1944 में वे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था।

इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। 1947 में वे लीग के सचिव चुने गये। नेल्सन की विचार शैली और काम करने की क्षमता से लोग प्रभावित होने लगे। एक महान् नेता धीरे-धीरे जन्म ले रहा था। इसी बीच अपने आप को क़ानून का बेहतर जानकार बनाने के लिए नेल्सन ने क़ानून की पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन अपनी व्यस्तता के कारण वे एल.एल.बी. की परीक्षा पास करने में असफल रहे। इस असफलता के बाद उन्होंने एक वक़ील के तौर पर काम करने के बजाय अटार्नी के तौर पर काम करने के लिए पात्रता परीक्षा पास करने का फ़ैसला किया। इसी बीच अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस को चुनावों में करारी पराजय का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस के अध्यक्ष को पद से हटाकर किसी नए अध्यक्ष को लाने की माँग ज़ोर पकड़ने लगी। यूथ कांग्रेस के विचारों को अपनाकर मुख्य पार्टी को आगे बढ़ाने का विचार रखा गया। वाल्टर सिसुलू ने एक कार्ययोजना का निर्माण किया, जो ‘अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस’ के द्वारा स्वीकार कर लिया गया। 1951 में नेल्सन को ‘यूथ कांग्रेस’ का अध्यक्ष चुन लिया गया। नेल्सन ने अपने लोगों को क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए 1952 में एक क़ानूनी फ़र्म की स्थापना की।

1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया। 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।

1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने।

नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था और उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था।

मृत्यु : 5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय ये 95 वर्ष के थे और उनका पूरा परिवार उनके साथ था। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की।

नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे। उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।

पुरूस्कार और सम्मान – Nelson Mandela awards 

  • 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार
  • प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम
  • ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
  • निशान-ए–पाकिस्तान
  • 23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार.

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  • नेल्सन मंडेला के अनमोल विचार
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Nelson Mandela Biography in Hindi, नेल्सन मंडेला की आत्मकथा।

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Nelson Mandela Biography in Hindi नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका का गांधी कहा जाता है, नेल्सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला (Nelson Rolihlahla Mandela) था। मंडेला, गांधी जी से काफी प्रेरित थे, वे गांधी की तरह अहिंसा में विश्वास रखते थे। नेल्सन मंडेला का जीवन काफी मुस्किलों से भार था। उन्हें 27 अपने जीवन के जेल में बिताना पड़ा था। रंग भेद के लिए काफी संघर्ष किया था।

मंडेला जी दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति भी रह चुके है।

Nelson Mandela Biography in Hindi

दोस्तों संपूर्ण जानकारी के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़े।

Table of Contents

Nelson Mandela का जीवन परिचय

मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में हुआ था। इनका  गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और इनकी तीसरी पत्नी  नेक्यूफी नोसकेनी के घर हुआ था। मंडेला 18 भाई-बहनों में तीसरे थे। उनके पिता हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा, हेनरी म्वेज़ो जनजाति के सरदार थे। स्थानीय लोग सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे।

उनके पिता उन्हें  ‘रोलिह्लाला’  नाम से पुकारते थे। जिसका क्षेत्रीय भाषा में अर्थ “उपद्रवी” होता है। नेल्सन का प्रारम्भिक शिक्षा  क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से हुई। मैट्रिक शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से प्राप्त की। उच्च शिक्षा यूनिवर्सिटी ऑफ़ फोर्ट हेर, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन एक्सटर्नल सिस्टम, यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ अफ्रीका, यूनिवर्सिटी ऑफ़ द विटवाटरस्रांड जैसे विभिन्न यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। 12 वर्ष की उम्र में इनके पिता का देहांत हो गया था।

राजनीतिक संघर्ष Nelson Mandela Biography in Hindi

राजनीतिक जीवन भी काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला। 1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये। जहां उनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। ये इन दोनों मंड़ेला काफी प्रभावित हुए। जोहन्सबर्ग में बसने के बाद जीवनयापन के लिए एक कानून फर्म में क्लर्क की नौकरी कर ली। किन्तु उनका मन राजनीतिक की ओर धीरे-धीरे आकर्षित होने लगा।

उस समय रंगभेद को लेकर काफी समस्याएं थी रंग भेदभाव को दूर करने के लिए राजनीति में कदम रखा। 1944 में इन्होंने अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये। जिसने रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन जारी रखा था। 1944 में मंडेला अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ मिलकर अफ़्रीकन कांग्रेस लीग की स्थापना की। 1947 को इन्हें इसका सचिव चुना गया।

और 1961 तक रंग भेद विरोध प्रदर्शन जारी रहा। किन्तु 1961 में इनके और कुछ सहयोगियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया किन्तु कोर्ट में दोष सिद्ध न होने के कारण इन्हें छोड़ दिया गया।

5 अगस्त 1962 को उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मजदूरों को उकसाने तथा देश छोड़ने के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया गया। 12 जुलाई 1964 को उन पर मुकदमा चलाया गया। और उन्हें उम्र कैद की सज़ा सुनायी गयी। सज़ा के लिए उन्हें राबर्ट द्वीप भेजा गया। किन्तु इनका उत्साह वहां भी कम नहीं हुआ।

जेल में भी उन्होंने अश्वेत कैदियों को लामबन्द (mobilized) करना शुरु कर दिया। जेल में रहकर उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम ‘Long Walk to Freedom’ है। जेल में उन्होंने कोयले की खान में काम किया। 27 साल सज़ा काटने के बाद उन्हें रिहा किया गया। 11 फरवरी 1990 के रिहायी के बाद  समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। पुनः एक बार फिर से राजनीति में सक्रिय हो गये।

Nelson Mandela Biography in Hindi

1994 में दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत चुनाव हुआ और अफ्रीकन कांग्रेस लीग 62 प्रतिशत वोट पाकर विजयी रही, और सर्व सहमति से नेल्सन मंडेला को राष्ट्रपति चुना गया। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला देश के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने 1996 केा अफ्रीका में नये संविधान लागू किया गया। जिसके अन्तर्गत कई राजनीतिक और अधिकारियों की जाँच के लिए कई संस्थाओं की स्थापना की।

दो वर्ष बाद सक्रिये राजनीति से अलग हो गये। 1999 में अफ्रीका-कांग्रेस पद से इस्तीफा दे दिया। इस बीच उन्होंने देश में अश्वेत के लिए काफी बदलाव किया । कानून लागू किया तथा उन्हें सम्मान से जीने की आज़ादी दिलाई।

विचारधारा (Nelson Mandela Biography in Hindi)

ये गाँधी की विचार धारा को मानते थे अहिंसा के पुजारी थे। गांधी जी से काफी प्रेरित थे। मंडेला ने कभी हिंसक विचार धारा नहीं अपनायी।

विवाह बन्धन (Nelson Mandela Biography in Hindi)

मंडेला जी की तीन शादियां हुई थी। जिनसे उनके छः संताने हुई तथा उनके 17 पोते-पोतियां है। पहली शादी 1944 में उनके मित्र और सहयोगी वाल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से हुआ था। 1961 में चले मुकदमे में दोषी नहीं पाया गया उसी समय उनकी मुलाकात उनकी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई। 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया इस प्रकार उन्होंने तीन विवाह किया था।

सम्मान और पुरस्कार (Nelson Mandela Biography in Hindi)

अफ्रीका में लोग उन्हें मदीबा कहते है जो किसी बुजुर्ग के लिए गर्व की बात है। मदीबा का अर्थ पिता होता है। अफ्रीका में इन्हें राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। मंडेला जी को प्रथम लोकतांत्रिक के संस्थापक, “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता”  के लिए जाना जाता है। जोहन्सबर्ग में स्थित सैडटन सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी।

2009 में संयुक्त राज्य सभा ने रंगभेद विरोधी संघर्षों में उनके योगदान की याद 18 जुलाई को उनका जन्म दिन मनाने की घोषणा की है।

विभिन्न देशों ने उनके इस योगदान के लिए अपने देश का सर्वोच्च पुरस्कार भी प्रदान किया है। विश्व के देशों से लगभग 250 पुरस्कार प्रदान किये गये है। इसमें कुछ पुरस्कार निम्न है-

  • 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार[10]
  • प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम
  • ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
  • निशान-ए–पाकिस्तान
  • 23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार

मृत्यु (Nelson Mandela Biography in Hindi)

5 दिसम्बर 2013 को उनका देहांत हो गया। किन्तु वे आज भी लोगों के बाीच एक प्रेरणा के रूप में लोगों बीच आज भी जीवित है। उनका देहांत फेफड़े के संक्रमण के कारण हुआ। उस समय उनका पूरा परिवार उनके साथ था।

FAQ’s

Q. नेल्सन मंडेला का संबंध किस गणराज्य से थे ?

Ans:- म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ गणराज्य से थे।

Q. नेल्सन मंडेला का जन्म कब हुआ?

Ans:- मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में हुआ था।

Q. नेल्सन मंडेला की मृत्यु कब हुई?

Ans:- 5 दिसम्बर 2013 को उनका देहांत हो गया।

Q. नेल्सन मंडेला के जीवन और संघर्ष कैसे था?

Ans:- नेल्सन मंडेला का जीवन और संघर्ष काफी दुख भरा था। इन्हें अपने जीवन में काफी कठिनाई उठानी पड़ी थी। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था।

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Nelson Mandela Biography in Hindi नेल्सन मंडेला की जीवनी

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नेल्सन मंडेला

की जन्मतिथि

नेल्सन मंडेला का

जन्मस्थान

Mvezo, Cape Province,

Union of South Africa

(now Eastern Cape)

नेल्सन मंडेला का

उपनाम

नेल्सन मंडेला कितने

अवार्ड से सम्मानित है

मृत्यु की तारीख 5 दिसंबर 2013
मृत्यु के समय उनकी उम्र 95 वर्ष
भारतीय रत्न से सम्मानित 1990 में
Nishan-e-Pakistan

से  सम्मानित

1992 में
नेल्सन मंडेला का नाम
नेल्सन मंडेला की मृत्यु 5 December 2013 (aged 95)
Johannesburg, Gauteng,Republic of South Africa
नेल्सन मंडेला का

Resting place

Mandela Graveyard
Qunu, Eastern Cape, South Africa
नेल्सन मंडेला की

राजनितिक पार्टी

अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस
नेल्सन मंडेला के

अन्य राजनीतिक
जुड़ाव

दक्षिण अफ्रीकी कम्युनिस्ट
नेल्सन मंडेला की

पत्निया

नेल्सन मंडेला के

बच्चे

7, including Makgatho, Makaziwe, Zenani,

Zindziswa, and Josina (step-daughter)

नेल्सन मंडेला  के

माता पिता

Alma mater
नेल्सन मंडेला का व्यवसाय

/ काम

नेल्सन मंडेला

जाने जाते है

रंगभेद का आंतरिक

प्रतिरोध के लिए

नेल्सन मंडेला के

पुरूस्कार व सम्मान

नेल्सन मंडेला के

उल्लेखनीय कार्य

आज़ादी की लंबी यात्रा

Nelson-Mandela-Biography-In-Hindi

नेल्सन मंडेला के कुछ रोचक तथ्य, जानकारियाँ, आदेश, सजावट, स्मारक, और पुरस्कार

Main article: list of awards and honours bestowed upon nelson mandela.

  • मंडेला ने अपने जीवन के दौरान अपनी राजनीतिक उपलब्धियों की सराहना करते हुए लगभग 250 सम्मान, सम्मान, पुरस्कार, मानद डिग्री और नागरिकता प्राप्त की।
  • नोबेल शांति पुरस्कार उनके कई सम्मानों में से एक था।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक
  • सोवियत संघ का लेनिन शांति पुरस्कार
  • लीबिया अल-गद्दाफ़ी अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार
  • 1990 में, भारत ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।
  • पाकिस्तान ने उन्हें 1992 में निशान-ए-पाकिस्तान दिया था।
  • उसी वर्ष, तुर्की ने उन्हें अतातुर्क शांति पदक प्रदान किया; उन्होंने शुरू में इस पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया, उस समय तुर्की द्वारा किए गए मानवाधिकारों के अत्याचारों का आरोप लगाया, लेकिन अंततः 1999 में इसे स्वीकार कर लिया।
  • उन्हें इसाबेला कैथोलिक ऑर्डर का सदस्य बनाया गया था।

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  • वह कनाडा के मानद नागरिक नामित होने वाले पहले जीवित व्यक्ति थे और उन्हें ऑर्डर ऑफ कनाडा से सम्मानित किया गया था।
  • उन्हें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा ऑर्डर ऑफ सेंट जॉन का बेलीफ ग्रैंड क्रॉस और ऑर्डर ऑफ मेरिट का सदस्य बनाया गया था।
  • मंडेला को 2004 में जोहान्सबर्ग शहर की स्वतंत्रता से सम्मानित किया गया था।
  • 2008 में, नेल्सन मंडेला की एक प्रतिमा का अनावरण जेल से उनकी मुक्ति के स्थल पर किया गया था।
  • 2013 में सुलह के दिन प्रिटोरिया की यूनियन बिल्डिंग में नेल्सन मंडेला की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई थी।
  • रंगभेद विरोधी अभियान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मंडेला के जन्मदिन, 18 जुलाई को “मंडेला दिवस” घोषित किया गया था। इसने लोगों को आंदोलन के सदस्य के रूप में मंडेला के 67 वर्षों के सम्मान में दूसरों के लिए कुछ करने के लिए 67 मिनट समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • नेल्सन मंडेला की स्मृति का सम्मान करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2015 में कैदियों के उपचार के लिए संशोधित मानक न्यूनतम नियमों का नाम बदलकर “मंडेला नियम” कर दिया।

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“हम सब मिलकर अपने आप से एक कसम खाते हैं

कि हम अपने सभी लोगों को गरीबी अभाव कष्ट, और किसी भी तरह के भेदभाव के बंधन से आजाद करेंगे”.

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दोस्तों अपने और अपने परिवार की खुशी के लिए तो सभी जीते हैं मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लिए समाज की भलाई ही उनकी जिंदगी का मकसद बन जाती है इस पोस्ट में आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जिन्होंने अफ्रीका के उन लोगों के लिए अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया जिन्हें ब्लैक कह कर बुलाया जाता था और समाज में कभी भी बराबर का दर्जा नहीं दिया जाता था|

27 साल जेल में

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हालांकि इसके लिए उन्होंने कोई छोटी कीमत नहीं चुकाई अपनी जिंदगी का 27 साल का समय उन्होंने जेल में बिता दिया इसलिए नहीं कि उन्होंने कोई जुर्म किया था बल्कि इसलिए क्योंकि उनकी रिहाई के लिए जो शर्त सरकार ने रखी थी वह उन्हें मंजूर नहीं थी इसलिए|

संपन्न परिवार

क्योंकि वह जानते थे कि अगर वह ऐसा करते तो देश के बहुत से लोगों को दबाने का मौका सरकार को फिर से मिल जाता वह चाहते तो बड़े आराम की जिंदगी जी सकते थे क्योंकि वह खुद बहुत संपन्न परिवार से थे मगर उन्होंने समाज के हितों के लिए निस्वार्थ रूप से लड़ाई लड़ी यह कहानी है|

ब्लैक राष्ट्रपति

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नेलसन मंडेला के संघर्षों की जो 76 साल की उम्र में साउथ अफ्रीका के पहले ब्लैक राष्ट्रपति बने थे अफ्रीका भी इंडिया की ही तरह गुलाम देश था जिसके गांधी थे नेल्सन मंडेला दोस्तों नेल्सन मंडेला का पूरा नाम था नेलसन रोलिहलहला मंडेला 18 जुलाई 1918 को साउथ अफ्रीका के केप प्रोविंस के एक राज परिवार में हुआ था|

लॉ की पढ़ाई

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उनको नेल्सन नाम उनके टीचर ने दिया था जब वह सिर्फ 9 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई बचपन में उन्हें लगता था कि यह जो शासक अफ्रीका पर रूल कर रहे हैं वह अफ्रिका की भलाई के लिए ही हैं 1939 में उन्होंने University of Fort Hare में बीए की डिग्री लेने के लिए एडमिशन लिया | जिसके बाद उन्होंने लॉ की पढ़ाई के लिए University of the Witwatersrand   में एडमिशन लिया जहां वह सिर्फ एक ही ब्लैक अफ्रीकन स्टूडेंट थे|

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वहां पर पहली बार उनका सामना नस्लभेद से हुआ | मंडेला को यह एहसास होने लगा था कि आप अफ्रिकंस को यह लोग बहुत नीचा समझते हैं और सरकार इनसे हर जगह भेदभाव करती हैं उन्होंने एनसी यानी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया उन्हें लग रहा था कि आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए युवा लोगों को साथ में लेना बहुत जरूरी है वह कुछ लोगों के साथ मिलकर ANC के प्रेसिडेंट से मिले और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग यानी एनसीएल का गठन हुआ |

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लेबरडे उसके प्रेसिडेंट बने वहां पर आम चुनाव में सिर्फ गौरव को ही वोट डालने की इजाजत थी वेलसन मंडेला ने बहिष्कार और हड़ताल करके गोरो के खिलाफ डायरेक्ट एक्शन लेने की बात कही इसकी प्रेरणा उन्हें अफ्रीका में मौजूद भारतीय लोगों से मिली थी क्योंकि वह लोग वहां पर पहले से ही यह सब कर रहे थे | पूरा समय राजनीति में देने के कारण मंडेला लॉ की पढ़ाई में 3 साल फेल हो गए और 1949 में यूनिवर्सिटी ने उन्हें निकाल दिया|

सरकार के खिलाफ

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1950 में उन्हें एमसीवाईएल का प्रेसिडेंट चुना गया 1952 में उन्होंने भारतीय ग्रुप और कम्युनिस्ट के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ डिफेंस कैंपेन यानी उनकी कोई भी आज्ञा ना मानने और उनका कोई भी काम ना करने का आंदोलन छेड़ा इसे पूरी तरह से अहिंसा का पालन करते हुए महात्मा गांधी के तरीकों पर किया जाने का प्लान बना उन्होंने 10000 लोगों की भीड़ को इसके लिए प्रेरित किया इसका असर इतना हुआ कि एनसी की सदस्यता 20,000 से बढ़कर एक लाख तक पहुंच गई|

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नेलसन मंडेला को गिरफ्तार कर लिया गया सरकार ने ऐसे आंदोलन को रोकने के लिए पब्लिक सेफ्टी बिल पास किया ताकि मार्शल लॉ लगाकर कभी भी कोई भी कदम उठाया जा सके मंडेला की गिरफ्तारी से शुरू हुए और भी विद्रोह होते सरकार को लगने लगा था कि अब नेलसन मंडेला को हल्के में नहीं लिया जा सकता | मंडेला को कुछ समय के बाद रिहा कर दिया गया मगर 6 महीने तक उन्हें किसी भी मीटिंग में जाने की एक से ज्यादा लोगों से एक बार में मिलने की इजाजत नहीं थी उसके बाद उन्होंने वकालत शुरु कर दी जिसका मूल लक्ष्य था गोरो के द्वारा प्रताड़ित अफ्रिकंस की मदद करना|

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1955 में ,  10 वर्ग में एक जगह से सभी ब्लैक लोगों को जबरदस्ती जगह छोड़कर कहीं और जाकर रहने पर मजबूर कर दिया गया इसके लिए किया गया सारा विद्रोह विफल रहा तब मंडेला को लगा कि सरकार के खिलाफ सिर्फ अहिंसात्मक विद्रोह से काम नहीं चलेगा और अब कड़ा कदम उठाना जरूरी है नेलसन मंडेला की सारी मीटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था और फिर 1956 में ANC के कई बड़े नेताओं को देशद्रोह के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया|

1962 में उन्हें फिर से रेस्ट कर लिया गया नेलसन मंडेला ने अपने ऊपर चल रहे मुकदमे में कोई गवाह पेश नहीं किया और हर सत्र में राजनीतिक विचारों के बारे में बात करने लगे वह चाहते थे कि इस केस के माध्यम से एनसी की विचारधारा सभी लोगों तक पहुंचे ठीक उसी तरह जैसे भगत सिंह ने किया था इसके बाद उन्हें लगभग 27 साल जेल में रहना पड़ा जेल में उन्हें सबसे निम्न दर्जे का कैदी बनाया गया था दीवारों से घिरे हुए उनके पास सोने के लिए एक चटाई के अलावा कुछ भी नहीं था|

आंखों की रोशनी

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दिन में वह अन्य कैदियों के साथ चूने की खदान में काम करते थे मगर अन्य कैदियों की तरह उन्हें चश्मा नहीं दिया गया था | काम करते-करते उनकी आंखों की रोशनी बहुत ज्यादा कमजोर हो गई कई बार उन्हें सरकार ने अपनी शर्तों पर रिहा करने का ऑफर दिया मगर मंडेला ने हर बार मना कर दिया 1994 में नेल्सन मंडेला का सपना पूरा हुआ और कई दशक के विद्रोह के बाद मूल अफ्रिकंस को भी वोट देने का अधिकार मिला|

नोबेल शांति पुरस्कार

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नेल्सन मंडेला अफ्रीका के पहले ब्लॉक प्रेसिडेंट बने उसके बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका को एक बेहतर देश बनाने के लिए बहुत से काम किए 1999 में उन्होंने राजनीति छोड़ दी और लगभग 5 साल तक सामाजिक कामों में लगे रहे 5 दिसंबर 2013 को 95 साल की उम्र में लंबे समय तक सांस की बीमारी से जूझने के बाद उनकी मृत्यु हो गई साउथ अफ्रीका में उनके कामों के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया लोगों ने वहां पर फादर ऑफ द नेशन भी मानते हैं आपको यह पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके हमें बताएं|

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नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय Biography of Nelson Mandela in Hindi

इस लेख में आप नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय Biography of Nelson Mandela in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमें आप उनका प्रारंभिक जीवन, राजनीतिक करिअर, वैवाहिक जीवन, पुरस्कार, मृत्यु, विचार जैसी कई जानकारियाँ दी गई है।

Table of Content

राजतंत्र , उपनिवेशवाद और लोकतंत्र के सन्धिकाल वाली इस सदी में अपने देश का परचम थामे इस राजनेता ने विश्व इतिहास की इबारत अपने हाथों से लिखी। दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने मानव सभ्यता के इतिहास में ‘चमड़ी के रंग’ और नस्ल के आधार पर मानव द्वारा मानव पर अत्याचार करने की क़ानून बना रखी थीं।

वह दुनिया की एकमात्र ऐसी सरकार थी, जिसने जातिय पृथक्करण एवं रंगभेद पर आधारित लिखित कानून बना रखी थीं।

प्रारम्भिक जीवन Early life

दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले महान जननायक नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई सन् 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में हुआ था। इनके पिता गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा, म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे।

जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। मंडेला के पिता उन्हें ‘रोलिह्लला’ नाम से पुकारते थे, जिसका अर्थ ‘उपद्रवी’ होता हैं। इनकी माता एक मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की।

राजनीतिक जीवन Political life

देश की मौजूदा स्थिति को देखकर नेल्सन मंडेला ने सन् 1941 में जोहान्सबर्ग चले गए। जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई, जिनसे प्रभावित होकर देश मे होने वाले रंग के आधार पर भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

इसी वर्ष उन्होंने एक अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। बाद में उसी लीग के सचिव चुनें गये। सन् 1961 में नेल्सन मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया।

वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसी वर्ष भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित किया।

मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया।

वैवाहिक जीवन Married life

सन् 1944 में अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन एवलीस मेस से विवाह किया। नेल्सन मंडेला ने तीन शादियाँ की थी। सन् 1958 में अपनी पहली पत्नी को तलाक देने के बाद उन्होंने सन् 1961 मेंनोमजामो विनी मेडीकिजाला से विवाह किया।

जिन्होंने मंडेला को देशद्रोह के आरोप में हुई जेल से छुड़ाने में अहम भूमिका अदा की थी। सन् 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया। तीनों पत्नियों से मंडेला को 6 सन्ताने प्राप्त हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थीं।

मृत्यु Death

दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की मृत्यु 5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण हॉटन, जोहान्सबर्ग में स्थित अपने घर पर हुई। उनकी मृत्यु की घोषणा सर्वप्रथम राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की।

पुरस्कार एवं सम्मान Awards

नेल्सन मंडेला को “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”, “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था। दक्षिण अफ्रीका के लोग महात्मा गाँधी की तरह उन्हें भी “राष्ट्रपिता” का दर्जा देते थे।

67 साल तक मंडेला का रंगभेद के आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने का आग्रह किया गया।

सन् 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ उन्हें भी संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नेल्सन मंडेला के प्रमुख विचार Nelson Mandela Thoughts in Hindi

नेल्सन मंडेला के कुछ महान विचार –

Featured Image – Creative Common 2.0 –  https://www.flickr.com/photos/45582474@N02/9215883633/in/photostream/

biography of nelson mandela in hindi

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नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय | Nelson Mandela biography in Hindi [2024]

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नेल्सन मंडेला एक दक्षिण अफ्रीकी रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता थे, जिन्होंने 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वह देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। उन्हें आधुनिक दक्षिण अफ्रीका के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने देश में लोकतंत्र की स्थापना करने में और रंगभेद की नीतियों का दमन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हेलो दोस्तों! इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय | Nelson Mandela biography in hindi वे दक्षिण अफ्रीका के ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें महात्मा गांधी जैसी ख्याति प्राप्त है।

नेल्सन मंडेला की संक्षिप्त जानकारी इस टेबल में दी गई है-

नेल्सन मंडेला
18 जुलाई 1918 Mvezo, दक्षिण अफ्रीका संघ
5 दिसंबर 2013 (95 वर्ष की आयु) जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका
फोर्ट हरे विश्वविद्यालय, लंदन विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका विश्वविद्यालय, विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय
कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, परोपकारी, वकील
रंगभेद का आंतरिक विरोध
अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस
दक्षिण अफ्रीकी कम्युनिस्ट पार्टी
•एवलिन नटोको मेस (वि. 1944; डि.1958)
•विनी मदिकिज़ेला (वि. 1958; डि. 1996)
•ग्राका मचेल (1998 – )
7 बच्चे, मकागाथो, मकाज़ीवे, ज़ेनानी, ज़िन्द्ज़िस्वा और जोसिना (सौतेली बेटी) सहित
सखारोव पुरस्कार (1988), भारत रत्न (1990), निशान-ए-पाकिस्तान (1992), नोबेल शांति पुरस्कार (1993), लेनिन शांति पुरस्कार (1990) स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक (2002) आदि।

नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय (Biography of Nelson mandela)

नेल्सन मंडेला कौन थे (who was nelson mandela).

नेल्सन मंडेला एक सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ और परोपकारी व्यक्ति थे, जो 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। 20 के दशक में रंगभेद विरोधी आंदोलन में शामिल होने के बाद, मंडेला 1942 में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। तथा 20 वर्षों तक, उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी सरकार और उसकी नस्लवादी नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण, अहिंसक अवज्ञा के अभियान का निर्देशन किया।

1962 से, मंडेला ने राजनीतिक अपराधों के लिए 27 साल जेल में बिताए। 1993 में, मंडेला और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति F.W. de Klerk को देश की रंगभेद व्यवस्था को खत्म करने के उनके प्रयासों के लिए संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आने वाली पीढ़ियों के लिए, मंडेला दुनिया भर में नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।

नेल्सन मंडेला का प्रारंभिक जीवन (Early life of Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) का पूरा नाम Rolihlahla Mandela है। ज़ोसा भाषा में “रोलिहलाहला” का अर्थ होता है “एक पेड़ की शाखा को खींचना”, लेकिन अधिक सामान्यतः इसे “संकटमोचक” के रूप में अनुवाद किया जाता है।नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसकेई में माबाशे नदी के तट पर मवेज़ो के छोटे से गाँव में, थेम्बू शाही परिवार में हुआ।

इनके पिता गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के प्रथम और उनके पिता की सभी 13 संतानों में तीसरी संतान थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। इनके पिता ने कई वर्षों तक आदिवासी प्रमुखों के परामर्शदाता के रूप में कार्य किया, लेकिन स्थानीय औपनिवेशिक मजिस्ट्रेट के साथ विवाद में अपना खिताब और भाग्य दोनों खो दिया।

नेल्सन मंडेला के पिता की चार पत्नियां थी, नेल्सन की मां इनके पिता की तीसरी पत्नी थी। उनके माता-पिता दोनों अनपढ़ थे, लेकिन उनकी माँ, एक धर्मनिष्ठ ईसाई होने के कारण, उन्हें एक स्थानीय मेथोडिस्ट स्कूल में भेज दिया, जब वह लगभग सात वर्ष के थे।

नेल्सन मंडेला की शिक्षा (Nelson Mandela’s Education)

नेल्सन मंडेला को उनके शिक्षक ने “नेल्सन” नाम दिया था। जब मंडेला 12 साल के थे, तब उनके पिता की फेफड़ों की बीमारी से मृत्यु हो गई, जिससे उनका जीवन बदल गया। उन्हें थेम्बू लोगों के कार्यवाहक रीजेंट चीफ जोंगिंटबा दलिंदेबो ने गोद लिया था। नेल्सन के पिता ने वर्षों पहले, जोंगिंटबा को प्रमुख बनाने की सिफारिश की थी।

मंडेला को रीजेंट के दो अन्य बच्चों, उनके बेटे और सबसे बड़े बच्चे, जस्टिस और बेटी नोमाफू के समान दर्जा और जिम्मेदारियां दी गईं थी। नेल्सन मंडेला ने स्कूल में अंग्रेजी, षोसा, इतिहास और भूगोल का अध्ययन किया। जोहान्सबर्ग में उन्होंने पत्राचार पाठ्यक्रमों के माध्यम से स्नातक की डिग्री पूरी करते हुए गार्ड और क्लर्क के रूप में कई तरह की नौकरियां कीं।

नेल्सन मंडेला ने आगे कानून का अध्ययन करने के लिए जोहान्सबर्ग के फोर्ट हरे विश्वविद्यालय और विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने वकील के रूप में भी कई वर्षों तक काम किया।

नेल्सन मंडेला की गांधीवादी विचारधारा (Gandhian ideology of Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला महात्मा गांधी की अहिंसा और असहयोग की विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए। वे अपने जीवन में, अक्सर गांधी के विचारों के प्रभाव की बात किया करते थे। 2007 में, नई दिल्ली में हुए सम्मेलन में अपने विडियो संदेश में नेल्सन मंडेला कहा था, “दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण बदलाव में गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है। उनके इन्हीं सिद्धांतों के बल पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की घृणित नीति के कारण जो समाज में गहरा भेदभाव था, वह खत्म हो सका।”

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी का जीवन परिचय

नेल्सन मंडेला का रंगभेद विरोधी आंदोलन (Nelson Mandela’s anti-apartheid movement)

नेल्सन मंडेला 1942 तक रंगभेद विरोधी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। वे अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे, जिसे एएनसी के युवा अफ्रीकियों के एक छोटे समूह ने खुद को अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग कहते थे। उनका लक्ष्य उन लाखों ग्रामीण किसानों और मजदूर लोगों से ताकत हासिल करते हुए, एएनसी को एक जन-जमीनी आंदोलन में बदलना था, जिनकी वर्तमान शासन में कोई आवाज नहीं उठाता था।

इस समूह का मानना ​​​​था कि एएनसी की विनम्र याचिका की पुरानी रणनीति अप्रभावी थी। 1949 में, ANC ने आधिकारिक तौर पर यूथ लीग का बहिष्कार, हड़ताल, सविनय अवज्ञा और असहयोग के तरीकों को अपनाया, जिसमें पूर्ण नागरिकता, भूमि का पुनर्वितरण, ट्रेड यूनियन अधिकार और सभी बच्चों के लिए मुफ्त में अनिवार्य शिक्षा देने का लक्ष्य रखा था। 20 वर्षों तक नेल्सन मंडेला ने अवज्ञा अभियान और कांग्रेस ऑफ़ द पीपल सहित दक्षिण अफ़्रीकी सरकार और उसकी नस्लवादी नीतियों के विरुद्ध शांतिपूर्ण, अहिंसक अभियान शुरू किया।

उन्होंने ओलिवर टैम्बो के साथ साझेदारी करके लॉ फर्म मंडेला और टैम्बो की स्थापना की, ओलिवर टैम्बो बहुत होनहार छात्र हुआ करते थे, वे फोर्ट हरे विश्वविद्यालय में भाग लेने के दौरान मिले थे। यह कानूनी फर्म गैर-प्रतिनिधित्व वाले अश्वेत लोगों को मुफ्त और कम लागत में कानूनी शिक्षा प्रदान करता था। 1956 में, नेल्सन मंडेला और 150 अन्य लोगों को उनकी राजनीतिक वकालत के लिए गिरफ्तार किया गया और उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया हालांकि, बाद में वे बरी हो गए।

नेल्सन मंडेला का राजनीतिक करियर (Political career of Nelson Mandela)

Nelson-Mandela

नेल्सन मंडेला अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उपनिवेशवाद विरोधी और अफ्रीकी राष्ट्रवादी राजनीति में शामिल हुए। 1943 में एएनसी भी ज्वाइन किया और इसके बाद उन्होंने 1944 में यूथ लीग की सह-स्थापना की। नेशनल पार्टी की केवल श्वेत सरकार नस्लीय अलगाव रखती थी जो केवल गोरों को ही विशेषाधिकार देती थी। मंडेला को 1952 के अवज्ञा अभियान और 1955 की कांग्रेस ऑफ द पीपल में उनकी भागीदारी में प्रमुखता के कारण उन्हें एएनसी की ट्रांसवाल शाखा का अध्यक्ष चुना गया।

नेल्सन मंडेला को बार-बार देशद्रोही गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 1956 के राजद्रोह मुकदमे में उन पर असफल मुकदमा चलाया गया। नेल्सन मंडेला मार्क्सवाद से बहुत प्रभावित थे, वे गुप्त रूप से प्रतिबंधित दक्षिण अफ्रीकी कम्युनिस्ट पार्टी (SACP) में शामिल हो गए। और इस प्रकार उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ।

नेल्सन मंडेला का व्यक्तिगत जीवन (Personal life of Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला ने तीन शादियां की थी, जिनसे उनके छह बच्चे हुए। उन्होंने 1944 में अपनी पहली पत्नी, एवलिन नोको मेसे से शादी की। जिनके चार बच्चे हुए: मदीबा थेम्बेकिले मक्गाथो, मकाज़ीवे और माकी। पर उनकी पत्नी का इनसे 1957 तलाक हो गया। इसके बाद 1958 में, नेल्सन मंडेला ने विनी मैडिकिजेला से शादी की।

लेकिन 1996 में दोनों अलग हो गए इनकी दो बेटियाँ, ज़ेनानी जो अर्जेंटीना के दक्षिण अफ्रीकी राजदूत रही जबकि ज़िंदज़िस्वा डेनमार्क में दक्षिण अफ्रीकी राजदूत थी। और अंत में, इन्होंने 1998 में, अपने 80वें जन्मदिन पर ग्रेसा मेकल से विवाह किया। जो मोजाम्बिक की पहली शिक्षा मंत्री थी, जिसके साथ वह 2013 में अपनी मृत्यु तक रहे।

नेल्सन मंडेला की मृत्यु (Death of Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला की अपने बुढ़ापे और बीमारी के कारण 5 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु साउथ अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में हुई। वे दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं थे। आज भी उनका नाम बड़े गर्व और सम्मान से लिया जाता है।

नेल्सन मंडेला के अवार्ड (Nelson Mandela’s Awards)

नेल्सन मंडेला ने कई अवार्ड अपने नाम किए हैं क्योंकि उनकी प्रतिभा और कर्तव्य निष्ठा के कारण वे हर काम को बड़ी लगन से करते थे। अखंड देश प्रेम और गरीबों की भलाई के लिए हमेशा कार्य करते रहे। इन्हें 40 वर्षों में 260 से भी अधिक पुरस्कार मिले, इन्होंने रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के चलते 27 साल जेल में बिताए। अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले नेल्सन मंडेला को अफ्रीका का ‘गांधी’ कहते हैं।

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नेल्सन मंडेला (Nobel Prize Awarded Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला को रंगभेद की लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए 1993 में उन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा था:–

“विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता, शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बगैर कोई भी देश, अपने गरीब और पिछड़े हुए नागरिकों को मुख्य धारा में लाने के लिए कुछ नहीं कर सकता।”

भारत रत्न से सम्मानित नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela honored with Bharat Ratna )

नेल्सन मंडेला ने जिस तरह से देश में रंगभेद के खिलाफ अपना अभियान चलाया, जिससे पूरी दुनियाभर को अपनी ओर आकर्षित किया। और यही कारण रहा कि भारत सरकार ने 1990 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ भारत रत्न ‘ से भी सम्मानित किया।

प्रेसीडेंशियल ऑफ मेडल अवार्ड से सम्मानित (Honored with the Presidential Off Medal Award)

2002 में, नेल्सन मंडेला को अमेरिका का सबसे बड़ा अवार्ड प्रेसीडेंशियल ऑफ मेडल भी मिला। यह अवार्ड उन्हें विश्व शांति के लिए मिला था।

सखारोव अवार्ड से सम्मानित (awarded the Sakharov Award)

नेल्सन मंडेला को सखारोव अवार्ड मानवाधिकारों और विचार की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए 1988 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

निशान – ए – पाकिस्तान अवॉर्ड (Nishan-e-Pakistan Award)

अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को 1992 में निशान-ए-पाकिस्तान से भी सम्मानित किया गया। यह अवार्ड भारत रत्न की तरह ही पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

लेनिन शांति अवार्ड से सम्मानित (awarded the Lenin Peace Award)

नेल्सन मंडेला को सोवियत संघ द्वारा दिए जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय लेनिन शांति अवार्ड सहयोगियों के बीच शांति को मजबूत करने के लिए दिया गया यह अवार्ड उन्हें 1990 में मिला।

नेल्सन मंडेला दिवस (nelson mandela day)

नेल्सन मंडेला का व्यक्तित्व और उनका काम, इतना शानदार रहा कि नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान को देखते हुए उनके सम्मान में, उनके जन्मदिन को ‘ मंडेला दिवस ‘ (Nelson Mandela Day) घोषित किया था, और तब से हर साल 18 जुलाई को ‘मंडेला दिवस’ मनाया जाता है।

नेल्सन मंडेला के रोचक तथ्य (nteresting facts about Nelson Mandela)

नेल्सन मंडेला के रोचक तथ्य हैं –

  • मंडेला को आधुनिक दक्षिण अफ्रीका का जनक माना जाता है। उन्होंने दमनकारी सरकार को गिराने और लोकतंत्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • नेल्सन मंडेला 1994-1999 तक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे। वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे, और पूर्ण प्रतिनिधि चुनाव में चुने जाने वाले पहले राष्ट्रपति भी थे।
  • स्कूल में, मंडेला ने कानून का अध्ययन किया और दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत वकीलों में से एक बने
  • मंडेला को 1993 में रंगभेद शासन को शांतिपूर्वक नष्ट करने और लोकतंत्र की नींव रखने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला। नोबेल पीस पुरस्कार के अलावा, उन्होंने 250 से अधिक अन्य पुरस्कार जीते।
  • नेल्सन मंडेला को 1962-1990 तक राजद्रोह और सरकार के खिलाफ साजिश के आरोप में जेल में रखा गया था। उन्हें जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन जब एएनसी फिर से कानूनी हो गई तो उन्हें जल्दी रिहा कर दिया गया।
  • 2009 में, संयुक्त राष्ट्र ने मंडेला के जन्मदिन (18 जुलाई) को नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया।
  • जब वे जेल में थे, मंडेला दक्षिण अफ्रीका में उन उत्पीड़ितों के लिए एकजुट होने के प्रतीक थे जो अधिकारों के लिए लड़ रहे थे।
  • 1950 के दशक में, उन्हें अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) मुक्ति आंदोलन की युवा शाखा का नेता चुना गया।
  • नेल्सन मंडेला की सरकार ने देश में रंगभेद सरकार को नष्ट करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसने कानून द्वारा लागू नस्लीय अलगाव पर ध्यान केंद्रित किया था।
  • जब सरकार ने नस्लीय कारणों से ANC पर प्रतिबंध लगा दिया, तो मंडेला ने एक गुप्त सैन्य आंदोलन का आयोजन किया। वह पहले शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में शामिल थे, लेकिन जब उन्हें सरकार की ओर से हिंसा का सामना करना पड़ा तो उन्होंने एक सशस्त्र आंदोलन का समर्थन किया।
  • राजनीति से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की शुरुआत की, जो एचआईवी/एड्स का मुकाबला करने पर केंद्रित था जो ग्रामीण विकास और स्कूल निर्माण का कार्य करता था।

नेल्‍सन मंडेला के प्रेरणादायक विचार (inspirational thoughts of nelson mandela)

नेल्सन मंडेला के प्रेरणादायक विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने पहले थे। उनके द्वारा कहे गए कुछ प्रेरणादायक विचार इस प्रकार हैं-

“आप किसी व्यक्ति से जिस भाषा को वह समझता हो, उसमें बात करें तो बात उसकी समझ में आती है। लेकिन आप अगर उससे उसकी मातृभाषा में बात करें, तो वह उसके दिल में जाती है।”
“शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है।”
“बड़े गर्व की बात कभी न गिरने में नहीं, बल्कि हर बार गिर कर उठने में है।”
“जब तक काम किया ना जाए, वो असंभव ही लगता है।”
“जहां कहीं भी लोगों के अधिकारों को कुचला जाता है वहां स्वतंत्रता की घंटी बजने दें।”

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  • Nelson Mandela Biography

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The first President of South Africa to be elected in entirely representative democratic elections was Nelson Mandela. He was a prominent anti-apartheid radical and leader of the African National Congress before his presidency, who spent 27 years in jail for his participation in the activities of clandestine armed resistance and sabotage.

About Nelson Mandela

Full Name - Nelson Rolihlahla Mandela

Date of Birth - July 18, 1918

Date of Death - December 5, 2013

Cause of Death - Prolonged respiratory infection

Age - 95 years

Nelson Mandela spouse(s) -

Evelyn Ntoko Mase (m. 1944; div. 1958)​

Winnie Madikizela (m. 1958; div. 1996)

Graça Machel ​(m. 1998)

Who is Nelson Mandela?

Nelson Mandela belonged to the Thembu Dynasty cadet branch which reigned (nominally) in the Transkeian Territories of the Cape Province Union of South Africa. He was born in the small village of Qunu in the Mthatha district, the capital of the Transkei. Ngubengcuka (died 1830), the Inkosi Enkulu or King of the Thembu people, was his great-grandfather and was ultimately subjected to British colonial rule. One of the king's sons, named Mandela, became Nelson's grandfather and the source of his surname.

His father, Gadla Henry Mphakanyiswa (1880-1928) was appointed chief of the village of Mvezo. However, he was stripped of his position after alienating the colonial authorities and he moved his family to Qunu. Gadla, however, remained a member of the Privy Council of Inkosi and was instrumental in the ascension of Jongintaba Dalindyebo to the Thembu throne, who would later return this favor by informally adopting Mandela upon the death of Gadla.

Mandela's father had four wives, with whom he fathered a total of 13 children (four boys and nine girls). Nosekeni Fanny, daughter of Nkedama of the Mpemvu Xhosa tribe, in whose homestead Mandela spent most of his childhood, was born to Gadla's third wife ('third' by a complex royal ranking system). His given name, Rolihlahla, means "one who brings trouble upon himself."

Nelson Mandela Education

Rolihlahla Mandela became the first member of his family to attend a school at the age of seven, where a Methodist teacher gave him the name 'Nelson,' after the British admiral Horatio Nelson. When Rolihlahla was nine, his father died of tuberculosis, and the Regent, Jongintaba, became his guardian. Mandela was attending a Wesleyan mission school next door to the Regent's palace. He was initiated at age 16, adopting Thembu tradition, and attended Clarkebury Boarding Institute, learning about Western culture. Instead of the standard three, he completed his Junior Certificate in two years.

In 1937, Mandela moved to Healdtown, the Wesleyan college in Fort Beaufort, which was attended by most Thembu royalty, as he was supposed to inherit the place of his father as a private counselor. He took an interest in boxing and running at the age of nineteen. After registering, he began studying for a B.A. and met Oliver Tambo at Fort Hare University, where the two became lifelong friends and colleagues. He became active in a protest by the Students' Representative Council against university policies at the end of his first year and was forced to leave Fort Hare.

Mandela initially found employment as a guard at a mine upon his arrival in Johannesburg. This was quickly terminated, however, after the employer learned that Mandela was the runaway adopted son of the Regent. Thanks to connections with his friend and fellow lawyer Walter Sisulu, he then managed to find work as a clerk at a law firm. He completed his degree at the University of South Africa (UNISA) through correspondence while working, after which he began his law studies at the University of Witwatersrand. Mandela lived in a township called Alexandra during that time.

About Nelson Mandela Marriage and Family

Nelson Mandela married thrice and had fathered six children, 20 grandchildren, and an increasing number of great-grandchildren. His first marriage was to Evelyn Ntoko Mase, who, like Mandela, was also from what later became South Africa's Transkei region. They first met in Johannesburg.  The couple had two sons, Madiba Thembekile (born 1946) and Makgatho (born 1950), and two daughters, both named Makaziwe (known as Maki; born 1947 and 1953).

Nelson Mandela’s second wife, Winnie Madikizela-Mandela, was also from the Transkei region, even though they also met in Johannesburg, where she was the first black social worker in the city. The marriage bore two daughters, Zenani (Zeni), born on February 4, 1958, and Zindziswa (Zindzi), born in 1960. The union, fuelled by political estrangement, ended in separation (April 1992) and divorce (March 1996).

In 1998, on his 80th birthday, Mandela married Graça Machel, née Simbine, the widow of Samora Machel, a former Mozambican president and an ANC ally killed 12 years earlier in an air crash. His traditional sovereign, King Buyelekhaya Zwelibanzi Dalindyebo, born in 1964, carried out the wedding on Mandela's behalf (which followed months of international negotiations to fix the unparalleled bride price sent to her clan). Ironically, it was the grandfather of this paramount leader, the Regent, whose selection of a bride for him compelled Mandela to flee as a young man to Johannesburg. 

About Nelson Mandela Political Activity

Nelson Mandela was influential in the ANC's 1952 Defiance Movement and the 1955 People's Congress. They adopted the Freedom Charter which provided the basic program of the anti-apartheid cause, after the 1948 election victory of the Afrikaner-dominated National Party with its apartheid racial segregation policy. Nelson Mandela and fellow lawyer Oliver Tambo ran the Mandela and Tambo law firm during this period, offering free or low-cost legal advice to many blacks who would otherwise have been without legal representation.

Initially influenced by Mahatma Gandhi and devoted to non-violent mass struggle, on December 5, 1956, Mandela was arrested and charged with treason along with 150 others. The 1956-1961 marathon Treason Trial followed, and all were acquitted. As a new class of black activists (Africanists) emerged in the townships seeking more drastic action against the National Party government, the ANC witnessed disruption from 1952-1959. Albert Luthuli, Oliver Tambo, and Walter Sisulu's ANC leadership thought not only that events were moving too rapidly, but also that their leadership was being questioned.

The ANC lost its most militant support in 1959 when, under Robert Sobukwe and Potlako Leballo, most of the Africanists, with financial support from Ghana and major political support from the Transvaal-based Basotho, split away to form the Pan Africanist Congress (PAC).

Arrest and Imprisonment 

In 1961, Nelson Mandela became the chief of Umkhonto we Sizwe (Spear of the Nation, also abbreviated as MK), the armed wing of the ANC, which he co-founded. He coordinated a campaign of sabotage against military and government objectives and if sabotage failed to end apartheid, made preparations for a future guerrilla war. MK did indeed wage a guerrilla war against the regime a few decades later, especially during the 1980s, in which many civilians were killed. Mandela also collected funds and organized paramilitary training for MK overseas, visiting different African governments.

He was captured after living on the run for 17 months on August 5, 1962, and imprisoned in the Johannesburg Fort. Three days later, at a court appearance, the charges of leading workers to a strike in 1961 and leaving the country illegally were read to him. Mandela was sentenced to five years in prison on October 25, 1962.

On June 11th, 1964, two years later, a verdict was reached concerning his prior participation in the African National Congress (ANC). Nelson Mandela was incarcerated on Robben Island for the next 18 of his 27 years in prison. It was there that he wrote the bulk of his 'Long Walk to Freedom' autobiography. Mandela did not disclose anything in that book about the suspected involvement of President F. W. De Klerk, or the role of his ex-wife Winnie Mandela in the brutality of the 1980s and early 1990s. In Mandela: The Authorized Biography, however, he later cooperated with his friend, journalist Anthony Sampson, who addressed these issues.

Mandela remained in jail rejecting an offer of conditional release in exchange for renouncing armed struggle in February 1985 until concerted ANC and international activism came up with the resounding slogan “Free Nelson Mandela!”. President de Klerk simultaneously ordered the release of Mandela in February 1990 and the revocation of the ANC ban.

Post-apartheid

On April 27, 1994, South Africa's first democratic elections were held in which full enfranchisement was given. In the election, the ANC won the vote, and Nelson Mandela, as ANC leader, was inaugurated as the country's first black president, with de Klerk of the National Party as his deputy president in the National Unity Government.

As South Africa hosted the 1995 Rugby World Cup, Nelson Mandela urged black South Africans to get behind the previously despised Springboks (the South African national rugby team). Nelson Mandela, wearing a Springbok jersey, presented the trophy to captain Francois Pienaar, an Afrikaner after the Springboks had secured an epic final over New Zealand. This has been widely seen as a significant step in white and black South Africans' reconciliation.

It was also during his administration when, with the launch of the SUNSAT satellite in February 1999, South Africa entered the space age. It was developed by Stellenbosch University students and was used primarily to photograph land related to vegetation and forestry issues in South Africa.

Nelson Mandela Awards

Nelson Mandela has received many South African, foreign, and international awards, including the 1993 Nobel Peace Prize, Queen Elizabeth II's Order of Merit and the Order of St. John, and George W. Bush's Presidential Medal of Freedom. In July 2004, during a ceremony in Orlando, Soweto, the city of Johannesburg, South Africa, conferred its highest honor on Mandela by granting him the freedom of the city.

As an indication of his popular international recognition, he had a speaking engagement at the SkyDome in the city of Toronto during his tour of Canada in 1998, where 45,000 school children welcomed him with intense adulation.

He was the first living person to be named an honorary Canadian citizen in 2001.

In 1992, Turkey awarded him the Ataturk Peace Prize. He declined the award, alleging abuses of human rights committed during that period by Turkey, but later accepted the award in 1999. He has also received the Ambassador of Conscience Award from Amnesty International (2006).

Retirement and Death

Nelson Mandela was diagnosed and treated for prostate cancer in the summer of 2001. Mandela declared in June 2004, at the age of 85, that he would retire from public life. His health had been deteriorating, and he and his family decided to spend more time. 

He passed away on December 5, 2013, at the age of 95, after suffering from a prolonged respiratory infection. He died, surrounded by his relatives, at his home in Houghton, Johannesburg.

Some facts about Nelson Mandela

From 1994 until 1999, Nelson Mandela served as President of South Africa. He was South Africa's first black president and the first to be elected in a fully representative election.

The leadership of Nelson Mandela concentrated on overthrowing the country's Apartheid government, which had enforced racial segregation through the law.

Nelson Mandela studied law at school and then went on to become one of South Africa's first black lawyers.

He was chosen leader of the African National Congress (ANC) liberation movement's youth section in the 1950s.

Mandela established a hidden military movement after the government banned the ANC for racial reasons. He had previously participated in nonviolent protests, but as the government responded with brutality, he moved on to promote an anti-government movement.

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FAQs on Nelson Mandela Biography

1. When and Where was Nelson Mandela born?

Nelson Mandela was born on July 18, 1918, according to his biography. His parents named him Rolihlahla after he was born. This African name was eventually complemented with the English first name Nelson, which was given to him by his teacher, Miss Mdingane, as the name to which he should respond at school. He was born in the Transkei province of South Africa.

2. Why is he also called ‘Madiba’?

Madiba is Nelson Mandela’s clan name, indicating that he was a Madiba clan member (named after an eighteenth-century Thembu tribe chief). "I am commonly addressed as Madiba, my tribal name, as a symbol of respect," Nelson Mandela writes in his autobiography.

3. What is his educational background?

Nelson Mandela began his education at a nearby mission school. He received his Bachelor of Arts degree from the University College of Fort Hare in Alice, Eastern Cape, at the end of 1942. Mandela then enrolled at the University of the Witwatersrand in Johannesburg in early 1943 to pursue a bachelor of law degree, but he never finished it. He chose to take the qualifying exam that would allow him to practice as a full-fledged attorney in 1952 after multiple failed attempts. He graduated from law school in the year 1989.

4. When was Nelson Mandela awarded the Nobel Peace Prize? And why?

Nelson Mandela and Frederik Willem de Klerk, the president of South Africa at the time, shared the Nobel Peace Prize in 1993 "for their work for the peaceful end of the apartheid regime, and for establishing the foundations for a new democratic South Africa." Visit Vedantu To know more about his contribution to the establishment of a democratic republic. 

Nelson Mandela Foundation

  • Mandela Day

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Biography of Nelson Mandela

Rolihlahla Mandela was born into the Madiba clan in the village of Mvezo , in the Eastern Cape, on 18 July 1918. His mother was Nonqaphi Nosekeni and his father was Nkosi Mphakanyiswa Gadla Mandela, principal counsellor to the Acting King of the Thembu people, Jongintaba Dalindyebo. In 1930, when he was 12 years old, his father died and the young Rolihlahla became a ward of Jongintaba at the Great Place in Mqhekezweni 1 .

Hearing the elders’ stories of his ancestors’ valour during the wars of resistance, he dreamed also of making his own contribution to the freedom struggle of his people.

Video Overlay Mandela

He attended primary school in Qunu where his teacher, Miss Mdingane, gave him the name Nelson, in accordance with the custom of giving all schoolchildren “Christian” names.

He completed his Junior Certificate at Clarkebury Boarding Institute and went on to Healdtown, a Wesleyan secondary school of some repute, where he matriculated.

Mandela began his studies for a Bachelor of Arts degree at the University College of Fort Hare but did not complete the degree there as he was expelled for joining in a student protest.

On his return to the Great Place at Mqhekezweni the King was furious and said if he didn’t return to Fort Hare he would arrange wives for him and his cousin Justice. They ran away to Johannesburg instead, arriving there in 1941. There he worked as a mine security officer and after meeting Walter Sisulu, an estate agent, he was introduced to Lazer Sidelsky. He then did his articles through a firm of attorneys – Witkin, Eidelman and Sidelsky.

He completed his BA through the University of South Africa and went back to Fort Hare for his graduation in 1943.

Nelson Mandela (top row, second from left) on the steps of Wits University.

Meanwhile, he began studying for an LLB at the University of the Witwatersrand. By his own admission he was a poor student and left the university in 1952 without graduating. He only started studying again through the University of London after his imprisonment in 1962 but also did not complete that degree.

In 1989, while in the last months of his imprisonment, he obtained an LLB through the University of South Africa. He graduated in absentia at a ceremony in Cape Town.

Entering politics

Mandela, while increasingly politically involved from 1942, only joined the African National Congress in 1944 when he helped to form the ANC Youth League (ANCYL).

In 1944 he married Walter Sisulu’s cousin, Evelyn Mase, a nurse. They had two sons, Madiba Thembekile "Thembi" and Makgatho, and two daughters both called Makaziwe, the first of whom died in infancy. He and his wife divorced in 1958.

Mandela rose through the ranks of the ANCYL and through its efforts, the ANC adopted a more radical mass-based policy, the Programme of Action, in 1949.

Nelson Mandela on the roof of Kholvad House in 1953.

In 1952 he was chosen as the National Volunteer-in-Chief of the Defiance Campaign with Maulvi Cachalia as his deputy. This campaign of civil disobedience against six unjust laws was a joint programme between the ANC and the South African Indian Congress. He and 19 others were charged under the Suppression of Communism Act for their part in the campaign and sentenced to nine months of hard labour, suspended for two years.

A two-year diploma in law on top of his BA allowed Mandela to practise law, and in August 1952 he and Oliver Tambo established South Africa’s first black-owned law firm in the 1950s, Mandela & Tambo. 2

At the end of 1952 he was banned for the first time. As a restricted person he was only permitted to watch in secret as the Freedom Charter was adopted in Kliptown on 26 June 1955.

The Treason Trial

Mandela was arrested in a countrywide police swoop on 5 December 1956, which led to the 1956 Treason Trial. Men and women of all races found themselves in the dock in the marathon trial that only ended when the last 28 accused, including Mandela, were acquitted on 29 March 1961.

On 21 March 1960 police killed 69 unarmed people in a protest in Sharpeville against the pass laws. This led to the country’s first state of emergency and the banning of the ANC and the Pan Africanist Congress (PAC) on 8 April. Mandela and his colleagues in the Treason Trial were among thousands detained during the state of emergency.

During the trial Mandela married a social worker, Winnie Madikizela, on 14 June 1958. They had two daughters, Zenani and Zindziswa. The couple divorced in 1996.

Days before the end of the Treason Trial, Mandela travelled to Pietermaritzburg to speak at the All-in Africa Conference, which resolved that he should write to Prime Minister Verwoerd requesting a national convention on a non-racial constitution, and to warn that should he not agree there would be a national strike against South Africa becoming a republic. After he and his colleagues were acquitted in the Treason Trial, Mandela went underground and began planning a national strike for 29, 30 and 31 March.

In the face of massive mobilisation of state security the strike was called off early. In June 1961 he was asked to lead the armed struggle and helped to establish Umkhonto weSizwe (Spear of the Nation), which launched on 16 December 1961 with a series of explosions.

Madiba travelled with his Ethiopian passport.

On 11 January 1962, using the adopted name David Motsamayi, Mandela secretly left South Africa. He travelled around Africa and visited England to gain support for the armed struggle. He received military training in Morocco and Ethiopia and returned to South Africa in July 1962. He was arrested in a police roadblock outside Howick on 5 August while returning from KwaZulu-Natal, where he had briefed ANC President Chief Albert Luthuli about his trip.

He was charged with leaving the country without a permit and inciting workers to strike. He was convicted and sentenced to five years' imprisonment, which he began serving at the Pretoria Local Prison. On 27 May 1963 he was transferred to Robben Island and returned to Pretoria on 12 June. Within a month police raided Liliesleaf, a secret hideout in Rivonia, Johannesburg, used by ANC and Communist Party activists, and several of his comrades were arrested.

On 9 October 1963 Mandela joined 10 others on trial for sabotage in what became known as the Rivonia Trial. While facing the death penalty his words to the court at the end of his famous "Speech from the Dock" on 20 April 1964 became immortalised:

“ I have fought against white domination, and I have fought against black domination. I have cherished the ideal of a democratic and free society in which all persons live together in harmony and with equal opportunities. It is an ideal which I hope to live for and to achieve. But if needs be, it is an ideal for which I am prepared to die. ” Speech from the Dock quote by Nelson Mandela on 20 April 1964

On 11 June 1964 Mandela and seven other accused, Walter Sisulu, Ahmed Kathrada, Govan Mbeki, Raymond Mhlaba, Denis Goldberg, Elias Motsoaledi and Andrew Mlangeni, were convicted and the next day were sentenced to life imprisonment. Goldberg was sent to Pretoria Prison because he was white, while the others went to Robben Island.

Mandela’s mother died in 1968 and his eldest son, Thembi, in 1969. He was not allowed to attend their funerals.

On 31 March 1982 Mandela was transferred to Pollsmoor Prison in Cape Town with Sisulu, Mhlaba and Mlangeni. Kathrada joined them in October. When he returned to the prison in November 1985 after prostate surgery, Mandela was held alone. Justice Minister Kobie Coetsee visited him in hospital. Later Mandela initiated talks about an ultimate meeting between the apartheid government and the ANC.

A picture captured during a rare visit from his comrades at Victor Verster Prison.

Release from prison

On 12 August 1988 he was taken to hospital where he was diagnosed with tuberculosis. After more than three months in two hospitals he was transferred on 7 December 1988 to a house at Victor Verster Prison near Paarl where he spent his last 14 months of imprisonment. He was released from its gates on Sunday 11 February 1990, nine days after the unbanning of the ANC and the PAC and nearly four months after the release of his remaining Rivonia comrades. Throughout his imprisonment he had rejected at least three conditional offers of release.

Mandela immersed himself in official talks to end white minority rule and in 1991 was elected ANC President to replace his ailing friend, Oliver Tambo. In 1993 he and President FW de Klerk jointly won the Nobel Peace Prize and on 27 April 1994 he voted for the first time in his life.

On 10 May 1994 he was inaugurated as South Africa’s first democratically elected President. On his 80 th birthday in 1998 he married Graça Machel, his third wife.

True to his promise, Mandela stepped down in 1999 after one term as President. He continued to work with the Nelson Mandela Children’s Fund he set up in 1995 and established the Nelson Mandela Foundation and The Mandela Rhodes Foundation.

In April 2007 his grandson, Mandla Mandela, was installed as head of the Mvezo Traditional Council at a ceremony at the Mvezo Great Place.

Nelson Mandela never wavered in his devotion to democracy, equality and learning. Despite terrible provocation, he never answered racism with racism. His life is an inspiration to all who are oppressed and deprived; and to all who are opposed to oppression and deprivation.

He died at his home in Johannesburg on 5 December 2013.

1. Nelson Mandela's father died in 1930 when Mandela was 12 and his mother died in 1968 when he was in prison. While the autobiography Long Walk to Freedom says his father died when he was nine, historical evidence shows it must have been later, most likely 1930. In fact, the original Long Walk to Freedom manuscript (written on Robben Island) states the year as 1930, when he was 12.

2. have established that there were at least 2 other black owned law firms before Mandela and Tambo.

BIOGRAPHY IN HINDI

Nelson Mandela biography in Hindi

नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय | Nelson Mandela biography in Hindi

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 में म्वेजो ईस्टर्न दक्षिण अफ्रीका संघ में हुआ था | नेल्सन मंडेला की माता का नाम नोसकेनी था तथा पिता का नाम म्वेजो कस्बे था नेल्सन मंडेला का प्रारंभिक जीवन बहुत ही खुशहाली में गुजरा क्योंकि इनके पिता अपने कबीले के सरदार थे और उस समय सरदार सम्मान करना तथा उनके परिवार को सम्मान देना यह उस जनजाति में प्रमुख कार्य था | Nelson Mandela Biography In Hindi के इस भाग मे आप उनसे जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दु जैसे प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, जेल जाना, संघर्ष, समाज सेवा, पारिवारिक जीवन,पत्नी, बच्चे, सम्मान, इत्यादि को जन पाएंगे |

नेलसन के पिता “ म्वेजो कस्बे” ने तीन शादियां की और नेलसन मंडेला के 13 भाई थे | उन 13 भाई में से यह तीसरे नंबर के थे | नेल्सन मंडेला की मां “नोसकेनी” एक मेथाडिस्ट ( मेथाडिस्ट यह 1721 में पादरी जॉन वेली द्वारा एक संगठन या ग्रुप था जो ईश्वर के कार्यों को प्रचार व प्रसार करने के काम को आगे बढ़ाया करता था मेथाडिस्ट इसी संस्था का नाम था यह संस्था इस समय अमेरिका में बहुत ही प्रचलित थी और ईश्वर के कार्यों को आगे बढ़ा रही है) थी |

नेल्सन मंडेला का बचपन का नाम रोहिहाला (ऐसा कहां गया कि नेल्सन मंडेला बचपन में बहुत ही उपद्रवी  थे इसीलिए उनका नाम रोहीहाला रखा गया जिसका अर्थ होता है उपद्रवी होना) था इनके पिता द्वारा दिया गया यह प्रथम नाम था क्योंकि इनके पिता सरदार थे तथा उस समय सरदार के बेटे को मंडेला कहा जाता था वहीं से नेल्सन को उनका सरनेम प्राप्त हुआ |

उस समय पर जगह-जगह काले और गोरे { रंगभेद } का प्रतिरोध हो रहा था उन्हीं प्रतिरोधों के दौरान नेल्सन मंडेला के परिवार वालों ने उनको कहानियों के रूप में अपने पूर्वजों की वीरता की कहानी सुनाया करते थे | जिससे नेलसन मंडेला को भी अपने देश और अपने लोगों के लिए कुछ बड़ा करने की सद्भावना बचपन से ही उत्पन्न होने लगी थी |

नेल्सन मंडेला बचपन से ही बहुत ही होशियार और समझदार थे उन्होंने शुरुआती दिनों से काले और गोरे का मतभेद सुना और सुनते चले आए यह मतभेद उस जनजाति से लेकर पूरे दक्षिण अफ्रीका में आग की तरह फैलता चला जा रहा था तब नेल्सन मंडेला अपने बचपन के दिनों में थे |

नामनेल्सन मंडेला
बचपन का नाम
जन्म18 जुलाई 1918
जन्म का स्थानईस्टर्न दक्षिण अफ्रीका संघ
माता का नाम
पिता का नाम
व्यवसायराजनेता ,समाज सेवक ,

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नेल्सन मंडेला की शिक्षा तथा शुरुआती दिनों के संघर्ष

नेल्सन मंडेला की प्रारंभिक शिक्षा क्वार्क बेरी मिशन स्कूल में हुई तथा जहां की मिस Mdingane , ने उनका नाम नेल्सन रख दिया क्योंकि उस समय स्कूल में सभी बच्चों का नाम ईसाई होना अनिवार्य था अतः वहां से नेल्सन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत की और कुछ समय तक वहीं से शिक्षा प्राप्त की | फिर वह एक प्रसिद्ध स्कूल वेस्लेयन सेकेंडरी मैं चले गए यह स्कूल हिलटाउन में था अब नेल्सन यहीं पर रहकर अपनी प्रारंभिक मैट्रिक की शिक्षा को पूरा करने लगे और इस जगह से मैट्रिक की शिक्षा लेकर वह बाहर निकले |

मंडेला ने आगे की पढ़ाई करने के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ फोर्ट हरे में अपना दाखिला ले लिया और वहां से कला में स्नातक की डिग्री लेने के लिए पढ़ाई शुरू कर दी | लेकिन किस्मत को कुछ और मजूर था नेल्सन मंडेला इस डिग्री को पूरा ना कर सके |क्योंकि उन्हें एक छात्र विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ फोर्ट हरे से निकाल दिया गया ।

नेल्सन मंडेला , कुछ समय विचार करने और कई जगह काम करने के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से उन्होंने 1943 ईस्वी में BA की डिग्री को पास किया और वहां से एक डिग्री होल्डर बन गए |

नेल्सन मंडेला इसके आगे की भी पढ़ाई करना चाहते थे अतः उन्होंने BA के बाद वकील बनने के लिए वकालत करने को सोचा और उन्होंने वकालत की डिग्री लेने के लिए LLB की पढ़ाई शुरू कर दी नेल्सन मंडेला की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी और वह इस डिग्री को पूरा न कर पाए |

1952 ईस्वी में इन्होंने इस डिग्री को बिना पूरा किए बगैर छोड़ दिया और 10 साल बाद 1962 ईस्वी में उनके कुछ कार्यों की वजह से इनको कुछ समय के लिए जेल जाना पड़ा | अतः इन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया और वहां पर डिग्री लेने का प्रयास किया | लेकिन 1962 ईस्वी में उन्होंने इस डिग्री को भी पूरा नहीं किया और छोड़ दिया  | 1981 ईस्वी में जब इनको जेल हो चुकी थी तब इन्होंने जेल के आखिरी समय पर अपनी डिग्री को पूरा किया और यह एक LLB डिग्री होल्डर  बन गए

नेल्सन मंडेला के जीवन में विवाद , राजनैतिक प्रवेश तथा जेल का संघर्ष

नेल्सन मंडेला का जीवन विवादों से घिरा रहा यह काले और गोरे का भेद खत्म करना चाहते थे अतः इस कारण इन्होंने कई आंदोलन किए कई पार्टियों मे भी शामिल हुय और अपनी बात को रखने के लिए संघर्ष शुरू किया | इन सभी कार्यों की वजह से नेलसन मंडेला देश दुनिया भर में बहुत ही प्रसिद्ध होने लगे अतः इन्हें कई पार्टियां शामिल करने के लिए निमंत्रण आ लगे | लेकिन नेलसन मंडेला ने केवल अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस में 1944 ईस्वी में शामिल हुए तथा इन्होंने ANC यूथ लीग (ANCYL) बनाने में मदद करें |

ANCYL इसी यूथ लीग के सहारे नेल्सन मंडेला ने प्रचार और प्रसार करना शुरू किया और वह देश समाज से काले गोरे का भेद खत्म करना के प्रचार प्रसार में लग गए | नेल्सन मंडेला ने बहुत ही शक्ति से इस कार्य को बढ़ाने का प्रयास किया | 1949 में इन्होंने कट्टरपंथी राजनीति अपनाई जिसके कारण यह अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रसिद्ध हो गए हैं प्रसिद्धि के कारण नेल्सन मंडेला को 1952 ईस्वी में मौलवी कचलिया के डिप्टी के रूप में चुन लिय गया |

मंडेला ने दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर ऐसे कानून के खिलाफ कई लोगों को इकट्ठा किया और एक जगह पर इकट्ठे होकर विरोध प्रदर्शन किया इस विरोध प्रदर्शन को देखकर सरकार पूरी तरह बौखला गयी और मंडेला और उनके 19 कर्मचारियों को जो उनके सहयोगी भी थे सभी को जेल में डाल दिया गया हालांकि कुछ समय बाद सभी को छोड़ दिया गया |

1952 ईस्वी के अंत तक नेल्सन मंडेला को प्रतिबंधित कर दिया गया उन्हें केवल सिर्फ चुप कर देखने की आजादी थी | नेल्सन ने LLB की पढ़ाई की थी अत: उन्हें कानून का ज्ञान था इस कारण उन्होंने कानूनी दांवपेच को यूज करते हुए अगस्त 1952 में ओलिवर टेंपो दक्षिण अफ्रीका एक संस्था की स्थापना की

नेल्सन मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा लगाया गया 5 दिसंबर 1956  में पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर नेल्सन मंडेला तथा उनके कुछ कर्मचारियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया और 29 मार्च 1961  में मुकदमा चलने के पश्चात नेल्सन मंडेला तथा उनके 28 कर्मचारियों को बरी कर दिया गया |

मंडेला तथा उसके कामों से देश के पुलिस तथा देश के राजनेता बहुत ही दुखी थे क्योंकि मंडेला बार-बार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे |अतः 21 मार्च 1960  को सरकार के कानूनों के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे 69 प्रदर्शनकारियों को सरकार ने गोलियों से मार डाला |सभी प्रदर्शनकारी निहत्थे थे अतः सरकार के इस कार्य को देखकर देश तथा विदेश में खलबली सी मच गई और उस समय आपातकालीन की स्थिति लागू कर दी गई थी | सरकार ने छोटे-मोटे सभी संगठनो ग्रुपो और अफ्रीकन कांग्रेस पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया |

देशद्रोह के मुकदमे से बरी होने के पश्चात नेल्सन मंडेला ने मार्च 29 , 30 और 31 को एक बड़े राष्ट्रीय हड़ताल की तैयारी कर दी | राष्ट्र की सुरक्षा देख देखते हुए इस हड़ताल को जल्दी ही बंद कर दिया गया और उन्होंने 1961 ईस्वी में सशक्त होकर राष्ट्र के भले के लिए , बड़े पैमाने पर कार्य करने के लिए कहा मंडेला अपना संगठन और भी विस्तार करना चाहते थे इसलिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को छोड़ दिया और देश विदेश की यात्रा करने लगे उन्होंने  11 जनवरी 1962 इंग्लैंड का वहां का दौरा किया तथा मोरक्को और इथोपिया से सैन्य प्रशिक्षण लिया |

नेल्सन मंडेला जब लौट कर वापस आ रहे थे तब उन्हें एक रोडब्लॉक पर गिरफ्तार किया गया और उन पर श्रमिकों को उकसाने और आंदोलन करने का आरोप लगाया इस कारण उन्हें 5 साल की जेल हो गयी | इन 5 सालों में उन्होंने हार नहीं मानी और और वह जेल के अंदर भी प्रचार प्रसार करने लगे | नेल्सन मंडेला ने अपना संगठन मजबूत करना बंद नहीं किया |

मंडेला तथा उनके कर्मचारियों से राजनेता तथा पुलिस बहुत ही परेशान हो चुकी थी अतः उन्होंने मंडेला के सभी दफ्तरों और ठिकानों पर छापेमारी करके मंडेला के कई साथियों को भी जेल में भेज दिया |

9 अक्टूबर 1963  को मंडेला तथा उनके 10 साथियों को तोड़फोड़ के मुकदमे के लिए गिरफ्तार किया गया | मंडेला का यह मुकदमा इतना प्रासिद्ध की हुआ कि इसे रिवोनिया ट्रायल के नाम से जाने जाने लगा | 11 जून 1964 को नेल्सन मंडेला तथा सात अन्य आरोपियों, वाल्टर सिसुलु, अहमद कथराडा, गोवन मबेकी, रेमंड म्हलाबा, डेनिस गोल्डबर्ग, इलियास मोत्सोलेदी और एंड्रयू म्लांगेनी को दोषी  माना गया और अगले दिन उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी  गई। गोल्डबर्ग को गोरे होने के कारण प्रिटोरिया जेल भेजा गया था, जबकि और सभी को रोबेन द्वीप गए थे।

नेल्सन मंडेला की प्रमुख उपलब्धियां तथा सम्मान

अपने जीवन के दौरान नेल्सन मंडेला को  राजनीतिक उपलब्धियों के सम्मान में 250 से अधिक पुरस्कार, प्रशंसा, पुरस्कार, मान द डिग्री और नागरिकता दीए

1993 ईस्वी में राष्ट्रपति FW de Klerk क्लॉक ने संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार जीता और 27 अप्रैल 1994  को उन्होंने अपने जीवन में पहली बार मतदान दिया+

10 मई 1994  को उनका दक्षिण अफ्रीका के सबसे पहले निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में चुनाव हुआ नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने तथा उन्होंने 1999 में राष्ट्रपति पद का त्याग कर दिया और अपने द्वारा बनाए गए मंडेला चिल्ड्रन फाउंडेशन ने स्वत: रूप से कार्य करने लगे: |

2007 में मंडेला के पोते ने मवेज़ो ग्रेट समारोह में नेल्सन मंडेला को मुख्य मवेज़ो ट्रेडिशनल काउंसिल के रूप में चुना गया |

1-अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वतंत्रता पदक   2- सोवियत संघ का लेनिन शांति पुरस्कार 3- मानव अधिकारों के लिए लीबिया अल-गद्दाफी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार  4- 1990 में भारत ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया 5 –  912 में पाकिस्तान ने उन्हें अपना निशान-ए-पाकिस्तान दिया 6 -उसी वर्ष, उन्हें तुर्की द्वारा अतातुर्क शांति पु रस्कार से सम्मानित किया गया

उन्होंने उस समय तुर्की द्वारा किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए पहले पुरस्कार से इनकार कर दिया लेकिन बाद में 1999 में पुरस्कार स्वीकार कर लिया।  उन्हें इसाबेला कैथोलिक   और कनाडा के आदेश के लिए नियुक्त किया गया था।  कनाडा के मानद नागरिक बनने वाले पहले जीवित व्यक्ति थे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें ऑर्डर ऑफ सेंट जॉन के बेलीफ ग्रैंड क्रॉस के रूप में नियुक्त किया और उन्हें ऑर्डर ऑफ मेरिट में सदस्यता प्रदान की |

2004 में जोहान्सबर्ग ने मंडेला को शहर की स्वतंत्रता प्रदान की और 2008 में मंडेला की प्रतिमा का अनावरण उस स्थान पर किया गया जहां मंडेला को जेल से रिहा किया गया था। सुलह के दिन 2013 में प्रिटोरिया की यूनियन बिल्डिंग में मंडेला की ए क कांस्य प्रतिमा का निर्माण किया गया था। नवंबर 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान को चिह्नित करते हुए मंडेला के जन्मदिन 18 जुलाई को  मंडेला दिवस   के रूप में घोषित किया । इसने व्यक्तियों से दूसरों के लिए कुछ करने के लिए 67 मिनट दान करने का आह्वान किया 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कैदियों के उपचार के लिए संशोधित मानक न्यूनतम नियमों को उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए “ मंडेला नियम” के रूप में नामित किया।

नेल्सन मंडेला के जीवन की प्रमुख घटनाएं

20 अप्रैल 1964 को अपने प्रसिद्ध “ स्पीच फ्रॉम द डॉक ” के अंत में अदालत में उनके शब्द अमर हो गए वह शब्द ये थे |

“ मैंने गोरे वर्चस्व के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, और मैंने काले वर्चस्व के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। मैंने एक ऐसे लोकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज के आदर्श को संजोया है जिसमें सभी व्यक्ति एक साथ सद्भाव और समान अवसरों के साथ रहते हैं। यह एक आदर्श है जिसके लिए मैं जीने और हासिल करने की आशा करता हूं। लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो यह एक आदर्श है जिसके लिए मैं मरने को तैयार हूं। “

  • नेल्सन मंडेला ट्रेन की यात्रा कर रहे थे तभी उन्हें काले होने की वजह से बहुत ही प्रताड़ित किया गया और उस दिन से बाहर भी फेंक दिया गया
  • नेल्सन मंडेला काले होने की वजह से मैच को देख ना पाए और उस मैच को देखने के लिए उन्हें कटीले तारों के पास खड़े होकर मैच को देखना पड़ा
  • मंडेला अपनी जीवनी में बताते हैं कि वह एक बार हवाई जहाज का सफर कर रहे थे तभी अकस्मात हवाई जहाज को इमरजेंसी लैंडिंग करने के लिए तैयार होना पड़ा उस समय मंडेला बहुत इंटेल गए थे परंतु इस डर को उन्होंने अपने मुख पर आने नहीं दिया

नेल्सन मंडेला का पारिवारिक जीवन

वह अपनी सभी पत्नियों को बहुत चाहते हैं ऐसा उन्होने ऐक इंटरव्यू दौरान बताया मंडेला ने तीन शादियां की थी

नेल्सन मंडेला की पहली पत्नी एवलिन मेस

नेल्सन मंडेला की पहली शादी उनके राजनीतिक संरक्षक वाल्टर सिसुलु की भतीजी के साथ हुई. इस समय तक उन्हें जोहानेसबर्ग आए हुए तीन साल बीत चुके थे और इस शादी के लिए तैयार होने की सबसे ख़ास वजह ये थी कि वो परिवार के जरिए खोजी गई देहाती लड़की से शादी को टालना चाहते थे |

शादी के समय मंडेला 26 साल के थे, जबकि एवलिन मेस 22 की थी उनका वैवाहिक जीवन 13 साल तक चला. एवलिन नर्स थीं और इस दौरान ज्यादातर समय परिवार का खर्च उनके वेतन से ही चला करता था जबकि मंडेला ने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की थी मंडेला के चार बच्चे हुए. दूसरे बच्चे की नौ महीने की उम्र में  मौत हो गई और उनके जीवन का दु:खद पल था. इसके बाद एवलिन अधिक धार्मिक होती गईं |

नेल्सन मंडेला की दूसरी शादी

विनी माडिकिज़ेला के साथ नेल्सन मंडेला का प्यार उस समय बढ़ा जब उनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा था  विनी उस वक्त एक 22 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता थीं और उम्र में मंडेला से 22 साल छोटी थीं | विनी माडिकिज़ेला का राजनीति मे काफी दबदबा था उनकी बात लोग सुनना व समछना चाहते थे विनयी ऐक लोग प्रसिद्ध महिला थी और उनके राजनीतिक तेवर काफ़ी लोकप्रिय थे उनकी दो बेटियां हुईं| लेकिन उनके साथ मंडेला थोड़ा सा समय ही बिता सके |

नेल्सन मंडेला की तीसरी शादी ग्रासा माशेल

राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते वक्त नेल्सन मंडेला ने ग्रासा माशेल से शादी की | ग्रासा माशेल मोज़ाम्बिक के पूर्व राष्ट्रपति समोरा माशेल की विधवा थीं. समोरा माशेल की मौत साल 1986 में एक विमान दुर्घटना में हो गई थी ग्रासा माशेल के पहले ही छह सौतेले बच्चे थे और दो उनके अपने बच्चे हुए थे. बावजूद इसके वो अपने बड़े परिवार में मिल-जुल कर रह रहे थे|

नेल्सन मंडेला की मृत्यु तथा मृत्यु का स्थान

5 दिसंबर 2013 को जोहान्सबर्ग में उनके घर पर उनका निधन हो गया

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FAQ ……….

नेल्सन मंडेला ऐक महान व्यक्ति थे तथा नेल्सन मंडेला के जीवन से हमे निरंतर ना हार मानने का संदेश मिलता है जिसे हमे अपने जीवन मे भी उतारना चाहिए | ऐक निरंतर प्रयास ही सफलता दिलाता है नेल्सन मंडेला ऐक न्यायाइक युद्ध ल’द रहे रहे थे इसी लिए वह सफल हुये |

नेल्सन मंडेला को 27 वर्ष की जेल मे बिताना पड़ा उन्होने कई पीड़ा को स्वीकार क्या लेकिन कभी भी हर नहीं मानी उन्हे तथा उनके कुछ साथियो को तोडफोड के मामले मे पुलिश द्यारा गिरफ्तार क्या गया नेल्सन के ऊपर और कई मुकदमे चल रहे उनही सब मुकदमो को देखते हुई नेल्सन मंडेला तथा उनके कुश साथी को उम्र कैद की सजा सुनाई गनाई गयी |

नेल्सन मंडेला ऐक समाज सेवक थे और वह चाहते की दाखिण अफ्रीका मे तथा पूरे विश्व मे काले व गोरे का मत भेद खतम हो जाय | इसके लिए मंडेला ने कई आंदोलन किए और कई बार जेल भी गए |

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को हुआ था  

नेल्सन मंडेला की तीन पत्निया थी जिंका नाम एवलिन मेस , विनी माडिकिज़ेला , ग्रासा माशेल था |

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