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राजनीतिक दल पर निबंध | Essay on Political Parties in India in Hindi

Essay on Political Parties in India in Hindi : नमस्कार साथियों आपका स्वागत हैं आज हम भारत के राजनीतिक दल पर निबंध लेकर आए हैं.

भारतीय गणतन्त्र की प्रगति और विकास इन्ही दलों के चरित्र, कार्यक्रमों पर निर्भर करती हैं. आज के इस निबंध, भाषण, अनुच्छेद में हम दलीय व्यवस्था, राजनीतिक दल का अर्थ कार्य तथा चुनौतियों के बारें में यहाँ जानकारी दे रहे हैं.

राजनीतिक दल पर निबंध Essay on Political Parties in India in Hindi

Essay on Political Parties in India in Hindi

लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को बनाने, संविधान रचने, चुनावी राजनीति और सरकार के गठन तथा संचालन में राजनीतिक दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं.

राजनीतिक दल का अर्थ (Meaning of political party in Hindi)

राजनैतिक दल ऐसे लोगों का संगठित समूह है जो समान दृष्टिकोण रखते हैं और जो राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करते हैं.

समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम तय करता हैं. इन नीतियों के आधार पर वे लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद उन नीतियों को लागू करने का प्रयास करते हैं.

इस प्रकार दल किसी समाज के बुनियादी राजनीतिक विभाजन को भी दर्शाते हैं, किसी दल की पहचान उसकी नीतियों और सामाजिक आधार से तय होती हैं.

राजनीतिक दलों के कार्य (Functions of political parties in Hindi)

  • दल चुनाव लड़ते हैं.
  • दल अलग अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं.
  • दल देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
  • दल ही सरकार बनाते और चलाते हैं.
  • चुनाव हारने वाले दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं.
  • जनमत निर्माण में भी दल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं वे मुद्दों को उठाते है और उन पर बहस करते हैं.
  • शासन और जनता के मध्य मध्यस्थ का कार्य
  • दल ही सरकारी मशीनरी और सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कल्याण कार्यक्रमों तक जनता की पहुँच बनाते हैं.

अगर राजनीतिक दल न हो तो सारे उम्मीदवार स्वतंत्र और निर्दलीय होंगे. तब इनमें से कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा.

सरकार बन जाएगी और उसकी उपयोगिता संदिग्ध होगी. लेकिन देश कैसे चले इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होगा.

बड़े समाजों के लिए प्रतिनिधित्व आधारित लोकतंत्र की जरूरत होती हैं. जब समाज बड़े और जटिल हो जाते है तब उन्हें विभि न्न मुद्दों पर अलग अलग विचारों को समेटने और सरकार की नजर में लाने के लिए किसी माध्यम या एजेंसी की जरूरत होती हैं.

उन्हें सरकार का समर्थन करने या उस पर अंकुश रखने, नीतियाँ बनवाने और नीतियों का समर्थन अथवा विरोध करने के लिए उपकरणों की जरूरत होती हैं.

प्रत्येक प्रतिनिधि सरकार की ऐसी जो भी जरूरते होती हैं राजनीतिक दल उन्हें पूरा करते हैं. इस प्रकार राजनीतिक दल लोकतंत्र की एक अनिवार्य शर्त हैं.

दलीय व्यवस्था (The party system in Hindi)

  • एक दलीय शासन व्यवस्था – जब सिर्फ एक ही दल सरकार बनाने और चलाने की अनुमति होती है तो उसे एकदलीय शासन व्यवस्था कहते हैं. चीन में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी को शासन चलाने की अनुमति हैं.
  • दो दलीय शासन व्यवस्था – वह राजनीतिक व्यवस्था जिसमें सिर्फ दो ही दल बहुमत पाने और सरकार चलाने के प्रबल दावेदार हैं अमेरिका और ब्रिटेन में ऐसी ही दो दलीय व्यवस्था हैं.
  • बहुदलीय व्यवस्था – जब अनेक दल सत्ता के लिए होड़ में हो और दो दलों से ज्यादा के लिए अपने दम पर या दूसरों से गठबंधन करके सत्ता में आने का ठीक ठाक अवसर हो तो इसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं. भारत में ऐसी ही बहुदलीय व्यवस्था हैं इस व्यवस्था में कई दल गठबंधन बनाकर भी सरकार बना सकते हैं. जब किसी बहुदलीय व्यवस्था में अनेक पार्टियाँ चुनाव लड़ने और सत्ता में आने के लिए आपस में हाथ मिला लेती है तो इसे गठबंधन या मौर्चा कहा जाता हैं. भारत में वर्ष 2004 के संसदीय चुनाव में तीन प्रमुख गठबंधन थे.
  • राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन भाजपा और सहयोगी दल
  • संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन कांग्रेस और सहयोगी दल
  • वाम मौर्चा माकपा, भाकपा आदि कम्युनिस्ट दल

राजनीतिक दलों के लिए चुनौतियाँ (Challenges for political parties in Hindi)

  • पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का न होना
  • वंशवाद की चुनौती
  • पैसा और अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ
  • पार्टियों के बीच विकल्पहीनता की स्थिति हैं. सार्थक विकल्प का तात्पर्य है कि विभिन्न पार्टियों की नीतियाँ और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण अंतर हो. हाल ही के वर्षों में दलों के बीच वैचारिक अंतर कम होता गया हैं और यह प्रवृत्ति दुनियाभर में दिखती हैं.

राजनीतिक दलों और नेताओं के सुधारने के प्रयास (Efforts to improve political parties and leaders in Hindi)

दल बदल कानून.

भारत में 52 वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा सांसदों और विधायकों द्वारा जीतने के बाद एक राजनीतिक दल से दूसरे दल में दल बदल को रोकने का प्रावधान किया गया हैं.

विधायिका के लिए किसी दल विशेष से निर्वाचित प्रतिनिधि का उस दल को छोड़कर किसी अन्य दल में चले जाना दल बदल कहलाता हैं. इस कानून से दल बदल में कमी आई हैं.

पर इससे पार्टी में विरोध का स्वर उठाना और भी मुश्किल हो जाता हैं. पार्टी नेतृत्व जो फैसला करता हैं, सांसद और विधायक को उसे मानना पड़ता हैं.

शपथ पत्र देना अनिवार्य

उच्चतम न्यायालय ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने के लिए एक आदेश द्वारा चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपनी सम्पति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा एक शपथ पत्र के माध्यम से अनिवार्य कर दिया हैं.

सांगठनिक चुनाव कराना और आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य

राजनीतिक दलों में अंदरूनी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग ने एक आदेश के जरिये सभी दलों के सांगठनिक चुनाव कराना और आयकर का रिटर्न भरना अनिवार्य बना दिया हैं.

राजनीतिक दलों में सुधार हेतु सुझाव (Suggestions for reform of political parties in Hindi)

  • राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए.
  • सभी दल अपने सदस्यों की सूची रखे व अपने संविधान का पालन करें.
  • पार्टी में विवाद की स्थिति में एक स्वतंत्र प्राधिकारी को पंच बनाए और सबसे बड़े पदों के लिए चुनाव कराएं.
  • राजनीतिक दल महिलाओं को एक न्यूनतम अनुपात में जरुर टिकट दे, इसी प्रकार दल के प्रमुख पदों पर भी महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए.
  • चुनाव का खर्च सरकार उठाए यह मदद पेट्रोल कागज पैन वगैरह के रूप में हो सकती हैं या फिर पिछले चुनावों में मिले मतों के अनुपात में नकद पैसा दिया जा सकता हैं.
  • राजनीतिक दलों पर लोगों द्वारा दवाब बनाया जाना चाहिए. यह काम चिट्टियाँ लिखने, प्रचार करने और आन्दोलन के जरिये किया जा सकता हैं. आम नागरिक, दवाब समूह, आंदोलन और मिडिया के माध्यम से यह काम किया जा सकता हैं.
  • सुधार की इच्छा रखने वालों को खुद राजनीतिक दलों में शामिल होना.
  • नागरिकों को भी दलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को चंदा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. ऐसे चंदे पर आयकर में छूट मिलनी चाहिए.

  • भारतीय साम्यवादी दल का इतिहास
  • राजनीतिक समाजीकरण क्या है अर्थ व साधन
  • पार्टी, दल पर सुविचार अनमोल वचन
  • एक राष्ट्र एक चुनाव पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों Essay on Political Parties in India in Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा.

यदि आपकों राजनीतिक दल पर निबंध  में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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राजनीति पर हिंदी निबंध (Indian Politics Essay In Hindi)

राजनीति पर हिंदी निबंध (Indian Politics Essay In Hindi)

आज हम राजनीति पर निबंध (Essay On Indian Politics In Hindi) लिखेंगे। राजनीति पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

राजनीति पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Indian Politics In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

भारत में राजनीतिक प्रणाली, देश के नागरिकों को अपने अनुसार सरकार चुनने का अधिकार देती है। क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, हमारे देश में जनता सरकार का निर्माण करने में अपना योगदान देती है और अगले चुनाव के दौरान सरकार से असंतुष्ट होने पर सरकार को बदलने की शक्ति रखती है।

राजनेता लोगो को सरकार के माध्यम से योजनाओ को अवगत कराते है। राष्ट्र को मज़बूत और प्रभावशाली बनाने के लिए लोगो को राजनेताओ के निर्देशों का पालन करना पड़ता है।राजनीति किसी भी सरकार का आधार होती है ।

अपने वोट बैंक के समर्थन को भरने के लिए राजनेता  विभिन्न कार्यक्रमों को अंजाम देते है। हमारे देश में कुछ ईमानदार राजनीतिक नेता हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे अधिकांश नेता भ्रष्ट हैं। भारतीय नागरिक को वोट देने के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक होना ज़रूरी है। वोट देना सभी नागरिको का संवैधानिक अधिकार है।

राजनेताओ की भ्रष्ट मानसिकता देश की उन्नति में बाधक बनकर खड़ी है। इस भ्र्ष्ट राजनीति की वजह से देश की आम जनता पीड़ित है। आम आदमी प्रत्येक महीने हर प्रकार के टैक्स भरता है। लेकिन फिर भी सड़के और बाकी सभी मुश्किलें वैसी की वैसी है।

भ्र्ष्टाचार राजनीति का एक गंदा चेहरा बनकर और उभर कर सामने आ रहा है। आम लोगो को इसकी परख करनी होगी और सही नेताओ और राजनितिक पार्टियों का चुनाव करना होगा। देश में कुर्सी को जीतने के लिए एक राजनितिक दल दूसरे दल के खिलाफ झूठी खबर फैलाते है।

हमेशा राजनेता वोट के वक़्त भाषण देते है और अपनी पार्टी को सही और दूसरी पार्टी को हर मामले में गलत ठहराते है। वोट ज़्यादा प्राप्त करने के लिए हर राजनितिक दल अपना हथकंडा अपनाते है। आप कह सकते है, राजनेता अधिक वोट प्राप्त करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद जैसी रणनीति का इस्तेमाल करना नहीं भूलते है।

देश को उन्नति के मार्ग पर ले जाने के लिए देशवासी कर भरते है। भ्र्ष्ट राजनेता उन मेहनत के पैसो को अपने जेब में भर लेते है। हिन्दुस्तान को आजादी के पश्चात जितना विकास करना चाहिए था, उतना विकास दुर्भाग्यवश इन भ्र्ष्ट राजनेताओ के कारण नहीं कर पाया है।

राजनेता अपने हितो और स्वार्थ के लिए, जनता के साथ छल कपट करते है। देश की अर्थव्यवस्था की दुर्दशा करने वाला प्रमुख कारक है भ्र्ष्टाचार। भ्र्ष्ट नेताओ को अपने गद्दी से अधिक प्रेम होता है। उसको बनाये रखने के लिए वे आम लोगो को मूर्ख बनाते है।

अधिकतर चुनावों में यही देखने को मिलता है। लोग ऐसे भ्र्ष्ट नेताओ को समर्थन कर बैठते है और बाद में उन्हें निराश होना पड़ता है।

भारत में दो प्रमुख राजनीतिक दल है, एक है भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस। हर राजनैतिक दल के समक्ष एक प्रतीक चिन्ह होता है, जिसे चुनाव आयोग के पास पंजीकृत होना ज़रूरी है। इन प्रतीक चिन्हो को पहचानकर अशिक्षित गरीब लोग वोट दे सकते है। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर तीन गठबंधन है, NDA, यूपीए और तीसरा मोर्चा।

भारत की राजनितिक व्यवस्था

भारत के राष्ट्रपति हमारे देश में राज्य के प्रमुख हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं। हमारे पास एक ऊपरी सदन है, जिसे राज्य सभा के नाम से जाना जाता है। एक निचला सदन जिसे लोकसभा के रूप में जाना जाता है। इन सदनों के सदस्यों को संसद सदस्य के रूप में जाना जाता है।

लोकसभा में कुल मिलाकर 545 सदस्य हैं। देश की आम जनता द्वारा 543 लोकसभा सदस्य चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। देश के राष्ट्रपति, जो लोकसभा सदस्य द्वारा चुने जाते हैं। उम्मीदवार की आयु लोकसभा सदस्यता के लिए तकरीबन 25 वर्ष होना अनिवार्य है।

राज्यसभा में लगभग 245 सदस्य होते हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा राज्य सभा के 233 सदस्य चुने जाते हैं। 12 सदस्यों को राष्ट्रपति के माध्यम से नामांकित किया जाता है।उम्मीदवार को राज्य सभा सदस्य बनने के लिए उनकी आयु 30 साल होनी ज़रूरी है।

देश के संसद सदस्य, राजनीतिक प्रणाली के अभिन्न अंग है। ससंद सदस्य राजनीतिक फैसले लेने की ताकत रखते है। एक निर्वाचक मंडल द्वारा राष्ट्रपति को पांच वर्ष के लिए चुना जाता है। इसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं।

भारत का राष्ट्रपति राज्य और संघ की कार्यपालिका का प्रमुख होता है। अभी भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी है। एक निर्वाचक मंडल द्वारा उपराष्ट्रपति का चयन किया जाता है।संसद के दोनों सदन के सदस्य इस फैसले के दौरान मौजूद होते है। अभी भारत के उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्री परिषद के पास कार्यकारी शक्ति रहती है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद मंत्रियों का दल है, जिसके साथ प्रधानमंत्री काम करते है। कार्य को विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में अलग – अलग मंत्रियों के बीच बाँट दिया जाता है।

प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रिमंडल का प्रमुख होता है। वर्त्तमान में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी है। सरकार का गठन भारत में पाँच वर्षों के लिए किया जाता है। आजकल भारत में कई राजनीतिक दल बन गए है, जिनके उमीदवार अपने दल का प्रतिनिधित्व करते हुए चुनाव में लड़ते हैं।

जिस दल को चुनाव में बहुमत मिलता है वह सत्ता में आ जाती है। लोगों द्वारा देश की सरकार देश हित की उम्मीद से बनायी जाती है। आम जनता को बहुत सारी मुश्किलें अपने दैनिक जीवन में झेलनी पड़ती है। जिसका प्रमुख कारण, हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था के अंदर भ्रष्टाचार है।

अधिकांश राजनीतिक नेता भ्रष्टाचार में लिप्त होते है। हमारे राजनेताओं की ऐसी मानसिकता देश हित पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। भ्र्ष्टाचार से देश की जनता सबसे अधिक पीड़ित है। आजकल जनता पर अधिक मात्रा में कर लगाया जा रहा है।

देश को विकसित और उन्नति की तरफ ना ले जाकर, इन पैसो का इस्तेमाल भ्रष्ट नेता अपने बैंक खाते भरने के लिए करते हैं। इन्ही सब कारणों के वजह से हमे आजादी के बाद जितना विकास करना चाहिए था उतना हम नहीं कर पाए है।

राजनीति का सीधा संबंध दलीय राजनीति से भी होता है। इस प्रकार की राजनीति में विभिन्न गुट सैद्धानिक सोच का तिरस्कार करते हुए, घटिया दर्जे की राजनीति का खेल खेलते है।आधुनिक राजनीतिज्ञो के लिए राजनीति देश सेवा नहीं, बल्कि एक पैसा कमाने का पेशा है।

उनकी विचारधारा में देश सिर्फ उनके स्वार्थो को पूरा करने का एक जरिया है। दलीय राजनीति में सिर्फ दल प्रमुख होता है, ना कि देश। भोले भाले विद्यार्थी गण इन कुटिल राजनीतिज्ञों के हाथो की कटपुतली मात्र है। विद्यार्थियों के उत्साह को गलत मार्ग दिखाते है और उनकी कमज़ोरी का फायदा उठाते है।

विद्यार्थियों को आंदोलन के नाम पर थोड़ फोड़ करने के लिए उकसाते है। ऐसे विद्यार्थी अपने जिन्दगी के मार्ग में गुम हो जाते है और समाज विरोधी कार्यो के दलदल में फंस जाते है।छात्रों को बिना सोचे समझे राजनीति में भाग नहीं लेना चाहिए।

छात्रों को विद्या ग्रहण करने के साथ देश की राजनीति का सम्पूर्ण अध्ययन करना चाहिए। विद्यार्थियों को अपने मत उजागर करने चाहिए और मताधिकार का सोच समझ कर उपयोग करना चाहिए। झंडे और डंडे वाली राजनीति में नहीं कूदना चाहिए।

भारत के स्वतंत्रता के आंदोलन में भाग लेना राजनीति नहीं, बल्कि वह राष्ट्र धर्म था। राष्ट्रीय दायित्वों को निभाना विद्यार्थियों और युवा वर्ग का परम् कर्त्तव्य है। अगर कोई भी भारतीय नागरिक चाहे, तो चुनाव लड़ सकते है। उसके लिए उनकी आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए।

भारत में सरकार के विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ने के लिए कोई शिक्षा मानदंड नहीं है और यह सबसे बड़ी परेशानी है। भारत में कई नेता अशिक्षित है। अगर नेता ही अशिक्षित होंगे और उनके हाथों में देश को चलाने की बागडोर होगी, तो लोग क्या यह उम्मीद कर सकते है कि देश का विकास सही दिशा में होगा?

अगर आपको चुनाव में खड़े होने वाला कोई भी उम्मीदवार योग्य और उपयुक्त नहीं लगता है, तो हम NOTA का उपयोग कर सकते है। इसका मतलब है नॉन ऑफ़ दा अबोव। इस प्रणाली को निर्वाचन आयोग ने विकसित किया है, ताकि वह जान सके कि कितने प्रतिशत लोग किसी भी उम्मीदवार को वोट देने लायक नहीं समझते है।

आप भी अगर किसी भी उम्मीदवार से सहमत नही है, तो नोटा का बटन दबा सकते है। इस बटन का रंग गुलाबी होता है। पहली बार नोटा विकल्प का उपयोग 2013 में हुआ था।भारतीय निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनावों में इस NOTA बटन को उपलब्ध करवाया था।

देश की उन्नति के लिए शिक्षित राजनेताओ की ज़रूरत है। अगर नेता शिक्षित होंगे, तो निश्चित तौर पर समाज और देश के सच्चे मार्ग दर्शक बनेगे। जब तक राजनितिक व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, तब तक देश समृद्ध राष्ट्र नहीं बन पायेगा।

देश को ईमानदार और कड़ा परिश्रम करने वाले नेताओ की ज़रूरत है। हमे जागरूक नेताओ की ज़रूरत है, जो देश के सुन्दर आज और भविष्य का निर्माण कर पाए। देश की कुछ लोकप्रिय महिलाएं है, जिन्होंने सशक्त रूप से राजनीति में कदम रखा और यह साबित किया कि औरत सिर्फ घर, दफ्तर ही नहीं, बल्कि देश भी सुचारु रूप से चला सकती है।

इंदिरा गाँधी भारत में कांग्रेस की अध्यक्ष बनी और फिर देश की तीसरी प्रधानमंत्री बनी थी। वह एक मज़बूत विचारधाराओ वाली महिला थी और राजनीति में उनकी बेहद दिलचस्पी थी।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मज़बूत इरादों वाली महिला है। उन्हें इतना आत्मविश्वास था कि 1998 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर अपने अलग संगठन का गठन किया था।

वह भारतीय तृणमूल कांग्रेस की संस्थापक है। पश्चिम बंगाल में वह बेहद प्रसिद्ध है और लोग उन्हें श्रद्धा से दीदी कहते है। जयललिता भी तमिलनाडु में प्रसिद्ध क्रांतिकारी नेता के रूप में जानी जाती है। उन्हें तमिलनाडू के लोग माँ कहकर सम्बोधित करते है।

प्रतिभा पाटिल भी राजनीति क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रही। देश के बाहरवें राष्ट्रपति के रूप में वह कार्यरत रही। उन्होंने महज़ 27 साल की उम्र से राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने राज्यसभा की सदस्य होने के साथ, लोकसभा के संसद सदस्य के तौर पर कार्य किया।

पुरुषो के साथ महिलाओं ने भी राजनीति क्षेत्र में अपनी भूमिका निभायी है। अच्छे राजनेता है लेकिन हमे और अधिक भले और सच्चे राजनेताओ की ज़रूरत है। समाज को उन्नति का आईना दिखाने वाले शिक्षित युवाओ की ज़रूरत है, जो नेता के पद पर अच्छे कार्य कर सके।

हमारे देश में अधिकतर नेता सत्ता में आने से पूर्व, देशवासियों से मीठे मीठे वादे करते है। जैसे ही उन्हें उनकी कुर्सी मिल जाती है, वे अपना असली रंग दिखाने लगते है। लोग राजनेताओ पर विश्वास करके और भविष्य में उनकी योजनाओ से प्रभावित होकर वोट देते है।

बदले में भ्र्ष्ट नेताओ से उन्हें धोखा मिलता है। अक्सर यह देखा गया है की नेता सत्ता में आने से पहले आम जनता से कई तरह के वादे करते हैं, परन्तु सत्ता हासिल करने के बाद उन्हें भूल जाते हैं। ऐसा हर चुनाव में होता है। गरीब जनता को हर बार भ्रष्ट नेता बेवकूफ बना जाते है।

अक्सर देश के मंत्रियों और उनके पार्टी के कार्यकर्ताओ के घोटालो में भागीदार होने के समाचार आते है और लोगो को सोचने पर मज़बूर कर देते है कि आखिर उन्होंने अपने देश अथवा राज्य के लिए गलत लोगो की पार्टी का चुनाव किया।

सत्ता में होने के कारण इन भ्र्ष्ट लोगो को सजा नहीं होती है और वे गैर कानूनी तरीके से छूट जाते है। कानून सब के लिए बराबर है और ऐसे भ्र्ष्ट नेताओ को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

कुछ देशवासी रिश्वतखोरी के लिए सिर्फ मंत्रिपरिषदो पर आरोप लगाते है। यह एक विडंबना है कि हमारे समाज में कुछ लोग खुद अपने कार्य को जल्द पूरा करने के लिए और नौकरी पाने के लिए रिश्वत का सहारा लेते है।

अगर आज देश का धन वितरण और आर्थिक व्यवस्था प्रभावित है, तो उसका पूरा श्रेय भ्र्ष्ट नेताओ को जाता है। इस प्रकार की प्रदूषित राजनीति पर अंकुश लगाना अनिवार्य है।

लोगो को एकजुट होकर देश को भ्र्ष्टाचार मुक्त कराना होगा। हमारी शक्ति, हमारी एकता है और इस एकता से हम अनैतिक राजनीति के खिलाफ आवाज़ उठा सकते है। जैसे भारतीय लोगो ने अंग्रेज़ो के खिलाफ आंदोलन छेड़कर पूरे देश को आज़ाद करवाया था। उसी प्रकार हमे देश को भ्र्ष्टाचार जैसी गन्दगी से आज़ादी दिलवानी होगी।

देश की राजनितिक व्यवस्था भ्रष्टाचार के चपेट में है। लेकिन हमे सूझ बुझ और आत्म चिंतन करने के बाद राजनितिक नेताओं का चुनाव करना चाहिए। देश की प्रगति के लिए निश्चित रूप से राजनितिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।

समाज की भलाई और राष्ट्र हित के लिए सकारात्मक परिवर्तन लाने की ज़रूरत है। जब राजनितिक व्यवस्था अच्छी होगी, तो निश्चित रूप से देश भ्रष्टाचार मुक्त होगा। भ्र्ष्टाचार मुक्त देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। समाज के सकारात्मक बदलाव की दृष्टि से राजनितिक व्यवस्था प्रणाली को बदलना अनिवार्य है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Indian Democracy Essay In Hindi)
  • भारतीय इतिहास पर निबंध (Indian History Essay In Hindi)

तो यह था राजनीति  पर निबंध, आशा करता हूं कि राजनीति   पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Indian Politics) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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भारतीय राजनीति पर निबंध Essay on Politics in India Hindi

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भारत की राजनीति देश के संविधान के दायरे में आती है। भारत एक संघीय संसदीय लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें भारत का राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है और भारत का प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।

Table of Content

भारत दोहरी राजनीति प्रणाली का अनुसरण करता है, यानी एक दोहरी सरकार जिसमें केंद्र और राज्यों की परिधि में केंद्रीय प्राधिकरण शामिल हैं। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की संगठनात्मक शक्तियों और सीमाओं को परिभाषित करता है।

एक द्विसदनीय विधानपालिका के लिए एक ऊपरी सदन, राज्य सभा का प्रावधान है, जो भारतीय महासंघ, और निचले सदन, लोक सभा का प्रतिनिधित्व करता है, जो संपूर्ण रूप से भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय संविधान एक स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान करता है, जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय करता है।

अदालत का जनादेश संविधान की रक्षा के लिए है, केंद्र सरकार और राज्यों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए, अंतर-राज्य विवादों को निपटाने के लिए, संविधान के खिलाफ जाने वाले और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी केंद्रीय या राज्य कानूनों को रद्द करने के लिए है और उल्लंघन के मामलों में उनके प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने के लिए है।

सरकारें हर पांच साल में चुनावों के माध्यम से गठित की जाती हैं, जो अपने संबंधित निचले सदनों (केंद्र सरकार में लोकसभा और राज्यों में विधानसभा) में अधिकांश सदस्यों को सुरक्षित करती हैं। भारत में 1951 में अपना पहला आम चुनाव हुआ था, जो कि एक राष्ट्रीय पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जीता गया था, जो 1977 के बाद के चुनावों पर हावी हो गया था जब स्वतंत्र भारत में पहली बार एक गैर-कांग्रेसी सरकार बनी।

1990 के दशक में एकल-पार्टी के वर्चस्व का अंत और गठबंधन सरकारों का उदय हुआ। अप्रैल 2014 से मई 2014 तक हुए 16 वीं लोकसभा के चुनावों ने एक बार फिर से देश में एकल-पक्षीय शासन को वापस ला दिया, जिससे भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में बहुमत का दावा करने में सक्षम हो गई।

हाल के दशकों में, भारतीय राजनीति एक वंशवादी मामला बन गई है। इसके संभावित कारण पार्टी संगठनों, स्वतंत्र नागरिक समाज संघों की अनुपस्थिति हो सकती हैं जो चुनावों के केंद्रीकृत वित्तपोषण के लिए पार्टियों के लिए समर्थन जुटाती हैं। द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने 2016 में भारत को “त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र” के रूप में दर्जा दिया था।

राजनीतिक दल और गठबंधन

अन्य लोकतांत्रिक देशों की तुलना में, भारत में बड़ी संख्या में राजनीतिक दल हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद 200 से अधिक दलों का गठन किया गया था।

भारत में राजनीतिक दलों की कुछ विशेषताएं यह हैं कि पार्टियां आमतौर पर अपने नेताओं के इर्द-गिर्द बुनी जाती हैं, नेता सक्रिय रूप से एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

भारत में दो मुख्य दल हैं –  

  • भारतीय जनता पार्टी, जिन्हें भाजपा के नाम से जाना जाता है और
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जिसे आमतौर पर INC या केवल कांग्रेस कहा जाता है।

ये दोनों दल राष्ट्रीय राजनीति पर हावी हैं। बाएं-दाएं राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक कल्याणकारी-भारी, केंद्र पार्टी है, जबकि भाजपा एक सामाजिक रूप से दक्षिणपंथी पार्टी है।

राजनीतिक दलों के प्रकार

भारत में दो प्रकार के राजनीतिक दल हैं – नेशनल पार्टी और रीजनल / स्टेट पार्टी। प्रत्येक राजनीतिक दल के पास एक प्रतीक होना चाहिए और भारत के चुनाव आयोग के पास पंजीकृत होना चाहिए।

राजनीतिक दलों को पहचान देने के लिए भारतीय राजनीतिक प्रणाली में प्रतीकों का उपयोग किया जाता है ताकि निरक्षर लोग भी पार्टी के प्रतीकों को पहचान कर वोट कर सकें। इसके लिए आयोग ने कुछ सिद्धांतों का प्रतिपादन भी किया है।

भारत में गठबंधनों के बनने और टूटने का इतिहास चला आ रहा है। हालांकि, भारत में एक राष्ट्रीय स्तर पर तीन गठबंधन हैं, जो सरकार की स्थिति के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

  • राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, National Democratic Alliance (NDA) – राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भारत में दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है। 1998 में इसके गठन के समय, इसका नेतृत्व भाजपा ने किया था और इसमें 13 घटक दल थे। इसके अध्यक्ष स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी थे।
  • संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन, United Progressive Alliance (यूपीए) – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्र-वाम गठबंधन 2004 के आम चुनावों के बाद बनाया गया था, इस गठबंधन के साथ सरकार बनी थी। अपने कुछ सदस्यों को खोने के बाद भी गठबंधन, 2009 में मनमोहन सिंह के साथ सरकार के प्रमुख के रूप में पुनः चुना गया था।
  • तीसरा मोर्चा (Third front) – पार्टियों का एक गठबंधन जो कुछ मुद्दों के कारण उपरोक्त शिविरों में से किसी से संबंधित नहीं है। भारतीय राजनीति में यह तीसरा मोर्चा, 1989 के बाद से भारतीय मतदाताओं को तीसरे विकल्प की पेशकश करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने के लिए छोटे दलों द्वारा गठित विभिन्न गठबंधनों को संदर्भित करता है।

उम्मीदवार का चयन

गठबंधन के सहयोगियों द्वारा सीट साझा किए जाने के बाद चयन शुरू होता है। भारतीय राजनीतिक दलों में आंतरिक पार्टी लोकतंत्र का निम्न स्तर होता है। पार्टी के उम्मीदवार उम्मीदवारों के चयन के लिए कई मानदंडों का उपयोग करते हैं।

भारत में उच्च राजनैतिक कार्यालय –

भारत का राष्ट्रपति

भारत का संविधान यह मानता है कि राज्य और संघ की कार्यपालिका का प्रमुख भारत का राष्ट्रपति होता है। उन्हें एक निर्वाचक मंडल द्वारा पांच साल के लिए चुना जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। राष्ट्रपति पुन: चुनाव के लिए पात्र हो सकता है। वर्तमान राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी हैं।

भारत का उपराष्ट्रपति

भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यालय संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति के बाद देश का दूसरा सबसे वरिष्ठ कार्यालय है। उपराष्ट्रपति का चुनाव भी एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू जी हैं।

प्रधान मंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्री परिषद, वह निकाय है जिसके साथ वास्तविक कार्यकारी शक्ति रहती है। प्रधानमंत्री सरकार का मान्यता प्राप्त प्रमुख होता है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद मंत्रियों का निकाय है जिसके साथ पीएम दिन-ब-दिन काम करता है। कार्य को विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में विभिन्न मंत्रियों के बीच विभाजित किया जाता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल मंत्रियों का एक छोटा निकाय है जो मंत्रिपरिषद के अंतर्गत आता है, जो देश में लोगों का सबसे शक्तिशाली समूह है, जो कानून और निष्पादन में समान भूमिका निभाता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हैं।

उपर्युक्त लेख के माध्यम से आप जान सकते हैं कि हमारे देश की राजनीति किस तरह की है और इसकी क्या प्रक्रिया है और ये किन – किन प्रणालियों पर कार्य करती है।

Help Source –

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चुनाव पर निबंध (Election Essay in Hindi)

चुनाव या फिर जिसे निर्वाचन प्रक्रिया के नाम से भी जाना जाता है, लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है और इसके बिना तो लोकतंत्र की परिकल्पना करना भी मुश्किल है क्योंकि चुनाव का यह विशेष अधिकार किसी भी लोकतांत्रिक देश के व्यक्ति को यह शक्ति देता है कि वह अपने नेता को चुन सके तथा आवश्यकता पड़ने पर सत्ता परिवर्तन भी कर सके। एक देश के विकास के लिए चुनाव बहुत अहम प्रक्रिया है क्योंकि यह देश के राजनेताओं में इस बात का भय पैदा करता है कि यदि वह जनता का दमन या शोषण करेंगे तो चुनाव के समय जनता अपनी वोटों के ताकत द्वारा उन्हें सत्ता से बाहर कर सकती है।

चुनाव पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Election in Hindi, Chunav par Nibandh Hindi mein)

चुनाव पर निबंध – 1 (250 – 300 words).

चुनाव किसी भी लोकतंत्र का सबसे अहम भाग है चुनाव के द्वारा हम अपने अधिकार का प्रयोग करके अपना नेता चुनते है। अतः चुनाव ही तय करता है की राष्ट्र विकास की ओर अग्रसर होगा या पतन की ओर। 

भारत में चुनाव प्रक्रिया

भारत में पार्षद पद से लेकर प्रधानमंत्री जैसे विभिन्न प्रकार के चुनावों का आयोजन होता है। हालांकि इनमें से जो सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होते है वह होते है लोकसभा और विधानसभा के चुनाव क्योंकि इन चुनावों द्वारा केंद्र तथा राज्य में सरकार का चयन होता है। चुनाव में मतदान करने की उम्र को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया था।

चुनाव का महत्व

किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव काफी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और क्योंकि भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में भी जाना जाता है, इसलिए भारत में चुनावों को काफी अहम माना जाता है। आजादी के बाद से भारत में कई बार चुनाव हो चुके और इन्होंने देश के विकास को गति देने का एक महत्वपूर्ण कार्य किया। यह चुनाव प्रक्रिया ही है, जिसके कारण भारत में सुशासन, कानून व्यवस्था तथा पारदर्शिता जैसी चीजों को बढ़ावा मिला है। यह चुनाव प्रक्रिया है जिसने दिन-प्रतिदिन भारत में लोकतंत्र के नींव को और भी मजबूत किया है। यहीं कारण है कि भारतीय लोकतंत्र में चुनाव इतना महत्वपूर्ण स्थान रखते है।

चुनाव का संवैधानिक रूप में होना हरे राष्ट्र के लिए नितांत आवश्यक है। जहाँ एक ओर यह हमारे लिए गर्व की बात है वही यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम चुनाव का सही  प्रयोग करें और राष्ट्र निर्माण में योगदान करें।

निबंध – 2 (400 Words)

चुनाव के बिना लोकतंत्र की परिकल्पना भी नही की जा सकती है, एक तरह से लोकतंत्र और चुनाव को एक-दूसरे का पूरक माना जा सकता है। चुनावों में अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग करके एक नागरिक कई बड़े परिवर्तन ला सकता है और इसी के कारण लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को उन्नति का समान अवसर प्राप्त होता है।

लोकतंत्र में चुनाव की भूमिका

लोकतंत्र में चुनाव की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इसके बिना एक स्वस्थ और स्वच्छ लोकतंत्र का निर्माण संभव नही है क्योंकि नियमित अंतराल पर होने वाले निष्पक्ष चुनाव ही लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाने का कार्य करते है। भारत के एक लोकतांत्रिक देश होने के कारण यहां की जनता अपने सांसदों, विधायकों तथा न्यायपालिकाओं का चुनाव कर सकती है। भारत का वह प्रत्येत नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है वह अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग कर सकता है और लोकतंत्र का पर्व माने जाने वाले चुनावों में अपने पसंद के उम्मीदवार को अपना मत दे सकता है।

वास्तव में चुनाव के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नही की जा सकती है और यह लोकतंत्र की शक्ति ही है, जो देश के हर नागरिक को अपने अभिव्यक्ति के आजादी की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह हमें एक विकल्प देता है कि हम योग्य व्यक्ति को चुन सके और उन्हें सही पदों पर पहुंचाकर देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सके।

चुनाव की आवश्यकता

कई बार कई लोगों द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर चुनाव की आवश्यता क्या है, यदि चुनाव ना भी हो तो भी देश में शासन चलाया जा सकता है। लेकिन इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जहां भी शासक, नेता या फिर उत्तराधिकारी चुनने में भेदभाव तथा जोर-जबरदस्ती हुई है। वह देश या स्थान कभी विकसित नही हुआ और उसका विघटन अवश्य हुआ है। यहीं कारण था कि राजशाही व्यवस्थाओं में भी राजपद के लिए राजा के सबसे योग्य पुत्र का ही चुनाव किया जाता था।

इसका हमें सबसे अच्छा उदहारण महाभारत में मिलता है, जहां भरतवंश के राजसिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति का चुनाव ज्येष्ठता (उम्र में बड़ा होना) के आधार पर ना होकर श्रेष्ठता के आधार पर होता था लेकिन अपनी भीष्म ने सत्यवती के पिता को वचन देते हुए इस बात की प्रतिज्ञा ली की वह कुरुवंश के राजगद्दी पर कभी नही बैठेंगे और सत्यवती का ज्येष्ठ पुत्र ही हस्तिनापुर के सिहांसन का वारिस होगा। इस गलती का परिणाम तो सब ही जानते हैं कि इस एक प्रतिज्ञा के कारण कुरुवंश का नाश हो गया।

वास्तव में चुनाव हमें विकल्प देते है कि हम किसी चीज में बेहतर विकल्प को चुन सके। यदि चुनाव ना हों तो समाज में निरंकुशता और तानाशाही का बोलबाला हो जायेगा। जिसके परिणाम सदैव ही विध्वंसक रहे है। जिन देशों में लोगों को अपने नेताओं को चुनने की आजादी होती है, वह सदैव ही प्रगति करते है। यहीं कारण है कि चुनाव इतने महत्वपूर्ण और आवश्यक है।

चुनाव और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक है, एक बिना दूसरे की कल्पना भी नही कि जा सकती है। वास्तव में लोकतंत्र के विकास के लिए चुनाव बहुत ही आवश्यक हैं। यदि एक लोकतांत्रिक देश में निश्चित अंतराल पर चुनाव ना कराये जायें तो वहां निरंकुशता और तानाशाही का बोलबाला हो जायेगा। इसलिए एक लोकतांत्रिक देश में निश्चित अंतराल पर चुनावों का होना काफी आवश्यक है।

निबंध – 3 (500 Words)

लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें लोगों को स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की प्राप्ति होती है। वैसे तो विश्व भर में साम्यवाद, राजशाही तथा तानाशाही जैसे तमाम तरह की शासन प्रणालियां है, लेकिन लोकतंत्र को इन सभी से श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि लोकतंत्र में जनता के पास चुनावों द्वारा अपनी सरकार स्वयं चुनने की शक्ति होती है।

एक लोकतांत्रिक देश में चुनाव व्यवस्था का काफी महत्व होता है क्योंकि इसी के द्वारा जनता अपने देश के सरकार का चुनाव करती है। चुनाव लोकतंत्र को सुचारु रुप से चलाने के लिए बहुत ही आवश्यक है। एक लोकतांत्रिक देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह चुनाव में मतदान करके लोकतंत्र की रक्षा का महत्वपूर्ण कार्य करें। हमें कभी भी यह नही सोचना चाहिए कि यदि मैं वोट नही दूंगा/दूंगी तो क्या फर्क पड़ेगा लेकिन लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि कई बार चुनावों में एक ही वोट द्वारा हार-जीत का फैसला होता है।

इस तरह से लोकतंत्र में चुनाव पक्रिया एक सामान्य नागरिक को भी विशेष अधिकार प्रदान करती है क्योंकि चुनाव में मतदान करके वह सत्ता और शासन के संचालन में हिस्सेदार बन सकता है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में होने वाले चुनाव उस देश के नागरिकों को यह शक्ति प्रदान करते है क्योंकि चुनाव प्रक्रिया के द्वारा नागरिक स्वार्थी या फिर विफल शासकों और सरकारों का तख्ता पलट करते हुए उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकती है।

कई बार चुनावों के दौरान नेताओं द्वारा लुभावने वादे या फिर उन्मादी बातें करकर जनता का वोट हांसिल करने का प्रयास किया जाता है। हमें इस बात को लेकर सजग रहना चाहिए कि हम चुनावों के दौरान ऐसे झांसो में ना आये और साफ-सुधरे तथा ईमानदार छवि वालें लोगों को राजनैतिक पदों के लिए चुनें क्योंकि चुनाव के दौरान अपने मत का जागरुक रुप से प्रयोग करना ही चुनाव के सार्थकता का प्रतीक है।

लोकतंत्र की सफलता के लिए यह काफी आवश्यक है कि राजनीतिक शासकीय पदों पर स्वच्छ तथा ईमानदार छवि के लोग चुनकर जायें, जोकि सिर्फ जनता के बहुमूल्य वोटों के ताकत द्वारा ही संभव है। इसलिए हमें हमेशा इस बात का प्रयास करना चाहिए कि हम अपने वोट का सही उपयोग करें और कभी भी जाति-धर्म या फिर लोकलुभावन वादों को देखते हुए चुनावों में मतदान ना करें क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए हितकर नही है। जब शासकीय पदों पर सही लोग चुनकर जायेंगे तभी किसी भी देश का विकास संभव है और ऐसा होने पर ही चुनाव का वास्तविक अर्थ सार्थक हो पायेगा।

चुनाव लोकतंत्र का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके बिना लोकतंत्र का सुचारु रुप से कार्यन्वन संभव नही है। हमें इस बात को समझना होगा कि चुनाव वह अवसर होता है, जब हमें अपने मतदान का सही उपयोग करना चाहिए क्योंकि चुनाव के दौरान जनता अपने मत का सही उपयोग करते भ्रष्ट तथा विफल सरकारों को सत्ता से बाहर कर सकती है। यही कारण है कि लोकतंत्र में चुनाव को इतना महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।

Essay on Election in Hindi

निबंध – 4 (600 Words)

किसी भी देश में चुनाव के दौरान होने वाली राजनीति उस देश के लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा होती है। राजनीति के सुचारु और स्वच्छ कार्यन्वन के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम चुनावों में साफ-सुधरी छवि वाले लोगों को अपना नेता चुने क्योंकि चुनाव के दौरान व्यक्तिगत स्वार्थ या फिर जातिवाद के नाम पर दिया गया वोट आने वाले भविष्य में हमारे लिए कई गुना हानिकारक हो सकता है।

चुनाव और राजनीति

किसी भी देश की राजनीति उस देश के संवैधानिक ढांचे पर कार्य करती है जैसे कि भारत में संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र प्रणाली लागू है। जिसमें राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। इसके अलावा भारत में विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री जैसे विभिन्न पदों के लिए भी चुनाव होते रहते है। लोकतंत्र में इस बात की आवश्यकता नही होती है कि लोग सीधे तौर से शासन करें, इसलिए एक निश्चित अंतराल पर जनता द्वारा अपने राजनेताओं तथा जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है।

एक लोकतांत्रिक देश के अच्छे विकास तथा कार्यन्वन के लिए चुनाव और राजनीति का होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा उत्पन्न होने वाली चुनावी प्रतिद्वंदिता जनता के लिए काफी लाभदायक होती है। हालांकि चुनावी प्रतिद्वंदिता के फायदे के साथ नुकसान भी है। इसके कारण लोगों में आपसी मतभेद भी पैदा हो जाता है। वर्तमान राजनीति आरोप-प्रत्यारोप का दौर है, इसमें सभी राजनेताओं द्वारा एक-दूसरे पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगाये जाते है। जिसके कारण कई सीधे और साफ छवि के लोग राजनीति में आने में संकोच करते है।

चुनावी प्रणाली

किसी भी लोकतंत्र की राजनीति में इस बात का सबसे अधिक महत्व होत है कि आखिरकार उसकी चुनावी प्रणाली क्या है। भारत में लोकसभा तथा विधानसभा जैसे चुनाव हर पांच वर्ष के अंतराल पर होते हैं। पांच साल बाद चुने हुए सभी प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। जिसके बाद लोकसभा और विधानसभा भंग हो जाती है और फिर से चुनाव करवाये जाते हैं।

कई बार कई सारे प्रदशों के विधानसभा चुनाव एक साथ होते है। जिन्हें विभिन्न चरणों में समपन्न कराया जाता है। इसके विपरीत लोकसभा चुनाव देशभर में एक साथ संपन्न होते है, यह चुनाव भी कई चरणों में संपन्न होते है, आधुनिक समय में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग होने के कारण चुनाव परिणाम चुनाव संमपन्न होने के कुछ दिन बाद ही जारी कर दिये जाते है।

भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को उसके पसंद के प्रतिनिधि को मतदान करने का अधिकार देता है। इसके साथ ही भारत के संविधान में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि देश के राजनीति में हर वर्ग को समान अवसर मिले, यहीं कारण है कि कमजोर तथा दलित समुदाय के व्यक्तियों के लिए कई क्षेत्रों के निर्वाचन सीट आरक्षित रहते हैं, जिन पर सिर्फ इन्हीं समुदाय के लोग चुनाव लड़ सकते हैं।

भारतीय चुनावों में वही व्यक्ति मतदान कर सकता है, जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे अपना नामांकन कराना होता है, जिसके लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है। भारत में कोई भी व्यक्ति दो तरीकों से चुनाव लड़ सकता है, किसी दल का उम्मीदवार बनकर उसके चुनाव चिन्ह पर जिसे सामान्य भाषा में ‘टिकट’ के नाम से भी जाना जाता है और दूसरा तरीका है निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दोनो ही तरीकों में उम्मीदवारों द्वारा नामांकन पत्र भरना और जमानत राशि जमा करना अनिवार्य होता है।

इसके साथ ही वर्तमान समय में चुनावी प्रक्रियाओं में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन किये जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक ईमानदार तथा स्वच्छ छवि के लोगों को राजनीति में आने का मौका मिल सके। इसी के तरह सर्वोच्च न्यायलय ने आदेश देते हुए सभी उम्मीदवारों के लिए घोषणा पत्र भरना अनिवार्य कर दिया है। जिसमें उम्मीदवारों को अपने खिलाफ चल रहे गंभीर आपराधिक मामलो, परिवार के सदस्यों की संपत्ति तथा कर्ज का ब्यौरा तथा अपनी शैक्षिक योग्यता की जानकारी देनी होती है।

किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव और राजनीति एक-दूसरे के पूरक का कार्य करते है और लोकतंत्र के सुचारु कार्यन्वन के लिए यह आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए चुनावों के दौरान उत्पन्न होने वाली प्रतिद्वंदिता लोगो के बीच विवाद तथा दुश्मनी का कारण ना बनें और इसके साथ ही हमें चुनावी प्रक्रिया को और भी पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक साफ-सुथरे तथा ईमानदरी छवि के लोग राजनीति का हिस्सा बन सके।

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Indian Political System Posted by Nitin Kumar on Dec 28, 2011 in Hindi Language

India is the world’s largest democracy with 1.2 billion population, and over 700 million electorate. This democratic system is in place since India got its independence from British government. The constitution (संविधान) of India came into force on 26 November 1950 with values such as trinity of justice (न्याय), liberty (स्वतंत्रता) and equality (समानता) for all citizens. Our constitution has been one of the most amended national documents in the world with more than 80 changes. This is because of disputed issues between the government and judiciary system in India.

India is a federal constitutional republic (गणतंत्र) having the President (राष्ट्रपति) of India as head of state and the Prime Minister (प्रधान मंत्री) of India as the head of government. However, the role of President is of mostly ceremonial as it has no legislative power. President and vice president are usually appointed for the period of 5 years. The President appoints the Prime Minister, who is designated by legislators of the political party (राजनीतिक दल) or coalition commanding a parliamentary majority. India has got two chambers of the Parliament of India, the Lok Sabha and the Rajya Sabha . The Lok Sabha (लोकसभा) was modeled on the British House of Commons but the upper house, Rajya Sabha (राज्यसभा) is modeled from cumulative experience from United States, Australia and Canada. However, the central government in India has greater power in relation to its states, and its central government (केन्द्रीय सरकार) is patterned after the British parliamentary system. In case of certain situations, if no party was able to get the majority votes, the national government can dissolve a state government or impose direct federal rule (संघीय शासन) or central rule which is also called President’s rule.

Executive power is exercised by the President and is independent of the legislature (विधान – सभा). Federal and state elections generally take place within a multiparty system, although this is not enshrined in law. The judiciary (न्यायपालिका) is independent of the executive and the legislature, the highest national court being the Supreme Court of India.

During election (चुनाव), several political party take part in the government formation process. Several political parties exist in India. Indian National Congress (INC) and Bhartiya Janta Party (BJP) are the two biggest political party in India. The first one is normally called Congress and latter BJP in short. In Eastern states, the left party having Communist philosphy have strong foothold. Congress is the oldest political party and has its origin in the late 19th Century even before the India got Independence and after independence (स्वतंत्रता), it’s has ruled India for decades.

Many people criticize and blame Congress party for India’s slow growth (विकास) in comparison to regional neighbor who also got independence around the same time, when India got it in 1947. Many scandals (घोटाले) worth of multi-billion dollars during current Congress government once again have shed light on the wide spread corruption (भ्रष्टाचार) that many Indian associate with Congress party.

Presently, many Indian have become hopeless and frustrated to solve these multiple problems in their political system which include corruptions, regionalism, religion or caste based politics, favoritism, voting booth hijacking or looting in rural areas. Many political leaders have criminal charges against them. To many Indian, it seems that the criminals are running government. For many years, people have stood against these growth hampering problems but not much is achieved. Recent agitation by Anna Hazare, a Gandhian social worker, against corruption has engulfed the entire nation (राष्ट्र) into rebellious mood. He’s advocating for a constitutional bill, an ombudsman (लोकपाल) that would hopefully get India rid off from political and official corruption.

In spite of these serious problems, India has managed to clock 2 digit growth rate for several years. Even if the growth picture could have been much better (without corruption), millions of people have lifted their living standard (स्तर) by benefiting from the economical reforms (आर्थिक सुधारों) since early 1990s.

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About the Author: Nitin Kumar

Nitin Kumar is a native Hindi speaker from New Delhi, India. His education qualification include Masters in Robotics and Bachelors in Mechanical Engineering. Currently, he is working in the Research and Development in Robotics in Germany. He is avid language learner with varied level of proficiency in English, German, Spanish, and Japanese. He wish to learn French one day. His passion for languages motivated him to share his mother tongue, Hindi, and culture and traditions associated with its speakers. He has been working with Transparent Language since 2010 and has written over 430 blogs on various topics on Hindi language and India, its culture and traditions. He is also the Administrator for Hindi Facebook page which has a community of over 330,000 members.

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Please help me for the confusion in My mail ID: [email protected]

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राजनैतिक या संवैधानिक लोकतंत्र क्या है?

राजनैतिक लोकतंत्र का अर्थ उस व्यवस्था से है जिसमें लोगों को संविधान- प्रदत्त लोकतंत्र की गारंटी दी जाती है । इसमें जनता को सामान राजनैतिक अधिकार दिए जाते हैं, और सरकार के निर्माण में उनकी हिस्सेदारी होती है । अब्राहम लिंकन के शब्दों में यह “जनता का, जनता द्वारा एवं जनता के लिए ही शासन है” ।  

लेकिन राजनैतिक लोकतंत्र ही लोकतंत्र का एक मात्र रूप नहीं है । धीरे -धीरे लोकतंत्र की संकल्पना गहरी हुई है और हमें सामाजिक लोकतंत्र, आर्थिक लोकतंत्र जैसे शब्द भी सुनने को मिलते हैं । केवल संविधान द्वारा राजनैतिक लोकतंत्र की गारंटी देने मात्र से किसी देश के नागरिकों को वास्तविक लोकतंत्र प्राप्त नहीं होता । यह सुनिश्चित करना समाज (सामाजिक लोकतंत्र) का भी काम है । इसी तरह जब तक किसी समाज के एक छोटे से तबके में संपत्ति का संचय होता रहेगा और बड़े तबके बुनियादी आर्थिक सुविधाओं से वंचित रहेंगे, हम ये नही कह सकते कि उस समाज में आर्थिक लोकतंत्र है ।

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विद्यार्थी एवं राजनीति पर निबंध | Essay On Student and Politics In Hindi

विद्यार्थी   एवं राजनीति पर निबंध.

प्रस्तावना-   राजनीति जीवन का एक मुख्य अंग है , जिससे कोई भी व्यक्ति अछूता नहीं है , फिर विद्यार्थी इस क्षेत्र से कैसे वंचित रह सकता है। किन्तु आज राजनीति का रूप पूर्णतया परिवर्तित हो चुका है। आज राजनीति को भ्रष्टाचार , स्वार्थपरता , जातिवाद एवं भाई-भतीजावाद ने दूषित कर रखा है। देश के भावी नागरिक अर्थात् विद्यार्थी को क्या राजनीति में प्रवेश करना चाहिए अथवा इससे दूर ही रहना चाहिए , यह एक चर्चा का विषय है।

विपक्षी विचारधारा-   जो लोग राजनीति में विद्यार्थियों को भाग लेने के विरोध में है , उनका यह तर्क है कि आज राजनीति एक अखाड़ा बन चुका है , जहाँ केवल एक दूसरे को मात देने की कोशिश ही की जाती है। आज अलग-अलग दल अथवा गुट बन रहे हैं तथा उनके मध्य शत्रुता पैदा हो रही हो , जिससे विद्यार्थियों के मन की शान्ति भंग होती है और उनका मन अध्ययन से विमुख हो जाता है। अधिकांश राजनीतिक दल विद्यार्थियों का प्रयोग अपने स्वार्थ के लिए करते हैं। नेता लोग विद्यार्थियों में फूट डालकर उन्हें हड़ताल , तोड़-फोड़ , हिंसा आदि करने के लिए भड़काते हैं। विद्यार्थी मन तो अपरिपक्व होता है , उन्हें जैसा चाहे वैसा करने के लिए उकसा दिया जाता है। विद्यालयों के अधिकतर अध्यापक भी दलगत राजनीति से प्रेरित होते हैं , इसलिए वे भी छात्रों को शिक्षा देने के स्थान पर अपनी शक्ति का विस्तार करने के लिए विद्यार्थियों का गलत एवं अनुचित प्रयोग करते हैं।

आज राजनीति में धन का विशेष महत्त्व हो गया है। धनी परिवारों के बच्चे जल्दी ही राजनीति में आ जाते हैं और इसी कारण आज विद्यालयों एवं कॉलेजों में हड़तालें एवं तालेबन्दी होती रहती हैं।

इसके विरोधी लोगों का यह भी मत है कि नेताओं के इशारे पर विद्यार्थी कॉलेजों में अपनी अनुचित माँगे पूरी करवाने के लिए संगठित होकर कार्य करते हैं। छात्र संगठन एक शक्ति है , अतः प्रत्येक दल का नेता विद्यार्थियों का ही सहारा लेकर आगे बढ़ता है। राजनीति में प्रवेश का सबसे बड़ा नुकसान विद्यार्थी को यह होता है कि वह स्वयं को बहुत शक्तिशाली समझने लगता है तथा पढ़ाई की ओर ध्यान न देकर ‘ दादागिरी ’ करने में अपना समय नष्ट करता है।

पक्ष में तर्क-   ऐसा नहीं है कि राजनीति में प्रवेश करने पर विद्यार्थी को केवल हानियाँ ही होती है। इसके पक्ष में कई लोग अपने तर्क भी प्रस्तुत करते हैं। विद्यार्थी राजनीति में प्रवेश करके अपने जीवन का एक सुयोग्य मार्ग चुन लेता है। वह राष्ट्र की आर्थिक , सामाजिक एवं औद्योगिक प्रगति में सहायक सिद्ध होती है। राजनीति का ज्ञान होने पर वह आगे जाकर एक सफल नेता बन जाता है।

इसके पक्ष में जो लोग अपना तर्क प्रस्तुत करते हैं , उनका मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल साक्षर बनना ही नहीं होना चाहिए , वरन् विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास होना चाहिए। राजनीति उसको इस बात से अवगत कराती है कि उसके देश में , आस-पास तथा विश्व में भी क्या चल रहा है। राजनीति में भाग लेने से विद्यार्थी के व्यक्तित्व का चहुँमुंखी विकास होता है। भीरू , किताबी कीड़ा , शर्मीला बनने के स्थान पर वह अग्रगामी , जागरुक तथा आत्मविश्वासी बनता है तथा जीवन की मुश्किलों का सामना करना भी सीख जाता है।

विद्यार्थी को जीवन के प्रजातान्त्रिक रूप का ज्ञान प्राप्त होता है। वह अपने अधिकार तथा कर्त्तव्य समझने लगता है। विद्यार्थी में राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा होती है तथा उसे इस बात का ज्ञान होता है कि देश में कितनी दरिद्रता , अज्ञानता तथा पिछड़ापन है। वह एक अच्छा वक्ता बन जाता है तथा निर्माणाधीन नेता के रूप में उसमें साहस , उद्देश्य के प्रति निष्ठा , सेवा भाव , आत्म-अनुशासन आदि गुणों का विकास होता है।

विद्यार्थी काल जीवन का रचनात्मक समय होता है , जिसमें जितना अधिक ज्ञान अर्जित कर लिया जाए , उतना ही अच्छा है। यदि हम अपने महान नेताओं के जीवन का अध्ययन करें तो हम देखेंगे कि उनमें से अधिकांश ने विद्यार्थी जीवन में भी राजनीति में सक्रिय भाग लिया था। इसलिए विद्यार्थी को अपनी रुचि के अनुसार राजनीति में भाग लेना चाहिए , किसी के दबाव या आकर्षण में फँसकर नहीं। यदि उसे राजनीति में दिलचस्पी है तो अपने आपको सक्रिय रूप से राजनीति से न जोड़कर पढ़ाई पर अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि राजनीति में तो बाद में भी आया जा सकता है किन्तु पढ़ाई एक निश्चित आयु में ही रुचिकर लगती है। आयु बीत जाने पर शिक्षा में मन नहीं लगता।

उपसंहार-   निष्कर्ष रूप में हम यह कह सकते हैं कि सभी गतिविधियाँ अच्छी हैं , बशर्ते उन्हें यथोचित सीमाओं के भीतर रहकर पूर्ण किया जाए। विद्यार्थियों को अपने अध्ययन पर समुचित ध्यान देते हुए अपने आस-पास की दुनिया के बारे में भी जागरुक रहना चाहिए तथा अध्ययन के पश्चात् परिपक्व आयु में ही राजनीति में प्रवेश करना चाहिए। जिससे वह अपनी आजीविका भली-भाँति कमा सके तथा देश को भी एक कुशल नागरिक एवं राजनीतिज्ञ प्राप्त हो सके।

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Short And Long Essays On Indian Politics In English & Hindi

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Table of Contents

Introduction

Playing politics is like playing a game, in which there are many players or teams, but only one person or team can win. Elections are also contested by different political parties, and the party that wins becomes the ruling party. In order for the nation’s government to function effectively, this is necessary. Constitutional rules govern Indian politics. It is due to corruption, greed, poverty, and illiteracy that Indian politics have deteriorated.

100 Words Essay Indian Politics In English

The choice of the government is heavily influenced by politics. There are two main parties in Indian politics: the ruling and the opposition parties. In order to ensure smooth government operations, Indian politics play a critical role.

There are different leaders supported by different political parties in India. A politician is a term used to describe people who are involved in politics. A state government body and a central government body make up Indian politics. Politics in India is characterized by corruption, greed, and selfishness.

 The Indian political system is becoming dirty due to wrong practices. We learn about the policies and achievements of political parties. In India, there are a few well-known political parties, such as the Indian National Congress and the Bhartiya Janata Party.

150 Words Essay Indian Politics In Hindi

In Indian politics, friendships and enemies are often made and lost in a complex game of snakes and ladders. There is no doubt that India is one of the largest democracies in the world. State and central governments share power in Indian politics, which is a prime ministerial system.

The Indian National Congress, the BJP, the SP, BSP, CPI, and AAP are some of the most prominent political parties in the country. The basic ideological components of Indian politics are leftism and rightism. It is no secret that Indian democracy has been rife with greed, hatred, and corruption since it was founded.

It is the beauty of Indian democracy that you can choose any ideology you like. It is possible for extreme ideologies in Indian politics to lead to civil wars and unrest if they are taken to extreme levels. Democracies such as debates and dissent in India are vitally important due to opposition in Indian politics. The government might become fascist if there is no opposition.

200 Words Essay Indian Politics In Punjabi

Democracies are prevalent in India. Electoral systems in India are used to elect political leaders and parties. Voting and electing leaders in India are available to Indian citizens over the age of 18. The common man still suffers a great deal despite being governed on their behalf, for their benefit, and by their people. We have a very corrupt political system in our country because of corruption.

We have a reputation for corrupt political leaders. Although they are often exposed for their corrupt practices, they are seldom held accountable. We are witnessing a negative impact on our country as a result of such a mindset and behavior on the part of our politicians.

political power essay in hindi

 The consequences of this are vastly affecting the country’s development and growth. In India, corruption in politics is causing the most suffering to the common man. However, the ministers abuse their positions and power to further their personal interests.

Currently, the general public is burdened with a great deal of taxation. Corrupt politicians are filling their bank accounts with this money instead of using it to develop the country. Our development since independence has been limited because of this. For society to change for the better, the Indian political system must be transformed. 

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300 Words Essay Indian Politics In English

As the second-largest nation by population and democracy, India is also one of the most important countries in the world. As a result of the will of the people, a government is formed. Campaigning for elections is carried out by a large number of political parties

In Indian politics, the government is formed and work is undertaken to carry out a variety of projects for the country’s development. A nation’s government is formed through politics. Various sections and regions of India are represented by political parties. Party members contest the election on behalf of their parties.

Voting rights and representatives are guaranteed to all citizens over the age of 18. An election is won by a majority when the political party with the highest number of votes wins. Politicians who win a general election are in power for five years. The opposition party is the party that loses an election to the winning party. India has a large number of political parties. There are some national parties and others that are regional.

Nations grow and develop because of their political systems. There are corrupt politicians in Indian politics who work only for power and money. People’s problems and the development of states and nations are least important to them. As a result of the weak system of government, scams, crime, and corruption have increased.

To enable the growth and development of the nation, Indian politics must undergo a number of mandatory changes such as corrupt politicians do not allow India to develop. There is still a number of unsolved problems in Indian politics, there are still a number of unresolved issues.

Conclusion,

Political corruption must be avoided at all costs. It is important for them to consider improving the country’s condition. Taking necessary steps against corrupt politicians is necessary for society’s sake.

 Despite the fact that not all politicians are corrupt, the image of all politicians has suffered in part because of a few corrupt politicians. People in bad situations need help from Indian politics. Good politicians are essential to the development of society and the country.

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Indian Politics Essay

500 words essay on indian politics.

Politics, simply speaking, refers to the activities surrounding a country’s governance. In the context of a large democratic country like India, politics becomes really complicated. This Indian politics essay will throw light on the politics of India.

indian politics essay

                                                                                                                     Indian Politics Essay

Background of Indian Politics

Politics in India, like any other democratic country, involves the ruling party and the opposition. In India, the formation of political parties has taken place on the basis of ideology. Moreover, the Indian political parties belong to the left and the right political spectrum.

Leftist politics rely on the values of secularism , liberalism, and rebelliousness. In contrast, rightist politics favour the values of being pro-government, orderly, conservative, and traditional.

There are no definitions of left-right politics anywhere in the Indian constitution. Furthermore, these terms were given by commentators, authors, and journalists. Also, it has been witnessed in India that some politicians can change their political party and ideology.

Indeed for a stable democracy , it is necessary that both political ideologies, the right and left, operate side by side. As such, some times, the country may be under rightist influence while leftist ideals may dominate at another time. The two major political parties in India, BJP and Congress, clearly demonstrate the two different political spectrums of right and left respectively.

Problem with Indian Politics

For a democracy to work properly there must be a proper demarcation between the political ideologies. However, in India, the demarcation between these ideologies tends to get blurry, thereby resulting in the superimposition of one ideology over the other. This is certainly not an indication of a mature democracy.

The political system of India suffers due to the clash of different political ideologies. Furthermore, such clashes can turn out to be quite ugly. Most noteworthy, such clashes are detrimental to the development of the country as a whole.

Various other problems affect Indian politics like hatred, injustice, corruption, greed, and bigotry. Due to all these problems, Indian politics is called a dirty game. Such problems can also force many intellectual and eminent individuals to stay away from Indian politics.

Sometimes the Indian politicians may choose a political party, not because of the ideological stance, but rather due to the winning probability in the elections. This is a really sad reality of Indian politics. Moreover, it shows that such politicians care more about their own personal interests rather than the interests of the common people.

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Conclusion of Indian Politics Essay

Indian politics is a colourful drama and, according to some, its the great circus of the country. Despite such negative connotations, no one can doubt the enormously important role that politics has played in India. Most noteworthy, it is a crucial aspect of Indian democracy.

FAQs For Indian Politics Essay

Question 1: How many political parties are there in India?

Answer 1: According to the latest publication from the Election Commission of India, the total number of registered political parties in India is 2698. Furthermore, out of the registered political parties, 8 are national parties, 52 are state parties, and 2638 remain unrecognised. Also, registered parties that contest elections must have a symbol of their own that is approved by the EC.

Question 2: What are the two most powerful political parties in India?

Answer 2: The two most powerful political parties in India are the Bharatiya Janata Party and the Indian National Congress or Congress or INC. Furthermore, BJP is the leading right-wing party while Congress is the leading centrist/leftist party in India.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
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  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
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  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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NPR defends its journalism after senior editor says it has lost the public's trust

David Folkenflik 2018 square

David Folkenflik

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NPR is defending its journalism and integrity after a senior editor wrote an essay accusing it of losing the public's trust. Saul Loeb/AFP via Getty Images hide caption

NPR is defending its journalism and integrity after a senior editor wrote an essay accusing it of losing the public's trust.

NPR's top news executive defended its journalism and its commitment to reflecting a diverse array of views on Tuesday after a senior NPR editor wrote a broad critique of how the network has covered some of the most important stories of the age.

"An open-minded spirit no longer exists within NPR, and now, predictably, we don't have an audience that reflects America," writes Uri Berliner.

A strategic emphasis on diversity and inclusion on the basis of race, ethnicity and sexual orientation, promoted by NPR's former CEO, John Lansing, has fed "the absence of viewpoint diversity," Berliner writes.

NPR's chief news executive, Edith Chapin, wrote in a memo to staff Tuesday afternoon that she and the news leadership team strongly reject Berliner's assessment.

"We're proud to stand behind the exceptional work that our desks and shows do to cover a wide range of challenging stories," she wrote. "We believe that inclusion — among our staff, with our sourcing, and in our overall coverage — is critical to telling the nuanced stories of this country and our world."

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She added, "None of our work is above scrutiny or critique. We must have vigorous discussions in the newsroom about how we serve the public as a whole."

A spokesperson for NPR said Chapin, who also serves as the network's chief content officer, would have no further comment.

Praised by NPR's critics

Berliner is a senior editor on NPR's Business Desk. (Disclosure: I, too, am part of the Business Desk, and Berliner has edited many of my past stories. He did not see any version of this article or participate in its preparation before it was posted publicly.)

Berliner's essay , titled "I've Been at NPR for 25 years. Here's How We Lost America's Trust," was published by The Free Press, a website that has welcomed journalists who have concluded that mainstream news outlets have become reflexively liberal.

Berliner writes that as a Subaru-driving, Sarah Lawrence College graduate who "was raised by a lesbian peace activist mother ," he fits the mold of a loyal NPR fan.

Yet Berliner says NPR's news coverage has fallen short on some of the most controversial stories of recent years, from the question of whether former President Donald Trump colluded with Russia in the 2016 election, to the origins of the virus that causes COVID-19, to the significance and provenance of emails leaked from a laptop owned by Hunter Biden weeks before the 2020 election. In addition, he blasted NPR's coverage of the Israel-Hamas conflict.

On each of these stories, Berliner asserts, NPR has suffered from groupthink due to too little diversity of viewpoints in the newsroom.

The essay ricocheted Tuesday around conservative media , with some labeling Berliner a whistleblower . Others picked it up on social media, including Elon Musk, who has lambasted NPR for leaving his social media site, X. (Musk emailed another NPR reporter a link to Berliner's article with a gibe that the reporter was a "quisling" — a World War II reference to someone who collaborates with the enemy.)

When asked for further comment late Tuesday, Berliner declined, saying the essay spoke for itself.

The arguments he raises — and counters — have percolated across U.S. newsrooms in recent years. The #MeToo sexual harassment scandals of 2016 and 2017 forced newsrooms to listen to and heed more junior colleagues. The social justice movement prompted by the killing of George Floyd in 2020 inspired a reckoning in many places. Newsroom leaders often appeared to stand on shaky ground.

Leaders at many newsrooms, including top editors at The New York Times and the Los Angeles Times , lost their jobs. Legendary Washington Post Executive Editor Martin Baron wrote in his memoir that he feared his bonds with the staff were "frayed beyond repair," especially over the degree of self-expression his journalists expected to exert on social media, before he decided to step down in early 2021.

Since then, Baron and others — including leaders of some of these newsrooms — have suggested that the pendulum has swung too far.

Legendary editor Marty Baron describes his 'Collision of Power' with Trump and Bezos

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Legendary editor marty baron describes his 'collision of power' with trump and bezos.

New York Times publisher A.G. Sulzberger warned last year against journalists embracing a stance of what he calls "one-side-ism": "where journalists are demonstrating that they're on the side of the righteous."

"I really think that that can create blind spots and echo chambers," he said.

Internal arguments at The Times over the strength of its reporting on accusations that Hamas engaged in sexual assaults as part of a strategy for its Oct. 7 attack on Israel erupted publicly . The paper conducted an investigation to determine the source of a leak over a planned episode of the paper's podcast The Daily on the subject, which months later has not been released. The newsroom guild accused the paper of "targeted interrogation" of journalists of Middle Eastern descent.

Heated pushback in NPR's newsroom

Given Berliner's account of private conversations, several NPR journalists question whether they can now trust him with unguarded assessments about stories in real time. Others express frustration that he had not sought out comment in advance of publication. Berliner acknowledged to me that for this story, he did not seek NPR's approval to publish the piece, nor did he give the network advance notice.

Some of Berliner's NPR colleagues are responding heatedly. Fernando Alfonso, a senior supervising editor for digital news, wrote that he wholeheartedly rejected Berliner's critique of the coverage of the Israel-Hamas conflict, for which NPR's journalists, like their peers, periodically put themselves at risk.

Alfonso also took issue with Berliner's concern over the focus on diversity at NPR.

"As a person of color who has often worked in newsrooms with little to no people who look like me, the efforts NPR has made to diversify its workforce and its sources are unique and appropriate given the news industry's long-standing lack of diversity," Alfonso says. "These efforts should be celebrated and not denigrated as Uri has done."

After this story was first published, Berliner contested Alfonso's characterization, saying his criticism of NPR is about the lack of diversity of viewpoints, not its diversity itself.

"I never criticized NPR's priority of achieving a more diverse workforce in terms of race, ethnicity and sexual orientation. I have not 'denigrated' NPR's newsroom diversity goals," Berliner said. "That's wrong."

Questions of diversity

Under former CEO John Lansing, NPR made increasing diversity, both of its staff and its audience, its "North Star" mission. Berliner says in the essay that NPR failed to consider broader diversity of viewpoint, noting, "In D.C., where NPR is headquartered and many of us live, I found 87 registered Democrats working in editorial positions and zero Republicans."

Berliner cited audience estimates that suggested a concurrent falloff in listening by Republicans. (The number of people listening to NPR broadcasts and terrestrial radio broadly has declined since the start of the pandemic.)

Former NPR vice president for news and ombudsman Jeffrey Dvorkin tweeted , "I know Uri. He's not wrong."

Others questioned Berliner's logic. "This probably gets causality somewhat backward," tweeted Semafor Washington editor Jordan Weissmann . "I'd guess that a lot of NPR listeners who voted for [Mitt] Romney have changed how they identify politically."

Similarly, Nieman Lab founder Joshua Benton suggested the rise of Trump alienated many NPR-appreciating Republicans from the GOP.

In recent years, NPR has greatly enhanced the percentage of people of color in its workforce and its executive ranks. Four out of 10 staffers are people of color; nearly half of NPR's leadership team identifies as Black, Asian or Latino.

"The philosophy is: Do you want to serve all of America and make sure it sounds like all of America, or not?" Lansing, who stepped down last month, says in response to Berliner's piece. "I'd welcome the argument against that."

"On radio, we were really lagging in our representation of an audience that makes us look like what America looks like today," Lansing says. The U.S. looks and sounds a lot different than it did in 1971, when NPR's first show was broadcast, Lansing says.

A network spokesperson says new NPR CEO Katherine Maher supports Chapin and her response to Berliner's critique.

The spokesperson says that Maher "believes that it's a healthy thing for a public service newsroom to engage in rigorous consideration of the needs of our audiences, including where we serve our mission well and where we can serve it better."

Disclosure: This story was reported and written by NPR Media Correspondent David Folkenflik and edited by Deputy Business Editor Emily Kopp and Managing Editor Gerry Holmes. Under NPR's protocol for reporting on itself, no NPR corporate official or news executive reviewed this story before it was posted publicly.

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