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दशहरा निबंध (Dussehra Essay in Hindi)

दशहरा

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है जो पूरे भारत के लोगों के द्वारा हर साल बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसे हर बच्चों को जानना चाहिये। ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार ऐसा उल्लिखित है कि भगवान राम ने रावण को मारने के लिये देवी चंडी की पूजा की थी। लंका के दस सिर वाले राक्षस राजा रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा की बेइज्जती का बदला लेने के लिये राम की पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था। तब से जिस दिन से भगवान राम ने रावण को मारा उसी दिन से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा है।

दशहरा पर 10 वाक्य

दशहरा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Dussehra Essay in Hindi, Dussehra par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द).

दशहरा हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण और मायने रखने वाला त्यौहार है। इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रुप से बहुत ज्यादा है। भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह और भरोसे से मनाते है।

ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है। कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है। दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है।

रामलीला का आयोजन

देश के कई बरसों में दशहरा को मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई जगहों पर पूरा दस दिन के लिए मनाया जाता है, मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने सुनाई जाती है साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 7 दिन या मौसम तक किया जाता है। सारे शहर में रामलीला का आयोजन होता है। राम लीला पौराणिक महाकाव्य, रामायण का एक लोकप्रिय अधिनियम है। ऐसा माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम, राम की परंपरा शुरू की, जो भगवान राम की कहानी के अधिनियम था। उनके द्वारा लिखी गई रामचरितमानस आज तक रामलीला प्रदर्शन का आधार बनाती हैं। रामनगर राम लीला (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में अधिनियमित किया गया है।

विजयदशमी मनाने के पीछे राम लीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है। ये सीता माता के अपहरण के पूरे इतिहास को बताता है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की हार और अंत तथा राजा राम की जीत को दर्शाता है। वास्तविक लोग राम, लक्ष्मण और सीता तथा हनुमान का किरदार निभाते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का पुतला बनाया जाता है। अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाने के लिये रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिये जाते है और पटाखों के बीच इस उत्सव को और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

निबंध 2 (400 शब्द)

दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लगातार दस दिन तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है , दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते है। दशहरा का ये पर्व सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के दो या तीन हफ्ते पहले पड़ता है।

हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा के द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है तथा इसमें प्रभु राम और देवी दुर्गा के भक्त पहले या आखिरी दिन या फिर पूरे नौ दिन तक पूजा-पाठ या व्रत रखते है। नवरात्र को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है।

क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें।

“रावण पर विजय पाने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है”

हम बाहर रावण का पुतला तो जलाते है लेकिन अंदर उसे पोषित करते है। वो तो सतयुग था जिसमें केवल एक रावण था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की। यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना मुश्किल है। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर के रावण  नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है।

ना जाने कई सालों सदियों से पूरे देश में रावण का पुतला हर साल जलाकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। अगर रावण की मृत्यु सालों पहले हो गयी थी तो फिर वो आज भी हमारे बीच जीवित कैसे है? आज तो कई रावण हैं। उस रावण के दस सिर थे लेकिन हर सिर का एक ही चेहरा था जबकि आज के रावण का सिर एक है पर चेहरे अनेक हैं, चेहरों पर चेहरे हैं जो नकाबों के पीछे छिपे हैं। इसलिए इनको ख़त्म करने के लिए साल में एक दिन काफी नहीं है इन्हें रोज मारना हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। उस रावण को प्रभु श्रीराम ने धनुष से मारा था, आज हम सभी को राम बनकर उसे संस्कारों से, ज्ञान से और अपनी इच्छा शक्ति से मारना होगा।

ये 10 दिन लंबा उत्सव होता है, जिसमें से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिये और दसवाँ दिन विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है ये असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर के रुप में भी मनाया जाता है। इसके आने से पहले ही लोगों द्वारा बड़ी तैयारी शुरु हो जाती है। ये 10 दिनों का या एक महीने का उत्सव या मेले के रुप में होता है जिसमें एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्रों में जाकर दुकान और स्टॉल लगाते है।

Essay on Dussehra in Hindi

निबंध 3 (500 शब्द)

पूरे देश में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है दशहरा। ये हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दीपावली के पर्व से 20 दिन पहले आता है। लंका के असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत को दिखाता है दशहरा। भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का। देवी दुर्गा के पूजा के साथ हिन्दू लोगों के द्वारा ये महान धार्मिक उत्सव और दस्तूर मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे देश में मनाने की परंपरा और संस्कार क्षेत्र दर क्षेत्र अलग-अलग है। ये पर्व बच्चों के मन में काफी खुशियां लाता है।

दशहरा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • कहा जाता है कि अगर रावण का वध भगवान राम ने नहीं किया होता तो सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता।
  • दशहरा का महत्व इस रूप में भी होता कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था।
  • महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था, उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया, महिषासुर और शक्‍ति (माँ दुर्गा) के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और आखिरकार मां ने 10 वें दिन विजय हासिल कर ली।
  • ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में देवी मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं।
  • एक मान्यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के दसों सिर यानी दस बुराइयाँ को ख़त्म किया जो हमारे अंदर, पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय के रूप में विराजमान है।
  • ऐसा लोगों का मानना है की मैसूर के राजा के द्वारा 17वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाई गयी थी।
  • मलेशिया में दशहरा पर राष्ट्रीय अवकाश होता है, यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है।
  • दशहरा भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का महत्व दर्शाता है. रावण को हराने के लिए श्री राम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और आर्शीवाद के रूप में मां ने रावण को मारने का रहस्‍य बताया था।

रामलीला मंचन

हर तरफ जगमगाती रोशनी और पटाखों की शोर से गूँजता माहौल। बच्चे और बाकी सभी लोग रामलीला को पूरी रात देखते है। रामलीला मंचन के द्वारा वास्तविक लोग रामायण के पात्रों और उनके इतिहास को बताते है। हजारों की संख्या में आदमी, औरत और बच्चे रामलीला मैदान में अपने पास के क्षेत्रों से इस उत्सव का आनन्द उठाते है। राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार के लिये वास्तविक कलाकार होते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के कागज के पुतले बनाये जाते है।

विजयादशमी एक ऐसा पर्व है, जिसे लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जित और लोगों के मन में नई चाह और सात्विक ऊर्जा भी ले आता है। भगवान राम ने कैसे बुराई का अंत कर रावण पर विजय प्राप्त की। और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। 9 दिन देवी माँ के पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन पकवान आदि सबके घरों में बनाये जाते है।

निबंध 4 (600 शब्द)

दशहरा भारत का एक महत्वपूर्ण और लंबा उत्सव है। पूरे देश में इसे पूरे उत्साह, प्यार, विश्वास और सम्मान के साथ हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। सभी के द्वारा मस्ती करने के लिये ये वाकई अच्छा समय होता है। दशहरा के उत्सव पर स्कूल और कॉलेजों से भी कुछ दिनों की छुट्टी मिल जाती है। ये पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के 20 दिन पहले पड़ता है। लोगों को इस त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है।

दशहरा से जुड़ी रीती रिवाज और परंपरा

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी परंपरा और संस्कृति, मेले और उत्सव के लिये जाना जाता है। यहाँ हर पर्व को लोग पूरे जोश और खुशी के साथ मनाते है। हिन्दू पर्व को महत्व देने के साथ ही इस त्योहार को पूरी खुशी के साथ मनाने के लिये भारत की सरकार द्वारा दशहरा के इस उत्सव पर राजपत्रित अवकाश की घोषणा की जाती है। दशहरा का अर्थ है ‘बुराई के राजा रावण पर अच्छाई के राजा राम की जीत’। दशहरा का वास्तविक अर्थ दस सर वाले असुर का इस पर्व के दसवें दिन पर अंत है। पूरे देश में सभी लोगों द्वारा रावण को जलाने के साथ ही इस उत्सव का दसवाँ दिन मनाया जाता है।

देश के कई क्षेत्रों में लोगों के रीति-रिवाज और परंपरा के अनुसार इस उत्सव को लेकर कई सारी कहानियाँ है। इस उत्सव की शुरुआत हिन्दू लोगों के द्वारा उस दिन से हुई जब भगवान राम ने असुर राजा रावण को दशहरा के दिन मार दिया था (हिन्दू कैलंडर के अश्वयुजा महीने में)। भगवान राम ने रावण को इसलिये मारा क्योंकि उसने माता सीता का हरण कर लिया था और उन्हें आजाद करने के लिये तैयार नहीं था। इसके बाद भगवान राम ने हनुमान की वानर सेना और लक्ष्मण के साथ मिलकर रावण को परास्त किया।

दशहरा का महत्व

दशहरा का पर्व हर एक के जीवन में बहुत महत्व है इस दिन लोग अपने अंदर की भी  बुराइयों को ख़त्म करके नई जीवन की शुरुआत करते है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। दशहरा त्यौहार जश्न के रूप में मनाया जाने वाला  त्यौहार है। सबकी जश्न की अपनी मान्यता है किसानों के लिए फसल को घर लाने का जश्न, बच्चों के लिए राम द्वारा रावण के वध का जश्न , बड़ो द्वारा बुराई पर अच्छाई का जश्न, आदि। यह पर्व बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। लोगों का मानना है की इस दिन अगर स्वामी  के पत्तों को घर लाये जाए तो बहुत ही शुभ होता है और इस दिन शुरू किये गए कार्य में जरूर सफलता मिलती है।

विजयादशमी से जुड़ी कथाएं

  • भगवान राम का रावण पर विजय।
  • पांडव का वनवास।
  • माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध।
  • देवी सती का अग्नि में समाना।

दशहरा का मेला

ऐसे कई जगह है जहां दशहरा पर मेला लगता है, कोटा में दशहरा का मेला, कोलकाता में दशहरा का मेला, वाराणसी में दशहरा का मेला, इत्यादि। जिसमें कई दुकानें लगती है और खाने पीने का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे मेला घूमने जाते है और मैदान में रावण का वध देखने जाते है।

इस दिन सड़कों पर बहुत भीड़ होती है। लोग गाँवों से शहरों में दशहरा मेला देखने आते है। जिसे दशहरा मेला के नाम से जाना जाता है। इतिहास बताता है कि दशहरा का जश्न महारो दुर्जनशल सिंह हंडा के शासन काल में शुरू हुआ था। रावण के वध के बाद श्रद्धालु पंडाल घूमकर देवी माँ का दर्शन करते हुए मेले का आनंद उठाते है।

हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये राजा राम ने चंडी होम कराया था। इसके अनुसार युद्ध के दसवें दिन रावण को मारने का राज जान कर उस पर विजय प्राप्त कर लिया था। अंततः रावण को मारने के बाद राम ने सीता को वापस पाया। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उसी दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक असुर का वध किया था। हर क्षेत्र के रामलीला मैदान में एक बहुत बड़ा मेला आयोजित किया जाता है जहाँ दूसरे क्षेत्र के लोग इस मेले के साथ ही रामलीला का नाटकीय मंचन देखने आते है।

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Updated On: September 02, 2024 06:35 pm IST

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दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन बुराई के विनाश का संकेत देने के लिए आतिशबाजी के साथ रावण के पुतले जलाए जाते हैं। दशहरा या विजयदशमी भगवान राम की विजय और दुर्गा पूजा के रूप या फिर यह शक्ति-पूजा का पर्व है।

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्यौहार है। यह महाकाव्य रामायण से जुड़ा हुआ है, जहाँ भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराया था।

दशहरा संस्कृत शब्द दशहरा से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "(देवी) जो दस बड़े पापों को दूर करती है।"

कर्नाटक में दशहरा मनाने की परंपरा 400 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। इस शुभ अवसर पर मैसूर शहर का पूरा महल रोशनी से जगमगा उठता है।

विजयदशमी यानी दशहरा नवरात्रि खत्म होने के अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले 9 दिनों तक मां दुर्गा की उपासनी की थी और 10वें दिन रावण का वध किया था। विजयदशमी का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाने वाले मुख्य पर्वों में से है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के त्योहार के पीछे दो प्रमुख कारण बताए जाते हैं पहला भगवान राम ने इस दिन ही रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस के साथ चले 10 दिनों के युद्ध में महिषासुर का संहार किया था।

 व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।

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दशहरा पर निबंध 10 lines (Essay On Dussehra in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 350, 500, शब्दों मे

dussehra essay in hindi class 9

Essay On Dussehra in Hindi – दशहरा हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक बड़ा त्योहार है और इसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है। पूरे देश में लोग बड़े उत्साह और समर्पण के साथ दशहरा मनाते हैं। इस त्योहार का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। Essay On Dussehra भारत के कुछ क्षेत्रों में दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। 

Essay On Dussehra in Hindi – इस त्योहार की एक सीख है, या हम कह सकते हैं कि यह त्योहार ‘बुराई पर अच्छाई की जीत'( victory of good over evil ) के बारे में है। इस त्योहार का अपना महत्व है और यह बुराई की शक्ति पर अच्छाई की शक्ति की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार का प्राथमिक परिणाम हर बार झूठ पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधेरे पर रोशनी की जीत है। इसलिए Dussehra पर लोगों की मान्यताएं भले ही अलग-अलग हों, लेकिन वे इसे पूरे देश में एक ही भाव से मनाते हैं। 

दशहरा पर निबंध 10 लाइन (Essay on Dussehra 10 lines in Hindi)

  • दशहरा त्यौहार रावण पर देवता राम की कुछ विजय के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है
  • दशहरा उत्सव नैतिक सिद्धांतों और धर्मी आचरण को अपनाने के माध्यम से बुराई और अहंकार के विनाश का प्रतिनिधित्व करता है।
  • दुर्गा, लक्ष्मी, और गणेश की मूर्तियों को ले जाने वाले जुलूसों में भाग लेने वाले लोग गाते और नृत्य करते हैं, दशहरा उत्सव मनाने के पारंपरिक तरीकों में से हैं।
  • रावण के दस सिर चार वेदों और छह “शास्त्रों” की उसकी समझ के लिए खड़े हैं। हालाँकि, कुछ का दावा है कि वे 10 मानव दोषों का प्रतीक हैं जिन्हें हमें मोचन प्राप्त करने के लिए प्रतीकात्मक रूप से जलाना चाहिए।
  • भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में दशहरा उत्सव मनाने का एक अन्य कारण यह था कि देवी दुर्गा ने महिषासुर, भैंस राक्षस को हराया था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने अमरता प्रदान की थी, लेकिन उसके जघन्य कर्म शुरू हो गए थे, इसलिए, सभी देवताओं ने देवी दुर्गा का गठन किया, जिन्होंने महिषासुर को युद्ध में शामिल किया। अंततः उसे हराने से पहले नौ दिनों के लिए।
  • कुछ लोग दुर्गा पूजा के समापन पर दशहरा उत्सव मनाते हैं और धर्म को बहाल करने और उसकी रक्षा करने के लिए महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को याद करते हैं।
  • नवरात्रि उत्सव के दौरान, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है, भक्त उपवास भी करते हैं।
  • दशहरा उत्सव के दौरान, महाराष्ट्र और कई अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में लोग अपनी कारों की पूजा करते हैं और उन्हें फूलों और अगरबत्तियों से सजाते हैं।
  • दुनिया में सबसे प्रसिद्ध दशहरा उत्सव उत्सव में भाग लेने के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी की ओर आकर्षित करता है।
  • दिवाली, सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध हिंदू छुट्टियों में से एक, दो से तीन सप्ताह में आ रही है। दशहरा पर्व की तरह यह पर्व भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दशहरा पर निबंध 20 लाइन (Essay on Dussehra 20 lines in Hindi)

  • यह भारत का एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है।
  • जो भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
  • इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
  • पूरे भारत के लोग इस त्योहार को बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • यह त्योहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है।
  • यानी दिवाली से बीस दिन पहले।
  • इस त्योहार का नाम संस्कृत की दशा से लिया गया है जिसका अर्थ है दस और हारा का अर्थ है हार।
  • नौरात्रि के नौ दिनों के उत्सव के बाद,
  • दशहरा पर्व आश्विन माह की दशमी तिथि को मनाया जाता है ।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराया था और अपनी अपहृत पत्नी सीता को राक्षस के चंगुल से मुक्त कराया था।
  • दशहरा पर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है।
  • यह त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।
  • इस दिन लोग रावण के पुतले को जलाते हैं।
  • मान्यता है कि रावण की प्रतिमा जलाने से हमें अपनी बुरी आदतों को भी जला देना चाहिए।
  • इस त्योहार पर लोग अपने घर में मिष्ठान पकाते हैं और साथ में इस त्योहार को मनाने के लिए अतिथि को भी आमंत्रित करते हैं।
  • इस दिन लोग अपने घर को फूलों से सजाते हैं।
  • महिलाएं अपने घर के मुख्य द्वार के सामने रंगोली बनाती हैं।
  • इस त्योहार का परिणाम अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुरे पर अच्छाई का है।

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दशहरा पर निबंध 100 शब्द (short Essay on Dussehra 100 words in Hindi)

Essay On Dussehra in Hindi – दशहरा हमारे देश भारत में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह उस दिन का प्रतीक है जिस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराया था। उत्सव यह याद रखना है कि अच्छाई और पवित्र हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करते हैं। परिवारों के सदस्य सज-धज कर तैयार होते हैं और दशहरे के दिन अच्छा खाना खाकर और आतिशबाजी देखकर एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए एक साथ आते हैं। बहुत से लोग बाहर जाते हैं और दशहरे के प्रमुख मेलों में समय बिताते हैं। इन मेलों में, कुछ स्थानीय रंगमंच समूह रामलीला के नाटक का मंचन करते हैं, जो रामायण की प्रसिद्ध हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित है। रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का प्रतिनिधित्व करने वाली बड़ी आकृतियों का दहन इस उत्सव के अंत का प्रतीक है।

दशहरा पर निबंध 150 शब्द (Dussehra Essay 150 words in Hindi)

Essay on Dussehra दशहरा भारत में सबसे प्रसिद्ध और अत्यधिक मनाई जाने वाली छुट्टियों में से एक है। भले ही यह एक हिंदू त्योहार है लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में, विभिन्न धर्मों के लोग एकजुट होकर आनंद लेते हैं। दशहरे पर, सड़कों को चमकदार रोशनी से सजाया जाता है, और लाउडस्पीकरों से गाने बजाए जाते हैं जो सभी दिशाओं से आते हैं और सड़कों पर भीड़ लगाने वाले लोगों की आवाज़ और जयकारों के साथ मिलकर सुंदर अराजकता पैदा करते हैं। नवरात्रि के दस दिनों के दौरान सड़क के किनारे स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड और छोटे स्मृति चिन्ह विक्रेताओं द्वारा बेचे जाते हैं।

दशहरे के दिन सबसे ज्यादा व्यापार इसलिए होता है क्योंकि हर कोई उस त्योहार के आखिरी दिन और छुट्टी का लुत्फ उठाना चाहता है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहां त्योहार अक्सर होते हैं, और हर साल शरद ऋतु और सर्दियों के अंत में इनमें से अधिकांश त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए विजयादशमी पर, जिसे उसी दिन बंगाल और उड़ीसा में दशहरा के रूप में मनाया जाता है, लोग भले ही माँ दुर्गा को अलविदा कह रहे हों, लेकिन केवल माँ काली का स्वागत करने और दो सप्ताह बाद दिवाली मनाने के लिए।

दशहरा पर निबंध 200 शब्द (Dussehra Essay 200 words in Hindi)

Essay On Dussehra in Hindi – यह पौराणिक पौराणिक चरित्र भगवान राम की याद में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है, जो रावण नामक तथाकथित अपराजेय दुष्ट आत्मा को पराजित करता है, जो किंवदंती के अनुसार श्रीलंका का राजा भी था। लोग इस दिन को राक्षस राजा रावण का प्रतिनिधित्व करने वाली लकड़ी और घास से बनी एक विशाल राक्षस जैसी संरचना को जलाकर मनाते हैं। एक और किंवदंती है कि पश्चिम बंगाल के लोग मानते हैं कि देवी मां दुर्गा, जो पृथ्वी पर अपने पिता के घर जाने के लिए आई थीं, पांच दिनों के बाद, यानी दशमी या दशहरा के दिन चली जाती हैं। तो सभी खुश हो जाते हैं और मां दुर्गा को विदा करते हुए अगले साल फिर आने को कहते हैं।

इस दिन, मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और बाँटी जाती हैं, रिश्तेदार मिलते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने समय का आनंद लेते हैं। बच्चे वे हैं जो किसी भी त्योहार के दौरान सबसे अधिक उत्साहित होते हैं क्योंकि उन्हें सुंदर और नए कपड़े पहनाए जाते हैं, वे अपने चचेरे भाइयों और दोस्तों से मिलते हैं, उन्हें फिर से रामायण की कथा सुनाई जाती है, और उन्हें मेलों में भी ले जाया जाता है जहां वे खिलौने खरीदते हैं और खाते हैं स्वादिष्ट व्यंजन। वयस्कों के व्यस्त कार्यक्रम के साथ, वे दशहरे की छुट्टी का भी इंतजार करते हैं जब उन्हें अंततः आराम करने और अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा समय बिताने का मौका मिलता है।

दशहरा पर निबंध 250 शब्द (Dussehra Essay 250 words in Hindi)

Introduction

Essay On Dussehra in Hindi – हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीनों में, हिंदू उस दिन को मनाते हैं जब उनके प्रिय राजकुमार राम ने बाद के बुरे कामों और दुराचारों के लिए राक्षस रावण का वध किया था। दशहरा अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और हर गाँव या शहर मेलों में आने वाले दर्शकों से अभिभूत होता है।

राम की जीत का जश्न ( Ram’s victory celebration )

त्योहार प्रमुख रूप से रावण पर राम की जीत का जश्न मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह वास्तव में एक असंभव कार्य था, फिर भी राम, अपने विश्वासों में विश्वास से प्रेरित होकर इसे प्राप्त करने में सक्षम थे। जब राम ने रावण से रक्षा की, तो उनके पास कुछ वफादार दोस्तों और भाई लक्ष्मण के अलावा कुछ भी नहीं था।

उस समय रावण एक शक्तिशाली राजा था जिसे किसी ने चुनौती देने का साहस नहीं किया। लेकिन, राम अपने वफादार दोस्तों को संगठित करने और रावण के खिलाफ लड़ने के लिए एक सेना का गठन करने में सक्षम थे। प्रारंभ में, रावण ने इसे हँसाया, लेकिन अपने आश्चर्य और निराशा के लिए, वह युद्ध के तेरहवें दिन राम द्वारा पराजित और मारा गया। राम की इसी विजय को भारत के लोग दशहरे के रूप में मनाते हैं।

दशहरा और दुर्गा पूजा (Dussehra and Durga Puja)

दशहरा और दुर्गा पूजा दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। जबकि दशहरा भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है; दुर्गा पूजा उस दिन को मनाती है जब देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध में दुष्ट भैंसे राक्षस महिषासुर का वध किया था। दुर्गा पूजा के दसवें दिन दशहरा भी पड़ता है। किंवदंती है कि युद्ध में जाने से पहले भगवान राम ने शक्ति और वीरता के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी।

दशहरा न केवल हिंदू विश्वास का अभिन्न अंग है, बल्कि यह “सत्य की हमेशा जीत” के भारतीय दर्शन पर भी जोर देता है।

दशहरा पर निबंध 300 शब्द 350 शब्द (Dussehra Essay 300 words 350 words in Hindi)

Essay On Dussehra in Hindi – दशहरा हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है, जो दीपावली के त्योहार से 20 दिन पहले मनाया जाता है। जबकि दीपावली भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद दिलाती है; दशहरा उस दिन मनाया जाता है जिस दिन राम ने 13 दिनों तक चले युद्ध में रावण का वध किया था।

बुराई पर अच्छाई की जीत

राम अयोध्या के एक कुलीन राजकुमार थे, जिनकी पत्नी सीता का रावण द्वारा अपहरण कर लिया गया था, जबकि सीता वनवास पर थीं। रावण राक्षस राजा था, जो लंका के राज्य में रहता था। वह एक शक्तिशाली राजा था जिसने दुनिया पर राज किया। वनवास के दौरान राम के पास धनुष और बाण और उनकी वफादार पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के अलावा कुछ नहीं था।

जब रावण सीता का हरण कर लंका ले गया; राम लगभग अज्ञात छोटे राज्यों के राजाओं से समर्थन प्राप्त करने में सक्षम थे। यह उपलब्धि वे अपने नेतृत्व कौशल और नैतिक उच्चता के कारण करने में सफल रहे।

राम की असाधारण पवित्र उपस्थिति थी जिसने उन्हें मिलने वाले सभी लोगों की वफादारी हासिल करने में मदद की। उसकी सेना, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, अपने मूल के प्रति वफादार थी और उस पर विश्वास करती थी। धार्मिकता के सिद्धांतों में राम के विश्वास ने उन्हें और उनकी सेना को एक बहुत ही दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी – रावण के खिलाफ लड़ने की ताकत दी। यह और कुछ नहीं बल्कि अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई थी और जिस दिन रावण के वध के साथ इसका अंत हुआ, वह बुराई पर अच्छाई की जीत थी, जिसे आज दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

‘राम लीला’ – राम की कहानी Ram Leela – Story of Ram

दशहरा उत्सव के मुख्य आकर्षणों में से एक राम लीला या राम की कहानी का प्रदर्शन है। यह स्थानीय कलाकारों द्वारा राम के जीवन की घटनाओं को दर्शाने वाला नाटक है। राम लीला भारत के हर गांव और शहर में की जाती है और स्थानीय लोगों द्वारा अद्वितीय उत्साह के साथ देखा जाता है।

रामलीला 20 से अधिक दिनों के लिए की जाती है, जिसमें प्रत्येक दिन विशिष्ट घटनाओं को समर्पित होता है जैसे – जिस दिन राम ने अपना वनवास शुरू किया, सीता का अपहरण, हनुमना की लंका की यात्रा, आदि। राम लीला का अंतिम दिन राम के हाथों रावण के वध के साथ मेल खाता है। राम लीला का यह अंतिम कार्य अधिक लोकप्रिय है और “जय श्री राम” के नारे लगाते हुए दर्शकों के सामने रावण के एक बड़े पुतले को जलाने की आवश्यकता है।

दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म के बहुत ही मूल दर्शन को दर्शाता है, जो सत्य और धार्मिकता का शाश्वत प्रसार है। बुराई के सामने सत्य कितना भी छोटा क्यों न हो, उसे दबाया नहीं जा सकता और हमेशा विजयी होता है।

दशहरा पर निबंध 500 शब्द (long Essay Dussehra 500 words in Hindi)

दशहरा जिसे ‘विजयदशमी’ भी कहा जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह दीपावली और होली के बाद भारतीय हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। निबंध में हम दशहरा के समय, पौराणिक कथाओं, उत्सवों और महत्व के बारे में जानेंगे।

दशहरा कब मनाया जाता है?

दशहरा का त्यौहार हिंदू लूनिसोलर कैलेंडर के अश्विन या कार्तिक महीने के दसवें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के ग्रेगोरियन कैलेंडर महीने से मेल खाता है।

यह त्योहार नौ दिनों तक चलने वाली दुर्गा पूजा के दसवें दिन और दीपावली के त्योहार से 20 दिन पहले आता है।

पौराणिक कथा ( mythology )

दशहरा उत्सव की कथा भगवान राम और राक्षस राजा रावण पर उनकी जीत से जुड़ी है। राम, अयोध्या के राजकुमार दंडक वन (दक्षिणी भारत) में अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पर थे।

घटनाओं के बदले में, रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लिया गया, जो उसे अपने राज्य ‘लंका’ ले गया, जो वर्तमान श्रीलंका में था। राम एक महान राजकुमार थे जो अपने तीरंदाजी कौशल और नैतिक मूल्यों के लिए जाने जाते थे। वह शुभचिंतकों को संगठित करने और सीता को मुक्त करने के लिए रावण के साथ युद्ध के लिए उकसाने में सक्षम था।

रामायण युद्ध लगभग 13 दिनों तक चला और अंत में राम रावण को मारने में सफल रहे। वास्तव में यह बुराई पर अच्छाई की जीत थी। इस दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

युद्ध के 20 दिन बाद राम अयोध्या लौटे और इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा उत्सव

दशहरा का त्यौहार पूरे देश में असाधारण उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्योहार की तैयारी महीनों पहले से की जाती है। दशहरा घरों में नहीं मनाया जाता है बल्कि यह सामुदायिक मेले की तरह अधिक होता है, जिसे समाज में अन्य लोगों के साथ मिलकर मनाया जाता है।

दशहरा नौ दिनों तक चलने वाले दुर्गा पूजा उत्सव के बाद मनाया जाता है, जो इस त्योहार को और भी भव्य बना देता है। मेले कई स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं जहां लोग अपने परिवारों के साथ अस्थायी दुकानों के माध्यम से खरीदारी करने और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चखने के लिए जाते हैं।

दशहरा उत्सव की एक और महत्वपूर्ण घटना रावण का एक बड़ा पुतला है जिसे शाम को जलाया जाता है। पुतला आमतौर पर बड़े मैदानों और बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर रखा जाता है। इसे देखने वालों के लिए सुरक्षित दूरी पर भी बैरिकेडिंग की गई है। पुतले को आतिशबाजी से भी लदा जाता है जो इसे जश्न का माहौल देता है। जब पटाखों के साथ पुतला जलता है, तो भीड़ अपार खुशी और उल्लास के साथ तालियां बजाती है। यह वाकई देखने लायक नजारा है।

दशहरे का महत्व

यह त्योहार भारतीय हिंदू समुदाय के लिए दो मुख्य कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह हिंदू धर्म के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक, भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है। दूसरे, यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है और यह संदेश देता है कि बुरी ताकतें कितनी भी बड़ी क्यों न हों, आखिरकार वे सच्चाई और नैतिकता से हार जाएंगी।

दशहरा का त्योहार और इसका संदेश हिंदू मान्यताओं और रीति-रिवाजों के सच्चे परिपक्व होने का आधार है। लगभग हर हिंदू त्योहार में एक संदेश होता है जो धार्मिकता, सच्चाई और नैतिक उच्चता का प्रतीक है।

राम की पूजा इसलिए नहीं की जाती है क्योंकि वह एक राजकुमार थे, बल्कि इसलिए कि वे एक महान राजकुमार थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों और धार्मिकता को भौतिक संपत्ति से ऊपर रखा। राम की महिमा ऐसी थी कि भारत के लगभग हर राज्य में उनके शुभचिंतक थे। यह त्योहार नैतिक धार्मिकता का प्रतीक है और हर हिंदू दिल से राम को अपना आदर्श मानता है।

भारत के हिंदू हजारों वर्षों से दशहरा मनाते आ रहे हैं और आने वाली सहस्राब्दियों तक इसे उसी जोश और जुनून के साथ मनाया जाएगा। समय के साथ तरीके और अनुष्ठान बदल सकते हैं लेकिन त्योहार का महत्व वही रहेगा।

दशहरा पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 हम दशहरा का त्योहार कब मनाते हैं.

उत्तर. दशहरा का त्योहार हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के दसवें दिन मनाया जाता है।

Q.2 दशहरा क्यों मनाया जाता है?

उत्तर. दशहरा राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

Q.3 दशहरा उत्सव का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर. दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।

Q.4 दशहरा का त्यौहार कुल्लू दशहरा के रूप में कहाँ मनाया जाता है?

उत्तर. दशहरा का त्योहार हिमाचल प्रदेश में कुल्लू दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

Q.5 दशहरा से पहले नौ दिनों के दौरान कौन सा नाटक आयोजित किया जाता है?

उत्तर. दशहरा से नौ दिन पहले रामलीला का मंचन किया जाता है।

Q.6 दशहरे के दिन किसके पुतले जलाए जाते हैं?

उत्तर. दशहरे के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं।

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दशहरा पर निबंध: Essay on Dussehra in Hindi [2023]

यह लेख दशहरा पर हिंदी में निबंध प्रदान करता है। यहां लिखे गए निबंध 100 शब्दों में, 500 शब्दों में और 600 शब्दों में हैं।.

Sakshi Kabra

दशहरा पर निबंध (100 शब्दों में)

दशहरा पर निबंध (500 शब्दों में) .

भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहारों में से एक, "दशहरा" है। यह त्योहार हर साल विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है और भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का आयोजन खुद भगवान राम के जीवन के महत्वपूर्ण घटना के रूप में किया जाता है और यह धर्म, संस्कृति, और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दशहरा का महत्व:

दशहरा का आयोजन भगवान राम, उनकी पत्नी सीता, और उनके भक्त हनुमान के महान कार्यों की स्मृति में किया जाता है। इसे रामलीला के रूप में मनाया जाता है, जिसमें रामायण की कथा का प्रस्तुतिकरण किया जाता है। यह कथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यह दिखाती है कि सत्य, धर्म, और न्याय हमेशा जीतते हैं।

  • भगवान राम: भगवान राम रामलीला के प्रमुख पात्र होते हैं, और उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
  • सीता: सीता, भगवान राम की पत्नी, उनकी पतिव्रता और नरी शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की जाती है।
  • रावण: रावण दुर्जन और अधर्मी का प्रतीक होता है, और उसकी पहचान के लिए दशहरा के दिन उसकी रणनीतियों की प्रस्तुति की जाती है।
  • हनुमान: हनुमान, भगवान राम के भक्त, उनके विश्वास और सेवा के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

दशहरा की तैयारियाँ:

दशहरा के पूर्व, स्थानीय समुदायों और लोगों की तरफ से रामलीला की तैयारियाँ शुरू होती हैं। लोग रोज़ कुछ घंटे रात को मिलकर कथा की प्रस्तुति करते हैं और अभिनेता और नृत्यगायक की भूमिका में रंगमंच पर नाटक का प्रस्तुतीकरण करते हैं।

दशहरा के दिन:

दशहरा के दिन, रामलीला के आयोजन के बाद, एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। इसमें स्थानीय वस्त्र, आभूषण, खिलौने, और फिरकी आदि की विभिन्न चीजें बिकती हैं। मेले में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, और रावण के पुतले बिकते हैं, जिन्हें घर ले जाकर पूजा किया जाता है।

दशहरा के दिन कुछ स्थानों पर रामलीला का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है, और लाखों लोग इसे देखने के लिए आते हैं। यहाँ भगवान राम की कथा को प्रस्तुत करने के लिए पेशेवर अभिनेता और कलाकार होते हैं, और वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। यह एक जीवंत नाटक होता है जो लोगों को भगवान राम के जीवन और उनके महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जागरूक करता है।

दशहरा पर निबंध (600 शब्दों में)

भारत, विविधता और धर्मिकता का देश है, जहाँ अनगिनत त्योहार और उत्सव हर साल मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में से एक है "दशहरा," जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय संस्कृति में एक अद्वितीय स्थान रखता है। दशहरा का महत्व, परंपरा, और मनाने के तरीके के साथ इस निबंध में जानते हैं।

दशहरा, भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है "विजय का दिन।" इस त्योहार का महत्व रामायण की कथा में है, जिसमें भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को रावण के कब्जे से मुक्त किया था। यह त्योहार भगवान राम के प्रमुख भक्तों और हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है और इसके माध्यम से वे अपने ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकटीकरण करते हैं।

दशहरा का आयोजन:

दशहरा के दिन, लोग विभिन्न रूपों में रामलीला का आयोजन करते हैं, जिसमें रामायण की कथा का प्रस्तुतीकरण किया जाता है। यह एक आदर्श तरीका है जिससे लोग भगवान राम के जीवन और महान कार्यों के बारे में जान सकते हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपना सकते हैं।

रामलीला का आयोजन किसी स्थानीय मंच पर किया जाता है, और लोग ख़ास उपयुक्तता के साथ इसमें भाग लेते हैं। इसमें नृत्य, गीत, और अद्वितीय प्रस्तुतियाँ शामिल होती हैं, जो कथा की रूपरेखा को प्रस्तुत करती हैं। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, और रावण के पात्र विशेष ध्यान दिया जाता है और उनकी प्रस्तुतियाँ बड़ी ही आकर्षक होती हैं।

  • भगवान राम: भगवान राम, रामलीला के प्रमुख पात्र होते हैं, और उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं प्रस्तुत की जाती हैं। उनकी पत्नी सीता को रावण के अधिकार से मुक्त कराने के लिए उन्होंने अनगिनत कठिनाइयों का सामना किया था। वे न्याय, धर्म, और सत्य के प्रतीक होते हैं, जो हमें अपने जीवन में अनुसरण करने की प्रेरणा देते हैं।
  • सीता: सीता, भगवान राम की पत्नी, उनकी पतिव्रता और नरी शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की जाती है। उनकी आदर्श प्रेम और वफादारी के प्रतीक के रूप में जानी जाती है, जिन्हें भारतीय समाज में मान्यता दी जाती है।
  • लक्ष्मण: लक्ष्मण, भगवान राम के चोटे भाई, उनके साथ समय बिताने वाले अद्वितीय भक्त होते हैं। वे भगवान राम के आदर्श भ्राता होते हैं और उनके लिए जीवन की सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।
  • हनुमान: हनुमान, भगवान राम के भक्त, उनके विश्वास और सेवा के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। हनुमान बल, वीरता, और समर्पण के प्रतीक होते हैं, और उनके भक्ति और प्रेम का प्रतीक होते हैं।
  • रावण: रावण दुर्जन और अधर्मी का प्रतीक होता है, और उसकी पहचान के लिए दशहरा के दिन उसकी रणनीतियों की प्रस्तुति की जाती है। रावण की दस heads की प्रतिष्ठा के बावजूद, उसकी अधर्मिकता और अहंकार ने उसे पराजित किया था, जो दशहरा के सन्देश का हिस्सा है।

दशहरा की तैयारी:

दशहरा के पूर्व, स्थानीय समुदायों और लोग रामलीला की तैयारीयाँ करते हैं। रामलीला का आयोजन ध्वज ध्वंसक, वीर लक्ष्मण, सीता, और हनुमान जैसे पात्रों के वस्त्र, मेकअप, और सेट के लिए आवश्यक उपकरणों की तैयारी के साथ होता है। लोग निरंतर रामलीला की प्रैक्टिस करते हैं, ताकि वे कथा का श्रेष्ठ प्रस्तुतीकरण कर सकें।

दशहरा के दिन, रामलीला के आयोजन के बाद, एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला अक्तूबर और नवम्बर के महीनों में मनाया जाता है और लोग इसमें उपन्यास, रंगमंच नाटक, और खिलौने आदि की विभिन्न चीजों का आनंद लेते हैं। 

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Dussehra Essay in English

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Essay on Dussehra in Hindi for Students

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दशहरा पर निबंध: दशहरा हिंदू पर्व है, जिसका महत्व ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के रूप में माना जाता है। छात्रों को इस पर्व पर निबंध लिखने को स्कूल में कहा जाता है, ताकि उन्हें इस पर्व के महत्व का पता चले और वे दशहरे के प्रति उत्सुक रहें। इस निबंध के माध्यम से हम आपको दशहरे के महत्व को सरल शब्दों में समझाएंगे, ताकि छात्रों को इस पर्व की विशेषता समझने में आसानी हो।

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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 100 शब्दों में

दशहरा भारत में एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को अच्छाई की जीत और पवित्रता की विजय के संदेश के रूप में माना जाता है। कई स्थानों पर इस अवसर पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जहां परिवार के सभी सदस्य एकजुट होकर रावण दहन, आतिशबाजी, और रामलीला का नाटक देखते हैं। यह पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है और भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 200 शब्दों में

दशहरा, जिसे “विजयादशमी” भी कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान राम की विजय की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के ब्रिटिश गुलामी से स्वतंत्रता प्राप्त करने के 75 साल के आवसर को याद करने के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमारे राष्ट्रीय एकता, गर्व और जागरूकता का प्रतीक है।

भारत की आजादी की लड़ाई ने कई दशकों तक चली और इसमें अहिंसा, नागरिक अवज्ञा और जनसमूह के मध्य की एकता की भावना शामिल थी। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, और बेहद साहसी स्वतंत्रता सेनानियों ने इस स्वतंत्रता संग्राम का मार्गदर्शन किया और देश की आजादी के लिए अपने जीवन की कुर्बानियाँ दी।

दशहरा का अद्भुत महत्व है, जो हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, उनके अटल संकल्प, और एक सशक्त और समृद्ध भारत के लिए उनके दृष्टिकोण की याद दिलाता है। यह महोत्सव हर नागरिक के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है।

इसके साथ ही, दशहरे के दौरान देश के विभिन्न संस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिससे देश की सांस्कृतिक धरोहर और उपलब्धियों का प्रदर्शन किया जाता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति को दर्शाती है।

इस दिन के साथ हम नहीं सिर्फ हमारे अतीत को याद करते हैं, बल्कि न्याय, समानता, और समावेशन के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करने का भी संकल्प लेते हैं। साथ ही, इस महोत्सव के माध्यम से हम देश के भविष्य को और भी उत्साहित करते हैं, युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता, लोकतंत्र, और समानता के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए। हम अपने पिता-पूर्वजों के बलिदान को याद रखकर, हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखकर, और साथ मिलकर हमारे प्यारे देश के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की बनावट कर सकते है।

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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 300 शब्दों में

दशहरा हिन्दू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसके पारंपरिक और धार्मिक महत्व का बहुत गहरा संबंध है और भारतीय लोग इसे उत्साह और आस्था से मनाते हैं।

इस त्योहार में बुराई पर पुण्य की जीत का संकेत है, और लोग इसे विभिन्न रीति-रिवाज, पूजा-पाठ के साथ मनाते हैं। धार्मिक लोग व्रत रखते हैं, और कुछ लोग दशहरा के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं ताकि वे देवी दुर्गा के आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त कर सकें। दसवें दिन को लोग असुर राजा रावण की पराजय के रूप में मनाते हैं। दशहरा हर साल सितंबर और अक्टूबर के अंत में आता है, दीवाली के दो सप्ताह पहले।

रामलीला का आयोजन

देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा के त्योहार का आयोजन अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। कहीं-कहीं यह दस दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि अन्य स्थानों पर रामलीला का आयोजन सात दिन या अधिक के लिए किया जाता है। यहां तक कि शहर के हर कोने में रामलीला दर्शन के लिए होती हैं। रामलीला वाचिक में भगवान राम के कथानक ‘रामायण’ का प्रदर्शन करने की एक प्रसिद्ध परंपरा है। इसे माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम भगवान की कहानी की शुरुआत की, जो बाद में ‘रामायण’ कही गई। उनके द्वारा लिखित ‘रामचरितमानस’ आज भी रामलीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका प्रदर्शन अनेक स्थलों पर किया जाता है, जिससे यह परंपरा जीवित रहती है। रामनगर की ‘राम लीला’ (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

विजयदशमी के मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो राम लीला को स्पष्ट करती है। यह कथा सीता माता के अपहरण की कहानी को संवादित करती है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की पराजय को और राजा राम की विजय को दिखाती है। असली लोग राम, लक्ष्मण, सीता, और हनुमान की कहानी का अभिनय करते हैं, जबकि रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले बनाए जाते हैं। आखिरकार, बुराई पर अच्छाई की जीत को प्रमोट करने के लिए रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिए जाते हैं, और पटाखों के बीच इस उत्सव का आनंद उठाया जाता है।

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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 500 शब्दों में

लक्ष्मण द्वारा रावण की बहन की नाक काट देने के कारण, लंकेश, लंका के राजा, बहुत खफा हुए और माता सीता का अपहरण किया। रावण जानते थे कि सीता एक साधारण स्त्री नहीं थी, उनका हरण आसान नहीं होगा क्योंकि सीता के पास मायावी शक्तियां थी, जिन्होंने उन्हें सुरक्षित रखा। इसलिए रावण ने एक साधु के रूप में आकर छल के द्वारा माता सीता का हरण किया और उसे अपने राज्य ‘लंका’ में ले जाया, जो वर्तमान में श्रीलंका के नाम से जाना जाता है।

दशहरा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • कहा जाता है कि अगर रावण का वध भगवान राम ने नहीं किया होता तो सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता।
  • दशहरा का महत्व इस रूप में भी होता कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था।
  • महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था, उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया, महिषासुर और शक्‍ति (माँ दुर्गा) के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और आखिरकार मां ने 10 वें दिन विजय हासिल कर ली।
  • ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में देवी मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं।
  • एक मान्यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के द्वारा 10 बुराइयाँ जिनके रूप में पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, और अन्याय थे, को ख़त्म किया था।
  • ऐसा लोगों का मानना है की मैसूर के राजा के द्वारा 17वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाई गयी थी।
  • मलेशिया में दशहरा पर राष्ट्रीय अवकाश होता है, यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है।
  • दशहरा भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का महत्व दर्शाता है. रावण को हराने के लिए श्री राम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और आर्शीवाद के रूप में मां ने रावण को मारने का रहस्‍य बताया था।

विजयादशमी एक अद्भुत पर्व है, जो लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई के प्रति अच्छाई की जीत, और नई आग्रह की भावना लाता है। भगवान राम ने रावण को पराजित कर बुराई का समापन किया था। साथ ही, माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का नाश किया था। नौ दिनों की माँ की पूजा के बाद विजयादशमी आती है। इस दिन घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।”

Ayodhya Ram Mandir: History, Facts, Constructional Aspects and Other Features

दशहरा पर निबंध 10 लाइन (Essay on Dussehra 10 lines in Hindi)

  • दशहरा त्यौहार में हम देवता राम के रावण पर विजय का स्मरण करते हैं।
  • दशहरा उत्सव बुराई और अहंकार के खिलाफ नैतिक मूल्यों और धर्म का पालन करने का प्रतीक है।
  • दुर्गा, लक्ष्मी, और गणेश की मूर्तियों के जुलूस में लोग गाते और नृत्य करते हैं, यह एक पारंपरिक तरीका है।
  • रावण के दस सिर चार वेदों और छह “शास्त्रों” की समझ के लिए हैं, और कुछ लोग इन्हें 10 मानव दोषों के प्रतीक के रूप में देखते हैं।
  • दशहरा उत्सव के दौरान, भारत के विभिन्न भागों में दुर्गा की जीत को याद करते हैं और धर्म को बहाल करने का संकल्प बनाते हैं।
  • दुर्गा पूजा के दौरान, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है, भक्त उपवास करते हैं।
  • दशहरा उत्सव के दौरान, कुछ लोग दुर्गा पूजा के समापन पर दशहरा उत्सव मनाते हैं और धर्म को बहाल करने और उसकी रक्षा करने के लिए महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को याद करते हैं।
  • दशहरा उत्सव के दौरान, कुछ लोग अपनी कारों की पूजा करते हैं और उन्हें फूलों और अगरबत्तियों से सजाते हैं।
  • दुनिया में सबसे प्रसिद्ध दशहरा उत्सव उत्सव में भाग लेने के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी की ओर आकर्षित करता है।
  • दिवाली, सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध है।

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Essay on Dussehra FAQs

दशहरे पर निबंध कैसे लिखते हैं.

दशहरे पर निबंध लिखने के लिए, प्रस्तावना, इतिहास, महत्व, मनाने के तरीके, और अपने विचारों को समापन में व्यक्त करें।

दशहरे के दिन क्या करना चाहिए?

दशहरे के दिन माता दुर्गा की पूजा करें, रावण दहन में भाग लें, और सामाजिक समरसता का संदेश बढ़ावा दें।

दशहरे के दिन क्या करें क्या ना करें?

दशहरे के दिन माता का पूजन करें, बुराई के प्रति अच्छाई की तरफ उत्साह दिखाएं, और किसी को नुकसान नहीं पहुँचाएं।

दशहरा क्यों मनाया जाता है पर निबंध?

दशहरा मनाया जाता है क्योंकि यह पर्व बुराई की जीत और अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जिसे भगवान राम ने रावण को पराजित करके प्राप्त किया था।

दशहरा हमें क्या सिखाता है?

दशहरा हमें बुराई के प्रति लड़ाई करने, अच्छाई की ओर बढ़ने, और समरसता का महत्व सिखाता है।

दशहरा पर्व का क्या महत्व है?

दशहरा पर्व बुराई की हार और अच्छाई की जीत का संदेश देता है और हमें धर्मिकता, सामराज्य, और सामाजिक समरसता के महत्व को याद दिलाता है।

दशहरा त्योहार किसका प्रतीक है?

दशहरा त्योहार भगवान राम की विजय का प्रतीक है, जब वह रावण को पराजित करके अयोध्या लौटे थे।

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[Free PDF Download] दशहरा पर निबंध हिंदी में 300, 500, 800 और 1000 शब्दों में | Dussehra Essay in Hindi for School Students | 10 Lines on Dussehra

Lalit Rohilla

Table of Contents

dussehra essay in hindi class 9

(300 शब्दों में) दशहरा पर निबंध हिंदी में | Essay on Dussehra in Hindi (300 words)

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सबसे अधिक मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। इस निबंध में, हम दशहरे से जुड़े महत्व, रीति-रिवाजों और उत्सवों के बारे में जानेंगे।

दशहरा – बुराई पर अच्छाई का त्योहार: 

दशहरा पूरे भारत में बेहद खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह नवरात्रि के दसवें दिन पड़ता है, जो राक्षस राजा, रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है।

यह त्यौहार नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा के साथ शुरू होता है, जो नौ दिनों तक चलता है। दसवें दिन, खुले मैदान में रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और उसके पुत्र मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। यह कार्यक्रम, जिसे “रावण दहन” के नाम से जाना जाता है, उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग राम लीला भी करते हैं, जो भगवान राम के जीवन का एक नाटकीय पुनर्मूल्यांकन है।

अंत में, दशहरा एक जीवंत और आनंदमय त्योहार है जो हमें धार्मिकता का महत्व और बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाता है। यह पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिससे विभिन्न समुदायों के लोग एकता और सद्भाव की भावना से एक साथ आते हैं।

भारतीय त्योहारों और परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए, हमारे ब्लॉग aaravhindi.com पर जाएँ।

(500 शब्दों में) दशहरा पर निबंध हिंदी में | Essay on Dussehra in Hindi (500 words)

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। इसका अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है और इसे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस निबंध में, हम दशहरा से जुड़े इतिहास, रीति-रिवाजों और उत्सवों के बारे में गहराई से जानेंगे।

दशहरा – बुराई पर अच्छाई की जीत:

दशहरा नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव के समापन का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह मुख्य रूप से महाकाव्य रामायण से जुड़ा है, जहां भगवान राम ने, देवी दुर्गा के आशीर्वाद से, एक भयंकर युद्ध के बाद राक्षस राजा रावण को परास्त किया था।

यह त्योहार नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा के साथ शुरू होता है। नौ दिनों में से प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप को समर्पित है, जो स्त्री शक्ति और दिव्यता पर जोर देता है। दसवें दिन, जिसे दशहरा या विजयादशमी के नाम से जाना जाता है, खुले मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। यह अनुष्ठान, जिसे “रावण दहन” के नाम से जाना जाता है, बुराई पर सदाचार की जीत का प्रतीक है।

दशहरा उत्सव का एक और अभिन्न हिस्सा राम लीला है, जो भगवान राम के जीवन और यात्रा का एक नाटकीय पुनर्मूल्यांकन है। लोग इन प्रदर्शनों को देखने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो अक्सर संगीत और नृत्य के साथ होते हैं।

दशहरा एक ऐसा त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का सार बताता है। यह खुशी, भक्ति और एकता का समय है क्योंकि विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग इस शुभ अवसर का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा, राम लीला की भव्यता और रावण दहन का नजारा दशहरा को वास्तव में एक यादगार त्योहार बनाता है।

भारतीय त्योहारों और परंपराओं के बारे में अधिक जानने के लिए, हमारा ब्लॉग aaravhindi.com देखें।

(800 शब्दों में) दशहरा पर निबंध हिंदी में | Essay on Dussehra in Hindi (800 words)

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो पूरे भारत में अत्यधिक उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और लाखों लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। इस निबंध में, हम दशहरा के बहुमुखी पहलुओं का पता लगाएंगे, जिसमें इसकी ऐतिहासिक जड़ें, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक महत्व और इसके साथ होने वाले भव्य उत्सव शामिल हैं।

नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाने वाला दशहरा भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ है। इसकी उत्पत्ति का पता प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण से लगाया जा सकता है। इस महाकाव्य के अनुसार, भगवान विष्णु के सातवें अवतार, भगवान राम, अपनी प्यारी पत्नी सीता को राक्षस राजा रावण के चंगुल से बचाने के लिए एक वीरतापूर्ण यात्रा पर निकले।

यह त्योहार देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों की भक्ति और पूजा की अवधि, नवरात्रि की शुरुआत के साथ शुरू होता है। प्रत्येक दिन देवी की एक अलग अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो उनकी विभिन्न विशेषताओं और शक्तियों का प्रतीक है। यह अवधि उपवास, प्रार्थना और सांस्कृतिक प्रदर्शन द्वारा चिह्नित है।

दसवें दिन दशहरा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। केंद्रीय कार्यक्रम “रावण दहन” नामक समारोह में रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और उसके पुत्र मेघनाद के पुतले जलाना है। यह कृत्य बुराई पर धर्म की जीत और भगवान राम की अंतिम विजय का प्रतीक है।

दशहरे के सबसे मनोरम पहलुओं में से एक है राम लीला का प्रदर्शन। यह नाटकीय अधिनियमों की एक श्रृंखला है जो भगवान राम के जीवन और साहसिक कार्यों को दर्शाती है। ये प्रदर्शन अक्सर विस्तृत होते हैं और संगीत, नृत्य और जटिल वेशभूषा के साथ होते हैं। समाज के सभी क्षेत्रों से लोग रामायण के रोमांचक प्रसंगों को देखने के लिए एकत्रित होते हैं।

दशहरा नैतिक मूल्यों और धार्मिकता के महत्व की याद दिलाने का भी काम करता है। यह हमें सिखाता है कि, अंततः, अच्छाई दुष्टता पर विजय पाती है, और सत्य झूठ पर विजय प्राप्त करता है।

दशहरा एक ऐसा त्योहार है जो नैतिकता और आध्यात्मिकता का सार समाहित करता है। यह धार्मिक सीमाओं को पार करता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए लोगों को एक साथ लाता है। भक्ति, सांस्कृतिक प्रदर्शन और शानदार रावण दहन का संयोजन दशहरा को एक यादगार त्योहार बनाता है।

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(1000 शब्दों में) दशहरा पर निबंध हिंदी में | Essay on Dussehra in Hindi (1000 words)

दशहरा, जिसे भारत के कुछ हिस्सों में विजयादशमी के नाम से जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो देश भर में लाखों लोगों के दिलों में गूंजता है। यह एक ऐसा उत्सव है जो दुष्टता पर धर्म की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। इस व्यापक निबंध में, हम दशहरा की ऐतिहासिक जड़ों, रीति-रिवाजों, सांस्कृतिक महत्व और भव्यता का पता लगाएंगे, एक त्योहार जो भारत को खुशी और भक्ति में एकजुट करता है।

दशहरा – परंपरा के धागों की खोज:

दशहरा की जड़ें भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं में गहराई तक फैली हुई हैं। इसका सबसे प्रमुख संबंध महाकाव्य रामायण से है, जो वीरता, भक्ति और सद्गुण और पाप के बीच लड़ाई की एक प्राचीन कहानी है। इस महाकाव्य के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान राम, राक्षस राजा रावण के चंगुल से अपनी प्यारी पत्नी सीता को बचाने के लिए एक खोज पर निकले।

दशहरा का उत्सव नवरात्रि के आगमन के साथ शुरू होता है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित नौ दिनों की अवधि है। नौ दिनों में से प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप का प्रतिनिधित्व करता है, जो उनकी विभिन्न विशेषताओं और शक्तियों का प्रतीक है। भक्त दिव्य स्त्री का सम्मान करने के लिए उपवास करते हैं, प्रार्थना करते हैं और सांस्कृतिक प्रदर्शन में शामिल होते हैं।

दसवें दिन, दशहरा “रावण दहन” नामक एक समारोह में रावण, उसके दुर्जेय भाई कुंभकर्ण और उसके बहादुर बेटे मेघनाद के पुतलों को जलाने के साथ केंद्र स्तर पर आ जाता है। यह अनुष्ठान धार्मिकता की अंतिम जीत और बुरी ताकतों पर भगवान राम की विजय का प्रतिनिधित्व करता है।

दशहरे के सबसे मनोरम पहलुओं में से एक है राम लीला का प्रदर्शन। ये नाटकीय अधिनियम हैं जो भगवान राम के जीवन, साहसिक कार्यों और नैतिक शिक्षाओं को चित्रित करते हैं। प्रदर्शन जटिल होते हैं, अक्सर कई दिनों तक चलते हैं, और संगीत, नृत्य और विस्तृत रूप से डिज़ाइन किए गए सेट के साथ होते हैं। राम लीला एक सांस्कृतिक पुल के रूप में कार्य करती है जो पीढ़ियों को जोड़ती है और बुराई पर अच्छाई की विजय का शाश्वत संदेश देती है।

दशहरा सिर्फ एक त्योहार से कहीं अधिक है; यह नैतिकता और आध्यात्मिकता का एक गहरा पाठ है। यह हमें याद दिलाता है कि सत्य अंततः असत्य पर विजय प्राप्त करेगा, और धार्मिकता दुष्टता पर विजय प्राप्त करेगी।

दशहरा, या विजयादशमी, एक ऐसा त्योहार है जो धार्मिक सीमाओं से परे है और लोगों को बुराई पर विजय और अच्छाई के उत्सव में एकजुट करता है। भक्ति, सांस्कृतिक समृद्धि और रावण दहन का मिश्रण दशहरा को एक अविस्मरणीय अनुभव बनाता है।

दशहरा पर 10 पंक्तियाँ | 10 lines on Dussehra:

  • दशहरा, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है।
  • इसे विजयदशमी भी कहा जाता है और यह आशीर्वाद, उत्सव और खुशी का समय होता है।
  • यह त्योहार आधिकारिक रूप से नवरात्रि के आखिरी दिन मनाया जाता है।
  • इसका महत्व मुख्य रूप से रामायण के कथा से जुड़ा हुआ है, जहां भगवान राम ने रावण को पराजित किया।
  • नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा और व्रत की जाती है और इसके बाद दशहरा का आगाज़ होता है।
  • दशहरा के दिन “रावण दहन” के रूप में रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद की मूर्तियों को जलाया जाता है।
  • इस धार्मिक त्योहार के माध्यम से हमें सच्चे मानवता और आदर्शों की महत्वपूर्ण सिख मिलती है।
  • रामलीला नामक नाटककला भी इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें भगवान राम के कार्यों का विवरण दिखाया जाता है।
  • दशहरा हमें सत्य और न्याय के महत्व की याद दिलाता है, जिसमें अंत में अच्छाई हमेशा बुराई को पराजित करती है।
  • यह त्योहार धार्मिकता और आध्यात्मिकता की महत्वपूर्ण सिख देता है और लोगों को एक साथ आत्मा और भक्ति में जोड़ता है।

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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi)

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दशहरा यानी कि विजयादशमी अपने देश का एक महत्वपूर्ण दिन, इसे हम लोग आयुध-पूजा के नाम से भी जानते हैं। दशहरा प्रतिवर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह की दसवीं को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। विजयादशमी के दिन स्कूल-कॉलेजों में अवकाश रहता है। स्कूलों में बच्चों को दशहरा पर निबंध लिखने को दिया जाता है। दशहरे को हम बुराई पर अच्छाई के जीत के दिन के रूप में मानते हैं। तमाम लोग इस दिन एक-दूसरे को सन्देश भेज कर बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए बधाई देते हैं। आज के अपने इस लेख में हम पढ़ेंगे कि इस वर्ष 2023 में दशहरा कब है, दशहरा कितनी तारीख को है, दशहरा का महत्व क्या है, क्यों मनाया जाता है दशहरा, दशहरा पर कविता, दशहरा पर कोट्स आदि जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Essay on Dussehra for Students in English

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  • Dussehra Essay in 500 Words

दशहरा कब है 2023 में 

इस वर्ष में दशहरा 24 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। भारत में कई ऐसे त्यौहार मनाए जाते हैं जो आपको बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार जो इस बात को चिन्हित करता है वो दशहरा है। यह दिवाली से दो सप्ताह पहले मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दशहरा या विजयादशमी देश भर में अश्विन के महीने के उज्ज्वल पखवाड़े के 10 वें दिन मनाया जाता है। दशहरा (विजयदाशमी, दशरा, या कभी-कभी दशन के रूप में भी जाना जाता है) अश्विन के महीने के दसवें दिन हिंदू चंद्रमा कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के सितंबर या अक्टूबर के अनुरूप होता है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है

दशहरा प्रमुख हिंदू त्यौहारों में से एक है। यह मनाया जाता है क्योंकि कि श्री राम ने 9 दिनों की लड़ाई के बाद दानव राजा रावण को मार डाला और रावण की कैद से अपनी पत्नी देवी सीता को मुक्त करा लिया। इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को मार डाला, और इसलिए ये आज भी विजयदाश्मी के रूप में मनाया जाता है। लोग प्रार्थना करते हैं और आज भी देवी दुर्गा से आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने देवी दुर्गा की शक्ति के लिए प्रार्थना की थी। भगवान राम जिन 108 कमल से प्रार्थाना कर रहे थे उसमें से एक कमल हटा दिया जिसके साथ वह प्रार्थना कर रहे थे। जब श्री राम उनकी प्रार्थनाओं के अंत तक पहुंचे और महसूस किया कि एक कमल गायब था, तो उन्होंने अपनी आंखों को काटना शुरू कर दिया (क्योंकि उनकी आंखें कमल का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनके लिए एक और नाम कमलनायन है) अपनी प्रार्थना पूरी करने के लिए। जिससे देवी उनकी भक्ति से प्रसन्न थीं और रावण पर उन्हें विजय दी।

दशहरा का महत्व

दशहरा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। दशहरा त्यौहार का महत्व इसके धार्मिक मूल्य में है। यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाता है। यह रावण पर राम की जीत के सम्मान में पूरे देश में मनाया जाता है। यह आम तौर पर अक्टूबर के महीने में आता है। देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा त्योहार विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। पंजाब में उत्सव लगभग दस दिनों तक जारी रहता है। सीखने वाले पंडित रामायण की कहानियों को पढ़ते हैं। लोग इसे महान सम्मान के साथ सुनते हैं। लगभग हर शहर में, राम लीला कई रातों के लिए आयोजित की जाती है। हजारों लोग इसका आनंद लेने के लिए जाते हैं।

दशहरा लेखन हिंदी में

  • दशहरा पर निबंध
  • दशहरा पर कविता
  • दशहरा पर 10 लाइनें
  • दशहरा पर शुभकामनाएँ, बधाई, मैसेज, स्लोगन

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विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध

Dussehra Essay in Hindi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। यहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग और पंथ के लोग रहते हैं, जो अपने-अपने परंपराओं, संस्कृति और रीति-रिवाज से त्योहारों को मनाते हैं। इसी तरह हिन्दू धर्म के लोग विजयादशमी और दशहरा का पर्व धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह पर्व हिन्दुओं के प्रमुख पर्वों में से एक है।

यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। अश्विन मास की नवरात्रों के बाद विजय पर्व के रुप में इसे पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में जगह-जगह आयोजित होने वाली रामलीला को लेकर बच्चों में खास उत्साह रहता है।

इस पर्व के महत्व को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में बच्चों से निबंध लिखने के लिए भी कहा जाता है। इसलिए आज हम आपको दशहरा पर्व पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं , जिसे आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं-

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Dussehra Essay in Hindi

Dussehra Essay in Hindi

दशहरा और विजयादशमी का पर्व, पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है, जिसका सभी को पूरे साल इंतजार रहता है। अश्विन मास की नवरात्रों के बाद दसवें दिन रावण का पुतला जला कर लोग इस पर्व को मनाते हैं। इस पर्व के दिन लोग अपने अंदर की सभी बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लेते हैं। दशहरा का सभी लोगों के लिए खास महत्व होता है।

कब मनाया जाता है दशहरा का पर्व – When we Celebrate Dussehra

विजयादशमी का पर्व हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के पहले नौ दिन तक दुर्गा मां की आराधना की जाती है। नवरात्रों के बाद दसवें दिन इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।

दशहरा का पर्व क्यों मनाया जाता है? – Why we Celebrate Dussehra

असत्य पर सत्य की विजय के इस पावन पर्व  को मनाने के पीछे कई कहानियां जुड़ी हुई हैं , जिनमें से अत्याधिक प्रसिद्ध और प्रचलित यही कथा है कि इस  दिन भगवान राम ने महापापी राक्षस रावण का वध कर उसे अंहकार का विनाश किया था।

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कैकयी के कहने पर अपने पुत्र भगवान राम को 14 साल के लिए वनवास पर भेज दिया था, तब वनवास के आखिरी सालों में माता सीता का रावण से हरण कर लिया था।

जिसकी वजह से भगवान राम और रावण में भयंकर युद्ध हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि रावण एक महाबलशाली एवं विद्धांन पंडित था, जिसके पास न सिर्फ दैत्यरुपी शक्तियां थी, बल्कि अपार ज्ञान भी था, जिसका उसे बेहद अहंकार था। उसके अहंकार का विनाश करने के लिए ही विष्णु जी ने राम का अवतार लिया था।

वहीं भगवान राम और महाअसुर रावण के बीच हुए युद्द में भगवान राम का हनुमान जी, वानर सेना और रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी उनका साथ दिया और अंत में उन्होंने रावण का वध कर उसके घमंड को चूर-चूर कर दिया था। इसलिए उस दिन से बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में इस पर्व को मनाया जाने लगा है।

इसके अलावा इस पर्व को मनाने के पीछे यह  भी मान्यता है कि माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध कर दशहरे के दिन उसका अंत किया था, इसलिए तभी से इसे विजय पर्व के रुप में मनाते हैं।

दशहरा का पर्व कैसे मनाया जाता है – How We Celebrate Dussehra

इस पर्व को पूरे भारत देश में अलग-अलग रीति रिवाज और परंपरा के साथ मनाया जाता है। कई जगहों पर इस पर्व पर पूरे दस दिन का उत्सव मनाया जाता है, तो कई जगहों पर इस पर्व पर मेले भी लगते हैं। इस पर्व के दौरान जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें कलाकार रामायण के मुख्य किरदार निभाकर भगवान राम और रावण के युद्ध को प्रदर्शित करते हैं और फिर रावण का पुतला फूंक कर इसे मनाते हैं।

इस पर्व का बच्चों को पूरी साल इंतजार रहता है। वे इस पर्व के कई दिन पहले से ही रावण के पुतला बनाने की तैयारी में लग जाते हैं। इस तरह इस पर्व पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। हालांकि, बदलते वक्त के साथ इस पर्व को मनाने का तरीका भी बदलता जा रहा है।

विजयादशमी का पर्व हमें अपने अंदर के क्रोध, ईर्ष्या, बुराई, असत्य, अभिमान, अहंकार आदि को मिटाकर सत्य की मार्ग पर चलते की प्रेरणा देता है। इसलिए हम सभी को मिलकर हर साल अपने अंदर के रावण को मारकर विजयादशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिए और आपस में प्रेम-भाईचारे के साथ रहने का संकल्प लेना चाहिए।

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Dussehra par Nibandh

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे भारत

में धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे आश्विन महीने की नवरात्रों के बाद मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने महादैत्य रावण का विनाश कर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस पर्व को विजय के पर्व  ‘विजयादशमी’ के रुप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन हर तरफ सौहार्दपूर्ण  माहौल देखने को मिलता है। इस त्योहार के बहाने बच्चे जमकर मस्ती करते हैं एवं रावण का पुतला फूंककर इस पर्व का जश्न मनाते हैं।

दशहरा का महत्व एवं इससे जुड़ी रीति-रिवाज

भारत में अलग-अलग राज्यों में लोग इस पर्व को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व है। वे इसे एक बड़े उत्सव के रुप में मनाते हैं। इस दिन को लेकर भगवान राम द्धारा रावण का वध, मां दुर्गा द्धारा महिषासुर का वध, पांडव का वनवास और देवी सती का अग्नि में समाना जैसी कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई है।

इस पर्व के महत्व को समझते हुए लोग अपने अंदर की समस्त बुराई, क्रोध आदि का अंत कर अच्छाई के साथ नए जीवन की शुरुआत करने के रुप में मनाते हैं। विजय का इस पर्व को किसान अपनी फसल पकने की खुशी में तो बच्चे इस त्योहार पर रामलीला को देखने एवं मौज-मस्ती के रुप में मनाते हैं, जबकि बड़े लोग इस पर्व को अपने अंदर छिपे अंहकारी रुपी रावण को मारकर आत्मविजय के रुप में मनाते हैं। इस तरह इस पर्व का सभी लोगों के लिए अलग-अलग महत्व है।

दशहरा उत्सव एवं मेले

दशहरा का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में कई जगहों पर दशहरा उत्सव की तैयारियां कई दिन पहले से ही होने लगती है तो कई जगहों पर इस पर्व पर करीब 10 दिन का भव्य उत्सव होता है एवं मेलों का आयोजन किया जाता है।

दशहरे के मेले में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मेले में एक क्षेत्र के लोग अन्य क्षेत्रों में जाकर अपनी दुकार और स्टॉल लगाते हैं, इसके साथ ही बच्चों की मौज-मस्ती के लिए तरह-तरह के झूले लगाए जाते हैं एवं सर्कस समेत तमाम गतिविधियां होती हैं, जिसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटती है।

विजयादशमी के इस प्रमुख पर्व के मौके पर मंदिरों में रामायण आदि का पाठ भी होता है। इसके साथ ही जगह-जगह नाट्यरुपी रामलीला का मंचन किया जाता है और राम-रावण का युद्ध प्रदर्शित किया जाता है।

वहीं दशहरे के पर्व पर स्कूल, कॉलेज समेत सरकारी दफ्तरों का अवकाश भी घोषित किया गया है। इस पर्व में रोश्नी की चकाचौंध और पटाखों की गूंज से दीपावली के त्योहार के नजदीक आने का भी एहसास होने लगता है।

रामलीला का मंचन

दशहरे के पर्व पर अब जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है। रामलीला के आयोजन को लेकर नवरात्रों से ही तैयारियां होने लगती हैं।

इस मौके पर रामायण के मुख्य पात्र भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, माता कैकयी, दशरथ आदि के किरदार कलाकारों द्धारा निभाए जाते हैं, जबकि रावण एवं उसके छोटे भाई विभीषण और मेघनाथ के कागज के पुतले बनाए जाते हैं, फिर विजयादशमी के पर्व के दिन भगवान राम और महाअसुर रावण के बीच युद्ध दिखाया जाता है, जिसमें अंत में भगवान राम रावण का वध करते हैं, जिसमें रावण को जलाया जाता है, वहीं रावण के पुतले में लगे ढेर सारे पटाखों के जलने  की गूंज से रावण जैसे अहंकारी राक्षस का अंत होता है।

रामलीला देखने में बेहद मनोरंजक होती है एवं इस मौके पर हर तरफ अलग ही माहौल देखने को मिलता है ।

असत्य पर सत्य की जीत के इस पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर जैसे महादैत्य का भी अपनी शक्ति से वध किया था, इसलिए इस पर्व को न सिर्फ भगवान राम की रावण पर विजय के रुप में बल्कि शक्ति के प्रतीक के रुप में भी मनाते हैं। इस दिन हम सभी को अपने अंदर के क्रोध, लोभ , अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या जैसी बुराई को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए और आपस में मिलजुल कर प्रेम-भाईचारे के साथ रहने का वादा करना चाहिए।

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Essay on Dussehra

बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पावन पर्व  आश्विन माह के नवरात्रों के बाद शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारत में बेहद धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को विजय पर्व के रुप में मनाते हैं।

इस पर्व से जुड़ी सबसे प्रचलित पौराणिक कथा भगवान राम और रावण से जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक महादैत्य रावण द्धारा छल से माता सीता का हरण करने पर भगवान राम और रावण का युद्ध होता है, जिसमें भगवान राम अहंकार से भरे हुए रावण का अंत करते हैं, तभी से इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाते हैं।

दशहरा से जुड़े महत्वपूर्ण और दिलचस्प तथ्य – Facts about Dussehra

  • दशहरा के पर्व को न सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल और बांग्लादेश में भी मनाया जाता है, वहीं मलेशिया में इस पर्व पर राष्ट्रीय अवकाश भी रहता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि रावण एक महापापी राक्षस ही नहीं था, बल्कि उसके पास दैत्य शक्तियों के साथ अपार ज्ञान का भंडार भी था, उसे तीनों लोकों का ज्ञान था, जिसका वध करने से पहले भगवान राम को मां दुर्गा की उपासना कर शक्ति प्राप्त करनी पड़ी थी।
  • दशहरा का पर्व भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का ही महत्व बताता है। ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा ने विजयादशमी के पर्व के दिन ही महिषासुर जैसे दैत्य का अंत किया था।
  • वैसे तो दशहरे पर पूरे भारत में अलग ही रौनक देखने को मिलती है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मनाया जाने वाला दशहरा काफी प्रसिद्ध है। इस मौके पर पहाड़ी जाति के लोग अपने लोक देवताओं का जुलूस निकालते हैं औक अनोखा एवं पारंपरिक नृत्य करते हैं।
  • रावण को दस सिर की वजह से दशानन भी कहा जाता है, ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने दशानन का वध कर 10 बुराईयों का अंत किया, जो कि हम सभी के अंदर पाप, ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, अहंकार, स्वार्थ, अन्याय, मोह, अन्याय, काम, जलन आदि के रुप में व्याप्त है।
  • रावण के 10 सिर से लेकर एक यह भी तथ्य जुड़ा हुआ कि वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था, जिसने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर की बलि दी थी, और उसने करीब 10 बार ऐसे किया था, जिसके बाद भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उसके 10 सिरों को लौटा दिए थे।
  • विजयादशमी का यह पर्व असम,ओडिशा और बंगाल में दुर्गा पूजा के रुप में मनाया जाता है, और करीब 5 दिन तक इसका उत्सव मनाया जाता है।
  • दशहरा के पर्व के मौके पर कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में विद्या की देवी सरस्वती, धन की देवी लक्ष्मी और शक्ति देने वाली मां दुर्गा की आराधना की जाती है। यह उत्सव करीब 9 दिन तक चलता है।
  • दशहरा का पर्व मैसूर में सर्वप्रथम मैसूर के राजा द्धारा राजसिंहासन पर बैठने पर जश्न के रुप में मनाया गया था। तभी से यहां दशहरा मनाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं साल 2008 में इस पर्व की लोकप्रियता एवं महत्व को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने इसे राज्योत्तसव के रुप में घोषित कर दिया है।

दशहरा का बदलता स्वरुप

आधुनिकता के इस युग में त्योहारों का मनाने का तरीका भी बदल गया है, वास्तविकता से हटकर त्योहारों को मनाया जाने लगा है। जिसके चलते त्योहारों का महत्व धीमे-धीमे कम होता जा रहा है, जैसे कि अन्य त्योंहारों के तरह दशहरा को मनाने का तरीका भी बदल चुका है।

  • पहले दशहरे के पर्व के दौरान लोग एक-दूसरे के घर मिलने जाते थे, जिससे उनमें आपस में प्रेम और भाईचारा बढ़ता था, लेकिन अब इसकी जगह मोबाइल और इंटरनेट की मैसेज ने ले ली है, अब इस मौके पर लोग अपने सगे-संबंधियों और दोस्तों को मैसेज कर त्योहार की बधाई दे देते हैं।
  • दशहरा के पर्व की तैयारियां पहले घरों में कई दिन पहले से ही होने लगती थी, इस पर्व के दौरान महिलाएं घरों पर तरह-तरह के पकवान बनाती थी, और इस मौके पर आए मेहमानों को खिलाती थी, लेकिन अब बाजार से ही मिठाई या चॉकलेट खाकर ही लोग इस मौके पर मुंह मीठा कर लेते हैं।
  • दशहरे के मौके पर पहले शमी पत्र लेकर अपने मित्रों और परिवार वालों के घर जाते थे, लेकिन अब मिठाई एवं तोहफों ने इसकी जगह ले ली है। जिसके चलते यह फिजूल खर्च के साथ दिखावा का त्योहार बन गया है।
  • पहले इस त्योहार में लोग अपने अंदर के रावण यानि की बुराई को खत्म करने और सत्य के मार्ग पर चलने के संदेश के साथ मनाते थे, लेकिन अब इस मौके पर रावण के पुतले में हजारों रुपए के पटाखे लगाकर उसे जलाने मात्र तक ही यह त्योहार सीमित रह गया है, जिससे फिजूल खर्चा तो होती ही है, साथ ही प्रदूषण भी बढ़ता है।

हम सभी को त्योहारों के महत्व और इसकी वास्तविकता को समझकर अपने त्योहारों को मनाना चाहिए और इन त्योहारों के माध्यम से आपसी रिश्तों में मिठास लाने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि त्योहार हमें न सिर्फ खुद की बुराइयों का अंत कर नई जिंदगी जीने का मौका देते हैं, बल्कि हमारे बीच आपसी प्रेम और भाईचारा को भी बढ़ाने का काम करते हैं।

  • Dussehra Quotes
  • Poem on Dussehra

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1 thought on “विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध”

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Very nice essay on dussehra in hindi. Thanks for sharing

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दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English Language

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध, दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English Language दिया गया हैं. हिंदी और अंग्रेजी भाषा में दशहरा यानी विजयादशमी त्यौहार पर आसान भाषा में यहाँ दो तीन छोटे बड़े निबंध दिए गये हैं. उम्मीद करते है आपको ये लेख पसंद आएगा.

दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English

Short Dussehra Essay In Hindi Language: Dusshera also called Vijayadashami, it is an important festival of India. before 20 days of Diwali Dussehra celebrated, this Dussehra Essay In Hindi And English helpful for students and kinds.

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आज का निबंध, दशहरा पर निबंध 2024 Dussehra Essay In Hindi पर दिया गया हैं. विजयादशमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है. स्कूल स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में यहाँ दशहरा क्या है कब और कैसे मनाते है इसके इतिहास और महत्व पर यहाँ निबंध दिया गया हैं.

हमारे यहाँ पर साल भर तीज त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमे कुछ तीज और कुछ महत्वपूर्ण फेस्टिवल होते हैं. दशहरा हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार हैं. जिन्हें विजयादशमी भी कहते हैं.

दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay) में हम जानेगे आखिर यह पर्व क्यों मनाया जाता है, तथा दशहरा कब हैं. सरल भाषा में लिखे इस हिंदी निबंध लेखन को आप अपने विद्यालय के कार्यक्रम में भी प्रस्तुत कर सकते हैं.

1# Dussehra Essay In English

Dussehra is an important festival of the Hindus. it falls in the month of October. it is celebrated in honor of Rama’s victory over Ravana.

it is celebrated for ten days. in the first nine days, there are dramas. they are based on Ramayana. they tell us that Rama was an obedient son.

he kept his word of honor. he was very brave. he was sacrificing. he was a loving brother and good husband.

on the tenth day, a big fair is held. huge effigies are set up. they are of Ravana, his son meghnath and his brother Kumbh  Karan.

they made of bamboos and paper. fireworks are kept inside. in the evening a procession comes. it represents Rama, Lakshmana, and their armies.

at sunset, Rama shoots arrows at the effigies. the Dussehra festival has a lesson for us. it shows the victory of goodness over evils.

2# दशहरा पर निबंध- Dussehra Essay In Hindi

दशहरा हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। यह रावण पर राम की जीत के सम्मान में मनाया जाता है।

यह दस दिनों तक भारतभर में मनाया जाता है। पहले नौ दिनों में, रामायण पर आधारित नाटक होते हैं। वे हमें बताते हैं कि राम एक आज्ञाकारी पुत्र थे वों एक आदर्श पुरुष थे,

तथा सभी के साथ उनके रिश्ते आदर्श रूप में राम ने निभाया। राम बड़े साहसी थे। तथा बहादुर वीर योद्धा थे, वो एक अच्छे भाई व पति थे.

दशहरे के दसवें दिन एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है. रावण उसका पुत्र मेघनाथ व भाई कुंभकर्ण के विशाल पुतलें बनाए जाते है. जिन्हें बाँस व कागज से बनाया जाता है,

तथा इसके अंदर विस्फोटक सामग्री भरी जाती है. दशहरा की रात को विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है, जिनमें कलाकारों को राम, लक्ष्मण व उनकी सेना के रूप में सजाया जाता है.

रात के समय इन पुतलों में राम द्वारा तीर चलाकर रावण की हत्या की जाती है. बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा का नाटक मनाया जाता है.

3# दशहरा पर निबंध

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में दशहरा भी एक त्यौहार है. यह आसोज सुदी दशमी को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है. कि इस दिन भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी. इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहते है.

दशहरा शरद ऋतू का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. दस दिन पहले से जगह जगह पर रामलीला शुरू होती है. दशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाएं जाते है. इन पुतलों पर फटाखें बांधे जाते है. इससे अनेक प्रकार की आवाजे निकलती है.

इस मौके पर भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की झांकी भी निकलती है. दशहरा पर क्षत्रिय लोग अपने शस्त्रों की पूजा करते है. दशहरा का त्योहार पाप पर पूण्य की और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. इससे हमें अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है.

4# दशहरा पर निबंध / Essay on Dussehra in Hindi

हमारे देश भारत में कई त्योहार जैसे होली, दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, दशहरा आदि त्योहार प्रमुखता से मनाया जाता है. दशहरा आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है, कि इसी दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी, इसलिए इसे विजयदशमी भी कहा जाता है.

इससे पूर्व नौ दिन नवरात्र होते है. इन दिनों जगह जगह रामलीलाएं होती है. दसवें दिन रावण वध की लीला होती है और रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते है.

इस प्रकार यह त्योहार अन्याय पर न्याय, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. विजयादशमी मानव जाति का विजय पर्व है.#

दशहरा क्यों मनाया जाता है – इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, इसी उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है.

दशहरे को विजयदशमी क्यों कहते है – भगवान राम ने लंका विजय के समय समुद्र तट पर नौ दिन तक भगवती विजया की आराधना की थी. भगवती की कृपा से दुष्ट रावण पर राम ने विजय पाई थी. इसलिए दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है.

कैसे मनाया जाता है दशहरा का त्योहार – वर्तमान समय में अपने पारंपरिक रीती रिवाजों के अलावा जगह-जगह मेले आयोजित किये जाते है. जिसमें राम और रावण से जुडी हुई झांकिय होती है. शाम के समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है.

दशहरा पर रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है – दशहरे पर प्रतिवर्ष रावण के पुतले जलते हुए देखकर हमारे मन में यह बात दृढ़ हो जाती है कि अत्याचारी का न केवल अंत बुरा होता है, बल्कि आने वाली पीढियाँ भी उनके कुकृत्यों को कभी क्षमा नही करती है.

विजयादशमी (दशहरा) की रामलीला – रामलीला में श्रीराम के जन्म का, सीता- स्वयंवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध और रावण वध आदि कथा प्रसंगों का प्रदर्शन होता है.

दशहरा की कथा – विजयादशमी को लेकर ऐसी पौराणिक कथा है कि समुद्रतट पर राम ने नौ दिन तक भगवती विजया की उपासना की थी. दसवें दिन रावण पर विजय पाई थी.

ऐसी कथा भी है कि इसी दिन पांडवों ने अन्यायी कौरवों पर विजय पाई थी. इसी तिथि पर देवताओं के राजा इंद्र ने वृत्रासुर नामक दैत्यराज को हराया था. दशमी तिथि को विजय नामक मुहूर्त होता हैं, जो सभी कार्यों में सिद्धिदायक होता है.

दशहरा का महत्व – विजयादशमी के दिन ही श्रीराम ने अन्यायी और दुष्ट रावण पर विजय पाई थी. कौरवों पर पांडवों को और वृत्रासुर दैत्य पर देवराज इंद्र को विजय मिली थी.

इस प्रकार इस त्योहार से अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय की सीख मिलती है. जो कोई अत्याचार या कुकृत्य करता है, उसका विनाश अवश्य होता है. इसलिए हमें भी बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए.

शमी वृक्ष की पूजा-  दशहरे के दिन शमी अर्थात खेजड़ी के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसके पीछे लोगो की धारणा यह है, कि शमी वृक्ष की पूजा से द्रढ़ता और तेजस्विता प्राप्त होती है.

5# दशहरा पर निबंध 2024 | Dussehra Essay In Hindi

हमारा देश त्योहारों का देश हैं. होली दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, दशहरा आदि त्यौहार सम्पूर्ण भारत में आनन्द और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं.

दशहरा हमारे देश का प्रसिद्ध त्यौहार हैं. यह त्यौहार आशिवन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता हैं. यह वर्षा की समाप्ति और शरद के आगमन का प्रतीक हैं.

दशहरे से पहले नों दिन की अवधि को नवरात्र कहते हैं. ये शारदीय नवरात्र कहलाते है. इन नों दिनों में बड़ी धूमधाम से माँ दुर्गा के नों रूपों की सेवा पूजा की जाती हैं.

नवरात्र का प्रथम दिन कलश स्थापना का होता हैं एवं अंतिम दिन अर्थात दसवां दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता हैं. हमारे देश में विजयादशमी (दशहरा) का इतिहास बहुत साल पुराना हैं.

निश्चयपूर्वक नही कहा जा सकता कि यह पर्व कब से मनाया जा रहा हैं. इस पर्व के साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं. ऐसा माना जाता है की सवर्प्रथम अयोध्या के राजा राम ने शारदीय नवरात्र प्रारम्भ की थी उन्होंने लंका विजय के समय समुद्र तट पर नों दिन तक भगवती (विजया) की आराधना की थी.

भगवती की कृपा से उनमे अपार शक्ति का संचार हुआ. तत्पश्चात दशमी के दिन लंका के राजा राक्षसराज रावण का वध करके एक अन्यायी से संसार को मुक्ति दिलाई थी. इसलिए दशहरे को विजयादशमी भी कहा जाता हैं.

यह भी माना जाता हैं कि इस तिथि को वीर पांड्वो ने अन्यायी कौरवों पर विजय प्राप्त की थी.इसी तिथि को देवताओं के राजा इंद्र ने व्रतासुर नाम के दैत्य को हराया था.

इस दशमी तिथि को विजय नामक मुहूर्त होता हैं, जो सम्पूर्ण कार्यो में सिद्धकारक होता हैं. अत: प्राचीनकाल में राजा लोग इसी दिन विजय यात्रा प्रारम्भ करते थे.

सरस्वती-पूजा, शस्त्र पूजा, दुर्गा विसर्जन, नवरात्र पारायण तथा विजय प्राण इस पर्व के महान कर्म हैं. शास्त्रकारों के अनुसार इस दिन शमी वृक्ष ( खेजड़ी) का पूजन किया जाता हैं.

लोगों का विशवास हैं कि शमी वृक्ष की पूजा से द्रढ़ता और तेजस्विता प्राप्त होती हैं. इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को शुभ माना जाता हैं. विजयादशमी के पर्व का सबसे बड़ा आकर्षण रामलीला हैं. आश्विन माह में शुक्लपक्ष प्रारम्भ होते ही जगह-जगह रामलीला होने लगती हैं. और दशमी के दिन रावण का वध के साथ उसका समापन होता हैं.

हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार हैं कि छोटे-बड़े शहरों नगरो के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से रामलीला का आयोजन करते हैं. बड़े-बड़े शहरों में प्रसिद्ध रामलीला-मंडलियो द्वारा रामलीला की जाती हैं. गाँवों में वहां के लोग लोग स्वय अभिनेता बनकर रामलीला करते हैं.

रामलीला का प्रदर्शन प्राय: तुलसीदासजी के प्रसिद्ध गन्थ रामचरित्रमानस के आधार पर होता हैं. राम जन्म, सीता स्वयवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान जी द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध रामलीला के आकर्षक प्रसंग हैं.

रामलीला के दिनों की चहल-पहल देखने लायक होती हैं. देर रात तक दर्शको का आना जाना लगा रहता हैं. विजयादशमी को मेला लगता हैं. दोपहर से ही सड़को पर रंग-बिरंगी पोशाक पह्ने महिलाएं, बच्चे,बूढ़े, जवान सभी मेले में जाते दिखाई देते हैं.

इस दिन बाजार की रौनक बदल जाती हैं. कई प्रकार की दुकाने, झूले, डोलर सज जाते हैं. जहाँ विजयादशमी का मेला लगता हैं, वहाँ एक तरफ मैदान में लंका नगरी का परकोटा तथा रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों को स्थापित किया जाता हैं.

रावण का रूप विशाल और विकराल होता हैं, पुतला बनाने में लकड़िया, बांस की खपच्चिया, रंग बिरंगे कागज और पटाखे आदि काम में लिए जाते हैं.

इस दिन गाँव कई जगह जुलुस भी निकाला जाता हैं, जुलुस में राम,लक्ष्मण, हनुमान तथा वानर सेना की झांकिया सजी रहती हैं. यह जुलुस मुख्य मार्गो से होता हुआ मैदान तक पहुचता हैं.

सूर्यास्त के समय राम द्वारा रावण व कुम्भकर्ण के पुतलों को तथा लक्ष्मण द्वारा मेघनाद के पुतले को जलाया जाता हैं. ये पुतले धू-धू कर जलते हैं, इसमे भरे फटाखे छुटने लगते हैं.

इस द्रश्य को देखकर सब लोग रामचन्द्र की जय का उद्घोष करते हुए प्रसन्नता व्यक्त करते हैं. इस प्रकार दशहरे का त्यौहार अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं.

अत्याचारी रावण को प्रतिवर्ष जलते हुए देखकर हमारे मन में यह बात दृढ हो जाती हैं कि अत्याचारी का न केवल अंत बुरा होता हैं वरन आने वाली पीढ़िया भी उनके कुकृत्यो की कभी क्षमा नही करती, विजयादशमी मानव जाति का विजय पर्व हैं.

6# दशहरा 2024 पर छोटा निबंध कब क्यों और इसका महत्व

दशहरा हिन्दुओं का मुख्य पर्व है जो आश्विन महीने के नवरात्र के बाद शुक्ल दशमी पर मनाया जाता है. इसे दुर्गा पूजा और विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है.

असत्य पर सत्य की, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा के दिन ही भगवान श्रीराम ने अत्याचारी रावण का वध किया था. भारतवर्ष में दशहरा के अवसर पर गाँव गाँव व शहर शहर में रावण के पुतले जलाएं जाते है.

मैसूर का दशहरा, गुजरात का डांडिया नृत्य व पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा दशहरा पर आकर्षण का केंद्र होते है. दशहरा (विजय/विजयादशमी) एक धार्मिक पर्व है जिनमे धर्म, आस्था और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिलता है.

आश्विन शुक्ल की एकम से माँ दुर्गा जिन्हें शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. कि पूजा आराधना आरम्भ हो जाती है. भक्त दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्र में उपवास रखते है.

कुल्लू तथा मैसूर का दशहरा पर्व दुनियाभर में जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार आश्विन दशमी के दिन ही राम जी दैत्य रावण का वध किया था.

दशहरा मनाने का कारण- दशहरा मनाने के पीछे कई कारण जुड़े हुए है. हिन्दू धर्म में प्रचलित पौराणिक कथाओं के मुताबिक आश्विन प्रतिपदा से भगवान् राम और राम का युद्ध आरम्भ हुआ था. जो दस दिन तक चला था.

दस दिन की अवधि तक चले इस युद्ध में रावण को मारने के लिए रामजी ने नौ दिन तक शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा की. फलस्वरूप दसवे दिन रावण को युद्ध के मैदान में मार डाला. तथा माता सीता को लेकर अयोध्या के लिए रवाना हुए.

इस विजय दिवस को हर साल विजयादशमी अथवा दशहरा के रूप में मनाकर रावण का दहन किया जाता है. दूसरी तरफ वर्षा ऋतू की समाप्ति के इस समय फसले पककर तैयार हो जाती है. तथा शरद ऋतू की शुरुआत के रूप में किसान इसे पर्व के रूप में मनाते है.

दशहरा मनाने का तरीका- विजयादशमी में देश भर के हर छोटे बड़े शहर में रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है. कई स्थानों पर दशहरे मेले भी लगते है, जिनमे कोटा का मेला विश्वप्रसिद्ध है. जिसे देखने लोग देश विदेश से आते है.

दशहरे के इस दस दिवसीय पर्व को आश्विन माह की पहली तारीख से रामलीलाओं का दौर शुरू होता है. जिनमें श्रीराम और सीता के जीवन पर आधारित कथा प्रस्तुती दी जाती है.  

मुख्यत राजपूत जाति के लोग इस दिन अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा भी करते है. शमी वृक्ष की पूजा के साथ ही श्रीराम जी की झांकी भी निकाली जाती है. बैंड बाजे सहित लोग श्रद्धा भाव से इस जुलुस में भाग लेते है.

दशहरे का मेला – हर गाँव शहर में दशहरे का मेला लगता है. जहाँ लोग दोपहर से बड़ी संख्या में एकत्रित होने आरम्भ हो जाते है. इस दिन बाजार खिलोनों, तस्वीरों तथा नए वस्त्रो व् मिठाइयो से अट्टे पड़े रहते है.

शाम शुरू होने से पूर्व तक रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के विशालकाय पुतले तैयार किये जाते है. शहर कस्बे के सभी लोग पुरुषोतम श्रीराम के जयकारो के साथ इन पुतलों को जलाते है. भग्वान राम की आरती पूजा के इस इस दशहरे पर्व के मेले का आयोजन प्रसादी के साथ समाप्त किया जाता है.

दशहरे का महत्व- भारतीय जनमानस में त्यौहार और पर्व उत्साह और प्रेम का संचार करते है. जिनमे दशहरा मुख्य है.असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय का यह पर्व प्रतीक है.

जो समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने का संदेश देता है. इस प्रकार के धार्मिक त्यौहार आमजन में जोश और ख़ुशी का संचार करते है. लोग इस अवसर को मंगलकारी मानते है.

7# दशहरा निबंध अनुच्छेद Essay Paragraph On Dussehra In Hindi

दशहरा  हिंदुओ का मुख्य त्यौहार है,  दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है . दशहरा के बारे में- सभी हिन्दू पर्वो में  दशहरे  का महत्वपूर्ण स्थान है.  कोटा का दशहरा  देशभर में प्रसिद्ध है इस दिन बंगाल में विशेष  दुर्गापूजा  का आयोजन भी किया जाता है.

हिंदी पंचाग के अनुसार यह विजय पर्व अश्विन महीने की दशवी तिथि को यानि शारदीय नवरात्र की समाप्ति पर मनाया जाता है. बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य के विजय पर्व दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है. इसे मनाने का स्थान विशेष पर अलग अलग तरीके है. भारत के अतिरिक्त दशहरे को श्रीलंका और बांग्लादेश व अन्य देशों में रहने वाले धर्म के अनुयायी मनाते है.

इसे मनाने की मूल कथा भगवान् श्रीराम से जुड़ी हुई है., 14 वर्ष के वनवास में रावण द्वारा सीता का हरण कर लिया गया था. सीता को छुडाने व् अधर्मी का नाश करने के लिए राम जी ने रावण के साथ कई दिनों तक युद्ध किया.

शारदीय नवरात्रों के दिनों भगवान राम ने शक्ति की देवी दुर्गा की अराधना लगातार नौ दिनों तक की. दुर्गा के सहयोग से राम ने युद्ध के दसवें दिन रावण का वध कर उनके अत्याचारों से मानव जाती को बचाया.

इसी परम्परा को मानते हुए हम हर साल रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर इनके पुतले दशहरे के दिन मनाते है. हंसी ख़ुशी के इस पर्व पर शारदीय नवरात्र की स्थापना पर कलश और मूर्ति स्थापना का विसर्जन भी इसी दिन किया जाता है.

वैसे दशहरा एक प्रतीक पर्व है दशहरे के पुतले को बुराई और समस्त प्रकार की अमानवीय प्रवृति का प्रतीक मानकर जलाया जाता है. ताकि हमारा समाज इस प्रकार की बुराइयों विक्रतियो से मुक्त हो सके. मगर आज दशहरा एक तमाचा मात्र बनकर रह गया है.

कहने भर को बुराई पर अच्छाई का दशहरा मनाने या रावण का दहन करने भर से समाज से बुराइयों का नाश नही होने वाला है. इस दिन हम सभी को अपना विश्लेष्ण करते हुए बुरी आदतों और विचार को त्यागने का संकल्प करना होगा. तभी सच्चे अर्थो में दशहरा मनाने का महत्व सार्थक सिद्ध होगा.

अश्विन की दसवी तिथि को दस सिर के रावण को सच में जलाना है तो काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी इन दस बुरी प्रवार्तियो और आदतों का सर्वप्रथम हमे त्याग करना होगा.

मुख्य रूप से क्षत्रिय वर्ग दशहरा के दिन अपने अस्त्र शस्त्रों की पूजा अर्चना करते है. नवरात्रों के दौरान रामायण की कथा का वाचन होता है. जिसमे योग्य कलाकार राम, रावण, सीता, लक्ष्मण आदि रूप धारण कर मंचन करते है. दशहरे के दिन लकड़ी और काग़ज जिनमे फटाखो से भरे रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों को तीर से मारकर जलाया जाता है.

कुछ मिनटों तक यह पुतला धू-धू कर जलता हुआ पटाखों की गूंज के साथ धरा पर गिर पड़ता है. लोग जय सिया राम के जयकारे करते हुए एक दुसरे को मिठाई से मुह मीठा करवाकर दशहरे की बधाई देते है.

दशहरा या विजयादशमी कथा पूजा विधि महत्व dussehra vrat katha Puja Vidhi importance Dates In India In Hindi

विजयादशमी यानी दशहरा फेस्टिवल इस साल 12 अक्टूबर 2024  को को भारत में मनाया जाएगा। यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता हैं। भगवान् राम ने इसी दिन लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त की थी।

ज्योतिर्निबन्ध में लिखा हैं कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक मुहूर्त होता हैं। दशहरा का यह मुहूर्त सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला होता हैं।

विजयादशमी या दशहरा हमारा राष्ट्रीय पर्व हैं। मुख्य रूप से यह क्षत्रियों का त्यौहार है। दशमी के दिन रामचन्द्रजी की सवारी बड़ी सजधज के साथ निकाली जाती हैं और रावण वध लीला का प्रदर्शन होता हैं, दशहरे के दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता हैं।

दशहरा कब मनाया जाता हैं? (Dussehra 2024 Date) :

जैसा कि ऊपर विदित है, यह विजय पर्व आश्विन (आसोज) महीने की शुक्ल दशमी को दशहरा मनाया जाता हैं । शारदीय नवरात्र (आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी) के अगले दिन विजया दशमी एव इसके ठीक 20 दिन बाद हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली आता हैं ।

वर्ष 2024 मे दशहरा का फेस्टिवल 12 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इसके पूजा समय मुहूर्त समय की जानकारी नीचे दी गई हैं ।

दशहरा या विजयादशमी कथा (dussehra vrat katha kahani Story In Hindi Language) :

एक बार पार्वती ने पूछा कि लोगों मे दशहरा का त्योहार प्रचलित हैं, इसका क्या फल हैं? शिवजी ने बताया आश्विन शुक्ल दशमी को सांयकाल मे तारा उदय के समय विजय नामक काल होता हैं जो सब इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता हैं ।

शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाले राजा को इसी समय प्रस्थान करना चाहिए । इस दिन यदि श्रवण नक्षत्र का योग हैं तो और भी शुभ हैं ।

मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्री राम ने इसी विजयकाल मे लंका पर चढ़ाई की थी । इसलिए यह दिन बहुत ही पवित्र माना गया हैं। और क्षत्रिय लोग इसे अपना प्रमुख त्योहार मानते हैं।

शत्रु से युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल मे राजाओं को अपनी सीमा का उल्लघन अवश्य करना चाहिए। अपने तमाम दल बल को सुसज्जित करके पूर्व दिशा मे जाकर शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।

शमी के सामने खड़ा होकर इस प्रकार ध्यान करे- हे शमी तू सब पापों को नष्ट करने वाला हैं और शत्रुओं को भी पराजय देने वाला हैं, तूने अर्जुन का धनुष धारण किया और रामचंद्र जी से प्रियवाणी काही।

पार्वती जी बोली- शमी पेड़ ने कब और किस कारण अर्जुन का धनुष धारण किया था तथा रामचन्द्र जी ने कब और कैसी प्रियवाणी कही थी, सो क्रपा कर समझाइए ।

शिवजी ने उत्तर दिया- दुर्योधन ने पांडवों को जुए मे हराकर इस शर्त पर वनवास दिया था कि वे बारह वर्ष तक प्रकट रूप से वन मे जहाँ चाहे फिरे, मगर एक वर्ष बिलकुल अज्ञात मे रहे।

यदि इस वर्ष में उन्हे कोई पहचान लेगा तो उन्हें बारह वर्ष और भी वनवास भोगना पड़ेगा। इस अज्ञातवास के समय अर्जुन अपना धनुष बाण एक शमी वृक्ष पर रखकर राजा विराट के यहाँ व्रहन्नला के वेश मे रह रहे थे।

विराट के पुत्र कुमार ने गौओं कि रक्षा के लिए अर्जुन को अपने साथ लिया और अर्जुन ने शमी के व्रक्ष पर से अपना हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त कि। शमी व्रक्ष ने अर्जुन के हथियारों की रक्षा की थी।

विजयादशमी के दिन रामचन्द्र जी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करने के समय शमी व्रक्ष ने कहा था कि आपकी विजय होगी। इसीलिए विजय मुहूर्त मे शमी वृक्ष कि भी पूजा होती हैं।

एक बार युधिष्टर के पुछने पर श्री क्रष्ण जी ने उन्हे बतलाया था हे राजन विजयादशमी के दिन राजा को स्वय अलंकरत होकर अपने दासों और हाथी घोड़ों का श्रंगार करना चाहिए तथा गाजे बाजे के साथ मंगलाचार करना चाहिए।

उसे उस दिन पुरोहित को साथ लेकर पूर्व दिशा में प्रस्थान करके अपनी सीमा के बाहर जाना चाहिए और वहाँ वास्तु पूजा केएआरकेई अष्टदिगपालों तथा पार्थ देवता की वैदिक मंत्रों से पूजा करनी चाहिए। शत्रु की मूर्ति अथवा पुतला बनाकर उसकी छाती में बाण लगाए और पुरोहित वेद मंत्रों का उच्चारण करे।

ब्राह्मणों की पूजा करके हाथी, घोड़ा, अस्त्र, शस्त्र का निरीक्षण करना चाहिए। यह सब क्रिया सीमांत में करके अपने महल को लौट आना चाहिए। जो राजा इस विधि से विजयादशमी या दशहरा करता हैं वह सदा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता हैं।

दशहरा या विजयादशमी महत्व  ( Dussehra / Vijayadashami Mahatv importance In Hindi)

बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की, अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा एक सांकेतिक हिन्दू विजय पर्व हैं। प्राचीन समय में विजयादशमी का पर्व मात्र क्षत्रिय वर्ग तक सीमित था।

आज उन वर्ण व्यवस्था के दायरे से बाहर निकलकर दशहरा सभी वर्ग, संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता हैं। भारत के आधिकारिक त्योहार व पर्वों में भी विजयादशमी को प्रमुखता से गिना जाता हैं।

किसान, मजदूर, अभिनेता, सैनिक, राजनेता सभी व्यवसाय के लोगों द्वारा हर साल नवरात्र के बाद इस खुशी के पर्व को मनाकर समाज, मन से बुराइयों को समाप्त करने की परंपरा का पालन किया जाता हैं।

दशहरा पूजन विधि, Dussehra Puja Vidhi in Hindi

विजयादशमी या दशहरा के दिन किसी नए कार्य अथवा व्यापार की शुरुआत की जा सकती हैं। यदि आप कोई आभूषण अथवा कीमती सामग्री खरीदना चाहते हैं तो दशमी का यह अच्छा अवसर हैं। विजया दशमी 2022 पर ऐसे करें पूजन-

– पूजन कर्ता को सवेरे जल्दी उठकर अपने नित्य कर्मों से निव्रत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। – परिवार के जीतने भी सदस्य इस पूजा हवन मे शामिल होना चाहते है उन्हे नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। – गाय के गोबर के दस कंडे बनाकर उन पर दही का लेपन करे। – नवरात्रि कि स्थापना के समय जो जौ उगाए गए हैं उन्हे इन कंडो पर रखे। – भगवान राम की प्रतिमा पर इन जौ को चढ़ाएँ। – कई स्थानों पर इन्हें परिवारजनों के कान तथा सिर पर आशीर्वाद स्वरूप भी रखा जाता हैं। – इस दिन शमी व्रक्ष की पूजा करनी चाहिए तथा शाम को रावण मेघनाद तथा कुंभकर्ण के दहन मे सम्मिलित होना चाहिए।

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Essay on Dussehra in Hindi: स्टूडेंट्स के लिए दशहरा पर निबंध 100, 150, 250 और 500 शब्दों में 

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  • Updated on  
  • सितम्बर 7, 2023

Essay on Dussehra in Hindi

Essay on Dussehra in Hindi : दशहरा एक बहुत बड़ा हिंदू पर्व है, जिसे लोग ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के रूप में मनाते हैं। एग्जाम के समय स्कूल में बच्चों को दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने को कहा जाता है, जिससे उनको दशहरा के इस पर्व के बारे में पता चले और इसके प्रति उनमें उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे में पूरा ज्ञान प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त कभी-कभी स्टूडेंट्स को शब्द सीमा के आधार पर निबंध लिखने को आता है। इसे देखते हुए आज हम Essay on Dussehra in Hindi के ज़रिए सरल तरीके से इस पर्व की विशेषता बताएंगे, ताकि स्टूडेंट्स को दशहरा पर निबंध आसानी से समझ आए।

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दशहरा पर्व का परिचय, दशहरा पर निबंध (essay on dussehra in hindi) 100 शब्दों में , दशहरा पर निबंध (essay on dussehra in hindi) 150 शब्दों में, दशहरा कब मनाया जाता है, इसलिए मनाया जाता है दशहरा, राम और रावण का युद्ध लगभग कितने दिनों तक चला , दुर्गा पूजा और दशहरा.

दशहरा एक बहुत बड़ा त्योहार है जिसे पूरे भारत देश में लोग बड़े उत्साह के साथ दशहरा मनाते हैं। इस पर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस पर्व में रावण के पुतले का दहन किया जाता है और यह बुराई की शक्ति पर अच्छाई की शक्ति की जीत का प्रतीक माना जाता है। यही नहीं हमारे भारत देश के कुछ क्षेत्रों में दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं दशहरा पर निबंध के कुछ सैंपल निबंध। 

100 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –

दशहरा भारत देश में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार में से एक है। यह पर्व उस उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण को हराया था। उस दिन सभी को एक संदेश मिला था कि हमेशा अच्छाई और पवित्रता बुराई पर विजय प्राप्त करती है। कई शहरों और गांवों में इस पर्व के दिन मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य तैयार होकर दशहरे में रावण दहन, आतिशबाजी और स्थानीय रंगमंच समूह रामलीला का नाटक देखने जाते हैं। जो रामायण की प्रसिद्ध पौराणिक कथाओं पर आधारित होती है। 

Essay on Dussehra in Hindi

150 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –

दशहरा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे भारत देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दशहरा भारत देश में सभी जगह समान्य रूप से मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लेकिन देखा जाए तो इस पर्व को मनाए जाने के पीछे दो मुख्य कारण भी हैं, पहला यह कि इस दिन भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध करके उसका वध किया था और वहीं दूसरी वजह यह कि माता दुर्गा द्वारा राक्षसों के साथ नौ दिनों तक भयंकर युद्ध के बाद उनका का संहार किया था। 

इसलिए कहा जाता है की इस दिन बुराई का अंत हुआ था और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। भारत देश सालों से इस दिन को विजयादशमी भी कहते हैं। क्योंकि देवी दुर्गा की नौ दिनों तक पूजन के पश्चात् लोग दशमी के दिन रावण का पुतला जलते हैं और इस दशहरे के पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मानते हैं। 

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 250 शब्दों में

दशहरा या विजयदशमी त्योहार जोकि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। इस सैंपल 250 शब्दों में दशहरा पर निबंध में आप दशहरा के समय, पौराणिक कथा और महत्व के बारे में जानेंगे।

दशहरा का त्यौहार हिंदू लूनिसोलर कैलेंडर के अनुसार अश्विन या कार्तिक माह में 10वें दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर माह से मिलता-जुलता है। यह त्योहार नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दसवें दिन और दीपावली से 20 दिन पहले मनाया जाता है।

दशहरा का ये तयौहार मुख्य रूप से भगवान राम और रावण पर उनकी विजय से जुड़ा है। भगवान राम को कौन नहीं जनता है, यह पर्व अयोध्या (Ayodhya) के राजकुमार राम की है, जिनका विवाह मिथिला की राजकुमारी सीता से हुआ था। राम और सीता के विवाह के पश्चात राम को उनके पिता राजा दशरथ के वचनवद्ध होने के कारण उनको 14 वर्ष के वनवास भोगना पढ़ा। पिता की आज्ञा मानकर राम वनवास जाने के लिए अपने राजमहल से निकले उनके साथ सीता माता भी जाने को तैयार हो गई, भाई प्रेम के कारण लक्ष्मण ये सब देख न सके और भ्राता राम और माता सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान कर लिया। राम दंडक वन (दक्षिण भारत) में अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काट रहे थे। उस समय कई राक्षसों द्वारा तीनों को परेशान किया गया, लेकिन राम के आगे किसकी चलती। राम ने सबको पराजित किया। 

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 500 शब्दों में

500 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है – 

लक्ष्मण द्वारा रावण की बहन की नाक काट देने की वजह से लंका के राजा लंकेश को बहुत गुस्सा आया और उसने इसका प्रतिशोध लेने के लिए माता सीता का हरण किया। रावण जानता था कि वह माता सीता का कोई साधारण स्त्री नहीं है, उनका हरण कर पाना सरल नहीं है। क्योंकि सीता अकेले जरूर है, परन्तु मायावी शक्तियां सदैव उनके साथ होंगी। जिसके कारण कभी उन तक नहीं पहुंच सकता है। तभी रावण ने उस समय एक साधु के वेश में आकर सीता का छल के द्वारा माता सीता का हरण कर लिया और वह उन्हें अपने राज्य ‘लंका’ ले गया, जोकि वर्तमान समय में श्रीलंका के नाम से पुकारा जाता है। 

राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उनमें निस्सल राजकुमार, एक श्रेष्ठ धनुषधारी योद्धा और नैतिक मूल्य के गुण थे। इस युद्ध में उनकी मुलाकात अपने प्रिय भक्त हनुमान से हुई, जिन्होंने पूरी लंका को अपनी पूंछ के बल पर जला दिया था।  इस युद्ध में हनुमान के साथ, सुग्रीव, जामवंत अंगद जैसे कई वीर योद्धा शामिल थे। समय बीतता गया और राम की सेना लंका में प्रवेश करने वाली थी, लेकिन श्रीराम नहीं चाहते थे कि युद्ध हो और सब विनाश की चपेट में आए। युद्ध से होने वाले विनाश से बचने के लिए राम ने अंगद को लंका में शांतिदूत बनाकर भेजा था। वहां रावण द्वारा अंगद का बहुत उपहास और अपमान किया गया, जिससे क्रोधित होकर अंगद ने पूरी सभा में ही प्रस्ताव रख दिया कि जो कोई उनका पैर जमीन से हिला देगा, तो वे हार मान लेंगे और श्रीराम व पूरी सेना के साथ वापस अयोध्या को लौट जाएंगे। कोई उनके पैर को टस से मस नहीं कर सका।   

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है की राम और रावण का ये युद्ध लगभग 13 दिनों तक चला और अंत में भगवान राम लंका के राजा रावण को मारने में सफल रहे। और युद्ध के 20 दिन बाद अपना वनवास पूरा करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपनी नगरी अयोध्या वापस लौटे आए। राम के लौटने की खुशी में पूरे नगर के देशवासियों ने नगर को दीपों ने रोशन कर दिया था। इस उत्साह और ख़ुशी के दिन से ही पूरे भारत वर्ष में इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा और दशहरा देखा जाएं तो दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध में दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध किया था और नवरात्रि के दसवें दिन उसका वध किया था इस रूप में हम कह सकते हैं कि, बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी। कहा जाता है कि युद्ध में जाने से पहले भगवान राम ने शक्ति और वीरता के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी। हम हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर के माह में दशहरा अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और हर गाँव या शहर में मेलों का आनंद लेते हैं।

दशहरा न केवल हिंदू धर्म के विश्वास का एक प्रमुख अंग है, अपितु यह दिन “असत्य पर सत्य की जीत” का प्रतीक है। ये दिन भारतीय लोगों पर भी जोर देता है।

1955 से रावण दहन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यह प्रचलन 1954 में दशहरा कमेटी के गठन के बाद से शुरू हुआ। 

 आशा है आपको ये Essay on Dussehra in Hindi का ब्लॉग पसंद आया होगा और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण आपको मिली होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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दशहरा पर निबंध / Essay on Dussehra in Hindi

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दशहरा पर निबंध / Essay on Dussehra in Hindi!

दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है । इन दिनों माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है । त्योहार का अंतिम दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है । असत्य पर सत्य की जीत इस त्योहार का मुख्य संदेश है ।

माँ दुर्गा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं । जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है, इसलिए भक्तगण माँ दुर्गा से शक्ति की याचना करते हैं । पं.बंगाल, बिहार, झारखंड आदि प्रांतों में महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है । नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ चलता रहता है । शंख, घड़ियाल और नगाड़े बजते हैं । पूजा-स्थलों में धूम मची रहती है । तोरणद्वार सजाए जाते हैं । नवरात्र में व्रत एवं उपवास रखे जाते हैं । मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है । प्रसाद बाँटने और लंगर चलाने के कार्यक्रम होते हैं ।

उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में रामलीला का मंचन होता है । कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका नरेश अहंकारी रावण का वध किया था । रावण अत्याचारी और घमंडी राजा था । उसने राम की पत्नी सीता का छल से अपहरण कर लिया था । सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राम ने वानरराज सुग्रीव से मैत्री की । वे वानरी सेना के साथ समुद्र पार करके लंका गए और रावण पर चढाई कर दी । भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में मेघनाद, कुंभकर्ण, रावण आदि सभी वीर योद्धा मारे गए । राम ने अपने शरण आए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया और पत्नी सीता को लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया । रामलीला में इन घटनाओं का विस्तृत दृश्य दिखाया जाता है । इसके द्वारा श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप उजागर होता है ।

ADVERTISEMENTS:

रामलीलाओं के साथ-साथ अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । स्थान-स्थान पर मेलों का आयोजन किया जाता है । बच्चे मेले में उत्साह के साथ भाग लेते हैं । वे झूला झूलते हैं और खेल-तमाशे देखते हैं । हर तरफ उत्साह और उमंग मचा रहता है । विजयादशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन का कार्यक्रम होता है । इसमें हजारों लोग भाग लेते हैं । पुतले जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दोहराते हैं । इस अवसर पर आकर्षक आतिशबाजी भी होती है । फिर लोग मिठाइयाँ खाते और बाँटते हैं ।

विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन का कार्यक्रम होता है । ट्रकों और ट्रॉलियों पर प्रतिमाएँ लाद कर लोग गाजे-बाजे के साथ चलते हैं । लोग भारी संख्या में इस जलूस में शामिल होते हैं । प्रतिमाएं विभिन्न मार्गों से होते हुए किसी नदी या सरोवर के तट पर ले जायी जाती हैं । वहाँ इनका विसर्जन कर दिया जाता है । इस तरह दस दिनों तक चलनेवाला उत्सव समाप्त हो जाता है ।

दशहरा भक्ति और समर्पण का त्योहार है । भक्त भक्ति- भाव से दुर्गा माता की आराधना करते हैं । नवरात्र में दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा होती है । दुर्गा ही आवश्यकता के अनुसार काली, शैलपुत्री, ब्रह्‌मचारिणी ,कुष्मांडा आदि विभिन्न रूप धारण करती हैं और आसुरी शक्तियों का संहार करती हैं । वे आदि शक्ति हैं । वे ही शिव पत्नी पार्वती हैं । संसार उन्हें पूजकर अपने अंदर की आसुरी शक्ति को नष्ट होने की आकांक्षा रखता है । दुर्गा रूप जय यश देती हैं तथा द्वेष समाप्त करती हैं । वे मनुष्य को धन- धान्य से संपन्न कर देती हैं ।

भारत में हिमाचल प्रदेश में कुच्छू घाटी का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है । यहाँ का दशहरा देखने देश-विदेश के लोग आते हैं । यहाँ श्रद्‌धा, भक्ति और उल्लास की त्रिवेणी देखने को मिलती है ।

इस तरह दशहरा हर वर्ष आता है और लोगों में भक्तिभाव भर जाता है । पर्व-त्योहारों के माध्यम से लोग अपनी ऊब मिटाते हैं और अपने भीतर कार्य करने का नया उत्साह उत्पन्न करते हैं ।

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दा इंडियन वायर

दशहरा पर निबंध

dussehra essay in hindi class 9

By विकास सिंह

essay on dussehra in hindi

विषय-सूचि

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (100 शब्द)

दशहरा का त्यौहार विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है और पूरे भारत में हिंदू लोगों द्वारा बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। ऐतिहासिक मान्यताओं और सबसे प्रसिद्ध हिंदू ग्रंथ, रामायण के अनुसार, यह उल्लेख किया गया है कि भगवान राम ने शक्तिशाली राक्षस, रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा माता का आशीर्वाद पाने के लिए एक चंडी-पूजा (पवित्र प्रार्थना) की थी।

श्रीलंका के दस-सिर वाले दानव राजा जिन्होंने अपनी बहन सुपर्णखा का बदला लेने के लिए भगवान राम की पत्नी, सीता का अपहरण कर लिया था। तब से, जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया, उसे दशहरा पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (150 शब्द)

dussehra essay in hindi class 9

दशहरा का त्यौहार (जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है) हर साल पूरे देश में हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दिवाली त्योहार के बीस दिन पहले पड़ता है। यह हिंदू लोगों द्वारा राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत की खुशी में मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार बुरी शक्ति पर सत्य की जीत का संकेत देता है। जिस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की, प्राचीन काल से लोगों द्वारा दशहरा उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

प्राचीन समय में, राजकुमार राम को 14 साल के लिए अयोध्या के जंगल में निर्वासित किया गया था। अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष के दौरान, रावण ने अपनी पत्नी, सीता का अपहरण कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मण ने रावण की बहन की नाक काट दी थी कि क्यों रावण ने लक्ष्मण की भाभी सीता का अपहरण कर लिया। लोग इस त्योहार को बहुत खुशी और विश्वास के साथ मनाते हैं।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (200 शब्द)

dussehra

दशहरा एक सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है। यह त्योहार महान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का है। इस त्योहार को लोग बड़े उत्साह और विश्वास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत देता है जिसका अर्थ है बुरी शक्ति पर सत्य की विजय।

लोग बहुत सारे अनुष्ठान और पूजा समारोह का पालन करके इस त्योहार को मनाते हैं। धार्मिक लोग और भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। कुछ लोग केवल पहले और अंतिम दिन (9 वें दिन) तक उपवास रखते हैं, लेकिन कुछ लोग सभी नौ दिनों के लिए उपवास रखते हैं और आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिए देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। दसवें दिन लोग राक्षस राजा, रावण पर भगवान राम की जीत की खुशी में दशहरा मनाते हैं। दशहरा का त्यौहार दिवाली के त्यौहार से दो सप्ताह पहले हर साल आखिरी सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है।

देश के विभिन्न क्षेत्रों में दशहरा उत्सव मनाने के अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराएं हैं। कहीं-कहीं इसे पूरे दस दिनों तक मनाया जाता है और मंदिर के पुजारी भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने रामायण से मंत्रों और कहानियों का पाठ करते हैं। कहीं-कहीं राम लीला का बड़ा मेला कई दिनों या एक महीने तक लगाया जाता है।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (250 शब्द)

dussehra

दशहरा हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह दस दिनों तक चलने वाला त्यौहार है जिसे पूरे देश में हिंदू लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। पहले नौ दिनों में देवी दुर्गा की पूजा होती है जिसे नवरात्र पर्व कहा जाता है। दसवें दिन लोग राक्षस राजा रावण के कार्टून को जलाकर नवरात्र मनाते हैं।

दशहरे का त्यौहार दिवाली के त्यौहार से दो या तीन सप्ताह पहले सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। यह त्योहार हिंदू देवी दुर्गा की पूजा करके मनाया जाता है। भगवान राम और दुर्गा के भक्त पहले और अंतिम दिन या पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। नौ दिन या नवरात्र को दुर्गा पूजा के रूप में भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा को उनके नौ रूपों में पूजा जाता है।

दशहरा उत्सव का मतलब लोग दसवें दिन को विजय दशमी के रूप में मनाते हैं जो एक बड़े मेले या राम-लीला का आयोजन करते हैं जहां वे भगवान राम के नाटकीय जीवन इतिहास को दर्शाते हैं। राम-लीला मेला विजय दशमी मनाने के पीछे किंवदंतियों को इंगित करता है जो भगवान राम और रावण हैं।

इसमें सीता के अपहरण, राम की विजय और राक्षस राजा, रावण और उसके पुत्र, मेघनाथ और भाई, कुंभकर्ण की हार और हत्या का पूरा इतिहास दिखाया गया है। असली लोग राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की भूमिका निभाते हैं लेकिन वे रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण की कागज़ की मूर्ति बनाते हैं। अंत में, वे भगवान राम की जीत और पटाखों की आवाज के साथ रावण को मारने के लिए रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण की तीनों मूर्तियों को जलाते हैं।

दशहरा पर निबंध, dussehra essay in hindi (300 शब्द)

दशहरा देश भर में मनाया जाने वाला हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दिवाली त्योहार से बीस दिन पहले पड़ता है। दशहरा का उत्सव राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत का संकेत देता है। भगवान राम सत्य के प्रतीक हैं और रावण बुरी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

यह हिंदू लोगों द्वारा देवी दुर्गा की पूजा के साथ मनाया जाने वाला एक महान औपचारिक और धार्मिक उत्सव है। इस त्योहार को मनाने की परंपरा और संस्कृति देश में अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है। यह दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसके नौ दिन विजय दशमी के रूप में देवी दुर्गा और दसवें दिन की पूजा करके मनाए जाते हैं जब लोग राक्षस राजा, रावण पर भगवान राम की जीत का जश्न मनाते हैं।

इस त्यौहार की एक विशाल तैयारी होती है जो कुछ दिन पहले से शुरू होती है। पूरे दस दिनों या एक पूरे महीने के लिए एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जहां दूर-दराज के लोग लोगों के लिए आवश्यक सभी चीजों की दुकानें और स्टॉल बनाने आते हैं। यह प्रत्येक समाज या समुदाय में राम-लीला मैदान में होता है, जहां सभी दिनों के लिए दशहरे की किंवदंतियों के नाटकीय शो के साथ एक विशाल मेला लगता है।

रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पेपर मॉडल राम लीला मैदान में तैयार किए जाते हैं और असली लोग राम, सेता और लक्ष्मण की भूमिका निभाते हैं। हर जगह रोशनी चालू है और पूरा वातावरण पटाखों की आवाज से भरा हुआ है। पूरी रात लोग और बच्चे राम-लीला सहित मेला देखते थे। राम लीला में वास्तविक लोगों द्वारा भगवान राम के जीवन की विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रदर्शन किया जाता है। शो का आनंद लेने के लिए रामलीला मैदान में आस-पास के क्षेत्रों के हजारों पुरुष, महिलाएं और बच्चे एकत्र होते हैं।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (400 शब्द)

दशहरा त्योहार भारत के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे लंबे त्योहारों में से एक है। यह हर साल पूरे देश में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा पूरे उत्साह, विश्वास, प्रेम और सम्मान के साथ मनाया जाता है। यह वास्तव में सभी द्वारा आनंद लेने का महान समय है। दशहरा के त्योहार का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए छात्रों को अपने स्कूलों और कॉलेजों से कई दिनों के लिए छुट्टियां भी मिलती हैं।

यह त्यौहार हर साल दिवाली से दो या तीन हफ्ते पहले सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। लोग इस त्योहार का इंतजार बड़े धैर्य के साथ करते हैं। भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति और परंपरा, निष्पक्ष और त्योहारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह मेलों और त्यौहारों का देश है जहाँ लोग हर त्योहार को बड़े हर्ष और विश्वास के साथ मनाते हैं और आनंद लेते हैं।

दशहरा का त्यौहार भारत सरकार द्वारा राजपत्रित अवकाश के रूप में घोषित किया गया है ताकि लोग इस त्यौहार का पूरी तरह से आनंद ले सकें और साथ ही साथ हिन्दू त्यौहार को भी महत्व दें। दशहरा का अर्थ दस प्रमुख राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की विजय है। दशहरा शब्द का वास्तविक अर्थ इस त्योहार के दसवें दिन दस सिर वाले (दश प्रमुख) दानव की हार है।

इस त्यौहार का दसवां दिन पूरे देश में लोगों द्वारा रावण क्लोन जलाकर मनाया जाता है। देश के कई क्षेत्रों में लोगों के रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार इस त्योहार से जुड़े कई मिथक हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाना शुरू किया गया था जिस दिन से भगवान राम ने दशहरा के दिन राक्षस राजा रावण को मार दिया था (जिसका अर्थ है हिंदू कैलेंडर के अष्टभुजा महीने का 10 वां दिन)।

भगवान राम ने रावण का वध किया था क्योंकि उसने माता सीता का अपहरण कर लिया था और वह भगवान राम को लौटाने के लिए सहमत नहीं था। भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण और हनुमान के वानर सैनिक की मदद से रावण के साथ युद्ध जीता था। हिंदू शास्त्र, रामायण के अनुसार, यह उल्लेख है कि भगवान राम ने देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी गृह का प्रदर्शन किया था। इस तरह भगवान राम ने युद्ध के 10 वें दिन रावण की हत्या के रहस्य को जानकर जीत हासिल की।

अंत में, उन्होंने रावण को मारने के बाद अपनी पत्नी सीता को सुरक्षित रख लिया। दशहरा उत्सव को दुर्गोत्सव के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि उसी दिन दसवें दिन महिषासुर नामक एक और राक्षस ने माता दुर्गा का वध किया था। रामलीला का एक विशाल मेला राम-लीला मैदान में लगता है, जहाँ आस-पास के क्षेत्रों के लोग रामलीला का निष्पक्ष और नाटकीय प्रतिनिधित्व देखने आते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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दशहरा पर निबंध-Essay On Dussehra In Hindi

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Essay On Dussehra In Points

1. दशहरा शीत ऋतु के प्रधान त्यौहारों में से एक है। 2. दशहरा दशहरा सितम्बर या अक्तूबर मास में आश्विन मास की शुक्ल दसमी की तारीख को मनाया जाता है। 3. भारत में दशहरा पर्व हिन्दुओं की चिर संस्कृति का प्रतीक होता है। 4. इस दिन श्री राम जी ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी इसी वजह से इसे विजय दशमी भी कहा जाता है। 5. दशहरा एक जातीय त्यौहार है क्योंकि इसे सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि अन्य सम्प्रदाय के लोग भी मनाते हैं। 6. इस दिन लोगों को एक दिन का अवकास प्रदान किया जाता है जिससे की लोग दशहरे के पर्व को को ख़ुशी और आनन्द से मना सकें। 7. शहरे के दिन माँ दुर्गा ने नौ दिन तक युद्ध करने के पश्चात दसवें दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी वजह से दशहरे के अवसर पर नवरात्रियों का बहुत महत्व होता है। 8. श्री राम ने सुग्रीव , हनुमान और अन्य मित्रों की सहायता से लंका पर आक्रमण किया और रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी। उसी दिन से यह दिन विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है। 9. इसी दिन को भगवान श्री राम ने पाप पर पुन्य , अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक बनाया था। 10. इस दिन श्री राम ने अत्याचारी रावण को मारकर भारतीय संस्कृति और उसकी महान परम्पराओं की पुनः प्रतिष्ठा स्थापित की थी। 11. अलग-अलग स्थानों पर यह दिन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। 12. जो बड़े-बड़े नगर होते हैं वहाँ पर रामायण के सभी पात्रों की झांकियां निकाली जाती हैं। लोग इन झांकियों को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ देखते हैं। 13. भारत की राजधानी दिल्ली का दशहरा बहुत ही प्रसिद्ध होता है। 14. दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा को ट्रक और गाड़ियों में लादकर गलियों और बाजारों से एक जुलुस की तरह निकाला जाता है और फिर प्रतिमा को नदियों या फिर पवित्र सरोवरों और सागरों में विसर्जित कर दिया जाता है। 15. इस अवसर पर लोग अपने-अपने घर में स्थापित प्रतिमा को बड़ी धूमधाम और नृत्य के द्वारा विसर्जित की विधि को पूरा करते हैं। 16. राम की रावण पर विजय के मौके पर नवरात्रियों में राम के जीवन पर आधारित रामलीला का आयोजन किया जाता है। 17. दिल्ली में रामलीला मैदान, परेड ग्राउंड और कई जगहों पर वृद्ध रूप से रामलीला का आयोजन किया जाता है। 18. शाम के समय में राम और रावण के दलों में कृत्रिम लड़ाई करवाई जाती है और राम रावण को मार कर लंका पर विजय प्राप्त करते हैं। 19. राम के राज तिलक का अभिनय किया जाता है जिसे देखकर प्रत्येक व्यक्ति का ह्रदय आनन्दमग्न हो जाता है। 20. दशहरे के अवसर पर जगह-जगह पर मेला लगाया जाता है और लोग मिठाईयां और खिलौनों को लेकर घर जाते हैं। 21. जो व्यक्ति अपनी असुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है केवल वही अपने इवन में श्री राम और माँ दुर्गा की तरह महान बन पाता है। 22. दशहरे को मनाने से हमें उस दिन की याद आती है जब श्री राम ने अपनी संस्कृति का विदेशों में भी प्रसार किया था और आर्य समाज की नीव को लंका में रखा था। 23. श्री राम जी की तरह के पितृ भक्त और लक्ष्मण जैसे भ्रातृभक्त और सीता माता की तरह की पतिवृता और धैर्य से काम लेने वाली तथा हनुमान की तरह का स्वामी भक्त बनने की हमेशा प्रेरणा मिलती है। 24. हमें केवल अपने त्यौहारों को परम्परागत ढंग से मनाना ही नहीं चाहिए बल्कि उनके आदर्शों पर चलकर अपने जीवन को चरितार्थ करना चाहिए। 25. हमें माँ दुर्गा की तरह बनने का प्रयास करना चाहिए जिस प्रकार उन्होंने कल्याणार्थ के लिए बड़े-बड़े काम किये थे उसी तरह हमें भी लोगों की सेवा हेतु हमेशा तत्पर रहना चाहिए। 26. दशहरा मेला उत्सव का मुख्य आकर्षण है। 27. शहरों में सभी लोगों के लिए मेले का आयोजन किया जाता है और बच्चों के खेलने के लिए गेमों का आयोजन भी किया जाता है।

Essay On Dussehra In Details

भूमिका : भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति, परम्परा, निष्पक्षता , और त्यौहारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। भारत एक मेलों और त्यौहारों का देश है जहाँ पर हर त्यौहार को उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इन त्यौहारों से हमें सच्चाई, आदर्श और नैतिकता की शिक्षा मिलती है।

हमारे प्रत्येक त्यौहार का किसी-न-किसी ऋतु से संबंध होता है। दशहरा शीत ऋतु के प्रधान त्यौहारों में से एक होता है। दशहरा आश्विन मास की शुक्ल दसमी की तारीख को मनाया जाता है। भारत में दशहरा पर्व हिन्दुओं की चिर संस्कृति का प्रतीक होता है। इस दिन श्री राम जी ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी।

इसी वजह से इसे विजय दशमी भी कहा जाता है। दशहरा सितम्बर या अक्तूबर मास में मनाया जाता है। दशहरा एक जातीय त्यौहार है क्योंकि इसे सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि अन्य सम्प्रदाय के लोग भी मनाते हैं। इसका संबंध विशेष रूप से क्षत्रियों से होता है। इस त्यौहार का इंतजार लोग बड़े ही धैर्य के साथ करते हैं। इस दिन लोगों को एक दिन का अवकास प्रदान किया जाता है जिससे की लोग दशहरे के पर्व को को ख़ुशी और आनन्द से मना सकें।

मूल उद्देश्य : किसी भी त्यौहार को मनाने के पीछे हमेशा एक मूल उद्देश्य छिपा होता है। हमारे धर्म ग्रंथों में दशहरा से संबंधित कई घटनाएँ मिल जाती हैं। दशहरे के दिन माँ दुर्गा ने नौ दिन तक युद्ध करने के पश्चात दसवें दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी वजह से दशहरे के अवसर पर नवरात्रियों का बहुत महत्व होता है।

वीर पांडवों ने लक्ष्य को भेदकर द्रोपदी का वरण किया था। महाभारत युद्ध भी विजयदशमी को ही शुरू किया गया था। इसी दिन भगवान श्री राम ने दस दिन के घोर युद्ध के बाद आश्विनी मास की शुक्ल दशमी को रावण का वध किया था क्योंकि रावण के कारण देव और मानव दोनों ही बहुत परेशान थे। इस दिन श्री राम की विजय पर सभी ने खुशियाँ मनायी थीं।

मनाने का कारण : जब भगवान राम का वनवास चल रहा था तो रावण छल से सीता माता का अपहरण करके ले गया था। श्री राम ने सुग्रीव , हनुमान और अन्य मित्रों की सहायता से लंका पर आक्रमण किया और रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी। उसी दिन से यह दिन विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है।

इसी दिन को भगवान श्री राम ने पाप पर पुन्य , अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक बनाया था। इस दिन श्री राम ने अत्याचारी रावण को मारकर भारतीय संस्कृति और उसकी महान परम्पराओं की पुनः प्रतिष्ठा स्थापित की थी।

दुर्गा पूजा : माँ दुर्गा ने इस दिन महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी इसी ख़ुशी की वजह से माँ दुर्गा के श्रद्धालु इस दिन माँ दुर्गा की पूजा करते हैं माँ दुर्गा की आठ हाथों वाली मूर्ति बनाकर उसकी नौ दिनों तक पूजा की जाती है और इस अवसर पर बहुत से भक्त नवरात्रि का वृत भी रखते हैं दुर्गा पूजा का विशिष्ट महत्व विशेष रूप से बंगाल में है। इसके अतिरिक्त अन्य कई देशों में भी दुर्गा पूजा बहुत ही उल्लास और ख़ुशी के साथ मनायी जाती है।

शस्त्र पूजन : दशहरे को वर्षा ऋतु के अंत में मनाया जाता है। श्री राम की जीत के अतिरिक्त इस दिन का एक और भी महत्व है। प्राचीनकाल में लोग अपनी प्रत्येक यात्रा को इसी दिन शुरू करना शुभ मानते थे। वर्षा ऋतु के आने की वजह से क्षत्रिय राजा और व्यापारी अपनी यात्रा को स्थगित कर देते थे।

वर्षा ऋतु में क्षत्रिय अपने-अपने शस्त्रों को बंद करके रख देते थे और शीत ऋतु के आने पर ही निकालते थे। वे अपने शस्त्रों की पूजा करते थे और उनकी धार को और तेज करते थे। रजा लोग अपनी विजय यात्रा और रण यात्रा को भी इसी दिन से शुरू करते थे क्योंकि उस समय में बड़ी-बड़ी नदियों पर पुल नहीं होते थे।

वर्षा ऋतु में उन पुलों को पार करना असंभव होता था इसी वजह से जब वर्षा ऋतु खत्म हो जाती थी तभी यात्राओं का शुभारम्भ होता था। व्यापारी वर्षा ऋतु में माल खरीदते थे और वर्षा ऋतु के अंत में उसे बेचने के लिए चल देते थे। इसी समय पर साधू परमात्मा और उपदेशक धर्म का प्रचार करने के लिए अपनी यात्रा आरंभ करते थे। उसी परम्परा के अनुसार आज भी लोग अपनी यात्राओं का शुभारम्भ दशहरे के दिनों से करते हैं।

झाँकियाँ : अलग-अलग स्थानों पर यह दिन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जो बड़े-बड़े नगर होते हैं वहाँ पर रामायण के सभी पात्रों की झांकियां निकाली जाती हैं। लोग इन झांकियों को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ देखते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली का दशहरा बहुत ही प्रसिद्ध होता है।

दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा को ट्रक और गाड़ियों में लादकर गलियों और बाजारों से एक जुलुस की तरह निकाला जाता है और फिर प्रतिमा को नदियों या फिर पवित्र सरोवरों और सागरों में विसर्जित कर दिया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने-अपने घर में स्थापित प्रतिमा को बड़ी धूमधाम और नृत्य के द्वारा विसर्जित की विधि को पूरा करते हैं।

रामलीलाएँ : राम की रावण पर विजय के मौके पर नवरात्रियों में राम के जीवन पर आधारित रामलीला का आयोजन किया जाता है। रामलीला की धूम को उत्तर भारत में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। दिल्ली में रामलीला मैदान, परेड ग्राउंड और कई जगहों पर वृद्ध रूप से रामलीला का आयोजन किया जाता है।

दशहरे का दिन रामलीला का अंतिम दिन होता है। दशहरे के दिन पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाये जाते हैं। इन पुतलों में अनेक प्रकार के छोटे और बड़े बम्बों को लगाया जाता है। शाम के समय में राम और रावण के दलों में कृत्रिम लड़ाई करवाई जाती है और राम रावण को मार कर लंका पर विजय प्राप्त करते हैं।

इसके पश्चात रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को जलाया जाता है तब पटाखों की आवाज करते हुए जलते पुतलों को देखने का आनन्द ही अलग होता है। पुतलों को नष्ट करने के बाद राम के राज तिलक का अभिनय किया जाता है जिसे देखकर प्रत्येक व्यक्ति का ह्रदय आनन्दमग्न हो जाता है। दशहरे के अवसर पर जगह-जगह पर मेला लगाया जाता है और लोग मिठाईयां और खिलौनों को लेकर घर जाते हैं।

बुराई पर अच्छाई की विजय : हमारा भारत एक धर्म प्रधान देश है। भारत के सभी पर्वों का संबंध धर्म , दर्शन और अध्यात्म से होता है। माँ दुर्गा और भगवान श्री राम ये दैवीय शक्ति अथार्त सत्य के प्रतीक हैं इसके विपरीत महिषासुर , रावण , मेघनाथ और कुम्भकर्ण ये सभी आसुरी शक्ति के अथार्त असत्य के प्रतीक थे इसलिए विजयदशमी दैवीय शक्ति आसुरोई शक्ति पर या असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।

हमारे अंदर दैवीय और असुरी दोनों प्रकार की शक्तियाँ विद्यमान होती हैं जो हमेशा हमें शुभ और अशुभ कामों के लिए प्रेरित करती हैं। जो व्यक्ति अपनी असुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है केवल वही अपने इवन में श्री राम और माँ दुर्गा की तरह महान बन पाता है।

इसके विरुद्ध जो व्यक्ति असुरी शक्तियों के अधीन होता है वह रावण और महिषासुर जैसा बन जाता है। दशहरे को मनाने से हमें उस दिन की याद आती है जब श्री राम ने अपनी संस्कृति का विदेशों में भी प्रसार किया था और आर्य समाज की नीव को लंका में रखा था। श्री राम जी की तरह के पितृ भक्त और लक्ष्मण जैसे भ्रातृभक्त और सीता माता की तरह की पतिवृता और धैर्य से काम लेने वाली तथा हनुमान की तरह का स्वामी भक्त बनने की हमेशा प्रेरणा मिलती है।

उपसंहार : हमें केवल अपने त्यौहारों को परम्परागत ढंग से मनाना ही नहीं चाहिए बल्कि उनके आदर्शों पर चलकर अपने जीवन को चरितार्थ करना चाहिए। हमें माँ दुर्गा की तरह बनने का प्रयास करना चाहिए जिस प्रकार उन्होंने कल्याणार्थ के लिए बड़े-बड़े काम किये थे उसी तरह हमें भी लोगों की सेवा हेतु हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

दशहरे के दिन कुछ असभ्य लोग शराब पीते हैं और आपस में लड़ाई झगड़ा करते हैं। यह बात अच्छी नहीं है। अगर व्यक्तियों द्वारा इस त्यौहार को ठीक तरीके से मनाया जाता है तो इससे कई प्रकार के आशातीत लाभ मिलते हैं। राम के जीवन पर प्रकाश डालें और उस समय के इतिहास को ध्यान में रखें।

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dussehra essay in hindi class 9

दशहरा पर निबंध | Short Essay on Dussehra in Hindi

by Meenu Saini | Sep 30, 2023 | General | 0 comments

Short Essay on Dussehra in Hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Dussehra (दशहरा ) for all classes from Class 1 to Class 12

दशहरा पर निबंध –  इस लेख में हम दशहरा का क्या महत्व है, दशहरा क्यों मनाया जाता है के बारे में जानेंगे |  दशहरा हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है, जो भगवान राम को समर्पित है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में दशहरा पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में दशहरा पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • दशहरा पर 10 लाइन  10 lines
  • दशहरा पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • दशहरा पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • दशहरा पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • दशहरा पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

दशहरा  पर 10 लाइन  10 lines on Dussehra in Hindi

  • दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है जो हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
  • यह त्योहार भगवान राम की रावण पर और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत का प्रतीक है।
  • दशहरा को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • दशहरे की शाम रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे बड़े राक्षसों के पुतले का दहन किया जाता हैं।
  • दशहरा का दिन अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के पश्चात् आता है।
  • भारत में दशहरा का महापर्व हर राज्य में लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं।
  • दशहरे का पर्व अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है।
  • दशहरे के मौके पर कई स्थानों पर रामलीला का भी आयोजन किया जाता है।
  • इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं।
  • दशहरा का त्योहार हमें अहंकार, लोभ, मोह, क्रोध, हिंसा जैसी बुरी आदतों से दूर रहने का प्रेरणा देता है।

Short Essay on Dussehra in Hindi दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

दशहरा पर निबंध/अनुच्छेद – बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है। दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक दस सिर वाले राक्षस रावण का संहार किया था।

दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में 

दशहरा हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को समस्त भारत में बहुत ही श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा यह पर्व लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है फिर दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर दशहरा मनाते है। कहा जाता है कि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने दस शीश वाले राजा रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी । यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में 

दशहरा भारत में हिंदुओं के लिए एक बड़ा त्यौहार है और इसे भारत के हर राज्य में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के नौ दिनों के खत्म होने के अगले दिन दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम ने राक्षस रावण का वध किया था जिसके उपलक्ष में हर साल दशहरा का त्योहार मनाया जाता है।

दशहरा का यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन शाम के समय रावण दहन किया जाता है लेकिन उससे पहले रामलीला का आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान राम और राक्षस रावण के बीच हुए युद्ध को नाटक के जरिए दर्शाया जाता है। नाटक के बाद, रावण के पुतले का दहन किया जाता है। दशहरा या विजयादशमी एक ऐसा त्योहार है जो हमें याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है, जैसे भगवान राम ने रावण पर जीत हासिल की थी।

दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में 

दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है जिसे भारत में बड़े धूमधाम से आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मनाए जाने के पीछे दो कारण है। पहला कारण यह है कि इसी दिन भगवान राम ने लंकापति राक्षस रावण का वध किया था और दूसरा कारण यह है कि देवी दुर्गा ने नौ दिनों के भीषण युद्ध के बाद महिषासुर राक्षस का संहार किया था। इस तरह इस दिन राक्षसों के रूप में बुराई का अंत हुआ था और मां दुर्गा और भगवान राम की विजय हुई थी। इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। इस त्योहार को दस दिनों तक मनाया जाता है। सबसे पहले दुर्गा माता के नौ दिनों तक विधिवत पूजन किया जाता है फिर दशमी के दिन दशहरे का आयोजन किया जाता है। 

दशहरे का आयोजन एक बड़े से मैदान में किया जाता है जहां रामलीला के जरिए राम और रावण का युद्ध का प्रदर्शन होता है। तथा राम द्वारा रावण को मारा जाता है। तत्पश्चात रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे बड़े राक्षसों के विभिन्न प्रकार के विस्फोटक पदार्थ से भरे पुतले जलाए जाते हैं। जब वे जलते हैं, तो उसमें से रंग-बिरंगी चिनगारियाँ निकलती है और धमाके होते हैं और इस तरह अंत हो जाता है। इसके प्रदर्शन से लोगों के मन में राम के आदर्शों के प्रति अनुराग पैदा होता है। बुराई चाहे कितनी भी बड़ी या बलवान क्यों न हो पर आखिर में जीत हमेशा सच्चाई की होती है।

दशहरा पर अनुच्छेद  कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में 

दशहरा या विजयादशमी एक ऐसा पर्व है, जिसका धार्मिक व सामाजिक महत्व है। यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को समस्त भारत में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी दो धार्मिक मान्यताएं प्रचलित है। 

पहली धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लंका नरेश रावण ने जब माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले गया तो भगवान श्री राम ने सीता को रावण के बंधन से मुक्त कराने के लिए रावण के साथ युद्ध किया था जो दस दिनों तक चला और दसवें यानी दशमी के दिन रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया। इसी दिन को दशहरे के नाम से जाना जाता है।

दूसरी धार्मिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नामक असुर भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया था। वह स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने के साथ-साथ समस्त संसार में तबाही मचाने लगा था। तब देवताओं ने महिषासुर के विनाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर, उसके साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया । इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। 

दशहरा का त्योहार दस दिनों तक मनाया जाता है सबसे पहले नौ दिन तक दुर्गा मां की पूजा की जाती है जो समस्त हिन्दुओं में ‘दुर्गा पूजा व नवरात्रि ’ के नाम से प्रख्यात हैं। इसी दौरान रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। रामलीला में प्रभु राम और राक्षसों के बीच हुए को युद्ध को नाटक के जरिए दर्शाया जाता है। यह रामलीला किसी भी दिन आरंभ हो, परन्तु दशमी या दशहरे के दिन रावण-वध का अभिनय अवश्य होता है। रावण को मारा जाता है अर्थात उस दिन श्रीराम की विजय होती है। उसके बाद रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद आदि राक्षसों के पुतले को जलाया जाता है। यह त्योहार अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय और बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है।

हर साल दशहरे के दिन रावणादि राक्षसों के पुतले जलाकर लोगों को यह संदेश दिया जाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो पर आखिर में जीत हमेशा सच्चाई की होती है। रावण और महिषासुर जैसे बलवान राक्षस अपने बुरे कर्मों की वजह से प्रभु राम और मां दुर्गा के द्वारा वध कर दिए गए, क्योंकि उन्होंने बुराई का रास्ता चुना था। इसलिए हमें हमेशा अच्छे कार्यों द्वारा अपने चरित्र का निर्माण करना चाहिए।

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दशहरा-विजयदशमी पर निबंध

विजयदशमी/ दशहरा पर हिंदी निबंध, vijayadashami-dussehra essay in hindi.  .

प्रस्तावना :- दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है इसे अश्विनी शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है जिसे विजयदशमी या दशहरा नाम से जानते है। इस त्यौहार को सभी हिंदू बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। ये त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है, अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है। कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है। विजयदशमी/ दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है। इस माह में ठण्ड का हल्का-सा आगमन हो जाता है। यह महीना बड़ा ही खुशगवार होता है। इस महीने में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी होती है।

दशहरा का संबंध शक्ति से भी है जिस प्रकार ज्ञान के लिए सरस्वती की उपासना की जाती है उसी प्रकार शक्ति के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है। आज ही के दिन “श्री राम जी” ने रावण राक्षस का वध किया और माँ दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया। और माँ दुर्गा ने महिषासुर मर्दानी का रूप धारण करके चंड-मुंड का राक्षसो का वध किया और श्रीराम जी ने मां दुर्गा की पूजा करके रावण का वध किया। इसलिए बंगाल जैसे अन्य क्षेत्रों में दशहरा को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

दशहरा का अर्थ :- “दशहरा” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘दश- हर’ से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ दस बुराइयों से छुटकारा पाना है। दशहरा उत्सव, भगवान् श्रीराम का अपनी अपहृत पत्नी को रावण पर जीत प्राप्त कर छुड़ाने के उपलक्ष्य में तथा अच्छाई की बुराई पर विजय, के प्रतीकात्मक रूप में मनाया जाता है।

दशहरा का मेला : दशहरा से दस दिन पहले से रामलीलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। दशहरे का महत्त्व रामलीलाओं के कारण सुविख्यात है। भारत के हर शहर एवं गाँव में रामलीला दिखाई जाती है। दिल्ली में तो हर कॉलोनी में रामलीला होती है। परंतु दिल्ली गेट के नज़दीक रामलीला ग्राउण्ड की रामलीला सर्वाधिक मशहूर है। वहाँ पर दशहरे वाले दिन प्रधानमंत्री स्वयं रामलीला देखने आते हैं। उनके साथ अन्य मंत्रीगण एवं अधिकारी भी होते हैं। उनके अलावा वहाँ लाखों लोगों की भीड़ होती है। दशहरे के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है। उस दिन रावण, कुम्भकर्ण एवं मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं।

दरअसल, अधिकांश लोग तो इन्हीं पुतलों को देखने आते हैं। रामलीला के अलावा, दशहरे के दिन आतिशबाजी भी खूब होती है जो दर्शकों का मन मोह लेती है। कई शहरों में तो आतिशबाजी की प्रतियोगिता होती है जिनमें आगरा शहर प्रमुख है। वहाँ पर कई शहरों से आतिशबाज आते हैं और जिसकी आतिशबाजी सबसे अच्छी होती है, उसे ईनाम दिया जाता है। आतिशबाजी दिखाने के बाद रामचंद्र जी रावण का वध करते हैं। फिर बारी-बारी से पुतलों में आग लगाई जाती है। पहले कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है। उसके बाद मेघनाद के पुतले में आग लगाई जाती है और सबसे बाद में रावण के पुतले में आग लगाई जाती है।

रावण का पुतला सबसे बड़ा होता है। उसके दस सिर होते हैं और उसके दोनों हाथों में तलवार और ढाल होती है। रावण के पुतले को श्रीराम अग्निबाण से जलाते हैं। रावण के पुतले में आग लगने के पश्चात् सभी दर्शक अपने-अपने घरों को चल पड़ते हैं।

हमारे हिन्दू समाज में दशहरा का दिन अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन मजदूर-श्रमिक लोग अपने काम के यंत्रों की पूजा करते हैं और लड्डू बाँटकर खुशी जाहिर करते हैं। दशहरे का पर्व असत्य पर सत्य एवं बुराई पर अच्छाई की विजय माना जाता है। इस दिन श्री राम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था। अतः हमें भी अपनी बुराइयों को त्यागकर अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए तभी यह दिन सार्थक सिद्ध होगा।

Vijayadashami-Dussehra पर निबंध

विजयदशमी पर निबंध-लेख, Vijayadashami Hindi Essay.

‘ विजयादशमी ‘ हिंदुओं का प्रमुख पर्व है। इसे ‘ दशहरा ‘ भी कहते हैं। सभी बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। विजयादशमी का संबंध ‘शक्ति’ से है। जिस प्रकार ज्ञान के लिए सरस्वती की उपासना की जाती है उसी प्रकार शक्ति के लिए माँ दुर्गा की उपासना की जाती है।कहते है कि अत्याचार करने वाले ‘महिषासुर’ नामक राक्षस का उन्होंने संहार किया था। इसके लिए उन्होंने ‘महिषासुर मर्दिनी’ का रूप धारण किया था। दुर्गा ने ही शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों को मारा था। उन्होंने चामुंडा का रूप धारण करके चंडमुंड राक्षसों का वध किया। श्रीरामचंद्र ने दुर्गा माँ की पूजा करके ही रावण का वध किया था। इसलिए बंगाल में तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में भी इस पर्व को ‘ दुर्गा पूजा ‘ के नाम से भी जाना जाता है।

विजयादशमी का त्योहार दस दिनों तक चलता रहता है। आश्विन मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से इसका आरंभ होता है। दशमी के दिन इसकी समाप्ति होती है। प्रतिपदा के दिन प्रत्येक हिंदू परिवार में देवी भगवती की स्थापना की जाती है। गोबर से कलश सजाया जाता है। कलश के ऊपर जौ के दाने खोंसे जाते हैं। आठ दिनों तक नियमपूर्वक देवी की पूजा, कीर्तन और दुर्गा-पाठ होता है। नवमी के दिन पाँच कन्याओं को खिलाया जाता है। उसके बाद देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस उत्सव को ‘ नवरात्र ‘ भी कहते हैं।

इन नौ दिनों में पूजा करनेवाले बड़े संयम से रहते हैं। दशमी के दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है। इसे ‘विजयादशमी’ (दशहरा) कहते हैं। दशहरा दस पापों को नष्ट करनेवाला माना जाता है। इस पर्व को कुछ लोग कृषि-प्रधान त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इसका संबंध उस दिन से जोड़ते हैं, जब श्रीरामचंद्र ने लंका के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी, इसलिए यह ‘ विजयादशमी ‘ के नाम से भी जाना जाता है।

विजयादशमी के साथ अनेक परंपरागत विश्वास भी जुड़े हुए हैं। इस दिन राजा का दर्शन शुभ माना जाता है। इस दिन लोग ‘नीलकंठ’ के दर्शन करते हैं। गाँवों में इस दिन लोग जौ के अंकुर तोड़कर अपनी पगड़ी में खोंसते हैं। कुछ लोग इसे कानों और टोपियों में भी लगाते हैं। उत्तर भारत में दस दिनों तक श्रीराम की लीलाओं का मंचन होता है। विजयादशमी रामलीला का अंतिम दिन होता है। इस दिन रावण का वध किया जाता है तथा बड़ी धूमधाम से उसका पुतला जलाया जाता है।

कई स्थानों पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं। राजस्थान में शक्ति-पूजा की जाती है। मिथिला और बंगाल में आश्विन शुक्लपक्ष में दुर्गा की पूजा होती है। मैसूर का दशहरा पर्व देखने लायक होता है। वहाँ इस दिन ‘चामुंडेश्वरी देवी’ के मंदिर की सजावट अनुपम होती है। महाराजा की सवारी निकलती है। प्रदर्शनी भी लगती है। यह पर्व सारे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

विजयादशमी के अवसर पर क्षत्रिय अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते हैं। जिन घरों में घोड़ा होता है, वहाँ विजयादशमी के दिन उसे आँगन में लाया जाता है। इसके बाद उस घोड़े को विजयादशमी की परिक्रमा कराई जाती है और घर के पुरुष घोड़े पर सवार होते हैं। इस दिन तरह-तरह की चौकियाँ निकाली जाती हैं। ये चौकियाँ अत्यंत आकर्षक होती हैं। इन चौकियों को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग टूट पड़ते हैं।

#सम्बंधित : Hindi Essay, Hindi Paragraph हिंदी निबंध ।

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1 thought on “दशहरा-विजयदशमी पर निबंध”

Very good article having detailed information&atractive images

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Nibandh

दशहरा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - दशहरे से संबंधित पौराणिक कथाएँ - यह त्योहार मनाने का ढंग - दशहरा त्योहार का महत्व - उपसंहार।

हमारे देश एक त्योहारों का देश है। दशहरा हमारा एक गौरवपूर्ण त्योहार है। यह आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। शरद ऋतु के स्वच्छ और मोहक वातावरण में यह त्योहार भारत के जनजीवन को आनंद और उत्साह से भर देता है।

पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन श्रीराम ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय की खुशी सारे देश में मनाई गई थी। इसी दिन की स्मृति में विजयादशमी या दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान इसी दिन अर्जुन ने शमी वृक्ष पर रखा अपना धनुष उतारकर दुर्योधन की सेना को भगाया था और राजा विराट की अपहृत गायों को छुड़ाया था।

मंगल कार्यों का प्रारंभ करने के लिए दशहरे का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों के दरवाजों को तोरणों से सजाते हैं। लोग अपने औजारों और कल-कारखानों की पूजा करते हैं। किसानों के जीवन में दशहरा नए रंग भर देता है। दशहरे के बाद ही वे रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं। दशहरे के पूर्व नौ दिनों तक सारे देश में रामलीला का आयोजन किया जाता है। दशहरे के दिन रामलीला समाप्त होती है और मेघनाद, कुंभकर्ण और रावण के पुतले जलाए जाते हैं। इस प्रकार दशहरा बुराई पर भलाई की तथा अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इसीलिए इस त्योहार को 'विजयादशमी' कहते हैं।

आजकल लोग दशहरे के महत्व को भूलकर बाह्य आडंबर को ही प्रधानता देने लगे हैं। इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं और जुआ खेलते हैं। दशहरे जैसे पवित्र पर्व को सुंदर ढंग से मनाना चाहिए। अपने हृदय को स्वधर्म, स्वदेशप्रेम, बलिदान, तपस्या, दान और वीरता जैसे उत्तम भावों से भर देना ही इस त्योहार को मनाने का सही तरीका है।

सचमुच, विजयादशमी हमारा राष्ट्रीय, ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। दशहरे का त्योहार हमें धर्म, न्याय और मानवता की रक्षा करने तथा हर शुभ कार्य में विजयी बनने का संदेश देता है।

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dussehra essay in hindi class 9

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दशहरे पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए फॉलों करें ये टॉप टिप्स, होगी तारीफ !

Dussehra essay in hindi: दशहरे का पर्व पूरे भारत में हर वर्ष बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार दशहरा 24 अक्टूबर को है। दशहरे के मौके पर स्कूलों आदि में छुट्टियां रहती हैं, लेकिन कई प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इस पर निबंध पूछे जाते हैं। साथ ही स्कूलों में भी दशहरे पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।.

Dussehra Essay in Hindi

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Essay Writing on Dussehra in hindi-Class 5 to Class 9th

दशहरा पर निबंध.

दशहरा पर हिंदी निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, और 9 के विद्यार्थियों के लिए। – Essay Writing on Dussehra in hindi – Dussehra Essay in hindi for class 5, 6, 7, 8 and 9 Students. Essay on Dussehra in Hindi for Class 5, 6, 7, 8 and 9 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना – दशहरे से संबंधित पौराणिक कथाएँ – यह त्योहार मनाने का ढंग – दशहरा त्योहार का महत्व – उपसंहार।

हमारे देश एक त्योहारों का देश है। दशहरा हमारा एक गौरवपूर्ण त्योहार है। यह आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। शरद ऋतु के स्वच्छ और मोहक वातावरण में यह त्योहार भारत के जनजीवन को आनंद और उत्साह से भर देता है।

पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन श्रीराम ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय की खुशी सारे देश में मनाई गई थी। इसी दिन की स्मृति में विजयादशमी या दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान इसी दिन अर्जुन ने शमी वृक्ष पर रखा अपना धनुष उतारकर दुर्योधन की सेना को भगाया था और राजा विराट की अपहृत गायों को छुड़ाया था।

मंगल कार्यों का प्रारंभ करने के लिए दशहरे का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों के दरवाजों को तोरणों से सजाते हैं। लोग अपने औजारों और कल-कारखानों की पूजा करते हैं। किसानों के जीवन में दशहरा नए रंग भर देता है। दशहरे के बाद ही वे रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं। दशहरे के पूर्व नौ दिनों तक सारे देश में रामलीला का आयोजन किया जाता है। दशहरे के दिन रामलीला समाप्त होती है और मेघनाद, कुंभकर्ण और रावण के पुतले जलाए जाते हैं। इस प्रकार दशहरा बुराई पर भलाई की तथा अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इसीलिए इस त्योहार को ‘विजयादशमी’ कहते हैं।

आजकल लोग दशहरे के महत्व को भूलकर बाह्य आडंबर को ही प्रधानता देने लगे हैं। इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं और जुआ खेलते हैं। दशहरे जैसे पवित्र पर्व को सुंदर ढंग से मनाना चाहिए। अपने हृदय को स्वधर्म, स्वदेशप्रेम, बलिदान, तपस्या, दान और वीरता जैसे उत्तम भावों से भर देना ही इस त्योहार को मनाने का सही तरीका है।

सचमुच, विजयादशमी हमारा राष्ट्रीय, ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। दशहरे का त्योहार हमें धर्म, न्याय और मानवता की रक्षा करने तथा हर शुभ कार्य में विजयी बनने का संदेश देता है।

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Hindi Diwas Essay: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? 100, 250, 500 शब्दों में निबंध प्रारूप

Hindi Diwas 2024 Essay in Hindi: इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषा भारतीयों की पहचान का हिस्सा है। भारत में यूं तो कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती है लेकिन जो दर्जा हिंदी को मिला है वो अहम है। भाषाई विविधता के जश्न के रूप में प्रति वर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश की मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझाने और उसे सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

हिंदी हमारी पहचान है और करोड़ों भारतीयों को इस पर गर्व है। हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। हमारे विद्यालयों में भी हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे निबंध लेखन, कविता पाठ, भाषण और अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष रूप में आयोजन किया जाता है।

बच्चों को हिंदी भाषा के महत्व और उसकी सुंदरता को समझाने के लिए यह दिन विशेष होता है। इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। यदि आप भी स्कूल में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से संदर्भ ले सकते हैं।

इस लेख में स्कूली बच्चों की सहायता के लिए 100, 250 और 500 शब्दों में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में तीन अलग-अलग हिंदी दिवस निबंध प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को हिंदी दिवस के महत्व को समझाने में मदद करेंगे। स्कूली छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay) नीचे दिये गये हैं। ये निबंध हिंदी दिवस के महत्व को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने में मदद करते हैं।

हिंदी दिवस 2024 पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-

निबंध 1 (100 शब्दों में ): हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व के प्रचार एवं प्रसार के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे हमें सम्मान देना चाहिये। भारत के करोड़ों लोग अपनी बोल चाल की भाषा में हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। इसका अर्थ है कि भारत सरकार ने कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी को विशेष स्थान दिया है। हमें गर्व होना चाहिये कि हमारी एक समृद्ध और प्राचीन भाषा है, जिसे हम हिंदी कहते हैं। यह हमारे देश की पहचान है।

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निबंध 2 (250 शब्दों में): हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग

प्रति वर्ष 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी दिवस, हिंदी के महत्व को समझाने और उसे प्रचारित करने के लिए समर्पित है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला। हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न अंग है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि नेपाल, मॉरीशस, फिजी और अन्य देशों में भी बोली जाती है।

हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हमें हिंदी भाषा को गर्व से बोलना चाहिये और इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बढ़ावा देना चाहिये। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें सभी क्षेत्रों में इसे अपनाना चाहिये और इसके महत्व को समझना चाहिये।

निबंध 3 (500 शब्दों में): हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत की राजभाषा हिंदी के सम्मान और उसके महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और इसका भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली और समझी जाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी को न केवल सरकारी कार्यों में बल्कि आम जीवन में भी अधिक से अधिक प्रयोग में लाना है। हिंदी दिवस पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करना और उसकी उपयोगिता को बढ़ावा देना है।

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आज के समय में अंग्रेजी भाषा का बढ़ता हुआ प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हिंदी हमारी पहचान है। हमें गर्व होना चाहिये कि हम एक ऐसी समृद्ध भाषा बोलते हैं, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। हिंदी दिवस के उत्सव से हम यह समझने में सहायता मिलती है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक है।

इसलिए, हमें हिंदी भाषा के महत्व को समझना चाहिये और इसे गर्व से बोलना चाहिये। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हम अपने स्तर पर भी प्रयास कर सकते हैं। हम इसे अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक उपयोग कर सकते हैं। हिंदी दिवस हमें यह प्रण लेना चाहिये कि हम अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे और इसे आगे बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देंगे।

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Home » 9th Class » Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence 2024-25 | Download Periodic Test 1 Question Paper PDF

Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence 2024-25 | Download Periodic Test 1 Question Paper PDF

The Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence 2024-25 is challenging yet solving it is a rewarding experience for students. You can download the Class 9 PT I Artificial Intelligence Question Paper PDF from here on aglasem.com to prepare for this crucial exam. It is important to solve this Artificial Intelligence question paper, along with other Class 9 PT Question Paper if you are a student in the 9th grade, as it helps you understand the pattern and type of questions you will face in your upcoming periodic test exams. The Artificial Intelligence Periodic Test 1 Question Paper is designed to test the student’s understanding of various Artificial Intelligence concepts taught in the first term. Here, you will know everything about the Class 9 PT 1 Artificial Intelligence Question Paper , including tips, sample questions, and resources for effective preparation.

Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence 2024-25

The Class 9 PT 1 Artificial Intelligence Question Paper follows the guidelines set by the CBSE (Central Board of Secondary Education). It typically covers chapters from the first term syllabus, ensuring that students have a comprehensive understanding of the basics. The CBSE Periodic Test 1 Artificial Intelligence Question Paper is carefully crafted to include various types of questions, such as multiple-choice questions, short answer questions, and long-form problem-solving questions.

Class 9 PT 1 Question Paper Download Link – Click Here to Download 9th Periodic Test 1 Question Paper

When preparing for the KV PT 1 Question Paper Artificial Intelligence , it is essential to focus on these areas:

  • Understanding the weightage of each chapter.
  • Practicing different types of questions.
  • Focusing on areas where you find difficulty to strengthen your concepts.

Class 9 PT 1 Artificial Intelligence Question Paper 2024-25 PDF

The complete pdf for Periodic Test I Question Paper for Artificial Intelligence is as follows.

dussehra essay in hindi class 9

Tips for Excelling in the Class 9 PT I Artificial Intelligence Exam

  • Practice Regularly : Solve as many class 9 sample papers as you can. You can also use this Class 9 PT 1 Artificial Intelligence Exam Paper as the Class 9 Artificial Intelligence Sample Paper for the first periodic test. By solving this PYQP as the Class 9 Artificial Intelligence PT I sample paper, you will be better prepared for the Artificial Intelligence test.
  • Understand the Question Pattern : Familiarize yourself with the types of questions that appear frequently in the KVS PT 1 Artificial Intelligence Question Paper . Pay special attention to problems that require detailed steps and logical reasoning.
  • Revise the Basics : Ensure you have a strong grasp of fundamental concepts. The 9th class Artificial Intelligence Term 1 Question Paper will often include questions that test your understanding of the basics.
  • Mock Tests : Regularly take mock tests using previous years’ Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence 2024-25 or the latest sample papers. This will help you get accustomed to the time constraints and pressure of the actual exam.

More Class 9 Periodic Test I Question Paper

Similarly the class wise practice question papers of unit test I are as follows.

  • Class 9 PT I Question Paper AI
  • Class 9 PT I Question Paper English
  • Class 9 PT I Question Paper Hindi
  • Class 9 PT I Question Paper Maths
  • Class 9 PT I Question Paper Science
  • Class 9 PT I Question Paper Social Science

Why Focus on the Class 9 PT 1 Artificial Intelligence Question Paper?

The Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence is not just an ordinary test. It is designed to build a strong foundation for the upcoming exams. The questions in the Artificial Intelligence Periodic Test 1 Question Paper are crafted to challenge the student’s critical thinking, analytical skills, and understanding of Artificial Intelligence subject concepts.

Moreover, schools like Kendriya Vidyalaya (KV) often follow a standard question pattern across the country. Thus, preparing with the KV PT 1 Question Paper Artificial Intelligence or KVS PT 1 Question Paper can give students an edge in understanding what to expect in their exams. Many students find it beneficial to review these question papers, as they provide a realistic preview of the actual test.

Previous Year Question Paper

Similarly the exam wise previous year question papers for annual exam, half yearly exam, quarterly exam, unit tests, periodic tests are as follows.

  • Periodic Test Question Paper
  • Half Yearly Question Paper
  • Annual Exam Question Paper

How To Prepare For Class 9 Periodic Test I For Artificial Intelligence Subject

  • First of all know that the you should study for the CBSE Periodic Test 1 Question Paper from NCERT textbooks . Study the entire Class 9 Artificial Intelligence PT 1 syllabus from the official Class 9 Artificial Intelligence NCERT book, including its examples and exercises. You can also refer the NCERT solutions for class 9 Artificial Intelligence for the Periodic Test 1 topics to enhance your knowledge.
  • Reference Books : Books like R.D. Sharma and R.S. Aggarwal offer extensive problems for practice for PT I Artificial Intelligence.
  • Solving the past years Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence 2025 helps in understanding the types of questions and topics that are frequently asked.
  • Apart from the Class 9 UT 1 Question Paper or Class 9 Unit Test 1 Artificial Intelligence Question Papers , try solving sample papers from different publishers to enhance your preparation.

9th PT 1 Artificial Intelligence Question Paper – An Overview

AspectsDetails
ClassClass 9th
SubjectArtificial Intelligence
ExamPT 1
Full Form Of ExamPeriodic Test 1
Alternate Exam NamesUT 1 (Unit Test 1)
Question paper HereClass 9 Previous Year Question Paper for PT I for Artificial Intelligence
All Question Papers of Periodic Tests for This Class
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All Question Papers for This Test
More Previous Year Question Papers
Model Papers for This Class
Textbook
Book Solutions

To sum up, preparing for the Class 9 PT 1 Question Paper Artificial Intelligence requires dedication, regular practice, and a clear understanding of the syllabus. Using the Artificial Intelligence Periodic Test 1 Question Paper effectively can help students gain confidence and excel in their exams. Remember, practice is key, and using resources like the KV PT 1 Question Paper Artificial Intelligence or the KVS PT 1 Question Paper Artificial Intelligence can make a significant difference in your performance. So, grab your books, solve those sample papers , and get ready to ace your exams!

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